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अर्जेन्टीना के बादलों से होकर गुजरती है यह ट्रेन

अर्जेन्टीना के बादलों से होकर गुजरने वाली इस रेलगाड़ी को 'ट्रेन टू द क्लाउड' कहा जाता है। यह ट्रेन सिटी ऑफ साल्टा से चल कर ला पोल्वोरीला वियडक्ट तक जाती है। अर्जेन्टीना का यह रेलमार्ग दुनिया के सबसे ऊंचे रेल रूट में से एक है। यह रेल 16 घंटे के अपने सफर में लगभग 217 किलोमीटर कि दूरी तय करती है आर लगभग 4000 मीटर तक कि ऊंचाई पर दौड़ती है। इस रेलमार्ग का निर्माण 1920 में हुआ था। इस पूरे रेल खण्ड के प्रोजेक्ट हेड अमेरिकी इंजीनियर रिचर्ड फोंटेन मरे थे।

इस पूरी यात्रा के दौरान यह रेल कुछ ऐसी जघों से होकर गुजरती है जहां इसमें सवार लोगों को स्वर्ग कि सैर का एहसास होता है। दरअसल यह इतनी ऊंचाई पर होती है कि यह बादलों के ऊपर दौड़ रही होती है। रेल जिस जगह से पार हो रही होती है उसके ऊपर तो खुला आसमान होता है पर नीचे देखने से घना सफेद बादल दिखाई देता है। ट्रेन पर बैठकर इस अद्भुत नजारा देखना अत्यंत आनंददायी होता है।

बोट के आकार का यह होटल सिंगापूर में है जिसके छत में है एक बड़ा स्विमिंग पूल

सिंगापूर का मरीना बे सैंड होटल जिसके तीन टावर है और इन तीन टावरों को मिला कर एक बोट के आकार का छत बनाया गया है। इसी छत में दुनिया का सबसे ऊंचाई पर सबसे लंबा स्वीनिंग पूल है जिसका नाम है इन्फ़िनिटि पूल। इस पूल की लंबाई ओलंपिक पूल से तिगुना है। यह स्विमिंग पूल जमीन से लगभग 650 फीट ऊपर मरीना बे सैंड होटल के 55वां तल्ले के ऊपर बनाया गया है। इस स्वीनिंग पूल में तैरने में एक अलग आनंद की अनुभूति मिलती है।
इस पूरी बिल्डिंग में नीचे तीन टावर बनाए गए हैं और तीनों टावर के छत को मिला कर एक बोट की आकृति बनाई गई। इस बोट के आकृति वाले छत में एक विशाल लोन है और एक हिस्से में स्विमिंग पूल का निर्माण किया गया है। पूल के विपरीत दिशा के हिस्से में छत को हारा-भरा बनाने के लिए पेड़-पौधे लगाए गए हैं। इतनी ऊंचाई में ये सारी व्यवस्था आपको एक अलग दुनिया का एहसास करती है।

यह दुनिया का सबसे महंगा होटल में से एक है जिसके निर्माण में लगभग 4 बिलियन पाउंड खर्च किया गया। इस होटल में कुल 2560 कमरे हैं। इस होटल में रहने के लिए आपको एक रात का 350 पाउंड राशि चुकानी पड़ेगी। इस होटल में इंडोर नहर, भव्य कलाकृति, कैसीनो, आउटडोर प्लाजा, सम्मेलन केंद्र, थियेटर, क्रिस्टल प्वेलियन और मॉल बनाए गये हैं। होटल के अंदर एक मॉल भी है जिसमें लगभग 300 डिजाइनर स्टोर हैं।

होटल के सामने एक आर्ट-साइंस म्यूजियम का निर्माण किया गया है जो कमल फूल के आकार का है। इस होटल में रोजाना रात में लेजर, लाइट, वॉटर और ग्राफिक्स शो होता है जिसे वंडर फूल कहा जाता है। यह शो रोजाना अप्रहन 8 से 9 बजे के बीच होता है तथा एक स्पेशल शो सप्ताह के आखरी दिन रात के 11 बजे होता है। यह शो सभों के लिए मुफ्त होता है इसका कोई शुल्क नहीं लिया जाता है।

