दिल की दुर्बलता dil ki kamjori


दिल की दुर्बलता

           हृदय सामान्य अवस्था में सामान्य गति से पूरे शरीर में रक्त यानी खून का संचालन करता है। धड़कन की गति सामान्य होती है। जब सामान्य स्थिति में धड़कन एवं नाड़ी की गति में तेजी आने लगती है तो हृदय की दुर्बलता स्पष्ट होती है। इसमें कभी कभी सांस लेने में कठिनाई भी होती है।परिचय:

लक्षण :

कारण :

खून की कमी khoon ki kami


खून की कमी

         खून की कमी हरी सब्जियां न खाने के कारण होती है इसकी वजह से भूख नहीं लगती है।परिचय:

कारण:

लक्षण:

         शरीर में कमजोरी उत्पन्न होना, चेहरे की चमक खत्म होना, काम में मन नहीं लगना, शरीर थका-थका रहना, भूख न लगना, पेट की सफाई न होना आदि इस रोग के मुख्य लक्षण हैं। स्त्रियों में खून की कमी के कारण `मासिक-धर्म´ समय से नहीं होता है और खून की कमी के कारण कभी-कभी `मासिक-धर्म´ रुक भी जाता है। खून की कमी बच्चों में हो जाने से बच्चे शारीरिक रूप से कमजोर हो जाते हैं जिसके कारण बच्चों के शरीर का विकास नहीं हो पाता। बच्चों का दिमाम इतना कमजोर हो जाता है कि उसकी याददास्त कमजोर हो जाती है जिसके कारण बच्चे पढाई में पिछड़ने लगते हैं। शरीर में खून की कमी होने से चेहरे का रंग पीला, सूजन, सांस लेने में कठिनाई तथा पैरों में सूजन आदि बीमारी हो जाती हैं।
1. सहजन:  सहजन के पत्तों को तोड़कर उसकी सब्जी बनाकर खाने से शरीर में लौह (आयरन) तत्व की कमी दूर होती है और शरीर में खून की कमी के कारण होने वाली बीमारी खत्म होती है।
2. पीपल: पीपल का दूध बताशे में 4 बूंद डालकर खाने से खून की कमी दूर होती है तथा खून की कमी के कारण हुए रोग समाप्त हो जाते हैं।
3. चीकू: शरीर में खून की कमी को दूर करने के लिए प्रतिदिन 3 से 4 चीकू 8 से 10 दिन तक खायें।
4. टमाटरटमाटर, पालक और गाजर का रस आधा-आधा कप प्रतिदिन 40 दिन तक पीने से खून की कमी के कारण हुए रोग में आराम मिलता है।
5. आंवला :
6. अनार: खून की कमी को दूर करने के लिए, अनार के जूस में थोड़ी-सी कालीमिर्च और सेंधानमक को मिलाकर पीने से लाभ होता है।
7. फालसा:
8. पपीता: पपीते का गुदा 200 ग्राम प्रतिदिन खायें। इसका प्रयोग लगातार 20 दिनों तक करने से शरीर में खून की कमी दूर हो जाती है।
9. अड़ूसे: 1 कप पके अडूसों का रस निकालकर 8 दिन तक पीने से शरीर में खून की मात्रा बढ़ जाती है।
10. आम:
11. आलूबुखारा: आलूबुखारे का रस निकालकर 2 गिलास रस प्रतिदिन सुबह-शाम पीने से खून की कमी (एनीमिया) खत्म हो जाती है।
12. चुकन्दर :
13. कालीमिर्च: कालीमिर्च को कूटकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण में थोड़ा सा सेंधानमक मिलाकर रखें। 1-2 टमाटर काटकर उस पर सेंधानमक और कालीमिर्च का चूर्ण डालकर खाना खून की कमी के रोगियों के लिए लाभकारी होता है।
14. गाजर:
15. गन्ना: गन्ने के रस में 5 मिलीलीटर आंवले का रस और 5 ग्राम शहद मिलाकर पीने से खून की कमी दूर हो जाती है।
16. हीरा कसीस:
27. सत गिलोय: सत गिलोय लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग घी में मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम देने से खून के रोग में लाभ होता है।
