कब्ज kabaj

कब्ज

     कब्ज से अभिप्राय है, कि मल-त्याग न होना, मल-त्याग कम होना, मल में गांठें निकलना, लगातार पेट साफ न होना, रोजाना टट्टी नहीं जाना, भोजन पचने के बाद पैदा मल पूर्ण रूप से साफ न होना, टट्टी जाने के बाद पेट हल्का और साफ न होना आदि को कब्ज कहते हैं।परिचय :

कारण :

         खानपान सम्बंधी गलत आदतें जैसे- समय पर भोजन न करना, बासी और अधिक चिकनाई वाला भोजन, मैदा आदि से बनाया गया मांसाहारी भोजन, भोजन में फाइबर की कमी, अधिक भारी भोजन अधिक खाना, शौच को रोकने की आदत, शारीरिक श्रम न करना, विश्राम की कमी, मानसिक तनाव (टेंशन), आंतों का कमजोर होना, पानी की कमी, गंदगी में रहना, मादक द्रव्यों का सेवन, एलोपैथी दवाइयों के दुष्प्रभाव के कारण, भोजन के साथ अधिक पानी पीने, मिर्च-मसालेदार तथा तले हुए पदार्थ जैसे-पूरी-कचौड़ी, नमकीन, चाट-पकौड़े खाने, अधिक गुस्सा, दु:ख आलस्य आदि कारणों से कब्ज हो जाती है।

लक्षण :

         दालों में मूंग और मसूर की दालें, सब्जियों में कम से कम मिर्च-मसालें डालकर परवल, तोरई, टिण्डा, लौकी, आलू, शलजम, पालक और मेथी आदि को खा सकते हैं। आधे से ज्यादा चोकर मिलाकर गेहूं तथा जौ की रोटी खाएं। भूख से एक रोटी कम खाएं। अमरूद, आम, आंवला, अंगूर, अंजीर, आलूचा, किशमिश, खूबानी और आलूबुखारा, चकोतरा और संतरे, खरबूजा, खीरा, टमाटर, नींबू, बंदगोभी, गाजर, पपीता, जामुन, नाशपाती, नींबू, बेल, मुसम्मी, सेब आदि फलों का सेवन करें। दिन भर में 6-7 गिलास पानी अवश्य पीयें। मूंग की दाल की खिचड़ी खायें। फाइबर से बने खाने की चीजें का अधिक मात्रा में सेवन करें, जैसे- फजियां, ब्रैन (गेहूं, चावल और जई आदि का छिलका), पत्ते वाली सब्जियां, अगार, कुटी हुई जई, चाइनाग्रास और ईसबगोल आदि को कब्ज से परेशान रोगी को खाने में देना चाहिए।
1. त्रिफला (छोटी हरड़, बहेड़ा तथा आंवला) :
2. मुनक्का :
3. सेब :
4. आंवला :
5. टमाटर :
6. बैंगन : बैंगन व पालक का सूप पीने से कब्ज मिटती है और पाचन-शक्ति बढ़ती है।
7. शहद : 2 चम्मच शुद्ध शहद को दूध के साथ सोने से पहले सेवन करने से सुबह शौच आती है।
8. आम : आम को खाने के बाद दूध पीने से शौच खुलकर आती है और पेट साफ हो जाता है।
9. चना :
10. नमक :
11. गिलोय :
12. लहसुन :
13. गाजर :
14. पालक : पालक, मेथी, बथुआ या चौलाई की सब्ज़ी खाने से कब्ज़ (कोष्ठबद्धता) से राहत मिल जाती हैं।
15. घी :
16. बड़ी इलायची : बड़ी इलायची के दाने 250 ग्राम, इन्द्रायण की गिरी बिना बीजों का 10 ग्राम की मात्रा में पीसकर छोटी-छोटी गोलियां बनाकर सुबह-शाम देने से पेट की गैस कम हो जाती है।
17. फूलगोभी :
18. पत्ता गोभी (करम कल्ला) :
19. खरबूजा : कब्ज में पका हुआ खरबूजा खाने से कब्ज मिटती है।
20. बथुआ :
21. चौलाई : चौलाई की सब्जी खाने से कब्ज में लाभ मिलता है।
22. मूंग :
23. मसूर की दाल : मसूर की दाल खाने से कब्ज में लाभ होता है।
24. तरबूज : तरबूज कुछ दिनों तक सेवन करने से पेट की कब्ज दूर हो जाती है।
25. तिल :
