गठिया का दर्द gathiya ka dard

गठिया का दर्द  gathiya ka dard



गठिया रोग को आमवात, संधिवात आदि नामों से भी जाना जाता है। इस रोग में सबसे पहले शरीर में निर्बलता और भारीपन के लक्षण दिखाई देते हैं। इस रोग के होने पर हाथ के बीच की उंगलियों में दर्द होता है। अगर इसका इलाज नही किया जाता तो हाथ की दूसरी उंगलियों में भी सूजन व दर्द होने लगता है। गठिया रोग होने पर शरीर की हडि्डयों में दर्द होता है, जिसके कारण रात को रोगी सो भी नहीं पाता है।परिचय :

विभिन्न भाषाओं में नाम :


हिंदी            



अंग्रेजी         



बंगाली         



गुजराती      



कन्नड़         



मलयालम   



मराठी



उड़िया



पंजाबी   



तमिल 



तेलगू      



अरबी 


कारण :-

         तेज मसालों से बना भोजन (फास्ट फूड), गर्म भोजन, ठंडी चीजों का अधिक सेवन करने से पेट में गैस पैदा होती है जिसके कारण यह रोग उत्पन्न होता है। जब भोजन आमाशय में जाकर अधपचा रह जाता है तो भोजन का अपरिपक्व रस जिसे `आम´ कहते हैं वो त्रिक (रीढ की हड्डी का निचला हिस्सा) की हडि्डयों में जाकर वायु के साथ दर्द उत्पन्न करता है। इसी रोग को गठिया का रोग कहते हैं। चिकित्सकों के अनुसार- यह रोग भोजन के ठीक से पचने से पहले पुन: भोजन कर लेने से, प्रकृति-विरूद्ध पदार्थों को खाने से, अधिक शीतल और वसायुक्त खाद्य-पदार्थों का सेवन करने से उत्पन्न होता है।
         गठिया का रोग दांत गन्दे रहना, भय, अशान्ति, शोक, चिन्ता, अनिच्छा का काम, पानी में भीगना, ठंड लगना, आतशक, सूजाक, अधिक स्त्री सहवास (संभोग), ठंडी रूखी चीजें खाना, रात को अधिक जागना, मल-मूत्र के वेग को रोकना, चोट लगना, अधिक खून बहना, अधिक श्रम, मोटापा आदि कारणों से होता है। यह रोग खून की कमी, शारीरिक कमजोरी तथा बुढ़ापे में हड्डियों की चिकनाई कम होने के कारण भी उत्पन्न होता है। इस रोग में दर्द या तो बाएं या दाएं घुटने में अथवा दोनों घुटनों में होता है। रोगी को बैठने के बाद खड़े होने में तकलीफ होती है और रात के समय रोग बढ़ जाता है। सर्दी तथा वर्षा के मौसम में यह रोग दर्द के साथ रोगी को व्याकुल कर देता है एवं चलने-फिरने, उठने-बैठने में तकलीफ पैदा करता है। रोगी के घुटने कड़े हो जाते हैं और उनमें कभी-कभी सूजन भी हो जाती है। 

