नपुंसकता
जो व्यक्ति यौन संबन्ध नहीं बना पाता या जल्द ही शिथिल हो जाता है वह नपुंसकता का रोगी होता है। इसका सम्बंध सीधे जननेन्द्रिय से होता है। इस रोग में रोगी अपनी यह परेशानी किसी दूसरे को नहीं बता पाता या सही उपचार नहीं करा पाता मगर जब वह पत्नी को संभोग के दौरान पूरी सन्तुष्टि नहीं दे पाता तो रोगी की पत्नी को पता चल ही जाता है कि वह नंपुसकता के शिकार हैं। इससे पति-पत्नी के बीच में लड़ाई-झगड़े होते हैं और कई तरह के पारिवारिक मन मुटाव हो जाते हैं बात यहां तक भी बढ़ जाती है कि आखिरी में उन्हें अलग होना पड़ता है।परिचय :
कारण :
नपुंसकता से परेशान रोगी को औषधियों खाने के साथ कुछ और बातों का ध्यान रखना चाहिए जैसे सुबह-शाम किसी पार्क में घूमना चाहिए, खुले मैदान में, किसी नदी या झील के किनारे घूमना चाहिए, सुबह सूर्य उगने से पहले घूमना ज्यादा लाभदायक है। सुबह साफ पानी और हवा शरीर में पहुंचकर शक्ति और स्फूर्ति पैदा करती है। इससे खून भी साफ होता है।
नपुंसकता के रोगी को अपने खाने (आहार) पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए। आहार में पौष्टिक खाद्य-पदार्थों घी, दूध, मक्खन के साथ सलाद भी जरूर खाना चाहिए। फल और फलों के रस के सेवन से शारीरिक क्षमता बढ़ती है। नपुंसकता की चिकित्सा के चलते रोगी को अश्लील वातावरण और फिल्मों से दूर रहना चाहिए क्योंकि इसका मस्तिष्क पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है। इससे बुरे सपने भी आते हैं जिसमें वीर्यस्खलन होता है।
सफेद प्याज का रस 8 मिलीलीटर, अदरक का रस 6 मिलीलीटर और शहद 4 ग्राम, घी 3 ग्राम मिलाकर 6 हफ्ते खाने से नपुंसकता खत्म हो जाती है।
सफेद प्याज को कूटकर दो लीटर रस निकाल लें। इसमें 1 किलो शुद्ध शहद मिलाकर धीमी आग पर पकायें जब सिर्फ शहद ही बच कर रह जाये तो आग से अतार लें और उसमें आधा किलो सफेद मूसली का चूर्ण मिलाकर चीनी या शीशे के बर्तन में भर दें। 10 से 20 ग्राम तक दवा सुबह-शाम खाने से नामर्दी मिट जाती है।
बादाम की गिरी, मिश्री, सौंठ और काली मिर्च कूट-पीसकर चूर्ण बनाकर कुछ हफ्ते खाने से और ऊपर से दूध पीने से धातु (वीर्य) का खत्म होना बन्द होता है।
बादाम को गर्म पानी में रात में भींगने दें। सुबह थोड़ी देर तक पकाकर पेय बनाकर 20 से 40 मिलीलीटर रोज पीयें इससे मूत्रजनेन्द्रिय संस्थान के सारे रोग खत्म हो जाते हैं।
कौंच के बीज के चूर्ण में तालमखाना और मिश्री का चूर्ण बराबर मात्रा में मिलाकर 3-3 ग्राम की मात्रा में खाने और दूध के साथ पीने से नपुंसकता (नामर्दी) खत्म होती है।
कौंच के बीजों की गिरी तथा राल ताल मखाने के बीज। दोनों को 25-25 ग्राम की मात्रा में लेकर पीसकर छान लें, फिर इसमें 50 ग्राम मिसरी मिला लें। इसमें 2 चम्मच चूर्ण रोज दूध के साथ खाने से लाभ होता है।
सफेद मूसली और मिसरी बराबर मिलाकर पीसकर चूर्ण बना कर रखें और चूर्ण बनाकर 5 ग्राम सुबह-शाम दूध के साथ खाने से शरीर की शक्ति और खोई हुई मैथुन शक्ति वापस मिल जाती है।
सफेद मूसली 250 ग्राम बारीक चूर्ण बना लें, उसे 2 लीटर दूध में मिलाकर खोया बना लें। फिर 250 ग्राम घी में डालकर इस खोए को भून लें। ठंडा हो जाने पर आधा किलो पीसकर शक्कर (चीनी) मिलाकर पलेट या थाली में जमा लें। सुबह-शाम 20 ग्राम खाने से काम-शक्ति बढ़ती है।
सफेद मूसली, सतावर, असगंध 50-50 ग्राम कूट छान कर 10 ग्राम दवा सोते समय 250 मिलीलीटर कम गर्म दूध में खांड़ के संग मिलाकर लें।
