गठिया का दर्द gathiya ka dard
गठिया रोग को आमवात, संधिवात आदि नामों से भी जाना जाता है। इस रोग में सबसे पहले शरीर में निर्बलता और भारीपन के लक्षण दिखाई देते हैं। इस रोग के होने पर हाथ के बीच की उंगलियों में दर्द होता है। अगर इसका इलाज नही किया जाता तो हाथ की दूसरी उंगलियों में भी सूजन व दर्द होने लगता है। गठिया रोग होने पर शरीर की हडि्डयों में दर्द होता है, जिसके कारण रात को रोगी सो भी नहीं पाता है।परिचय :
2. सरसो-
3. हरड़-
4. कूठ- 5 ग्राम कूठ के चूर्ण को एरण्ड के तेल के साथ रोजाना सेवन करने से कुछ ही दिनों में गठिया रोग में आने वाली सूजन मिट जाती है।
5. दूध-
6. मुण्डी- मुण्डी और सोंठ को 50-50 ग्राम की मात्रा में लेकर कूटकर और पीसकर चूर्ण बना लें। इस 3-3 ग्राम चूर्ण को रोजाना सुबह-शाम गर्म पानी के साथ रोगी को देने से गठिया से उत्पन्न सूजन मिट जाती है।
7. पिप्पली-
8. कांजी-
9. सोया-
10. शुण्ठी- 2 ग्राम शुण्ठी के चूर्ण को 50 ग्राम गुनगुने पानी के साथ दिन में 2 बार खाने से गठिया रोग में लाभ होता है।
11. आरग्यवध- आरग्यवध की फलियों को घी और सरसों के तेल में तलकर लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग की मात्रा में दिन में 2 बार खाने से गठिया रोग में बुखार का आना तथा आलसपन दूर होता है।
12. गुड़ूची- शुण्ठी एवं गुड़ूची को बराबर मात्रा में मिलाकर काढ़ा बना लें। इस काढ़े को 12 से 28 मिलीलीटर की मात्रा में 6 ग्राम हरड़ के चूर्ण के साथ दिन में 2 बार लेने से भूख का न लगना तथा हाथ व पैरों के दर्द में आराम मिलता है।
13. गेहूं- गेहूं के आटे और एरण्ड के बीजों का चूर्ण बराबर मात्रा में लेकर बकरी के दूध या पुराने घी में मिलाकर लेप बनाकर घुटनों और हडि्डयों पर लगाने से गठिया के रोगी को लाभ मिलता है।
14. लोंग-
15. हरीतकी चूर्ण- 20 से 40 ग्राम हरीतकी का चूर्ण बनाकर घी के साथ सुबह-शाम सेवन करने से गठिया के रोग में ठंड के कारण उत्पन्न होने वाली कमजोरी दूर हो जाती है।
16. अजवायन :
17. चनसूर- चनसूर के बीजों को नींबू के रस में पीसकर जोड़ों पर लगाने से गठिया के दर्द में आराम होता है।
18. शराब- शराब के साथ खुरासानी अजवायन को पीसकर गठिया से ग्रस्त अंगों पर लेप करने से लाभ मिलता है।
19. घोरबच- गठिया के रोगी को घोरबच (बच) का लेप या उससे प्राप्त तेल से मालिश करने से गठिया रोग में होने वाला आलस व दर्द ठीक हो जाता है।
20. चोपचीनी- चोपचीनी को दूध में उबालकर इसमें 3 से 6 ग्राम मस्तगी, इलायची और दालचीनी को मिलाकर सुबह-शाम रोगी को देने से गठिया के दर्द में आराम मिलता है।
21. उश्वा- गठिया के रोगी को 10 से 20 मिलीलीटर जंगली उश्वा के चूर्ण का काढ़ा बनाकर प्रतिदिन सेवन कराने से पुराने से पुराने गठिया का दर्द दूर हो जाता है।
22. हाऊबेर- लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग हाऊबेर का सेवन रोजाना सुबह-शाम करने से गठिया के रोगी के लिये लाभकारी होता है।
23. बांस- बांस की कोमल गांठों को पीसकर जोड़ों पर लगाने से गठिया रोग में होने वाले दर्द में आराम मिलता है।
24. खुरासानी कुटकी- गठिया के रोगी को खुरासानी कुटकी लगभग आधा ग्राम से लगभग 1 ग्राम की मात्रा में शहद के साथ सुबह-शाम देने से लाभ होता है। इससे रोगी का बुखार भी खत्म हो जाता है। ध्यान रहे :- इसका प्रयोग अधिक मात्रा में नहीं करना चाहिए।
25. मैनफल- गठिया के रोग में मैनफल के पेड़ की छाल को पीसकर लगाने से दर्द व सूजन में लाभ होता है।
26. अन्तमूल- लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग अन्तमूल का रोजाना सेवन करने से गठिया रोग में उत्पन्न होने वाली भोजन की अरुचि दूर हो जाती है।
27. रूद्रजटा- लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग रूद्रजटा (ईश्वर मूल) के पंचाग (जड़, पत्तें, फल, फूल, तना) का चूर्ण बनाकर शहद के साथ मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से गठिया का रोग ठीक हो जाता है।
28.कायफल-
29. गांजा- गठिया के रोगी को गांजे का लेप दर्द वाली जगह पर करने से दर्द ठीक हो जाता है।
30. अगर- गठिया के रोगी को दर्द वाले स्थानों पर अगर का लेप करने से लाभ मिलता है तथा उसका रोग खत्म हो जाता है।
31. सुगन्धबाला- गठिया का दर्द और सूजन कम करने के लिये सुगन्धबाला की फांकी रोजाना सुबह-शाम लेने से लाभ मिलता है।
32. गुग्गुल-
33. तारपीन : तारपीन का तेल और एरण्ड का तेल बराबर मात्रा में लेकर मालिश करने से गठिया रोग में होने वाली सूजन मिट जाती है।
34. नागकेसर- गठिया के रोग में जोड़ों में दर्द होने पर नागकेसर के तेल की मालिश करने से आराम मिलता है।
35. फूल प्रियंगु- फूल प्रियंगु के पत्तों से सिंकाई करने से गठिया का रोग ठीक हो जाता है।
36. कबाबचीनी- गठिया के रोगी को 1 से 4 ग्राम कबाबचीनी का सेवन कराने से लाभ मिलता है।
37. सोनपत्ता- सोनपत्ता के पेड़ की छाल को पीसकर उसके चूर्ण की फंकी लेने से गठिया के रोग में आराम मिलता है।
38. भटकटैया- 25 से 50 ग्राम भटकटैया (रेंगनीकांट) के पत्तों के रस में कालीमिर्च मिलाकर रोजाना सुबह-शाम गठिया के रोगी को पिलाने से लाभ होता है।
39. माषपर्णो- 2 से 4 ग्राम माषपर्णो (वनउड़द) का रोजाना सुबह सेवन करने से गैस से होने वाले गठिया का दर्द ठीक हो जाता है।
40. आकीर्दा- आकीर्दा चूर्ण को सोंठ के साथ एक खुराक की मात्रा में रात को सोते समय लेने से गठिया (घुटनों के दर्द) के रोगी को लाभ मिलता है।
41. थूहर- गठिया के रोग में थूहर की जड़ का काढ़ा बनाकर सेवन करने से लाभ मिलता है।
42. फरहद- गठिया के रोग में फरहद के पत्तों को पीसकर लेप करने से गठिया (घुटनों के दर्द) में लाभ मिलता है।
43. सहजना-
44. सिनुआर- गठिया रोग में 10 से 20 मिलीलीटर सिनुआर के पत्तों का रस सुबह-शाम लेने से रोगी को लाभ मिलता है। इसके साथ ही सिनुआर, करंज, नीम, और धतूरे के पत्तों को एक साथ पीसकर गर्म-गर्म ही दर्द वाले स्थान पर लेप करने से भी लाभ मिलता है।
45. भंगरैया- सिनुआर, तुलसी एवं भंगरैया के रस को अजवायन के चूर्ण के साथ मिलाकर लेने से गठिया रोग जल्दी ठीक हो जाता है।
46. कोरैया - गठिया के रोगी को कोरैया (कूड़ा) की छाल का लेप करने से गठिया रोग में लाभ होता है।
47. करंज- गठिया के रोग में करंज के बीजों के तेल से मालिश करने से रोग में लाभ मिलता है।
48. मुश्फ- गठिया के रोगी को मुश्फ की छाल का काढ़ा बनाकर सुबह-शाम सेवन करने से लाभ मिलते है।
49. अंकोट- लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग अंकोट की जड़ की छाल को प्रतिदिन 3 बार घोड़बच या सोंठ के साथ चावल की मांड में उबालकर सेवन करने से लाभ मिलता है। अंकोट के साथ ही पत्तों को पीसकर गर्म करके दर्द वाले स्थान पर बांधने से गठिया रोग में लाभ मिलता है।
50. रोहिसघास- रोहिसघास के पत्तों से प्राप्त तेल की गठिया के रोग से ग्रस्त रोगी की मालिश करने से लाभ मिलता है।
51. अगियाखर- गठिया के रोगी का उपचार करने के लिये अगियाखर से प्राप्त तेल से मालिश करने से कमर दर्द दूर हो जाता है।
52. शतावरी- शतावरि के तेल से मालिश करने से गठिया के रोगी को लाभ होता है।
53. इन्द्रायण-
54. विधारा- 3 ग्राम विधारा की जड़ को पीसकर गठिया रोग से ग्रस्त रोगी की अंगुलियों पर बांधने से अंगुलियों की सूजन मिटती है।
गठिया के रोगी के रोगग्रस्त अंगों पर जवासा के तेल की मालिश करने से रोगी का दर्द दूर हो जाता है। 55. जवासा-
56. अपामार्ग- अपामार्ग (चिरचिरी) के पत्तों को पीसकर और गर्म करके गठिया रोग से ग्रस्त अंगों में बांधने से दर्द व सूजन दूर हो जाती है।
57. श्वेत पुनर्नवा- गठिया के रोगी को श्वेत पुनर्नवा (सफेद गद पुरैना) को शाक के रूप में प्रयोग करने से लाभ मिलता है।
58. गन्धप्रसारिणी- गठिया के रोगी को 10 से 30 मिलीलीटर गन्धप्रसारिणी के पत्तों का रस अथवा 2 से 4 ग्राम इसके पत्तों का चूर्ण रोजाना सुबह-शाम त्रिकुटा के साथ सेवन कराने से लाभ मिलता है।
59. अनन्त- गठिया रोग में अनन्त की जड़ को फेंटकर 40 ग्राम रोजाना सुबह-शाम रोगी को सेवन कराने से लाभ होता है।
60. चूरनहार- चूरनहार को फेंटकर सेवन करने से रोगी को गठिया रोग में लाभ मिलता है।
61. पाताल गुरूड़ी-
62. ब्राहमों- ब्राहमों (जलनीम) के रस से गठिया रोग के कारण होने वाले दर्द वाले स्थानों पर मालिश करने से दर्द दूर हो जाता है।
63. गावजबान- गावजबान और चौपचीनी को मिलाकर काढ़ा बना लें। इस काढ़े से घुटनों पर मालिश करने से गठिया रोग का दर्द व हड्डियों में उत्पन्न कमजोरी खत्म हो जाती है।
64. सुदर्शन- सुदर्शन के पत्तों को गर्म करके उस पर एरण्ड का तेल लगाकर गठिया में बांधने से दर्द में लाभ मिलता है।
65. माधवी- माधवी (माधवीलता) की छाल का काढ़ा बनाकर प्रतिदिन 20 से 40 मिलीलीटर की मात्रा में सेवन करने से गठिया रोग में उत्पन्न बुखार दर्द व सूजन में आराम मिलता है।
66. केवड़ा- गठिया के दर्द में केवड़ा के तेल की मालिश करने से लाभ मिलता है।
67. अगस्त- अगस्त की जड़ का लेप बनाकर गठिया रोग के दर्द और सूजन वाले स्थानों पर लेप करने से लाभ होता है।
68. बरगद- गठिया रोग के कारण होने वाले दर्द वाले स्थान पर बरगद के दूध में अलसी का तेल मिलाकर मालिश करने से लाभ मिलता है।
69. पीपल-
70. सलई- गठिया के दर्द में सलई के फल और फूलों का काढ़ा बनाकर 20 से 40 मिलीलीटर की मात्रा में रोजाना सेवन करने से गठिया का रोगी ठीक हो जाता है।
71. रीठा- गठिया के दर्द को दूर करने के लिये रीठा का लेप गठिया रोग से ग्रस्त अंगों पर करने से लाभ मिलता है।
