अर्जेन्टीना के बादलों से होकर गुजरती है यह ट्रेन

अर्जेन्टीना के बादलों से होकर गुजरने वाली इस रेलगाड़ी को 'ट्रेन टू द क्लाउड' कहा जाता है। यह ट्रेन सिटी ऑफ साल्टा से चल कर ला पोल्वोरीला वियडक्ट तक जाती है। अर्जेन्टीना का यह रेलमार्ग दुनिया के सबसे ऊंचे रेल रूट में से एक है। यह रेल 16 घंटे के अपने सफर में लगभग 217 किलोमीटर कि दूरी तय करती है आर लगभग 4000 मीटर तक कि ऊंचाई पर दौड़ती है। इस रेलमार्ग का निर्माण 1920 में हुआ था। इस पूरे रेल खण्ड के प्रोजेक्ट हेड अमेरिकी इंजीनियर रिचर्ड फोंटेन मरे थे।

इस पूरी यात्रा के दौरान यह रेल कुछ ऐसी जघों से होकर गुजरती है जहां इसमें सवार लोगों को स्वर्ग कि सैर का एहसास होता है। दरअसल यह इतनी ऊंचाई पर होती है कि यह बादलों के ऊपर दौड़ रही होती है। रेल जिस जगह से पार हो रही होती है उसके ऊपर तो खुला आसमान होता है पर नीचे देखने से घना सफेद बादल दिखाई देता है। ट्रेन पर बैठकर इस अद्भुत नजारा देखना अत्यंत आनंददायी होता है।

दोस्त की प्रतिस्पर्धा - लघु कथा


एक सुंदर-सा गाँव था। जिसका नाम शांतिपुर था। चारों तरफ लहलहाती हरी-भरी फसलें, अनेकों पेड़-पौधों से भरे बगीचे तथा सड़कों के किनारे लगे पेड़-पौधे उस गाँव की सुंदरता में चार चाँद लगा रहे थे। उसी गाँव में दो दोस्त रहते थे। विवेक और विकास। विवेक सीधा-सादा लड़का था, जबकि विकास नटखट एवं शरारती लड़का था। वह हमेशा किसी-न-किसी से झगड़ा करने को उतावला हो जाता था। दोनों पक्के दोस्त थे। खेलने, घूमने, पढ़ने या जहां कहीं भी जाना हो, एक ही साथ जाते थे। दोनों दोस्त गाँव से कुछ दूरी पर स्थित स्कूल में आठवीं कक्षा में पढ़ते थे। विवेक अपनी कक्षा में सबसे तेज एवं बुद्धिमान लड़का था, जबकि विकास को पढ़ाई में बिलकुल भी मन नहीं लगाता था। वार्षिक परीक्षा होने में कुछ समय शेष था। 

विवेक सोच रहा था कि मेरे दोस्त का मन पढ़ने में नहीं लगता है। आखिर ऐसा क्या करें कि वह पढ़ने में मन लगाये। तभी उसे एक उपाय सुझा। दूसरे दिन विवेक, विकास और उसके अन्य साथी स्कूल के मैदान में एक साथ खेल रहे थे। तभी विवेक ने सभी साथियों के सामने विकास से कहा - विकास, तुम खेलने, कूदने, उलझने सब कुछ में आगे हो, लेकिन पढ़ने में इतने पीछे क्यों हो? क्या तुम कभी मुझसे अच्छे मार्क्स ला सकते हो?

अपने दोस्तों के सामने ऐसी बातें सुन कर विकास को बहुत बुरा लगा। उसने मन-ही-मन ठान लिया कि इस बार के परीक्षा में वह अच्छे मार्क्स लायेगा। वह दिन-रात मेहनत करने लगा। विवेक जानता था कि सारे दोस्तों के सामने उसके द्वारा दी गयी चुनौती को विकास स्वीकार करेगा। इसलिए दोनों जम कर तैयारी करने लगे। उन दोनों के बीच प्रतिस्पर्धा की स्थिति बन गयी। देखते-देखते परीक्षा की घड़ी आ गयी। दोनों ने पूरी मेहनत के साथ परीक्षा दी। अब सभी को वार्षिक परीक्षा के परिणाम का इंतजार था। विकास के जीवन में विवेक की सूझ-बुझ ने रंग लायी और दोनों अपने वर्ग में अव्वल आये। विकास के अव्वल होने से सभी छात्र काफी हैरान थे। उसे सभी बधाई दे रहे थे और सवाल भी कर रहे थे कि इस चमत्कार के पीछे की वजह क्या है। तब विकास ने कहा-यह सब मेरे दोस्त और कड़ी प्रतिस्पर्धा के कारण ही संभव हो पाया। साथ ही उसने यह भी कहा कि विवेक मेरा बेस्ट फ्रेंड है, जिसने मुझे इस मुकाम पर पहुंचा दिया। विवेक भी बहुत खुश था कि उसने सच्चे दोस्त होने का फर्ज निभाया है। शिक्षकों ने भी विवेक के इस प्रयास के लिए उसकी खूब सराहना की। अब दोनों दोस्त मन लगा कर पढ़ाई करने लगे। शांतिपुर गाँव में उनकी दोस्ती एक मिसाल बन गयी। 

