बहरापन, कान से कम सुनाई देना
कारण-
लक्षण-
भोजन और परहेज-
सावधानी-
1. गुड़ : 10 ग्राम पानी में 2 ग्राम गुड़ और 2 ग्राम शुंठी के चूर्ण को अच्छी तरह मिलाकर कान में बूंद-बूंद करके डालने से बहरापन कम हो जाता है।
2. सौंफ : 5 ग्राम सौंफ को 250 मिलीलीटर पानी में उबाल लें। जब उबलने पर पानी करीब चौथाई हिस्सा बाकी रह जाये तो इसे 10 ग्राम घी और 200 मिलीलीटर गाय के दूध में मिलाकर पीने से बहरेपन का रोग कुछ समय में समाप्त होने लगता है।
3. बेल :
4. काकजंघा :
5. धतूरा :
6. बाकुची : सफेद मूसली और बाकुची को बराबर मात्रा में लेकर पीसकर चूर्ण बना लें। इस 3 ग्राम चूर्ण को दूध के साथ सुबह और शाम खाने से बहरापन ठीक हो जाता है।
7. जैतून : 10 मिलीलीटर जैतून के पत्तों के रस में 10 ग्राम शहद में मिलाकर गुनगुना करके कान में डालने से कुछ ही महीनों में बहरापन ठीक हो जाता है।
8. दालचीनी :
9. जबाद कस्तूरी : जबाद कस्तूरी को बादाम के तेल के साथ पीसकर कान में डालने से धीरे-धीरे बहरापन दूर हो जाता है और सुनने की शक्ति बढ़ती है।
10. बादाम :
11. मूली :मूली का रस निकालकर इसमें इसका चौथाई हिस्सा तिल के तेल में मिलाकर आग पर पकाने के लिये रख दें। जब पकने पर बस तेल बाकी रह जायें तो इस तेल को आग पर से उतारकर छान लें। इस तेल को दिन में 2 बार 3 से 4 बूंद कान में डालने से बहरापन दूर हो जाता है।
12. बादाम रो50 मिलील गन : ीटर बादाम रोगन (बदाम का तेल) के अन्दर 10 मिलीलीटर तारपीन का तेल मिला लें। 40 दिन तक लगातार रात को इस तेल में रूई को भिगोकर कान में लगाने से बहरापन ठीक हो जाता है।
13. केसर : 3-3 ग्राम गुलाबी फिटकरी, केसर और एलुवा को पीसकर तुलसी के 50 ग्राम रस में मिलाकर 3-4 बूंदे कान में डालें। ऐसा कुछ दिन तक लगातार करने से कुछ ही दिनों में बहरापन दूर हो जाता है।
14. बांस : बांस के फूल के रस की 2-3 बूंदे रोजाना 3-4 बार कान में डालने से बहरेपन के रोग में धीरे-धीरे लाभ मिलने लगता है।
15. तिल : 20 मिलीलीटर काले तिल के तेल में 40 ग्राम लहसुन को पीसकर जलाकर तेल बना लें। फिर इस तेल को छानकर रोजाना 2-3 बार कान में डालने से लाभ मिलता है।
16. अजवायन : अजवायन से बने तेल को रोजाना कान में डालने से बहरापन दूर हो जाता है।
17. तुलसी : तुलसी के पत्तों के रस को हल्का सा गर्म करके बूंद-बूंद करके कान में डालने से सुनने की शक्ति तेज होती है और बहरापन ठीक हो जाता है।
18. शोधित कुचले : लगभग 0.6 ग्राम से 0.24 ग्राम तक शोधित कुचले का चूर्ण कान के रोगी को सुबह और शाम खिलाने से आराम आ जाता है।
19. बेलपत्र : बेलपत्र को गाय के पेशाब के साथ पीसकर बकरी के दूध में मिलाकर आग पर पकाकर तेल बना लें। इस तेल को कान में बूंद-बूंद करके डालने से बहरापन ठीक हो जाता है।
20. सरसों :
21. ओंगा : 50 ग्राम ओंगा की छाल और 50 ग्राम मैंसिल को पीसकर छान लें। इसमें से 5 ग्राम चूर्ण शहद के साथ खाने से बहरेपन में लाभ होता है।