72. संतरा-
73. महुआ- 20 से 40 मिलीलीटर महुआ की छाल का काढ़ा बनाकर प्रतिदिन 3 बार सेवन करने से गठिया के रोग में लाभ मिलता है।
74. लघुपीलु- गठिया के रोगी के लिये लघुपीलु के बीज का तेल राई के तेल के साथ मिलाकर मालिश करने से हड्डियों का दर्द दूर हो जाता है।
75. जमीरी- जमीरी या कागजी नींबू का रस निकालकर शर्बत बनाकर रोजाना सुबह-शाम पीने से गठिया का रोग ठीक हो जाता है।
76. कौनी- कौनी (कंगुनी, एक प्रकार का खाद्यान्न) को पीसकर गठिया से ग्रस्त अंगों पर लगाने से गठिया के रोगी का दर्द दूर हो जाता है।
77. मानकन्द- मानकन्द के फल को कद्दूकश करके कसकर गर्म-गर्म ही बांधने से गठिया का दर्द व सूजन दूर हो जाती है।
78. केमुक- केमुक (केमुआ) के फल को पकाकर प्रतिदिन सेवन करने से हड्डी के अन्दर होने वाला दर्द ठीक हो जाता है।
79. अन्धहुली- अन्धहुली के पेड़ की जड़ को पीसकर गठिया के दर्द में लगाने से आराम मिलता है।
80. अफसंतीन- 10 से 15 बूंद अफसंतीन का तेल बताशें या दूध में मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से गठिया का दर्द दूर हो जाता है।
81. उतरन- उतरन (उत्तमारणी) की जड़ को दूध के साथ सेवन करने से गठिया रोग में लाभ होता है।
82. उस्ताखुदूस- गठिया के दर्द में उस्ताखुदूस के पंचाग (फल, फूल, पत्ती, जड़, तना) का चूर्ण 20 से 40 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से लाभ मिलता है।
83. ऊंटकटारा- ऊंटकटारा की जड़ का रस 10 से 20 मिलीलीटर की मात्रा में रोजाना सुबह-शाम शहद के साथ सेवन करने से गठिया रोग ठीक हो जाता है।
84. अदसलीब- 1 से 3 ग्राम अदसलीब की जड़ का चूर्ण सुबह-शाम खाने से गठिया रोग में हड्डी के अन्दर होने वाला दर्द व जख्म ठीक हो जाता है।
85. कायापुटी- गठिया का दर्द दूर करने के लिए कायापुटी के तेल की मालिश करने से लाभ मिलता है।
86. तोदरी- गठिया के रोगी को तोदरी के बीज के तेल से मालिश करने से गठिया के सभी रोग दूर हो जाते हैं।
87. तीसी - तीसी और तारपीन के तेल में कपूर और पिपरमिंट को मिलाकर मालिश करने से गठिया का दर्द ठीक हो जाता है।
88. बलसां - गठिया के दर्द में लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग बलसां की गोंद को सुबह-शाम सेवन करने से लाभ मिलता है।
89. बाबूना- गठिया के दर्द को ठीक करने के लिए बाबूना के तेल से मालिश करने से आराम मिलता है।
90. गंधपूरा- गंधपूरा का तेल 5 से 15 बूंद सुबह-शाम चीनी के साथ सेवन करने से या मालिश करने से गठिया के दर्द में लाभ मिलता है।
91. सालब मिश्री- गठिया के दर्द में सालब मिश्री के फल का चूर्ण 3 से 6 ग्राम सुबह-शाम सेवन करने से लाभ होता है।
92. हरी मिर्च- गठिया के दर्द को दूर करने के लिये लाल या हरी मिर्च को डण्टल सहित पीसकर लेप बनाकर गठिया रोग से ग्रस्त अंगों पर लगाने से लाभ होता है।
93. मैदालकड़ी- गठिया के रोग में मैदालकड़ी की छाल का काढ़ा बनाकर पीने से यह रोग जल्दी खत्म हो जाता है।
94. बेसन- बेसन की रोटी बिना नमक के शुद्ध घी में चुपड़कर खाने से गठिया रोग में होने वाला दर्द कम हो जाता है।
95. गोरखमुण्डी- गठिया या जोड़ों के दर्द को कम करने के लिए गोरखमुण्डी और लोंग का चूर्ण बनाकर मालिश करने से लाभ मिलता है।
96. सिरका- सिरका में मीठा तेल मिलाकर जोड़ों पर मालिश करने से गठिया रोग में होने वाला दर्द दूर हो जाता है।
97. केंवाच- 10 ग्राम केंवाच के बीजों को दही या दूध के साथ 14 दिन तक खाने से घुटनों में उत्पन्न दर्द दूर हो जाता है।
98. अरणी - अरणी के पत्तों का काढ़ा बनाकर पीने से गठिया का दर्द ठीक हो जाता है।
99. मोम- गठिया के दर्द में मोम और लोबान बांधने से गठिया रोग में होने वाली गांठे दूर हो जाती है।
100. पानी- 100 मिलीलीटर पानी, 50 ग्राम तारपीन, 20 ग्राम सनलाइट साबुन और 9 ग्राम कपूर को तिल के तेल में सिद्ध करके मालिश करने से गठिया रोग में लाभ होता है।
101. करील-
102. नागकेशर- गठिया के रोगी को नागकेशर के बीजों के तेल की मालिश करने से गठिया रोग दूर हो जाता है।
103. फालसे- फालसे की जड़ का काढ़ा बनाकर पीने से गठिया रोग ठीक हो जाता है।
104. कुलिंजन - कुलिंजन और रीठा के पत्तों का काढ़ा बनाकर पीने से गठिया रोग दूर हो जाता है।
105. कसूंबा- कसूंबा के बीजों के तेल की मालिश करने से गठिया रोग में लाभ होता है।
106. उड़द- उड़द को एरण्ड की छाल के साथ उबालकर चबाने से गठिया रोग में हड्डी के अन्दर होने वाली कमजोरी दूर हो जाती है।
107. मेथी-
108. तम्बाकू- 1.5 लीटर पानी में 500 ग्राम तम्बाकू भिगो दें। भिगोये हुए पानी में तम्बाकू मसलकर छान लें। फिर इसे तिल के तेल में मिलाकर रोजाना सुबह-शाम मालिश करने से गठिया का दर्द दूर हो जाता है।
109. अफीम-
110. चम्पा- गठिया के रोगी को चम्पा के फूलों से बने हुए तेल की मालिश करने से लाभ होता है।
111. चित्रक (चीता)-
112. पोदीना- गठिया के रोगी को पोदिने का काढ़ा बनाकर पिलाने से पेशाब खुलकर आता है और गठिया रोग में आराम मिलता है।
113. महुआ- गठिया के दर्द में महुआ की छाल को पीसकर गर्म करके लेप करने से गठिया रोग ठीक हो जाता है।
114. पीलू- पीलू के पत्ते पर तेल चुपड़ कर गर्म करके अंगुली पर बांधने से गठिया का दर्द नष्ट हो जाता है।
115. गन्धक- सिरके में गन्धक मिलाकर लेप करने से गठिया रोग की सूजन मिट जाती है।
116. अगर- गठिया के दर्द में अगर की गोंद का लेप बनाकर लेप करने से लाभ मिलता है।
117. सम्भालू- गठिया का दर्द दूर करने के लिए सम्भालू के पत्तों को पीसकर लेप करें तथा इसके पत्तों को दिन में 2 से 4 बार दर्द वाले स्थान पर बांधे। इसके पत्तों को लहसुन, चावल और गुड़ के साथ पीसकर गोली बनाकर रोजाना खाने से गठिया रोग में जल्द लाभ होता है।
118. उपरने- उपरने के पत्तों के रस में चूना मिलाकर लगाने से हाथ-पैरों की सूजन व गठिया का दर्द दूर हो जाता है।
1119. हाल्यों- गठिया के रोग में खून में पीब व अंगुली में होने वाली सड़न में हाल्यों, अजवायन, कलौंजी और मेथी को 10-10 ग्राम की मात्रा में कूटकर और छानकर रखें। इस 3 ग्राम चूर्ण को रोजाना सुबह खाली पेट खाने से रोगी को आराम मिलता है।
120. मालकांगनी –
121. खीरा- गठिया रोग से ग्रस्त रोगी को रोजाना खीरे का सेवन करना चाहिए। इसके अलावा इस रोग में रोजाना लहसुन का सेवन भी लाभदायक रहता है।
122. मोठ- घुटनों का दर्द नया हो या पुराना उससे ग्रस्त रोगी को मोठ के लड्डू बनाकर खिलाने से लाभ होता है।
123. सोडा- 3 चम्मच कपड़े धोने वाला सोड़ा तेज गर्म पानी में मिलाकर गठिया के दर्द से ग्रस्त घुटने पर पानी गिराने से फिर पानी पोंछकर एरण्डी के तेल की मालिश करने से लाभ होता है।
124. शीरा- गठिया के रोगी को 1 कप पानी में 2 चम्मच शीरा मिलाकर दिन में 3 बार पिलाने से आराम मिलता है।
125. गोखरू-
126. बिनौले –
127. अखरोट-
128. लौकी- कच्ची लौकी को काटकर उसकी लुगदी बनाकर घुटनों पर रखकर उसको किसी कपड़े से बांध लेना चाहिये। इससे रोगी के घुटने का दर्द दूर हो जाता है।
129. वैसलीन- नीम की छाल को पीसकर छान लें। इस मलहम को मोम या वैसलीन के साथ मिलाकर घुटनों पर मलने से रोगी के घुटनों का दर्द नष्ट हो जाता है।
130. शिलाजीत- शिलाजीत, सोंठ, पीपल और गुग्गुल को एकसाथ मिलाकर 5-5 ग्राम की मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को गाय के पेशाब के साथ सुबह-शाम लेने से 1 महीने के अन्दर घुटनों का दर्द दूर हो जाता है।
131. भिलावां- भिलावां, गिलोय, देवदारू, सोंठ, हरड़ की छाल और साठी की जड़ को 10-10 ग्राम की मात्रा में लेकर और पीसकर चूर्ण बना लें एवं छोटी बोतल में भर लें। इस आधा चम्मच चूर्ण को आधा कप पानी में पकाकर ठण्डा होने पर पी जायें। इससे रोगी के घुटनों का दर्द ठीक हो जाता हैं।
132. बच- गठिया के रोगी को घुटनों के दर्द में 2 चुटकी बच का चूर्ण प्रतिदिन सुबह-शाम गर्म पानी से देने से लाभ होता है।
133. पुष्कर: पुष्कर की जड़, सेंधानमक, हरड़ की छाल, महुआ और पीपल को 5-5 ग्राम की मात्रा में लेकर बारीक पीस लें। फिर इसे 1 किलो तिल के तेल में पकाकर ठण्डा करके शीशी में भर लें। इस तेल को थोड़ा-थोड़ा करके दर्द वाले घुटने पर मालिश करने से रोगी को लाभ मिलता है।
134. मौसमी- मौसमी और नींबू के 2 कप रस को प्रतिदिन सुबह-शाम सेवन करने से घुटनों का दर्द दूर हो जाता है।
135. मिट्टी- जब घुटनों में दर्द हो तो रात को मिट्टी की पट्टी बांधकर पानी की भाप से घुटने की सिंकाई करने से लाभ मिलता है।
136. तोरई- घुटनों के दर्द में पालक, मेथी, तोरई, टिण्डा, परवल आदि सब्जियों का सेवन करने से लाभ होता है।
137. वरूण- वरूण की छाल का काढ़ा बनाकर शहद में मिलाकर सेवन करने से गठिया के रोगी को लाभ मिलता है।
138. दशमूल- घुटने के दर्द में एरण्ड के तेल को दशमूल काढ़े के साथ सेवन करना चाहिये। इससे रोगी को तुरंत फायदा मिलता है।
139. घी-
140. आम- घुटने के दर्द में 100 ग्राम आम की गुठलियों को कुचलकर 250 मिलीलीटर सरसों के तेल में अच्छी तरह से पकाकर मालिश करने से लाभ होता है।
141. हींग- असली हींग को घी में मिलाकर जोड़ों के दर्द से ग्रस्त रोगी की मालिश करने से आराम मिलता है।
142. अड़ूसा-
143. पिपरमेंट- सरसों के तेल में पिपरमेंट के तेल को मिलाकर लगाने से गठिया रोग में आराम मिलता है।
144. जावित्री- 2 ग्राम जावित्री और आधा चम्मच सोंठ को एकसाथ मिलाकर गर्म पानी से लेने से गठिया रोग से ग्रस्त रोगी का दर्द दूर हो जाता है।
145. जौ- चीनी तथा जौ के आटे के बने लड्डू गठिया के रोगी के लिए बहुत लाभकारी होते हैं।
