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10 करी पत्ता रोज खाएं और डायबिटीज को दूर भगाएँ

करी पत्ता का इस्तेमाल हम अपने भोजन में करते हैं। परंतु हम में से बहुत ही कम लोग जानते हैं की इसे एक औषधि के रूप में भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके औषधीय गुण हमे कई तरह के बीमारियों से बचाता है। प्रस्तुत है करी पत्ता के गुण और इसके घरेलू नुस्खे।
डायबिटीज, मोटापन, कोलेस्ट्रॉल - प्रतिदिन सबेरे 10 पत्ते खाएं या पत्ते का 10-15 मि०ली० रस सेवन करें ।
यकृत की बीमारियाँ - दिन में दो बार करी पत्ता के जड़ का एक चम्मच रस सेवन करें।
दमा - नमक, मिर्ची, प्याज़ आदि मिलाकर करीपत्ते की चटनी बनाएं और भोजन के साथ खाएं ।
जलन, चोट - करी-पत्ते की लेई में घी मिला कर लगाएं ।
कीड़े काटने पर - करी पत्ते का ताजा रस और नोंबू रस बराबर मात्रा में मिला कर लगाएं ।
केश तेल (बाल बढने के लिये, बाल के रंग के लिये ) - 200 ग्राम करी-पत्ता नारियल के तेल सें उबाल दे । पत्ता सूख जाने पर तेल छान कर केश तेल की तरह इस्तेमाल करें।
पेचिश, दस्त - करी-पत्ते की 2 चम्मच लेई मट्टे के साथ दिन में दो चार बार 3-5 दिनों तक सेवन करें।
एलर्जी - करीपत्ता और कच्ची हल्दी बराबर मात्रा में लेकर लेई तैयार करें और एक चम्मच दिन में एक बार महीने भर तक सेवन करते रहें ।
पैर का चर्म फट जाने पर - करीपत्ता, मेंहन्दी पत्ता, कच्ची हल्दी, और पीपल का दूध ये सब बराबर मात्रा में मिला कर लेई तैयार करें; सोने के पहले हर रोज एक बार एक सप्ताह तक लगाते रहें ।
चर्म, रोग, और पेट में कीड़े - करी पत्ता और नीम पत्ते की लेई तैयार करें । लेई को मट्ठे में मिला कर खाली पेट में प्रतिदिन सेवन कों ।
आँखों के चारों तरफ त्वचा का रंग बदलने पर - इनके पत्तों का रस मक्खन में मिलाकर लेप लगाएं ।
बिल्ली के काटने पर - करीपत्ते और हल्दी का लेप लगाएं
सौगोड़वा के काटने पर - करी पत्ते और गोलमिर्च मिला कर पेस्ट तैयार करें और लगाएं ।
मासिक धर्म की गड़बडी - करी पत्ते का 60 मि०ली० रस सबेरे खाली पेट लगातार कुछ महीनों तक सेवन करें।

अगर आपके परिवार में कोई डायबिजीज या उपरोक्त अन्य बीमारियों से पीड़ित है तो इस लेख को अवश्य शेयर करें।

गर्भधारण जाँच (Pregnancy Test) के घरेलू नुस्खे

आज बाजार में गर्भधारण जांच के लिए कई किट उपलब्ध है जिसके सहारे आप आसानी से गर्भधारण की जांच कर सकते हैं। परंतु यहाँ हम पुराने समय से चले आ रहे कुछ घरेलू नुस्खों के बारे बताना चाहते हैं जिसमें आप अपने किचन में मौजूद कुछ सामानों का प्रयोग कर ही गर्भधारण जांच कर सकते हैं। 
  • घर में रखे सफ़ेद टूथपेस्ट से भी आप जान सकती हैं की आप प्रेगनेंट हैं या नहीं। एक कंटेनर या एक डिस्पोज़ेबल ग्लास में दो चम्मच टूथपेस्ट लें। इसमें इसी मात्रा में यूरिन सैंपल लें और टूथपेस्ट वाले कंटेनर में डाल दें, अगर टूथपेस्ट का रंग बदल कर नीला हो जाता है, तो समझें की टेस्ट पॉज़िटिव है।
  • एक कंटेनर में कुछ ब्लीच पाउडर लें और उसमें यूरिन का सैंपल डालें। अगर ब्लीच पाउडर में बुलबुले बनने लगें, तो टेस्ट का परिणाम पॉज़िटिव माना जाता है और अगर ब्लीच आपके यूरिन को सोख ले तो इसका मतलब है की परणाम नेगेटिव है। 
  • साबुन से भी आप प्रेगनेंसी टेस्ट कर सकतीं हैं। इसके लिए आप एक साबुन का टुकड़ा लें और उसपर यूरिन सैंपल डालें। अगर साबुन के टुकड़े पर झाग बनने लगें या बुलबुले से दिखें, तो समझ जाएँ की आप गर्भवती हो सकती हैं।
  • एक डिस्पोज़ेबल ग्लास में कुछ चीनी लें। अब इसमें यूरिन सैंपल मिलाएँ। अगर चीनी यूरिन सैंपल में घुल जाये, तो आप गर्भवती नहीं हैं, लेकिन अगर चीनी के दाने इकट्ठे हो जाये तो समझें की आप गर्भवती हो सकती है। 

घरेलू नुस्खे (Gharelu nuskhe) - Home Remedies in hindi


अक्सर कभी-कभी अचानक ही हमारे पेट में दर्द होने लगता है अथवा हमारा सिर दर्द होने लगता है और हमारे पास कोई दवाई भी नहीं होती है, ऐसे समय में पुराने समय से चली आ रही दादी मां के नुस्खों (Dadi ma ke nuskhe) को अपनाने से शरीर में होने वाली कई छोटी-छोटी समस्याओं और रोगों का हम घर बैठे ही हमारी रसोई के फल-फूल, साग-सब्जियों, मसलों और तेल से ही अपना इलाज कर सकते हैं। कई बार घर के छोटे बच्चे रात में किसी शारीरक समस्या के कारण रोने लगते हैं। हो सकता है उसका पेट दर्द कर रहा हो अथवा खेलते-खेलते चोट लग गई हो और उसका हाथ अथवा पैर दर्द कर रहा हो। ऐसे स्थिति में यदि घर पर कोई दवाई उपलब्ध नहीं होने पर सुबह होने का इंतिजार करने के अलावा दूसरा कोई रास्ता नहीं होता है। रात भर बच्चा वैसे ही रोता रहता है और हम पूरी रात परेशान रहते है। ऐसे स्थिति में कुछ घरेलु नुस्खों (Gharelu Nuskhen) का ज्ञान होना आवश्यक होता है। यहाँ ऐसे ही तमाम शारीरक समस्याओं और रोगों तथा उनके घरेलु उपचार (Gharelu Upchar) की सूची (List of Home Remedies in Hindi) तैयार करने की कोशिश की गई है ताकि डॉक्टरी ईलाज नहीं मिल पाने की स्थिति में आप यहाँ उल्लेखित घरेलु उपायों का सन्दर्भ ले सकतें हैं।
शारीरक समस्याएँ / बीमारी 

1. गर्मी में लू लग जाए तो क्या करना चाहिए?

2. स्तन का दूध बढ़ाने के लिए क्या करें?
    How to increase breast milk of mother - Home remedies in hindi

3. मोटापा दूर करने के लिए गेंहूँ का पौधा कैसे सहायक होता है?
    How to lose weight in hindi?

4. ग्रीन टी क्या है और इसके क्या फायदे हैं?
    What is Green Tea and its benefits in hindi?

5. जाटामंशी के औषधिया गुण और इसके फायदे

6. अजमोद के औषधीय गुण और इसके फायदे

7. आँखों के आगे अँधेरा छा जाये या चक्कर आये तो क्या करें?

8. काजू के सेवन के क्या-क्या फायदे हैं?
    Benefits of cashew nut in hindi?

9. गर्मी में सन टैन से त्वचा की सुराक्षा के लिए घरेलु स्क्रब कैसे बनाएं?
    Sun Tan / Sun burn - Home Remedies in hindi

11. केसर के आयुर्वेदिक गुण और विभिन्न शारीरक समस्याओं में इसका प्रयोग
     Benefits of Saffron in hindi.

12. सुन्दर त्वचा के लिए लाभकारी नुस्खे
      Beautiful skin - Home remedies in hindi

13. आंवला के आयुर्वेदिक गुण और नुस्खे
      Benefits of Gooseberry in hindi

14. फोड़ा या बालतोड़ होने पर क्या करे घरेलु उपाय

15. भूख बढ़ाने के लिए क्या करें?
      Home Remedies to Increase Appetite in hindi

16. शहद के औषधीय गुण और विभिन्न शारीरक समस्याओं में इसका प्रयोग।
     Benefits of Honey in hindi

17. बालों के रुसी को कैसे दूर करें?
      how to remove dandruff in hindi

18. पसीने के कारण होने वाले खुजली को कैसे दूर करें?
     Itching due to sweat - Home remedies

19. हाई बी पी को नियंत्रित करने के लिए क्या करें?
      How to control High BP - Home remedies

20. रक्तचाप को सामान्य बनाये रखने के लिए क्या करना चाहिए?
      How to maintain blood pressure?

21. शाम के समय मच्छर घर में घुसे तो क्या करें?
   