बुद्धिमान हंस - प्रेरक कथा


एक बहुत विशाल पेड़ था। उस पर कई हंस रहते थे। उनमें से एक हंस बहुत सयाना था। वह बुद्धिमान होने के साथ-साथ दूरदर्शी भी था। सभी उसका आदर करते और ताऊ कह कर बुलाते थे। एक दिन उसने एक नन्ही सी बेल को पेड़ के ताने से लिपटते पाया। ताऊ ने दूसरे हंसों को बुला कर कहा- देखो इस बेल को नष्ट कर दो। एक दिन यह बेल हम सबको मौत के मुंह में ले जाएगी। एक युवा हंस ने हँसते हुए बोला - ताऊ, यह छोटी-सी बेल हमें कैसे मौत के मुंह में ले जाएगी?
सयाने हंस ने समझाया, आज यह तुम्हें छोटी-सी लग रही है। धीरे-धीरे यह पेड़ के सारे तने को लपेट मार कर ऊपर तक आयेगी। फिर बेल का तना मोटा होने लगेगा और पेड़ से चिपक जाएगा। धीरे-धीरे यह एक सीढ़ी का रूप ले लेगा और कोई भी इसके सहारे ऊपर चढ़कर हम तक पहुँच जायेगा और हम मारे जाएंगे। 

दूसरे हंसों को यकीन न आया, वे बोले ताऊ, तुम तो एक छोटी-सी बेल को खींच कर ज्यादा ही लंबा कर रहे हो।

एक ने कहा की यह ताऊ अपनी बुद्धिमानी का रौब जमाने के लिए कहानी बना रहा है। इस तरह किसी भी हंस ने ताऊ की बात को गंभीरता से नहीं लिया। शायद उतनी दूर तक देख पाने की उनमें अक्ल नहीं थी। समय बीतता रहा। बेल लिपटते-लिपटते ऊपर शाखों तक पहुँच गयी। अब तक बेल इतना मजबूत हो गया था की उसे नष्ट करना अब हंसों के बस की बात नहीं थी। 

एक दिन जब सारे हंस दाना चुगने बाहर गए हुए थे, तब एक बहेलिया उधर से गुजर रहा था। पेड़ पर बनी बेल की सीढ़ी को देखते ही उसने पेड़ पर चढ़ कर जाल बिछाया और चला गया। शाम को सारे हंस लौट आए और पेड़ पर बैठते ही बहेलिये के जाल में बुरी तरह फंस गये। जब वे जाल में फंस गये और फड़फड़ाने लगे, तब उन्हें ताऊ की बात याद आयी। सभी ताऊ की बात नहीं मानने के लिए लज्जित थे और अपने आप को कोस रहे थे। ताऊ चुप बैठा था। एक हंस ने हिम्मत करके कहा - ताऊ, हम मूर्ख हैं, लेकिन हमसे मुंह मत फेरो। 

ताऊ मान गये। उन्होने कहा की मेरी बात ध्यान से सुनो। सुबह जब बहेलिया आएगा तब मुर्दा होने का नाटक करना। बहेलिया तुम्हें मुर्दा समझ कर जमीन पर रखता जायेगा। वहाँ भी मरे हुए के समान ही पड़े रहना, जैसे ही वह अंतिम हंस को नीचे रखेगा, मैं सीटी बजाऊँगा। मेरी सीटी सुनते ही सब उड़ जाना। सुबह बहेलिया आया। हंसों ने वैसा ही किया। सचमुच बहेलिया हंसों को मुर्दा समझ कर जमीन पर पटकता गया। आखिरी हंस को पटकते ही ताऊ ने सीटी बजाई। सीटी की आवाज के साथ ही सारे हंस उड़ गये। बहेलिया आवाक होकर देखता रह गया। 