केरल के कोल्लम जिले में बनाया गया जटायु नेचर पार्क

जटायु नेचर पार्क केरल के कोल्लम जिले के चदयामंगलम गाँव में बनाया गया है। इसे मलयालम फ़िल्ममेकर रजीव अंचल के नेतृत्व में तैयार किया गया। एक पहाड़ के ऊपर लगभग 15,000 वर्ग फूट के एक प्लेटफॉर्म पर एक विशाल पक्षीराज जटायु की प्रतिमा बनवाई गई है। यह विशाल प्रतिमा 200 फीट लंबी, 150 फीट चौड़ी और 70 फीट ऊंची है। यह प्रतिमा उस जगह पर बनाई गई है जहां पक्षीराज जटायु रावण से युद्ध करते हुए घायल होकर गिर पड़े थे।
रामायण के अनुसार, जब रावण सीता का हरण कर लंका ले जा रहे थे तो पक्षीराज जटायु की नजर उस पर पड़ी। जटायु ने सीता को बचाने के लिए रावण से युद्ध किया। युद्ध के दौरान रावण ने जटायु के पंख काट दिया जिससे जटायु घायल हो कर जमीन पर गिर पड़े और अपना प्राण त्याग दिये। जिस स्थान पर पक्षीराज जटायु ने प्राण त्यागा था उसी स्थान पर पक्षी का एक विशाल प्रतिमा का निर्माण कराया गया जिसे 'जटायु नेचर पार्क' नाम दिया गया।

इस स्थान में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए विशाल प्रतिमा के साथ-साथ 6डी थियेटर और डिजिटल म्यूजियम भी बनवाए गए हैं। ये म्यूजियम आपको रामायण में वर्णित जटायु के कथाओं का झलक दिखाएगा। इसके अलावा केरल के प्रसिद्ध और प्राचीन आयुर्वेदिक चिकित्सा की भी व्यवस्था होगा।

दुनिया के खूबसूरत अंडर वॉटर होटल एवं रिज़ॉर्ट

समुद्र के अंदर होटल की कल्पना किसी अजूबे से कम नहीं है परंतु दुनिया के कुछ देशों ने पानी के अंदर होटल बना कर इंजीनियरिंग का अद्भुत नमूना पेश किया है।

द शिमाओं वंडरलैंड, चीन

यह होटल चीन के तियान्मेंशन पहाड़ियों के बीच बनाया जा रहा है। यह मानव निर्मित भूमिगत होटल है। 19 मंज़िला इस होटल में 380 कमरों का निर्माण किया जा रहा है। इस होटल के दो मंजिलों का निर्माण पानी के अंदर किया गया है। इसे ब्रिटेन के डिजाइनिंग फार्म एटकिंस ने डिजाइन किया है। इस होटल में एक अंडर वाटर रेस्टुरेंट का भी निर्माण किया जा रहा है। होटल के बाहर मानव निर्मित जलप्रपात एवं एक बड़ी झील का भी निर्माण किया गया है। पहाड़ों के बीच मौजूद होने के कारण इसे गुफा होटल भी कहा जाता है। यह शंघाई शहर से 30 मील की दूरी में स्थित है।
क्रिसेंट हाइड्रोपोलिस, दुबई

दुबई का क्रिसेंट हाइड्रोपोलिस दुनिया के मशहूर अंडर वाटर होटल्स में से एक है। यह पूरा होटल काँच से बनाया गया है। कमरें,मीटिंग हॉल,डाइनिंग टेबल आदि क्षेत्रों का निर्माण पूरी तरह काँच से किया गया है अतः आप इस होटल के कमरों से ही समुन्द्र का नजारा देख सकते हैं। इस होटल में कुल 230 आलीशान कमरें हैं जिनमे ज्यादातर शाही परिवार या फिर बड़े-बड़े शख्शियत ही ठहरते हैं।

हुवाफेन फुशी, मालदीव

इस अंडर वॉटर होटल को जितनी खूबशूरती से पानी के अंदर बनाया गया है, पानी के बाहर का हिस्सा भी उतनी ही खूबशूरती से सजाया गया है। खास बात यह है की इस होटल में पानी के अंदर ही इंडोर स्टेडियम से लेकर स्पा तक सभी तरह के सुविधाएं मौजूद है।