22. बड़ी इलायची के गुण और घरेलु उपयोग
      Benefits of black cardamom

24. दस्त (Loos Motion) के क्या है घरेलु उपाय
      Loos Motion - Home remedies in hindi

25. मेथी के औषधीय गुण और आयुर्वेदिक इलाज 
      Benefits of Fenugreek in hindi

26. बरसात के मौसम में होने वाले फोड़े फुंसियों (Fode-Funsi) 

27. धनिया के आयुर्वेदिक गुण और फायदे
      Benefits of coriander

28. स्केबीज (लाल दाने की समस्या) में फायदेमंद है नीम का तेल

29. वायु विकार दूर करता है अजवाइन का चूर्ण
      Benefits of celery

30. जलने पर क्या करे प्राथमिक उपचार
      What to put on a burn to stop pain

31. कब्ज (Kabj) दूर करने के घरेलू उपाय
     Constipation - Home remedites

32. नींबू (Nimbu) के विभिन्न घरेलू नुस्खे 
      Benefits of Lemon

33. मिर्च के घरेलू नुस्खे
34. एसिडिटी दूर करने के असरदार घरेलू नुस्खे
35. साइनस में राहत देता है ये घरेलू उपाय
36. दालचीनी का सेवन (Daalchini ka sevan) दस्त बंद करने में कारगर है
37. थकान से होने वाले पैर दर्द पर ये उपाय अपनाएं - Pair dard dur karne ke upay
38. दाद (Ringworm) ठीक करने के घरेलू उपाय
39. मलेरिया में कारगर हैं जीरा पाउडर व गुड़ की गोलियां
40. धनिया पत्ती के रस से बंद होता है नाक से खून का निकालना
41. विभिन्न शारीरिक समस्याओं में सोंठ का प्रयोग
42. कमर दर्द में मेथी के तेल की मालिश है लाभदायक - Kamar dard ke gharelu nuskhe
43. चेहरे के अनचाहे काले तिल को कैसे हटाएं
44. गले की खराश (Gale ki Kharash) - घरेलू नुस्खे (Home remedies)
45. पपीते खाने के 18 अनमोल फायदे
46. गले के रोग दूर करने के घरेलु नुस्खे - Gale me kharas ke gharelu nuskhe
47. सनटैन के लिए क्या करे घरेलू उपाय - Home Remedies for suntan in hindi
48. सरसों के फायदे - Benefits of Mustard
49. पत्तागोभी के फायदे - Benefits of cabbage in hindi


गर्मी में लू लग जाए तो क्या करें- सरल घरेलू उपाय

गर्मी के मौसम में जैसे-जैसे तापमान बढ़ने लगता है वातावरण में गरम तेज हवा (hot wind) चलने लगती है। परंतु इस बढ़े तापमान में भी हमे अपने घरेलू एवं कार्यालय के कार्यों के लिए अक्सर बाहर जाना पड़ता है। बच्चों की स्कूल से छुट्टियाँ दोपहर में ही होती है तथा महिलाओं को भी दोपहर में ही अपने बच्चों को स्कूल से लेने जाना पड़ता है। जिससे हम सभों को लू लगने (Loo lagne) की संभावनाएं काफी बढ़ जाती है। अगर गर्मी के मौसम में हम कुछ चीजों का ध्यान नहीं दे तो अवश्य ही गरम लू (hot wind) का शिकार हो जाएंगे। 
लू से बचने के उपाय
कच्चा आम (Kachcha aam) गरमी में होनेवाली कई समस्याओं से छुटकारा दिलाने में सक्षम है। यह डीहाइड्रेशन को दूर कर लू से बचाता है। इसमें अनेक पोषक तत्व होते हैं, जो पेट रोगों को दूर करते हैं और इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाते हैं। यह फल अपच पर भी लाभ पहुंचाता है। कच्चे आम में विटामिन सी भरपूर मात्रा में होता है, जिस कारण (Raw mango) इसके सेवन से इम्यून सिस्टम मजबूत बनता है। इसके अलावा इसमें पेक्टिन भी काफी अधिक मात्रा में होता है, जो पथरी को बनने से रोकता है। इसमें विटामिन बी भी होता है, जो स्वस्थ रहने में मददगार है। यह शरीर से अवशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालता है।

गर्मी में लू लग जाए तो क्या करें

गर्मी के दिनों में हर जगह कच्चा आम (Kachcha aam) आसानी से मिल जाता है। जब भी आप सब्जी खरीदने जाएँ, कच्चा आम (green mango) अवश्य खरीदें। गर्मी के दिनों में आपके रसोई में कच्चा आम का होना अति आवश्यक है। गर्मी में यदि आपके परिवार के किसी भी सदस्य को लू लग जाए तो उसे कच्चे आम का पन्ना (Kachche aam ka panna) जिसे कच्चे आम का शर्बत (Kachche aam ka sharbat) भी कहा जाता है, पिलाना चाहिए। इसके साथ कच्चे आम को या तो आग में जला लें अथवा उबाल कर उसके गुददे (Aam ke gudde) निकाल लें। अब इस गुददे का लेप लू लगे व्यक्ति के शरीर में लगाएँ। इससे व्यक्ति को तुरंत आराम मिलता है।

कच्चे आम के कई फायदे हैं 

वजन रखता है नियंत्रित : यदि आप वजन घटाना (weight loss) चाहते हैं, तो इसे खाना आपके लिए बेहतर विकल्प हो सकता है। इसमें कैलोरी काफी कम मात्रा में होती है। इसकी तुलना में पके आमों (ripe mango) में कैलोरी काफी अधिक होती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि पके आम में शूगर की मात्रा काफी अधिक होती है।

पेट रोग : कच्चा आम पेट की समस्याओं (pet ki samasya) में भी काफी लाभ पहुंचाता है। कच्चे कटे हुए आम को नमक और शहद के साथ मिला कर खाने से गरमी में होनेवाले डायरिया, डिसेंट्री, बवासीर, अपच और कब्ज आदि कई बीमारियों से राहत मिलती है।

ब्लड डिसऑर्डर : ताजे कच्चे आम रक्त से संबंधित समस्याओं को भी दूर करने में सहायक हैं। यह नसों को लचीला बनाता है और खून का निर्माण भी करता है। आम के सेवन से भोजन के पोषक तत्व और आयरन आदि आसानी से अवशोषित हो जाते हैं। यह एनिमिया को दूर करता है और टीबी, हैजा आदि रोगों से लड़ने की शक्ति प्रदान करता है।

कोलेस्ट्रॉल लेवल : रोज कुछ मात्रा में कच्चा आम खाने से कोलेस्ट्रॉल भी कंट्रोल में रहता है। इसमें विटामिन सी, पेक्टिन और फाइबर भरपूर मात्रा में होते हैं। ये खून में बैड कोलेस्ट्रॉल या एलडीएल को बढ़ने से रोकते हैं और गुड कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को बढ़ाते हैं। इसमें पोटैशियम भी होता है, जो नवर्स में ब्लड फ्लो को बढ़ाता है, जिससे यह धड़कन और ब्लड प्रेशर को भी कंट्रोल में रखता है। इस कारण हार्ट अटैक और स्ट्रोल का खतरा भी कम होता है।

आंखों के लिए फायदेमंद : इसमें विटामिन ए भी भरपूर मात्रा में होता है, जो दृष्टि को बेहतर बनाता है और नाइट ब्लाइंडनेस, कैटैरेक्ट, मेक्युलर डीजेनरेशन अरु ड्राईआइ की समस्या को दूर करता है।  

क्या बरतें सावधानी
जहां इसके इतने सारे फायदे हैं वहीं इसे ज्यादा खाने से नुकसान भी हो सकता है। कभी भी एक या दो कच्चे आम से अधिक नहीं खाना चाहिए। अधिक आम खाने से पेट की समस्याएं दूर होने की बजाय और बढ़ सकती हैं। इसे चटनी के रूप में भी उपयोग कर सकते हैं।

शिशु के लिए माँ के स्तन का दूध बढ़ने के घरेलू उपाय

एक माँ का अपने बच्चे को स्तनपान (Breast feeding) कराना संसार का सबसे बड़ा सुख होता है। माँ के स्तन (stan) का पहला गाढ़ा दूध बच्चे के लिए अमृत के समान होता है। माँ के स्तन से निकालने वाला पहला गढ़ा दूध (milk) बच्चे को कई तरह के बीमारियों से लड़ने की शक्ति (Immunity power) देता है। परंतु यदि माता को पता चले कि उनके शरीर में बच्चे (child) के लिए पर्याप्त मात्रा में दूध (doodh) का निर्माण नहीं हो पा रहा है तो उनका चिंतित होना स्वाभाविक है। कई बार कुछ विशेष कारणों से माँ के स्तन में दूध (Breast milk of mother) की कमी हो जाती है जिससे उसके शिशु को पर्याप्त मात्रा में भोजन नहीं मिल पाता है। इससे शिशु के समुचित शारीरिक विकास में बाधा हो सकती है।
जन्म के बाद एक घंटे तक नवजात शिशु (New born baby) में स्तनपान (stanpaan) करने की तीव्र इच्छा होती है। इसलिए जन्म के बाद जितनी जल्दी मां, बच्चे को दूध (bachche ka doodh) पिलाना शुरू कर दे, उतना अच्छा है। आमतौर पर जन्म के 45 मिनट के अन्दर स्वस्थ बच्चों को स्तनपान (stanpan) शुरू करवा देना चाहिए।
How-to-increase-breast-milk-production
पर एक माँ यह कैसे पता कर सकती है की उनके शरीर में दूध का निर्माण कम हो रहा है। नीचे कुछ संकेत दिये जा रहे जिससे आप इस निष्कर्ष पर पहुँच सकते हैं की आपके स्तन में पर्याप्त दूध का निर्माण (milk production) हो रहा है या नहीं:-

1. आपका शिशु (shishu) स्तनपान समाप्त करने के बाद स्वयं ही स्तन से हट जाता है या नहीं।
2. आपका शिशु दिन में छह से आठ बार स्तनपान कर रहा है और स्तनपान के बाद वह संतुष्ट दिखता है या नहीं। 
3. आपका शिशु 24 घंटे में कम से कम सात बार पेशाब कर रहा है या नहीं।
4. स्तनपान कराना आरामदायक है और इस दौरान आपको कोई दर्द महसूस होता है या नहीं।
5. स्तनपान कराने के बाद आपके स्तन खाली और मुलायम लगते हैं या नहीं।
6. स्तनपान करते हुए आप शिशु को दूध निगलते हुए देख व सुन सकती हैं या नहीं।
अगर उपरोक्त संकेत नहीं दिखाई देती है तो आप के स्तन में बच्चे के लिए पर्याप्त मात्र में दूध का निर्माण नहीं हो रहा है। प्रस्तुत है माँ के दूध को बढ़ाने के कुछ घरेलू उपाय (Home remedies) :-