146. चौलाई- गठिया के रोगी को जोड़ों का दर्द दूर करने के लिए चौलाई की सब्जी का सेवन करना चाहिए।
147. फिटकरी- 5 ग्राम फिटकिरी, 15 ग्राम मीठी सुरंजन, 5 ग्राम बबूल की गोंद और 10 दाने पिसी हुई कालीमिर्च को सुखाकर और भूनकर एकसाथ पीसकर चूर्ण बना लें। इसमें से 2 चुटकी चूर्ण रोजाना 2 बार लेने से गठिया रोग जल्दी ठीक हो जाता है।
148. सफेद जीरा- 25 ग्राम सोंठ, 25 ग्राम कालीमिर्च, 15 ग्राम पीपल, 10 ग्राम लहसुन और 20 ग्राम सफेद जीरा आदि सभी को मिलाकर पीसकर चूर्ण बना लें। इसमें से 2 चुटकी चूर्ण रोजाना सुबह शहद के साथ गठिया रोग से पीड़ित रोगी को देने से लाभ होता है।
149. सिंहनाद- सिंहनाद, गुग्गुल, चोपचीनी चूर्ण तथा वात गुंजाकश का रस मिलाकर प्रयोग करने से रोगी के सभी प्रकार के गठिया रोग के कारण होने वाले दर्द दूर हो जाते हैं।
150. रास्ना- रास्ना, गिलोय, एरण्ड की जड़, देवदारू, कपूर, तथा गोरखमुण्डी को 5-5 ग्राम की मात्रा में लेकर और पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को 200 ग्राम गुड़ में मिलाकर बेर के बराबर की गोली बना लें। प्रतिदिन यह 1-1 गोली गर्म पानी के साथ सुबह-शाम खाने से जोड़ो के दर्द में आराम आता है।
151. वरना- वरना की छाल, सोया, बच, सोंठ, गोखरू, पुनर्नवा, देवदारू, कपूर, तथा गोरखमुण्डी को 5-5 ग्राम की मात्रा में लेकर तथा पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को 200 ग्राम गुड़ में मिलाकर छोटी-छोटी गोलियां बनाकर रख लें। यह 1-1 गोली रोजाना सुबह-शाम सेवन करने से जोड़ों का दर्द समाप्त हो जाता है।
152. चकोतरा- गठिया के रोग को दूर करने के लिये नींबू, संतरा, मौसमी, चकोतरा आदि फलों के रस का सेवन करना चाहिए।
153. पालक- जोड़ो के दर्द को दूर करने के लिये पालक, टमाटर, खीरा आदि सब्जियों का सेवन करना चाहिए एवं इनका सलाद बनाकर खाना चाहिए।
154. गेहूं- घुटने के दर्द को दूर करने के लिए गेहूं की घास का रस पीना लाभकारी रहता है।
155. आलू-
156. हल्दी–
157. चालमोंगरा- चालमोंगरा के बीजों का चूर्ण 1 ग्राम की मात्रा में दिन में 3 बार खाने से गठिया रोग में आराम मिलता है।
158. मेहन्दी -
159. दालचीनी-
160. रस- खीरा, लहसुन, केला, टमाटर का रस गठिया रोग में लाभकारी रहता है।
161. देवदारू- देवदारू को बिल्कुल बारीक पीसकर कपड़े से छानकर लगभग 2 ग्राम की मात्रा में चूर्ण को सुबह-शाम शहद के साथ सेवन करने से 2 दिन में जोड़ों का दर्द दूर हो जाता है।
162. मरूआ : मरूआ के पंचांग (जड़, तना, पत्ती, फल और फूल) का काढ़ा बनाकर 100 मिलीलीटर की मात्रा में दिन में 3 बार पीने से गठिया रोग मे लाभ होता हैं।
163. आक-
164. धनिया-
165. धतूरा-
166. द्रोणपुष्पी- द्रोणपुष्पी के 1 चम्मच रस में इतना ही पीपल का चूर्ण मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने गठिया रोग में राहत मिलती है।
167. जायफल–
168. आंवला-
169. मूली-
170. कागजी नींबू- 5 मिलीलीटर नींबू के रस में 3 ग्राम चीनी डालकर रोजाना पीने से जोड़ो के दर्द और खांसी में आराम मिलता है।
171. अदरक-
172. सोंठ-
173. चुकन्दर-
174. कालीमिर्च- गठिया रोग से ग्रस्त रोगी के दर्द वाले अंगों पर काली मिर्च से बने तेल से मालिश करने से गठिया के रोगी को लाभ मिलता है।
175. काली राई- गठिया रोग से ग्रस्त अंगों पर काली राई का प्लास्टर करने से गठिया रोग में होने वाला दर्द दूर हो जाता है।
176. कलौंजी-
177. गिलोय-
178. कनेर- लाल कनेर के पत्तों को पीसकर तेल में मिलाकर लेप करने से जोडों का दर्द दूर हो जाता है।
179. अजमोद-
180. अजवायन-
181. गोमा (द्रोणपुष्पी)- 1 चम्मच द्रोणपुष्पी के रस में इतना ही पीपल का चूर्ण मिलाकर सुबह-शाम लेने से जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है।
182. अगस्त- धतूरे की जड़ और अगस्त की जड़ दोनों को बराबर मात्रा में लेकर पीसकर लेप बना लें। इस लेप की पुल्टिश बनाकर दर्द वाले भाग पर बांधने से गठिया रोग में होने वाला दर्द दूर हो जाता है, सूजन उतर जाती है। गठिया रोग का दर्द कम होने पर लाल अगस्त की जड़ को पीसकर लेप कर सकते हैं।
183. कपूर–
184. इन्द्रायण-
185. करेला-
186. ग्वारपाठा- 10 ग्राम घृतकुमारी का कोमल गूदा रोजाना सुबह-शाम सेवन करने से गठिया का रोग दूर हो जाता है।
187. प्याज-
188. निर्गुण्डी-
189. अलसी-
190. पुनर्नवा-
191. अमलतास-
192. खजूर- 100 ग्राम खजूर को भिगोकर और मसलकर पीने से आमवात रोग में लाभ होता है।
193. नींबू-
194. अमरबेल- गठिया रोग के रोगी को अमरबेल का बफारा देने से घुटनों का दर्द और सूजन शीघ्र ही दूर हो जाती है। बफारा देने के बाद रोगी को पानी से स्नान करा दें तथा मोटे कपड़े से उसके शरीर को खूब अच्छी तरह पोंछ लें तथा घी का अधिक सेवन करें।
195. कुचला- गठिया रोग में कुचला बीज की मज्जा (बीच के हिस्से) को पानी में पीसकर दर्द वाले भाग पर लेप करने से रोगी को लाभ मिलता है।
196. शीशम- शीशम की 10 किलो छाल को मोटा-मोटा कूटकर लगभग 25 लीटर पानी में उबाल लें। जब पानी 3.25 लीटर शेष रह जाए तब इसे ठण्डा होने पर कपड़े में छानकर दुबारा चूल्हे पर चढ़ाकर गाढ़ा कर लें। इस गाढ़े पदार्थ को 10 मिलीलीटर की मात्रा में घी युक्त दूध पकाने के साथ 21 दिन तक दिन में 3 बार लेने से गृध्रसी रोग में होने वाला दर्द खत्म हो जाता है।
197. कुलंजन- जोड़ों के दर्द में कुलंजन और सोंठ का चूर्ण बराबर मात्रा में मिलाकर एरण्ड के तेल में फेंटकर जोड़ों पर लगाने से लाभ होता है।
198. अमरूद-
199. खुरासानी अजवायन- तिल के तेल में खुरासानी अजवायन को सिद्ध करके मालिश करने से गठिया रोग में होने वाले दर्द और कमर दर्द में आराम मिलता है।
200. फालसा- फालसे के पेड़ की छाल का लेप करने से आमवात (गठिया) रोग में लाभ होता है और शारीरिक पीड़ा दूर होती है।
201. भांग- 125 ग्राम घी में सेंकी हुई भांग को 2-2 ग्राम कालीमिर्च और मिश्री के साथ दिन में 3-4 बार सेवन करने से गठिया रोग में आराम मिलता है।
202. लहसुन–
203. नीम-
204. पत्तागोभी- पत्तागोभी के रस का सेवन करने से पेट के घावों के अलावा जोड़ों के दर्द, दांत के रोग, रक्तविकार (खून की खराबी), अजीर्ण, पीलिया, मस्तिष्क की कमजोरी और शरीर का मोटापा आदि रोगों में लाभ मिलता है।
205. श्योनाक-
206. नमक-
207. अंगूर- अंगूर शरीर से उन लवणों को निकाल देता है, जिनके कारण शरीर में गठिया रोग पैदा हो जाता है। गठिया रोग को दूर रखने के लिए रोजाना सुबह अंगूर खाते रहने चाहिए।
208. पपीता- मांसपेशियों में और जोंड़ों में दर्द होने पर पपीते के पत्तों को गर्म करके चिकने भाग की तरफ से बांधने या सिंकाई करने से आराम आता है।
209. अंकोल-
210. तगर-
211. बकायन–
212. टमाटर- गठिया के रोग को दूर करने के लिए रोजाना अत्यधिक मात्रा में टमाटर खाने चाहिए।
213. अपामार्ग- घुटनों की सूजन में अपामार्ग के 10-12 पत्तों को पीसकर गर्म करके घुटनों पर बांधने से लाभ होता है। सन्धिसोथ व दूषित फोड़े, फुन्सी या गांठ वाली जगह पर पत्ते पीसकर लेप लगाने से गांठ धीरे-धीरे फूट जाती है।
214. राई-
215. तरबूज- तरबूज का रस पीना जोड़ों के दर्द में बहुत ही लाभकारी होता है।
216. एरण्ड-
217. पलास- पलास के बीजों को बारीक पीसकर शहद के साथ गठिया रोग से ग्रस्त अंगों पर लेप करने से लाभ होता है।
218. तिल- लगभग 3-4 ग्राम तिल और सोंठ को एकसाथ मिलाकर दिन में 2 बार सेवन करने से आमवात रोग में लाभ मिलता है।
219. कुसुम-
220. अरनी- अरनी के पंचांग (जड़, तना, पत्ती, फल और फूल) का 100 मिलीलीटर काढ़ा सुबह-शाम पीने से गठिया और स्नायु की वात पीड़ा मिट जाती है।
221. तुलसी-
222. अश्वगंधा-
गठिया रोग को आमवात, संधिवात आदि नामों से भी जाना जाता है। इस रोग में सबसे पहले शरीर में निर्बलता और भारीपन के लक्षण दिखाई देते हैं। इस रोग के होने पर हाथ के बीच की उंगलियों में दर्द होता है। अगर इसका इलाज नही किया जाता तो हाथ की दूसरी उंगलियों में भी सूजन व दर्द होने लगता है। गठिया रोग होने पर शरीर की हडि्डयों में दर्द होता है, जिसके कारण रात को रोगी सो भी नहीं पाता है।परिचय :
विभिन्न भाषाओं में नाम :
हिंदी | |
अंग्रेजी | |
बंगाली | |
गुजराती | |
कन्नड़ | |
मलयालम | |
मराठी | |
उड़िया | |
पंजाबी | |
तमिल | |
तेलगू | |
अरबी |
कारण :-
लक्षण :-
1. असगंधा
3 ग्राम असगंध के चूर्ण को 3 ग्राम घी में मिलाकर पानी के साथ रोजाना सुबह-शाम सेवन करने से गठिया रोग में आराम मिलता है।
50 ग्राम असगंध और 25 ग्राम सौंठ को कूटकर और छानकर इसमें 75 ग्राम खांड को मिला लें। इस 4-4 ग्राम मिश्रण को पानी से सुबह-शाम लेने से गठिया का दर्द दूर हो जाता है।
गठिया के दर्द को दूर करने के लिए, असगंध, सुरंजन मीठी, और खुलंजन को 30-30 ग्राम की मात्रा में कूटकर और छानकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को 5-5 ग्राम की मात्रा मे रोजाना सुबह-शाम गर्म पानी के साथ लेने से गठिया रोग में लाभ होता है।
5. दूध-
7. पिप्पली-
पिप्पली, सोंठ, कालीमिर्च और गिलोय को बराबर मात्रा में लेकर कूटकर और पीसकर चूर्ण बनाकर रख लें। इसमें से 5 ग्राम चूर्ण को रोजाना सुबह-शाम पानी से लेने से गठिया के रोगी का रोग दूर हो जाता है।
पिप्पली, पीपलामूल, चव्य, चीता और सोंठ को 10-10 ग्राम की मात्रा में ले लें। फिर उसे 3 लीटर पानी के साथ उबालें और उतार कर ठण्डा होने पर छान लें। यह पानी थोड़ा-थोड़ा करके कई बार पीने से गठिया के रोगी को लाभ होता है।