26. सज्जीखार : सज्जीखार 3 ग्राम, 3 ग्राम पुराना गुड़ दोनों को मिलाकर रगड़कर छोटी गोलियां बना लें। रोजाना सुबह 1 गोली खुराक के रूप में सेवन करने से कब्ज की बीमारी समाप्त हो जाती है।
27. आक (मदार) :
28. दाख : दाख, हरड़ और चीनी या सेंधानमक मिलाकर खाने से लाभ होता है।
29. कोयली का बीज : कोयली के बीज 4 से 6 ग्राम, नमक और सोंठ के साथ पीसकर खाने से पेट साफ हो जाता है।
30. पीपल :
31. अंकोल : अंकोल की जड़ का चूर्ण खाने से पेट की कब्ज में आराम मिलता है।
32. ढाक : ढाक के 20 पत्तों को ताजे पानी में पीसकर मरीज को दें, यदि दर्द हल्का हो जाये तो एक बार फिर इसी मात्रा में देने से वायु (गैस) के रोग में राहत देता है।
33. नागदोन : नागदोन और हरड़ का चूर्ण खाने से लाभ होता है।
34. बड़ी पीलू : बड़ी पीलू के पत्तों का काढ़ा बनाकर पीने से पेट साफ हो जाता है।
35. दही : दही का तोड़ (खट्टा पानी) पीने से कब्ज दूर हो जाती है।
36. दूध :
37. सत्यानाशी :
38. चाकसू : चाकसू के बीजों को पीसकर चूर्ण बनाकर खाने से पुरानी कब्ज मिट जाती है।
39. मिट्टी :
40. मुलहठी :
41. नीम :
42. ईसबगोल :
43. करेला : करेला का रस 1 चम्मच, जीरा आधा चम्मच, सेंधानमक 2 चुटकी को पीसकर चटनी बनाकर कब्ज की शिकायत में खा सकते हैं।
44. कच्चा पालक : कच्चे पालक का रस रोज सुबह पीते रहने से कब्ज दूर होती है। पालक और बथुआ की सब्जी खाने से भी पेट की गैस कम हो जाती है।
45. शलगम : कच्चे शलगम को खाने से पेट साफ हो जाता है।
46. अंगूर :
47. धनिया :
48. त्रिकुटा : त्रिकुटा (सोंठ, कालीमिर्च, छोटी पीपल) 30 ग्राम, त्रिफला (हरड़, बहेड़ा, आंवला), 50 ग्राम पांचों नमक, 10 ग्राम अनारदाना, 10 ग्राम बड़ी हरड़ को पीसकर चूर्ण बनाकर रख लें। रात को ठण्डे पानी में 6 ग्राम की खुराक के रूप में सेवन करने से कब्ज में रोगी को लाभ होगा।
49. बालू : बालू रेत की एक चुटकी को फांककर 1 गिलास पानी के साथ पीने से कब्ज कम हो जाती है।
50. अजवायन :
51. सौंफ :
52. सौंठ : सौंठ 10 ग्राम, अजवायन 10 ग्राम में 3 ग्राम कालानमक मिलाकर मिश्रण बना लें। रोज 2-2 ग्राम की मात्रा में थोड़े-से पानी के साथ सुबह-शाम पीने से लाभ होता है।
53. लौंग : लौंग 10 ग्राम, कालीमिर्च 10 ग्राम, अजवायन 10 ग्राम, लाहौरी नमक 50 ग्राम और मिश्री 50 ग्राम को पीस-छानकर नींबू का रस डाल दें। सूखने पर 5-5 ग्राम गर्म पानी से खाना खाने के बाद खुराक के रूप में लाभ होता है।
54. अदरक :
55. गुलकंद :
56. नींबू :
57. अमरूद :
58. शलजम : शलजम को कच्चा खाने से कब्ज़ दूर हो जाता है।
59. दालचीनी :
60. पानी :
ध्यान देने योग्य बातें : सर्दी के दिनों में रोजाना डेढ़ से 2 लीटर और गर्मी में लगभग 3 लीटर पानी अवश्य पीना चाहिए। भोजन के 1 घंटे पहले और लगभग 2 घंटे बाद ही पानी पीना चाहिए।
61. काबुली हरड़ : काबुली हरड़ को रात में पानी में डालकर भिगो दें। सुबह इसी हरड़ को पानी में रगड़कर नमक मिलाकर 1 महीने तक लगातार पीने से पुरानी से पुरानी कब्ज मिट जाती है।
62. एरण्ड :
63. बड़ी हरड़ :