मेथी के बीज - पुराने समय से ही पीढ़ी-दर-पीढ़ी माँ के दूध की कमी को दूर करने के लिए मेथी के बीजों का सेवन किया जा रहा है। मेथी दूध बनाने वाली ग्रंथियों के लिए एक अच्छी प्रेरक मानी जाती है। मेथी मेंफाइटोएस्ट्रोजन नामक पदार्थ पाया जाता है, जो कि स्तन के दूध (Breast milk) के निर्माण को बढ़ाने का काम करता है। मेथी में ओमेगा-3 वसा जैसे विटामिन भी पाये जाते है जो माँ के दूध की मात्रा को बढ़ाने के लिए अच्छे होते हैं। यह वसा आपके शिशु के मस्तिष्क के विकास के लिए महत्वपूर्ण होता है। इसके साथ-साथ मेथी के साग में बीटाकैरोटीन, बी विटामिन, आयरन और कैल्श्यिम भरपूर मात्रा में होते है। 

एक चम्मच को एक कप पानी में रात भर भिगोकर रखें। भीगी मेथी के पानी को दानों के साथ ही कुछ मिनट उबालें। उसके बाद एक कप में इस पानी को छान लें और चाय की तरह रोज सुबह पीएं।

शिशु के माता को मेथी को आटे में मिलाकर पराँठे, पूरी या रोटी बना कर खिलना चाहिए। 

दिन में तीन बार मेथी के बीज की तीन कैप्सूल शुरूआत के 10 दिन तक ले सकती हैं। उसके बाद अगले दस दिन मेथी के बीज दो कैप्सूल दिन में तीन बार लें। इसके बाद एक कैप्सूल 10 दिन तक दिन में तीन बार लें।

मेवे : माना जाता है कि बादाम और काजू स्तन दूध के उत्पादन को बढ़ावा देते हैं। इनमें भरपूर मात्रा में कैलोरी, विटामिन और खनिज होते हैं, जिससे ये नई माँ को ऊर्जा व पोषक तत्व प्रदान करते हैं। इन्हें स्नैक्स के तौर पर भी खाया जा सकता है और ये हर जगह आसानी से उपलब्ध होते हैं। 

आप इन्हें दूध में मिलाकर स्वादिष्ट बादाम दूध या काजू दूध बना सकती हैं। स्तनपान कराने वाली माँ के लिए पंजीरी, लड्डू और हलवे जैसे पारंपरिक खाद्य पदार्थ बनाने में मेवों का इस्तेमाल किया जाता है।

सौंफ : सौंफ भी स्तन दूध की आपूर्ति बढ़ाने का एक अन्य पारंपरिक उपाय है। शिशु को गैस और पेट दर्द की परेशानी से बचाने के लिए भी नई माँ को सौंफ दी जाती है। इसके पीछे तर्क यह है कि पेट में गड़बड़ या पाचन में सहायता के लिए वयस्क लोग सौंफ का इस्तेमाल करते हैं, इसलिए स्तनदूध के जरिये शिशु तक पहुंचाने के लिए यह नई माँ को दी जाती है। हालांकि, इन दोनों धारणाओं के समर्थन के लिए कोई शोध उपलब्ध नहीं है, मगर बहुत सी माताएं मानती हैं कि सौंफ से उन्हें या उनके शिशु को फायदा मिला है।

एक कप गर्म पानी में एक चम्मच सौंफ डालें। कप को ढककर तीस मिनट के लिए रख दें। उसके बाद उस गर्म पानी को छानकर उसे चाय की तरह पीएं। इसे दिन में दो बार एक महीने तक पीएं।

इसके अलावा में थोड़ा सा जीरा और मिश्री मिलाकर इन तीनों का महीन पाउडर बना लें। इस मिश्रण को दो या एक हफ्ते तक दिन में तीन बार एक कप दूध के साथ लें। 

दालचीनी : आयुर्वेद के अनुसार दालचीनी ब्रेस्ट मिल्क के उत्पादन को बढ़ाने का काम करती है। नई-नई मां अगर करती है तो इससे ब्रेस्ट मिल्क का स्वाद अच्छा होता है, जो बच्चे को भी पसंद आता है।

आधा चम्मच शहद के साथ चुटकी भर मिलाएं। इसे एक कप गर्म दूध में मिलाएं। दो महीने तक इस पेय पदार्थ को रात में सोने से पहले पीएं।

जीरा : दूध की आपूर्ति बढ़ाने के साथ-साथ माना जाता है कि जीरा के फायदे, पाचन क्रिया में सुधार, कब्ज, अम्लता (एसिडिटी) और पेट में फुलाव आदि समस्याओं में भी मिलता है। जीरा बहुत से भारतीय व्यंजनों का अभिन्न अंग है और यह कैल्शियम और राइबोफ्लेविन (एक बी विटामिन) का स्त्रोत है।

एक चम्मच जीरा पाउडर को एक चम्मच चीनी के साथ मिलाएं और रोज रात को सोने से पहले इस मिश्रण को एक गिलास दूध में मिलाकर पीएं।

दो चम्मच जीरे को आधे कप पानी के साथ उबाल लें। उसके बाद उसे छान लें, अब उस पानी में एक चम्मच शहद और आधा कप दूध मिलाकर पीएं।

लहसुन : लहसुन में बहुत से रोगनिवारक गुण पाए जाते हैं। यह प्रतिरक्षण प्रणाली को फायदा पहुंचाता है और दिल की बीमारियों से बचाता है। इसके साथ-साथ लहसुन स्तन दूध आपूर्ति को बढ़ाने में भी सहायक माना गया है। हालांकि, इस बात की प्रमाणिकता के लिए कोई ज्यादा शोध उपलब्ध नहीं है।

तुलसी : तुलसी की चाय स्तनपान कराने वाली महिलाओं का एक पारंपरिक पेय है। किसी शोध में यह नहीं बताया गया कि तुलसी स्तन दूध उत्पादन बढ़ाने में सहायक है, परंतु माना यह जाता है कि इसका एक शांतिदायक प्रभाव होता है। यह मल प्रक्रिया को सुधारती है और स्वस्थ खाने की इच्छा को बढ़ावा देती है। 

हरी पत्तेदार सब्जियां : हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे पालक, मेथी, सरसों का साग और बथुआ आदि आयरन, कैल्श्यिम और फोलेट जैस खनिजों का बेहतरीन स्त्रोत हैं। इनमें बीटाकैरोटीन (विटामिन ए) का एक रूप और राइबोफ्लेविन जैसे विटामिन भी भरपूर मात्रा में होते हैं। इन्हें भी स्तन दूध बढ़ाने में सहायक माना जाता है।

लौकी व तोरी जैसी सब्जियां : पारंपरिक तौर पर माना जाता है कि लौकी, टिंडा और तोरी जैसी एक ही वर्ग की सब्जियां स्तन दूध की आपूर्ति सुधारने में मदद करती हैं। ये सभी सब्जियां न केवल पौष्टिक एवं कम कैलोरी वाली हैं, बल्कि ये आसानी से पच भी जाती हैं।

तिल के बीज : तिल के बीज कैल्शियम का एक गैर डेयरी स्त्रोत है। स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए कैल्शियम एक जरुरी पोषक तत्व है। यह आपके शिशु के विकास के साथ-साथ आपके स्वास्थ्य के लिए भी महत्वपूर्ण है। शायद इसलिए ही यह स्तनपान कराने वाली माताओं के आहार में शामिल की जाने वाली सदियों पुरानी सामग्री है।आप तिल के लड्डू खा सकती हैं या फिर काले तिल को पूरी, खिचड़ी, बिरयानी और दाल के व्यंजनों में डाल सकती हैं। कुछ माएं गज्जक व रेवड़ी में सफेद तिल इस्तेमाल करना पसंद करती हैं।

मुनक्काः माँ को शिशु के जन्म देने के पश्चात गाय के दूध में 10-12 मुनक्के उबालकर दिन में तीन बार पिलाने से दूध के निर्माण में बृद्धि  होती है।

अंगूरः माँ के दूध में बृद्धि  के लिए अंगूर का सेवन अमृत की तरह प्रभावशाली है। ताजा अंगूर नित्य खाने से स्तनों में काफी मात्र में दूध उतरने लगता है।

पपीताः शरीर में रक्त की कमी से होना आम बात है। इस स्थिति में डाल का पका हुआ उत्तम औषधि है। पपीता खाली पेट लगातार 20 दिन तक खाना चाहिए। इससे स्तनों में दूध की वृद्धि होगी।

गाजरः भोजन के साथ गाजर के रस व कच्चे प्याज के सेवन से भी शिशु की माँ में दूध का निर्माण अधिक  होता है।

मूंगफली: दूध के साथ मूंगफली के सेवन से माताओं के स्तनों में दूध की वृद्धि होती है।

