अफारा गैस का बनना gas bannna


अफारा गैस का बनना

      कभी-कभी भूख न लगना, गलत-खान पान और लापरवाही आदि के कारण पेट में दूषित वायु इकट्ठी हो जाती है, जो आध्यमान या अफारा को पैदा करती है, इसके परिणामस्वरूप पेट की नसों में खिंचाव महसूस होने लगता है। ऐसी अवस्था में मरीज बेचैन हो उठता है। पेट फूलने लगता है। जब यह गैस (अफारा) ऊपर की ओर बढ़ने लगती है तो हृदय पर दबाब बढ़ता है जिससे घबराहट सी महसूस होती है। यह गैस जब पेट में काफी समय तक रुक जाती है तो पेट में काफी दर्द करती है, जिसे अफारा या पेट में गैस का बनना कहते है।परिचय :

विभिन्न भाषाओं में नाम :


बंगाली

आध्यमान, पेटफनप।

गुजराती

अफारो।

हिंदी

पेट फूलना, अफारा।

कन्नड़ी

होटे उब्बारा।

मद्रासी

वयरटचुविरपु।

मराठी

पोटफम्पा।

उड़ासी

पेटफम्पा।

पंजाबी

अफारा।

तमिल

वायट्टरू, पोरूमल।

तैलगु

कडुपुब्बरम्।

अरबी

पेठ फला।

अंग्रेजी

टिम्पेनाइटिस
         आध्यमान (अफारा) यानी (पेट में गैस का बनना) वायु के इकट्ठा होने से पेट के फूलने के कारण पेट में कब्ज़ पैदा हो जाती है। कब्ज के कारण जब आंतों में मल एकत्रित (इकट्ठा) होता है तो मल के सड़ने से दूषित वायु (गैस) की उत्पति होती है। दूषित वायु को जब कहीं से निकलने का रास्ता नहीं मिलता है तो उस दूषित वायु से पेट फूलने लगता है। इससे अग्निमांद्य (भूख का न लगना, अपच) और अतिसार (दस्त) आदि रोग उत्पन्न हो जाते हैं। चिकित्सकों के अनुसार अधिक मात्रा में भोजन करने, बाजारों में अधिक तेल-मिर्च, गर्म मसालों का सेवन करने से पाचन क्रिया की विकृति के साथ आध्यमान की बढ़ोत्तरी होती है।
         कषैली, कड़वी, तीखी और रूक्ष (सूखा) वस्तुओं को खाने, खेद (दु:ख), अत्यन्त ठण्डे पदाथों का सेवन, अधिक संभोग के कारण वीर्य की कमी, मल-मूत्र के प्रेशर के रोकने से, चिंता, भय (डर), अधिक रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) से मांस क्षीण, अधिक उल्टी और दस्त के कारण अफारा हो जाता है। आमदोष और वृद्धावस्था से व्यक्तियों की नसों में वायु (गैस) भरकर दोषों को बढ़ाकर शरीर के अंगों को जकड़ कर दर्द पैदा हो जाने से यह विकार उत्पन्न हो जाता है।
         आध्यमान (अफारा) या वायु के इकट्ठा होने से पेट में दर्द, जी मिचलाना, श्वास  (सांस) लेने में कष्ट के साथ ही रोगी को बहुत घबराहट होती है। छाती में जलन होती है। दूषित वायु जब ऊपर की ओर चढ़ती है तो सिर में दर्द होने लगता है, रोगी को चक्कर आने लगते हैं। जब तक रोगी को डकार नहीं आती या मलद्वार से वायु नहीं निकलती है तब तक रोगी को बेचैनी और पेट में दर्द होता रहता है।
         बंदगोभी, कचालू, अरबी, भिण्डी और ठण्डी चीजें वायुकारक खाद्य पदार्थ हैं, जिसके सेवन करने से पेट में वायु बनती है और अफारा हो जाता है। चावल, राजमा, उड़द की दाल, दही, छाछ, लस्सी और मूली का प्रयोग न करें क्योंकि यह अफारा को अधिक कर देता है। अफारा होने पर कड़वे, तीखे, कषैले, सूखे और भारी अनाज (अन्न), तिल, शिम्बी मांसाहारी भोजन, अप्राकृतिक और विषम आसन, मैथुन, रात में जागना, व्यायाम और क्रोध (गुस्सा) आदि को छोड़ देना चाहिए। ऐसा करने से अफारा रोग होता है।
1. सोंठ :
2. पोदीना :
3. कुलंजन : कुलंजन का चूर्ण 2 ग्राम और 10 ग्राम गुड़ को पानी के साथ पीने से आध्यमान (अफारा, गैस) को निकाल देता है।