सीख: बुद्धिमान और अनुभवी लोगों की सलाह हमेशा माननी चाहिए। 

10 करी पत्ता रोज खाएं और डायबिटीज को दूर भगाएँ

करी पत्ता का इस्तेमाल हम अपने भोजन में करते हैं। परंतु हम में से बहुत ही कम लोग जानते हैं की इसे एक औषधि के रूप में भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके औषधीय गुण हमे कई तरह के बीमारियों से बचाता है। प्रस्तुत है करी पत्ता के गुण और इसके घरेलू नुस्खे।
डायबिटीज, मोटापन, कोलेस्ट्रॉल - प्रतिदिन सबेरे 10 पत्ते खाएं या पत्ते का 10-15 मि०ली० रस सेवन करें ।
यकृत की बीमारियाँ - दिन में दो बार करी पत्ता के जड़ का एक चम्मच रस सेवन करें।
दमा - नमक, मिर्ची, प्याज़ आदि मिलाकर करीपत्ते की चटनी बनाएं और भोजन के साथ खाएं ।
जलन, चोट - करी-पत्ते की लेई में घी मिला कर लगाएं ।
कीड़े काटने पर - करी पत्ते का ताजा रस और नोंबू रस बराबर मात्रा में मिला कर लगाएं ।
केश तेल (बाल बढने के लिये, बाल के रंग के लिये ) - 200 ग्राम करी-पत्ता नारियल के तेल सें उबाल दे । पत्ता सूख जाने पर तेल छान कर केश तेल की तरह इस्तेमाल करें।
पेचिश, दस्त - करी-पत्ते की 2 चम्मच लेई मट्टे के साथ दिन में दो चार बार 3-5 दिनों तक सेवन करें।
एलर्जी - करीपत्ता और कच्ची हल्दी बराबर मात्रा में लेकर लेई तैयार करें और एक चम्मच दिन में एक बार महीने भर तक सेवन करते रहें ।
पैर का चर्म फट जाने पर - करीपत्ता, मेंहन्दी पत्ता, कच्ची हल्दी, और पीपल का दूध ये सब बराबर मात्रा में मिला कर लेई तैयार करें; सोने के पहले हर रोज एक बार एक सप्ताह तक लगाते रहें ।
चर्म, रोग, और पेट में कीड़े - करी पत्ता और नीम पत्ते की लेई तैयार करें । लेई को मट्ठे में मिला कर खाली पेट में प्रतिदिन सेवन कों ।
आँखों के चारों तरफ त्वचा का रंग बदलने पर - इनके पत्तों का रस मक्खन में मिलाकर लेप लगाएं ।
बिल्ली के काटने पर - करीपत्ते और हल्दी का लेप लगाएं
सौगोड़वा के काटने पर - करी पत्ते और गोलमिर्च मिला कर पेस्ट तैयार करें और लगाएं ।
मासिक धर्म की गड़बडी - करी पत्ते का 60 मि०ली० रस सबेरे खाली पेट लगातार कुछ महीनों तक सेवन करें।

अगर आपके परिवार में कोई डायबिजीज या उपरोक्त अन्य बीमारियों से पीड़ित है तो इस लेख को अवश्य शेयर करें।

डायबिटीज से बचना है तो प्री डायबिटीज कि पहचान करना सीख लें

अनियमित जीवन शैली एवं खान-पान के कारण यदि शरीर में शुगर लेवल सामान्य से थोड़ा बढ़ जाये परंतु डायबिटीज के मानक लेवल से कम हो तो इस अवस्था को प्री-डायबिटीज कहा जाता है। इस अवस्था पर यदि अपने जीवन शैली एवं खान-पान में नियंत्रण न किया जाए तो आपको डायबिटीज होना निश्चित है। पौष्टिक भोजन एवं एक्टिव रह कर इसे रोका जा सकता है।
वर्तमान में हमारा दिनचर्या क्या है
आज हमारे जीवनशैली में बहुत सारी अनियमितताएँ आ गई है। प्रचीन काल में मनुष्य दिन में कार्य करते थे और रात होते ही सो जाते थे। इससे हमारे शरीर को आराम मिलता था। हमारे सारे शारीरिक तंत्र सही ढंग से कार्य करते थे और मनुष्य स्वास्थ और बलवान रहता था। परंतु आज हर कार्य में अनियमितता आ गई है। सुबह हम देर से उठते हैं। व्यायाम करने का हमारे पास वक्त नहीं है। भोजन में हम जंक फूड या फास्ट फूड का ज्यादा इस्तेमाल करते है। ऑफिस में ज्यादातर समय हम बैठ कर गुज़ार देते हैं, और तो और देर रात बैठ कर टेलेविजन का आनन्द लेते है। हर कार्यों में अनियमितता दिखता है। इसके साथ-साथ आज हमारे शरीर को कई तरह के प्रदूषण कि भी मार झेलनी पड़ती है।

