मिर्गी
जिस रोग में रोगी अपने होशों-हवास खो देता है उसे अपस्मार या मिर्गी कहते हैं। इस रोग में रोगी को बेहोशी आ जाती है, हाथ-पैर कांपने लगते हैं, मुंह से झाग निकलने लगता है, शरीर में कड़ापन आ जाता है, और दिमाग में असंतुलनता आ जाती है। मिर्गी के दौरे पड़ने पर रोगी अपनी स्मरण शक्ति थोड़ी देर के लिए खो देता है और उसे किसी भी बात का ज्ञान नहीं रहता है।परिचय :
विभिन्न भाषाओं में नाम :
कारण :
1. नींबू :
मिर्गी के कारण उत्पन्न बेहोशी में लहसुन कूटकर सुंघाने से रोगी होश में आ जाता है।
लहसुन की 10 कली को दूध में उबालकर प्रतिदिन खाने से मिर्गी का रोग ठीक होता है।
लहसुन को तेल में सेंककर प्रतिदिन खाने से मिर्गी के दौरे शान्त होते हैं।
एक ग्राम लहसुन और तीन ग्राम तिल को पीसकर खाने से वायु द्वारा पैदा होने वाले मिर्गी के दौरे ठीक होते हैं।
लहसुन को घी में भूनकर खाने से मिर्गी के दौरे ठीक होते हैं।
10 ग्राम लहसुन और 30 ग्राम काले तिल को मिलाकर प्रतिदिन 21 दिनों तक सेवन करने से मिर्गी का रोग ठीक हो जाता है।
लहसुन और वायविडंग को गर्म दूध के साथ सुबह-शाम लेने से मिर्गी या अपस्मार रोग दूर होता है।
भोजन से पहले लहसुन को पीसकर खाने से मिर्गी के रोग में लाभ मिलता है।
मिर्गी के दौरे पड़ने पर यदि रोगी बेहोश हो गया हो तो उसे लहसुन कूटकर सुंघाने से होश आ जाता है।
लहसुन को पीसकर तिल के तेल में मिलाकर खाने या लहसुन और उडद के बडे़ बनाकर तिल के तेल में तलकर खाने से (अपस्मार) मिर्गी रोग दूर होता है।
बच का चूर्ण आधे से एक ग्राम शहद के साथ सुबह-शाम चटाने से उन्माद और अपस्मार में बहुत लाभ मिलता है। भोजन में केवल चावल और दूध का इस्तेमाल करना चाहिए ।
बच, तगर, सिरस के बीज, मुलहठी, हींग, लहसुन और कड़वा कूठ बराबर मात्रा में लेकर बकरी के मूत्र में बारीक पीसकर आंखों में लगाने से मिर्गी का रोग दूर होता है।
6. कलौंजी : एक कप गर्म पानी में 2 चम्मच शहद, आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर दिन में 3 बार सेवन करने से मिर्गी का रोग ठीक होता है।
7. लता करंज :
9. नागरमोथा : नागरमोथा को उत्तर दिशा की तरफ से पुण्य नक्षत्र में अच्छे दिन में उखाड़कर एक रंग की गाय (जिस गाय के बछड़े न मरते हो) के दूध के साथ पीने से मिर्गी में लाभ मिलता है।
10. कसौंदी : मिर्गी एवं हिस्टीरिया में उत्पन्न बेहोशी में कसौंदी के फूलों को मसलकर रोगी को सुंघाने से बेहोशी दूर होती है। कसौंदी के सूखे फलों का काढा 20-20 मिलीलीटर दिन में 3 बार हिस्टीरिया से ग्रस्त स्त्री को लेने से फायदा होता है।
11. पलास : पलास की जड़ों को पीसकर इसका रस निकाल लें और यह रस 4 से 5 बूंद नाक में डालने से मिर्गी के दौरे बन्द हो जाते हैं।
12. मेंहदी :
14. कालीमिर्च :
पानी में कालीमिर्च पीसकर 3 बूंद नाक के नथुने में डालने से मिर्गी के कारण उत्पन्न बेहोशी दूर होती है।
2 कालीमिर्च और महुआ की आधी गुठली को पानी में पीसकर रोगी की नाक में टपकाने से बेहोशी खत्म होती है।
कालीमिर्च और अगस्ता के पेड़ के पत्तों को गाय के पेशाब के साथ पीसकर रोगी को सुंघाने से मिर्गी के दौरे शान्त होते हैं।