गेंहू के पौधे से कैसे पाएँ मोटापा से छुटकारा

मोटापा दूर करते हैं गेंहू के पौधे - घरेलू नुस्खे
मोटापा दूर करने के लिए लोग क्या - क्या नहीं करते हैं। कुछ लोग व्यायाम करते हैं, तो कुछ लोग इसके लिए डायटिंग के हार्ड रूल अपनाते हैं।  लेकिन प्रकृति में मौजूद अनेक खाद्य पदार्थों से भी वजन को कम  किया जा सकता है। गेंहू के छोटे पौधे इस मामले में बहुत लाभकारी है। गेंहू के छोटे पौधों के पत्ते स्वास्थ्य के लिए कई प्रकार से फायदेमंद होते हैं। इसमें क्लोरोफिल एमिनो एसिड, खनिज लवण, विटामिन और विभिन्न प्रकार के एंजाइम होते हैं और डायट के लिए महत्वपूर्ण पोषक  तत्व होते हैं। यह मोटापा को घटाने का असरदार और सुरक्षित तरीका भी है।
यह आपकी खुराक को कम करता है और मेटाबॉलिज्म को बढ़ता है। इससे वजन घटता है। इसमें मौजूद क्लोरोफिल खून में मौजूद विषैले तत्वों को दूर करता है अर्थात खून को साफ करने का कार्य करता है। इससे एनर्जी में वृद्धि होती है,  जिससे काम अधिक करने की छमता भी बढ़ती है और कैलोरी बर्न होती है। इस पौधे में शुगर, कोलेस्ट्रॉल और फैटबहुत कम होते हैं। यह थायरॉयड ग्लैंड को भी स्टिम्युलेट  करने का कार्य करता है। अच्छी बात यह है कि इसे घर में भी आसानी से उगाया जा सकता है। इसका जूस बना कर इसे इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके जूस को सुबह खाली पेट पीने से काफी तेजी से फायदा होता है। 
कैसे तैयार करें गेंहू के पौधे:

दस-बारह मिटटी के गमलों में अच्छी मिटटी भरकर , उसमे प्रतिदिन बरी-बरी से उत्तम गेहूँ दाने बो दीजिए और छाया में अथवा कमरे या बरामदे में रखकर, यदा-कदा थोड़ा-थोड़ा पानी डालते जाइए।  धुप न लगे तो अच्छा है ।  जिस मिटटी में गेहूँ बोया जाए उसमे रासायनिक खाद नहीं होना चाहिए। गमलों में गोबर की खाद डालनी चाहिए।  तीन-चार दिन बाद पौधा उग जायेंगे और दस-बारह दिन में सात-आठ इंच के हो जायेंगे।  तब उसमे से पहले दिन बोए हुए 30-40 पौधों को जड़ सहित उखाड़कर जड़ को काटकर फेंक दें और बचे हुए डंठल तथा पत्तियों को जिसे गेहूँ का जवारा  (wheat grass) भी कहते है।  धोकर साफ सिल पर थोड़ा पानी के साथ पीस लें, आधे गिलास के करीब रस छानकर तैयार कर लीजिए और रोगी को तत्काल व ताजा रस रोज सवेरे पिला दीजिए ।  इसी प्रकार शाम को भी ताजा तैयार कर पिलाइये । 
Lose your weight by wheat grass juice, Motapa dur karne ke upay 

ग्रीन टी क्या है, इसे बनाने की विधि, और इसके फायदे

ग्रीन टी के फायदे एवं नुकसान (Advantages and disadvantages of Green Tea in hindi)

ग्रीन टी (Green Tea) के सेवन से आपके शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र मजबूत होता है, पाचन शक्ति मजबूत होती है, स्मरण शक्ति में वृद्धि होती है, आपकी त्वचा सुंदर एवं कोमल हो जाती है इसके साथ-साथ आपका वजन भी कम करता है। इसके अलावा इसका सेवन दिल के रोग तथा अनियमित रक्तचाप, किडनी के रोग, दांतों का सड़न आदि में भी फायदा पहुंचता है। परंतु यदि इसका सेवन अधिक मात्र में करने पर यह आपको हानि भी पहुंचा सकता है। वैसे तो ग्रीन टी में कम मात्र में कैफीन होता है परंतु इसके अत्यधिक सेवन से अनिन्द्र, चिड़चिड़ापन तथा शरीर में आइरन की कमी जैसी बीमारी हो सकती है। अतः दिन में केवल 2-3 कप ही ग्रीन टी पीना (Drink Green Tea) चाहिए।

ग्रीन टी बनाने की विधि: (Method to make green tea in hindi)
उबलते पानी में ग्रीन टी कभी ना डालें। इससे एसिडिटी की समस्या हो सकती है। पहले पानी उबाल लें, फिर आंच से उतारकर उसमें ग्रीन टी की पत्तियां या टी बैग डालकर ढंक दें। दो मिनट बाद इसे छान लें या टी बैग (Tea bag) अलग करें।
ग्रीन टी के ये फायदे है (Green Tea ke fayde):-

1-वज़न कम करे (Weight loss)
एक्सरसाइज़ और वर्कआउट से भी अगर आपका वज़न कम नहीं हो रहा, तो आप दिन में ग्रीन टी पीना शुरू करें। ग्रीन टी एंटी-ऑक्सीडेंट्स होने की वजह से बॉडी के फैट को खत्म करती है। एक स्टडी के अनुसार, ग्रीन टी बॉडी के वज़न को स्थिर रखती है। ग्रीन टी से फैट ही नहीं, बल्कि मेटाबॉलिज्म भी स्ट्रॉन्ग रहता है और डाइजेस्टिव सिस्टम की परेशानियां भी खत्म होती हैं।

2- स्ट्रेस को कम करना (Reduce stress)
स्ट्रेस में चाय दवाई का काम करती है। चाय पीने से आपको आराम मिलता है। इसके अलावा, चाय की सूखी पत्तियों को तकिए के साइड में रखकर सोने से भी सिर दर्द कम होता है। सूखी चाय की पत्ती की महक माइंड को रिलैक्स करती है।

3-सनबर्न से बचने के लिए (Protect from sun burn)
चेहरे पर सनस्क्रीन लगाने पर भी सनबर्न की दिक्कत अगर खत्म नहीं होती तो आप नहाने के पानी में चाय की पत्ती (Tea leaf) डाल लें और तब नहाएं। इससे आपको सनबर्न से होने वाली जलन, खुजली आदि से राहत मिलेगी।

4-आंखों की सूजन को कम करने के लिए
चाय पत्ती (Tea leaf) आंखों की सूजन और थकान उतारने के लिए परफेक्ट उपाय है। इसके लिए आपको मशक्कत करने की ज़रूरत नहीं, बस दो टी बैग्स लीजिए और हल्के गर्म पानी में गीला करके 15 मिनट के लिए आंखों पर रखिए। इससे आपकी आंखों में होने वाली जलन और सूजन कम हो जाती है। चाय में प्राकृतिक एस्ट्रिजेंट होता है, जो आपकी आंखों की सूजन को कम करता है। टी बैग लगाने से डार्क सर्कल भी खत्म होते हैं।

5-मुहासे की समस्या को कम करना
चाय एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-फंगल, एंटी-ऑक्सीडेंट होने के कारण सूजन को कम करती है। चेहरे के मुहांसों को दूर करने के लिए ग्रीन टी बहुत फायदेमंद होता है। चेहरे से मुहांसे खत्म करने के लिए रात में सोने से पहले ग्रीन टी की पत्तियां चेहरे पर लगाएं। खुद को फिट रखने के लिए सुबह ग्रीन टी पिएं। इससे चेहरे पर प्राकृतिक चमक और सुंदरता बनी रहती है।

6- त्वचा की सुरक्षा (skin protection)
ग्रीन टी त्वचा  के लिए बेहद ही फायदेमंद होती है। इससे आपकी स्किन टाइट रहती है। इसमें बुढ़ापा रोकने  के तत्व  भी होते हैं। ग्रीन टी में एंटी-ऑक्सीडेंट्स और एंटी-इन्फ्लामेंटरी एलिमेंट्स एक साथ होने की वजह से यह स्किन को प्रोटेक्ट करती है। ग्रीन टी से स्क्रब बनाने के लिए शकर , थोड़ा पानी और ग्रीन टी को अच्छे से मिलाएं। यह मिश्रण आपकी त्वचा  को पोषण करने के साथ-साथ मुलायम  बनाएगा और स्किन के हाइड्रेशन लेवल को भी बनाए रखेगा।
7-बालों के लिए फायदेमंद (Hair conditioner)
चाय बालों के लिए भी एक अच्छे कंडिशनर का काम करती है। यह बालों को नेचुरल तरीके से नरिश करती है। चाय पत्ती को उबाल कर ठंडा होने पर बालों में लगाएं। इसके अलावा, आप रोज़मेरी और सेज हरा (मेडिकल हर्बल) के साथ ब्लैक टी को उबालकर रात भर रखें और अगले दिन बालों में लगाएं। चाय बालों के लिए कुदरती कंडिशनर है।

8-पैरों की दुर्गंध दूर करने के लिए
ग्रीन टी की महक स्ट्रॉन्ग और पावरफुल होती है। इसकी महक को आप पैरों की दुर्गंध दूर करने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। यूज़ की हुई चाय पत्ती को पानी में डाल दें और उसमें पैरों को 20 मिनट के लिए डालकर रखें। इससे चाय आपके पैरों के पसीने को सोख लेती है और दुर्गंध को खत्म करती है।

9- नव विवाहितों के लिए (for newly married)
ग्लोइंग स्किन, हेल्दी लाइफ के अलावा ग्रीन टी आपकी मैरिड लाइफ में भी महक बिखेरती है। ग्रीन टी में कैफीन, जिनसेंग (साउथ एशियन और अमेरिकी पौधा) और थियेनाइन (केमिकिल) होता है, जो आपके सेक्शुअल हार्मोन्स को बढ़ाता है। खासकर महिलाओं के लिए ये काफी सही है। इसलिए अगर आपको भी मैरिड लाइफ हैप्पी चाहिए तो रोज़ ग्रीन टी पिएं।

ग्रीन टी का सेवन कब ना करें 

1 ग्रीन टी में मौजूद कैफीन व टॉनिक एसिड गर्भवती महिला और गर्भस्थ शिशु के लिए अच्छा नहीं होता। गर्भवस्था के दौरान इसका सेवन न करें।