64. हरड़ :
65. बच : बच और सोनामक्खी खाने से पेट की गैस में लाभ होता है।
66. अमलतास :
67. किशमिश : किशमिश 25 ग्राम, मुनक्का 4 पीस, अंजीर 2 पीस और सनाय का चूर्ण चौथाई चम्मच को 1 गिलास पानी में भिगो दें। थोड़ी देर बाद सभी को पानी में मसलकर फिर इसको छान लें। इसमें 1 कागजी नींबू का रस और शुद्ध शहद 2 चम्मच मिलाकर सुबह इसे खुराक के रूप में खाली पेट सेवन करने से शौच अच्छी तरह आती है और पेट साफ हो जाता है।
68. माजून अंजीर : माजून अंजीर 10 ग्राम को सोने से पहले लेने से कब्ज में लाभ होता है।
69. अखरोट : अखरोट के छिलकों को उबालकर पीने से दस्त में राहत मिलती है।
70. चिकनी सुपारी : चिकनी सुपारी, छोटी हरड़ और कालानमक को बराबर लेकर कूट लें। रोज 5-6 ग्राम की मात्रा में गर्म पानी के साथ खाने से कब्ज की शिकायत दूर हो जाती है।
71. छाछ :
72. कालानमक : 6 ग्राम काला नमक को देशी घी में भूनकर गर्म पानी के साथ खाने से 3-4 बार ट्टटी आने से पेट हल्का हो जाता है।
73. गुलाब :
74. सनाय :
75. तुलसी :
76. ग्वारपाठा :
77. बिजड़ी : चना, गेहूं और जौ को बराबर की मात्रा में लेकर रोटी का सेवन करने से कब्ज दूर होती है।
78. पपीता :
79. प्याज :
80. मूली :
81. काला दाना :
82. कसूम्बे : कसूम्बे के बीजों को अधिक मात्रा में खाने से कब्ज कम हो जाती है।
83. मकोय : मकोय का रस पीने से शौच खुलकर आती है।
84. कैर : कैर की छाल का चूर्ण खाने से बंध पेट साफ हो जाता है।
85. आडू : आडू के फलों का काढ़ा बनाकर सेवन करने से पेट खाली हो जाता है।
86. सफेद निशोथ : सफेद निशोथ की डण्ठल निकालकर पीस लें। इसमें पीपल और सेंधानमक मिलाकर रख लें। लगभग 6 ग्राम चूर्ण को रोजाना खाने से पेट की कब्ज मिट जाती है।
87. चम्पा : चम्पा की जड़ का काढ़ा बनाकर पीने से दस्त आकर कब्ज की शिकायत नहीं रहती है।
88. अंजीर :
89. रेवंदचीनी :
90. केसर : केसर आधा ग्राम को घी में पीसकर खाने से 1 साल पुरानी कब्ज दूर हो जाती है।
91. अलसी :
92. सिरस :सिरस के बीजों का चूर्ण 10 ग्राम, हरड़ का चूर्ण 5 ग्राम, सेंधानमक 2 चुटकी को पीसकर चूर्ण बना लें। इसमें से 1 चम्मच चूर्ण रोजाना खाना खाने के बाद रात को सेवन करें। इससे कब्ज दूर हो जाती है।
93. जीरा :
94. गाय का पेशाब : 2 चम्मच गाय का पेशाब रोजाना पीने से कब्ज में लाभ होता है।
95. संतरा :
96. मेथी :
97. गेहूं : गेहू के पौधे का रस पीने से कब्ज दूर होती है।
98. गुड़ : 2 से 4 ग्राम गुड़ के साथ हरीतकी का चूर्ण सुबह-शाम सेवन करने से कब्ज में लाभ होता है।
99. हींग :
100. कुटकी : कुटकी का चूर्ण 3 से 4 ग्राम तक की मात्रा में सुबह-शाम लेने से पेट साफ होता है।
101. करू : करू (कुटकी का एक भेद) 3 से 4 ग्राम सुबह-शाम लेने से कब्ज की शिकायत दूर होती है।
102. रास्ना (रचना) : रास्ना के पत्तों को पीसकर पानी के साथ पीने से कब्ज में राहत मिलती है।
103. ईश्वरमूल : रूद्रजता की लता के पत्तों को पीसकर पेट पर लेप करने से लाभ होता है।
104. कुसुम : कुसुम के बीजों की मांड(लई) देने से पेट की गैस ठीक हो जाती है।