11. आरग्यवध- आरग्यवध की फलियों को घी और सरसों के तेल में तलकर लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग की मात्रा में दिन में 2 बार खाने से गठिया रोग में बुखार का आना तथा आलसपन दूर होता है।
12. गुड़ूची- शुण्ठी एवं गुड़ूची को बराबर मात्रा में मिलाकर काढ़ा बना लें। इस काढ़े को 12 से 28 मिलीलीटर की मात्रा में 6 ग्राम हरड़ के चूर्ण के साथ दिन में 2 बार लेने से भूख का न लगना तथा हाथ व पैरों के दर्द में आराम मिलता है।
13. गेहूं- गेहूं के आटे और एरण्ड के बीजों का चूर्ण बराबर मात्रा में लेकर बकरी के दूध या पुराने घी में मिलाकर लेप बनाकर घुटनों और हडि्डयों पर लगाने से गठिया के रोगी को लाभ मिलता है।
14. लोंग-
लोंग, सुहागा, भुना एलवा एवं कालीमिर्च को 5-5 ग्राम की मात्रा में लेकर पीस लें। इस चूर्ण को घीग्वार के रस में मिलाकर छोटी-छोटी गोलियां बनाकर छाया में सुखाने के बाद 1-1 गोली सुबह-शाम लेने से कुछ ही समय में गठिया का रोग कम हो जाता है।
5-5 ग्राम लोंग, भुना सुहागा और कालीमिर्च को लेकर पीसकर घीग्वार के रस में चने जैसे गोलियां बनाकर छाया में सुखा लें। यह एक गोली सुबह-शाम गर्म दूध या गर्म पानी के साथ लेने से घुटने का दर्द कुछ ही दिनों में सही हो जाता है।
16. अजवायन :
गठिया के रोग में अजवायन के चूर्ण की पोटली बनाकर सिंकाई करने से रोगी के दर्द में आराम पहुंचता है।
जंगली अजावयन को एरण्ड के तेल के साथ पीसकर लगाने से गठिया का दर्द ठीक हो जाता है।
अजवायन का रस आधा कप पानी में मिलाकर आधा चम्मच पिसी सोंठ खाने के बाद ऊपर से पीने से गठिया के रोग में लाभ होता है।
1 ग्राम पिसी हुई दालचीनी में 3 बूंद अजवायन का तेल डालकर सुबह-शाम सेवन करने से गठिया का दर्द ठीक हो जाता है।
18. शराब- शराब के साथ खुरासानी अजवायन को पीसकर गठिया से ग्रस्त अंगों पर लेप करने से लाभ मिलता है।
19. घोरबच- गठिया के रोगी को घोरबच (बच) का लेप या उससे प्राप्त तेल से मालिश करने से गठिया रोग में होने वाला आलस व दर्द ठीक हो जाता है।
20. चोपचीनी- चोपचीनी को दूध में उबालकर इसमें 3 से 6 ग्राम मस्तगी, इलायची और दालचीनी को मिलाकर सुबह-शाम रोगी को देने से गठिया के दर्द में आराम मिलता है।
21. उश्वा- गठिया के रोगी को 10 से 20 मिलीलीटर जंगली उश्वा के चूर्ण का काढ़ा बनाकर प्रतिदिन सेवन कराने से पुराने से पुराने गठिया का दर्द दूर हो जाता है।
22. हाऊबेर- लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग हाऊबेर का सेवन रोजाना सुबह-शाम करने से गठिया के रोगी के लिये लाभकारी होता है।
23. बांस- बांस की कोमल गांठों को पीसकर जोड़ों पर लगाने से गठिया रोग में होने वाले दर्द में आराम मिलता है।
24. खुरासानी कुटकी- गठिया के रोगी को खुरासानी कुटकी लगभग आधा ग्राम से लगभग 1 ग्राम की मात्रा में शहद के साथ सुबह-शाम देने से लाभ होता है। इससे रोगी का बुखार भी खत्म हो जाता है। ध्यान रहे :- इसका प्रयोग अधिक मात्रा में नहीं करना चाहिए।
25. मैनफल- गठिया के रोग में मैनफल के पेड़ की छाल को पीसकर लगाने से दर्द व सूजन में लाभ होता है।
26. अन्तमूल- लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग अन्तमूल का रोजाना सेवन करने से गठिया रोग में उत्पन्न होने वाली भोजन की अरुचि दूर हो जाती है।
27. रूद्रजटा- लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग रूद्रजटा (ईश्वर मूल) के पंचाग (जड़, पत्तें, फल, फूल, तना) का चूर्ण बनाकर शहद के साथ मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से गठिया का रोग ठीक हो जाता है।
28.कायफल-
30. अगर- गठिया के रोगी को दर्द वाले स्थानों पर अगर का लेप करने से लाभ मिलता है तथा उसका रोग खत्म हो जाता है।
31. सुगन्धबाला- गठिया का दर्द और सूजन कम करने के लिये सुगन्धबाला की फांकी रोजाना सुबह-शाम लेने से लाभ मिलता है।
32. गुग्गुल-
लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से लगभग 1 ग्राम गुग्गुल को शिलाजीत के साथ मिलाकर 2-3 खुराक के रूप में लेने से गठिया का दर्द ठीक हो जाता है।
सलई गुग्गुल को गर्म पानी में घिसकर गठिया के दर्द व सूजन वाले भाग पर लगाने से लाभ मिलता है।
10 ग्राम गुग्गुल को लेकर 20 ग्राम गुड़ में मिलाकर और पीसकर इसकी छोटी-छोटी गोलिया बना लें। सुबह-शाम कुछ दिनों तक यह 1-1 गोली घी के साथ लेने से घुटनों का दर्द दूर हो जाता है।
34. नागकेसर- गठिया के रोग में जोड़ों में दर्द होने पर नागकेसर के तेल की मालिश करने से आराम मिलता है।
35. फूल प्रियंगु- फूल प्रियंगु के पत्तों से सिंकाई करने से गठिया का रोग ठीक हो जाता है।
36. कबाबचीनी- गठिया के रोगी को 1 से 4 ग्राम कबाबचीनी का सेवन कराने से लाभ मिलता है।
37. सोनपत्ता- सोनपत्ता के पेड़ की छाल को पीसकर उसके चूर्ण की फंकी लेने से गठिया के रोग में आराम मिलता है।
38. भटकटैया- 25 से 50 ग्राम भटकटैया (रेंगनीकांट) के पत्तों के रस में कालीमिर्च मिलाकर रोजाना सुबह-शाम गठिया के रोगी को पिलाने से लाभ होता है।
39. माषपर्णो- 2 से 4 ग्राम माषपर्णो (वनउड़द) का रोजाना सुबह सेवन करने से गैस से होने वाले गठिया का दर्द ठीक हो जाता है।
40. आकीर्दा- आकीर्दा चूर्ण को सोंठ के साथ एक खुराक की मात्रा में रात को सोते समय लेने से गठिया (घुटनों के दर्द) के रोगी को लाभ मिलता है।
41. थूहर- गठिया के रोग में थूहर की जड़ का काढ़ा बनाकर सेवन करने से लाभ मिलता है।
42. फरहद- गठिया के रोग में फरहद के पत्तों को पीसकर लेप करने से गठिया (घुटनों के दर्द) में लाभ मिलता है।
43. सहजना-
गठिया के दर्द में सहजना (मुनगा) के जड़ की छाल और 2 से 4 ग्राम हींग एवं सेंधानमक मिलाकर रोगी को देने से गठिया रोग में भूख खुलकर लगती है तथा कमजोरी के कारण होने वाला दर्द भी दूर हो जाता है।
सहजना की ताजी छाल को पीसकर गर्म-गर्म ही दर्द वाले स्थान पर लेप करने से गठिया के रोगी को लाभ मिलता है।
सहजना के बीजों की मालिश करने से रोगी का गठिया रोग जल्दी ठीक हो जाता है।
45. भंगरैया- सिनुआर, तुलसी एवं भंगरैया के रस को अजवायन के चूर्ण के साथ मिलाकर लेने से गठिया रोग जल्दी ठीक हो जाता है।
46. कोरैया - गठिया के रोगी को कोरैया (कूड़ा) की छाल का लेप करने से गठिया रोग में लाभ होता है।
47. करंज- गठिया के रोग में करंज के बीजों के तेल से मालिश करने से रोग में लाभ मिलता है।
48. मुश्फ- गठिया के रोगी को मुश्फ की छाल का काढ़ा बनाकर सुबह-शाम सेवन करने से लाभ मिलते है।
49. अंकोट- लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग अंकोट की जड़ की छाल को प्रतिदिन 3 बार घोड़बच या सोंठ के साथ चावल की मांड में उबालकर सेवन करने से लाभ मिलता है। अंकोट के साथ ही पत्तों को पीसकर गर्म करके दर्द वाले स्थान पर बांधने से गठिया रोग में लाभ मिलता है।
50. रोहिसघास- रोहिसघास के पत्तों से प्राप्त तेल की गठिया के रोग से ग्रस्त रोगी की मालिश करने से लाभ मिलता है।
51. अगियाखर- गठिया के रोगी का उपचार करने के लिये अगियाखर से प्राप्त तेल से मालिश करने से कमर दर्द दूर हो जाता है।
52. शतावरी- शतावरि के तेल से मालिश करने से गठिया के रोगी को लाभ होता है।
53. इन्द्रायण-
गठिया के रोगी के रोगग्रस्त अंगों पर जवासा के तेल की मालिश करने से रोगी का दर्द दूर हो जाता है। 55. जवासा-
56. अपामार्ग- अपामार्ग (चिरचिरी) के पत्तों को पीसकर और गर्म करके गठिया रोग से ग्रस्त अंगों में बांधने से दर्द व सूजन दूर हो जाती है।
57. श्वेत पुनर्नवा- गठिया के रोगी को श्वेत पुनर्नवा (सफेद गद पुरैना) को शाक के रूप में प्रयोग करने से लाभ मिलता है।
58. गन्धप्रसारिणी- गठिया के रोगी को 10 से 30 मिलीलीटर गन्धप्रसारिणी के पत्तों का रस अथवा 2 से 4 ग्राम इसके पत्तों का चूर्ण रोजाना सुबह-शाम त्रिकुटा के साथ सेवन कराने से लाभ मिलता है।
59. अनन्त- गठिया रोग में अनन्त की जड़ को फेंटकर 40 ग्राम रोजाना सुबह-शाम रोगी को सेवन कराने से लाभ होता है।
60. चूरनहार- चूरनहार को फेंटकर सेवन करने से रोगी को गठिया रोग में लाभ मिलता है।
61. पाताल गुरूड़ी-
पाताल गुरूड़ी की जड़ के साथ पीपल और सोंठ आदि को मिलाकर बकरी के दूध में काढ़ा बनाकर प्रतिदिन 20 से 40 मिलीलीटर की मात्रा में सेवन करने से गठिया के दर्द में लाभ मिलता है।
145 ग्राम पाताल गुरूड़ी की ताजी जड़ में इतनी ही मात्रा में बकरी का दूध मिलाकर उसके ऊपर से कालीमिर्च का चूर्ण डालकर सुबह-शाम पीने से पुराने से पुराना गठिया का दर्द खत्म हो जाता है।
63. गावजबान- गावजबान और चौपचीनी को मिलाकर काढ़ा बना लें। इस काढ़े से घुटनों पर मालिश करने से गठिया रोग का दर्द व हड्डियों में उत्पन्न कमजोरी खत्म हो जाती है।
64. सुदर्शन- सुदर्शन के पत्तों को गर्म करके उस पर एरण्ड का तेल लगाकर गठिया में बांधने से दर्द में लाभ मिलता है।
65. माधवी- माधवी (माधवीलता) की छाल का काढ़ा बनाकर प्रतिदिन 20 से 40 मिलीलीटर की मात्रा में सेवन करने से गठिया रोग में उत्पन्न बुखार दर्द व सूजन में आराम मिलता है।
66. केवड़ा- गठिया के दर्द में केवड़ा के तेल की मालिश करने से लाभ मिलता है।
67. अगस्त- अगस्त की जड़ का लेप बनाकर गठिया रोग के दर्द और सूजन वाले स्थानों पर लेप करने से लाभ होता है।
68. बरगद- गठिया रोग के कारण होने वाले दर्द वाले स्थान पर बरगद के दूध में अलसी का तेल मिलाकर मालिश करने से लाभ मिलता है।
69. पीपल-
पीपल और बेलिया के पत्ते व छाल को एक साथ पीसकर लेप बना लें। इसका लेप अंगुलियों व घुटनों पर करने से अंगुलियों व घुटनों की हड्डियां मजबूत होती है।