हमारे शरीर में ग्लूकोज या शुगर का क्या कार्य है
साधारण भाषा में यदि समझने कि कोशिश किया जाए तो शुगर हमारे शरीर के लिए ऊर्जा का स्त्रोत है। जब भी हम भोजन ग्रहण करते हैं, उस भोजन में कार्बोहाइड्रेट होता है। यह हमारे शरीर में जाकर टूटता है जिससे भोजन में स्थित ग्लूकोज अलग होता है। पाचन क्रिया के दौरान यह ग्लूकोज रक्त में पहुंचता है। यहाँ यह इंसुलिन, जो एक प्रकार का होर्मोन है, के मदद से शरीर कि कोशिकाओं तक पहुँच कर ऊर्जा में बादल जाता है। इस तरह भोजन द्वारा ग्रहण किया गया ग्लूकोज ऊर्जा के रूप में शरीर से बाहर आ जाता है। अगर इस पूरे प्रक्रिया में जरा-सी भी खराबी आ जाये तो यही प्री-डायबिटीज का कारण बन जाता है।

प्री-डायबिटीज के लिए इन बातों का ध्यान अवश्य दें
1. क्या आपकी उम्र 40 या इससे अधिक हो गई है
2. क्या आपका शरीर ज्यादा सक्रिय नहीं है
3. क्या आपका ब्लड प्रेशर ज्यादा रहता है
4. क्या आपका वजन नियमित रूप से बढ़ रहा है
5. महिलाओं में यदि गर्भावस्था में डायबिटीज हुई है
6. घर में यदि किसी और को डायबिटीज हुई है
अगर उपरोक्त में से कोई भी एक बात आप में है तो आपको यही सलाह है कि कम से कम एक बार अपना शुगर लेवल कि जांच अवश्य करा लें।

प्री-डायबिटीज के क्या-क्या है लक्षण
अगर आपके शरीर में शुगर लेवल सामान्य से थोड़ा ज्यादा हो जाए तो आपके शरीर में निम्नलिखित लक्षण दिखाई दे सकते हैं:-
1. भूख ज्यादा लगना
2. अचानक वजन का बढ़ना
3. थोड़ी-थोड़ी देर में प्यास लगना
4. पेशाब जल्दी-जल्दी आना
5. आँखों का दृष्टि कमजोर होना
6. शरीर के कुछ हिस्सों में त्वचा पर कालापन आना इत्यादि।
हालांकि इन लक्षणों कि पहचान तुरंत नहीं हो पाती है अतः इसके लिए हमें खुद जागरूक होना होगा। इन लक्षणों कि पहचान हमें खुद करनी होती है।

प्री-डायबिटीज होने का वैसे तो कोई स्पष्ट कारण नहीं है। यह कभी फैमिली हिस्ट्री कि वजह से होती है तो कई बार आनुवांशिक भी होती है। परंतु डॉक्टरों का कहना है कि आज-कल प्री डायबिटीज होने का मुख्य कारण हमारी गलत लाइफस्टाइल और खान-पान है। शारीरिक क्रियाकलाप कि कमी के कारण हमारे शरीर में फैट कि मात्रा बढ्ने लगती है जो प्री-डायबिटीज को जन्म देती है।

कैसे करें बचाव
चिकित्सकों का मानना है कि 90% प्री-डायबिटीज का मरीज यदि अपने लाइफस्टाइल पर बदलाव लाये तो इसे नियंत्रित किया जा सकता है। कहने का तात्पर्य यह है कि यदि हम अपने नित्य कार्यों को उसके समय के अनुसार अर्थात सुबह समय पर उठना, समय पर भोजन करना तथा रात में समय पर सो जाना आदि करते हैं तो आपके शरीर में शुगर लेवल नियंत्रित रहेगा।

यदि पिछले कुछ समय से आपका वजन बढ़ रहा है तो इसे बढ़ने न दें। वजन घटाने कि पूरी कोशिश करनी चाहिए। वजन घटाने एवं शरीर को एक्टिव रखने के लिए रोजाना मॉर्निंग वॉक एवं व्यायाम अवश्य करें। व्यायाम करने से आपके शरीर में स्थित अतिरिक्त शुगर ऊर्जा के रूप में निकाल जाती है। रोजाना कम-से-कम आधा घंटा व्यायाम अवश्य करना चाहिए। 10-15 दिनों में ही आपको सकारात्मक परिणाम दिखने लगेगा।

अन्त में आपको अपने खान-पान पर विशेष ध्यान देने कि जरूरत है। हमेशा सादा भोजन करने कि कोशिश करें। अधिक वसायुक्त व प्रोटीन युक्त तथा तले-भुने हुए खाद्य पदार्थों से परहेज करें। थोड़ा-थोड़ा करके दिन में कई बार खाना खाएं। दो भोजन के बीच लंबा अंतराल आने पर शुगर लेवल बढ़ने लगता है और कमजोरी महसूस होने लगती है।