ज्यूल्स अंडर-सी लॉज, फ्लॉरिडा

ज्यूल्स अंडर-सी लॉज समुद्री जीवन के शौकिनों की पसंदीदा जगह है। होटल का नाम मशहूर लेखक ज्यूल्स के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने समुद्री जीवन पर काफी कुछ लिखा है। इस होटल का निर्माण 1970 की शुरुआत में हुआ था। यह पानी में 20 फुट अंदर बना है। यह दुनिया का पहला अंडर वाटर होटल है।

पोजेडोन अंडरवाटर रिजोर्ट, फिजी

वैसे तो फिजी एक छोटा सा आइलैंड है परंतु यहाँ की प्रकृतिक सुंदरता काफी मशहूर है। इसी कारण से काफी संख्या में पर्यटक यहाँ घूमने आते हैं। यहाँ मौजूद पोजेडोन अंडरवाटर रिज़ॉर्ट पर्यटकों का पसंदीदा जगह है। यह होटल पाँच हजार एकड़ के इलाके में पानी से घिरा है। इस होटल में रुकने का खर्च बहुत ज्यादा है। यहाँ भी अपने कमरों से ही समुद्री जीवों को देखा जा सकता है।

क्या है एप्पल के नये मुख्यालय की खूबियाँ

क्यूपार्टिनो, कलिफोर्निया में एप्पल का नया मुख्यालय एप्पल पार्क बन कर लगभग तैयार हो गया है। अरबों डॉलर के खर्च से बन रहा यह मुख्यालय एक स्पेससिप के आकार का है अतः यह बिल्डिंग स्पेससिप कैंपस के नाम से भी जाना जाता है। परंतु इसका नाम कंपनी द्वारा अप्पल पार्क रखा गया है।

लगभग 175 एकड़ क्षेत्र पर यह ऑफिस उस स्थान पर बनाया जा रहा है जहां पहले हेवलेट पैकार्ड का परिसर था। भवन निर्माण का अधिकांश कार्य लगभग पूरा हो चुका है परंतु बाहरी साज-सज्जा का कार्य अभी किया जाना है। वर्ष 2017 के अंत तक इसके पूरी होने की संभावना है।

दुनिया के सबसे बड़े कंपनियों में से एक एप्पल का नया मुख्यालय अपने करचरियों के स्वागत करने को बेताब है। एप्पल डिजाइन के प्रमुख जेनी इवे ने बताया कि इस साल ही सारे कर्मचारी नये मुख्यालय एप्पल पार्क में सिफ्ट हो जायेंगे। लगभग 12,000 करचरियों के पूरी तरह सिफ्ट होने में छह महीने का समय लग सकता है।एप्पल के सीईओ टिम कुक के अनुसार एप्पल पार्क आने वाले पीढ़ी के युवाओं के नए-नए खोज करने का घर होगा।
इस विशाल इमारत का डिजाइन एक ब्रिटिश फार्म फोस्टर पटनर्स ने किया है। इस इमारत के बीच एक बड़ा पार्क होगा। इस इमारत के चारों ओर पर्यावरण को हरा-भरा बनाने के लिए लगभग 7000 पेड़ लगाये जाएंगे। इस ऑफिस में करचरियों के लिए लगभग 1,00,000 वर्ग फीट का फिटनेस सेंटर भी होगा जहां कर्मचारी व्यायाम कर सकते हैं। लगभग 3,00,000 वर्ग फीट के क्षेत्र में शोध एवं सॉफ्टवेर विकसित करने से संबन्धित सुविधाएं होगी।

लगभग दो मील का रास्ता करचरियों के चलने एवं दौड़ने के लिए होगा। इसके अलावा इस इमारत में भूमिगत पार्किंग, बगीचा, घास के मैदान और तालाब भी बनाये जाएंगे। ऑफिस के अंदर कर्मचारियों के एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाने के लिए एलेक्ट्रिक गोल्फ कार्ट और कम्प्युटर शटल कि भी व्यवस्था होगी।

अद्भुत है जापान का अंडर वॉटर रोलर कोस्टर

यह अद्भुत रोलर कोस्टर जापान के योकोहमा शहर में स्थित है। इसे गायब होने वाला रोलर कोस्टर (Roller coaster) भी कहा जाता है। दरअसल यह रोलर कोस्टर तेजी से ऊपर से आते हुए एक बड़ी से पुल (तालाब) में बने टनल में चला जाता है। टनल के पास कुछ फब्बारे ऐसे लगे हुए है जिससे रोलर कोस्टर पर सवार लोगों को ऐसा लगता है मानों वे पानी में डाइव लगा रहे हैं।