105. सुगंधबाला : सुगंधबाला की फांट या घोल को सुबह-शाम सेवन करने से कब्ज में राहत मिलती है।
106. बेल :
107. थूहर (मुठिया सीज) : थूहर के दूध में कालीमिर्च, लौंग या पीपल भिगोकर सुखा लें। कब्ज से परेशान व्यक्ति को कालीमिर्च या लौंग खिला देने से पेट बिल्कुल साफ हो जाता है।
108. अंगुलिया थूहर : अंगुलिया थूहर (अंगुलियों जैसी पतली शाखावाली पसीज) की 2 बूंद, दूध, बेसन और शहद के साथ छोटी गोली बनाकर लेने से मल आसानी से बाहर निकल जाता है।
109. सहजन : सहजन (मुनगा) के कोमल पतों का साग खाने से शौच खुलकर आती है।
110. कचनार :
111. जमालगोटा : जमालगोटा के बीज की लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग या तेल आधा से एक बूंद मक्खन में मिलाकर खाने से शौच पतली आती है। ध्यान रहे कि जब शौच रुक नहीं रहा हो तो ऐसी हालत में पानी में कत्था (खैर) को घिसकर नींबू का रस मिलाकर अच्छी तरह घोंटकर पिलाते रहें।
112. भाकुरा : भाकुरा (इन्द्रायण का ही एक भेद) की जड़ का चूर्ण 1 से 3 ग्राम सोंठ और गुड़ के साथ खाने से कब्ज दूर होता है। ध्यान रहे कि मात्रा अधिक न हो पाये, क्योंकि वह जहर बन जाता है। जहर हो जाने पर पेट साफ करके दूध पिलायें।
113. विधारा : विधारा की जड़ 3 से 6 ग्राम की मात्रा में सेवन कराने से कब्ज मिटती है।
114. घी कुआंर : घी कुआंर (ग्वारपाठा) का रस 10 से 20 मिलीलीटर की मात्रा में हरड़ के साथ खाने से मलावरोध की परेशानी दूर होती है। गर्भस्त्री और स्तनपान कराने वाली स्त्रियों को इसका सेवन न करायें।
115. श्वेत गदपुरैना : श्वेत गदपुरैना (श्वेत पुनर्नवा) की जड़ का चूर्ण 5 से 10 ग्राम को सोंठ के साथ मिलाकर दिन में 2 से 3 बार देने से शौच खुलकर आती है।
116. गन्धप्रसारिणी : गन्धप्रसारिणी के पत्तों को पीसकर मिश्रण बनाकर रख लें। इस मिश्रण या चूर्ण को गुनगुने पानी से लेने से कब्ज दूर हो जाती है।
117. आकाशबेल : आकाशबेल का रस 10 मिलीलीटर सुबह-शाम लेने से लीवर की कमजोरी और कब्ज दूर होती है।
118. विष्णुकान्ता : विष्णुकान्ता (नीलशंखपुष्पी) की जड़ 3 से 6 ग्राम सुबह-शाम सेवन करने से दस्त साफ आता है।
119. शंखपुष्पी :
120. तिलका : तिलका (एक प्रकार की मशहूर लकड़ी) की छाल का 5 से 10 ग्राम पीसकर पीने से कब्ज लाभ मिलता है।
121. हिंगोट : हिंगोट (हिंगन) के फल का गूदा लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग तक लेने से पेट साफ हो जाता है। कच्चा फल खाने से अच्छा पेट साफ होता है।
122. तमाल : तमाल पेड़ से प्राप्त गोंद और गैम्बों लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग लेने से कब्ज ठीक हो जाती है। नोट : अधिक मात्रा में न दें, क्योंकि यह जहर की तरह है यह रोगी की जान भी ले सकता हैं। इस प्रयोग के समय दालचीनी या लौंग का इस्तमाल करें।
123. कालामूका : कालामूका (रतनगरूर) की पत्तियों के रस को नाक के द्वारा सूंघने से सिर के दर्द में आराम मिलता है।