28. खवस अलहरीदधुला हुआ खवस अलहरीद 20 ग्राम और 60 ग्राम त्रिफला को कूट छानकर दोनों को लोहे की कढ़ाई में फैलाकर 250 से 300 ग्राम दही को मिश्रण के ऊपर डालकर 7 दिनों तक सुखायें और दिन में 3 से 4 बार उलट-पलट मिलाते रहें। सूख जाने के बाद कूट-छानकर इसमें 6-6 ग्राम पीपल, सोंठ, कालीमिर्च, पीसकर डाल दें। 3 ग्राम मिश्रण (दवा) प्रतिदिन सुबह-शाम एक गिलास छाछ (मठा) के साथ खाली पेट पीयें। इसको खाने से खून की कमी के रोगियों के लिये लाभकारी होता है।
29. कसीस: कसीस भस्म (राख) 24 ग्राम की मात्रा में शहद के साथ मिलाकर खाने से खून की कमी दूर होती है।
30. पित्तपापड़ा: एक तिहाई कप के पानी में पित्तपापड़ा को मिलाकर पीने से खून की कमी के रोग में लाभ होता है।
31. दूध: एक पीस आंवला को दूध के साथ प्रतिदिन पीने से बीमारी दूर हो जाती है।
32. पौष्टिक भोजन: खून को बढ़ाने के लिए पौष्टिक भोजन खाना चाहिए।
33. खीरा: खीरा, ककड़ी, प्याज, चुकन्दर, नींबू का रस, मूली, गाजर आदि का प्रयोग सलाद में करने से खाना खाने की अरुचि खत्म हो जाती है और रोगी अधिक खाना खाने लगता है।
34. चित्रक: चित्रक की जड़ की छाल को छाया में सुखाकर कूट-पीसकर रखें। इसके चूर्ण में 100 मिलीलीटर चित्रक का रस निकालकर मिला लें। यह मिश्रण 3 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से खून की कमी दूर हो जाती है।
35. अंगूर: 100 मिलीलीटर अंगूर का जूस (रस) पीने से शरीर में खून की कमी दूर हो जाती है।
36. बेल पत्थर: बेल पत्थर के पत्तों के 5 ग्राम रस में कालीमिर्च का चूर्ण मिलाकर पीने से पाचनशक्ति ठीक होती है और खून में वृद्धि होती है।
37. कालानमक: 200 ग्राम कटे टमाटर में कालानमक मिलाकर खाने से पाचनशक्ति ठीक होती है और शरीर में खून की भी बढ़ोत्तरी होती  है।
38. शहद: 10 ग्राम शहद और 5 ग्राम आंवला को 200 मिलीलीटर गन्ने के रस में मिलाकर पीने से खून के रोग में लाभ होता है।
39. शक्कर: लाल चीता का चूर्ण आधा ग्राम रोजाना चीनी के साथ लेने से खून और मांस की बढ़ोत्तरी होती है।
40. मुलहठी: मुलहठी का चूर्ण आधा ग्राम की मात्रा में रोजाना सेवन करने से खून में वृद्धि होती है।
41. कूठ: आधा से दो ग्राम कूठ के चूर्ण मेंघी व शहद बराबर मात्रा में मिलाकर रोजाना सुबह-शाम सेवन करने से शरीर में खून बढ़ता है।
42. आम्रपाक: 20 से 25 ग्राम की मात्रा में आम्रपाक खाना खाने से पहले 1 गिलास गाय के दूध में मिलाकर पीने से खून के रोगियों के लिए लाभकारी होता है।
43. मेथी:
44. कलौंजी: एक कप पानी में 50 ग्राम हरा पुदीना उबालकर छान लें और आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर, रोज भूखे पेट सुबह व रात में सोते समय 21 दिन तक सेवन करें। खाने में खट्टी वस्तुओं का उपयोग न करें।
45. गिलोय :
46. पालक:
47. गुड़हल:
48. प्याज:
49. पुनर्नवा: पुनर्नवा की जड़ का चूर्ण, मुनक्का और हल्दी को बराबर मात्रा में पीसकर 1 चम्मच की मात्रा में रोजाना सुबह-शाम 1 कप दूध के साथ सेवन करने से खून की कमी के रोग में लाभ होता है।
50. नींबू:

रक्तवमन (खून की उल्टी) khoon ki ulti

रक्तवमन (खून की उल्टी)


          उल्टी के साथ खून आने को खून की उल्टी कहते हैं। इसके होने की कई वजह होती हैं। यक्ष्मा (टी.बी.रोग) में खांसी के साथ-साथ बलगम में खून भी आ जाता है। आंतों में गैस की उत्तेजना से कभी-कभी खून की नली फटने से या रक्तपित्त दोष (खून में गर्मी) से भी खून की उल्टी हो जाती है।परिचय:

1. अडूसा : अडूसे के पत्तों के रस में शहद को मिलाकर सेवन करने से खून की उल्टी होना बंद हो जाती है।
2. केला : मुलायम केला खाने से खून की उल्टी होना रुक जाती है।
3. कपूर : 2 ग्राम कपूर और 1 ग्राम भांग को पीसकर पानी में मिलाकर मूंग की दाल के आकार की गोलियां बनाकर छाया में सुखा लें और 1-1 गोली हर 3-3 घंटे के बाद पानी से लेने से खून की उल्टी में आराम आता है।
4. अंकोल : अंकोल में मिश्री मिलाकर पीने से मुंह से खून आना बंद हो जाता है।
5. ढाक : ढाक के ताजे रस में मिश्री मिलाकर पीने से खून की उल्टी होना बंद हो जाती है।
6. पेठा : पेठे का रस पीने से खून की उल्टी होना बंद हो जाती है।
7. शहद : लाख के पानी में शहद मिलाकर पीने से खून की उल्टी होना बंद हो जाती है।
8. फिटकरी : भुनी हुई फिटकरी को सुबह-शाम 1-1 ग्राम की मात्रा में पानी से लेने से आराम आता है।
9. बेर : बेर की मींगी (बीज) को नाशपाती के शर्बत में डालकर पीने से खून की उल्टी बंद हो जाती है।
10. मुल्तानी मिट्टी: 50 ग्राम पिसी हुई मुल्तानी मिट्टी को 250 मिलीलीटर पानी में भिगोकर रख दें, इसे 1 घंटे के बाद छान लें। फिर इस पानी को 3-3 चम्मच सुबह, दोपहर और शाम रोगी को देने से खून की उल्टी के रोग में लाभ होता है।
11. वनगोभी: लगभग 50 ग्राम वनगोभी को पीसकर रोगी को खिलाने से खून की उल्टी होना बंद हो जाती है।
12. चन्दन: सफेद चन्दन को पीसकर उसकी गोली बनाकर दिन में 2 से 3 बार रोगी को खिलाने से रुधिर वमन यानी खूनी उल्टी समाप्त हो जाती है।
13. छोटी माई: 2 से 4 ग्राम की मात्रा में छोटी माई के चूर्ण को सुबह और शाम खाने से खून की उल्टी और खून की गर्मी दूर होती है।
14. आमलकी :
15. वासा (अड़ूसा): लगभग 7 से 14 मिलीलीटर वासा के पत्तों के रस को 4 से 6 ग्राम शहद के साथ दिन में 3 बार पीने से खून की उल्टी बंद हो जाती है।
16. मुलेठी:
17. फूलगोभी: फूलगोभी की सब्जी खाने से या कच्ची ही खाने से खून की उल्टियां बंद हो जाती हैं।
नोट: टी.बी. रोगियों को गोभी का उपयोग नहीं करना चाहिए।
18. बरगद:

खून का बहना khoon ka bahna

खून का बहना


1. बिदारीकन्द
:
शरीर से खून अधिक निकलने पर बिदारीकन्द के चूर्ण में घी और चीनी मिलाकर दिन में 2 से 3 बार चाटने से रोग में लाभ होता है।चिकित्सा
:

26. अंकोल: अंकोल के फलों के 5 ग्राम चूर्ण को मिश्री 10 ग्राम के साथ पीसकर पानी के साथ पिलाने से मुंह से रुधिर का बहना बंद हो जाता है।

हृदय का दर्द dill ka dard

हृदय का दर्द

        सामान्यतः ह्रदय शूल एंजाईना के नाम से जाना जाता है। एंजाइना पैक्टोरियस जिसमें परिह्रद (कारोनरी) धमनी के सिकुड़ने से ह्रदय को पर्याप्त मात्रा में रक्त आपूर्ति न होने के कारण उरोस्थि (स्टर्नम हड्डी) के नीचे अचानक तेज दर्द उठता है तथा सीना जकड़ने लगता है। श्रम करने पर दर्द बढ़ जाता है और यह अक्सर बाएं कंधे की ओर फैलकर नीचे बांह में जाता है अथवा ऊपर जबड़े में पहुंच जाता है। इससे सांस लेने में परेशानी होती है और ह्रदशूल उत्पन्न हो जाता है।परिचय:

1. लहसुन: हृदय में दर्द और सांस फूलने पर लहसुन की 2-3 कलियों को चबाकर रस चूसने से बहुत लाभ होता है। पेट से गैस निकल जाने पर हृदय का दबाव भी कम होता है।
2. अजवायन: 3 ग्राम की मात्रा में अजवायन का चूर्ण पानी के साथ सेवन करने पर हृदय शूल (दिल का दर्द) शांत होता है।
3. चित्रक: चित्रक, त्रिकुटा और पिप्पली की जड़ 10-10 ग्राम मात्रा में लेकर 500 मिलीलीटर पानी में उबालकर काढ़ा बनाकर दिन में 2 बार पीने से दर्द में लाभ होता है।
4. गिलोय: 10-10 ग्राम गिलोय और कालीमिर्च का चूर्ण मिलाकर, 3 ग्राम हल्के गर्म पानी से सेवन करने से हृदय शूल यानी दिल के दर्द में लाभ होता है।
5. केला: केले के छोटे-छोटे टुकड़े काटकर शहद को मिलाकर खाने से दिल के दर्द की समस्या नहीं रहती है।
6. अकरकरा: अकरकरा और अर्जुन की छाल को बराबर की मात्रा में कूट-पीसकर चूर्ण बनाकर, 3 ग्राम की मात्रा में चूर्ण को गाय के दूध से पीने पर दिल में दर्द नहीं होता है।
7. नींबू: 250 मिलीलीटर पानी में 10 ग्राम शहद और नींबू का रस मिलाकर सेवन करने से दिल के दर्द में लाभ होता है।