घुटनों के दर्द में त्रिफला, पीपल की जड़, सोंठ, कालीमिर्च और पीपल को 10-10 ग्राम की मात्रा में लेकर पीसकर चूर्ण बना लें। यह 2 चुटकी चूर्ण शहद के साथ सुबह-शाम लेने से घुटनों का दर्द दूर हो जाता है।
10 ग्राम पीपल के पेड़ की छाल का काढ़ा बनाकर उसमें शहद डालकर सेवन करने से गठिया रोग ठीक हो जाता है।
71. रीठा- गठिया के दर्द को दूर करने के लिये रीठा का लेप गठिया रोग से ग्रस्त अंगों पर करने से लाभ मिलता है।
72. संतरा-
74. लघुपीलु- गठिया के रोगी के लिये लघुपीलु के बीज का तेल राई के तेल के साथ मिलाकर मालिश करने से हड्डियों का दर्द दूर हो जाता है।
75. जमीरी- जमीरी या कागजी नींबू का रस निकालकर शर्बत बनाकर रोजाना सुबह-शाम पीने से गठिया का रोग ठीक हो जाता है।
76. कौनी- कौनी (कंगुनी, एक प्रकार का खाद्यान्न) को पीसकर गठिया से ग्रस्त अंगों पर लगाने से गठिया के रोगी का दर्द दूर हो जाता है।
77. मानकन्द- मानकन्द के फल को कद्दूकश करके कसकर गर्म-गर्म ही बांधने से गठिया का दर्द व सूजन दूर हो जाती है।
78. केमुक- केमुक (केमुआ) के फल को पकाकर प्रतिदिन सेवन करने से हड्डी के अन्दर होने वाला दर्द ठीक हो जाता है।
79. अन्धहुली- अन्धहुली के पेड़ की जड़ को पीसकर गठिया के दर्द में लगाने से आराम मिलता है।
80. अफसंतीन- 10 से 15 बूंद अफसंतीन का तेल बताशें या दूध में मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से गठिया का दर्द दूर हो जाता है।
81. उतरन- उतरन (उत्तमारणी) की जड़ को दूध के साथ सेवन करने से गठिया रोग में लाभ होता है।
82. उस्ताखुदूस- गठिया के दर्द में उस्ताखुदूस के पंचाग (फल, फूल, पत्ती, जड़, तना) का चूर्ण 20 से 40 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से लाभ मिलता है।
83. ऊंटकटारा- ऊंटकटारा की जड़ का रस 10 से 20 मिलीलीटर की मात्रा में रोजाना सुबह-शाम शहद के साथ सेवन करने से गठिया रोग ठीक हो जाता है।
84. अदसलीब- 1 से 3 ग्राम अदसलीब की जड़ का चूर्ण सुबह-शाम खाने से गठिया रोग में हड्डी के अन्दर होने वाला दर्द व जख्म ठीक हो जाता है।
85. कायापुटी- गठिया का दर्द दूर करने के लिए कायापुटी के तेल की मालिश करने से लाभ मिलता है।
86. तोदरी- गठिया के रोगी को तोदरी के बीज के तेल से मालिश करने से गठिया के सभी रोग दूर हो जाते हैं।
87. तीसी - तीसी और तारपीन के तेल में कपूर और पिपरमिंट को मिलाकर मालिश करने से गठिया का दर्द ठीक हो जाता है।
88. बलसां - गठिया के दर्द में लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग बलसां की गोंद को सुबह-शाम सेवन करने से लाभ मिलता है।
89. बाबूना- गठिया के दर्द को ठीक करने के लिए बाबूना के तेल से मालिश करने से आराम मिलता है।
90. गंधपूरा- गंधपूरा का तेल 5 से 15 बूंद सुबह-शाम चीनी के साथ सेवन करने से या मालिश करने से गठिया के दर्द में लाभ मिलता है।
91. सालब मिश्री- गठिया के दर्द में सालब मिश्री के फल का चूर्ण 3 से 6 ग्राम सुबह-शाम सेवन करने से लाभ होता है।
92. हरी मिर्च- गठिया के दर्द को दूर करने के लिये लाल या हरी मिर्च को डण्टल सहित पीसकर लेप बनाकर गठिया रोग से ग्रस्त अंगों पर लगाने से लाभ होता है।
93. मैदालकड़ी- गठिया के रोग में मैदालकड़ी की छाल का काढ़ा बनाकर पीने से यह रोग जल्दी खत्म हो जाता है।
94. बेसन- बेसन की रोटी बिना नमक के शुद्ध घी में चुपड़कर खाने से गठिया रोग में होने वाला दर्द कम हो जाता है।
95. गोरखमुण्डी- गठिया या जोड़ों के दर्द को कम करने के लिए गोरखमुण्डी और लोंग का चूर्ण बनाकर मालिश करने से लाभ मिलता है।
96. सिरका- सिरका में मीठा तेल मिलाकर जोड़ों पर मालिश करने से गठिया रोग में होने वाला दर्द दूर हो जाता है।
97. केंवाच- 10 ग्राम केंवाच के बीजों को दही या दूध के साथ 14 दिन तक खाने से घुटनों में उत्पन्न दर्द दूर हो जाता है।
98. अरणी - अरणी के पत्तों का काढ़ा बनाकर पीने से गठिया का दर्द ठीक हो जाता है।
99. मोम- गठिया के दर्द में मोम और लोबान बांधने से गठिया रोग में होने वाली गांठे दूर हो जाती है।
100. पानी- 100 मिलीलीटर पानी, 50 ग्राम तारपीन, 20 ग्राम सनलाइट साबुन और 9 ग्राम कपूर को तिल के तेल में सिद्ध करके मालिश करने से गठिया रोग में लाभ होता है।
101. करील-
103. फालसे- फालसे की जड़ का काढ़ा बनाकर पीने से गठिया रोग ठीक हो जाता है।
104. कुलिंजन - कुलिंजन और रीठा के पत्तों का काढ़ा बनाकर पीने से गठिया रोग दूर हो जाता है।
105. कसूंबा- कसूंबा के बीजों के तेल की मालिश करने से गठिया रोग में लाभ होता है।
106. उड़द- उड़द को एरण्ड की छाल के साथ उबालकर चबाने से गठिया रोग में हड्डी के अन्दर होने वाली कमजोरी दूर हो जाती है।
107. मेथी-
मेथी की सब्जी को खाने से खून साफ और शुद्ध होता है। वात रोग में मेथी के आटे को छाछ में मिलाकर पीने से लाभ मिलता है। इसके सेवन से वायु, कफ और बुखार शांत हो जाता है। मेथी पेट के कीड़ो, दर्द, सन्धिवात, पेट में वायु की गांठ, कमर का दर्द और शारीरक पीड़ा को दूर करती है। मेथी को पित्तनाशक, वायुनाशक और स्तनपान कराने वाली स्त्री के स्तनों में दूध को बढ़ाने वाली मानी जाती है। मेथी हृदय के लिए काफी लाभदायक होती है। मेथी में पेट का दर्द मिटाने, भोजन को पचाने और कामवासना को रोकने के गुण होते हैं। इसके सेवन से स्त्रियों की कमजोरी दूर होती है। यह भूख को बढ़ाती है। प्रसूति होने के बाद गर्भाशय में कोई कसर रह गई हो, गर्भाशय ठीक से संकुचित न हुआ हो तो मेथी को पकाकर खाने से लाभ होता हैं। स्त्रियो को होने वाली बीमारी जैसे- दस्त, बदहजमी, अरूचि (भोजन की इच्छा न करना) और जोड़ों के दर्द में मेथी के लड्डुओं का सेवन किया जाता है। घरेलू औषधि के रूप में मेथी बहुत उपयोगी मानी जाती है।
मेथी एक वायुनाशक सब्जी है। रोजाना सुबह खाली पेट मेथी का 1 लड्डू 10 दिन तक खाने से वात रोग के कारण अकड़े हुए अंग स्वस्थ हो जाते हैं और हाथ-पैर का दर्द दूर हो जाता है। 50-50 ग्राम मेथी, सूखा आंवला और 10 ग्राम काला नमक को एकसाथ मिलाकर 2 चम्मच पानी से 2 बार फंकी के रूप में लेने से वात व गठिया रोग में लाभ होता है।
मेथी, सोंठ और हल्दी को बराबर मात्रा में मिलाकर तथा पीसकर रोजाना सुबह-शाम खाना खाने के बाद गर्म पानी से 2-2 चम्मच फंकी लेने से लाभ होता है।
रोजाना सुबह खाली पेट 1 चम्मच कुटी हुई दाना मेथी में 1 ग्राम कलौंजी को मिलाकर एक बार फंकी लेते रहने से 2 सप्ताह में घुटनों के दर्द में लाभ होता है।
दाना मेथी हमेशा सुबह खाली पेट, दोपहर में तथा रात को भोजन के बाद आधा चम्मच की मात्रा में पानी के साथ फंकी के रूप में लेने से सभी हडि्डयों के सभी जोड़ मजबूत होते हैं, दर्द नहीं होता और घुटनों व एड़ी के दर्द में लाभ होता है।
हल्दी, गुड़, पिसी दाना मेथी और पानी को बराबर मात्रा में मिलाकर गर्म करके गर्म-गर्म ही लेप के रूप में रात को घुटनों पर लगाकर इसके ऊपर पट्टी को बांधकर सो जाएं और इस पट्टी को सुबह ही खोलें।
दाना मेथी, कालीमिर्च, सुरन्जान मीठी को 50 ग्राम की मात्रा में एकसाथ मिलाकर दिन में 2 बार पानी से 1-1 चम्मच फंकी लें। गुड़ में मेथी को पकाकर खाने से गठिया रोग मिट जाता है।
4 चम्मच दाना मेथी को रात को 1 गिलास पानी में भिगो दें। सुबह पानी को छानकर गुनगुना गर्म करके पीयें। भीगी मेथी को गीले कपडे़ मे पोटली बांधकर रख दें। फिर 24 घण्टे बाद पोटली को खोलें। इसमें अंकुर निकल आयेगें। इस अंकुरित मेथी को खा लें। ध्यान रहें कि इसमें नमक-मिर्च आदि अन्य चीज न मिलायें। इसका सेवन कुछ महीने तक करते रहने से वात, गठिया के दर्द में लाभ होता है।
100 ग्राम दानामेथी को पीसकर स्वादानुसार इसमें 20 ग्राम पिसी कालीमिर्च और 10 ग्राम सेंधानमक को मिलाकर 2 चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम भोजन करने के बाद पानी के साथ फंकी लेने से वात रोग, जोड़ों का दर्द, कमर दर्द और पेट दर्द मे लाभ होता है।
250 ग्राम मेथीदाना और 1 ग्राम आंबाहल्दी को भेड़ के दूध में उबालकर कांच की गोली के आकार की गोलियां बनाकर सुखा लें। यह 1 गोली हलवे के साथ रोजाना खाने से जोड़ों का दर्द ठीक हो जाता है।
10 ग्राम मेथी के दानों को पीसकर हल्के गर्म पानी के साथ खाने से गठिया रोग ठीक हो जाता है।
कुछ श्वेतसार (बादी बनाने वाले खाद्य पदार्थ) ऐसे होते हैं जिन्हें खाने से जोड़ों का दर्द बढ़ जाता है जैसे- आलू, चावल, भिण्डी, अरबी, फूलगोभी, उड़द की दाल, बेसन से बनी सब्जियां- कढ़ी, गट्टे आदि। इनके सेवन से होने वाले दर्द को मेथी दूर करती हैं। खाद्य पदार्थों से बादी करने वाला दोष दूर करने के लिए मेथीदाना, कलौंजी, जीरा, सौंफ और राई को बराबर मात्रा में मिलाकर इमामदस्ते में हल्का सा कूटकर बारीक कर लें। बादी पैदा करने वाली सब्जियों में इन पांचों चीजों को मिलाकर छोंका लगाए। सब्जी में छोंका देने के लिए जितनी मात्रा में जीरा डाला जाता है, उतनी ही मात्रा में यह पांचों चीजें डाल लें।
1 चम्मच दाना मेथी की सुबह-शाम पानी से फंकी लेने से गठिया, जोड़ों का दर्द, कमरदर्द और साइटिका आदि रोगों में लाभ होता है।
1 चम्मच दानामेथी को कूटकर 25 ग्राम गुड़ के साथ एक गिलास पानी में उबालकर रोजाना 2 बार पीने से गठिया, जोड़ों का दर्द, कमर दर्द, साइटिका आदि रोगों में होने वाला दर्द कम हो जाता है।
रोजाना 2 बार अंकुरित मेथी खाने से भी गठिया, जोंड़ों का दर्द, कमर दर्द, साइटिका में लाभ होता है।
गठिया के रोग को दूर करने के लिए मेथी को पीसकर उसकी फंकी लेने से 40 दिन के अन्दर बुढ़ापे के कारण उत्पन्न घुटनों के दर्द में आराम मिलता है।