124. जारूल : जारूल की छाल का काढ़ा बनाकर 20 से 40 मिलीलीटर तक या पत्तों का रस 10 से 20 मिलीलीटर तक सेवन करने से पेट साफ होकर कब्ज की शिकायत दूर हो जाती है।
125. बड़हल : बड़हल (बरहर) के 1 से 2 बीजों को पीसकर और घोंटकर पीने से या थोड़े से बड़हड़ का दूध बताशे में डालकर पानी के साथ सेवन करने से रोगी को लाभ मिलता है।
126. शहतूत :
127. लघुपीलु : लघुपीलु के पत्तों का रस 10 से 20 मिलीलीटर तक सेवन करने से पेट के अंदर रुका हुआ मल आसानी से बाहर आ जाता है और पेट साफ हो जाता है।
128. इमली :
129. आलूबुखारा : आलू बुखारा खाने से कब्ज नही होता है।
130. केला :
131. खजूर :
132. खीरा : खीरा रोजाना खाने से पेट की गैस नहीं बनती है। खीरा, ककड़ी, गाजर, टमाटर, पालक या पत्तागोभी को कच्चा खाने से भी लाभ होता है।
133. बादाम : 15 ग्राम बादाम के तेल को निकालकर 1 गिलास दूध में मिलाकर कुछ दिनों तक लगातार पीने से पेट की गैस में आराम मिलता हैं।
134. तीसी का तेल : तीसी का तेल 7 से 14 मिलीलीटर तक गुनगुने दूध में डालकर पिलाने से मल (ट्टटी) आसानी से उतर जाता है और कब्ज की शिकायत नहीं रहती है।
135. पटुआ शाक : पटुआ शाक के बीजों का पिसा हुआ बारीक चूर्ण 3 से 6 ग्राम सेवन करने से पेट साफ हो जाता है।
136. कसौंदी : कसौंदी के पंचांग (जड़, पत्ती, तना, फल और फूल) का काढ़ा बनाकर पीने से पेट की गैस में राहत मिलती है।
137. मानकन्द : मानकन्द (मानकचू) के फल का साग लगातार खाने से पुरानी कब्ज की शिकायत दूर होती है।
138. अनानास : अनानास के कच्चे फल का रस 40 से 80 मिलीलीटर तक सेवन करने से मल आसानी से निकल जाता है।
139. आरूक : आरूक (आडू) के फूलों का फांट या घोल 40 से 80 मिलीलीटर तक सुबह-शाम देने से पेट साफ हो जाता है।
140. कॉसकरॉ : कॉसकरॉ की छाल का चूर्ण 1 से 3 ग्राम सेवन करने से पेट साफ हो जाता है।
141. कुंगकु  : कुंगकु की छाल का चूर्ण 3 से 6 ग्राम सुबह-शाम देने से दस्त साफ आता है।
142. गुलब्वास : गुलब्वास की गांठदार जड़ लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग या लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से लगभग आधा ग्राम सेवन करने से हल्के दस्त आकर पेट साफ हो जाता है।
143. गुलबनफ्शा : गुलबनफ्शा के गुलकंद का सेवन करने से मलावरोध दूर होता है।
144. चाल्ता : चाल्ता (भव्य) के फलों को पीसकर शर्बत बनाकर पीने से शौच साफ आती है।
145. कुप्पी : कुप्पी (आमाभाजी) के पंचांग (जड़, पत्ती, फल, फूल और तना) का काढ़ा 40 से 60 मिलीलीटर तक खुराक के रूप में लेने से पेट साफ हो जाता है।
146. शरीफा : शरीफा की जड़ 10 से 20 ग्राम पीसकर सेवन करने से पेट आसानी से साफ हो जाता है।
147. दुग्धफिनी : दुग्धफिनी की जड़ 4 से 12 ग्राम सुबह-शाम सेवन करने से कब्ज मिट जाती है।
148. जलापा : जलापा की जड़ का बारीक चूर्ण लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से लगभग आधा ग्राम सुबह-शाम सेवन करने से दस्त आकर पेट साफ हो जाता है।
149. हरीतकी : हरीतकी का चूर्ण और गुड़ सुबह-शाम सेवन करने से कब्ज़ मिटती है।
