सनटैन की समस्या में असरदार है बेसन का लेप

गर्मी में सनटैन आम समस्या है। एक बार सनटैन हो जाने पर त्वचा की सामान्य रंगत को वापस लौटाना बेहद मुश्किल होता है। यहाँ प्रस्तुत है सनटैन  हटाने के कुछ आसान घरेलू उपाय

सनटैन की समस्या में असरदार है बेसन का लेप
  • एक कच्चे आलू का छिलका उतार कर इसे पीस लें। इसे प्रभावित त्वचा पर लगा कर आधे घंटे तक सूखने दें। इसके बाद त्वचा को ताजे पानी से धो लें। 
  • बेसन को पानी में मिलाएँ और सनटैन वाली त्वचा पर लेप की तरह लगाएं। 20 मिनट बाद इसे पानी से धो लें। इसमें नींबू का रस और दही भी मिला सकते हैं। 
  • दही त्वचा को ठंडक देता है। यह लाली को कम करता है और त्वचा के छिद्रों को खोलता है। नहाने से पहले रोजाना त्वचा पर दही लगाएं। 
  • एक कटोरी कच्चे दूध में थोड़ी मात्र में दही और नींबू का रस मिलाएँ। इसे त्वचा पर लगा कर सुखाने के लिए छोड़ दें फिर इसे पानी से धो दें। त्वचा चमकने लगेगी। 
  • नींबू प्रकृतिक ब्लीच का काम करता है। आप सिर्फ नींबू के रस में चीनी मिला कर प्रभावित त्वचा पर लगा कर छोड़ें। सूखने के बाद इसे ताजे पानी से धो लें। 
  • औटमील पाउडर और छाछ मिला कर पेस्ट बनाएँ और प्रभावित त्वचा पर लगाएं। पेस्ट को 20 मिनट तक छोड़ें, फिर पानी से धो लें। 
  • एलोवेरा जेल रोज चेहरे पर लगाएं। एक हफ्ते के भीतर ही त्वचा का रंग साफ लगेगा। 

गले की खराश (Gale ki Kharash) - घरेलू नुस्खे (Home remedies)

बदलते मौसम में गले में खराश (Gale me kharash) होना एक आम समस्या है। अधिक ठंडे पदार्थ खाने-पीने और बीमार व्यक्ति के संपर्क में रहने से यह समस्या पैदा होती है। प्रस्तुत हैं कुछ आसान घरेलू उपाय, जिन्हें अपना कर इस समस्या से छुटकारा पाया हा सकता है। 
काली मिर्च-तुलसी का काढ़ा दूर करता है गले की खराश
  • गुनगुने पानी में नमक मिला कर दिन में दो-तीन बार गरारे करें। गरारे करने के तुरंत बाद कुछ ठंडा न लें। गुनगुना पानी पीयेँ, जिससे गले को आराम मिलेगा। 
  • आधा ग्राम कच्चा सुहागा मुंह में रखें और उसका रस चूसते रहें। दो-तीन घंटों में ही लाभ गो जाएगा। 
  • रात को सोते समय सात काली मिर्च और उतनी ही मिश्री मुंह में रख कर धीरे-धीरे चूसते रहने से बैठा गला खुल जाता है। 
  • सुबह-शाम चार-पाँच मुनक्का के दानों को खूब चबा कर खा लें, लेकिन ऊपर से पानी न पीयेँ। 10 दिनों तक लगातार ऐसा करने से बचाव होगा। 
  • एक कप पानी में 4-5 काली मिर्च एवं तुलसी की कुछ पत्तियों को उबाल कर काढ़ा बना कर पी जाएं। 
  • गुनगुने पानी में सिरका डाल कर गरारे करने से भी गले के रोग दूर हो जाते हैं। 
  • पानी में पांच अंजीर को डाल कर उबाल लें और इसे छान कर इस पानी को गरम-गरम सुबह और शाम को पीने से खराब गले में लाभ होता है। 
  • सुबह-सुबह सौंफ चबाने से बंद गला खुल जाता है। 

आंवला के गुण और घरेलू नुस्खे

आंवले (Amla) को आयुर्वेद (Ayurvedic) में अत्यंत स्वास्थ्यवर्धक माना गया है। आज जानते हैं इससे कुछ असरदार घरेलू उपचार। 