22. राई : राई के तेल को गर्म करके इसकी 2-2 बूंदें कान में डालने से कितना भी पुराना बहरापन हो वह ठीक हो जाता है।
23. फिटकरी :5 ग्राम फिटकरी, 3 ग्राम नौसादर और 100 ग्राम कलमी शोरा को 100 ग्राम सरसों के तेल में डालकर पका लें। फिर इसे छानकर किसी शीशी में भरकर शीशी का मुंह बन्द करके रख दें। इस तेल की 2-3 बूंदें कान में डालने से बहरापन ठीक हो जाता है।
24. सुरमा : सुरमा, बावची, कलिहारी और बर्क पक्षी के मांस को तिल्ली के तेल में डालकर हल्की आग पर पकाने के लिये रख दें। जब पकते हुये सारी चीजें जलकर बस तेल बच जाये तो इसे कान में बूंद-बूंद करके कान में डालने से बहरापन ठीक हो जाता है।
25. इन्द्रायण :
26. हुरहुर : पीले फूलों वाली हुरहुर के पत्तों के रस को तेल में मिलाकर कानों में डालने से बहरापन दूर हो जाता है।
27. दशमूल : दशमूल काढ़े को तेल में पकाकर ठंडा कर लें। फिर इस तेल को चम्मच में लेकर गुनगुना करके 2-2 बूंद करके दोनों कानों में डालने से बहरापन दूर हो जाता है।
28. दूब : धोली दूब (घास) को घी में डालकर आग पर पकाकर जला लें। फिर इसे आग पर से उतारकर ठंडा कर लें। इस तेल को चम्मच में हल्का सा गर्म करके 2-2 बूंदे दोनों कानों में डालने से बहरापन ठीक हो जाता है।
29. अरण्ड :असगंध, दूध, अरण्ड की जड़, शतावर और काले तिल के तेल को बराबर मात्रा में लेकर 200 मिलीलीटर सरसों के तेल में डालकर पका लें। इस तेल को कान में डालने से कान के सारे रोग ठीक हो जाते हैं।
मिश्री : मिश्री और लाल इलायची को लेकर बारीक पीस लें। फिर इस चूर्ण को सरसों के तेल में डालकर 2 घंटों तक रहने दें। 2 घंटे के बाद इस तेल को छानकर एक शीशी में भर लें। इस तेल की 3-4 बूंदे रोजाना सुबह और शाम कान में डालने से बहरापन ठीक हो जाता है।
30. हींग :
31. आंवला : 1-1 चम्मच आंवले के पत्तों का रस, जामुन के पत्तों का रस और महुए के पत्तों के रस को 100 मिलीलीटर सरसों के तेल में मिलाकर पकाने के लिये रख दें। पकने के बाद जब बस तेल ही बाकी रह जाये तो उस तेल को शीशी में भरकर रख लें। इस तेल की 2-3 बूंदें रोजाना कान में डालने से बहरापन ठीक हो जाता है।
32. लहसुन :
33. आक :
34. प्याज :
35. अनार : आधा लीटर अनार के पत्तों का रस, आधा लीटर बेल के पत्तों का रस और 1 किलो देसी घी को एक साथ मिलाकर आग पर पकाने के लिये रख दें। पकने के बाद जब केवल घी ही बाकी रह जाये तो इसमें से 2 चम्मच घी रोजाना दूध के साथ रोगी को खिलाने से उसका यह रोग ठीक हो जाता है।
36. अदरक :
37. अपामार्ग : अपामार्ग की साफ धोई हुई जड़ का रस निकालकर उसमें बराबर मात्रा में तिल मिलाकर आग में पका लें। जब तेल मात्र शेष रह जाये तब इसे छानकर शीशी में भर दें। इस तेल की 2-3 बूंद गरम करके हर रोज कान में डालने से कान का बहरापन दूर होता है।
