वीर्य की कमी
शारीरिक और मानसिक असंतुलित की स्थिति में शरीर के अन्दर वीर्य नहीं बन पाता या ठहर नहीं पाता और इस कारण शरीर तेजहीन, उदास और निष्काम हो जाता है। ऐसी स्थिति में वीर्य बन भी जाता है तो पतला या बिना शुक्र के ही बन पाता है जिसे हम वीर्य की कमी कहते हैं।परिचय :
कारण :
सिरस के बीजों का चूर्ण 1 से 2 ग्राम मिश्री मिले गाय के दूध के साथ सुबह-शाम खाने से लाभ मिलता है।
सिरस की छाल और फूल बराबर मात्रा में पीसकर 30 दिनों तक रोज 1 चम्मच सुबह-शाम गर्म दूध के साथ फंकी लेने से वीर्य गाढ़ा होकर मर्दाना ताकत बढे़गी तथा शुक्राणुओं की वृद्धि होती है।
सिरस के बीजों का 2 ग्राम चूर्ण, दोगुनी चीनी मिलाकर रोज गरम दूध के साथ सुबह-शाम लेने से वीर्य बहुत गाढ़ा हो जाता है।
तुलसी के बीजों को पीसकर पानी के साथ या बीजों को गुड़ के साथ कुछ दिनों तक लेने से धातु (वीर्य) की कमी दूर होती है।
तुलसी के बीजों का चूर्ण 2 ग्राम की मात्रा में लेकर पुराने गुड़ के साथ बराबर मात्रा में खाने के बाद एक कप दूध सुबह-शाम नियमित रूप से कुछ महीनों तक लेने से सेक्स सम्बन्धी सभी समस्याएं दूर हो जाती है।
3 ग्राम तुलसी के बीज या जड़ का चूर्ण बराबर की मात्रा में पुराने गुड़ में दूध के साथ सेवन करने से पुरुषत्व की वृद्धि होती है। इससे पतला वीर्य गाढ़ा होता है तथा वीर्य की वृद्धि होती है।
तुलसी के बीज 60 ग्राम और मिश्री 75 ग्राम लें। इन दोनों को पीसकर सुरक्षित रख लेते है। इसमें प्रतिदिन 3 ग्राम चूर्ण गाय के दूध से सेवन करना चाहिए।
इमली को पानी में कुछ दिन भिगोकर छिलका उतार दें। छिलके निकले बीजों को सुखाकर बारीक पीस लें। एक चम्मच की मात्रा में दिन में 3 बार दूध के साथ सेवन करने से वीर्य का पतलापन दूर होता है।
इमली के बीजों को भूनकर छिलका उतारकर चूर्ण बनाकर, बराबर की मात्रा में मिश्री मिलाकर 15 दिनों तक रोजाना सेवन करने से वीर्य का पतलापन, मूत्रकृच्छ तथा मूत्रदाह (पेशाब में जलन) दूर होती है।