8. पीपलामूल: खस के 10 ग्राम चूर्ण में पीपलामूल का 10 ग्राम चूर्ण मिलाकर रख लें। इस चूर्ण को प्रतिदिन 2 ग्राम की मात्रा में गाय के दूध के साथ सेवन करने से दिल के दर्द में लाभ होता है।
9. सौंठ:
10. भटकटैया: गिलोय और भटकटैया की जड़ दोनों 10-10 ग्राम लेकर 500 मिलीलीटर पानी में उबालें, 100 मिलीलीटर शेष रह जाने पर काढ़े को छानकर सुबह-शाम पीने से दिल के दर्द की समस्या में बहुत लाभ होता है।
11. गुलकन्द: हृदय रोगी को कब्ज के कारण हृदय की धड़कन तेज होने से घबराहट अधिक होती है। कब्ज को नष्ट करने के लिए रोगी को प्रतिदिन आंवले का मुरब्बा खाना चाहिए। दूध के साथ गुलकन्द खाने से भी कब्ज नष्ट होती है।
12. कलमीशोरा: कलमीशोरा 10 ग्राम पीसकर मूली के रस 100 मिलीलीटर में घोंटे, जब यह गाढ़ा हो जाये तो कालीमिर्च के आकार की गोलियां बनाकर छाया में सुखा लें। दर्द के समय एक गोली पानी से लें।
13. सौंफ: सौंफ 5 ग्राम, धनिया सूखा 3 ग्राम को एक साथ मोटा-मोटा पीसकर रात को 100 मिलीलीटर गुलाबजल में भिगो दें, इसे सुबह पीस-छानकर रख लें। पहले किशमिश खाकर ऊपर से इस पानी को पीने से दिल की धड़कन ठीक हो जाती है।
14. गुलाब: पहले रोगी को गुलाब का इत्र सुघायें और इसे बाईं पसली पर मलें।
15. बिल्ली लोटन: 10 ग्राम बिल्ली लोटन कूटकर 150 मिलीलीटर पानी में उबालें। ठंडा होने पर छान लें। इसे शहद के साथ मिलाकर पिलाने से हृदय के रोगों में लाभ होता है।
16. हींग: आधा ग्राम हींग को पीसकर बीज निकले मुनक्का में रखकर गोली बनाकर हल्के गर्म पानी से दें।
17. धनिया: सौंफ, धनिया सूखा 25-25 ग्राम कूट छानकर खांड 50 ग्राम मिला लें। इसे 5-5 ग्राम पानी से भोजन के बाद दोनों समय लें। यह दिल की धड़कन में लाभकारी है।
18. लहसुन: लहसुन का रस 10 से 30 बूंद घी के साथ या दूध में उबालकर सेवन करने से हृदय के ऊपर का दबाव कम होकर, हृदय का दर्द नष्ट होता है।
19. जटामांसी: हृदय की धड़कन, कमजोरी, दर्द आदि में जटामांसी का चूर्ण आधा ग्राम से 1 ग्राम रोज दो बार देने से लाभ होता है।
20. आंवला: आंवले के मुरब्बा का सेवन करें। यह हृदय को बल देता है।