बात करने में मोबाइल फोन के ज्यादा प्रयोग से ब्रेन स्ट्रोक का खतरा

आज मोबाइल फोन का इस्तेमाल लगभग हर कोई करता है। बिना इसके हम अपने आपको अधूरा सा महसूस करने लगते है। इसके द्वारा हम अपने कई कामों को चुटकी में ही निपटा सकते है। अतः मोबाइल फोन वर्तमान में हमारी जरुरत बन गई है। जहाँ इसके इतने सारे फायदे है वहीं यह हमारे शरीर के लिए खतरनाक भी है।
मोबाइल रेडिएशन से मानव शरीर में होने वाले प्रभावों को जानने के लिए अमेरिका, ब्रिटेन आदि देशों के वैज्ञानिकों द्वारा कई शोध किया गया। शोध के उपरांत यह निष्कर्ष निकाला गया कि मोबाइल रेडिएशन से हमारे शरीर को ब्रेन स्ट्रोक जैसी बीमारियों का खतरा नहीं है।

परंतु मोबाइल के मशहूर कंपनी नोकिया कि धरती फ़िनलैंड में रेडिएशन एंड न्यूक्लियर सेफ़्टी ओथोरिटी द्वारा दो साल तक किये गये नवीनतम अध्ययन के उपरांत इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि मोबाइल रेडिएशन से मस्तिष्क के टिश्यू क्षतिग्रस्त होने लगते हैं। इतना ही नहीं ये रेडिएशन रक्त नालियों कि सिकुड़न के लिए भी ज़िम्मेवार है। इस तरह मोबाइल फोन के अत्यधिक इस्तेमाल से ब्रेन स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा मोबाइल टावर भी हमारे शरीर के विभिन्न अंगों के लिए खतरनाक है। टावर के 300 मीटर के क्षेत्र रेडिएशन का सबसे अधिक खतरा होता है। इससे बचने के लिए मोबाइल का प्रयोग उतना ही करना चाहिए जितना जरूरी हो। रात को सोने के वक्त मोबाइल को तकिये के नीचे न रखें।

बोट के आकार का यह होटल सिंगापूर में है जिसके छत में है एक बड़ा स्विमिंग पूल

सिंगापूर का मरीना बे सैंड होटल जिसके तीन टावर है और इन तीन टावरों को मिला कर एक बोट के आकार का छत बनाया गया है। इसी छत में दुनिया का सबसे ऊंचाई पर सबसे लंबा स्वीनिंग पूल है जिसका नाम है इन्फ़िनिटि पूल। इस पूल की लंबाई ओलंपिक पूल से तिगुना है। यह स्विमिंग पूल जमीन से लगभग 650 फीट ऊपर मरीना बे सैंड होटल के 55वां तल्ले के ऊपर बनाया गया है। इस स्वीनिंग पूल में तैरने में एक अलग आनंद की अनुभूति मिलती है।
इस पूरी बिल्डिंग में नीचे तीन टावर बनाए गए हैं और तीनों टावर के छत को मिला कर एक बोट की आकृति बनाई गई। इस बोट के आकृति वाले छत में एक विशाल लोन है और एक हिस्से में स्विमिंग पूल का निर्माण किया गया है। पूल के विपरीत दिशा के हिस्से में छत को हारा-भरा बनाने के लिए पेड़-पौधे लगाए गए हैं। इतनी ऊंचाई में ये सारी व्यवस्था आपको एक अलग दुनिया का एहसास करती है।

यह दुनिया का सबसे महंगा होटल में से एक है जिसके निर्माण में लगभग 4 बिलियन पाउंड खर्च किया गया। इस होटल में कुल 2560 कमरे हैं। इस होटल में रहने के लिए आपको एक रात का 350 पाउंड राशि चुकानी पड़ेगी। इस होटल में इंडोर नहर, भव्य कलाकृति, कैसीनो, आउटडोर प्लाजा, सम्मेलन केंद्र, थियेटर, क्रिस्टल प्वेलियन और मॉल बनाए गये हैं। होटल के अंदर एक मॉल भी है जिसमें लगभग 300 डिजाइनर स्टोर हैं।

होटल के सामने एक आर्ट-साइंस म्यूजियम का निर्माण किया गया है जो कमल फूल के आकार का है। इस होटल में रोजाना रात में लेजर, लाइट, वॉटर और ग्राफिक्स शो होता है जिसे वंडर फूल कहा जाता है। यह शो रोजाना अप्रहन 8 से 9 बजे के बीच होता है तथा एक स्पेशल शो सप्ताह के आखरी दिन रात के 11 बजे होता है। यह शो सभों के लिए मुफ्त होता है इसका कोई शुल्क नहीं लिया जाता है।

