कान में कुछ पड़ जाना

कान में कुछ पड़ जाना


           कभी-कभी खेलते हुए या अंजाने में बच्चे अपने कानों के अन्दर पेंसिल, तीली या ऐसी ही कुछ दूसरी चीज डाल देते हैं जिससे उन्हें बहुत अधिक परेशानी होती है। बड़ों के कानों में भी सोते समय कोई कीड़ा या दूसरी कोई चीजें चली जाती हैं। जब तक ऐसी चीजें कान में से निकल नहीं जाती तब तक कान में दर्द होता रहता है।परिचय :

1. नीम : नीम के पत्तों के रस को तिल के तेल में मिलाकर कान में डालने से कान के अन्दर जितने भी कीड़े-मकोड़े होगें वो अन्दर ही मर जायेंगे। इसके बाद कान को किसी रूई से अच्छी तरह साफ कर लें।
2. ग्लिसरीन : रूई की एक लम्बी सी बत्ती बनाकर ग्लिसरीन में भिगोकर बत्ती को कान के अन्दर डालकर धीरे-धीरे से घुमा लें और धीरे से ही निकाल लें। कान के अन्दर अगर छोटे-मोटे कीड़े मकोड़े होंगे तो वे बाहर आ जायेंगे।
3. नमक : पानी में नमक मिलाकर कान में डालने से कान के अन्दर से ज़िन्दा या मरे हुए कीड़े-मकोड़े बाहर आ जाते हैं। इसके बाद कान को रूई से साफ करके पंचगुण तेल की 2-3 बूंदें डालें। इससे लाभ मिलता है।
4. कसौंदी : कसौंदी के पत्तों के रस को कान में डालने से भी कान में घुसा हुआ कीड़ा निकल जाता है।
5. मकोय : मकोय के पत्तों के रस को कान में डालने से कान में घुसा हुआ कीड़ा बाहर निकल आता है।
6. शहद : रूई की एक बत्ती बनाकर शहद में भिगो लें और कान में डालकर धीरे-धीरे से घुमायें। ऐसा करने से कान में जितने भी छोटे-मोटे कीड़े-मकोड़े होंगे वे बत्ती के साथ चिपककर बाहर आ जायेंगे।
7. तिल : अगर नहाते समय कान में पानी चला जाये तो तिल के तेल को कान में डालने से लाभ होता है।
8. अजवायन : अजवायन के पत्तों के रस को कान में डालने से कान में घुसे हुए कीड़े-मकोड़े समाप्त हो जाते हैं।
9. काकजंघा : काकजंघा का रस कान में डालने से कान में घुसे हुए कीड़े बाहर आ जाते हैं।
10. वनतुलसी : वनतुलसी के पत्तों के रस को गुनगुना करके कान में डालने से मवाद की वजह से कान में पैदा हुए कीड़े बाहर आ जाते हैं। इस रस को डालने के साथ-साथ कभी-कभी महामरिच्यादि तेल की 2-3 बूंदें भी रोजाना 3-4 बार कान में डालने से कान का घाव भी भर जाता है।

कान में सूजन और गांठ kaan me gaanth

कान में सूजन और गांठ

कानों में मैल जमना kaan me mail jamna

कानों में मैल जमना


            हमारे शरीर के अन्दर की गंदगी को बाहर निकालने के लिये हमारे शरीर के हर हिस्से में एक जगह होती है। ऐसे ही हमारे कानों में भी मैल जमा हो जाता है जिसे साफ करना बहुत जरूरी होता है। अगर इस मैल को साफ नहीं किया जाये तो यह कान में बहुत बुरी तरह से जम जाती है जिसकी वजह से कानों से सुनाई देना भी कम हो जाता है तथा कानों में दर्द भी होता है।परिचय :

कान में आवाज होना kaan me awaaj hona

कान में आवाज होना


          कानों में कभी-कभी अजीब सी आवाजें सुनाई देती हैं जैसे कि कोई कान में सीटी बजा रहा हो, बांसुरी बजा रहा हो और ऐसी बहुत सी आवाजें जो कि असल में होती नहीं है। ये अक्सर रात को ज्यादा सुनाई देती हैं। इस रोग का सही समय पर उपचार न कराने से व्यक्ति बहरा भी हो सकता है।परिचय :

विभिन्न भाषाओं में नाम :


हिन्दी

कान में सीटी बजना।

अंग्रेजी

टिनिटस।

मराठी

कर्णनाद।

पंजाबी

कन सांय

कन्नड़

किवियाली शब्द।

मलयालम

चैवि उटि्टयादाप्पु।

उड़िया

काना सुहेबा।

तमिल

काड्डुइरसइचाल।

अरबी

कर्णस्वेद।

तेलगू

डिब्बाड़ी।

कान की पुरानी सूजन kaan ki soojan

कान की पुरानी सूजन

          कान में आयी हुई सूजन जब काफी समय तक ठीक नहीं होती है तो कान के आस-पास के तंतु गलने लगते हैं और उनमें मवाद पड़ जाता है। जिसे बार-बार किसी कपड़े से साफ करना पड़ता है।परिचय :