38. जीरा : थोड़े से जीरे को दूध के साथ फांकने से कम सुनाई देने का रोग दूर हो जाता है।
39. हरड़ : आधी कच्ची जोगी हरड़ के चूर्ण को सुबह और शाम फांकने से बहरापन दूर हो जाता है।
40. ऊंट का पेशाब : ऊंट के पेशाब को कान में डालने से बहरेपन का रोग ठीक हो जाता है।
41. तसतूंबे : तसतूंबे के पके हुए फल या उसके छिलके को तेल में उबालकर कान में डालने से बहरापन ठीक हो जाता है।
42. करेला :
43. सेंधानमक : सेंधानमक को गाय के पेशाब में मिलाकर कान में डालने से सिर्फ 7 दिनों में ही बहरापन ठीक हो जाता है।
44. पेशाब : बड़ी बछिया (गाय का बड़ा बच्चा) का 1.5 लीटर पेशाब लेकर कढ़ाही में डालकर पकाने के लिये रख दें। जब यह सिर्फ लगभग 150 मिलीलीटर बाकी रह जाये तो इसे छानकर शीशी में भरकर रख लें। इसको रोजाना 1-1 बूंद करके कान में डालने से बहरेपन में लाभ मिलता है।
45. नौसादर : 300 मिलीलीटर सरसों के तेल में 20 ग्राम नौसादर, 120 ग्राम कलमी शोरा और 30 ग्राम सफेद फिटकरी की राख को मिलाकर पका लें। फिर इसे छानकर रख लें। इसमें से 1-1 बूंद कान में डालने से बहरेपन में लाभ मिलता है।
46. शंख : शंख के अन्दर पानी भरकर रातभर के लिये रखा रहने दें और सुबह उठते ही इसके पानी को पी लें। शंख बजने की आवाजें सुने इससे लाभ मिलता है।
47. समुद्रफल : समुद्रफल को घी में मिलाकर खाने से बहरापन ठीक हो जाता है।
सुनाई देना कम हो जाना या बिल्कुल भी सुनाई न देना ही बहरापन कहलाता है। यह रोग किसी प्रकार की गम्भीर बीमारी के हो जाने के बाद, चोट लगने के कारण या किसी औषधि के दुष्प्रभाव के कारण अधिकतर होता है।परिचय :
विभिन्न भाषाओं में नाम -हिन्दी |
बहरापन |
अंग्रेजी |
डीफनैंस |
अरबी |
काला, धूमकाला |
गुजराती |
बेरापणु |
उड़िया |
काला रोग |
बंगाली |
बाधिर |
मराठी |
भिरेपण |
पंजाबी |
बोलापण |
कन्नड़ |
किवुडु |
तमिल |
चेवुडु। |
मलयालम |
पोट्टन |
लक्षण-
भोजन और परहेज-
कान में तिल्ली या कुछ और चीज डालकर कान को खुजलाना नहीं चाहिए।
सुबह उठने के बाद पानी में नींबू निचोड़कर पीना चाहिए इससे लाभ मिलता है।
धूप में ज्यादा देर तक काम नहीं करना चाहिए।
सिर में तिल्ली का तेल या ब्राही आंवला का तेल लगाना चाहिए।
भोजन में गर्म मसालों का प्रयोग न करें।
सुबह जल्दी उठकर ताजी हवा में सैर करने के लिए जाना चाहिए।
स्नान करते समय ध्यान रखना चाहिए कि साबुन या पानी कान में न जा पाए क्योंकि इससे भी बहरापन हो सकता है।
कान में तेल भी नहीं जाना चाहिए क्योंकि कान में जो सुनने के पर्दे होते हैं वे बहुत ही नाजुक होते हैं और कान में कुछ जाने की वजह से उनके खराब होने की आशंका ज्यादा रहती है।
जिस नदी या तालाब में जानवर नहाते हों उसके अन्दर छोटे बच्चों को या बड़ों को नहाना नहीं चाहिए।
टी.वी या गानों को तेज आवाज में नहीं सुनना चाहिए क्योंकि इससे कानों की नसों पर असर पड़ता है। कानों की नसें खराब होने पर यह रोग ठीक होना मुश्किल हो जाता है।