1 गिलास पानी में 3 चम्मच दानामेथी को रात में सोने से पहले भिगों दें। फिर सुबह उठकर इसे तेज उबालकर और छानकर इस पानी को पी लें। इससे आंव (मल में एक तरह का सफेद चिकना पदार्थ) बाहर निकल जाता है और गठिया रोग में लाभ मिलता है।
1 चम्मच दानामेथी की फंकी गर्म दूध के साथ लेने से पेट की चिकनाई साफ होकर वायु का प्रकोप कम हो जाता है।
100 ग्राम दानामेथी को सेंक कर बारीक कूट लें। इसमें 25 ग्राम कालानमक मिलाकर रोजाना 2 चम्मच की मात्रा में गर्म पानी के साथ फंकी लेने से गठिया रोग में लाभ होता है।
2 चम्मच कुटी हुई दानामेथी को 1 गिलास पानी में उबालकर और छानकर उसमें स्वादानुसार पिसी हुई कालीमिर्च तथा सेंधानमक डालकर रोजाना 2 बार पीने से गठिया रोग में आराम मिलता है।
109. अफीम-
लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग अफीम और लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग कपूर की गोली बनाकर खाने से शरीर में पसीना अधिक मात्रा में आता है जिससे गठिया का दर्द जल्दी ठीक हो जाता है।
4 ग्राम कपूर और 1 ग्राम अफीम को पीसकर 20 गोलियां बनाकर छाया में सुखाकर एक गोली सुबह-शाम गर्म पानी से लेने से गठिया रोग में आराम मिलता है।
जोड़ों के दर्द को दूर करने के लिए 250 मिलीलीटर सरसों का तेल, 10 ग्राम अजवायन, 3 कलियां पिसा हुआ लहसुन, 2 लोंग का चूर्ण और चुटकी भर अफीम को एकसाथ मिलाकर आग पर अच्छी तरह पका लें। जब अजवाइन, लहसुन आदि सब जलकर काले पड़ जाए, तो तेल को आग से नीचे उतारकर छान लें। इस तेल की मालिश सुबह-शाम प्रतिदिन जोड़ों पर करने से रोगी को गठिया रोग में लाभ मिलता है।
111. चित्रक (चीता)-
चित्रक, कुटकी, पाढ़, इन्द्रजौ, बच, नागरमोथा, अतीस, देवदारू, गिलोय, हरड़ और सोंठ को बराबर मात्रा में लेकर बारीक पीसकर चूर्ण बनाकर प्रतिदिन दिन में 2 बार लेने से गठिया रोग में ठंड के कारण उत्पन्न दर्द ठीक हो जाता है।
गठिया के रोग में चित्रक का लेप बनाकर लेप करने से बुढ़ापे के कारण उत्पन्न गठिया का दर्द ठीक हो जाता है।
गठिया के रोग में चित्रक की जड़ से प्राप्त तेल से मालिश करने से गठिया (घुटनों के दर्द) का रोग ठीक हो जाता है।
लाल चित्रक की जड़ के बारीक चूर्ण को तेल में मिलाकर मर्दन करने से पक्षाघात (लकवा) और गठिया रोग मिट जाता है।
चित्रक की जड़, आंवला, हरड़, पीपल, रेवन्द चीनी और कालानमक को बराबर मात्रा में चूर्ण बनाकर 4 से 5 ग्राम तक की मात्रा में प्रतिदिन सोते समय गर्म पानी के साथ लेने से पुराना संधिवात, वायु के रोग और आंतों के रोग आदि मिट जाते हैं।
113. महुआ- गठिया के दर्द में महुआ की छाल को पीसकर गर्म करके लेप करने से गठिया रोग ठीक हो जाता है।
114. पीलू- पीलू के पत्ते पर तेल चुपड़ कर गर्म करके अंगुली पर बांधने से गठिया का दर्द नष्ट हो जाता है।
115. गन्धक- सिरके में गन्धक मिलाकर लेप करने से गठिया रोग की सूजन मिट जाती है।
116. अगर- गठिया के दर्द में अगर की गोंद का लेप बनाकर लेप करने से लाभ मिलता है।
117. सम्भालू- गठिया का दर्द दूर करने के लिए सम्भालू के पत्तों को पीसकर लेप करें तथा इसके पत्तों को दिन में 2 से 4 बार दर्द वाले स्थान पर बांधे। इसके पत्तों को लहसुन, चावल और गुड़ के साथ पीसकर गोली बनाकर रोजाना खाने से गठिया रोग में जल्द लाभ होता है।
118. उपरने- उपरने के पत्तों के रस में चूना मिलाकर लगाने से हाथ-पैरों की सूजन व गठिया का दर्द दूर हो जाता है।
1119. हाल्यों- गठिया के रोग में खून में पीब व अंगुली में होने वाली सड़न में हाल्यों, अजवायन, कलौंजी और मेथी को 10-10 ग्राम की मात्रा में कूटकर और छानकर रखें। इस 3 ग्राम चूर्ण को रोजाना सुबह खाली पेट खाने से रोगी को आराम मिलता है।
120. मालकांगनी –
मालकांगनी, काला जीरा, अजवाइन, मेथी और तिल को 10-10 ग्राम की मात्रा में लेकर पीस लें। फिर इसे तेल में पकाकर और छानकर रख लें। इस तेल से कुछ दिन तक मालिश करने से घुटनों का दर्द ठीक हो जाता है।
20 ग्राम मालकांगनी के बीज और 10 ग्राम अजवायन को कूटकर और छानकर चूर्ण बनाकर रोजाना 1 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से गठिया रोग में लाभ होता है।
122. मोठ- घुटनों का दर्द नया हो या पुराना उससे ग्रस्त रोगी को मोठ के लड्डू बनाकर खिलाने से लाभ होता है।
123. सोडा- 3 चम्मच कपड़े धोने वाला सोड़ा तेज गर्म पानी में मिलाकर गठिया के दर्द से ग्रस्त घुटने पर पानी गिराने से फिर पानी पोंछकर एरण्डी के तेल की मालिश करने से लाभ होता है।
124. शीरा- गठिया के रोगी को 1 कप पानी में 2 चम्मच शीरा मिलाकर दिन में 3 बार पिलाने से आराम मिलता है।
125. गोखरू-
10 ग्राम गोखरू के पत्तों का चूर्ण बनाकर शर्करा मिले दूध के साथ सेवन करने से गठिया रोग में आराम मिलता है।
चम्मच गोखरू और सोंठ का चूर्ण लेकर 1 कप पानी में मिलाकर कुछ देर तक उबालकर और छानकर पी लें। यह प्रयोग 7 दिनों तक रोजाना दिन में 2 बार करने से गठिया (घुटनों के दर्द) के रोग मे लाभ होता है।
50 ग्राम गोखरू के फल और 50 ग्राम सोंठ को 500 मिलीलीटर पानी में उबालकर काढ़ा बना लें। यह काढ़ा गठिया के रोगी को देने से उसके हाथ व पैरो के दर्द में आराम मिलता है।
129. वैसलीन- नीम की छाल को पीसकर छान लें। इस मलहम को मोम या वैसलीन के साथ मिलाकर घुटनों पर मलने से रोगी के घुटनों का दर्द नष्ट हो जाता है।
130. शिलाजीत- शिलाजीत, सोंठ, पीपल और गुग्गुल को एकसाथ मिलाकर 5-5 ग्राम की मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को गाय के पेशाब के साथ सुबह-शाम लेने से 1 महीने के अन्दर घुटनों का दर्द दूर हो जाता है।
131. भिलावां- भिलावां, गिलोय, देवदारू, सोंठ, हरड़ की छाल और साठी की जड़ को 10-10 ग्राम की मात्रा में लेकर और पीसकर चूर्ण बना लें एवं छोटी बोतल में भर लें। इस आधा चम्मच चूर्ण को आधा कप पानी में पकाकर ठण्डा होने पर पी जायें। इससे रोगी के घुटनों का दर्द ठीक हो जाता हैं।
132. बच- गठिया के रोगी को घुटनों के दर्द में 2 चुटकी बच का चूर्ण प्रतिदिन सुबह-शाम गर्म पानी से देने से लाभ होता है।
133. पुष्कर: पुष्कर की जड़, सेंधानमक, हरड़ की छाल, महुआ और पीपल को 5-5 ग्राम की मात्रा में लेकर बारीक पीस लें। फिर इसे 1 किलो तिल के तेल में पकाकर ठण्डा करके शीशी में भर लें। इस तेल को थोड़ा-थोड़ा करके दर्द वाले घुटने पर मालिश करने से रोगी को लाभ मिलता है।
134. मौसमी- मौसमी और नींबू के 2 कप रस को प्रतिदिन सुबह-शाम सेवन करने से घुटनों का दर्द दूर हो जाता है।
135. मिट्टी- जब घुटनों में दर्द हो तो रात को मिट्टी की पट्टी बांधकर पानी की भाप से घुटने की सिंकाई करने से लाभ मिलता है।
136. तोरई- घुटनों के दर्द में पालक, मेथी, तोरई, टिण्डा, परवल आदि सब्जियों का सेवन करने से लाभ होता है।
137. वरूण- वरूण की छाल का काढ़ा बनाकर शहद में मिलाकर सेवन करने से गठिया के रोगी को लाभ मिलता है।
138. दशमूल- घुटने के दर्द में एरण्ड के तेल को दशमूल काढ़े के साथ सेवन करना चाहिये। इससे रोगी को तुरंत फायदा मिलता है।
139. घी-
गठिया के दर्द को दूर करने के लिये 1 चम्मच लहसुन के रस को और 1 चम्मच शहद या देसी घी में मिलाकर 40 दिन तक सेवन करने से रोगी को लाभ मिलता है।
5 ग्राम घी और 5 ग्राम लहसुन के रस को हल्का गर्म करके पीने से गठिया के रोग में लाभ होता है।
10 ग्राम गाय के घी और 10 ग्राम लहसुन के रस की मालिश करने से गठिया के रोगी को आराम मिलता है।
141. हींग- असली हींग को घी में मिलाकर जोड़ों के दर्द से ग्रस्त रोगी की मालिश करने से आराम मिलता है।
142. अड़ूसा-
144. जावित्री- 2 ग्राम जावित्री और आधा चम्मच सोंठ को एकसाथ मिलाकर गर्म पानी से लेने से गठिया रोग से ग्रस्त रोगी का दर्द दूर हो जाता है।
145. जौ- चीनी तथा जौ के आटे के बने लड्डू गठिया के रोगी के लिए बहुत लाभकारी होते हैं।
146. चौलाई- गठिया के रोगी को जोड़ों का दर्द दूर करने के लिए चौलाई की सब्जी का सेवन करना चाहिए।
147. फिटकरी- 5 ग्राम फिटकिरी, 15 ग्राम मीठी सुरंजन, 5 ग्राम बबूल की गोंद और 10 दाने पिसी हुई कालीमिर्च को सुखाकर और भूनकर एकसाथ पीसकर चूर्ण बना लें। इसमें से 2 चुटकी चूर्ण रोजाना 2 बार लेने से गठिया रोग जल्दी ठीक हो जाता है।
148. सफेद जीरा- 25 ग्राम सोंठ, 25 ग्राम कालीमिर्च, 15 ग्राम पीपल, 10 ग्राम लहसुन और 20 ग्राम सफेद जीरा आदि सभी को मिलाकर पीसकर चूर्ण बना लें। इसमें से 2 चुटकी चूर्ण रोजाना सुबह शहद के साथ गठिया रोग से पीड़ित रोगी को देने से लाभ होता है।
149. सिंहनाद- सिंहनाद, गुग्गुल, चोपचीनी चूर्ण तथा वात गुंजाकश का रस मिलाकर प्रयोग करने से रोगी के सभी प्रकार के गठिया रोग के कारण होने वाले दर्द दूर हो जाते हैं।
150. रास्ना- रास्ना, गिलोय, एरण्ड की जड़, देवदारू, कपूर, तथा गोरखमुण्डी को 5-5 ग्राम की मात्रा में लेकर और पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को 200 ग्राम गुड़ में मिलाकर बेर के बराबर की गोली बना लें। प्रतिदिन यह 1-1 गोली गर्म पानी के साथ सुबह-शाम खाने से जोड़ो के दर्द में आराम आता है।
151. वरना- वरना की छाल, सोया, बच, सोंठ, गोखरू, पुनर्नवा, देवदारू, कपूर, तथा गोरखमुण्डी को 5-5 ग्राम की मात्रा में लेकर तथा पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को 200 ग्राम गुड़ में मिलाकर छोटी-छोटी गोलियां बनाकर रख लें। यह 1-1 गोली रोजाना सुबह-शाम सेवन करने से जोड़ों का दर्द समाप्त हो जाता है।