दूध के साथ आंवला चूर्ण लेने से दूर होता है कब्ज

  • आंवला पाउडर (Amla powder) और हल्दी पाउडर समान मात्रा में लेकर भोजन के बाद खाने से मधुमेह में लाभ मिलता है। 
  • हिचकी तथा उल्टी में आंवला रस (Amla ka ras), मिश्री के साथ दिन में दो-तीन बार सेवन करने से लाभ होगा। 
  • पीलिया से परेशान हैं, तो आंवले (Amla) को शहद के साथ चटनी बना कर सुबह-शाम सेवन करें। लाभ होगा। 
  • आंवला (Aamla), रीठा व शिकाकाई के चूर्ण से बाल धोने पर बाल स्वास्थ्य व चमकदार होते हैं। 
  • स्मरण शक्ति कमजोर पड़ गयी हो, तो सुबह उठ कर गाय के दूध के साथ दो आंवले का मुरब्बा (Amla ka murabba) खाएं। 
  • एक गिलास ताजा पानी 25 ग्राम सूखे आंवले (Kukha amla) के बारीक पिसे हुए व 25 ग्राम गुड़ मिला कर 40 दिन तक दिन में 2 बार सेवन करने से गठिया रोग में लाभ मिलता है। 
  • सूखे आंवले का चूर्ण (Sukhe amla ka churn) मुली के रस में मिला कर 40 दिनों तक खाने से पथरी रोग में फायदा होता है। 
  • आंवले के रस (Amla ka ras) में कपूर मिला कर लेप मसूड़ों पर करने से दांत दर्द ठीक हो जाता है और कीड़े भी मर जाते हैं। 
  • रात को सोते समय आंवले का चूर्ण एक गिलास गाय के दूध के साथ सेवन करने से कब्ज दूर होती है। 
  • आंवला रस (Aamla ras) में घी का छौंक दे कर सेवन करने से ज्वार नष्ट होता है। 
  • आंवले तथा तिल का चूर्ण बराबर भाग में मिला कर घी व मधु के साथ लेने से यौवन बरकरार रहता है। 

प्रेग्नेंसी के दौरान कमर दर्द पर क्या उपाय करें

प्रेग्नेंसी में कमर दर्द के लिए ये उपाय अपनाएं (Back pain during pregnancy home remedies in hindi)

प्रेग्नेंसी में कमर दर्द (Garbhavastha me kamar dard) होना आम बात है। यह समस्या 70% प्रेग्नेंट महिलाओं में होती है। इस अवस्था में कमर पर अधिक दबाव के कारण ही दर्द होता है। इसके अलावा यूटीआइ, कब्ज, गलत पोश्चर में बैठने, कम सक्रिय रहने और व्यायाम की कमी से भी यह होता है। इससे निजात पाने के लिए लोग अक्सर घर में ही इसका उपाय करते हैं, लेकिन बेहत्तर यही होता है कि इसके लिए डॉक्टर की सलाह ली जाये क्योंकि यह जाय क्योंकि यह ऑस्टियोपोरोसिस डिस्क के रोग और वर्टिब्रल ऑस्टियो आर्थराइटिस के कारण हो सकता है। इससे तुरंत निजात पाने के लिए लोग अक्सर क्रीम या हल्की मालिश का प्रयोग करते हैं। इसके अलावा अधिकतर लोग हॉट वाटर बैग से सिकाई करते हैं। लेकिन अधिक गरम सिकाई से फयदे की जगह नुकसान हो सकता है। हालांकि यह दर्द से निजात पाने का प्राकृतिक तरीका है। सिंकाई के कारण ब्लड सर्कुलेशन सुधरता है और मांसपेशियों को राहत मिलती है। इससे दर्द और थकान दूर होती है। 
Back pain during pregnancy

सिकाई के लिए इन बातों का ध्यान रखना जरूरी है:-

  • पानी उतना ही गरम रखें जितना आप सह सकें।
  • यदि थोड़ा भी अधिक गरम लगे, तो तुरंत उसे हटा लें।
  • इसका प्रयोग मात्र 15-20 मिनट के लिए करें। दोबारा प्रयोग चार घंटे के बाद करें।
  • पानी गरम करते समय कभी भी इसे उबलने न दें।