हृदय रोग heart rog

हृदय रोग

हृदय को रक्त पहुंचाने वाली धमनियों का संकरा और सख्त हो जाना ही हृदय रोग का कारण होता है। हृदय की मांसपेशियों को अपना कार्य करने के लिए शुद्ध रक्त की लगातार जरूरत होती है जिसकी आपूर्ति इन धमनियों के द्वारा ही होती है। धमनियों में संकीर्णता या आंशिक अवरोध उत्पन्न हो जाता है। (खासकर रक्त की धमनियों के भीतर चिकनाई की परत-दर-परत जमते जाने और धमनी का भीतरी व्यास के कम हो जाने के कारण उत्पन्न हो जाता है।)परिचय:

लक्षण :

वातज हृदय रोग :

लक्षण :

2. लौकी:
3. गुलकन्द: गुलकन्द या गुलाब के सूखे फूलों में चीनी मिलाकर खाने से हृदय को बल मिलता है।
4. गुलाबजल: गुलाब जल में थोड़े-से गुलाब के फूल और 100 ग्राम हरा धनिया पीसकर चटनी के रूप में सेवन करने से दिल के रोग में लाभ होता हैं।
5. अजवायन: यदि दिल की कमजोरी के कारण छाती में दर्द होता हो, तो 1 चम्मच अजवाइन को 2 कप पानी में उबालें। आधा कप पानी बचा रहने पर काढ़े को छानकर रात के समय इस काढ़े को रोजाना 40 दिनों तक सेवन करें और ऊपर से आंवले का मुरब्बा खाएं। यह हृदय रोग को दूर करने में लाभकारी है।
6. करौंदा: करौंदा हृदय रोग को दूर करने में बहुत उपयोगी है। करौंदे की सब्जी मीठा डालकर या मुरब्बा खाना बहुत लाभदायक है।
7. गाय का दूध : हृदय रोगी को गाय का दूध व घी फायदेमंद हैं भोजन में इसका प्रयोग रोजाना सेवन करना भी लाभकारी होता हैं।
8. लहसुन :
9. पालक रस: चौलाई का रस आधा चम्मच, पालक का रस 1 चम्मच और नींबू का रस 1 चम्मच। तीनों को मिलाकर रोजाना सुबह 20 दिनों तक सेवन करने से हृदय रोग में लाभ होगा।
10. लीची का रस: गर्मी के मौसम में आधा कप लीची का रस रोज पीने से हृदय को काफी बल मिलता है।
11. खूबानी का रस: खूबानी का रस 4 चम्मच पानी में डालकर रोजाना रोगी को पिलायें।
12. इमली: पकी हुई इमली का घोल 2 चम्मच और थोड़ी-सी मिश्री, दोनों को मिलाकर सेवन करने दिल की बीमारी में आराम मिलता है।
13. कपास: एक कप पानी में कपास के 4 फल भिगो दें। 4-5 घंटे बाद इसे उसी पानी में मथ लें। इसमें थोड़ी-सी मिश्री डालकर रोगी को सेवन कराने से लाभ होता है।
14. काले चने: हृदय के रोगियों को काले चने उबालकर उसमें सेंधानमक डालकर खाने से दिल के रोग में लाभ होता है।
15. बथुआ: बथुए की लाल पत्तियों को छांटकर उनका रस लगभग आधा कप निकाल लें। उसमें सेंधा नमक डालकर सेवन करें।
16. बरगद का दूध: बरगद के दूध की 4-5 बूंदे बताशे में डालकर लगभग 40 दिनों तक सेवन करने से हृदय के रोग में लाभ मिलता है।
17. जावित्री: जावित्री 10 ग्राम, दालचीनी 10 ग्राम और अकरकरा 10 ग्राम। तीनों को मिलाकर आधा चम्मच चूर्ण प्रतिदिन शहद के साथ सेवन करने से हृदय रोग में लाभ होता है।
18. नीम की जड़: बड़े नीम की जड़ 10 ग्राम, कूट 10 ग्राम, सोंठ 10 ग्राम तथा कचूर 10 ग्राम को कूट-पीसकर चूर्ण बना लें। इसमें से 4 ग्राम चूर्ण देशी घी में मिलाकर सेवन करने से लाभ होता है। 
19. बिजौरा: पोहकर मूल, बिजौरा, नींबू की जड़, सौंठ, कचूर, तथा हरड़। इन सबको बराबर की मात्रा में लेकर कूट-पीसकर लुगदी बना लें। इसमें से छोटे बेर के समान लुगदी लेकर सेंधानमक के साथ सेवन करने से दिल की बीमारी में आराम मिलता है।
20. मुनक्का: 5 ग्राम मुनक्का, 2 चम्मच शहद और एक छोटी डली मिश्री तीनों को पीसकर चटनी बना लें। यह चटनी सुबह के समय नाश्ते के बाद सेवन करने आराम मिलता है।