सफेद मूसली 20 ग्राम, ताल मखाने के बीज 200 ग्राम और गोखरू 200 ग्राम। तीनों को पीसकर चूर्ण बनाकर रखें, फिर इसमें से 5 ग्राम चूर्ण दूध के साथ खायें।
सफेद मूसली और मिसरी बराबर मात्रा में कूट-पीसकर चूर्ण बनाकर 6 ग्राम की मात्रा में खाने से और ऊपर से नपुंसकता (नामर्दी) खत्म होती है।
शतावर को दूध में देर तक उबालकर मिसरी मिलालें और उस दूध को पीने से ही कुछ महीनों में नपुंसकता (नामर्दी) खत्म हो जाती है।
शतावर, असगंध, एला, कुलंजन और वंशलोचन का चूर्ण बनाकर रखें। 3 ग्राम चूर्ण में 6 ग्राम शक्कर को मिलाकर खाने से और फिर ऊपर से दूध पीने से कुछ महीनों में नपुंसकता (नामर्दी) खत्म होती है।
शतावर और असगन्ध के 4 ग्राम चूर्ण को दूध में उबाल कर पीने से नपुंसकता (नामर्दी) दूर होती है।
शतावर का चूर्ण 10 ग्राम से 20 ग्राम को चीनी मिले दूध में सुबह-शाम डालकर पीयें इससे नपुंसकता दूर होती है। शरीर की कमजोरी भी दूर होती है।
बड़ी गोखरू का फांट या घोल सुबह-शाम लेने से कामशक्ति यानी संभोग की वृद्धि दूर होती है। 250 मिलीलीटर को खुराक के रूप में सुबह और शाम सेवन करें।
बड़ा गोखरू और काले तिल इन दोनों को 14 ग्राम की मात्रा में कूट-पीस लें फिर इस को 1 किलो गाय के दूध में पकाकर खोआ बना लें। यह एक मात्रा है। इस खोयें को खाकर ऊपर से 250 मिलीलीटर गाय के निकाले दूध के साथ पी लें 40 दिन तक इसको खाने से नपुंसकता दूर हो जाती है।
25 ग्राम बड़ी गोखरू के फल का चूर्ण, 250 मिलीलीटर उबले पानी में डालकर रखें। इसमें से थोड़ा-थोड़ा बार-बार पिलाने से कामोत्तेजना बढ़ती है।
बड़ी गोखरू के फल का चूर्ण 2 ग्राम को चीनी और घी के साथ सेवन करें तथा ऊपर से मिश्री मिले दूध का सेवन करने से कामोत्तेजना बढ़ती है।
हस्तमैथुन की बुरी लत से पैदा हुई नपुंसकता को दूर करने के लिए 1-1 चम्मच गोखरू के फल का चूर्ण और काले तिल को मिलाकर शहद के साथ दिन में 3 बार नियमित रूप से कुछ हफ्तों तक सेवन करें इससे नपुंसकता में लाभ होता है।
गोखरू, कौंच के बीज, सफेद मूसली, सफेद सेमर की कोमल जड़, आंवला, गिलोय का सत और मिश्री बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। 10 ग्राम से लगभग 20 ग्राम तक चूर्ण दूध के साथ खाने से नपुंसकता और वीर्य की कमजोरी दूर होती है।
गोखरू को 3 बार दूध में उबालकर तीनों बार सुखाकर चूर्ण बनाकर खाने से नपुंसकता दूर होती है।
गोखरू का चूर्ण और तिल बराबर मिलाकर बकरी के दूध में पकाकर शहद में मिला लें और खायें इससे अनेक प्रकार की नपुंसकता खत्म होती है।
देशी गोखरू 150 ग्राम पीसकर छान लें। इसे 5-5 ग्राम सुबह-शाम शहद में मिलाकर चाटने से नपुंसकता (नामर्दी) में लाभ मिलता है।
गोखरू, तालमखाना, शतावर, कौंच के बीजों की गिरी, बड़ी खिरेंटी तथा गंगरेन इन सबको 100 ग्राम की मात्रा में लेकर पीस लें। इस चूर्ण को 6 ग्राम से 10 ग्राम तक की मात्रा में रात के समय फांककर ऊपर से गरम दूध पियें। 60 दिनों तक रोज खाने से वीर्य बढ़ता है और नपुंसकता दूर होती है।
तुलसी की जड़ और जमीकन्द को पान में रखकर खाने से शीघ्रपतन की विकृति खत्म होती है।
धातु दुर्बलता में तुलसी के बीज 1 ग्राम दूध के साथ सुबह-शाम सेवन करने से लाभ मिलता है।
तुलसी के बीज या तुलसी की जड़ के चूर्ण में पुराना गुड़ समान मात्रा में मिलाकर 3-3 ग्राम की गोली बना लें। इसकी 1-1 गोली सुबह-शाम गाय के ताजे दूध के साथ लेते रहें। इससे नपुंसकता (नामर्दी) दूर होती है।
