थूक अधिक आना

थूक अधिक आना


          मुंह के अंदर निचले जबड़े में दोनों ओर लार ग्रंथियां (सलीवरी ग्लांड) होती है जिनमें से एक तरह का रस निकलता रहता है और जिसे हम स्वाभाविक रूप से चूसते रहते हैं। आमतौर पर इस रस को लार कहा जाता है। कभी-कभी मुंह में यह लार अधिक बन जाने पर थूक के रूप में बाहर निकल जाती है। कभी-कभी मुंह में छाले होने के कारण या पेट में कीड़े के कारण भी लार अधिक बनती है जिसके कारण बार-बार थूकना पड़ता है।परिचय :

1. सुहागा :
2. खैर (कत्था, खदिर) : खैर (कत्था, खदिर) के फल, दाड़िमपुष्प एवं कचनार की छाल का काढ़ा बनाकर कुल्ला एवं गरारे करें। इससे गले के रोग और अधिक लार आना बंद हो जाता है।
3. शणपुष्पी (सनई, पटसन) : शणपुष्पी के पत्तों का रस आधा से 1 ग्राम की मात्रा में रोजाना सुबह-शाम पीने से अधिक लार का आना कम हो जाता है।
4. मौलसिरी :
5. नागरमोथा (मोथाघास) : नागरमोथा के फल का काढ़ा बनाकर 20 से 40 मिलीलीटर की मात्रा में रोजाना सुबह-शाम सेवन करने से मुंह के छाले कुछ ही समय में दूर हो जाते हैं।
6. इलायची :  इलायची और सुपारी को बराबर मात्रा में पीसकर 1-2 ग्राम की मात्रा में बार-बार चूसते रहने से ज्यादा लार का आना दूर हो जाता है।

मुंह का बिगड़ा स्वाद

मुंह का बिगड़ा स्वाद


1. नींबू :
नींबू को काटकर उसकी एक फांक में 2 चुटकी काला या सेंधानमक और मिर्ची को भर लें। फिर इस नींबू के टुकड़े को धीमी आंच पर सेंककर चूसने से मुंह की कड़वाहट दूर होकर मुंह का स्वाद ठीक हो जाता है तथा पेट की गड़बड़ीबदहजमी की शिकायत दूर हो जाती है।विभिन्न औषधियों से उपचार :

मुंह आना

मुंह आना


          भोजन में तीखे मसाले, घी, तेल, मांस, खटाई आदि अधिक मात्रा में खाने से पेट की पाचनक्रिया खराब हो जाती है जिससे मुंह व जीभ पर छाले पड़ जाते हैं। पेट में कब्ज होने से या गर्म पदार्थ खाने से गर्मी के कारण मुंह में छाले, घाव व दाने निकल आते हैं। ये छाले लाल व सफेद रंग के होते हैं। मुंह में छाले हो जाने पर मुंह में बार-बार लार आता रहता है। कभी-कभी मुंह के छालों से पीब भी निकलने लगती हैं। मुंह को ढकने वाली झिल्ली लाल, फूली और दर्द या जख्म से भरी होती है। इसमें जीभ लाल, फूली हुई और दांत के मसूढ़े फूले हुए होते हैं। तालुमूल में जलन होती रहती है। इस रोग में भोजन चबाने पर छाले व दानों पर लगने से दर्द होता है। पानी पीने व जीभ तालू में लगने से तेज दर्द होता है।परिचय :