कानों में किसी भी तरह के रोग होने पर इलाज में देरी ना करें, क्योंकि वक्त पर इलाज होने से यह रोग बिल्कुल खत्म हो सकता है।
कानों को नुकसान पहुंचाने वाली चीजों से बचना चाहिए।
2. सौंफ : 5 ग्राम सौंफ को 250 मिलीलीटर पानी में उबाल लें। जब उबलने पर पानी करीब चौथाई हिस्सा बाकी रह जाये तो इसे 10 ग्राम घी और 200 मिलीलीटर गाय के दूध में मिलाकर पीने से बहरेपन का रोग कुछ समय में समाप्त होने लगता है।
3. बेल :
बेल के पत्तों का तेल, काली मिर्च, सोंठ, पीपल, पीपलामूल, कूट, बेल की जड़ का रस और गाय के पेशाब को बराबर मात्रा में लेकर हल्की आग पर पकाने के लिये रख दें। फिर इसे छानकर किसी शीशी में भर लें। इस तेल को `बधिरता हर तेल´ कहते हैं। इस तेल को कान में डालने से कान के सभी रोग दूर हो जाते हैं।
बेल के पके हुये बीजों का तेल निकालकर बूंद-बूंद करके कान में डालने से बहरापन समाप्त हो जाता है।
बेल के कोमल पत्ते स्वस्थ्य गाय के पेशाब में पीसकर 4 गुना तिल के तेल और 16 गुना बकरी का दूध मिलाकर धीमी आग में पकाएं। इसके बाद इसे ठंड़ा करके लें। इस तेल को रोजाना कानों में डालने से बहरापन, सनसनाहट (कर्णनाद), कानों की खुश्की और खुजली दूर हो जाती है।
7. जैतून : 10 मिलीलीटर जैतून के पत्तों के रस में 10 ग्राम शहद में मिलाकर गुनगुना करके कान में डालने से कुछ ही महीनों में बहरापन ठीक हो जाता है।
8. दालचीनी :
10. बादाम :
12. बादाम रो50 मिलील गन : ीटर बादाम रोगन (बदाम का तेल) के अन्दर 10 मिलीलीटर तारपीन का तेल मिला लें। 40 दिन तक लगातार रात को इस तेल में रूई को भिगोकर कान में लगाने से बहरापन ठीक हो जाता है।
13. केसर : 3-3 ग्राम गुलाबी फिटकरी, केसर और एलुवा को पीसकर तुलसी के 50 ग्राम रस में मिलाकर 3-4 बूंदे कान में डालें। ऐसा कुछ दिन तक लगातार करने से कुछ ही दिनों में बहरापन दूर हो जाता है।
14. बांस : बांस के फूल के रस की 2-3 बूंदे रोजाना 3-4 बार कान में डालने से बहरेपन के रोग में धीरे-धीरे लाभ मिलने लगता है।
15. तिल : 20 मिलीलीटर काले तिल के तेल में 40 ग्राम लहसुन को पीसकर जलाकर तेल बना लें। फिर इस तेल को छानकर रोजाना 2-3 बार कान में डालने से लाभ मिलता है।
16. अजवायन : अजवायन से बने तेल को रोजाना कान में डालने से बहरापन दूर हो जाता है।
17. तुलसी : तुलसी के पत्तों के रस को हल्का सा गर्म करके बूंद-बूंद करके कान में डालने से सुनने की शक्ति तेज होती है और बहरापन ठीक हो जाता है।
18. शोधित कुचले : लगभग 0.6 ग्राम से 0.24 ग्राम तक शोधित कुचले का चूर्ण कान के रोगी को सुबह और शाम खिलाने से आराम आ जाता है।
19. बेलपत्र : बेलपत्र को गाय के पेशाब के साथ पीसकर बकरी के दूध में मिलाकर आग पर पकाकर तेल बना लें। इस तेल को कान में बूंद-बूंद करके डालने से बहरापन ठीक हो जाता है।
20. सरसों :
सरसों के तेल को गर्म करके कान में डालने से बहरापन दूर हो जाता है।