केरल के कोल्लम जिले में बनाया गया जटायु नेचर पार्क

जटायु नेचर पार्क केरल के कोल्लम जिले के चदयामंगलम गाँव में बनाया गया है। इसे मलयालम फ़िल्ममेकर रजीव अंचल के नेतृत्व में तैयार किया गया। एक पहाड़ के ऊपर लगभग 15,000 वर्ग फूट के एक प्लेटफॉर्म पर एक विशाल पक्षीराज जटायु की प्रतिमा बनवाई गई है। यह विशाल प्रतिमा 200 फीट लंबी, 150 फीट चौड़ी और 70 फीट ऊंची है। यह प्रतिमा उस जगह पर बनाई गई है जहां पक्षीराज जटायु रावण से युद्ध करते हुए घायल होकर गिर पड़े थे।
रामायण के अनुसार, जब रावण सीता का हरण कर लंका ले जा रहे थे तो पक्षीराज जटायु की नजर उस पर पड़ी। जटायु ने सीता को बचाने के लिए रावण से युद्ध किया। युद्ध के दौरान रावण ने जटायु के पंख काट दिया जिससे जटायु घायल हो कर जमीन पर गिर पड़े और अपना प्राण त्याग दिये। जिस स्थान पर पक्षीराज जटायु ने प्राण त्यागा था उसी स्थान पर पक्षी का एक विशाल प्रतिमा का निर्माण कराया गया जिसे 'जटायु नेचर पार्क' नाम दिया गया।

इस स्थान में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए विशाल प्रतिमा के साथ-साथ 6डी थियेटर और डिजिटल म्यूजियम भी बनवाए गए हैं। ये म्यूजियम आपको रामायण में वर्णित जटायु के कथाओं का झलक दिखाएगा। इसके अलावा केरल के प्रसिद्ध और प्राचीन आयुर्वेदिक चिकित्सा की भी व्यवस्था होगा।

दुनिया के खूबसूरत अंडर वॉटर होटल एवं रिज़ॉर्ट

समुद्र के अंदर होटल की कल्पना किसी अजूबे से कम नहीं है परंतु दुनिया के कुछ देशों ने पानी के अंदर होटल बना कर इंजीनियरिंग का अद्भुत नमूना पेश किया है।

द शिमाओं वंडरलैंड, चीन

यह होटल चीन के तियान्मेंशन पहाड़ियों के बीच बनाया जा रहा है। यह मानव निर्मित भूमिगत होटल है। 19 मंज़िला इस होटल में 380 कमरों का निर्माण किया जा रहा है। इस होटल के दो मंजिलों का निर्माण पानी के अंदर किया गया है। इसे ब्रिटेन के डिजाइनिंग फार्म एटकिंस ने डिजाइन किया है। इस होटल में एक अंडर वाटर रेस्टुरेंट का भी निर्माण किया जा रहा है। होटल के बाहर मानव निर्मित जलप्रपात एवं एक बड़ी झील का भी निर्माण किया गया है। पहाड़ों के बीच मौजूद होने के कारण इसे गुफा होटल भी कहा जाता है। यह शंघाई शहर से 30 मील की दूरी में स्थित है।
क्रिसेंट हाइड्रोपोलिस, दुबई

दुबई का क्रिसेंट हाइड्रोपोलिस दुनिया के मशहूर अंडर वाटर होटल्स में से एक है। यह पूरा होटल काँच से बनाया गया है। कमरें,मीटिंग हॉल,डाइनिंग टेबल आदि क्षेत्रों का निर्माण पूरी तरह काँच से किया गया है अतः आप इस होटल के कमरों से ही समुन्द्र का नजारा देख सकते हैं। इस होटल में कुल 230 आलीशान कमरें हैं जिनमे ज्यादातर शाही परिवार या फिर बड़े-बड़े शख्शियत ही ठहरते हैं।

हुवाफेन फुशी, मालदीव

इस अंडर वॉटर होटल को जितनी खूबशूरती से पानी के अंदर बनाया गया है, पानी के बाहर का हिस्सा भी उतनी ही खूबशूरती से सजाया गया है। खास बात यह है की इस होटल में पानी के अंदर ही इंडोर स्टेडियम से लेकर स्पा तक सभी तरह के सुविधाएं मौजूद है।