लक्षण :-

         भोजन का अच्छा न लगना, अधिक आलस आना, बुखार से शरीर के विभिन्न अंगों में सूजन, कमर और घुटनों में तेज दर्द जिसके कारण रोगी रात को सो नही पाता है आदि गठिया रोग में होने वाले लक्षण है। इसके अलावा इस रोग में रोगी के हाथ-पांव की अंगुलियों में सूजन होती है जिससे अंगुलियां सीधी नही होती है, शरीर के दूसरे भागों में सूजन व दर्द रहता है। इस रोग के होने पर जोड़ो व मांसपेशियों में दर्द रहता है।
         एक वर्ष पुराने चावल, जंगली पशु-पक्षियों के मांस का सूप, एरण्डी का तेल, पुरानी शराब, लहसुन, करेला, परवल, बैंगन, सहजना, लस्सी, गोमूत्र, गर्म पानी, अदरक, कड़वे एवं भूख बढ़ाने वाले पदार्थ, साबूदाना, तथा बिना चुपड़ी रोटी का सेवन करना गठिया रोग में लाभकारी है। इस रोग में फलों का सेवन और सुबह नंगे पैर घास पर टहलना रोगी के लिए लाभकारी होता है। गठिया रोग में रात को सोते समय एक गिलास दूध में जरा-सी हल्दी डालकर पीने से लाभ मिलता है।
         उड़द की पिट्ठी की कचौडी तथा बड़ी मछली, दूध, दही, पानी, गर्म (मसालेदार) भोजन, रात को अधिक देर तक जागना, मल-मूत्र के वेग को रोकना आदि गठिया रोग में हानिकारक है। मूली, केला, अमरूद, कटहल, चावल, लस्सी एवं गुड़ आदि का प्रयोग भी इस रोग में हानिकारक है। इस रोग में रोगी को भूख से एक रोटी कम खानी चाहिए और ठंडी वस्तुओं का सेवन कम करने चाहिए। रोगी को शरीर को अधिक थकाने वाले कार्य नहीं करने चाहिए तथा खाने के बाद बैठकर पढ़ने-लिखने का कार्य भी अधिक नहीं करना चाहिए।
1. असगंधा
2. सरसो-
3. हरड़-
4. कूठ- 5 ग्राम कूठ के चूर्ण को एरण्ड के तेल के साथ रोजाना सेवन करने से कुछ ही दिनों में गठिया रोग में आने वाली सूजन मिट जाती है।
5. दूध-
6. मुण्डी- मुण्डी और सोंठ को 50-50 ग्राम की मात्रा में लेकर कूटकर और पीसकर चूर्ण बना लें। इस 3-3 ग्राम चूर्ण को रोजाना सुबह-शाम गर्म पानी के साथ रोगी को देने से गठिया से उत्पन्न सूजन मिट जाती है।
7. पिप्पली-
8. कांजी-
9. सोया-
10. शुण्ठी- 2 ग्राम शुण्ठी के चूर्ण को 50 ग्राम गुनगुने पानी के साथ दिन में 2 बार खाने से गठिया रोग में लाभ होता है।
11. आरग्यवध- आरग्यवध की फलियों को घी और सरसों के तेल में तलकर लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग की मात्रा में दिन में 2 बार खाने से गठिया रोग में बुखार का आना तथा आलसपन दूर होता है।
12. गुड़ूची- शुण्ठी एवं गुड़ूची को बराबर मात्रा में मिलाकर काढ़ा बना लें। इस काढ़े को 12 से 28 मिलीलीटर की मात्रा में 6 ग्राम हरड़ के चूर्ण के साथ दिन में 2 बार लेने से भूख का न लगना तथा हाथ व पैरों के दर्द में आराम मिलता है।
13. गेहूं- गेहूं के आटे और एरण्ड के बीजों का चूर्ण बराबर मात्रा में लेकर बकरी के दूध या पुराने घी में मिलाकर लेप बनाकर घुटनों और हडि्डयों पर लगाने से गठिया के रोगी को लाभ मिलता है।
14. लोंग-
15. हरीतकी चूर्ण- 20 से 40 ग्राम हरीतकी का चूर्ण बनाकर घी के साथ सुबह-शाम सेवन करने से गठिया के रोग में ठंड के कारण उत्पन्न होने वाली कमजोरी दूर हो जाती है।
16. अजवायन :
17. चनसूर- चनसूर के बीजों को नींबू के रस में पीसकर जोड़ों पर लगाने से गठिया के दर्द में आराम होता है।
18. शराब- शराब के साथ खुरासानी अजवायन को पीसकर गठिया से ग्रस्त अंगों पर लेप करने से लाभ मिलता है।
19. घोरबच- गठिया के रोगी को घोरबच (बच) का लेप या उससे प्राप्त तेल से मालिश करने से गठिया रोग में होने वाला आलस व दर्द ठीक हो जाता है।
20. चोपचीनी- चोपचीनी को दूध में उबालकर इसमें 3 से 6 ग्राम मस्तगी, इलायची और दालचीनी को मिलाकर सुबह-शाम रोगी को देने से गठिया के दर्द में आराम मिलता है।
21. उश्वागठिया के रोगी को 10 से 20 मिलीलीटर जंगली उश्वा के चूर्ण का काढ़ा बनाकर प्रतिदिन सेवन कराने से पुराने से पुराने गठिया का दर्द दूर हो जाता है।
