दिल की दुर्बलता
हृदय सामान्य अवस्था में सामान्य गति से पूरे शरीर में रक्त यानी खून का संचालन करता है। धड़कन की गति सामान्य होती है। जब सामान्य स्थिति में धड़कन एवं नाड़ी की गति में तेजी आने लगती है तो हृदय की दुर्बलता स्पष्ट होती है। इसमें कभी कभी सांस लेने में कठिनाई भी होती है।परिचय:
लक्षण :
कारण :
रोजाना 5-7 ग्राम शहद को पानी में मिलाकर पीने से हृदय की निर्बलता नष्ट होती है।
शहद हृदय को शक्ति देने के लिए विश्व की समस्त औषधियों से सर्वोत्तम है इससे हृदय इतना शक्तिशाली हो जाता है जैसे घोड़ा हरे जौ खाकर शक्ति प्राप्त करता है। शहद के प्रयोग से हृदय की सूजन दूर हो जाती है। जहां यह रोग-ग्रस्त हृदय को शक्ति देता है वही स्वस्थ हृदय को पुष्ट और शक्तिशाली बनाता है, हृदय फेल होने से बचाता है। जब रक्त में ग्लाइकोजन के अभाव से रोगी को बेहोश होने का डर हो तो शहद खिलाकर रोगी को बेहोश होने से बचाया जा सकता है। शहद मिनटों में रोगी में शक्ति व उत्तेजना पैदा करता है। सर्दी या कमजोरी के कारण जब हृदय की धड़कन अधिक हो जाये, दम घुटने लगे तो 2 चम्मच शहद सेवन करने से नवीन शक्ति मिलती है। हृदय की दुर्बलता, दिल बैठना आदि कोई कष्ट हो तो शहद की एक चम्मच पानी में डालकर पिलायें। एक चम्मच शहद प्रतिदिन लेने से हृदय सबल बनता है।
नींबू का प्रयोग करने से रक्त वाहिनियों में लचक और कोमलता आती है और कठोरता कम होती है जिसकी मदद से हाई ब्लडप्रेशर के मरीज को लाभ मिलता है। इसके निरन्तर इस्तेमाल करने से बुढ़ापे तक हृदय ताकतवर बना रहता है और हार्ट फेल होने का ड़र नहीं रहता है।
हृदय की कमजोरी दूर करने हेतु नींबू में विशेष गुण हैं। इसके निरन्तर प्रयोग से रक्त वाहिनियों में लचक और कोमलता आ जाती हैं और इनकी कठोरता दूर हो जाती है। इसलिए हाई ब्लडप्रेशर जैसे रोग को दूर करने में नींबू उपयोगी है। इससे बुढ़ापे तक हृदय शक्तिशाली बना रहता है एवं हार्टफेल होने का भय नहीं रहता है। दिल घबराने, छाती में जलन पर ठण्डे पानी में नींबू निचोड़कर पीने से लाभ होता है।
अनार का रस पीने से हृदय की निर्बलता नष्ट होती है।
अनार के 150 ग्राम ताजे पत्तों को पानी में घोटकर इसका रस सुबह-शाम नियमित सेवन करने से दिल की धड़कन शांत हो जाती है।
छाया में सुखाये हुए अनार के छिलके, दही, नीम के पत्ते, छोटी इलायची और गेरू इन सबको एक साथ पीसकर रख लें। फिर इसे 50 ग्राम की मात्रा में लेकर पानी के साथ लेने से हृदय की धकड़न तथा धूप के ताप में लाभ होता है।
11. सेब: प्रतिदिन सेब या सेब का मुरब्बा खाने से शारीरिक शक्ति बढ़ने से हृदय की निर्बलता नष्ट होती है।
आधा भोजन करने के बाद हरे आंवलों का रस 35 मिलीलीटर, आधा गिलास पानी में मिलाकर पी लें, फिर आधा भोजन करें। इस प्रकार 21 दिनों तक सेवन करने से हृदय तथा मस्तिष्क की दुर्बलता दूर हो जाती है और स्वास्थ्य सुधर जाता है।
आंवले का मुरब्बा खाकर प्रतिदिन दूध पीने से शारीरिक शक्ति विकसित होने से हृदय की निर्बलता नष्ट होती है।
3 ग्राम आंवले का चूर्ण रात के समय 250 मिलीलीटर दूध के साथ सेवन करने से हृदय की निर्बलता नष्ट होती है।
सूखा आंवला तथा मिश्री 50-50 ग्राम मिलाकर खूब कूट-पीस लें। 6 ग्राम औषधि प्रतिदिन एक बार पानी के साथ लेने से कुछ दिनों में हृदय की धड़कन तथा अन्य रोग सामान्य हो जाते हैं।
दिल की कमजोरी घबराहट और जलन में हींग को भून लें, फिर उसी मात्रा में कालाजीरा, सफेद जीरा, अजवायन और सेंधानमक मिलाकर पीस लें। इसे प्रतिदिन 1 बार में 2.50 से 3 ग्राम की मात्रा में ताजे पानी के साथ लेने से लाभ होता है।
हींग दुर्बल हृदय को शक्ति देती है। रक्त के जमने को रोकती है। रक्त संचार सरलता से करती है।
10 ग्राम हीरा हींग, बीज निकाले हुए 10 मुनक्के, 10 छुहारे, 10 ग्राम दालचीनी 10 छोटी इलायची के दाने पीसकर एक शीशी में भर लें। एक चुटकी में जितना चूर्ण आए-उतना मुंह में रखकर घुलने दीजिए। दिन में 5 बार इतनी ही मात्रा में लेने से दिल को शक्ति पहुंचाती है।
बीज निकले एक मुनक्के में आधा ग्राम भुनी हुई हींग को डालकर पानी से सुबह निगल जायें। यह दिल में खिंचाव, बोझ, अधिक धड़कनों आदि बीमारी में लाभ देता है।