पूरे रोलर कोस्टर के ट्रैक की लंबाई लगभग 744 मीटर है। इसका कुछ हिस्सा हवा में है और कुछ हिस्सा एक पुल के अंदर बने टनल में है। यह अधिकतम 35 मीटर की ऊंचाई तक जाती है। योकोहामा में स्थित कोस्मोलैंड में अंडर वाटर रोलर कोस्टर के अलावा फेरिस व्हील, क्लिफ ड्रॉप राइड, हंटेड हाउस, सफाई पेट्स, एलईडी और मेरी गो राउंड प्रमुख है।
पूरा कोस्मोलैंड को तीन भागों में बांटा गया है। बच्चों के लिए किड्स कार्निवल जॉन बनाया गया है। जहां छोटे बच्चों के लिए कई राइड्स हैं। मेरी-गो-राउंड, कार एंड ट्रेन राइड बच्चों का मुख्य आकर्षण हैं।

क्या आप जानते हैं विंडोज XP के वालपेपर का फॉटोग्राफर कौन था

आज हर कोई कंप्यूटर का इस्तेमाल करने लगा है और ऊपर दिए गये तस्वीर से अवश्य परिचित होंगे। यह वह तस्वीर है जिसे दुनिया में सबसे ज्यादा बार देखा गया है। एक हरी-भरी घास की पहाड़ी ऊपर नीला आसमान और कुछ सफेद बादल के टुकड़े। तस्वीर जितना ही शांत दिखने वाला है उतना ही मनमोहक भी है। माइक्रोसॉफ़्ट के अनुसार यह एक अरब से भी ज्यादा लोगों के कंप्यूटर डेस्कटॉप की शोभा बढ़ा चूका है। इस वॉलपेपर की कहानी भी काफी मजेदार है।

1990 के दशक में कैलिफोर्निया स्थित नापा घाटी में भयानक कीट संक्रमण हुआ था। ये कीट वहां के अंगूर के फसल को बुरी तरह बर्बाद कर दिया और नापा घाटी इस संक्रमण से पूरी तरह से तबाह हो गया। इस तबाही के बाद नापा घाटी से अंगूर की फसल को हटा कर वहां हरा-भरा समतल घांस का मैदान तैयार किया गया। यह तस्वीर इसी नापा घाटी में नेशनल जियोग्राफी के एक फोटोग्राफर चार्ल्स ओ रियर ने वर्ष 1996 में खिंचा था। एक बार फोटोग्राफर अपने प्रेमिका जो बाद में उसकी पत्नी बन गई, से मिलने उसके घर जा रहे थे। रास्ते में नापा घाटी में उसने अपनी कार रोकी। उसे वहां का प्राकृतिक दृश्य काफी अच्छा लगा। उन्होने अपना कैमरा निकाला और उस हरी-भरी पहाड़ी का तस्वीर ले लिया।
इस तस्वीर को माइक्रोसॉफ्ट ने अपने ऑपरेटिंग सिस्टम विंडोज XP का वॉलपेपर बनाया। तस्वीर लेते समय चार्ल्स को यह बिल्कुल भी आभास नहीं था कि एक दिन उसके द्वारा खींची गई तस्वीर उसका नाम इतिहास में दर्ज करवा देगा। आज पूरी दुनिया में इस तस्वीर को सबसे ज्यादा लोगों द्वारा पहचाना जाता है।