22. हाऊबेर- लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग हाऊबेर का सेवन रोजाना सुबह-शाम करने से गठिया के रोगी के लिये लाभकारी होता है।
23. बांस- बांस की कोमल गांठों को पीसकर जोड़ों पर लगाने से गठिया रोग में होने वाले दर्द में आराम मिलता है।
24. खुरासानी कुटकी- गठिया के रोगी को खुरासानी कुटकी लगभग आधा ग्राम से लगभग 1 ग्राम की मात्रा में शहद के साथ सुबह-शाम देने से लाभ होता है। इससे रोगी का बुखार भी खत्म हो जाता है। ध्यान रहे :- इसका प्रयोग अधिक मात्रा में नहीं करना चाहिए।
25. मैनफल- गठिया के रोग में मैनफल के पेड़ की छाल को पीसकर लगाने से दर्द व सूजन में लाभ होता है।
26. अन्तमूल- लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग अन्तमूल का रोजाना सेवन करने से गठिया रोग में उत्पन्न होने वाली भोजन की अरुचि दूर हो जाती है।
27. रूद्रजटा- लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग रूद्रजटा (ईश्वर मूल) के पंचाग (जड़, पत्तें, फल, फूल, तना) का चूर्ण बनाकर शहद के साथ मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से गठिया का रोग ठीक हो जाता है।
28.कायफल-
29. गांजा गठिया के रोगी को गांजे का लेप दर्द वाली जगह पर करने से दर्द ठीक हो जाता है।
30. अगर- गठिया के रोगी को दर्द वाले स्थानों पर अगर का लेप करने से लाभ मिलता है तथा उसका रोग खत्म हो जाता है।
31. सुगन्धबाला- गठिया का दर्द और सूजन कम करने के लिये सुगन्धबाला की फांकी रोजाना सुबह-शाम लेने से लाभ मिलता है।
32. गुग्गुल-
33. तारपीन : तारपीन का तेल और एरण्ड का तेल बराबर मात्रा में लेकर मालिश करने से गठिया रोग में होने वाली सूजन मिट जाती है।
34. नागकेसर- गठिया के रोग में जोड़ों में दर्द होने पर नागकेसर के तेल की मालिश करने से आराम मिलता है।
35. फूल प्रियंगु- फूल प्रियंगु के पत्तों से सिंकाई करने से गठिया का रोग ठीक हो जाता है।
36. कबाबचीनीगठिया के रोगी को 1 से 4 ग्राम कबाबचीनी का सेवन कराने से लाभ मिलता है।
37. सोनपत्ता- सोनपत्ता के पेड़ की छाल को पीसकर उसके चूर्ण की फंकी लेने से गठिया के रोग में आराम मिलता है।
38. भटकटैया- 25 से 50 ग्राम भटकटैया (रेंगनीकांट) के पत्तों के रस में कालीमिर्च मिलाकर रोजाना सुबह-शाम गठिया के रोगी को पिलाने से लाभ होता है।
39. माषपर्णो- 2 से 4 ग्राम माषपर्णो (वनउड़द) का रोजाना सुबह सेवन करने से गैस से होने वाले गठिया का दर्द ठीक हो जाता है।
40. आकीर्दा आकीर्दा चूर्ण को सोंठ के साथ एक खुराक की मात्रा में रात को सोते समय लेने से गठिया (घुटनों के दर्द) के रोगी को लाभ मिलता है।
41. थूहर- गठिया के रोग में थूहर की जड़ का काढ़ा बनाकर सेवन करने से लाभ मिलता है।
42. फरहद- गठिया के रोग में फरहद के पत्तों को पीसकर लेप करने से गठिया (घुटनों के दर्द) में लाभ मिलता है।
43. सहजना-
44. सिनुआर-  गठिया रोग में 10 से 20 मिलीलीटर सिनुआर के पत्तों का रस सुबह-शाम लेने से रोगी को लाभ मिलता है। इसके साथ ही सिनुआर, करंज, नीम, और धतूरे के पत्तों को एक साथ पीसकर गर्म-गर्म ही दर्द वाले स्थान पर लेप करने से भी लाभ मिलता है।
45. भंगरैया- सिनुआर, तुलसी एवं भंगरैया के रस को अजवायन के चूर्ण के साथ मिलाकर लेने से गठिया रोग जल्दी ठीक हो जाता है।
46. कोरैया -  गठिया के रोगी को कोरैया (कूड़ा) की छाल का लेप करने से गठिया रोग में लाभ होता है।
47. करंजगठिया के रोग में करंज के बीजों के तेल से मालिश करने से रोग में लाभ मिलता है।
48. मुश्फ- गठिया के रोगी को मुश्फ की छाल का काढ़ा बनाकर सुबह-शाम सेवन करने से लाभ मिलते है।
49. अंकोट- लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग अंकोट की जड़ की छाल को प्रतिदिन 3 बार घोड़बच या सोंठ के साथ चावल की मांड में उबालकर सेवन करने से लाभ मिलता है। अंकोट  के साथ ही पत्तों को पीसकर गर्म करके दर्द वाले स्थान पर बांधने से गठिया रोग में लाभ मिलता है।
50. रोहिसघास- रोहिसघास के पत्तों से प्राप्त तेल की गठिया के रोग से ग्रस्त रोगी की मालिश करने से लाभ मिलता है।