तुलसी की मंजरी या जड़ के 1 से 3 ग्राम बारीक चूर्ण में गुड़ मिलाकर ताजे दूध के साथ लेने से नपुंसकता दूर होती है।
34. मालकांगनी : मालकांगनी के तेल की 10 बूंदे नागबेल के पान पर लगाकर खाने से नपुंसकता दूर हो जाती है।
मांलकांगनी के बीजों को खीर में मिलाकर खाने से नपुंसकता मिट जाती है।
मालकांगनी के दाने 50 ग्राम और 25 ग्राम शक्कर (शुगर) को आधा किलो गाय के दूध में डालकर आग पर चढ़ा दें। जब दूध का खोया बन जायें तब उतारकर मोटी-मोटी गोली बनाकर रख लें और रोज 1-1 गोली सुबह-शाम गाय के दूध के साथ खायें। इससे नपुंसकता दूर होती है।
बड़ (बरगद) का दूध 20 से 30 बूंद रोज सवेरे बताशे या चीनी पर डालकर खाने से पुरुषत्व शक्ति बढ़ती है।
नपुंसकता दूर करने के लिए बताशे में दूध की 5-10 बूंदें सुबह-शाम रोज खाने से लाभ होता हैं।
बरगद के पेड़ की कोंपले और गूलर के पेड़ की छाल 3-3 ग्राम और मिश्री 6 ग्राम इन सबको पीसकर लुगदी सी बना लें और 3 बार मुंह में रखकर खालें और ऊपर से 250 मिलीलीटर दूध पी लें। 40 दिन तक खाने से वीर्य बढ़ता है और संभोग से खत्म शक्ति बढ़ती है।
सिरिस के फूलों का रस 20 से 40 मिलीलीटर की मात्रा में सुबह-शाम मिश्री मिले दूध के साथ खाने से लाभ होगा और इससे शीघ्रपतन में भी लाभ होगा।
सिरिस के बीज का चूर्ण 1 से 2 ग्राम को मिश्री मिले दूध के साथ सुबह-शाम लेन से वीर्य गाढ़ा होता है।
सिरिस की छाल का चूर्ण 3 से 6 ग्राम घी में शक्कर मिलाकर गर्म दूध के साथ 2 बार खायें अगर फूलों का रस, बीज का चूर्ण और छाल का चूर्ण एक साथ मिश्री मिले दूध के साथ खाया जायें तो शरीर की कमजोरी दूर हो जाती है।
सिरस के थोड़े से बीज सुखाकर पीस लें। इसमें 3 ग्राम चूर्ण सुबह-शाम दूध के साथ खाने से लाभ होता है।
छुआरों के अन्दर की गुठली निकाल कर उनमें आक का दूध भर दे, फिर इनके ऊपर आटा लपेट कर पकायें, ऊपर का आटा जल जाने पर छुआरों को पीसकर मटर जैसी गोलियां बना लें, रात्रि के समय 1-2 गोली खाकर तथा दूध पीने से स्तम्भन होता है।
आक की छाया में सूखी जड़ के 20 ग्राम चूर्ण को 500 मिलीलीटर दूध में उबालकर दही जमाकर घी तैयार करें, इसके सेवन से नामर्दी दूर होती है।
आक का दूध असली मधु और गाय का घी, समभाग 4-5 घंटे खरल कर शीशी में भरकर रख लें, इन्द्री की सीवन और सुपारी को बचाकर इसकी धीरे-धीरे मालिश करें और ऊपर से खाने का पान और एरण्ड का पत्ता बांध दें, इस प्रकार सात दिन मालिश करें। फिर 15 दिन छोड़कर पुन: मालिश करने से शिश्न के समस्त रोंगों में लाभ होता है।
अश्वगंधा का कपड़े से छना चूर्ण और खांड़ को बराबर मात्रा मे मिलाकर रखें, इसको एक चम्मच गाय के ताजे दूध के साथ सुबह भोजन से 3 घण्टे पहले चुटकी-चुटकी चूर्ण खायें और ऊपर से दूध पीते रहे। रात के समय इसके बारीक चूर्ण को चमेली के तेल में अच्छी तरह घोंटकर लगाने से इन्द्रिय की शिथिलता दूर होकर कठोर और दृढ़ हो जाती है।
अश्वगंधा, दालचीनी और कडुवा कूठ समभाग कूटकर छान लें और गाय के मक्खन में मिलाकर 5-10 ग्राम की मात्रा सुबह-शाम सुपारी छोड़ शेष लिंग पर मलें, इसको मलने के पहले और बाद में लिंग को गरम पानी से धो लें।- असगंध के चूर्ण में शहद, घी और मिसरी को मिलाकर सुबह के समय खाने से कुछ महीनो में ही नपुंसकता (नामर्दी) खत्म हो जाती है।