4. अदरक : अदरक 3 ग्राम, 10 ग्राम पिसे हुए गुड़ के साथ सेवन करने से आध्यमान (अफारा, गैस) समाप्त होता है।
5. लहसुन : लहसुन का पिसा हुआ मिश्रण लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग को घी के साथ सेवन करने से पेट में बनी गैस बाहर निकल जाती है।
6. सुगंधबाला : सुगंधबाला चूर्ण लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से लगभग 1 ग्राम को शहद के साथ सुबह-शाम पीने से अफारे में लाभ होता है।
7. तारपीन :
8. सौंफ :
9. जायफल : जायफल का चूर्ण, सोंठ का चूर्ण और जीरे को पीसकर बारीक पाउडर बना लें। इस बने पाउडर को भोजन करने से पहले पानी के साथ लेने से आध्यमान (अफारा, गैस) को पैदा होने नहीं देता है।
10. बदियाण : बदियाण रूमी (एक प्रकार का सौंफ) लगभग आधा ग्राम से लेकर 2 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम लेने से लाभ मिलता है।
11. बाबूना : पेट का फूलना (आनाह) में बाबूना के फूल 3 से 4 ग्राम सुबह-शाम सेवन करने से लाभ होता है।
12. बैंगन :
13. पीपल :
14. इलायची : इलायची, आंवले का रस या चूर्ण में भुनी हुई हींग लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग और थोड़ा सा नींबू का रस एक साथ मिलाकर सेवन करें। इससे गैस, दर्द और अफारा मिट जाता है।
15. अंगूर : अंगूर के 50 मिलीलीटर रस में 5 ग्राम मिश्री और 2 ग्राम यवक्षार मिलाकर पीने से आध्यमान (अफारा, गैस) दूर होता है।
16. लौंग :
17. दालचीनी : दालचीनी के तेल की 1 से 3 बूंद को मिश्री के साथ सुबह और शाम देने से अफारे (गैस) में लाभ होता है।
18. तेजपात (तेजपत्ता) : तेजपात का पिसा हुआ चूर्ण 1 से 4 ग्राम सुबह-शाम लेने से पेट में गैस नहीं बनती है।
19. केसर : लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग केसर को शहद के साथ लेने से अफारा (गैस), अतिसार (दस्त) और वमन (उल्टी) ठीक हो जाते हैं।
20. जटामांसी : जटामांसी 200 ग्राम, मिश्री 400 ग्राम, दालचीनी 50 ग्राम, शीतलचीनी 50 ग्राम, सौंफ 50 ग्राम और 50 ग्राम सोंठ को लेकर मिलाकर मिश्रण बना लें, फिर यह मिश्रण 3 से 6 ग्राम सुबह-शाम सेवन करने से पेट का दर्द समाप्त हो जाता है।
21. आक (मदार) : आक के पत्तों में एरण्ड का तेल लगाकर गर्म करके पेट पर बांधने से शौच (ट्टटी) खुलकर आने से पेट साफ हो जाता है।
22. धतूरे : धतूरे के पत्तों का लेप या पत्तों के काढ़े से सेंकने या पत्तों के तेल से मालिश करने से पेट की गैस दूर हो जाती है।
23. अडूसा : अडूसा (बाकस) के पत्तों का 5 से 15 मिलीलीटर रस को खुराक के रूप में देने से अफारा में लाभ होता है।
24. कचनार : कचनार की मूल (जड़) का काढ़ा सेवन करने से अफारा (गैस) ठीक हो जाता है।
25. अगियाखार :
26. गन्ध प्रसारिणी : गन्ध प्रसारिणी के पत्तों का मिश्रण गर्म करके खिलाने से गैस में लाभ होता हैं।
27. विष्णुकान्ता : विष्णुकान्ता (नील शंखपुष्पी) की जड़ 3 से 6 ग्राम सुबह-शाम लेने से लाभ होता है।
28. गूमा : गूमा (दोणपुष्पी) का रस 5 से 10 मिलीलीटर तक सुबह-शाम सेवन करने से पेट की गैस में राहत मिलती है।
29. मट्ठा या छाछ : 200 मिलीलीटर मट्ठे (तक्र) में 2 ग्राम अजवायन का चूर्ण और 1 ग्राम पिसा हुआ कालानमक मिलाकर पीने से आध्यमान (अफारा, गैस) नष्ट होता है।
30. हींग :
