(आग से जलना)
आग से, भाप से या किसी और गर्म चीज से जलना बहुत ही दर्दनाक होता है। अगर रोगी का शरीर आधे से ज्यादा जल गया हो तो उसको तुरन्त ही हॉस्पिटल ले जाना चाहिए। लेकिन अगर कोई व्यक्ति थोड़ा बहुत जला हो तो उसकी तुरन्त ही चिकित्सा हो सकती है।परिचय :
विभिन्न भाषाओं में नाम-
हिन्दी |
जलना |
तेलगु |
ओल्कालुठ |
अंग्रेजी |
बर्नस् एवं स्काल्डस |
मराठी |
अग्निदग्ध, जलने |
अरबी |
जुयेपुर |
कन्नड़ |
सुल्तगाया |
पंजाबी |
जलना |
उड़िया |
पोडिग्रआ |
बंगाली |
अग्निदग्ध |
तमिल |
तिपुन्न |
गुजराती |
अगथि बदऊ |
मलयालम |
थिपाल्लल |
कारण-
लक्षण-
नारियल के तेल में चूने का पानी मिलाकर लगाने से जले हुए रोगी को बहुत आराम मिलता है।
शरीर के जल जाने पर अगर कपड़े शरीर से ही चिपक जायें तो उन्हे नारियल या तिल के तेल में रूई को भिगोकर छुड़ाऐं। इसके बाद शरीर पर नारियल, जैतून या तिल का तेल लगाने से भी लाभ होता है।
अगर कोई व्यक्ति आग से जल गया हो और उस समय कोई औषधि पास में न हो तो जले हुए स्थान पर नारियल का तेल लगा दें। इससे जलन और दर्द तुरन्त शान्त हो जाते है और जख्म भी नहीं बनता है।
नारियल के तेल में तुलसी के पत्तों का रस बराबर की मात्रा में मिलाकर फेंटने के बाद जले हुए अंग पर लगाने से राहत मिलती है।
शरीर के जले हुए भाग पर नारियल का असली तेल लगाने से जलन शान्त हो जाती है
2 चम्मच तुलसी के पत्तों के रस को 100 मिलीलीटर नारियल के तेल में मिलाकर शरीर के जले हुए भाग पर लगाने से आराम आता है।
आग से जल जाने पर तुलसी के रस को नारियल के तेल में मिलाकर लगाने से जलन दूर होती है और छाले तथा जख्म भी ठीक हो जाते हैं।
भांगरें के पत्तों और तुलसी के पत्तों के रस को शरीर के जले हुए भाग पर दिन में 2-3 बार लगाने से आराम आता है।
250 मिलीलीटर तुलसी के पत्तों का रस और 250 मिलीलीटर नारियल के तेल को एक साथ मिलाकर धीमी आग पर गरम करें। गर्म करने पर जब महसूस हो कि रस का भाग जल गया है तो उस गरम तेल में ही 15 ग्राम मोम डालकर हिलाएं। इस लेप को ठंड़ा होने के बाद रोगी के शरीर के जले हुए भाग पर लगाने से बहुत आराम मिलता है।
तुलसी के रस को नारियल के तेल में मिलाकर लगाने से जलने के कारण होने वाली जलन दूर हो जाती है, छाले नहीं पड़ते है तथा घाव भी ठीक हो जाता है।
तुलसी के रस को नारियल के तेल में मिलाकर लगाने से जलन, छाले तथा घाव ठीक हो जाते हैं।
शरीर के जले हुए भाग पर बार-बार कच्ची गाजर का रस लगाने से लाभ होता है।
आग से जल जाने पर गाजर का रस लगाने से जख्म नहीं बनता तथा जलन व पीड़ा भी दूर हो जाती है।
कच्ची गाजर को पीसकर शरीर के आग से जले हुए भाग पर रखने से जलन नष्ट हो जाती है और पीब बनना भी बन्द हो जाती है।
आग से जले हुए व्यक्ति की जलन और दर्द को मिटाने के लिए गाजर को पीसकर लगाना लाभकारी रहता है।
अगर शरीर का कोई भाग जल जाता है तो उसे लगातार पानी में डुबोकर रखें। यदि ऐसा न हो पाये तो उस भाग पर गीले कपड़े की पट्टी बांध लें और उसके ऊपर बार-बार पानी डालते रहें।
जल जाने के बाद जले हुए अंग को बहुत ठंड़े पानी में डुबोकर रखें। ऐसा करने से जले हुए स्थान पर जलन नहीं होती, फफोले नहीं पड़ते और शरीर पर जले हुए का निशान भी नहीं रहता। जो अंग पानी में डुबोया न जा सके तो उस पानी में कपड़ा भिगोकर उस अंग पर रखें तथा उस कपड़े को बार-बार ठंड़ा पानी डालकर ठंड़ा करते रहें।
10 ग्राम सफेद राल को पीसकर 60 मिलीलीटर नारियल के तेल में मिलाकर थोड़ी देर तक हिलाते रहे। जब दोनों मिलकर एक जैसे हो जायें तो इन्हे 101 बार पानी में धोकर लेप बना लें। इस लेप को लगाने से जलन और दर्द मिट जाते हैं। इस लेप के तैयार हो जाने के बाद इसे पानी से भरे घड़े के अन्दर ही रखना चाहिए।