1. अजवायन : अजवायन के काढ़े या अजवायन के चूर्ण को पानी में मिलाकर रोजाना 2 से 3 बार कान को साफ करने से या रोजाना 2 बूंदें 3-4 बार कान में डालने से कानों में आवाज होना बन्द हो जाता है।
2. कमीला : तेल के अन्दर कमीला को मिलाकर 2-3 बूंदें सुबह, दोपहर और रात को सोते समय कान में डालने से कान में से मवाद का बहना कुछ ही समय में बन्द हो जाता है।
3. कायफल : कायफल को पकाकर बनाये हुए तेल को रोजाना 3-4 बार 2-3 बूंदें कान में डालने से मवाद का बहना ठीक हो जाता है।
4. कुटकी : खुरासानी कुटकी के काढ़े से रोजाना 2-3 बार कान को धोने से कान का दर्द दूर होता है और कान में आराम मिलता है।
5. सुहागा : लगभग 3 प्रतिशत सुहागे के घोल को कान में बूंद-बूंद करके हर 2-3 घंटे के बाद कान में डालने से लाभ होता है।
6. तुम्बरू : लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से लगभग आधा ग्राम तुम्बरू (तेजफल) का चूर्ण सुबह-शाम खाने से या इसके फल के काढ़े से रोजाना 2-3 बार कान को धोने से कान की पुरानी सूजन ठीक हो जाती है।
7. डिकामाली : डिकामाली (नाड़ी हिंगु) को गर्म पानी में मिलाकर और छानकर रोजाना 3-4 बार इसकी 2-3 बूंदें कान में डालने से कान की सूजन दूर हो जाती है।

कान की नयी सूजन kaan ki soojan

कान की नयी सूजन


           कान में तेज जलन की वजह से कान में सूजन पैदा हो जाती है। यह जलन वाली सूजन कान के बीच के हिस्से में होती है जिसमें काफी दर्द होता है।परिचय :

1. सिनुआर : 10 से 20 मिलीलीटर सिनुआर के पत्तों के रस को सुबह और शाम पीने से कान की नयी सूजन खत्म हो जाती है।
2. नागदन्ती : लगभग 3 से 6 ग्राम की मात्रा में नागदन्ती की मूलत्वक (जड़ का काढ़ा) सुबह और शाम सिनुआर के पत्तों के रस और करंज के साथ मिलाकर पीने से लाभ मिलता है।
3. नीम : नीम, सिनुआर, करंज और धतूरे के पत्तों को पीसकर गर्म-गर्म ही नयी सूजन पर बांधने से सूजन में लाभ मिलता है।
4. कायफल : कायफल को किसी पत्थर पर पीसकर लेप करने से कान का दर्द और सूजन दोनों समाप्त हो जाते हैं।
5. हुरहुर : पीले फूलों वाली हुरहुर के पत्तों को पीसकर कान की सूजन पर बांधने से सूजन जल्दी ठीक हो जाती है।
6. चनसूर : चनसूर को नींबू के रस के साथ पीसकर और कपड़े में छानकर निकाले हुए रस की 2-3 बूंदें रोजाना हर 3-4 घंटे के बाद कान में डालने से कान की सूजन मिट जाती है या इसके लेप को कान की सूजन पर चारों तरफ लगाने से भी लाभ होता है। चनसूर अन्दर की सूजन और दर्द को मिटाने में बहुत ही लाभकारी है।
7. मैनफल : मैनफल के पेड़ की छाल को पीसकर लगाने से कान का दर्द और सूजन दोनों समाप्त हो जाते हैं।
8. विजयसार : कान की सूजन पर विजयसार के पत्तों को पीसकर लगाने से लाभ मिलता है।
9. मकोय : 10 से 20 मिलीलीटर मकोय की डालियों और पत्तों के रस को शहद के साथ मिलाकर सुबह-शाम खाने या इसके पत्तों की सब्जी बनाकर खाने से आराम मिलता है। इसके रस को कान पर आई हुई सूजन पर लगाने से कान की सूजन कम हो जाती है।
10. प्याज : अलसी को प्याज के रस में पकाकर छान लें, इस की 4-8 बूंद कान में डालने से कान के अन्दर की सूजन समाप्त हो जाती है।

कान की खुजली kaan ki khujli

कान के रोग kaan ke rog

कान के रोग


          नहाते समय कान में पानी जाने की वजह से, चोट लग जाने के कारण, कानों में बहुत तेज आवाजें होने की वजह से, कानों के अन्दर ज्यादा मैल जमने की वजह से, कानों को किसी चीज से खुजलाने से, कानों में फुंसी होने की वजह से, ठड़ लग जाने के कारण, कान में कीड़ा घुस जाने के कारण कान से सम्बंधित कई प्रकार के रोग हो जाते हैं।परिचय :

विभिन्न भाषाओं मे नाम :