कालीमिर्च, सोंठ और पीपल बराबर मात्रा में लेकर सेंहुड़ के दूध में 20 दिन तक भिगोकर रख दें। इस पानी को रोगी को सुंघाने से मिर्गी रोग के कारण होने वाली बेहोशी दूर होती है।
हरे या सूखे तुलसी के पत्ते मिर्गी के रोगी को सुंघाने से बेहोशी दूर होती है।
तुलसी के पत्तों के रस में चुटकी भर सेंधानमक मिलाकर नाक में टपकाने से मिर्गी के दौरे में लाभ मिलता है।
तुलसी के पत्तों के रस में कपूर मिलाकर रोगी को सुंघाने से बेहोशी दूर होती है।
तुलसी के हरे पत्तों को पीसकर मिर्गी वाले रोगी के सम्पूर्ण शरीर पर मालिश करने से मिर्गी का रोग नष्ट होता है।
लगभग 100 ग्राम अनार के हरे पत्ते 500 मिलीलीटर पानी में उबालें और एक चौथाई पानी रह जाने पर इसे छानकर 60 ग्राम घी और 60 ग्राम चीनी मिलाकर सुबह-शाम रोगी को पिलाएं। इससे मिर्गी का रोग ठीक होता है।
अनार के पत्ते को गुलाब के फूलों के साथ मिलाकर काढ़ा बनाकर 14-28 मिलीलीटर की मात्रा में दिन में 2 बार मिर्गी के रोगी को देने से मिर्गी का रोग ठीक होता है।
18. अरीठा :
आक की जड़ की छाल को बकरी के दूध में पीसकर छानकर मिर्गी के रोगी की नाक में 2-4 बूंदें टपकाने से रोगी होश में आ जाता है।
लगभग 10 बूंद आक का दूध निकालकर सुबह 3 से 5 बजे तक रोगी के पैरों के तलवों पर लगाकर ऊपर से कालीमिर्च का चूर्ण डालने और ऊपर आक के पत्ते बांधकर मोजे पहनने से मिर्गी रोग नष्ट होता है।
आक के ताजे फूल और कालीमिर्च महीन पीसकर आधे-आधे ग्राम की गोलियां बना लें और दिन में 3-4 बार सेवन करें। इससे मिर्गी का रोग नष्ट होता है।
आक के दूध में थोड़ी चीनी या मिश्री मिलाकर एक चौथाई ग्राम की मात्रा में 10 ग्राम गर्म दूध के साथ सेवन करने से मिर्गी के दौरे बन्द होते हैं।
मुलेठी के एक चम्मच महीन चूर्ण को घी में मिलाकर दिन में 3 बार चटाने से लाभ मिलता है।
लगभग 6 ग्राम मुलहठी के चूर्ण को 10 ग्राम पेठे के रस में मिलाकर 3 दिन तक पीने से मिर्गी के दौरे ठीक होते हैं।
लगभग 2 लीटर मुलहठी का काढ़ा, 1 किलोग्राम गाय का घी और लगभग 17 लीटर पेठा का रस मिलाकर थोड़ी सी मात्रा में प्रतिदिन सेवन करने से मिर्गी के दौरे समाप्त होते हैं।
लगभग 4 ग्राम मुलहठी के चूर्ण को सुबह-शाम दूध या घी और शहद के साथ लेने से मिर्गी रोग खत्म होता है।
लगभग 3 लीटर सहजना का रस, एक लीटर नीम का रस, 3 लीटर गाय का पेशाब और एक लीटर तेल को मिलाकर रख लें। इस तेल की मालिश करने और सूंघने से मिर्गी के दौरे दूर होते हैं।
सहजने की छाल और सरसों को पीसकर गाय के पेशाब में मिलाकर शरीर पर लेप करने से मिर्गी का रोग ठीक होता है।
सहजना (मुनगा) की जड़ का चूर्ण लगभग 4-8 ग्राम को सेंधानमक और हींग के साथ पीने से मिर्गी के दौरे पड़ने बन्द हो जाते हैं।
सौंठ, पीपल, मिर्च, कालानमक और भुनी हुई हींग को बारीक पीसकर ग्वारपाठे के रस के साथ पीने से मिर्गी का रोग दूर होता है।
सौंठ, पीपर, पीपलामूल, चव्य, चित्रक, त्रिफला, बायविड़ग, सेंधानमक, अजवायन, धनियां और जीरा बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें और इस चूर्ण को गर्म पानी के साथ 15 दिन तक खाने से मिर्गी रोग ठीक होता है।