31. नींबू : नींबू के रस को 200 मिलीलीटर पानी में थोड़ा-सा सेंधानमक मिलाकर धीरे-धीरे पीने पेट की गैस निकल जाती है।
32. मकरध्वज : मकरध्वज आधा ग्राम, भुनी हुई हींग का चूर्ण 2 ग्राम पानी के साथ सेवन करने से गैस में आराम होता है।
33. दौना : दौना (दवना) के पंचांग (जड़, तना, पत्ती, फल और फूल) का रस 5 से 10 बूंद सुबह-शाम सेवन करने से पेट के कीड़े और गैस समाप्त हो जाती है।
34. बरना : बरना के पत्तों का फांट या घोल 40 से 80 मिलीलीटर सुबह-शाम पीने से पेट दर्द और गैस दूर होती है।
35. मूली : मूली के पत्तों के 20 से 40 मिलीलीटर रस को सुबह-शाम देने से पेट की गैस की शिकायत चली जाती है।
36. कायपुटी : कायपुटी का तेल 5 से 10 बूंद बताशे या चीनी में भरकर रोजाना 2 से 3 बार सेवन करने से पेट की गैस में आराम मिलता है।
37. सेंधानमक : सैंधवलवण 1 ग्राम और 5 ग्राम पिसा हुआ अदरक का चूर्ण सुबह और शाम (दो बार) लें। इससे अफारा में लाभ मिलता है।
38. अजमोद : 5 ग्राम अजमोद को 15 ग्राम गुड़ में मिलाकर खाने से पेट का अफारा मिटता है।
39. तस्तुम्बे : तस्तुम्बे की गिरी और एलुआ को पीसकर गर्म करके लेप करने से अफारा कम होता है।
40. एलुआ : एलुआ को पीसकर नाभि (पेट के निचले भाग) पर लेप करने से दस्त आकर अफारा मिटता है।
41. बालछड़ : बालछड़ का चूर्ण लगभग आधा ग्राम पीसकर रख लें, फिर 2 ग्राम चूर्ण को गर्म पानी के साथ खाने से अफारा में लाभ होता है।
42. तालसी : तालसी के पत्ते और अजवायन का चूर्ण खाने से अफारा मिट जाता है।
43. कालीमिर्च :
44. दही : दही के छाछ (दही का खट्टा पानी) को पीने से अफारा में लाभ होता है।
45. अरणी : अरणी के पत्तों को उबालकर पीने से अफारा और पेट के दर्द में लाभ होता है।
46. मरोड़फली :
47. प्याज :
48. ढाक : ढाक के पत्ते को उबालकर पीने से अफारा और पेट के दर्द में लाभ होता है।
49. गुड़ : गुड़ और मेथी दाना को उबालकर पीने से अफारा मिट जाता है।
50. अजवायन:
51. सोआ : सोआ (बनसौंफ) को पीसकर मिश्रण बना लें, इसे पकाकर काढ़ा बनाकर रोज 40 मिलीलीटर सुबह-शाम देने से पेट की गैस में राहत मिलती है।
52. डिकामाली : डिकामाली लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग को गर्म पानी में घोलकर सुबह-शाम पीने से अफारा कम होता है।
53. राई : 2 ग्राम राई को चीनी में मिलाकर फांक लें तथा ऊपर से लगभग आधा ग्राम से 1 ग्राम चूने को आधा कप पानी में मिलाकर पिलाने से अफारा को दूर किया जा सकता है।
54. धनिया :
55. मेथी : मेथी 250 ग्राम और सोया 250 ग्राम को लेकर, दोनों को तवे पर सेंक लें, मोटा-मोटा कूटकर (अधकुटा) करके 5-5 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से वायु, लार की अधिकता, अफारा (पेट में गैस का बनना), खट्टी हिचकियां और डकारें आने का कष्ट मिट जाता है।
56. शरपुंखा : शरपुंखे की जड़ के 10 से 20 मिलीलीटर काढ़े में भूनी हुई लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से लगभग आधा ग्राम हींग को मिलाकर सुबह-शाम पिलाने से पेट की गैस खत्म हो जाती है।
57. अकरकरा : शुंठी चूर्ण और अकरकरा दोनों 1-1 ग्राम मिलाकर फंकी लेने से मंदाग्नि और अफारा दूर होता है।
58. वच :
59. पलास : पलास की छाल और शुंठी का काढ़ा 30-40 मिलीलीटर सुबह-शाम 2 बार पिलाने से अफारा और पेट का दर्द नष्ट हो जाता है।