2 बासी ग्रीन टी- लंबे समय तक ग्रीन टी रखे रहने से उसमें मौजूद विटामिन और उसके एटी-ऑक्सीडेंट गुण कम होने लगते हैं। इतना ही नहीं, एक सीमा के बाद इसमें बैक्टीरिया भी पलने लगते हैं। इसलिए एक घंटे से पहले बनी ग्रीन टी क़तई न पिएं।

3 खाली पेट नहीं-सुबह ख़ाली पेट ग्रीन टी पीने से एसिडिटी की शिकायत हो सकती है। इसके बजाय सुबह खाली पेट एक गिलास गुनगुना सौंफ का पानी पीने की आदत डालें। इससे पाचन सुधरेगा और शरीर के अपशिष्ट पदार्थ बाहर निकालने में मदद मिलेगी।

4 भोजन के तुरंत बाद- जल्दी वज़न घटाने के इच्छुक भोजन के तुरंत बाद ग्रीन टी पीते है, जबकि इससे पाचन और पोषक तत्वों के अवशोषण की प्रक्रिया प्रभावित होती है।

5 कैफीन के सेवन के बाद दिमाग़ सक्रिय होता है और नींद भाग जाती है। इसलिए देर रात या सोने से ठीक पहले ग्रीन टी का सेवन न करें। 

6 दवाई के बाद नहीं- किसी भी तरह की दवा खाने के तुरंत बाद ग्रीन टी न पिएं।

जटामांसी है बहुत गुणकारी, जाने इसके घरेलू नुस्खे

जटामांसी (Jatamansi) जिसे 'बालछड़' भी कहा जाता है यह कश्मीर, भूटान, सिक्किम और कुमाऊं जैसे पहाड़ी क्षेत्रों में अपने आप उगती है। जटामांसी ठण्डी जलवायु में उत्पन्न होती है। इसलिए यह हर जगह आसानी से नहीं मिलती। इसे जटामांसी इसलिए कहा जाता है, क्योंकि इसकी जड़ में बाल जैसे तन्तु लगे होते हैं।

1 मस्तिष्क और नाड़ियों के रोगों के लिए ये राम बाण औषधि है। ये धीमे लेकिन प्रभावशाली ढंग से काम करती है। पागलपन , हिस्टीरिया, मिर्गी, नाडी का धीमी गति से चलना,,मन बेचैन होना, याददाश्त कम होना इन सारे रोगों की यही अचूक दवा है।

2 जटामांसी की जड़ को गुलाबजल में पीसकर चेहरे पर लेप की तरह लगायें। इससे कुछ दिनों में ही चेहरा खिल उठेगा।

3 इसके सेवन से बाल काले और लम्बे होते है। इसके काढ़े को रोजाना पीने से आंखों की रोशनी बढ़ती है।
4 जटामांसी चबाने से मुंह की दुर्गन्ध नष्ट होती है। दांतों में दर्द हो तो जटामांसी के महीन पावडर से मंजन कीजिए।

5 मेंनोपॉज के समय ये सच्ची साथी की तरह काम करती है. इसका शरबत दिल को मजबूत बनाता है, और शरीर में कहीं भी जमे हुए कफ को बाहर निकालता है।

6 ये त्रिदोष को भी शांत करती है और सन्निपात के लक्षण ख़त्म करती है. चर्म रोग , सोरायसिस में भी इसका लेप फायदा पहुंचाता है।

7 मासिक धर्म के समय होने वाले कष्ट को जटामांसी का काढा ख़त्म करता है। हाथ-पैर कांपने पर या किसी दूसरे अंग के अपने आप हिलने पर जटामांसी का काढ़ा 2 चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम रोज सेवन करें। 

8 इसको खाने या पीने से मूत्रनली के रोग, पाचननली के रोग, श्वासनली के रोग, गले के रोग, आँख के रोग,दिमाग के रोग, हैजा, शरीर में मौजूद विष नष्ट होते हैं. 

9 जटामांसी का काढ़ा बनाकर 280 से 560 मिलीग्राम सुबह-शाम लेने से टेटनेस का रोग ठीक हो जाता है। 

10 जटामांसी और हल्दी बराबर की मात्रा में पीसकर मस्सों पर लगायें। इससे बवासीर नष्ट हो जाती है।

11 इसे पानी में पीस कर लेप लगाने से सिर तथा हृदय का दर्द खत्म हो जाता है।

12 जटामांसी के बारीक चूर्ण से मालिश करने से ज्यादा पसीना आना कम हो जाता है। जटामांसी और तिल को पानी में पीसकर इसमें नमक मिलाकर सिर पर लेप करने से आधासीसी का दर्द दूर हो जाता है। 

13 अगर पेट फूला हो तो जटामांसी को सिरके में पीस कर नमक मिलाकर लेप करो तो पेट की सूजन कम होकर पेट सपाट हो जाता है।

सावधानी : जटामांसी का ज्यादा उपयोग करने से गुर्दों को हानि पहुंच सकती है और पेट में कभी भी दर्द शुरू हो सकता है।

किडनी रोग, ब्रेस्ट कैंसर, श्वास रोग, दर्द एवं सूजन में लाभकारी है अजमोद

अजमोद के गुण प्राय अजवाइन की तरह होते हैं। परन्तु अजमोद का दाना अजवाइन से बड़ा होता है। अजमोद पोटैशियम, विटामिन ए, बी और सी,  फॉस्फोरस, मैंगनीज, कैल्शियम, आयरन, सोडियम, मैग्‍नीशियमऔर फाइबर से भरपूर होता है जिसके कई फायदे हैं। इसमें एपिजेनिन और लूटेओलिन जैसे तत्‍व भी पाये जाते हैं। गर्म तासीर का अजमोद श्वास, सूखी खांसी और आंतरिक शीत के लिए लाभकारी होता है। 


दर्द और सूजन दूर करें (Dard aur sujan)
अजमोद से बदन दर्द कुछ ही देर में छूमंतर हो जाता है। दर्द होने पर अजमोद को सरसों के तेल में उबालकर मालिश करनी चाहिए। या फिर अजमोद की जड़ का 3-5 ग्राम चूर्ण दिन में दो-तीन बार सेवन करना किसी भी तरह के दर्द और सूजन में लाभकारी होता है।

श्वास रोगों में लाभकारी (shvas rog ka ilaj)
मांसपेश‍ियों की शिथिलता के कारण उत्पन्न श्वसन नली की सूजन और श्वास रोगों में अजमोद लाभकारी होता हैं। श्वास रोगों को दूर करने के लिए इसकी 3-6 ग्राम की मात्रा में दिन में तीन बार प्रयोग करें।

अगर आपको भोजन के बाद हिचकियां आती है तो अजमोद के 10-15 दाने मुंह में रखने से हिचकी बंद हो जाती है। या आप अजमोद को मुंह में रखकर उसका रस चूस लें इससे भी हिचकी से आराम मिलता है।

कमजोरी दूर करे (Kamjori dur karen)
अगर आप कमजोरी महसूस करते हैं तो आपके लिए अजमोद का सेवन फायदेमंद हो सकता हैं। कमजोरी को दूर करने के लिए कॉफी में अजमोद की जड़ के बारीक चूर्ण को डालकर सेवन करने से लाभ मिलता है। लेकिन इसका सेवन करते समय इस बात का ध्यान रखें कि इसका प्रयोग मिर्गी के रोगी और गर्भवती महिलाओं के लिए हानिकारक होता है।

उल्टी में लाभकारी (Ulti me labhkari)
उल्टियां होने पर अजमोद का सेवन काफी लाभकारी होता है। अजमोद के चूर्ण का सेवन उल्टी रोकने में काफी मदद करता है। अजमोद में लौंग और शहद मिलाकर चाटने से भी उल्टी आना बंद हो जाता है।

किडनी रोग में लाभकारी (Kidney rog ka ilaj)
अजमोद किडनी की सफाई के लिए जाना जाता है। किडनी में मौजूद व्यर्थ पदार्थों को बाहर निकाल कर यह आपको स्वस्थ रखता है। अजमोद पेट की समस्याओं को दूर रखने में मदद करता है। यह देर तक भूख का एहसास नहीं होने देता है जिससे यह वजन को काबू में रखने में मदद करता है। 

ब्रेस्‍ट कैंसर में उपयोगी (Breast cancer me upyogi)
अजमोद में एपिजेनिन नामक तत्‍व पाया जाता है। यह तत्‍व ब्रेस्‍ट कैंसर के खतरे का कम करता है। अजमोद के सेवन से ब्रेस्‍ट कैंसर के ट्यूमर की संख्या को कम करने और उनके विकास को धीमा करने में मदद मिलती है।

आँखों के आगे अंधेरा छा जाना (चक्कर आना) - घरेलू नुस्खे

आँखों के आगे अंधेरा छा जाना (चक्कर आना) - Gharelu Nuskhe

कभी-कभी जब काफी देर बैठ कर अचानक उठने से आँखों के आगे अंधेरा छा जाता है या चीजें घूमती हुई नजर आती है। इसे ही चक्कर आना कहते हैं। या समस्या मस्तिष्क में रक्त की आपूर्ति कम होने के कारण होती है। इसे दूर करने के घरेलू उपाय । 
तुलसी: तुलसी के रस में चीनी या शहद मिला कर सेवन करने से चक्कर आना बंद हो जाता है।

जूस: दोपहर के भोजन के 2 घंटे पह्ले और शाम के नाश्ते में फलों का सादा जूस पिये। जूस की जगह ताजे फल भी खा सकते है।

धनिया: धनिया पाउडर और आंवले का पाउडर दस-दस ग्राम लेकर एक गिलास पानी में भिंगो कर रख दें। सुबह अच्छी तरह मिला कर पि लें।

लौंग: आधा गिलास पानी में दो लौंग डाल कर उसे उबाल लें और फिर उस पानी को पि लें।

नारियल का पानी: इसे रोज पीने से लाभ होता है।

मुनक्का: 20 ग्राम मुनक्का घी में भून कर सेंधा नमक से खाने से चक्कर आना बंद हो जाता है।