25. मूत्र :
ब्राह्मी का रस शहद के साथ मिलाकर खाने से मिर्गी का रोग ठीक होता है।
लगभग 14 से 28 मिलीलीटर ब्राह्मी की जड़ का रस या 3 से 6 ग्राम चूर्ण दिन में 3 बार 100-250 मिलीलीटर दूध के साथ लेने से मिर्गी के दौरे व बेहोशी दूर होती है।
ब्राह्मी, कोहली, शंखपुष्पी, सांठी व तुलसी को पीसकर शहद मिलाकर मिर्गी के रोगी को पिलाने से लाभ होता है।
29. इलायची: इलायची, चोपचीनी, मस्तगी और दालचीनी को पीसकर सुबह-शाम सेवन करने से मिर्गी या अपस्पार में लाभ मिलता है। इस चूर्ण को लेने से पहले चोपचीनी को दूध में उबाल लेना चाहिए।
30. कायफल :
32. भिलावा : 1 से 2 बूंद भिलावे के तेल को तिल के तेल में मिलाकर दूध के साथ प्रतिदिन सेवन करने से अपस्मार या मिर्गी रोग दूर होता है।
33. सुहागा :
लगभग आधे से एक ग्राम जटामांसी के चूर्ण को शहद के साथ सुबह-शाम लेने से मिर्गी के दौरे पड़ने बन्द हो जाते हैं।
लगभग 280 से 560 मिलीलीटर जटामांसी को पीसकर प्रतिदिन 3 बार खाने से मिर्गी रोग दूर होता है।
लगभग 2 से 5 बूंद जटामांसी का तेल सेवन करने से मिर्गी के दौरे बन्द होते हैं।
10 ग्राम जटामांसी का चूर्ण, 15 ग्राम कपूर और 25 ग्राम दालचीनी को मिलाकर भोजन से पहले खाने से मिर्गी के दौरे बन्द होते हैं।
जटामांसी के चूर्ण को मिर्गी के दौरे पड़ने पर रोगी को सुंघाने से बेहोशी दूर होती है।
36. मिर्ची : मिर्ची के बीजों के बारीक चूर्ण को मिर्गी के दौरान नाक में थोड़ी-सी मात्रा में डालने से दौरे शान्त होते हैं।
37. हरीदूब (दूर्वा) : 10-10 मिलीलीटर हरीदूब के रस का सेवन सुबह-शाम करने से मिर्गी रोग दूर होता है।
38. नील : लगभग आधा ग्राम नील को सुबह-शाम मिर्गी के रोगी को देने से लाभ होता है।
39. बान्दा (बांझी) : 10 से 20 मिलीलीटर बान्दा (बांझी) के फूलों के रस को सुबह-शाम रोगी को देने से मिर्गी रोग ठीक होता है।
40. केला : 10 से 20 मिलीलीटर केले के रस का सेवन सुबह-शाम करने से मिर्गी के रोग में बहुत लाभ मिलता है।
41. महानींबू (चकोतरा) : 5 से 10 मिलीलीटर महानींबू के पत्तों का रस सुबह-शाम मिर्गी के रोगी को देने से लाभ होता है।
42. बांझककोड़ा : बांझककोड़ा की जड़ के रस में घी और चीनी मिलाकर मिर्गी के रोगी को सुंघाने से मिर्गी से बेहोश रोगी होश में आ जाता है।
43. धतूरा : धतूरे के पत्तों का रस रोगी को मिर्गी की तीव्रता के अनुसार देने से मिर्गी का रोग दूर होता है।
44. सिरस :
अकरकरा को सिरके में पीसकर शहद के साथ मिलाकर जिस दिन मिर्गी न आए उस दिन रोगी को चटाने से मिर्गी के दौरे पड़ने बन्द होते हैं।
अकरकरा, ब्राह्मी और शंखहूली का काढ़ा बनाकर मिर्गी के रोगी को देने से मिर्गी के दौरे बन्द होते हैं।
15 ग्राम पिसा हुआ अकरकरा और 30 ग्राम बीज निकाला हुआ मुनक्का मिलाकर चने के आकार की गोलियां बनाकर छाया में सुखा लें और सुबह-शाम एक-एक गोली सुंघाने से मिर्गी का रोग ठीक होता है।
अकरकरा को सिरके में पीसकर शहद मिलाकर 5-10 मिलीलीटर की मात्रा में चाटने से अपस्मार का वेग रुकता है।