150. चुकन्दर : चुकन्दर को खाने से पेट की गैस दूर होती है।
151. कुटू : कुटू के आटे की रोटी बनाकर खाने से कब्ज ठीक हो जाती है।
152. बैंगन : बैंगन को धीमी आग पर पकाकर खाने से कब्ज दूर हो जाती है।
153. हल्दी : पेट में जब गैस भर जाती है तो बड़ा दर्द होता है। ऐसी स्थिति में पिसी हुई हल्दी और नमक 5-5 ग्राम की मात्रा में पानी के साथ सेवन करने से कब्ज में आराम होगा।
154. आकड़ा : पेट में वायु भरकर गोला-सा बनकर दर्द करता है। गर्म दूध में 1 चम्मच अदरक का रस डालकर पीने से लाभ होता है।
155. रस : सेब, अमरूद, संतरे, पालक व गाजर का जूस पीने से कब्ज में लाभ होता है या अंजीर, बेल, आंवले का रस अथवा ईसबगोल भी फायदेमंद रहता है।
156. मटर : कच्ची मटर खाने से पेट की कब्ज में लाभ होता है।
157. मौलसिरी : बच्चों का कब्ज दूर करने के लिए इसके बीजों की मींगी की बत्ती, पुराने घी के साथ बनाकर, बत्ती को गुदा में रखने से 15 मिनट में मल की कठोर गांठे दस्त के साथ निकल जाती हैं।
158. चावल : 10 ग्राम चावल और 20 ग्राम मूंग की दाल की खिचड़ी में घी मिलाकर खाने से कब्ज दूर हो जाती है।
159. जायफल : नींबू के रस में जायफल घिसकर 2 चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम भोजन के बाद सेवन करने से गैस और कब्ज की तकलीफ दूर होगी।
160. छुहारा :
161. काजू :
162. कालीमिर्च : 10 पिसी हुई कालीमिर्च को फांककर, ऊपर से गर्म पानी में नीबू निचोड़कर सुबह-शाम पीते रहने से गैस बनना बंद हो जाती है।
163. शहद :
164. घी : रात को सोते समय एक कप गर्म दूध में 5 मिलीमीटर घी मिलाकर मिश्री के साथ सेवन करने से कब्ज में लाभ मिलता है।
165. कलौंजी : गुड़िया शक्कर 5 ग्राम, सोनामुखी 4 ग्राम, 1 गिलास हल्का गर्म दूध, आधा चम्मच कलौंजी का तेल लेकर, सबको मिलाकर रात को सोते समय सेवन करने से गैस में आराम होगा।
166. गोभी : रात को सोते समय गोभी का रस पीना कब्ज के रोगी के लिए बहुत ही अच्छा होता है।
167. पान : पान के डंठल पर तेल चुपड़कर बच्चों की गुदा में रखने से बच्चों की कब्ज और वादी के रोग मिट जाते हैं।
168. इन्द्रायण :
169. गूलर : गर्मी के मौसम में गूलर के पके फलों का शर्बत, मन को प्रसन्न करने वाला, बलकारक, कब्ज तथा खांसी और सांस के रोगों को ठीक करता है।
170. सरसों का तेल :
171. निर्मली : निर्मली के बीजों को खाने से कब्ज और वात-पित्त-कफ में लाभ होता है।
172. पिपरमिन्ट :
173. लीची : लीची रोज खाने से कब्ज दूर होती है।
174. अनार : अनार में शर्करा (शुगर) और सिट्रिक अम्ल काफी मात्रा में होता है। यह अत्यंत पौष्टिक, स्वादिष्ट और लौह-तत्व से भरपूर होता है। कब्ज से पीड़ित व्यक्तियों के लिए बीज समेत अनार का सेवन करना अच्छा रहता है और इसके रस के सेवन से उल्टी आना बंद हो जाती है।
175. तुलसी :
176. पाकरः पाकर (पाखर) के पेड़ की ताजी छाल का काढ़ा बस्ति (नली द्वारा शरीर के भीतर या बाहर की जल धारा देने वाला) देने से मलाशय साफ हो जाता है और पेट के अंदर सभी तरह के जख्म भी ठीक हो जाते हैं।
अन्य उपचार