शीघ्रपतन
बिना सन्तुष्टी के संभोग करते हुए अगर वीर्य स्खलन हो जाये तो उसे शीघ्रपतन कहा जाता है।परिचय :
कारण :
भोजन तथा परहेज :
बरगद के दूध की 20 से 30 बूंदे बतासे या चीनी पर डालकर रोज सवेरे खाने से शीघ्रपतन की शिकायत दूर होती है।
3 ग्राम बरगद के पेड़ की कोपलें, 3 ग्राम गूलर के पेड़ की छाल और 6 ग्राम मिश्री सिल पर पीसकर लुगदी बना लें, इसे खाकर ऊपर से 250 मिलीलीटर दूध पीयें, इसे 40 दिन तक खाने से लाभ मिलता है।
बरगद के कच्चे फलों को छाया में सुखाकर पीसकर रख लें। 10 ग्राम को खुराक के रूप में सुबह-शाम गाय के दूध के साथ लेने से स्वप्नदोष और शीघ्रपतन मिट जाता है।
सूर्योदय से पहले बरगद के पत्ते तोड़कर टपकने वाले दूध को एक बताशे में 3-4 बूंद टपकाकर खा लें। एक बार में ऐसा प्रयोग 2-3 बताशे खाकर पूरा करें। हर हफ्ते 2-2 बूंद की मात्रा बढ़ाते हुए 5-6 हफ्ते तक प्रयोग जारी रखें। इसके नियमित सेवन से शीध्रपतन (वीर्य का जल्दी निकल जाना), बलवीर्य वृद्धि के लिए, वीर्य का पतलापन, स्वप्नदोष, प्रमेह (वीर्य दोष) और खूनी बवासीर आदि सभी रोग ठीक हो जाता है।
कौंच के बीजों की गिरी का चूर्ण और खसखस के बीजों का चूर्ण 4 या 6 ग्राम लेकर चूर्ण को फांट या घोल के रूप में सेवन करने से शीघ्रपतन में लाभ होता है।
कौंच के बीज का चूर्ण, तालमखाना और मिसरी, तीनों बराबर मात्रा में लेकर कूट-पीस कर चूर्ण बनाकर सुबह-शाम 3-3 ग्राम चूर्ण खाकर, ऊपर से दूध पीना शीघ्रपतन में लाभदायक होता है।
कौंच की जड़ लगभग 1 अंगुल लम्बी मुंह में दबाकर सहवास करने से शीघ्रपतन में लाभ होता है।
ब्रह्मदण्डी, बहुफली 50-50 ग्राम कूट छानकर इसमें 100 ग्राम खांड को मिलाकर 10 ग्राम को खुराक के रूप में सुबह पानी के साथ सेवन करें।
ब्रह्मदण्डी, बहुफली, बीजबन्द, पलंग तोड 50-50 ग्राम कूट छान कर इस में 100 ग्राम खांड़ मिलाकर 10-10 ग्राम को दिन में सुबह-शाम दूध या पानी के साथ सेवन करने से शीघ्रपतन के रोगी को लाभ होगा।
ईसबगोल की 5 ग्राम भूसी में मिसरी 3 ग्राम मिलाकर खसखस के शर्बत के साथ 3 सप्ताह तक सेवन करने से शीघ्रपतन की विकृति खत्म होती है।
ईसबगोल, खसखस, बेल का गूदा तथा मिश्री, सब 5-5 ग्राम की मात्रा में लेकर और सबको मिलाकर एक खुराक के रूप में दूध से लें। 15 दिन तक यह दवा लेने से वीर्य ठहरने लगता है।
ईसबगोल, शर्बत, खसखस और मिश्री को बराबर 5-5 ग्राम की मात्रा में लेकर पानी में मिलाकर सेवन करने से शीघ्रपतन होने का रोग दूर हो जाता है।
गोखरू, वंशलोचन, छोटी इलायची और सत्व गिलोय सभी चीजों 30-30 ग्राम मात्रा में लेकर कूट-पीसकर चूर्ण बनाकर रखें। रोज 7-8 ग्राम चूर्ण मक्खन के साथ मिलाकर खाने से शीघ्रपतन की विकृति खत्म होती है।
गोखरू, सूखे आंवले तथा गिलोय के बराबर मात्रा में लेकर कूट-पीसकर कपड़े से छान लें इसमें से आधा चम्मच चूर्ण रोज 2 महीने तक शुद्ध देशी घी तथा मिश्री के साथ इस्तमाल करें।
28. प्याज : प्याज के 10 मिलीलीटर रस में शहद 7-8 ग्राम मिलाकर रोज सुबह चाटने से शीघ्रपतन दूर होता है।