ज्यूल्स अंडर-सी लॉज, फ्लॉरिडा

ज्यूल्स अंडर-सी लॉज समुद्री जीवन के शौकिनों की पसंदीदा जगह है। होटल का नाम मशहूर लेखक ज्यूल्स के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने समुद्री जीवन पर काफी कुछ लिखा है। इस होटल का निर्माण 1970 की शुरुआत में हुआ था। यह पानी में 20 फुट अंदर बना है। यह दुनिया का पहला अंडर वाटर होटल है।

पोजेडोन अंडरवाटर रिजोर्ट, फिजी

वैसे तो फिजी एक छोटा सा आइलैंड है परंतु यहाँ की प्रकृतिक सुंदरता काफी मशहूर है। इसी कारण से काफी संख्या में पर्यटक यहाँ घूमने आते हैं। यहाँ मौजूद पोजेडोन अंडरवाटर रिज़ॉर्ट पर्यटकों का पसंदीदा जगह है। यह होटल पाँच हजार एकड़ के इलाके में पानी से घिरा है। इस होटल में रुकने का खर्च बहुत ज्यादा है। यहाँ भी अपने कमरों से ही समुद्री जीवों को देखा जा सकता है।

क्या है एप्पल के नये मुख्यालय की खूबियाँ

क्यूपार्टिनो, कलिफोर्निया में एप्पल का नया मुख्यालय एप्पल पार्क बन कर लगभग तैयार हो गया है। अरबों डॉलर के खर्च से बन रहा यह मुख्यालय एक स्पेससिप के आकार का है अतः यह बिल्डिंग स्पेससिप कैंपस के नाम से भी जाना जाता है। परंतु इसका नाम कंपनी द्वारा अप्पल पार्क रखा गया है।

लगभग 175 एकड़ क्षेत्र पर यह ऑफिस उस स्थान पर बनाया जा रहा है जहां पहले हेवलेट पैकार्ड का परिसर था। भवन निर्माण का अधिकांश कार्य लगभग पूरा हो चुका है परंतु बाहरी साज-सज्जा का कार्य अभी किया जाना है। वर्ष 2017 के अंत तक इसके पूरी होने की संभावना है।

दुनिया के सबसे बड़े कंपनियों में से एक एप्पल का नया मुख्यालय अपने करचरियों के स्वागत करने को बेताब है। एप्पल डिजाइन के प्रमुख जेनी इवे ने बताया कि इस साल ही सारे कर्मचारी नये मुख्यालय एप्पल पार्क में सिफ्ट हो जायेंगे। लगभग 12,000 करचरियों के पूरी तरह सिफ्ट होने में छह महीने का समय लग सकता है।एप्पल के सीईओ टिम कुक के अनुसार एप्पल पार्क आने वाले पीढ़ी के युवाओं के नए-नए खोज करने का घर होगा।
इस विशाल इमारत का डिजाइन एक ब्रिटिश फार्म फोस्टर पटनर्स ने किया है। इस इमारत के बीच एक बड़ा पार्क होगा। इस इमारत के चारों ओर पर्यावरण को हरा-भरा बनाने के लिए लगभग 7000 पेड़ लगाये जाएंगे। इस ऑफिस में करचरियों के लिए लगभग 1,00,000 वर्ग फीट का फिटनेस सेंटर भी होगा जहां कर्मचारी व्यायाम कर सकते हैं। लगभग 3,00,000 वर्ग फीट के क्षेत्र में शोध एवं सॉफ्टवेर विकसित करने से संबन्धित सुविधाएं होगी।

लगभग दो मील का रास्ता करचरियों के चलने एवं दौड़ने के लिए होगा। इसके अलावा इस इमारत में भूमिगत पार्किंग, बगीचा, घास के मैदान और तालाब भी बनाये जाएंगे। ऑफिस के अंदर कर्मचारियों के एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाने के लिए एलेक्ट्रिक गोल्फ कार्ट और कम्प्युटर शटल कि भी व्यवस्था होगी।

अद्भुत है जापान का अंडर वॉटर रोलर कोस्टर

यह अद्भुत रोलर कोस्टर जापान के योकोहमा शहर में स्थित है। इसे गायब होने वाला रोलर कोस्टर (Roller coaster) भी कहा जाता है। दरअसल यह रोलर कोस्टर तेजी से ऊपर से आते हुए एक बड़ी से पुल (तालाब) में बने टनल में चला जाता है। टनल के पास कुछ फब्बारे ऐसे लगे हुए है जिससे रोलर कोस्टर पर सवार लोगों को ऐसा लगता है मानों वे पानी में डाइव लगा रहे हैं।

