10 करी पत्ता रोज खाएं और डायबिटीज को दूर भगाएँ

करी पत्ता का इस्तेमाल हम अपने भोजन में करते हैं। परंतु हम में से बहुत ही कम लोग जानते हैं की इसे एक औषधि के रूप में भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके औषधीय गुण हमे कई तरह के बीमारियों से बचाता है। प्रस्तुत है करी पत्ता के गुण और इसके घरेलू नुस्खे।
डायबिटीज, मोटापन, कोलेस्ट्रॉल - प्रतिदिन सबेरे 10 पत्ते खाएं या पत्ते का 10-15 मि०ली० रस सेवन करें ।
यकृत की बीमारियाँ - दिन में दो बार करी पत्ता के जड़ का एक चम्मच रस सेवन करें।
दमा - नमक, मिर्ची, प्याज़ आदि मिलाकर करीपत्ते की चटनी बनाएं और भोजन के साथ खाएं ।
जलन, चोट - करी-पत्ते की लेई में घी मिला कर लगाएं ।
कीड़े काटने पर - करी पत्ते का ताजा रस और नोंबू रस बराबर मात्रा में मिला कर लगाएं ।
केश तेल (बाल बढने के लिये, बाल के रंग के लिये ) - 200 ग्राम करी-पत्ता नारियल के तेल सें उबाल दे । पत्ता सूख जाने पर तेल छान कर केश तेल की तरह इस्तेमाल करें।
पेचिश, दस्त - करी-पत्ते की 2 चम्मच लेई मट्टे के साथ दिन में दो चार बार 3-5 दिनों तक सेवन करें।
एलर्जी - करीपत्ता और कच्ची हल्दी बराबर मात्रा में लेकर लेई तैयार करें और एक चम्मच दिन में एक बार महीने भर तक सेवन करते रहें ।
पैर का चर्म फट जाने पर - करीपत्ता, मेंहन्दी पत्ता, कच्ची हल्दी, और पीपल का दूध ये सब बराबर मात्रा में मिला कर लेई तैयार करें; सोने के पहले हर रोज एक बार एक सप्ताह तक लगाते रहें ।
चर्म, रोग, और पेट में कीड़े - करी पत्ता और नीम पत्ते की लेई तैयार करें । लेई को मट्ठे में मिला कर खाली पेट में प्रतिदिन सेवन कों ।
आँखों के चारों तरफ त्वचा का रंग बदलने पर - इनके पत्तों का रस मक्खन में मिलाकर लेप लगाएं ।
बिल्ली के काटने पर - करीपत्ते और हल्दी का लेप लगाएं
सौगोड़वा के काटने पर - करी पत्ते और गोलमिर्च मिला कर पेस्ट तैयार करें और लगाएं ।
मासिक धर्म की गड़बडी - करी पत्ते का 60 मि०ली० रस सबेरे खाली पेट लगातार कुछ महीनों तक सेवन करें।

अगर आपके परिवार में कोई डायबिजीज या उपरोक्त अन्य बीमारियों से पीड़ित है तो इस लेख को अवश्य शेयर करें।

डायबिटीज से बचना है तो प्री डायबिटीज कि पहचान करना सीख लें

अनियमित जीवन शैली एवं खान-पान के कारण यदि शरीर में शुगर लेवल सामान्य से थोड़ा बढ़ जाये परंतु डायबिटीज के मानक लेवल से कम हो तो इस अवस्था को प्री-डायबिटीज कहा जाता है। इस अवस्था पर यदि अपने जीवन शैली एवं खान-पान में नियंत्रण न किया जाए तो आपको डायबिटीज होना निश्चित है। पौष्टिक भोजन एवं एक्टिव रह कर इसे रोका जा सकता है।
वर्तमान में हमारा दिनचर्या क्या है
आज हमारे जीवनशैली में बहुत सारी अनियमितताएँ आ गई है। प्रचीन काल में मनुष्य दिन में कार्य करते थे और रात होते ही सो जाते थे। इससे हमारे शरीर को आराम मिलता था। हमारे सारे शारीरिक तंत्र सही ढंग से कार्य करते थे और मनुष्य स्वास्थ और बलवान रहता था। परंतु आज हर कार्य में अनियमितता आ गई है। सुबह हम देर से उठते हैं। व्यायाम करने का हमारे पास वक्त नहीं है। भोजन में हम जंक फूड या फास्ट फूड का ज्यादा इस्तेमाल करते है। ऑफिस में ज्यादातर समय हम बैठ कर गुज़ार देते हैं, और तो और देर रात बैठ कर टेलेविजन का आनन्द लेते है। हर कार्यों में अनियमितता दिखता है। इसके साथ-साथ आज हमारे शरीर को कई तरह के प्रदूषण कि भी मार झेलनी पड़ती है।