21. पीपला मूल: पीपला मूल और छोटी इलायची का चूर्ण आधा चम्मच की मात्रा में देशी घी के साथ चाटने से हृदय रोग का शमन हो जाता है।
22. हींग: हींग, बच, सोंठ, जीरा, कूट, हरड़ चीता, जवाखार, संचर नमक और पोहकर मूल। इन सबको बराबर की मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। इसमें से आधा चम्मच चूर्ण शहद या देशी घी के साथ सेवन करें। इससे दिल की बीमारी में आराम मिलता है।
23. अरबी: हृदय के रोगी को अरबी की सब्जी 25 ग्राम दिन में एक बार रोजाना खाते रहने से हृदय रोग में लाभ होता है।
24. चौलाई: चौलाई की हरी सब्जी का रस पीने से हाई ब्लडप्रेशर में लाभ होता है।
25. कुलथी: कुलथी भिगोये गये पानी को छानकर सुबह-शाम पीने से हाई ब्लडप्रेशर (उच्च रक्तचाप) में लाभ होगा।
26. आलू का रस:
27. मौसमी:
28. सेब: दिल की कमजोरी दूर करने के लिए सेब खाना लाभदायक है।
29. खजूर: खजूर खाने से दमा और सूखी खांसी दूर होती है। इससे शरीर ताकतवर बनता है और हृदय में भी ताकत आती है।
30. गेहूं: गेहूं के नवजात पौधे का रस अल्प मात्रा में नियमित पीने से दमा, खांसी और छाती के कैन्सर तक दूर होते हैं।
31. शलगम: शलगम, बंदगोभी, गाजर और सेम का रस मिलाकर सुबह-शाम 2 सप्ताह तक पीने से हृदय के रोग में लाभ होता है।
32. शहद: हृदय की घबराहट, दुर्बलता आदि जब मालूम हो 1 कप गर्म पानी में 2 चम्मच शहद घोलकर रोजाना 2-3 बार सेवन करने से इन रोगों में लाभ होगा।
33. सौंठ :
34. रूद्राक्ष: हरे एवं ताजे रुद्राक्ष के फलों को लेकर इसका छिलका निकालकर, काढ़ा बना लें। इसे थोड़ी-सी मात्रा में कुछ महीने तक सेवन करने से हृदय के समस्त रोगों में लाभ होता है।
35. मेथीदाना: सूखे मेथी दाने का प्रयोग हाई ब्लडप्रेशर (उच्च रक्तचाप) में लाभकारी होता है। यह कालेस्ट्राल का स्तर रक्त में घटाता है। जिसके फलस्वरूप उच्च रक्तचाप के रोग से मुक्ति मिलती है।
36. अदरक :
37. हरीतकी:
38. पिप्पली:
39. अर्जुन:
40. एला बीज: एला बीज एवं पिप्पली मूल समभाग में लेकर 3 से 6 ग्राम की मात्रा में 5 ग्राम घी या 5 ग्राम शहद के साथ दिन में दो बार सेवन करना चाहिए।
41. दालचीनी :
42. दही:
43. राई: हृदय के ढीलेपन में हृदय में कम्पन या वेदना हो, बेचैनी हो, कमजोरी महसूस होती है, तब हाथ-पैरों पर राई के चूर्ण की मालिश करने से रोगी को लाभ होता है।
44. दालचीनी: शहद और दालचीनी समान मात्रा में लेकर 1 चम्मच को नाश्ते में ब्रेड या रोटी से लगाकर प्रतिदिन खाएं। इससे धमनियों का कोलेस्ट्राल कम हो जाता है जिसको एक बार हार्ट अटैक आ चुका है, उनको दुबारा हार्ट अटैक नहीं आता है।
45. धनिया :
46. मौलसिरी: मौलसिरी के फूलों को रात भर आधा किलो पानी में भिगोकर रखें, प्रात:काल 10-20 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम 3-6 दिनों तक उस पानी को बच्चे को पिलाने से खांसी मिट जाती है।
47. एल्फाल्फा: एल्फाल्फा में कीटाणुनाशक गुण होते हैं। यह प्राकृतिक क्लोरोफिल होता है। यह हृदय रोगियों के लिए लाभदायक होती है।
48. आंवला :
55. सफेद पेठा: हृदय (दिल) के रोगी को बाईपास सर्जरी कराने से पहले 1 बार पेठा जरूर खाना चाहिए। पेठा एंजाइना का दर्द तुरंत दूर करता है, रुकी हुई धमानियों को खोलता है। हृदय (दिल) के रोगों में पेठे का रस रोजाना 3 बार पीने से लाभ होता है।