अकरकरा को बारीक पीसकर थोड़ा-सा शहद मिलाकर रोगी को सुंघाने से मिर्गी के दौरे समाप्त होते हैं।
47. गुलाबजल : गुलाबजल में लगभग आधा ग्राम गोरोचन पीसकर दिन में 3 बार रोगी को पिलाने से मिर्गी के कारण आने वाले दौरे दूर होते हैं।
48. रीठा : रीठा के चूर्ण को सुंघाने से मिर्गी रोग नष्ट होता है।
49. कीकर : कीकर (बबूल) के पेड़ की गोल गांठ को छाया में सुखाकर कूट हुक्का में भरकर धुंआ लेने से मिर्गी हमेशा के लिए खत्म होती है।
50. तगर : लगभग 2 ग्राम तगर को ठंडे पानी में पीसकर एक मास तक प्रतिदिन सुबह पीने से हिस्टीरिया और मिर्गी का रोग दूर होता है।
51. नौसादर :
नौसादर और बिना बुझा हुआ चूना बराबर भाग में लेकर एक शीशी में भरकर रख लें। मिर्गी के दौरे पड़ने पर शीशी में भरे मिश्रण रोगी को तुरन्त सुंघाना चाहिए। इससे रोगी की बेहोशी दूर होती है।
50 ग्राम नौसादर को एक लीटर केले के पत्तों के रस में डालकर रख दें और मिर्गी का दौरा पड़ने पर नाक में इस रस को टपकाने से मिर्गी के दौरे शान्त होते हैं।
53. सर्पगंधा : 10 ग्राम सर्पगंधा को पीसकर एक चौथाई मिलीग्राम की मात्रा में सुबह-शाम मक्खन या मलाई के साथ खाने से मिर्गी का रोग दूर होता है।
54. फिटकरी : लगभग 1-1 ग्राम भुनी हुई फिटकरी को सुबह-शाम गर्म दूध के साथ लेने से मिर्गी के दौरे आना बन्द हो जाते हैं।
55. नकछिकनी : 10 ग्राम नकछिकनी पीसकर मिर्गी का दौरा पड़ने पर रोगी को सुंघाने से रोगी तुरन्त होश में आ जाता है।
56. बंड़ाल डोडा : बंड़ाल डोडा को महीन पीसकर मिर्गी के रोगी को सुंघाने से वह होश में आ जाता है।
57. कद्दू : लगभग 7 से 24 मिलीलीटर कद्दू ताजे रस को 3 ग्राम मुलेठी चूर्ण के साथ दिन में 2 बार जरूर लेना चाहिए।
58. अगस्ता : अगस्ता के पत्तों का चूर्ण और कालीमिर्च का चूर्ण समान भाग में लेकर गोमूत्र के साथ बारीक पीसकर मिर्गी के रोगी को सुंघाने से लाभ होता है।
59. ढाक : ढाक के बीज का तेल सुंघाने और जड़ को पानी में घिसकर 2 से 4 बूंद नाक में डालने से मिर्गी के दौरे में तुंरत लाभ मिलता है।
60. इमली : इन्द्रायण की जड़ के चूर्ण को नस्य दिन में 3 बार लेने से अपस्मार (मिर्गी) रोग दूर होता है।
61. कटेरी :
63. निर्गुण्डी : निर्गुण्डी के पत्तों के 5 से 10 बूंद मिर्गी के दौरे के समय रोगी की नाक में डालने से आराम मिलता है।
64. केवड़ा : केवडे़ के डंठल और केतकी के फूल बराबर मात्रा में लेकर पीसकर सुंघाने से मिर्गी का रोग ठीक होता है।
65. हींग :
लगभग 10 ग्राम शुद्ध हींग कपड़े में बांधकर गले में डाले रहने से मिर्गी के दौरे दूर होते हैं।
भुनी हींग, त्रिकुटा और कालानमक बराबर मात्रा में लेकर पेठे के रस के साथ रोगी को खिलाने से मिर्गी के दौरे दूर होते हैं।
हिस्टीरिया रोगियों को हींग सुंघाने से मिर्गी के दौरे के कारण उत्पन्न बेहोशी दूर होती है।- हींग, सेंधानमक और घी 10-10 ग्राम लेकर 125 मिलीलीटर गोमूत्र में मिलाकर उबालें और पानी जल जाने के बाद केवल घी बचने पर इसे छानकर मिर्गी के रोग से पीड़ित रोगी को सेवन कराएं। इसके प्रतिदिन सेवन से कुछ दिनों में ही मिर्गी के दौरे पड़ने शान्त हो जाते हैं।