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अफारा गैस का बनना gas bannna
अफारा गैस का बनना
कभी-कभी भूख न लगना, गलत-खान पान और लापरवाही आदि के कारण पेट में दूषित वायु इकट्ठी हो जाती है, जो आध्यमान या अफारा को पैदा करती है, इसके परिणामस्वरूप पेट की नसों में खिंचाव महसूस होने लगता है। ऐसी अवस्था में मरीज बेचैन हो उठता है। पेट फूलने लगता है। जब यह गैस (अफारा) ऊपर की ओर बढ़ने लगती है तो हृदय पर दबाब बढ़ता है जिससे घबराहट सी महसूस होती है। यह गैस जब पेट में काफी समय तक रुक जाती है तो पेट में काफी दर्द करती है, जिसे अफारा या पेट में गैस का बनना कहते है।परिचय :
विभिन्न भाषाओं में नाम :
1. सोंठ :4. अदरक : अदरक 3 ग्राम, 10 ग्राम पिसे हुए गुड़ के साथ सेवन करने से आध्यमान (अफारा, गैस) समाप्त होता है।
5. लहसुन : लहसुन का पिसा हुआ मिश्रण लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग को घी के साथ सेवन करने से पेट में बनी गैस बाहर निकल जाती है।
6. सुगंधबाला : सुगंधबाला चूर्ण लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से लगभग 1 ग्राम को शहद के साथ सुबह-शाम पीने से अफारे में लाभ होता है।
7. तारपीन :
सौंफ 25 ग्राम को 500 मिलीलीटर पानी में उबालें, जब 100 मिलीलीटर पानी बच जाये तब सेंधानमक व काला नमक 2-2 ग्राम मिलाकर रख लें, फिर इस काढ़े को छानकर पीने से आध्यमान (अफारा, गैस) नष्ट हो जाता है।
सौंफ को कूटकर चूर्ण बनाकर रख लें। 5 ग्राम चूर्ण हल्के गरम पानी के साथ सेवन करने से जल्दी पेट का फूलना (अफारा) नष्ट होता है।
सौंफ का काढ़ा बनाकर बस्ति (एक क्रिया जिसमें गुदा मार्ग से पानी डालते हैं) देने से गैस में लाभ होता है।
10. बदियाण : बदियाण रूमी (एक प्रकार का सौंफ) लगभग आधा ग्राम से लेकर 2 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम लेने से लाभ मिलता है।
11. बाबूना : पेट का फूलना (आनाह) में बाबूना के फूल 3 से 4 ग्राम सुबह-शाम सेवन करने से लाभ होता है।
12. बैंगन :
पीपल का चूर्ण 3 ग्राम, सेंधानमक 1 ग्राम को मिलाकर 150 मिलीलीटर छाछ (मट्ठे या तक्र) के साथ पीने से पेट की वायु (गैस) निकल जाती है जिससे आध्यमान (अफारा, गैस) समाप्त हो जाता है।
3 पीपल को पीसकर इतने ही काले नमक में मिलाकर गर्म पानी से सुबह-शाम खाने के आधे घण्टे बाद फंकी लेने से पेट की गैस बाहर निकल जायेगी।
15. अंगूर : अंगूर के 50 मिलीलीटर रस में 5 ग्राम मिश्री और 2 ग्राम यवक्षार मिलाकर पीने से आध्यमान (अफारा, गैस) दूर होता है।
16. लौंग :
18. तेजपात (तेजपत्ता) : तेजपात का पिसा हुआ चूर्ण 1 से 4 ग्राम सुबह-शाम लेने से पेट में गैस नहीं बनती है।
19. केसर : लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग केसर को शहद के साथ लेने से अफारा (गैस), अतिसार (दस्त) और वमन (उल्टी) ठीक हो जाते हैं।
20. जटामांसी : जटामांसी 200 ग्राम, मिश्री 400 ग्राम, दालचीनी 50 ग्राम, शीतलचीनी 50 ग्राम, सौंफ 50 ग्राम और 50 ग्राम सोंठ को लेकर मिलाकर मिश्रण बना लें, फिर यह मिश्रण 3 से 6 ग्राम सुबह-शाम सेवन करने से पेट का दर्द समाप्त हो जाता है।
21. आक (मदार) : आक के पत्तों में एरण्ड का तेल लगाकर गर्म करके पेट पर बांधने से शौच (ट्टटी) खुलकर आने से पेट साफ हो जाता है।
22. धतूरे : धतूरे के पत्तों का लेप या पत्तों के काढ़े से सेंकने या पत्तों के तेल से मालिश करने से पेट की गैस दूर हो जाती है।
23. अडूसा : अडूसा (बाकस) के पत्तों का 5 से 15 मिलीलीटर रस को खुराक के रूप में देने से अफारा में लाभ होता है।
24. कचनार : कचनार की मूल (जड़) का काढ़ा सेवन करने से अफारा (गैस) ठीक हो जाता है।
25. अगियाखार :
27. विष्णुकान्ता : विष्णुकान्ता (नील शंखपुष्पी) की जड़ 3 से 6 ग्राम सुबह-शाम लेने से लाभ होता है।
28. गूमा : गूमा (दोणपुष्पी) का रस 5 से 10 मिलीलीटर तक सुबह-शाम सेवन करने से पेट की गैस में राहत मिलती है।
29. मट्ठा या छाछ : 200 मिलीलीटर मट्ठे (तक्र) में 2 ग्राम अजवायन का चूर्ण और 1 ग्राम पिसा हुआ कालानमक मिलाकर पीने से आध्यमान (अफारा, गैस) नष्ट होता है।