152. चकोतरा- गठिया के रोग को दूर करने के लिये नींबू, संतरा, मौसमी, चकोतरा आदि फलों के रस का सेवन करना चाहिए।
153. पालक- जोड़ो के दर्द को दूर करने के लिये पालक, टमाटर, खीरा आदि सब्जियों का सेवन करना चाहिए एवं इनका सलाद बनाकर खाना चाहिए।
154. गेहूं- घुटने के दर्द को दूर करने के लिए गेहूं की घास का रस पीना लाभकारी रहता है।
155. आलू-
गर्म राख में 4 आलू सेंक ले। फिर उनका छिलका उतारकर उनमें नमक-मिर्च डालकर रोजाना खाने से गठिया का रोग ठीक हो जाता हैं।
पाजामे या पतलून की दोनों जेबों में हर समय 1 छोटा-सा आलू रखें। यह प्रयोग गठिया रोग से रक्षा करता है। आलू खाने में भी बहुत लाभदायक होता है।
कच्चे आलू को पीसकर घुटनों पर लगाने से घुटनों का दर्द ठीक हो जाता है।
158. मेहन्दी -
मेहन्दी के हरे पत्तों के 100 मिलीलीटर रस को तिल के 100 मिलीलीटर तेल में मिलाकर तब तक उबालें जब तक जलकर सिर्फ तेल ही रह जाये। फिर इसे ठंड़ा करके छान लें और गठिया रोग से पीड़ित रोगी के दर्द वाले स्थानों पर 2 बार मालिश करें। मालिश करने के आधे घण्टे बाद सिंकाई करने से जोड़ों का दर्द (आमवात), साइटिका का दर्द और कमर दर्द में लाभ मिलता है।
मेहन्दी और एरंड़ के पत्तों को बराबर मात्रा में पीसकर थोड़ा गर्म करके घुटने पर लेप करने से घुटनों के दर्द में राहत मिलती हैं।
बकरी के दूध में महुए के फूल पकाकर पीने से घुटने के दर्द में आराम मिलता है।
गठिया के दर्द को दूर करने के लिये मेंहदी और एरण्ड के पत्तों को पीसकर लेप करने से लाभ होता है।
मेहन्दी के ताजे पत्तों को बारीक पीसकर रात को सोते समय दर्द वाले स्थानों पर गाढ़ा लेप लगाएं। इससे गठिया के रोग में जल्दी आराम मिलता है।
10 ग्राम शहद, 20 मिलीलीटर गुनगुना पानी और 1 छोटा चम्मच दालचीनी पाउडर को एक साथ मिलाकर रख लें। जिस जोड़ में दर्द कर रहा हो, उस पर धीरे-धीरे इसकी मालिश करें। इससे दर्द कुछ ही मिनटों में मिट जाएगा।
1 गिलास दूध में 1 गिलास पानी मिलाएं। फिर इसमें 1 चम्मच पिसी हुई दालचीनी, 4 छोटी इलायची, 1-1 चम्मच सोंठ व हरड़ तथा लहसुन की 3 कली के छोटे-छोटे टुकडे़ डालकर उबालें। जब दूध पकने के बाद आधा शेष रह जाएं तो इसे गर्म-गर्म ही पीना चाहिए। लहसुन को भी दूध के साथ ही निगल जाना चाहिए। इससे आमवात व गठिया रोग में लाभ मिलता है।
161. देवदारू- देवदारू को बिल्कुल बारीक पीसकर कपड़े से छानकर लगभग 2 ग्राम की मात्रा में चूर्ण को सुबह-शाम शहद के साथ सेवन करने से 2 दिन में जोड़ों का दर्द दूर हो जाता है।
162. मरूआ : मरूआ के पंचांग (जड़, तना, पत्ती, फल और फूल) का काढ़ा बनाकर 100 मिलीलीटर की मात्रा में दिन में 3 बार पीने से गठिया रोग मे लाभ होता हैं।
163. आक-
आक का दूध 3 दिनों तक गठिया यानी घुटनों के दर्द वाले स्थान पर लगाने से लाभ होता है।
आक के दूध में नमक डालकर पतला लेप करके लगाने से गठिया की सूजन व दर्द दूर हो जाता है।
आक या एरण्ड के पत्तों पर तेल लगाकर हल्का-हल्का गर्म करके दर्द वाले स्थान पर सिंकाई करने से लाभ मिलता है।
आक के पत्तों में पेट्रोल लगाकर बांधने से जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है।
आक (मदार) के फूलों को उबालकर जहां गठिया का दर्द हो वहां पर बांधने से लाभ मिलता है।
जोड़ों में दर्द प्राय: शरीर में वात (गैस) के बढ़ जाने के कारण होता है। कभी-कभी कफ के शरीर में बढ़ जाने के कारण भी यह रोग पैदा हो जाता है। इन कारणों से गठिया रोग होने पर रोगी को धनिये तथा सोंठ के चूर्ण को शहद के साथ मिलाकर चटाना चाहिए।
धनिये के तेल की घुटनों पर मालिश करने से गठिया का दर्द दूर हो जाता है तथा हडि्डयों में उत्पन्न कमजोरी भी ठीक हो जाती है। 25 ग्राम सोंठ, 10 ग्राम कालीमिर्च, 10 ग्राम लौंग, 10 ग्राम धनिये के दाने, 10 ग्राम अजवाइन और 5 ग्राम सेंधानमक को एकसाथ मिलाकर चूर्ण बना लें। 3 से 4 ग्राम की मात्रा में चूर्ण को गुनगुने पानी के साथ सेवन करने से रोगी को गठिया (घुटनों के दर्द) के रोग में लाभ मिलता है।
3.5 ग्राम धनिये में 10 ग्राम चीनी मिलाकर खाने से गठिया का रोग नष्ट हो जाता है।
धतूरा के पंचांग (जड़, तना, पत्ती, फल और फूल) का रस निकालकर उसको तिल के तेल में पकाकर, जब तेल शेष रह जाए तो रोगग्रस्त अंग पर इस तेल की मालिश करके ऊपर से धतूरा के पत्ते बांध देने से गठिया का दर्द नष्ट हो जाता है। इस तेल का लेप करने से सूखी खुजली और गठिया में लाभ होता है।
जोड़ों के दर्द में धतूरा का सत लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग की मात्रा में दिन में 3 बार सेवन करने से लाभ मिलता है।
धतूरे के पत्तों के लेप से या इसके पत्तों की पुल्टिश बनाकर रोगग्रस्त अंग पर बांधने से गठिया और हड्डी के दर्द में लाभ होता है।
167. जायफल–
20 ग्राम सूखे आंवले और 20 ग्राम गुड़ को 500 मिलीलीटर पानी में मिलाकर उबाल लें। उबलने पर जब पानी लगभग 250 मिलीलीटर की मात्रा में रह जाए तो इस पानी को छानकर सुबह-शाम गठिया रोग से ग्रस्त रोगी को पिलाने से लाभ होता है। रोगी को गठिया रोग की चिकित्सा के दौरान नमक बिल्कुल छोड़ देना चाहिए।
आंवला और हरड़ को एक साथ पीसकर बनें चूर्ण को 3-3 ग्राम की मात्रा में गर्म पानी के साथ रोजाना सुबह-शाम सेवन करने से गठिया का दर्द खत्म हो जाता है।
सूखे आंवले को कूटकर पीस लें। फिर इस चूर्ण में इससे 2 गुनी मात्रा में गुड़ मिलाकर बेर के आकार की गोलियां बना लें। यह 3 गोलियां रोजाना खाने से जोड़ों का दर्द खत्म हो जाता है।
एक गिलास पानी में 25 ग्राम सूखे आंवले और 50 ग्राम गुड़ को डालकर उबाल लें। उबलने पर यह चौथाई भाग पानी बाकी रहने पर इसे छानकर रोजाना 2 बार रोगी को पिलाएं। इस रोग की चिकित्सा के दौरान रोगी को बिना नमक की रोटी तथा मूंग की दाल में सेंधानमक और कालीमिर्च डालकर खिलाना चाहिए।
171. अदरक-
अदरक के 500 मिलीलीटर रस और 250 मिलीलीटर तिल के तेल को एक साथ मिलाकर आग पर पकाएं। जब रस जलकर खत्म हो जाए तो इस तेल को छानकर रख लें। इस तेल की मालिश करने से जोड़ो की सूजन में बहुत लाभ होता है। अदरक के रस में नारियल का तेल भी पकाकर इस्तेमाल कर सकते हैं।
अदरक को पीसकर जोड़ो की सूजन और पैरों के जोड़ों पर लेप करने से सूजन और दर्द जल्दी ठीक हो जाते हैं।
10 ग्राम सोंठ को 100 मिलीलीटर पानी में उबालकर ठण्डा होने पर शहद या शक्कर के साथ मिलाकर सेवन करने से गठिया रोग में होने वाला घुटनों का दर्द समाप्त हो जाता है।
1 चम्मच सोंठ और आधा टुकड़ा जायफल को एकसाथ पीसकर तिल के तेल में मिलाकर इसमें कपड़ा भिगोकर जोड़ों पर पट्टी बांधने से जोड़ो के दर्द में आराम होता है।
3 ग्राम सोंठ को 3 ग्राम कचूर के साथ मिलाकर पीस लें। पुनर्नवा के 100 मिलीलीटर काढ़े के साथ इस चूर्ण को खाने से गठिया (घुटनों का दर्द) रोग से ग्रस्त रोगी को लाभ मिलता है।
आधा कप अजवायन के रस में पानी मिलाकर रोजाना सुबह-शाम भोजन करने के बाद लगातार 15 दिन तक सेवन करने से गठिया के रोग में हडि्डयों में कमजोरी के कारण उत्पन्न दर्द दूर हो जाता है।
सोंठ और हरड़ का चूर्ण अथवा सोंठ और गिलोय का चूर्ण बनाकर खाने से गठिया का रोग नष्ट हो जाता है तथा दर्द में आराम मिलता है।
सोंठ को फेंटकर प्रतिदिन रात को सोते समय सेवन करने से गठिया के रोगी को आराम मिलता है।
सोंठ और जायफल को 10-10 ग्राम की मात्रा में मोटा-मोटा कूटकर 75 मिलीलीटर तिल के तेल के साथ मिलाकर गर्म कर लें। फिर इस तेल के जल जाने पर ठण्डा करके छान लें। इस तेल की जोड़ों पर मालिश करने से गठिया रोग में होने वाला दर्द जल्दी ठीक हो जाता है।
घुटने के दर्द को नष्ट करने के लिए 10 ग्राम सोंठ, 10 ग्राम कालीमिर्च, 5 ग्राम बायबिडंग और 5 ग्राम सेंधानमक को एकसाथ मिलाकर कूटकर और पीसकर चूर्ण बनाकर 1 छोटी बोतल में भर लें। इस चूर्ण में आधा चम्मच शहद मिलाकर चाटने से गठिया रोग से ग्रस्त रोगी का दर्द दूर हो जाता है।
10 ग्राम सोंठ और 10 ग्राम अजवायन को 200 मिलीलीटर सरसों के तेल में डालकर आग पर गर्म कर लें। सोंठ और अजवायन भुनकर जब लाल हो जाए तो तेल को आग से उतार लें। यह तेल सुबह-शाम दोनों घुटनों पर मलने से रोगी के घुटनों का दर्द दूर हो जाता है।
175. काली राई- गठिया रोग से ग्रस्त अंगों पर काली राई का प्लास्टर करने से गठिया रोग में होने वाला दर्द दूर हो जाता है।
176. कलौंजी-
1 चम्मच सिरका, आधा चम्मच कलौंजी का तेल और 2 चम्मच शहद को मिलाकर दिन में 2 बार सुबह खाली पेट और रात में सोते समय रोगी को पिलाने से गठिया रोग में आराम मिलता है।
मोटी-मोटी कुटी हुई 1 चम्मच दानामेथी में 21 दाने कलौंजी के मिलाकर सुबह खाली पेट तथा रात को सोते समय ठंडे पानी से रोजाना फंकी लेने से घुटनों के दर्द में आराम होता है।
179. अजमोद-
10-10 ग्राम अजमोद बायविडंग, देवदारू, चित्रक, पिपला की जड़ सौंफ, पीपल और कालीमिर्च 100 ग्राम हरड़ और विधारा तथा 100 ग्राम शुंठी को एकसाथ मिलाकर बारीक चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को 6 ग्राम की मात्रा में लेकर इसमें पुराना गुड़ मिलाकर गर्म पानी के साथ दिन में 3 बार सेवन करने से सूजन, आमवात, जोड़ों का दर्द, पीठ व जांघ का दर्द आदि रोगों में लाभ मिलता है।
अजमोद, कालीमिर्च, छोटी पीपल, बायविडंग, देवदारू, चित्रक, सौंफ, सेंधानमक, पीपलामूल और सोंठ को 10-10 ग्राम की मात्रा में लेकर पीसकर चूर्ण बना लें। फिर इस चूर्ण को थोड़े से पुराने गुड़ में मिलाकर इसकी गोलियां बनाकर 2-2 गोलियों को सुबह-शाम गुनगुने पानी से लेने से गठिया रोग में लाभ मिलता हैं।