काजू का सेवन आपके हृदय के लिए है लाभकारी, जाने काजू के फायदे

भारतीय समाज में जब भी सेहत की बात आती है, तो बड़े-बुजुर्ग काजू-बादाम (Cashew nut) खाने की सलाह देते हैं और यह बात काफी हद तक सही भी है। काजू न सिर्फ शरीर को स्वस्थ रखता है, बल्कि कई रोगों से भी बचाता है। काजू का प्रयोग हमेशा से भारतीय किंचन में किया जाता रहा है। यह न सिर्फ भोजन के स्वाद को बढ़ाता है बल्कि इसे स्वास्थ्य (Health) के लिहाज से भी बेहतर माना जाता रहा है। इसमें ऐसे कई पोषक तत्व होते हैं, जो मेटाबोलिज्म को बेहतर बनाते हैं और हृदय रोगों के खतरे को भी कम करते हैं, जिससे हृदय स्वस्थ (Healthy heart) रहता है।
 Benefits-of-Cashew-nut
 ये हैं इसके फायदे 

हृदय को रखता है स्वस्थ :- इसमें स्वास्थ्य के लिए अच्छे फैट क्री प्रचुर मात्रा होती है और कोलेस्ट्रॉल नगण्य होता है। इससे ब्लड कोलेस्ट्रॉल कम होता है और ट्राइग्लिसराइड हदय को स्वस्थ बनाते हैं। कुछ लोग यह मानते हैं कि फैट कम लेने से शरीर स्वस्थ रहता है, जबकि यह सही नहीं है। हमारे शरीर को स्वस्थ रखने के लिए हर प्रकार के पोषक तत्वों की जरूरत पड़ती है और फैट भी उनमें से एक है। लेकिन फैट स्वास्थ्यवर्धक स्रोतों से आना चाहिए। काजू भी फैट का एक स्वास्थ्यवर्धक स्रोत है।

शरीर को बनाता है मजबूत:- इसमें मैग्रीशियम होता है जो हड्डियों को मजबूत बनाता है, मांसपेशियों और नर्व की कार्यप्रणाली को सही रखता है. कैल्सियम को हड्डियों में सही प्रकार से अवशोषित करने के लिए हमारे शरीर को लगभग 300-750 मिलीग्राम मैरनीशियम की जरूरत होती है। 

ब्लड प्रेशर को करता है कंट्रोल:- काजू में सोडियम कम और पोटैशियम अधिक होता है, जो ब्लड प्रेशर को नियंत्रण में रखता है। यदि शरीर में सोडियम की मात्रा अधिक होती हैं तो शरीर को पानी की जरूरत भी अधिक पड़ती है। इससे ब्लड की मात्रा भी बढ़ती है और ब्लड प्रेशर भी बढ़ता है। 

कैंसर का खतरा होता है कम:- काजू में सेलेनियम और विटामिन इ जैसे एंटी ऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो शरीर को फ्री रैडिकल्स से बचते हैं। इससे इम्युनिटी बढ़ती है और कैंसर का खतरा कम होता है। इसमें जिंक भी होता है, जो इंफेक्शन से बचाया है। 
शारीरिक प्रक्रियाओं को रखता है सही:- इसमें कॉपर की उपयुक्त मात्रा होती है। यह एंजाइम की सक्रियता, हॉर्मोन के निर्माण, ब्रेन फंक्शन को सही रखने में सहायता करता है। 

किन्हें नहीं खाना चाहिए
इसे कोई भी खा सकता है लेकिन जिन्हें इससे एलर्जी हो या माइग्रेन की समस्या हो उम्हें इससे बचना चाहिए इसमे काफी केलोरी होती है जो वजन बढ़ा सकता है। अतः मोटे लोगों को भी इसे खाने से बचना चाहिए। यदि किसी को काजू से एलर्जी हो, तो इससे उल्टी, डायरिया, स्किन रैशेज और सांस लेने में परेशानी हो सकती है यदि ऐसी समस्या होती है तो इसे खाना छोड़ दें और तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें ।

घरेलू स्क्रब जो गर्मी में सनटैन से आपकी त्वचा की रक्षा करे

सूर्य से निकलने वाली पैराबैंगनी विकिरण ( ultraviolet (UV) radiation ) त्वचा के लिए काफी नुकसानदेह होती है। इससे त्वचा में मेलनिन का स्तर बढ़ जाता है, जो सन टैन की मुख्य वजह है (cause of sun tan or sun burn)। शरीर का जो हिस्सा सूर्य की रोशनी (Our body parts which facing Sunlight) के संपर्क में आता है (चेहरा, हाथ व पैर आदि) उसके साथ अक्सर सन टैन की समस्या हो जाती है। गर्मी में चिलचिलाती धूप में सन टैन से त्वचा (to prevent our skin from sun tan) को बचाना जरूरी है। 
सन टैन को दूर करने के लिए हमारे अपने घर में ही कई ऐसी चीजें उपलब्ध हैं, जो इसे आसानी से दूर कर सकती हैं। नींबू रस, बादाम तेल, शहद, खीरा और आलू में सन टैन को दूर करने का गुण है। इससे त्वचा में जान आ जाती है। यह त्वचा में मेलनिन की वृद्धि को रोकते हैं। रोम छिद्रों को साफ करते हुए त्वचा को चमकदार बनाते हैं। सबसे अच्छी बात है की इन तत्वों से कोई साइड इफेक्ट (side effect) नहीं होता। ये पूरी तरह से प्रकृतिक होते हैं। जानते हैं कुछ घरेलू नुस्खे (Gharelu Nuskhe), घरेलू स्क्रब (Home made scrub) के बारे जो गर्मी में आपकी त्वचा को बचाए रखे ।

सन टैन दूर करे स्क्रब (scrub): टैनिंग को दूर करने का सबसे बेहतर माध्यम है स्क्रबिंग (scrubbing)। इसके लिए आप कई तरह के स्क्रब का प्रयोग (use of home made scrub) कर सकते हैं। एक कप कच्चे दूध में एक चम्मच चन्दन का पाउडर मिलाएँ। इस मिश्रण को अच्छे से मिला कर टैनिंग वाली जगह पर लगाएँ और हल्के हाथों से स्क्रब करें। इस मिश्रण से तब तक स्क्रबिंग करें जब तक यह सुख न जाये। फिर साफ पनि से धो लें। 

मिल्क पाउडर (Milk Powder) बादाम का तेल (Almond oil) व शहद (Honey) स्क्रब: मिल्क पाउडर, नींबू रस, शहद व बादाम का तेल बराबर मात्रा लेकर उसे अच्छे से मिलाएँ। इस तरह बने लेप (solution) को प्रभावित क्षेत्र में लगाकर 15 मिनट बाद धो लें। जल्द असर पाने के लिए इसे दिन में दो-तीन बार करें (use 2-3 times a day)। 

कच्चा दूध हल्दी (turmeric) और नींबू (lemon): नींबू को सबसे अच्छा प्रकृतिक ब्लीच माना जाता है। यह टैनिंग को दूर करने का सबसे बेहतर तत्व है। कच्चे दूध में हल्दी व नींबू के रस को मिलाएँ और इसे टैंड स्किन पर लगाएँ। यह बहुत ही अच्छा प्रकृतिक स्क्रब ( natural scrub) है। इसे 25 मिनट बाद धो लें। 

एलोबेरा (Aloe vera) :- एलोबेरा में आयुर्वेदिक गुण (Ayurvedic quality) होते हैं। सन टैनिंग होने पर इसके पल्प को प्रभावित क्षेत्र में आधा घंटा तक लगा कर रखें। आधे घंटे के बाद धो लें। झुलसी त्वचा पर निखार आ जाएगी। 

टमाटर (Tomato) : टमाटर का रस (Tomato juice) टैनिंग को दूर करने के बेहतर तत्वों में एक है। टमाटर के रस को चेहरा पर 10 मिनट के लिए छोड़ दें। ऐसा रोज दिन में लगातार दो तीन बार करें। टैनिंग कुछ ही दिनों में गायब हो जाएगी।

चीनी और नींबू (Sugar and Lemon) :- चीनी व नींबू रस को मिला कर एक गाढ़ा मिश्रण बनाएँ। इस स्क्रब को टैंड फेस व शरीर में लगाकर 20 मिनट के लिए छोड़ दें। उसके बाद ठंडे पानी से धो लें। चीनी चेहरे की सफाई के लिए काफी लाभदायक है।

आलू स्क्रब (Potato scrub):- आलू के कुछ टुकड़ों को क्रश कर ले। उसे प्रभावित क्षेत्र पर कम से कम 20 मिनट लगा कर छोड़ दें। यह बहुत ही अच्छा स्क्रब है, जो जल्दी स्किन को पहले जैसे टोन में आता है।

दही (Curd):- इसके सेवन से शरीर को तरावट मिलती है। दही के सेवन से त्वचा के रोमछिद्रों में कसाव आता है।

खीरा (Cucumber) :- खीरा त्वचा को हाइड्रेड़ करता है। त्वचा में पानी की कमी (dehydration) को पूरा करता है। दही टमाटर खीरा को पीस कर मिला लें। इस पेस्ट में आधा कप आटा मिला लें और फेंट लें। इसे लगाकर 30-35 मिनट तक सूखने दें और फिर धो लें।  

सुगर स्क्रब (Sugar scrub) से निखार: सुगर स्क्रब आपकी त्वचा को फिर से एक बार निखार सकता है। चीनी को धीरे-धीरे टैनिंग वाले क्षेत्र में स्क्रब करें (scrub slowing in the tanning area of your skin)। फिर ठंडे पानी से धो लें। चीनी चेहरे की सफाई के लिए काफी लाभदायक है।

चन्दन पाउडर व कच्चा दूध स्क्रब: एक कप कच्चे दूध में एक चम्मच चन्दन का पाउडर (Sandalwood Powder) मिलाएँ। इस मिश्रण को अच्छे से मिला कर टैनिंग वाली जगह पर लगाये। हल्के हाथों से स्क्रब करें। तब तक स्क्रबिंग करें, जब तक यह सुख न जाये। साफ पानी से धो लें।    

केसर व कपूर के सेवन से नष्ट होते हैं कृमि (Benefits of Saffron in Hindi)

Benefits of Saffron in our disease in hindi.