हमारे शरीर में ग्लूकोज या शुगर का क्या कार्य है
साधारण भाषा में यदि समझने कि कोशिश किया जाए तो शुगर हमारे शरीर के लिए ऊर्जा का स्त्रोत है। जब भी हम भोजन ग्रहण करते हैं, उस भोजन में कार्बोहाइड्रेट होता है। यह हमारे शरीर में जाकर टूटता है जिससे भोजन में स्थित ग्लूकोज अलग होता है। पाचन क्रिया के दौरान यह ग्लूकोज रक्त में पहुंचता है। यहाँ यह इंसुलिन, जो एक प्रकार का होर्मोन है, के मदद से शरीर कि कोशिकाओं तक पहुँच कर ऊर्जा में बादल जाता है। इस तरह भोजन द्वारा ग्रहण किया गया ग्लूकोज ऊर्जा के रूप में शरीर से बाहर आ जाता है। अगर इस पूरे प्रक्रिया में जरा-सी भी खराबी आ जाये तो यही प्री-डायबिटीज का कारण बन जाता है।

प्री-डायबिटीज के लिए इन बातों का ध्यान अवश्य दें
1. क्या आपकी उम्र 40 या इससे अधिक हो गई है
2. क्या आपका शरीर ज्यादा सक्रिय नहीं है
3. क्या आपका ब्लड प्रेशर ज्यादा रहता है
4. क्या आपका वजन नियमित रूप से बढ़ रहा है
5. महिलाओं में यदि गर्भावस्था में डायबिटीज हुई है
6. घर में यदि किसी और को डायबिटीज हुई है
अगर उपरोक्त में से कोई भी एक बात आप में है तो आपको यही सलाह है कि कम से कम एक बार अपना शुगर लेवल कि जांच अवश्य करा लें।

प्री-डायबिटीज के क्या-क्या है लक्षण
अगर आपके शरीर में शुगर लेवल सामान्य से थोड़ा ज्यादा हो जाए तो आपके शरीर में निम्नलिखित लक्षण दिखाई दे सकते हैं:-
1. भूख ज्यादा लगना
2. अचानक वजन का बढ़ना
3. थोड़ी-थोड़ी देर में प्यास लगना
4. पेशाब जल्दी-जल्दी आना
5. आँखों का दृष्टि कमजोर होना
6. शरीर के कुछ हिस्सों में त्वचा पर कालापन आना इत्यादि।
हालांकि इन लक्षणों कि पहचान तुरंत नहीं हो पाती है अतः इसके लिए हमें खुद जागरूक होना होगा। इन लक्षणों कि पहचान हमें खुद करनी होती है।

प्री-डायबिटीज होने का वैसे तो कोई स्पष्ट कारण नहीं है। यह कभी फैमिली हिस्ट्री कि वजह से होती है तो कई बार आनुवांशिक भी होती है। परंतु डॉक्टरों का कहना है कि आज-कल प्री डायबिटीज होने का मुख्य कारण हमारी गलत लाइफस्टाइल और खान-पान है। शारीरिक क्रियाकलाप कि कमी के कारण हमारे शरीर में फैट कि मात्रा बढ्ने लगती है जो प्री-डायबिटीज को जन्म देती है।

कैसे करें बचाव
चिकित्सकों का मानना है कि 90% प्री-डायबिटीज का मरीज यदि अपने लाइफस्टाइल पर बदलाव लाये तो इसे नियंत्रित किया जा सकता है। कहने का तात्पर्य यह है कि यदि हम अपने नित्य कार्यों को उसके समय के अनुसार अर्थात सुबह समय पर उठना, समय पर भोजन करना तथा रात में समय पर सो जाना आदि करते हैं तो आपके शरीर में शुगर लेवल नियंत्रित रहेगा।

यदि पिछले कुछ समय से आपका वजन बढ़ रहा है तो इसे बढ़ने न दें। वजन घटाने कि पूरी कोशिश करनी चाहिए। वजन घटाने एवं शरीर को एक्टिव रखने के लिए रोजाना मॉर्निंग वॉक एवं व्यायाम अवश्य करें। व्यायाम करने से आपके शरीर में स्थित अतिरिक्त शुगर ऊर्जा के रूप में निकाल जाती है। रोजाना कम-से-कम आधा घंटा व्यायाम अवश्य करना चाहिए। 10-15 दिनों में ही आपको सकारात्मक परिणाम दिखने लगेगा।

अन्त में आपको अपने खान-पान पर विशेष ध्यान देने कि जरूरत है। हमेशा सादा भोजन करने कि कोशिश करें। अधिक वसायुक्त व प्रोटीन युक्त तथा तले-भुने हुए खाद्य पदार्थों से परहेज करें। थोड़ा-थोड़ा करके दिन में कई बार खाना खाएं। दो भोजन के बीच लंबा अंतराल आने पर शुगर लेवल बढ़ने लगता है और कमजोरी महसूस होने लगती है।