30 ग्राम सफेद राल को कपड़े में छानकर 250 मिलीलीटर तिल के तेल में थोड़ा-थोड़ा सा डालकर हिलाते रहे और उसमें थोड़ा-थोड़ा पानी भी डालते रहें। जब हिलाते-हिलाते राल सफेद हो जाये तो इसमें 6 ग्राम कपूरचूरा और 12 ग्राम पिसा हुआ कत्था डालकर मिलाकर लेप बना लें। इस लेप को शरीर के जले हुए भाग पर लगाने से लाभ होता है।
मेहंदी के पत्तों को पीसकर शरीर के जले हुए भाग पर लगाने से बहुत जल्दी आराम मिलता है।
आग से जले हुये भाग पर मेहंदी की छाल या पत्तों को पीसकर गाढ़ा लेप करने से ठंड़क मिलती है।
मेहंदी के पत्तों की चटनी बनाकर जले हुए भाग पर लगाने से आराम मिलता हैं।
भंगरैया का पत्ता, भरबा और मेहंदी के पत्तों को एकसाथ पीसकर लेप करने से जलन दूर होती है और जख्म भी ठीक हो जाता है। इससे जले हुए स्थान पर सफेद निशान भी नहीं रहते हैं।
ग्वारपाठे के अन्दर के 4 भाग गूदे और 2 भाग शहद को मिलाकर शरीर के जले हुए भाग पर लगाने से आराम आता है।
ग्वारपाठे के पत्तों के ताजे रस का लेप करने से जले हुए घाव जल्दी भर जाते हैं।
ग्वारपाठे के पत्ते को चीरकर निकले गूदे को जली हुई त्वचा पर दिन में 2-3 बार लगाने से जलन दूर होकर शान्ति मिलती है और घाव भी जल्दी भर जाता है।
शरीर के आग से जले हुए स्थान पर ग्वारपाठे का गूदा लगाने से जलन शान्त हो जाती है और फफोले भी नहीं उठते हैं।
शरीर के जले हुए स्थान पर ग्वारपाठे का गूदा बांधने से फफोले नहीं उठते तथा तुरन्त ठंडक पहुंचती है।
ग्वारपाठा के छिलके को उतारकर और पीसकर शरीर के जले हुए भाग पर लेप करने से जलन मिट जाती है और रोगी के जलने के जख्म भी नहीं बनते हैं।
कच्चे चावल (अरबा चावल) और उससे दुगनी मात्रा में काले तिल को लेकर ठंड़े पानी के साथ पीसकर लगातार 3 दिनों तक शरीर के जले हुए भाग पर लेप करने से जलन और दर्द दूर हो जाता है। ध्यान रहें कि इन 3 दिनों के बीच में जले हुए भाग को धोये नहीं। जब आराम हो जायेगा तो पपड़ी अपने आप ही हट जायेगी।
चावल के छिलकों को जलाकर उसकी राख को घी में मथकर लगाने से आग से जलने के घाव ठीक हो जाते हैं।
अलसी (तीसी) के तेल, चूने और पानी को एकसाथ मिलाकर शरीर के जले हुए भाग पर लगाने से आराम होता है।
चूने का निथरे पानी को अलसी के तेल में फेंटकर जले हुए भाग पर लगाने से जलन और दर्द में आराम मिलता है और फफोले भी नहीं पड़ते हैं। यदि फफोले पहले ही हो चुके हों तो वो भी शीघ्र ही ठीक हो जाते हैं।
शुद्ध अलसी के तेल और चूने के निथरे हुए पानी को बराबर मात्रा में मिलाकर अच्छी प्रकार घोट लें। घोटने के बाद यह सफेद मलहम जैसा बन जाता है जिसे अंग्रेजी में कारोन ऑयल कहते हैं। इस मलहम को शरीर के जले हुए भाग पर लगाने से जख्म में होने वाला दर्द दूर हो जाता है।
आम के पत्तों को जलाकर उसकी राख को शरीर के जले हुए भाग पर छिड़कने से तुंरत ही रोगी को जलन और दर्द से राहत मिल जाती है।
आम की गुठली की गिरी को थोड़े से पानी के साथ पीसकर शरीर के आग से जले हुये भाग पर लगाने से तुरन्त शान्ति प्राप्त होती है।
आम की गुठली की गिरी को पानी में पीसकर जले हुए भाग पर लगाना लाभकारी रहता है।
चाय के उबले हुए पानी को ठंड़ा करके किसी साफ कपड़े के टुकड़े या रूई से शरीर के जले हुए भाग पर लगाने से जलन और दर्द समाप्त हो जाते हैं।
अगर शरीर का कोई अंग किसी भी कारण से जल गया हो या झुलस गया हो तो चाय के उबलते हुए पानी को ठंड़ा करके उसमें साफ कपड़ा भिगोकर जले हुए अंग पर रखकर पट्टी बांधे। इस पट्टी को बार-बार बदलते रहें। इससे जले हुए अंगों पर फफोले नहीं पड़ते और त्वचा पर जलने के निशान भी नहीं बनते।
मेथी के दानों को पानी के साथ पीसकर शरीर के जले हुए भाग पर लगाने से जलन शान्त होती है और जलने के जख्म भी नहीं बनते हैं।
मेथी के दानों को पानी में पीसकर बने लेप को शरीर के जले हुए भाग पर 3 बार लगाने से जलन और दर्द में राहत मिलती है तथा घाव भी जल्दी ठीक हो जाता है।
आग से जल जाने पर दानेदार मेथी को पानी में पीसकर लेप करने से जलन दूर होती है और फफोले नहीं पड़ते हैं।