हिन्दी

कान के रोग

अंग्रेजी

ईयर डिसीज

पंजाबी

कन्न दे रोग

मराठी

कान चे रोग

बंगाली

कर्नरोग

मलयालम

चेविरोगम्

कन्नड़

किविया रोग

तमिल

चेविनाय कठुवालि

अरबी

कानावारोग।

तेलगू

चेविरोगामुलु

कान के कीड़े kaan ke kide

कान के कीड़े


1. हुरहुर :
हुरहुर के रस को कान में डालने से कान के कीड़े खत्म हो जाते हैं।
 चिकित्सा :

3. सोंठ : छोटी पीपल, सोंठ और काली मिर्च का चूर्ण बनाकर कान में डालने से कान के सारे कीड़े समाप्त हो जाते हैं। 

6. पुदीना : कान के अन्दर अगर बहुत ही बारीक कीड़ा चला जाये तो कान में पुदीने का रस डालने से कान के अन्दर का कीड़ा समाप्त हो जाता है।
7. भांग : भांग के रस को कान में डालने से कान के कीड़े खत्म हो जाते हैं।
8. ग्वारपाठा : गर्मी के कारण कान में कीड़े पड़ गये हों तो एलुवा को पानी में पीसकर कान में 2-2 बूंद डालने से कान के कीडे़ मर जाते हैं।
9. सरसों : अगर कान में कीड़ा चला गया हो तो सरसों के तेल को गर्म करके कान में डालने से कीड़ा बाहर आ जाता है। इसके अलावा कान का दर्द, कान में आवाज और बहरेपन में भी लाभ होता है।
10 पानी : गर्म पानी में थोड़ा-सा नमक मिलाकर कान में डालें। फिर कान उल्टा कर दें। कीड़ा मरकर बाहर निकल जाएगा। 

कान के बाहर की फुंसियां

कान के बाहर की फुंसियां


           कान के बाहर के हिस्से की तरफ छोटी सी सूजन वाली गांठें पैदा हो जाती हैं उन्हें ही कान के बाहर की फुंसियां कहते हैं।परिचय :

कनफेड kanfoda


          कनफेड में कान के पीछे के हिस्से में एक गोल आकार की सूजन वाली गांठ पैदा हो जाती है।परिचय :

लक्षण :


हिन्दी

कनफेड।

अरबी

सियालगाल, जदुमणि।

कन्नड़

गटलम्भ।

मराठी

पाषाण गर्दभ,गलफुग।

तमिल

पोठालम्मइ।

अंग्रेजी

मम्पस,पैरोटाइटिस।

गुजराती

गालपा चार।

मलयालम

मुण्डी विक्कम्।

उड़िया

गलुआ, कनपेड़े।

तेलगू

गरदबिल्ललु।

कान का दर्द kaan ka dard

कान का दर्द

         कान में फुंसी निकलने, सर्दी लग जाने या फिर कान में किसी तरह की चोट लग जाने की वजह से कान में दर्द होने लगता है। कान में ज्यादा दर्द होने की वजह से रोगी को रात भर नींद नहीं आती और वह हर समय तड़पता ही रहता है। जब बच्चे के कान में दर्द होता है तो वह बार-बार जोर-जोर से रोता रहता है क्योंकि वह कह तो सकता नहीं है कि उसके कान में दर्द हो रहा है। कान का दर्द किसी को भी हो सकता है।परिचय :

विभिन्न भाषाओं में नाम :


हिन्दी

कान का दर्द।

अंग्रेजी

ईयरेक।

पंजाबी

कन्न पीड़ा।

तमिल

काडुवालि।

बंगाली

कर्नशूल।

कन्नड

किविनावु।

उड़िया

कानटानाकिबा।

मलयालम

चेवि वेदना।

अरबी

कानरा विष।

गुजराती

कानदुखावो।

तेलगू

चेविपोटु।

कारण :

         कान में दर्द होने के वैसे तो बहुत से कारण हो सकते हैं पर सबसे प्रमुख कान में दर्द होने का कारण सर्दी के मौसम में जब हम बस या गाड़ी में सफर करते हैं तो हवा बड़ी तेज लगती है और वही तेज और ठंड़ी हवा कान में घुस जाने की वजह से कान में दर्द होता है। नहाते समय भी अगर पानी कान में चला जाता है तो भी कान में दर्द होने लगता है। बच्चे को दूध पिलाते समय अगर मां का दूध बच्चे के कान में चला जाये या फिर बच्चे को नहलाते समय कान में पानी चला जाये तो बच्चे के कान में दर्द होने लगता है। कई अनुभवियों के मुताबिक कान में दर्द वात (गैस), पित्त, या कफ (बलगम) के रोग के कारण भी हो सकता है। किसी बच्चे के दूध पीने पर पेट में गैस बन सकती है जिसकी वजह से भी कान में दर्द हो सकता है। जब किसी को 2-3 दिन तक लगातार जुकाम लगा रहता है तो भी कान में दर्द हो सकता है। कान पर किसी तरह की चोट लग जाने की वजह से खून निकलने पर भी कान में दर्द होने लगता है।
भोजन और परहेज :