पूरे रोलर कोस्टर के ट्रैक की लंबाई लगभग 744 मीटर है। इसका कुछ हिस्सा हवा में है और कुछ हिस्सा एक पुल के अंदर बने टनल में है। यह अधिकतम 35 मीटर की ऊंचाई तक जाती है। योकोहामा में स्थित कोस्मोलैंड में अंडर वाटर रोलर कोस्टर के अलावा फेरिस व्हील, क्लिफ ड्रॉप राइड, हंटेड हाउस, सफाई पेट्स, एलईडी और मेरी गो राउंड प्रमुख है।
पूरा कोस्मोलैंड को तीन भागों में बांटा गया है। बच्चों के लिए किड्स कार्निवल जॉन बनाया गया है। जहां छोटे बच्चों के लिए कई राइड्स हैं। मेरी-गो-राउंड, कार एंड ट्रेन राइड बच्चों का मुख्य आकर्षण हैं।

क्या आप जानते हैं विंडोज XP के वालपेपर का फॉटोग्राफर कौन था

आज हर कोई कंप्यूटर का इस्तेमाल करने लगा है और ऊपर दिए गये तस्वीर से अवश्य परिचित होंगे। यह वह तस्वीर है जिसे दुनिया में सबसे ज्यादा बार देखा गया है। एक हरी-भरी घास की पहाड़ी ऊपर नीला आसमान और कुछ सफेद बादल के टुकड़े। तस्वीर जितना ही शांत दिखने वाला है उतना ही मनमोहक भी है। माइक्रोसॉफ़्ट के अनुसार यह एक अरब से भी ज्यादा लोगों के कंप्यूटर डेस्कटॉप की शोभा बढ़ा चूका है। इस वॉलपेपर की कहानी भी काफी मजेदार है।

1990 के दशक में कैलिफोर्निया स्थित नापा घाटी में भयानक कीट संक्रमण हुआ था। ये कीट वहां के अंगूर के फसल को बुरी तरह बर्बाद कर दिया और नापा घाटी इस संक्रमण से पूरी तरह से तबाह हो गया। इस तबाही के बाद नापा घाटी से अंगूर की फसल को हटा कर वहां हरा-भरा समतल घांस का मैदान तैयार किया गया। यह तस्वीर इसी नापा घाटी में नेशनल जियोग्राफी के एक फोटोग्राफर चार्ल्स ओ रियर ने वर्ष 1996 में खिंचा था। एक बार फोटोग्राफर अपने प्रेमिका जो बाद में उसकी पत्नी बन गई, से मिलने उसके घर जा रहे थे। रास्ते में नापा घाटी में उसने अपनी कार रोकी। उसे वहां का प्राकृतिक दृश्य काफी अच्छा लगा। उन्होने अपना कैमरा निकाला और उस हरी-भरी पहाड़ी का तस्वीर ले लिया।
इस तस्वीर को माइक्रोसॉफ्ट ने अपने ऑपरेटिंग सिस्टम विंडोज XP का वॉलपेपर बनाया। तस्वीर लेते समय चार्ल्स को यह बिल्कुल भी आभास नहीं था कि एक दिन उसके द्वारा खींची गई तस्वीर उसका नाम इतिहास में दर्ज करवा देगा। आज पूरी दुनिया में इस तस्वीर को सबसे ज्यादा लोगों द्वारा पहचाना जाता है।

टोंमटाटो एक विचित्र पौधा जो टमाटर और आलू दोनों पैदा करता है

आज शहरों में जगह कम होती जा रही है। बागवानी के शौकीन अपने बालकनी में ही कुछ पौधे लगा कर अपनी शौक पूरा कर रहे हैं। ऐसे में यदि कोई ऐसा पौधा मिल जाए जो एक ही पौधे में दो-दो सब्जी उत्पन्न कर सकता है तो इससे बड़ी खुशी की बात क्या होगा।
Source: thompson-morgan
यूनाइटेड किंगडम की एक बागवानी कंपनी थोम्पसन और मॉर्गन ने एक ऐसे पौधे को विकसित किया है जो टमाटर और आलू दोनों का पैदावार एक ही पौधा में करता है। इस पौधे को आप अपने बागान या फिर अपने फ्लैट के बालकनी में भी लगा सकते हैं। इस तरह पैदा हुए टमाटर और आलू का स्वाद दूसरे टमाटर और आलू की तरह ही होता है। अर्थात एक ही पौधा से आप टोमॅटो कैचप और चिप्स का मजा ले सकते हैं। यह हाइब्रिड पौधा किसी जेनेटिक इंजीनियरिंग का परिणाम नहीं है बल्कि इसे टमाटर और आलू के पौधे को ग्राफ्ट (कलम) कर विकसित किया गया है। थोम्पसन और मॉर्गन कंपनी ने इस पौधे का व्यावसायिक उत्पादन शुरू किया है ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों तक यह पौधा पहुँच सके।