51. अगियाखर- गठिया के रोगी का उपचार करने के लिये अगियाखर से प्राप्त तेल से मालिश करने से कमर दर्द दूर हो जाता है।
52. शतावरी- शतावरि के तेल से मालिश करने से गठिया के रोगी को लाभ होता है।
53. इन्द्रायण-
54. विधारा- 3 ग्राम विधारा की जड़ को पीसकर गठिया रोग से ग्रस्त रोगी की अंगुलियों पर बांधने से अंगुलियों की सूजन मिटती है।
55. जवासा- गठिया के रोगी के रोगग्रस्त अंगों पर जवासा के तेल की मालिश करने से रोगी का दर्द दूर हो जाता है।
56. अपामार्ग- अपामार्ग (चिरचिरी) के पत्तों को पीसकर और गर्म करके गठिया रोग से ग्रस्त अंगों में बांधने से दर्द व सूजन दूर हो जाती है।
57. श्वेत पुनर्नवा- गठिया के रोगी को श्वेत पुनर्नवा (सफेद गद पुरैना) को शाक के रूप में प्रयोग करने से लाभ मिलता है।
58. गन्धप्रसारिणी- गठिया के रोगी को 10 से 30 मिलीलीटर गन्धप्रसारिणी के पत्तों का रस अथवा 2 से 4 ग्राम इसके पत्तों का चूर्ण रोजाना सुबह-शाम त्रिकुटा के साथ सेवन कराने से लाभ मिलता है।
59. अनन्त- गठिया रोग में अनन्त की जड़ को फेंटकर 40 ग्राम रोजाना सुबह-शाम रोगी को सेवन कराने से लाभ होता है।
60. चूरनहारचूरनहार को फेंटकर सेवन करने से रोगी को गठिया रोग में लाभ मिलता है।
61. पाताल गुरूड़ी-
62. ब्राहमोंब्राहमों (जलनीम) के रस से गठिया रोग के कारण होने वाले दर्द वाले स्थानों पर मालिश करने से दर्द दूर हो जाता है।
63. गावजबान- गावजबान और चौपचीनी को मिलाकर काढ़ा बना लें। इस काढ़े से घुटनों पर मालिश करने से गठिया रोग का दर्द व हड्डियों में उत्पन्न कमजोरी खत्म हो जाती है।
64. सुदर्शन- सुदर्शन के पत्तों को गर्म करके उस पर एरण्ड का तेल लगाकर गठिया में बांधने से दर्द में लाभ मिलता है।
65. माधवी- माधवी (माधवीलता) की छाल का काढ़ा बनाकर प्रतिदिन 20 से 40 मिलीलीटर की मात्रा में सेवन करने से गठिया रोग में उत्पन्न बुखार दर्द व सूजन में आराम मिलता है।
66. केवड़ा- गठिया के दर्द में केवड़ा के तेल की मालिश करने से लाभ मिलता है।
67. अगस्त- अगस्त की जड़ का लेप बनाकर गठिया रोग के दर्द और सूजन वाले स्थानों पर लेप करने से लाभ होता है।
68. बरगद-  गठिया रोग के कारण होने वाले दर्द वाले स्थान पर बरगद के दूध में अलसी का तेल मिलाकर मालिश करने से लाभ मिलता है।
69. पीपल-
70. सलई- गठिया के दर्द में सलई के फल और फूलों का काढ़ा बनाकर 20 से 40 मिलीलीटर की मात्रा में रोजाना सेवन करने से गठिया का रोगी ठीक हो जाता है।
71. रीठा- गठिया के दर्द को दूर करने के लिये रीठा का लेप गठिया रोग से ग्रस्त अंगों पर करने से लाभ मिलता है।
72. संतरा-
73. महुआ- 20 से 40 मिलीलीटर महुआ की छाल का काढ़ा बनाकर प्रतिदिन 3 बार सेवन करने से गठिया के रोग में लाभ मिलता है।
74. लघुपीलु- गठिया के रोगी के लिये लघुपीलु के बीज का तेल राई के तेल के साथ मिलाकर मालिश करने से हड्डियों का दर्द दूर हो जाता है।
75. जमीरी- जमीरी या कागजी नींबू का रस निकालकर शर्बत बनाकर रोजाना सुबह-शाम पीने से गठिया का रोग ठीक हो जाता है।
76. कौनी- कौनी (कंगुनी, एक प्रकार का खाद्यान्न) को पीसकर गठिया से ग्रस्त अंगों पर लगाने से गठिया के रोगी का दर्द दूर हो जाता है।
77. मानकन्द- मानकन्द के फल को कद्दूकश करके कसकर गर्म-गर्म ही बांधने से गठिया का दर्द व सूजन दूर हो जाती है।
78. केमुक केमुक (केमुआ) के फल को पकाकर प्रतिदिन सेवन करने से हड्डी के अन्दर होने वाला दर्द ठीक हो जाता है।
79. अन्धहुली अन्धहुली के पेड़ की जड़ को पीसकर गठिया के दर्द में लगाने से आराम मिलता है।
80. अफसंतीन- 10 से 15 बूंद अफसंतीन का तेल बताशें या दूध में मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से गठिया का दर्द दूर हो जाता है।
81. उतरन- उतरन (उत्तमारणी) की जड़ को दूध के साथ सेवन करने से गठिया रोग में लाभ होता है।