सरसों के तेल में धनिये के थोड़े से दाने डालकर पका लें। फिर इस तेल को छानकर रोजाना कान में डालने से बहरापन दूर हो जाता है।
10 मिलीलीटर सरसों के तेल में 5 लौंग डालकर आग पर उबालने के लिये रख दें। उबलने के बाद इस तेल को छानकर 1-1 बूंद करके कान में डालने से बहरापन ठीक हो जाता है।
22. राई : राई के तेल को गर्म करके इसकी 2-2 बूंदें कान में डालने से कितना भी पुराना बहरापन हो वह ठीक हो जाता है।
23. फिटकरी :5 ग्राम फिटकरी, 3 ग्राम नौसादर और 100 ग्राम कलमी शोरा को 100 ग्राम सरसों के तेल में डालकर पका लें। फिर इसे छानकर किसी शीशी में भरकर शीशी का मुंह बन्द करके रख दें। इस तेल की 2-3 बूंदें कान में डालने से बहरापन ठीक हो जाता है।
24. सुरमा : सुरमा, बावची, कलिहारी और बर्क पक्षी के मांस को तिल्ली के तेल में डालकर हल्की आग पर पकाने के लिये रख दें। जब पकते हुये सारी चीजें जलकर बस तेल बच जाये तो इसे कान में बूंद-बूंद करके कान में डालने से बहरापन ठीक हो जाता है।
25. इन्द्रायण :
27. दशमूल : दशमूल काढ़े को तेल में पकाकर ठंडा कर लें। फिर इस तेल को चम्मच में लेकर गुनगुना करके 2-2 बूंद करके दोनों कानों में डालने से बहरापन दूर हो जाता है।
28. दूब : धोली दूब (घास) को घी में डालकर आग पर पकाकर जला लें। फिर इसे आग पर से उतारकर ठंडा कर लें। इस तेल को चम्मच में हल्का सा गर्म करके 2-2 बूंदे दोनों कानों में डालने से बहरापन ठीक हो जाता है।
29. अरण्ड :असगंध, दूध, अरण्ड की जड़, शतावर और काले तिल के तेल को बराबर मात्रा में लेकर 200 मिलीलीटर सरसों के तेल में डालकर पका लें। इस तेल को कान में डालने से कान के सारे रोग ठीक हो जाते हैं।
मिश्री : मिश्री और लाल इलायची को लेकर बारीक पीस लें। फिर इस चूर्ण को सरसों के तेल में डालकर 2 घंटों तक रहने दें। 2 घंटे के बाद इस तेल को छानकर एक शीशी में भर लें। इस तेल की 3-4 बूंदे रोजाना सुबह और शाम कान में डालने से बहरापन ठीक हो जाता है।
30. हींग :
असली हींग को स्त्री के दूध में मिलाकर बूंद-बूंद करके बच्चे के कान में डालने से बहरेपन में लाभ होता है।
हीरा हींग को गाय के दूध के साथ पीसकर कान में डालने से कान के रोग ठीक हो जाते हैं।
हींग, दारुहल्दी, बच, कूट, सौंफ, सोंठ और सेंधानमक को बराबर मात्रा में लेकर बारीक पीस लें। फिर इन सबको बकरे के पेशाब में मिलाकर तेल में पकाने के लिये आग पर रख दें। जब पकते हुये बस तेल ही बाकी रह जाये तो इस तेल को आग पर से उतारकर छान लें। इस तेल में से 3-4 बूंद कान में डालने से बहरापन ठीक हो जाता है।
32. लहसुन :
1 चम्मच वरना का रस, 1 चम्मच लहसुन का रस और 1 चम्मच अदरक के रस को लेकर हल्का सा गर्म करके कान में डालने से कान के सभी रोग दूर हो जाते हैं।
लहसुन के रस को हल्का-सा गर्म करके या लहसुन से बने तेल की 2 बूंदें रोजाना 3-4 बार कान में डालने से बहरापन दूर हो जाता है।