30. हींग :
हींग को पानी में घोलकर नाभि (पेट के निचले भाग) के आस-पास लेप करने और गर्म पानी की थैली या बोतल रखने से वायु निकल जाती है।
हींग को 2 से 3 ग्राम पानी में घोलकर बस्ति (नाभि के निचले भाग) पर लगाने से अफारा में लाभ होता है।
देशी घी में भुनी हुई हींग लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से लगभग 1 ग्राम को अजवायन और काला नमक के साथ पानी में घोलकर पिलाने से पेट की गैस में तुरंत लाभ मिलता है।
32. मकरध्वज : मकरध्वज आधा ग्राम, भुनी हुई हींग का चूर्ण 2 ग्राम पानी के साथ सेवन करने से गैस में आराम होता है।
33. दौना : दौना (दवना) के पंचांग (जड़, तना, पत्ती, फल और फूल) का रस 5 से 10 बूंद सुबह-शाम सेवन करने से पेट के कीड़े और गैस समाप्त हो जाती है।
34. बरना : बरना के पत्तों का फांट या घोल 40 से 80 मिलीलीटर सुबह-शाम पीने से पेट दर्द और गैस दूर होती है।
35. मूली : मूली के पत्तों के 20 से 40 मिलीलीटर रस को सुबह-शाम देने से पेट की गैस की शिकायत चली जाती है।
36. कायपुटी : कायपुटी का तेल 5 से 10 बूंद बताशे या चीनी में भरकर रोजाना 2 से 3 बार सेवन करने से पेट की गैस में आराम मिलता है।
37. सेंधानमक : सैंधवलवण 1 ग्राम और 5 ग्राम पिसा हुआ अदरक का चूर्ण सुबह और शाम (दो बार) लें। इससे अफारा में लाभ मिलता है।
38. अजमोद : 5 ग्राम अजमोद को 15 ग्राम गुड़ में मिलाकर खाने से पेट का अफारा मिटता है।
39. तस्तुम्बे : तस्तुम्बे की गिरी और एलुआ को पीसकर गर्म करके लेप करने से अफारा कम होता है।
40. एलुआ : एलुआ को पीसकर नाभि (पेट के निचले भाग) पर लेप करने से दस्त आकर अफारा मिटता है।
41. बालछड़ : बालछड़ का चूर्ण लगभग आधा ग्राम पीसकर रख लें, फिर 2 ग्राम चूर्ण को गर्म पानी के साथ खाने से अफारा में लाभ होता है।
42. तालसी : तालसी के पत्ते और अजवायन का चूर्ण खाने से अफारा मिट जाता है।
43. कालीमिर्च :
45. अरणी : अरणी के पत्तों को उबालकर पीने से अफारा और पेट के दर्द में लाभ होता है।
46. मरोड़फली :
49. गुड़ : गुड़ और मेथी दाना को उबालकर पीने से अफारा मिट जाता है।
50. अजवायन:
देशी अजवायन 250 ग्राम और कालानमक 60 ग्राम को किसी चीनी-मिट्टी या कांच के बर्तन में रख दें, ऊपर से इतना नींबू का रस डालें कि दोनों दवाएं डूब जाए। इस बर्तन को छाया में रख दें। जब नींबू का रस सूख जाये तो फिर और रस डाल दें। इसी तरह 7 बार करें। इस 2 ग्राम दवा को गुनगुने पानी से सुबह-शाम खाने से पेट के सभी रोग समाप्त हो जाते हैं।
जंगली अजवायन का चूर्ण 1 से 3 ग्राम सुबह-शाम सेवन करने से गैस समाप्त हो जाती है।
52. डिकामाली : डिकामाली लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग को गर्म पानी में घोलकर सुबह-शाम पीने से अफारा कम होता है।
53. राई : 2 ग्राम राई को चीनी में मिलाकर फांक लें तथा ऊपर से लगभग आधा ग्राम से 1 ग्राम चूने को आधा कप पानी में मिलाकर पिलाने से अफारा को दूर किया जा सकता है।
54. धनिया :
धनिया का तेल 1 से 4 बूंद मिश्री के साथ देने से बच्चों को पेट की गैस से राहत मिलती है।
2 चम्मच सूखा धनियां 1 गिलास जल में उबालकर 3 बार पीने से गैस में लाभ होता है।
हरा धनिया, काला नमक, कालीमिर्च मिलाकर चटनी बनाकर चाटने से अफारा में लाभ मिलता है। यह चटनी सुपाच्य रहती है। उल्टी में धनिये को मिश्री के साथ सेवन करने से लाभ मिलता है। पिसे हुए धनिये को सेंककर 1-1 चम्मच पानी से फंकी लेने से दस्त आना बंद हो जाता है। दस्तों के साथ आंव, मरोड़, उल्टी, गर्भवती की उल्टी आदि आना बंद हो जाती है।
56. शरपुंखा : शरपुंखे की जड़ के 10 से 20 मिलीलीटर काढ़े में भूनी हुई लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से लगभग आधा ग्राम हींग को मिलाकर सुबह-शाम पिलाने से पेट की गैस खत्म हो जाती है।
57. अकरकरा : शुंठी चूर्ण और अकरकरा दोनों 1-1 ग्राम मिलाकर फंकी लेने से मंदाग्नि और अफारा दूर होता है।
58. वच :
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