82. उस्ताखुदूसगठिया के दर्द में उस्ताखुदूस के पंचाग (फल, फूल, पत्ती, जड़, तना) का चूर्ण 20 से 40 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से लाभ मिलता है।
83. ऊंटकटारा-  ऊंटकटारा की जड़ का रस 10 से 20 मिलीलीटर की मात्रा में रोजाना सुबह-शाम शहद के साथ सेवन करने से गठिया रोग ठीक हो जाता है।
84. अदसलीब 1 से 3 ग्राम अदसलीब की जड़ का चूर्ण सुबह-शाम खाने से गठिया रोग में हड्डी के अन्दर होने वाला दर्द व जख्म ठीक हो जाता है।
85. कायापुटी- गठिया का दर्द दूर करने के लिए कायापुटी के तेल की मालिश करने से लाभ मिलता है।
86. तोदरीगठिया के रोगी को तोदरी के बीज के तेल से मालिश करने से गठिया के सभी रोग दूर हो जाते हैं।
87. तीसी - तीसी और तारपीन के तेल में कपूर और पिपरमिंट को मिलाकर मालिश करने से गठिया का दर्द ठीक हो जाता है।
88. बलसां - गठिया के दर्द में लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग बलसां की गोंद को सुबह-शाम सेवन करने से लाभ मिलता है।
89. बाबूना- गठिया के दर्द को ठीक करने के लिए बाबूना के तेल से मालिश करने से आराम मिलता है।
90. गंधपूरा- गंधपूरा का तेल 5 से 15 बूंद सुबह-शाम चीनी के साथ सेवन करने से या मालिश करने से गठिया के दर्द में लाभ मिलता है।
91. सालब मिश्री- गठिया के दर्द में सालब मिश्री के फल का चूर्ण 3 से 6 ग्राम सुबह-शाम सेवन करने से लाभ होता है।
92. हरी मिर्च- गठिया के दर्द को दूर करने के लिये लाल या हरी मिर्च को डण्टल सहित पीसकर लेप बनाकर गठिया रोग से ग्रस्त अंगों पर लगाने से लाभ होता है।
93. मैदालकड़ी- गठिया के रोग में मैदालकड़ी की छाल का काढ़ा बनाकर पीने से यह रोग जल्दी खत्म हो जाता है।
94. बेसन- बेसन की रोटी बिना नमक के शुद्ध घी में चुपड़कर खाने से गठिया रोग में होने वाला दर्द कम हो जाता है।
95. गोरखमुण्डी- गठिया या जोड़ों के दर्द को कम करने के लिए गोरखमुण्डी और लोंग का चूर्ण बनाकर मालिश करने से लाभ मिलता है।
96. सिरका- सिरका में मीठा तेल मिलाकर जोड़ों पर मालिश करने से गठिया रोग में होने वाला दर्द दूर हो जाता है।
97. केंवाच- 10 ग्राम केंवाच के बीजों को दही या दूध के साथ 14 दिन तक खाने से घुटनों में उत्पन्न दर्द दूर हो जाता है।
98. अरणी -  अरणी के पत्तों का काढ़ा बनाकर पीने से गठिया का दर्द ठीक हो जाता है। 
99. मोमगठिया के दर्द में मोम और लोबान बांधने से गठिया रोग में होने वाली गांठे दूर हो जाती है।
100. पानी 100 मिलीलीटर पानी, 50 ग्राम तारपीन, 20 ग्राम सनलाइट साबुन और 9 ग्राम कपूर को तिल के तेल में सिद्ध करके मालिश करने से गठिया रोग में लाभ होता है।
101. करील-
102. नागकेशर- गठिया के रोगी को नागकेशर के बीजों के तेल की मालिश करने से गठिया रोग दूर हो जाता है।
103. फालसे- फालसे की जड़ का काढ़ा बनाकर पीने से गठिया रोग ठीक हो जाता है।
104. कुलिंजन कुलिंजन और रीठा के पत्तों का काढ़ा बनाकर पीने से गठिया रोग दूर हो जाता है।
105. कसूंबा कसूंबा के बीजों के तेल की मालिश करने से गठिया रोग में लाभ होता है।
106. उड़द- उड़द को एरण्ड की छाल के साथ उबालकर चबाने से गठिया रोग में हड्डी के अन्दर होने वाली कमजोरी दूर हो जाती है।
107. मेथी-
108. तम्बाकू- 1.5 लीटर पानी में 500 ग्राम तम्बाकू भिगो दें। भिगोये हुए पानी में तम्बाकू मसलकर छान लें। फिर इसे तिल के तेल में मिलाकर रोजाना सुबह-शाम मालिश करने से गठिया का दर्द दूर हो जाता है।
109. अफीम-
110. चम्पा- गठिया के रोगी को चम्पा के फूलों से बने हुए तेल की मालिश करने से लाभ होता है।
111. चित्रक (चीता)-
112. पोदीनागठिया के रोगी को पोदिने का काढ़ा बनाकर पिलाने से पेशाब खुलकर आता है और गठिया रोग में आराम मिलता है।
113. महुआ गठिया के दर्द में महुआ की छाल को पीसकर गर्म करके लेप करने से गठिया रोग ठीक हो जाता है।
114. पीलू- पीलू के पत्ते पर तेल चुपड़ कर गर्म करके अंगुली पर बांधने से गठिया का दर्द नष्ट हो जाता है।