15 ग्राम अजमोद, 25 ग्राम सोंठ, 100 ग्राम हरड़ और 10 ग्राम सेंधानमक को एकसाथ मिलाकर और पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को 2 चुटकी की मात्रा में गर्म पानी के साथ सुबह-शाम सेवन करने से गठिया रोग में आराम मिलता है।
अजवाइन का रस जोड़ों पर मलने से गठिया रोग में होने वाला दर्द दूर हो जाता है।
जोड़ो के दर्द से ग्रस्त अंगों पर अजवायन के तेल की मालिश करने से रोगी को आराम मिलता है।
मेथी के 30 ग्राम दानों में रात को सोने से पहले पानी में डालकर रख लें। सुबह जल्दी उठकर इन दानों को थोड़ा-सा मसलकर, पानी को छानकर, थोड़ा-सा गर्म करके पीने से गठिया रोग (जोड़ों का दर्द) में बहुत लाभ होता है।
182. अगस्त- धतूरे की जड़ और अगस्त की जड़ दोनों को बराबर मात्रा में लेकर पीसकर लेप बना लें। इस लेप की पुल्टिश बनाकर दर्द वाले भाग पर बांधने से गठिया रोग में होने वाला दर्द दूर हो जाता है, सूजन उतर जाती है। गठिया रोग का दर्द कम होने पर लाल अगस्त की जड़ को पीसकर लेप कर सकते हैं।
183. कपूर–
कपूर को उससे 4 गुना गिरी के या शुद्ध तिल के तेल में गर्म करके गठिया रोग के कारण दर्द, जोडों की सूजन, शरीर की गांठ, जख्म और पर मालिश करने से जल्दी आराम आता है।
500 मिलीलीटर तिल के तेल में 10 ग्राम कपूर को मिलाकर शीशी में भरकर उसके बाद ऊपर से ढक्कन को लगाकर धूप में रख दें। जब कपूर तेल में पूरी तरह से घुल जाए, तो जोड़ों पर अच्छी तरह से मालिश करने लाभ होता है।
इन्द्रायण की जड़ और पीपल के चूर्ण को बराबर मात्रा में लेकर गुड़ में मिलाकर 10 ग्राम की मात्रा में रोजाना सेवन करने से जोड़ों की सूजन दूर हो जाती है।
आधा किलो इन्द्रायण के गूदे के रस में 10 ग्राम हल्दी, काला नमक, बड़े हुत्लीना की छाल को डालकर बारीक पीस लें। जब यह पानी सूख जाए तो चौथाई ग्राम की गोलियां बना लें। यह 1-1 गोली सुबह-शाम दूध के साथ सेवन करने से गठिया के रोगी को सूजन तथा दर्द में लाभ होता है जिससे थोड़े ही दिनों में रोगी अच्छा होकर चलने लगता है।
गठिया रोग में होने वाले दर्द से ग्रस्त अंगों पर करेले का रस लगाने और सब्जी के रूप में खाने से लाभ होता है।
करेलों के पत्तों के रस की मालिश करने से जोड़ों का दर्द ठीक हो जाता है।
गठिया के रोगी को करेले की सब्जी बिना कड़वापन दूर किए खिलाने से खून में होने वाली सड़न खत्म हो जाती है।
करेले का रस निकालकर गठिया रोग से ग्रस्त अंगों पर लगाने से गठिया की सूजन व दर्द कम हो जाता है। इसके साथ-साथ करेले के रस में राई का तेल मिलाकर मालिश करने से भी लाभ होता है।
187. प्याज-
निर्गुण्डी के पत्तों से निकले हुए तेल को हल्का गर्म करके मालिश करने तथा कपड़ा बांधने से सन्धिवात (गठिया), आमवात, सन्धिशोथ (गठिया की सूजन) तथा संधिगत (हडि्डयों में दर्द) आदि रोगों में बहुत आराम मिलता है।
निर्गुण्डी, लहसुन और सोंठ को 25-25 ग्राम की मात्रा में लेकर 1 किलो पानी में काढ़ा बनाकर पीने से गठिया का दर्द दूर हो जाता है।
14 से 28 मिलीलीटर निर्गुण्डी की जड़ का काढ़ा सुबह, दोपहर और शाम गठिया रोग से पीड़ित रोगी को खुराक के रूप में देने से लाभ होता है।
193. नींबू-
195. कुचला- गठिया रोग में कुचला बीज की मज्जा (बीच के हिस्से) को पानी में पीसकर दर्द वाले भाग पर लेप करने से रोगी को लाभ मिलता है।
196. शीशम- शीशम की 10 किलो छाल को मोटा-मोटा कूटकर लगभग 25 लीटर पानी में उबाल लें। जब पानी 3.25 लीटर शेष रह जाए तब इसे ठण्डा होने पर कपड़े में छानकर दुबारा चूल्हे पर चढ़ाकर गाढ़ा कर लें। इस गाढ़े पदार्थ को 10 मिलीलीटर की मात्रा में घी युक्त दूध पकाने के साथ 21 दिन तक दिन में 3 बार लेने से गृध्रसी रोग में होने वाला दर्द खत्म हो जाता है।
197. कुलंजन- जोड़ों के दर्द में कुलंजन और सोंठ का चूर्ण बराबर मात्रा में मिलाकर एरण्ड के तेल में फेंटकर जोड़ों पर लगाने से लाभ होता है।
198. अमरूद-
200. फालसा- फालसे के पेड़ की छाल का लेप करने से आमवात (गठिया) रोग में लाभ होता है और शारीरिक पीड़ा दूर होती है।
201. भांग- 125 ग्राम घी में सेंकी हुई भांग को 2-2 ग्राम कालीमिर्च और मिश्री के साथ दिन में 3-4 बार सेवन करने से गठिया रोग में आराम मिलता है।
202. लहसुन–
लहसुन की कलियों को शुद्ध घी में तलकर रोजाना खाने से आमवात या गठिया का दर्द दूर हो जाता है।
लहसुन के रस की 10 से 30 बूंदों को 2 से 3 ग्राम शहद के साथ सेवन करने से गठिया (घुटनों का दर्द) का दर्द दूर हो जाता है।
लहसुन को सरसों के तेल में पकाकर गठिया रोग से ग्रस्त अंगों पर मालिश करने से जोड़ों का दर्द ठीक हो जाता है।
भोजन के साथ लहसुन खाने से कुछ दिनों में ही घुटनों का दर्द दूर हो जाता है।
20 ग्राम नीम के पत्ते और 20 ग्राम कड़वे परवल के पत्तों को 300 मिलीलीटर पानी में डालकर उबाल लें। उबलने पर चौथाई भाग पानी शेष रहने पर इसमें शहद मिलाकर सुबह और शाम सेवन करने से खून शुद्ध होता है। इसके साथ ही नीम के पत्तों को कांजी या छाछ में उबालकर और पीसकर गठिया रोग से ग्रस्त अंगों पर लेप करते रहने से गठिया रोग कुछ ही दिनों में दूर हो जाता है।
20 ग्राम नीम की अन्तर छाल को पानी के साथ खूब बारीक पीसकर गठिया रोग के दर्द वाले भाग पर गाढ़ा लेप करने से 3 से 4 दिनों में ही जोड़ों का दर्द मिट जाता है।
नीम की छाल के रस की 10-20 बूंदों को 2 से 4 दिन तक सेवन करें। इसके 2 घण्टे के बाद ताजी बनी हुई रोटी घी के साथ खाने से लकवा, आधे शरीर में लकवा होना व गठिया रोग में लाभ होता है।
गठिया रोग से ग्रस्त अंगों पर नीम के तेल की मालिश करने से लाभ होता है।
थोड़ी से नीम के ताजे पत्ते और 60 ग्राम नीम की लाल-लाल कोंपलों को 250 मिलीलीटर उबलते हुए सरसों के तेल में डालें। जब तेल में कोपलें काली हो जायें, तब तेल को छान लें। ध्यान रखें कि कोपलें जलकर राख नहीं हों। इस तेल को लगाने से जोंड़ों के दर्द में लाभ मिलता है।
205. श्योनाक-
आमवात (गठिया) और वात प्रधान (वायु से उत्पन्न) रोगों में श्योनाक की जड़ व सोंठ का फांट यानी घोल बनाकर दिन में 3 बार 50 मिलीलीटर की मात्रा में पीने से गठिया रोग से ग्रस्त रोगी को लाभ होता है।
श्योनाक की छाल के चूर्ण को लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग तक की मात्रा में दिन में 3 बार रोजाना सेवन करने से तथा श्योनाक के पत्तों को गरम करके जोड़ों पर बांधने से गठिया रोग में बहुत लाभ होता है।
1 लीटर गर्म पानी में 4 चम्मच नमक डालकर गठिया (घुटनों के दर्द) रोग से ग्रस्त अंगों की सिंकाई करने से आराम मिलता है।
गठिया रोग में कमजोरी के कारण होने वाले दर्द में 20-20 ग्राम सेंधानमक, सोया, देवदारू, चीता, बायविडंग, पीपल, कालीमिर्च, अजमोद, पीपरामूल, 200-200 ग्राम विधरा और सोंठ और 100 ग्राम हरड़ को पीसकर व छानकर अच्छी तरह मिला लें। 680 ग्राम गुड़ पानी के साथ आग पर पकाकर चाशनी बना लें। इस चाशनी में पहले बनाए गए चूर्ण को मिलाकर 4-4 ग्राम की गोलियां बना लें। रोजाना सुबह-शाम यह 1-1 गोली गर्म पानी के साथ सेवन करने से गठिया (घुटनों के दर्द) में लाभ होता है।
208. पपीता- मांसपेशियों में और जोंड़ों में दर्द होने पर पपीते के पत्तों को गर्म करके चिकने भाग की तरफ से बांधने या सिंकाई करने से आराम आता है।
209. अंकोल-
गठिया रोग से ग्रस्त अंगों पर बकायन की छाल को अथवा जड़ को पानी के साथ पीसकर लगाने से आराम मिलता है।
बकायन की जड़ की अन्तर छाल के चूर्ण को 3 ग्राम की मात्रा में पानी के साथ सुबह-शाम सेवन करने से गठिया रोग में लाभ मिलता है।
बकायन के बीजों को सरसों के साथ पीसकर लेप करने से गठिया रोग से छुटकारा मिल जाता है।
213. अपामार्ग- घुटनों की सूजन में अपामार्ग के 10-12 पत्तों को पीसकर गर्म करके घुटनों पर बांधने से लाभ होता है। सन्धिसोथ व दूषित फोड़े, फुन्सी या गांठ वाली जगह पर पत्ते पीसकर लेप लगाने से गांठ धीरे-धीरे फूट जाती है।
214. राई-
216. एरण्ड-
25 मिलीलीटर एरण्ड का तेल रोजाना सुबह-शाम खाली पेट पीने से गठिया (घुटनों का दर्द) रोग में लाभ होता है।
एरण्ड के बीजों को पानी में पीसकर गर्म करके गठिया रोग में होने वाली सूजन व दर्द के स्थानों पर बांधने से राहत मिलती है।
घुटने के दर्द के लिये 1 ग्राम हरड़ और एरण्ड के तेल को एकसाथ मिलाकर सेवन करने से रोगी को लाभ होता है।
218. तिल- लगभग 3-4 ग्राम तिल और सोंठ को एकसाथ मिलाकर दिन में 2 बार सेवन करने से आमवात रोग में लाभ मिलता है।
219. कुसुम-
221. तुलसी-
तुलसी के पत्ते आधे मुट्ठी, एक नया पत्ता एरण्ड का और आधा चम्मच नमक आदि को पीसकर गर्म करके घुटनों पर 10 दिन तक प्रतिदिन लेप करते रहने से घुटनों का दर्द कुछ ही दिन में समाप्त हो जाता है।
तुलसी के पत्तों के रस में अजवायन मिलाकर गठिया के रोगी को खिलाना चाहिए। इससे गठिया रोग कुछ ही समय में नष्ट हो जाता है। आधा चम्मच तुलसी के पत्तों का रस, पिसी हुई कालीमिर्च के 4 दाने, 2 चुटकी काला नमक तथा 2 चम्मच शहद को एकसाथ मिलाकर 40 दिनों तक सेवन करने से गठिया रोग में लाभ होता है।
अश्वगंधा के पंचाग (जड़, तना, पत्ती, फल और फूल) को कूटकर और छानकर 25 से 50 मिलीलीटर तक सेवन करने से जोड़ो का दर्द दूर हो जाता है।
अश्वगंधा के 30 ग्राम ताजा पत्तों को 250 मिलीलीटर पानी में डालकर उबाल लें। जब उबलने पर पानी आधा रह जाये तो इसे छानकर 7 दिनों तक लगातार पीने से ही गठिया रोग की अकड़न और दर्द से ग्रस्त भाग बिल्कुल अच्छा हो जाता है। इसका लेप भी बहुत ज्यादा लाभदायक रहता है।- 2 ग्राम अश्वगंधा के चूर्ण को सुबह-शाम गर्म दूध के साथ सेवन करने से गठिया के रोगी को आराम मिलता है।