लहसुन की 8 कलियों को लगभग 60 मिलीलीटर तिल के तेल में डालकर पका लें। फिर इस तेल की 2 बूंदें कान में डालने से थोड़े ही दिनों के अन्दर बहरेपन से छुटकारा हो जाता है।
20 ग्राम आक (मदार) के सूखे पत्तों को लेकर उनके ऊपर गाय के पेशाब के छींटे मार दें। इसके बाद इन पत्तों को पीसकर चटनी बना लें। इस चटनी को थोड़े से सरसों के तेल में भून लें। फिर इस तेल को छानकर किसी साफ शीशी में भर लें। इस तेल की 2-2 बूंदे रोजाना दोनों कानों में डालने से बहरेपन में आराम मिलता है।
आक (मदार) के पत्तों पर घी लगाकर आग में गर्म करके उसका रस निचोड़ लें। इस रस को हल्का सा गर्म करके रोजाना कान में डालने से कान के रोग ठीक हो जाते हैं।
36. अदरक :
1 चम्मच अदरक का रस, चुटकीभर सेंधानमक और 1 चम्मच शहद को एक साथ लेकर गर्म कर लें। फिर इसे ठंडा करके रोजाना कान में डालने से कानों का दर्द, बहरापन और कान के अन्दर की फुंसियां ठीक हो जाती हैं।
अदरक का रस हल्का-सा गर्म करके बूंद-बूंद कान में डालने से बहरापन नष्ट होता है।
अदरक के रस में शहद, तेल और थोड़ा-सा सेंधानमक मिलाकर कान में डालने से बहरापन और कान के दूसरे रोग समाप्त हो जाते हैं।
38. जीरा : थोड़े से जीरे को दूध के साथ फांकने से कम सुनाई देने का रोग दूर हो जाता है।
39. हरड़ : आधी कच्ची जोगी हरड़ के चूर्ण को सुबह और शाम फांकने से बहरापन दूर हो जाता है।
40. ऊंट का पेशाब : ऊंट के पेशाब को कान में डालने से बहरेपन का रोग ठीक हो जाता है।
41. तसतूंबे : तसतूंबे के पके हुए फल या उसके छिलके को तेल में उबालकर कान में डालने से बहरापन ठीक हो जाता है।
42. करेला :
3 करेले को पीसकर 200 मिलीलीटर सरसों के तेल में मिलाकर रख लें। फिर उसे आग पर पकाने के लिये रख दें। जब पकते हुये करेले जल जायें तो तेल को कपड़े में छानकर रख लें। इस तेल को बूंद-बूंद करके कान में डालने से बहरापन ठीक हो जाता है।
कालाजीरा और करेले के बीज को बराबर मात्रा में लेकर पानी के साथ पीसकर छान लें। इस पानी को कान में डालने से बहरापन दूर हो जाता है।
44. पेशाब : बड़ी बछिया (गाय का बड़ा बच्चा) का 1.5 लीटर पेशाब लेकर कढ़ाही में डालकर पकाने के लिये रख दें। जब यह सिर्फ लगभग 150 मिलीलीटर बाकी रह जाये तो इसे छानकर शीशी में भरकर रख लें। इसको रोजाना 1-1 बूंद करके कान में डालने से बहरेपन में लाभ मिलता है।
45. नौसादर : 300 मिलीलीटर सरसों के तेल में 20 ग्राम नौसादर, 120 ग्राम कलमी शोरा और 30 ग्राम सफेद फिटकरी की राख को मिलाकर पका लें। फिर इसे छानकर रख लें। इसमें से 1-1 बूंद कान में डालने से बहरेपन में लाभ मिलता है।
46. शंख : शंख के अन्दर पानी भरकर रातभर के लिये रखा रहने दें और सुबह उठते ही इसके पानी को पी लें। शंख बजने की आवाजें सुने इससे लाभ मिलता है।
47. समुद्रफल : समुद्रफल को घी में मिलाकर खाने से बहरापन ठीक हो जाता है।