115. गन्धक- सिरके में गन्धक मिलाकर लेप करने से गठिया रोग की सूजन मिट जाती है।
116. अगर- गठिया के दर्द में अगर की गोंद का लेप बनाकर लेप करने से लाभ मिलता है।
117. सम्भालू गठिया का दर्द दूर करने के लिए सम्भालू के पत्तों को पीसकर लेप करें तथा इसके पत्तों को दिन में 2 से 4 बार दर्द वाले स्थान पर बांधे। इसके पत्तों को लहसुन, चावल और गुड़ के साथ पीसकर गोली बनाकर रोजाना खाने से गठिया रोग में जल्द लाभ होता है।
118. उपरने- उपरने के पत्तों के रस में चूना मिलाकर लगाने से हाथ-पैरों की सूजन व गठिया का दर्द दूर हो जाता है।
1119. हाल्यों- गठिया के रोग में खून में पीब व अंगुली में होने वाली सड़न में हाल्यों, अजवायन, कलौंजी और मेथी को 10-10 ग्राम की मात्रा में कूटकर और छानकर रखें। इस 3 ग्राम चूर्ण को रोजाना सुबह खाली पेट खाने से रोगी को आराम मिलता है।
120. मालकांगनी
121. खीरा- गठिया रोग से ग्रस्त रोगी को रोजाना खीरे का सेवन करना चाहिए। इसके अलावा इस रोग में रोजाना लहसुन का सेवन भी लाभदायक रहता है।
122. मोठ- घुटनों का दर्द नया हो या पुराना उससे ग्रस्त रोगी को मोठ के लड्डू बनाकर खिलाने से लाभ होता है।
123. सोडा- 3 चम्मच कपड़े धोने वाला सोड़ा तेज गर्म पानी में मिलाकर गठिया के दर्द से ग्रस्त घुटने पर पानी गिराने से फिर पानी पोंछकर एरण्डी के तेल की मालिश करने से लाभ होता है।
124. शीरा- गठिया के रोगी को 1 कप पानी में 2 चम्मच शीरा मिलाकर दिन में 3 बार पिलाने से आराम मिलता है।
125. गोखरू-
126. बिनौले
127. अखरोट-
128. लौकी- कच्ची लौकी को काटकर उसकी लुगदी बनाकर घुटनों पर रखकर उसको किसी कपड़े से बांध लेना चाहिये। इससे रोगी के घुटने का दर्द दूर हो जाता है।
129. वैसलीन- नीम की छाल को पीसकर छान लें। इस मलहम को मोम या वैसलीन के साथ मिलाकर घुटनों पर मलने से रोगी के घुटनों का दर्द नष्ट हो जाता है।
130. शिलाजीत- शिलाजीत, सोंठ, पीपल और गुग्गुल को एकसाथ मिलाकर 5-5 ग्राम की मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को गाय के पेशाब के साथ सुबह-शाम लेने से 1 महीने के अन्दर घुटनों का दर्द दूर हो जाता है।
131. भिलावां- भिलावां, गिलोय, देवदारू, सोंठ, हरड़ की छाल और साठी की जड़ को 10-10 ग्राम की मात्रा में लेकर और पीसकर चूर्ण बना लें एवं छोटी बोतल में भर लें। इस आधा चम्मच चूर्ण को आधा कप पानी में पकाकर ठण्डा होने पर पी जायें। इससे रोगी के घुटनों का दर्द ठीक हो जाता हैं।
132. बच- गठिया के रोगी को घुटनों के दर्द में 2 चुटकी बच का चूर्ण प्रतिदिन सुबह-शाम गर्म पानी से देने से लाभ होता है।
133. पुष्करपुष्कर की जड़, सेंधानमक, हरड़ की छाल, महुआ और पीपल को 5-5 ग्राम की मात्रा में लेकर बारीक पीस लें। फिर इसे 1 किलो तिल के तेल में पकाकर ठण्डा करके शीशी में भर लें। इस तेल को थोड़ा-थोड़ा करके दर्द वाले घुटने पर मालिश करने से रोगी को लाभ मिलता है।
134. मौसमी- मौसमी और नींबू के 2 कप रस को प्रतिदिन सुबह-शाम सेवन करने से घुटनों का दर्द दूर हो जाता है।
135. मिट्टीजब घुटनों में दर्द हो तो रात को मिट्टी की पट्टी बांधकर पानी की भाप से घुटने की सिंकाई करने से लाभ मिलता है।
136. तोरई- घुटनों के दर्द में पालक, मेथी, तोरई, टिण्डा, परवल आदि सब्जियों का सेवन करने से लाभ होता है। 
137. वरूण वरूण की छाल का काढ़ा बनाकर शहद में मिलाकर सेवन करने से गठिया के रोगी को लाभ मिलता है।
138. दशमूल घुटने के दर्द में एरण्ड के तेल को दशमूल काढ़े के साथ सेवन करना चाहिये। इससे रोगी को तुरंत फायदा मिलता है।
139. घी-
140. आम- घुटने के दर्द में 100 ग्राम आम की गुठलियों को कुचलकर 250 मिलीलीटर सरसों के तेल में अच्छी तरह से पकाकर मालिश करने से लाभ होता है।
141. हींग-  असली हींग को घी में मिलाकर जोड़ों के दर्द से ग्रस्त रोगी की मालिश करने से आराम मिलता है।
142. अड़ूसा-
143. पिपरमेंट- सरसों के तेल में पिपरमेंट के तेल को मिलाकर लगाने से गठिया रोग में आराम मिलता है।
