क्रोध

क्रोध


            जब किसी व्यक्ति को अपनी इच्छा के विरुद्ध काम करना पड़ता है या किसी काम के कारण उसके मन में तनाव पैदा होता है तो वह अपने तनाव को अपनी बोली या व्यवहार के द्वारा प्रकट करता है जिसे क्रोध कहते हैं। क्रोधित व्यक्ति की आवाज भारी होती है और वह चिड़चिड़ापन के साथ बोलता है। क्रोध अधिकतर पित्तदोष, स्नायविक गड़बड़ी और मानसिक तनाव के कारण होता है। सामान्य स्थिति और बातचीत में बराबर क्रोध आना पित्तज क्रोध का लक्षण है। परिचय :

1. छोटी चंदन (सर्पगंधा) : लगभग 1 से 2 ग्राम छोटी चंदन (सर्पगंधा) के चूर्ण को प्रतिदिन रात को सोते समय खाने से धीरे-धीरे क्रोध या चिड़चिड़ापन दूर होता है। इसका उपयोग उच्च रक्तचाप (ब्लड प्रेशर) या अन्य कारणों से उत्पन्न क्रोध शान्त होता है।
2. मिश्री: मिश्री और कालीमिर्च के साथ 10 मिलीलीटर सन (पटुआ) के फूलों का रस पीने से पित्त द्वारा उत्पन्न चिड़चिड़ापन और क्रोध दूर होता है। इसके सेवन से शौच साफ होता है और कब्ज दूर होती है।
3. असगन्ध नागौरी : लगभग 3 से 6 ग्राम असगन्ध नागौरी के चूर्ण को मिश्री और घी में मिलाकर हल्के गर्म दूध के साथ सुबह-शाम खाने से स्नायविक गड़बड़ी समाप्त होती है और क्रोध नष्ट होता है।
4. शहद :
5. पित्तपापड़ा : लगभग 25 से 50 मिलीलीटर पित्त पापड़ा के काढ़े को सुबह-शाम खाने से पित्तवृद्धि (गर्मी) नष्ट होती है और क्रोध शान्त होता है।
6. आंवला : 1-2 आंवले का मुरब्बा प्रतिदिन खाने से जलन, चक्कर के साथ-साथ क्रोध दूर होता है।
7. छुई-मुई: छुई-मुई के पंचांग का काढ़ा बनाकर नहाने से चिड़चिड़ापन और क्रोध शान्त होता है।
8. मुक्तापिष्टी : लगभग आधा ग्राम मुक्तापिष्टी के साथ शहद मिलाकर चटाने से क्रोध शान्त होता है और चिड़चिड़ापन दूर होता है।
9. नींबू : क्रोध के कारण बढ़ी हुई दिल की धड़कन सामान्य करने के लिए लगभग 15 ग्राम नींबू का रस पिलाना चाहिए।