इलेक्ट्रिक हीट पैक का प्रयोग कर रहे हों, तो तापमान अधिक बढने से पहले उसे स्वीच ऑफ करें। इसके अलावा सीधा बैठे, हल्का व्यायाम करें, हीलवाली चप्पलों के बजाय फ्लैट चप्पलों का प्रथोग करें।

प्रसव उपरांत हो सकता है खून की कमी (Postpartam animia in hindi)

प्रसव के उपरांत हो सकता है पोस्टपार्टम एनीमिया (Postpartam animia in hindi)

प्रसव उपरांत महिलाओं में कई प्रकार की समस्याएं होती है। ऐसा इस दौरान शरीर में आनेवाले कई परिवर्तन के कारण होता है। ऐसी ही स्थिति में 'पोस्टपार्टम एनिमिया' (Prasav ke uprant khoon ki kami) की शिकायत होती है।  

डिलिवरी के एक से डेढ़ माह के बाद यदि हीमोग्लोबिन (hemoglobin) की मात्रा 12 ग्राम प्रति डीएल से कम रहता है, तो इस अवस्था को पोस्टपार्टम एनिमिया (postpartam animia) कहते हैं। महिलाओं के शरीर से लोहे का कुछ अंश बच्चे में जाता है। समान्यत: यह देखा जाता है कि प्रसव के बाद शरीर में खून (Prasav ke baad khoon ki kami) की मात्रा में बृद्धि होती है। स्तनपान कराने के दौरान पीरियड भी नहीं होता है। इससे शरीर में खून बना रहता हैं। वैसे भी बच्चे के जन्म होने के बाद मां एवं परिवारजनों का ध्यान बच्चे में लग जाता है। एक अध्ययन में पाया गया है कि डिलिवरी के बाद 30% महिलाओं में पोस्टपार्टम एनिमिया होता है।
Postpartam animia in hindi

क्या है प्रमुख लक्षण

आम तौर पर शुरुआत में इसके  लक्षण पता नहीं चलते हैं। इस रोग में कमजोरी होना, सिर में दर्द रहना, चक्कर आना, थोड़ा चलने पर सांस फूलना, धड़कनं बढ़ जाना आदि इसके लक्षण हो सकते हैं। इसके अलावा चिड़चिड़ापन भी महसूस होता हैं। किसी भी काम में मन नहीं लगता है। काम करते समय ध्यान भटकता है। बाल झड़ने लगते हैं। कुछ महिलाओं में दूध न उतरने की भी शिकायत होती है। डिप्रेशन और संक्रमण आदि के लक्षण भी देखने को मिलते हैं।

क्या है इसका उपचार

अधिक-से-अधिक आयरन युक्त फूड लें। इससे प्राकृतिक रूप से आयरन की कमी दूर होती है। इससे साइड इफेक्ट का भी खतरा नहीं होता है। बच्चे को स्तनपान कराएं। आयरन और फोलिक एसिड की गोलियां तीन महीने तक लें। यदि आयरन की गोलीयां लेने में किसी प्रकार की कोई परेशानी हो, या इससे साइड इफेक्ट होने का खतरा हो, तो आयरन का इंजेक्शन भी लिया जा सकता है। इस अवस्था में पेट के कीड़े होने की आशंका भी होती है। यदि इसकी शिकायत हो, तो इसकी दवा अवश्य लेनी चाहिए।

किन्हें हो सकता है 

 गर्भावस्था के बाद एनिमिया होने के कई कारण होते हैं। इनमें कुछ प्रमुख कारण इस प्रकार हैं:-
  • वैसी महिलाएं, जो प्रेग्नेंसी के दौरान आयरन और फोलिक एसिड की गोलियां ठीक से नहीं लेती है।
  • महिला को पहले से एनिमिया हो और प्रसव के बाद अधिक प्लीडिंग हुई हो।
  • बच्चों के बीच अंतर नही रखने पर भी यह समस्या हो सख्ती है।
  • वजन अघिक रहना भी एक कारण है।
  • कम उम्र में मां बनने से।
  • जुड़वा बच्चे होना भी इसका एक कारण है।
यदि आपके साथ ये समस्याएं हो, तो आपको इस प्रकार के एनिमिया का खतरा ज्यादा होता है। इसकी जांच हीमेटोक्रेट के माध्यम से की जाती है। इस समस्या से बचने के लिए डिलिवरी के 6 सप्ताह के भीतर ही हीमोग्लोबिन की जांच (Hemoglobin test) करा लें।