          जब पेट के अंदर गर्मी का प्रकोप बढ़ जाता है तो जीभ की ऊपरी परत पर छाले उभर आते हैं। ऐसा उस दशा में होता है जब हम खाद्य पदार्थों का सेवन अधिक करते हैं। गर्म पदार्थों में आलू, चाट, पकौड़े, अदरक, खट्टी मीठी चीजें, अरहर या मसूर की दाल, बाजरे का आटा आते हैं। कभी-कभी शरीर भोजन को ठीक से नहीं पचा पाता है। तब आंतों में अपच का प्रदाह उत्पन्न हो जाता है। यदि हम किसी कारणवश मल-मूत्र को रोके रहते हैं तो तब मल दुबारा पचने लगता है और आंतों में सड़न क्रिया आरम्भ हो जाती है। इन सभी कारणों से जीभ पर छाले पड़ जाते हैं। इन छालों में असहनीय दर्द होता है लगता है जैसे कांटे चुभ रहे हों। मिर्च-मसालेदार चीजें खाने पर इनमें असहनीय दर्द होने लगता है तथा भोजन करना मुश्किल हो जाता है। साधारण भाषा में इसे मुंह का आना कहते हैं। इसके लिए धनिये का मिश्रण बहुत ही लाभकारी इलाज होता है।
          इस रोग मे जीभ, तालु व होठों के भीतर छोटी-छोटी फुंसियां या छाले निकल आते हैं। ये दाने लाल व सफेद रंगों के होते हैं। इस रोग में मुंह में लार बार-बार आती है। मुंह में छाले होने पर मुंह से बदबू आने लगती है, छालों में जलन होती है तथा सुई चुभने की तरह दर्द होता है। मुंह में छाले होने पर भोजन करने में कठिनाई होती है। बच्चों के मुंह में छाले होने पर लाल छाले, जीभ लाल व होठ के भीतरी भाग में लाल-लाल दाने निकल आते हैं।
          दांतों में गंदगी से भी मुंह में छाले पैदा हो जाते हैं अत: दिन में 2 से 3 बार दांत साफ करना जरूरी है। भोजन में लालमरसा का साग खायें। मुंह के छाले होने पर 2 केले रोजाना सुबह दही के साथ खायें। छाले होने पर टमाटर अधिक खाने चाहिए। ठण्डी फल व सब्जियां खायें। पेट की कब्ज खत्म करने के लियें सुबह 1 गिलास पानी शौच जाने से पहले पीने से लाभ होता है।
         भोजन में अधिक तेल, मिर्च, मांस, तेज मसाले व गर्म पदार्थ न खायें। पेट में कब्ज होने पर छाले बनते हैं। पेट में कब्ज को बनाने वाले कोई भी पदार्थ न खाएं। अधिक गरिष्ठ भोजन न करें। चाय, शराब, बीड़ी-सिगरेट या किसी भी नशीली चीज का सेवन न करें।

मसूढ़ों से खून आना




मसूढ़ों से खून आना

          शरीर को नियमित आहार के साथ विटामिन `सी´ न मिलने पर मसूढ़े मुलायम व कमजोर पड़ने लगते हैं जिससे मसूढ़ों से खून, पीब आदि निकलने लगती है। विटामिन `सी´ की अधिक कमी के कारण त्वचा पर काले धब्बे पड़ जाते हैं। मसूढ़ें सूज जाने से दांत कमजोर हो जाते हैं जिससे सांस में बदबू, खड़ा होने पर चक्कर एवं आंखों के सामने अन्धेरा छाना आदि रोग उत्पन्न होने लगते हैं।परिचय :

कारण :

मसूढ़ों की सूजन

मसूढ़ों की सूजन


          मुंह पर चोट लगने से दांत हिलने लगते हैं जिससे मसूढ़ें सूज जाते हैं। अधिक गर्म पदार्थ खाने से भी मसूढ़ें जलकर सूज जाते हैं। मसूढ़ों में सूजन होने पर मसूढ़ें कमजोर हो जाने से दांत हिलने लगते हैं और इलाज न कराने से दांत गिरने लगते हैं।परिचय :

कारण :

लक्षण :