144. जावित्री- 2 ग्राम जावित्री और आधा चम्मच सोंठ को एकसाथ मिलाकर गर्म पानी से लेने से गठिया रोग से ग्रस्त रोगी का दर्द दूर हो जाता है।
145. जौ- चीनी तथा जौ के आटे के बने लड्डू गठिया के रोगी के लिए बहुत लाभकारी होते हैं।
146. चौलाई- गठिया के रोगी को जोड़ों का दर्द दूर करने के लिए चौलाई की सब्जी का सेवन करना चाहिए।
147. फिटकरी-  5 ग्राम फिटकिरी, 15 ग्राम मीठी सुरंजन, 5 ग्राम बबूल की गोंद और 10 दाने पिसी हुई कालीमिर्च को सुखाकर और भूनकर एकसाथ पीसकर चूर्ण बना लें। इसमें से 2 चुटकी चूर्ण रोजाना 2 बार लेने से गठिया रोग जल्दी ठीक हो जाता है।
148. सफेद जीरा-  25 ग्राम सोंठ, 25 ग्राम कालीमिर्च, 15 ग्राम पीपल, 10 ग्राम लहसुन और 20 ग्राम सफेद जीरा आदि सभी को मिलाकर पीसकर चूर्ण बना लें। इसमें से 2 चुटकी चूर्ण रोजाना सुबह शहद के साथ गठिया रोग से पीड़ित रोगी को देने से लाभ होता है।
149. सिंहनाद- सिंहनाद, गुग्गुल, चोपचीनी चूर्ण तथा वात गुंजाकश का रस मिलाकर प्रयोग करने से रोगी के सभी प्रकार के गठिया रोग के कारण होने वाले दर्द दूर हो जाते हैं।
150. रास्ना- रास्ना, गिलोय, एरण्ड की जड़, देवदारू, कपूर, तथा गोरखमुण्डी को 5-5 ग्राम की मात्रा में लेकर और पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को 200 ग्राम गुड़ में मिलाकर बेर के बराबर की गोली बना लें। प्रतिदिन यह 1-1 गोली गर्म पानी के साथ सुबह-शाम खाने से जोड़ो के दर्द में आराम आता है।
151. वरना- वरना की छाल, सोया, बच, सोंठ, गोखरू, पुनर्नवा, देवदारू, कपूर, तथा गोरखमुण्डी को 5-5 ग्राम की मात्रा में लेकर तथा पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को 200 ग्राम गुड़ में मिलाकर छोटी-छोटी गोलियां बनाकर रख लें। यह 1-1 गोली रोजाना सुबह-शाम सेवन करने से जोड़ों का दर्द समाप्त हो जाता है।
152. चकोतरा- गठिया के रोग को दूर करने के लिये नींबू, संतरा, मौसमी, चकोतरा आदि फलों के रस का सेवन करना चाहिए।
153. पालक- जोड़ो के दर्द को दूर करने के लिये पालक, टमाटर, खीरा आदि सब्जियों का सेवन करना चाहिए एवं इनका सलाद बनाकर खाना चाहिए।
154. गेहूं- घुटने के दर्द को दूर करने के लिए गेहूं की घास का रस पीना लाभकारी रहता है।
155. आलू-
156. हल्दी
157. चालमोंगरा- चालमोंगरा के बीजों का चूर्ण 1 ग्राम की मात्रा में दिन में 3 बार खाने से गठिया रोग में आराम मिलता है।
158. मेहन्दी -
159. दालचीनी-
160. रस- खीरा, लहसुन, केला, टमाटर का रस गठिया रोग में लाभकारी रहता है।
161. देवदारू- देवदारू को बिल्कुल बारीक पीसकर कपड़े से छानकर लगभग 2 ग्राम की मात्रा में चूर्ण को सुबह-शाम शहद के साथ सेवन करने से 2 दिन में जोड़ों का दर्द दूर हो जाता है।
162. मरूआ : मरूआ के पंचांग (जड़, तना, पत्ती, फल और फूल) का काढ़ा बनाकर 100 मिलीलीटर की मात्रा में दिन में 3 बार पीने से गठिया रोग मे लाभ होता हैं।
163. आक-
164. धनिया-
165. धतूरा-
166. द्रोणपुष्पी- द्रोणपुष्पी के 1 चम्मच रस में इतना ही पीपल का चूर्ण मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने गठिया रोग में राहत मिलती है।
167. जायफल
168. आंवला-
169. मूली-
170. कागजी नींबू- 5 मिलीलीटर नींबू के रस में 3 ग्राम चीनी डालकर रोजाना पीने से जोड़ो के दर्द और खांसी में आराम मिलता है।
171. अदरक-
172. सोंठ-
173. चुकन्दर-
174. कालीमिर्च- गठिया रोग से ग्रस्त रोगी के दर्द वाले अंगों पर काली मिर्च से बने तेल से मालिश करने से गठिया के रोगी को लाभ मिलता है।
175. काली राई- गठिया रोग से ग्रस्त अंगों पर काली राई का प्लास्टर करने से गठिया रोग में होने वाला दर्द दूर हो जाता है।
176. कलौंजी-
177. गिलोय-
178. कनेर- लाल कनेर के पत्तों को पीसकर तेल में मिलाकर लेप करने से जोडों का दर्द दूर हो जाता है।
179. अजमोद-
180. अजवायन-
