डकारें आना dakaar ana



डकारें आना

         पेट में बनी गैस जब मुंह से बाहर आती है तो वह डकार कहलाती है। पेट में अधिक अम्लता (एसिडिटीज) के बनने से गैस होने लगती है, जिसके कारण मुंह में हल्का-सा खट्टा या तीखा पानी आता है।परिचय :

विभिन्न औषधियों से उपचार:

18. धनिया : यह कोई रोग नहीं है परन्तु यदि कभी लगातार खट्टी डकारे आने लगती है तो रोगी को बेचैनी होने लगती है और वह शीघ्र ही घबरा जाता है। पेट में जलन होती है और जबान सूखने लगती है। बार-बार डकार आने से खुश्की दूर हो जाती है और वायु के कारण पेट में गर्मी सी महसूस होने लगती है। सीने में जलन, अकड़न और मीठा दर्द होने लगता है। ऐसी दशा में पाचक औषधि काम करती है। इसके लिए थोड़ा सा पुदीना और थोड़ा सा सूखा धनियां, बड़ी इलायची, अजवायन और कालानमक इन सबको पीसकर या तो टिकिया बना लेते हैं या चूर्ण बना लेते हैं फिर इसे 2 घंटे बाद गर्म पानी से लेना चाहिए। थोड़ी देर में डकारे बंद हो जाएंगी।
 22. नागरमोथा :  पीपल, कालीमिर्च, हरड़, बहेड़ा, आमला, शुंठी, बायविडंग, नागरमोथा, चंदन, चित्रक, दारूहल्दी, सोनामक्खी, पीपलामूल और देवदारू को 50-50 ग्राम लेकर पीसकर बारीक चूर्ण बना लें, फिर मण्डूर को 400 मिलीलीटर गाय के मूत्र में अच्छी तरह पका लें। जब मण्डूर 50 ग्राम शुद्ध रह जाये तो इसमें उपरोक्त चूर्ण को मिलाकर गूलर के फल के समान गोलियां बना लें। इन गोलियों को रोगी को देने से डकारें आना बंद  हो जाती हैं।