विभिन्न औषधियों से उपचार-
1. व्याघ्रैरण्ड : व्याघ्रैरण्ड के पत्तों के काढ़े से बार-बार कुल्ला करने से मसूढ़ों की सूजन दूर हो जाती है।
2. गुग्गुल : 35 मिलीलीटर पानी में 3.50 मिलीलीटर गुग्गुल घोलकर या 90 प्रतिशत एल्कोहल में 20 प्रतिशित गुग्गुल घोलकर मिश्रण बनाकर उसमें रूई को भिगोकर मसूढ़ों पर मलने से सूजन ठीक हो जाती है।
3. फिटकरी :
4. प्याज : प्याज में नमक मिलाकर खाने से एवं प्याज को पीसकर मसूढ़ों पर दिन में 2 से 3 बार मलने से मसूढ़ों की सूजन खत्म हो जाती है और मसूढ़ें स्वस्थ बन जाते हैं।
5. अतिबला (कंघी) : अतिबला (कंघी) के पत्तों का काढ़ा बनाकर प्रतिदिन 3 से 4 बार रोजाना कुल्ला करने से मसूढ़ों की सूजन व मसूढ़ों का ढीलापन खत्म हो जाता है।
6. सुपारी : मसूढ़ों की सूजन में सुपारी को जलाकर इसके बारीक पॉउडर (मंजन) बनाकर दांतों पर मलने से मसूढ़ों का ढीलापन खत्म हो जाता है।
7. सुहागा : बोल (हीरा बोल) और सुहागा को मिलाकर मसूढ़ों की सूजन पर धीरे-धीरे मलने से सूजन दूर हो जाती है।
8. सुपारी : 1 ग्राम जली सुपारी का चूर्ण, 1 ग्राम फिटकरी, 2 ग्राम सेलखड़ी और 1 ग्राम कत्था को बारीक पीसकर पॉउडर बना लें। इस पॉउडर को मसूढ़ों पर मलने से मसूढ़ों की सूजन व मसूढ़ों के सभी रोग मिट जाते हैं।
9. सोंठ : सोंठ को पीसकर चूर्ण बना लें। इस 3 ग्राम चूर्ण को पानी के साथ प्रतिदिन सुबह-शाम खाने से मसूढ़ों की सूजन में लाभ होता है।
10. सेंधानमक : 1 ग्राम पिसा हुआ सेंधानमक और 1 ग्राम मीठा सोड़ा  को 100 मिलीलीटर पानी में उबालें। इस हल्के गर्म पानी से रोजाना सुबह-शाम कुल्ला करने से मसूढ़ों की सूजन ठीक हो जाती है।
11. कबाबचीनी (शीतलचीनी) : मसूढ़ों की सूजन में 10 ग्राम कबाबचीनी, 10 ग्राम सुहागा और 10 ग्राम माजूफल को कूटकर मंजन बनाकर मसूढ़ों पर मलने से मसूढ़ों की सूजन समाप्त हो जाती है।
12. अदरक : अदरक के रस में नमक मिलाकर रोजाना सुबह-शाम मसूढ़ों पर मलने से मसूढ़ों की सूजन ठीक हो जाती है।
13. हरड़ : हरड़, बहेड़ा व आंवला को 10-10 ग्राम की मात्रा में लेकर मोटा-मोटा कूटकर रख लें। फिर इसको 800 मिलीलीटर पानी में उबालें। इस पानी के उबलने पर 200 मिलीलीटर पानी बच जाने पर 30 से 60 मिलीलीटर पानी से दिन में 2 से 3 बार गरारे करने से मसूढ़ों की सूजन ठीक हो जाती है।
14. खदिरादि : खदिरादि के तेल को मुंह में भरकर थोड़ी देर रखकर कुल्ला करने से मसूढ़ों की सूजन व फोड़े खत्म हो जाते हैं।
15. संग जराहत : संग जराहत, नौसादर एवं फिटकरी को बराबर मात्रा में लेकर बारीक पीसकर पॉउडर बनाकर रोजाना इससे मसूढ़ों पर मलने से मसूढ़ों की सूजन खत्म हो जाती है।
16. इरिमेदादि : इरिमेदादि तेल को दिन में 2 बार मसूढ़ों पर मलने से मसूढ़ों के सभी रोग नष्ट हो जाते हैं।
17. अदरक : मसूढ़े फूल जाने पर तो 3 ग्राम सौंठ को दिन में 1 बार पानी के साथ फांके। इससे दांत का दर्द ठीक हो जाता है। यदि दांत में दर्द सर्दी से हो तो अदरक पर नमक डालकर पीड़ित दांतो के नीचे रखें।
18. कालीमिर्च - मसूढ़ों की सूजन दूर करने के लिए कालीमिर्च के काढ़े से गरारे करने से लाभ होता हैं।
19. नमक : नमक के छोटे-छोटे टुकड़ों को तोड़कर, फूली हुई फिटकरी का पिसे हुए चूर्ण को मिलाकर मसूढ़े पर लगाने से लाभ मिलता है।

मसूढ़ों के रोग

मसूढ़ों के रोग


          अधिक सख्त पदार्थ खाने या किसी अन्य कारण से मसूढ़ें छिल जाते हैं जिससे मसूढ़ों में कई प्रकार के रोग उत्पन्न हो जाते हैं। दांतों पर मैल जमना, अधिक गर्म पदार्थ खाने से मसूढ़ों में घाव पड़ जाना तथा किसी प्रकार का गुटखा आदि पदार्थ खाने से कीड़े लगने से मसूढ़ें कमजोर हो जाते हैं। मसूढ़ों में रोग होने से मसूढ़ें ढीले पड़ जाते हैं और मुंह से बदबू आने लगती है।परिचय :

कारण :

लक्षण :