181. गोमा (द्रोणपुष्पी)- 1 चम्मच द्रोणपुष्पी के रस में इतना ही पीपल का चूर्ण मिलाकर सुबह-शाम लेने से जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है।
182. अगस्त- धतूरे की जड़ और अगस्त की जड़ दोनों को बराबर मात्रा में लेकर पीसकर लेप बना लें। इस लेप की पुल्टिश बनाकर दर्द वाले भाग पर बांधने से गठिया रोग में होने वाला दर्द दूर हो जाता है, सूजन उतर जाती है। गठिया रोग का दर्द कम होने पर लाल अगस्त की जड़ को पीसकर लेप कर सकते हैं।
183. कपूर
184. इन्द्रायण-
185. करेला-
186. ग्वारपाठा- 10 ग्राम घृतकुमारी का कोमल गूदा रोजाना सुबह-शाम सेवन करने से गठिया का रोग दूर हो जाता है।
187. प्याज-
188. निर्गुण्डी-
189. अलसी-
190. पुनर्नवा-
191. अमलतास-
192. खजूर- 100 ग्राम खजूर को भिगोकर और मसलकर पीने से आमवात रोग में लाभ होता है।
193. नींबू-
194. अमरबेल- गठिया रोग के रोगी को अमरबेल का बफारा देने से घुटनों का दर्द और सूजन शीघ्र ही दूर हो जाती है। बफारा देने के बाद रोगी को पानी से स्नान करा दें तथा मोटे कपड़े से उसके शरीर को खूब अच्छी तरह पोंछ लें तथा घी का अधिक सेवन करें।
195. कुचला- गठिया रोग में कुचला बीज की मज्जा (बीच के हिस्से) को पानी में पीसकर दर्द वाले भाग पर लेप करने से रोगी को लाभ मिलता है।
196. शीशम- शीशम की 10 किलो छाल को मोटा-मोटा कूटकर लगभग 25 लीटर पानी में उबाल लें। जब पानी 3.25 लीटर शेष रह जाए तब इसे ठण्डा होने पर कपड़े में छानकर दुबारा चूल्हे पर चढ़ाकर गाढ़ा कर लें। इस गाढ़े पदार्थ को 10 मिलीलीटर की मात्रा में घी युक्त दूध पकाने के साथ 21 दिन तक दिन में 3 बार लेने से गृध्रसी रोग में होने वाला दर्द खत्म हो जाता है।
197. कुलंजन- जोड़ों के दर्द में कुलंजन और सोंठ का चूर्ण बराबर मात्रा में मिलाकर एरण्ड के तेल में फेंटकर जोड़ों पर लगाने से लाभ होता है।
198. अमरूद-
199. खुरासानी अजवायन- तिल के तेल में खुरासानी अजवायन को सिद्ध करके मालिश करने से गठिया रोग में होने वाले दर्द और कमर दर्द में आराम मिलता है।
200. फालसा- फालसे के पेड़ की छाल का लेप करने से आमवात (गठिया) रोग में लाभ होता है और शारीरिक पीड़ा दूर होती है।
201. भांग- 125 ग्राम घी में सेंकी हुई भांग को 2-2 ग्राम कालीमिर्च और मिश्री के साथ दिन में 3-4 बार सेवन करने से गठिया रोग में आराम मिलता है।
202. लहसुन
203. नीम-
204. पत्तागोभी-  पत्तागोभी के रस का सेवन करने से पेट के घावों के अलावा जोड़ों के दर्द, दांत के रोग, रक्तविकार (खून की खराबी), अजीर्ण, पीलिया, मस्तिष्क की कमजोरी और शरीर का मोटापा आदि रोगों में लाभ मिलता है।
205. श्योनाक-
206. नमक-
207. अंगूर- अंगूर शरीर से उन लवणों को निकाल देता है, जिनके कारण शरीर में गठिया रोग पैदा हो जाता है। गठिया रोग को दूर रखने के लिए रोजाना सुबह अंगूर खाते रहने चाहिए।
208. पपीता- मांसपेशियों में और जोंड़ों में दर्द होने पर पपीते के पत्तों को गर्म करके चिकने भाग की तरफ से बांधने या सिंकाई करने से आराम आता है।
209. अंकोल-
210. तगर-
211. बकायन
212. टमाटर- गठिया के रोग को दूर करने के लिए रोजाना अत्यधिक मात्रा में टमाटर खाने चाहिए।
213. अपामार्ग- घुटनों की सूजन में अपामार्ग के 10-12 पत्तों को पीसकर गर्म करके घुटनों पर बांधने से लाभ होता है। सन्धिसोथ व दूषित फोड़े, फुन्सी या गांठ वाली जगह पर पत्ते पीसकर लेप लगाने से गांठ धीरे-धीरे फूट जाती है।
214. राई-
215. तरबूज- तरबूज का रस पीना जोड़ों के दर्द में बहुत ही लाभकारी होता है।
216. एरण्ड-
217. पलास- पलास के बीजों को बारीक पीसकर शहद के साथ गठिया रोग से ग्रस्त अंगों पर लेप करने से लाभ होता है।
218. तिल- लगभग 3-4 ग्राम तिल और सोंठ को एकसाथ मिलाकर दिन में 2 बार सेवन करने से आमवात रोग में लाभ मिलता है।
219. कुसुम-
220. अरनी- अरनी के पंचांग (जड़, तना, पत्ती, फल और फूल) का 100 मिलीलीटर काढ़ा सुबह-शाम पीने से गठिया और स्नायु की वात पीड़ा मिट जाती है।
221. तुलसी-
222. अश्वगंधा-