केसर (Saffron) सबसे महंगा मसाला माना जाता है। जहां एक तरफ यह मसाला अपने स्वाद और सुगंध के लिए जाना जाता है, वहीं इसमें बहुत सारे अयुर्वेदित गुण विद्यमान है जिसका उपयोग घरेलू उपचार में भी किया जाता है। भारत में केसर का उत्पादन कश्मीर में होता है।  यहाँ प्रस्तुत हैं इससे संबन्धित कुछ घरेलू उपचार (Gharelu Nuskhe) ।
  • केसर व कपूर की एक-एक चुटकी में 2-4 बूंद दूध मिला कर पीसें और एक चम्मच दूध में मिला कर बच्चे को 2-3 दिन पिलाएँ। इससे कृमि (Worms) नष्ट होते हैं। 
  • चन्दन को केसर के साथ घिस कर लेप माथे पर लगाने से सिर, आँखों और दिमाग को शीतलता मिलती हैं। 
  • चन्दन और केसर को मिला कर सिर पर इसका लेप लगाने से सिर दर्द (Head ache) में राहत मिलती है। 
  • केसर मिला दूध सुबह-शाम पिलाने से बच्चों को सर्दी और जुकाम से राहत मिलती है। 
  • बच्चे की सर्दी समाप्त न हो, तो उसकी नाक, माथे, छाती और पीठ पर केसर, जायफल और लौंग के पेस्ट का लेप लगाने से फायदा होता है। 
  • त्वचा के झुलसने पर केसर का लेप लगाएं, तुरंत लाभ होता है और नयी त्वचा का निर्माण जल्द होता है। 
  • केसर दूध के साथ पीने से शारीरिक शक्ति बढ़ती है। 
  • सोते समय दूध में केसर डाल के पीएं अनिद्रा दूर होगी।
  • बादाम को रात भर पानी में भिगोएँ और बाद में पेस्ट बना लें। केसर, शहद और नींबू का रस गुनगुने पानी में मिला कर इस पैक को चेहरे और गरदन पर लगाएं। इससे झुरिया, एक्ने और दाग दूर होंगे। 
केसर व कपूर के सेवन से नष्ट होते हैं कृमि (Benefits of Saffron in Hindi)

सुंदर त्वचा के लिए लाभकारी नुस्खे - सौन्दर्य नुस्खे

गर्मी में सनटैन आम समस्या है। एक बार सनटैन हो जाने पर त्वचा की सामान्य रंगत को वापस लौटाना बेहद मुश्किल होता है। त्वचा का रंगत खराब होने पर आपका सौन्दर्य भी फीका पड़ जाता है। अतः जरूरी है की आप अपने त्वचा की चमक (Tvacha ki chamak) और रंगत को बनाए रखे। यहाँ प्रस्तुत है आपकी त्वचा की रंगत (Tvacha ki rangat) और चमक को लंबे समय तक बनाए रखने के कुछ  आसान घरेलू उपाय (Gharelu Nuskhe)।

  • एक कच्चे आलू का छिलका उतार कर इसे पीस लें। इसे प्रभावित त्वचा पर लगा कर आधे घंटे तक सूखने दें। इसके बाद त्वचा को ताजे पानी से धो लें। 
  • बेसन को पानी में मिलाएँ और सनटैन वाली त्वचा पर लेप की तरह लगाएं। 20 मिनट बाद इसे पानी से धो लें। इसमें नींबू का रस और दही भी मिला सकते हैं। 
  • दही त्वचा को ठंडक देता है। यह लाली को कम करता है और त्वचा के छिद्रों को खोलता है। नहाने से पहले रोजाना त्वचा पर दही लगाएं। 
  • एक कटोरी कच्चे दूध में थोड़ी मात्र में दही और नींबू का रस मिलाएँ। इसे त्वचा पर लगा कर सुखाने के लिए छोड़ दें फिर इसे पानी से धो दें। त्वचा चमकने लगेगी। 
  • नींबू प्रकृतिक ब्लीच का काम करता है। आप सिर्फ नींबू के रस में चीनी मिला कर प्रभावित त्वचा पर लगा कर छोड़ें। सूखने के बाद इसे ताजे पानी से धो लें। 
  • औटमील पाउडर और छाछ मिला कर पेस्ट बनाएँ और प्रभावित त्वचा पर लगाएं। पेस्ट को 20 मिनट तक छोड़ें, फिर पानी से धो लें। 
  • एलोवेरा जेल रोज चेहरे पर लगाएं। एक हफ्ते के भीतर ही त्वचा का रंग साफ लगेगा। 
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दूध के साथ आंवला चूर्ण लेने से दूर होता है कब्ज - Benefits of Gooseberry in Hindi

Benefits of Gooseberry in Hindi

आँवला (Gooseberry) एक छोटे आकार और हरे रंग का फल (fruit) है। इसका स्वाद खट्टा (Sour) होता है। आयुर्वेद में इसके अत्यधिक स्वास्थ्यवर्धक माना गया है। आँवला विटामिन 'सी' (Vitamin C) का सर्वोत्तम और प्राकृतिक स्रोत (Natural Source) है। इसमें विद्यमान विटामिन 'सी' नष्ट नहीं होता। यह भारी, रुखा, शीत, अम्ल रस प्रधान, लवण रस छोड़कर शेष पाँचों रस वाला, विपाक में मधुर, रक्तपित्त (blood gall) व प्रमेह (diabetes) को हरने वाला, अत्यधिक धातुवर्द्धक और रसायन है। यह 'विटामिन सी' का सर्वोत्तम भण्डार है। आँवला दाह, पाण्डु, रक्तपित्त, अरुचि, त्रिदोष, दमा, खाँसी, श्वास रोग, कब्ज, क्षय, छाती के रोग, हृदय रोग, मूत्र विकार आदि अनेक रोगों को नष्ट करने की शक्ति रखता है। वीर्य (Semen) को पुष्ट करके पौरुष बढ़ाता है, चर्बी घटाकर मोटापा दूर करता है। सिर के केशों को काले, लम्बे व घने रखता है। विटामिन सी ऐसा नाजुक तत्व होता है जो गर्मी के प्रभाव से नष्ट हो जाता है, लेकिन आँवले में विद्यमान विटामिन सी कभी नष्ट नहीं होता।
आँवले के 100 ग्राम रस में 921 मि.ग्रा. और गूदे में 720 मि.ग्रा. विटामिन सी पाया जाता है। आंवले को आयुर्वेद में अत्यंत स्वास्थ्यवर्धक माना गया है। आज जानते हैं इससे कुछ असरदार घरेलू उपचार।

दूध के साथ आंवला चूर्ण लेने से दूर होता है कब्ज
  • आंवला पाउडर (Anvla powder) और हल्दी पाउडर समान मात्रा में लेकर भोजन के बाद खाने से मधुमेह (Diabetes) में लाभ मिलता है। 
  • हिचकी तथा उल्टी में आंवला रस (Anwla ras), मिश्री के साथ दिन में दो-तीन बार सेवन करने से लाभ होगा। 
  • पीलिया (Jaundice) से परेशान हैं, तो आंवले (Amla) को शहद के साथ चटनी बना कर सुबह-शाम सेवन करें। लाभ होगा। 
  • आंवला (Aamla), रीठा व शिकाकाई के चूर्ण से बाल धोने पर बाल स्वास्थ, लंबे  व चमकदार (Healthy long and shining hair) होते हैं। 
  • स्मरण शक्ति (Memory Power) कमजोर पड़ गयी हो, तो सुबह उठ कर गाय के दूध के साथ दो आंवले का मुरब्बा (Awla ka murabba) खाएं। 
  • एक गिलास ताजा पानी 25 ग्राम सूखे आंवले के बारीक पिसे हुए व 25 ग्राम गुड़ मिला कर 40 दिन तक दिन में 2 बार सेवन करने से गठिया रोग में लाभ मिलता है। 
  • सूखे आंवले का चूर्ण (Aawla ka churn) मुली के रस में मिला कर 40 दिनों तक खाने से पथरी रोग में फायदा होता है। 
  • आंवले के रस में कपूर मिला कर लेप मसूड़ों पर करने से दांत दर्द ठीक हो जाता है और कीड़े भी मर जाते हैं। 
  • रात को सोते समय आंवले का चूर्ण एक गिलास गाय के दूध के साथ सेवन करने से कब्ज (Constipation) दूर होती है। 
  • आंवला रस में घी का छौंक दे कर सेवन करने से ज्वार नष्ट होता है। 
  • आंवले तथा तिल का चूर्ण बराबर भाग में मिला कर घी व मधु के साथ लेने से यौवन बरकरार रहता है। 

फोड़ा एवं बालतोड़ ठीक करने के घरेलू नुस्खे

गर्मी के मौसम में पसीने और गंदगी के कारण त्वचा में मौजूद तेल ग्रंथि जाम हो जाती है। इससे उस स्थान पर फोड़े हो जाते हैं। कुछ आसान उपायों से इनसे छुटकारा पाया जा सकता है।
गर्मी के मौसम में पसीने और गंदगी के कारण त्वचा में मौजूद तेल ग्रंथि जाम हो जाती है। इससे उस स्थान पर फोड़े हो जाते हैं। कुछ आसान उपायों से इनसे छुटकारा पाया जा सकता है।
फोड़ा एवं बालतोड़ ठीक करने के घरेलू नुस्खे
  • नीम के पत्ते को पीस कर इसका पेस्ट तैयार कर लें। इस पेस्ट को त्वचा के संक्रमित हिस्से पर लगाएं। चाहे तो नीम की पत्ती को उबाल कर भी इसका पेस्ट तैयार कर सकते हैं। पेस्ट को कुछ देर के बाद पानी से धो लें। 
  • ब्रेड के एक टुकड़े को गरम दूध या पानी में डूबा लें। अब इस ब्रेड को संक्रमित त्वचा पर लगाएं। इससे जलन कम होगी और जल्द ही फोड़ा भी ठीक हो जाएगा। ऐसा दिन में दो बार करें। 
  • आप रुई को टी ट्री ऑइल में भिगो कर फोड़े पर लगाएं। ऐसा कुछ दिनों तक दिन में पांच-छह बार करें। 
  • गरम दूध के साथ हल्दी मिला कर पीने से फोड़ा ठीक हो जाता है। साथ ही हल्दी और अदरक का पेस्ट बना कर फोड़े पर लगा सकते हैं। कुछ दिन तक ऐसा करने पर फोड़ा ठीक हो जायेगा। 
  • प्याज का एक टुकड़ा लेकर उसे फोड़े पर रखें और कपड़े के एक टुकड़े से ढक दें। इससे फोड़ा ठीक हो जायेगा। 
  • गेंहू के 15 दानों को चबा कर उसके लेप को बालतोड़ वाली जगह पर लगाने से बाल तोड़ जल्द ठीक हो जाता है। 
  • पीपल की छाल को पानी के साथ मिला कर घिस लें और इस पेस्ट को बालतोड़ पर लगाएं। 

भूख बढ़ाने के सरल घरेलू उपाय

आज-कल हमारा लाइफ स्टाइल बहुत बदल गया है। ज़्यादातर लोग भाग-दौड़ की जिन्दगी जी रहे हैं। लोगों के पास अच्छी तरह बैठ कर भोजन करने का समय नहीं है। ज़्यादातर लोग तनाव में जी रहे है जिसका परिणाम यह है की कुछ लोगों को ठीक से भूख नहीं लगती है, जिसके कारण वे समय पर भोजन नहीं करते हैं। भूख की कमी (Bhukh ki Kami) के कारण संतुलित भोजन नहीं ग्रहण करने से कमजोरी आने लगती है।
प्रस्तुत है कुछ घरेलू उपाय जिसे आप अपनी भूख बढ़ाने के (Bhukh badhane ke gharelu upay) लिए अपना सकते हैं:-

रोज सेब खाने से बढ़ती है भूख
  • काला नमक चाटने से गैस दूर होती है और भूख बढ़ती है। यह पेट भी साफ करता है। 
  • हरड़ का चूर्ण, सौंठ और गुड़ के साथ लेने से भी यह समस्या दूर होती है। 
  • सेंधा नमक, हींग, अजवाइन और त्रिफला बराबर भाग में लेकर कूट पीस कर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण के बराबर पुराना गुड़ मिला कर छोटी-छोटी गोलियां बना लें। रोज खाने के बाद एक या दो गोली पानी के साथ लें। 
  • सेब का सेवन रोज करने से भूख बढ़ती है और खून भी साफ होता है। 
  • हरड़ को नीम की निबोलियों के साथ लेने से भूख बढ़ती है और चर्म रोगों का भी नाश होता है।
  • हरड़, गुड़ और सौंठ का चूर्ण बना कर उसे थोड़ी मात्रा में मट्ठे के साथ रोज सेवन करें। 
  • सोंठ का चूर्ण घी में मिला कर चाटने व गरम जल पीने से भूख खूब लगती है। 
  • रोज भोजन करने से पहले छिली हुई अदरक को सेंधा नमक लगा कर खाने से भूख बढ़ती है। 
  • गेंहू के चोकर में सेंधा नमक और अजवाइन मिला कर रोटी बनाएँ और खाएं, आपकी समस्या दूर होगी। 
  • पके टमाटर की फांके चूसते रहने से भूख खुल कर आती है।  

शहद से होनेवाले फायदे एवं इसके घरेलू नुस्खे

शहद (Honey) का प्रयोग कई व्यंजनों में होता है। यह जितना स्वादिष्ट होता है, उतना ही सेहतमंद भी। इसके नियमित सेवन से स्फूर्ति, शक्ति और ऊर्जा मिलती है। यह वजन को नियंत्रित रखता है। Benefits of honey in hindi.

शहद व अदरक के रस से दूर होती है खांसी
  • अदरक के रस में शहद (sahad) मिला कर सेवन करने से खांसी में आराम मिलता है। 
  • गुलाबजल, नींबू और शहद (shahad) मिला कर चेहरे पर लगाएं। झाइयाँ और मुँहासे दूर होंगे। चेहरे पर चमक आएगी।
  • रोज पानी के साथ शहद (saahad) मिला कर पीने से पेट हल्का रहता है। 
  • पके आम के रस के साथ शहद (shaahad) का सेवन करने से पीलिया के बीमारी दूर होती है। 
  • चेहरे की खुश्की दूर करने के लिए शहद, मलाई और बेसन आ उबटन लगाएं। चेहरे पर चमक आती है। 
  • टमाटर या संतरे के रस में एक चम्मच शहद डाल कर प्रतिदिन लेने से कब्ज दूर होता है। 
  • घावों, कटे और जले हुए स्थानों तथा खरोंच पर लगाने से यह घाव जल्दी भरने में मदद करता है। 
  • एक गिलास दूध में बिना चीनी डाले शहद मिला कर रात को पीने से दुबलापन दूर होता है। 
  • प्याज का रस और शहद समान मात्रा में लेकर चाटने से कफ निकलता है तथा पेट के कीड़े नष्ट होते हैं। 
  • सोने के वक्त शहद और नींबू का रस मिला कर एक गिलास पानी के साथ पीने से हृदय की कमजोरी दूर होती है। 
  • पेट का अल्सर शुरुआती अवस्था में हो, तो शहद दूध के साथ लेने से अल्सर ठीक होता है। 

बालों में रूसी (Dandruff- डैंड्रफ) को दूर करने के आसान एवं घरेलू उपाय

बालों में रूसी की समस्या अधिकतर लोगों को होती है। रूसी (Dandruff) होने के कारण सिर में खुजली होना और बालों का झड़ना (Hair loss) भी शुरू हो जाता है। नीचे दिये गये उपायों को अपना कर रूसी से छुटकारा पाया जा सकता है।

नारियल तेल में कपूर मिला कर बाल में लगाने से दूर होगी रूसी
  • रात को बालों की जड़ों में सरसों तेल से मालिश करें। सुबह शिकाकाई को उबाल कर उस पानी से बल धोएँ। 
  • बालों को साफ रखें, हफ्ते में दो बार शैंपू करें और अच्छे तेल से सिर की मालिश भी करनी चाहिए। 
  • बालों की जड़ों में रोजाना ग्लिसरीन और गुलाब जल लगाएँ। इससे लाभ होगा।
  • डैंड्रफ से बचने के लिए जैतून के तेल में अदरक के रस की कुछ बुँदे मिला कर इसे बालों की जड़ों में लगा कर एक घंटे के लिए छोड़ दें और फिर शैंपू से धो दें। 
  • खूब पानी पिये, इससे भी यह समस्या दूर होती है। 
  • हफ्ते में दो बार बालों में दही लगाएँ। इसे आधे घंटे के लिए लगाएं और फिर बालों को धो लें। 
  • नींबू का रस और काली मिर्च पाउडर मिक्स कर बालों की जड़ों में लगाएं। 
  • बालों में नीम तथा काले तिल का तेल मिक्स कर हफ्ते में तीन बार लगाएं। 
  • खाने में हरी पत्तेदार सब्जियां, फलियां गाजर आदि को शामिल करें। 

आँखों के नीचे डार्क सर्कल (Dark Circle) दूर करने के तरीके

आज-कल आँखों (eye) के नीचे काले घेरों (Dark circle) की समस्या आम हो गयी है।  यह कई कारणों से होती है। शरीर में कैल्शियम तथा आयरन की कमी, नींद पूरी न हो पाना आदि इसके प्रमुख कारण हैं। कुछ घरेलू उपाय अपना कर इन्हें दूर किया जा सकता है। 

बादाम-शहद के मसाज से दूर होंगे डार्क सर्कल
  • पैन के पत्ते को बारीक पीस लें। इसमें कुछ बूंदें नारियल तेल मिला कर काले घेरों पर लगाएं। 
  • चाय की पत्ती को रात भर दूध में भिगो कर रखें। इसे दूध में मिक्स करके डार्क सर्कल (Dark circle) पर लगाएं। 
  • 2 बादाम को पीस कर 1 चम्मच शहद में मिलाएँ। इसे काले घेरों पर लगा कर हल्के हाथ से मसाज करें और करीब आधे घंटे बाद चेहरे को धो लें। 
  • डिहाइड्रेशन यानि शरीर में पानी की कमी से भी काले घेरे हो जाते हैं। दिन में 8 से 10 गिलास पानी पीयेँ। साथ ही तनाव भागने के लिए प्राणायाम करें। 
  • खीरे के स्लाइस काट कर आँखों पर 10 मिनट तक रखें। ऐसा करने से थकान दूर हो जाती है और डार्क सर्कल हमेशा के लिए गायब हो जाएंगे। 
  • काले घेरे को हटाने के लिए कच्चे दूध में जौ का आटा व चुटकी भर हल्दी मिला कर गाढ़ा घोल बनाएँ और आँखों (eyes) के आस-पास लगाएं। सूख जाने पर धीरे-धीरे रगड़कर चेहरा धो लें। लगातार कुछ महीने तक करते रहने से काले घेरे पूरी तरह से खत्म हो जायेंगे। 
  • सन ग्लासेज (sun glass) पहनें और 6-8 घंटे की नींद लें।