टोंमटाटो एक विचित्र पौधा जो टमाटर और आलू दोनों पैदा करता है

आज शहरों में जगह कम होती जा रही है। बागवानी के शौकीन अपने बालकनी में ही कुछ पौधे लगा कर अपनी शौक पूरा कर रहे हैं। ऐसे में यदि कोई ऐसा पौधा मिल जाए जो एक ही पौधे में दो-दो सब्जी उत्पन्न कर सकता है तो इससे बड़ी खुशी की बात क्या होगा।
Source: thompson-morgan
यूनाइटेड किंगडम की एक बागवानी कंपनी थोम्पसन और मॉर्गन ने एक ऐसे पौधे को विकसित किया है जो टमाटर और आलू दोनों का पैदावार एक ही पौधा में करता है। इस पौधे को आप अपने बागान या फिर अपने फ्लैट के बालकनी में भी लगा सकते हैं। इस तरह पैदा हुए टमाटर और आलू का स्वाद दूसरे टमाटर और आलू की तरह ही होता है। अर्थात एक ही पौधा से आप टोमॅटो कैचप और चिप्स का मजा ले सकते हैं। यह हाइब्रिड पौधा किसी जेनेटिक इंजीनियरिंग का परिणाम नहीं है बल्कि इसे टमाटर और आलू के पौधे को ग्राफ्ट (कलम) कर विकसित किया गया है। थोम्पसन और मॉर्गन कंपनी ने इस पौधे का व्यावसायिक उत्पादन शुरू किया है ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों तक यह पौधा पहुँच सके।

भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग जहां सावन में लगता है शिव भक्तों का मेला

यह माना जाता है कि जो व्यक्ति 12 ज्योतिर्लिंग का दर्शन करता है वह सबसे भाग्यशाली होता है। ये 12 स्थान वे हैं जहां भगवान शिव स्वयं ज्योति रूप में विद्यमान हैं। या हमारे देश के विभिन्न भागों में स्थित है। इन्हें द्वादश ज्योतिर्लिंग के नाम से भी जाना जाता है। देव के देव महादेव कि आराधना श्रवण मास में करने से भक्तों के कष्ट शीघ्र ही दूर होते हैं।

1. श्री सोमनाथ

सभी 12 ज्योतिर्लिंग में प्रथम स्थान पर श्री सोमनाथ ज्योतिर्लिंग आता है। यह गुजरात के वेरावल में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण चंद्रदेव ने किया था। इस मंदिर का उल्लेख हम ऋग्वेद में भी पाते हैं। अब तक इस मंदिर को 17 बार नष्ट किया गया परंतु हर बार इसका पुनर्निर्माण किया गया। यहाँ रेल और बस से पहुंचा जा सकता है। इस मंदिर के दर्शन के लिए आप वेरावल तक रेल से यात्रा कर सकते हैं। वर्तमान श्री सोमनाथ मंदिर का उदघाटन देश के प्रथम राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद द्वारा किया गया था।
2. श्री मल्लिकार्जुन

यह ज्योतिर्लिंग आंध्रप्रदेश के कृष्ण जिले में श्रीशैल पर्वत पर स्थित है। इस पर्वत को दक्षिण भारत का कैलास भी कहा जाता है। यहाँ आकर शिवलिंग का दर्शन एवं पुजा-अर्चना करने वाले भक्तों कि सभी सात्विक मनोकामनाएँ पूर्ण हो जाती है। दैहिक, दैविक, भौतिक सभी प्रकार कि बाधाओं से मुक्ति मिलता है। यहाँ जाने के लिए आप बिनूगोडा - मकरपुर रोड तक रेल से जा सकते हैं।

3. श्री महकलेश्वर

यह ज्योतिर्लिंग मध्यप्रदेश के उज्जैन में स्थित है। स्वयंभू, भव्य और दक्षिणमुखी होने के कारण श्री महाकालेश्वर महादेव कि अत्यंत पुण्यदायी है। इस ज्योतिर्लिंग का अपना एक अलग महत्व है। कहा जाता है कि जो महाकाल का भक्त है उसका काल भी कुछ नहीं बिगड़ सकता है। शिप्रा नदी के तट पर स्थित इस मंदिर के दर्शन के लिए आप रेल मार्ग द्वारा पहुँच सकते हैं।

4. श्री ओंकारेश्वर

यह ज्योतिर्लिंग मध्यप्रदेश में नर्मदा नदी के तट पर स्थित है। इस जगह भगवान शिव ओमकार स्वरूप में प्रकट हुए थे तथा यह भी माना जाता है कि भोलेनाथ प्रतिदिन तीनों लोकों के भ्रमण के उपरांत यहाँ आकर विश्राम करते हैं। यहाँ प्रतिदिन भगवान शिव कि शयन आरती कि जाती है। इंदौर-खंडवा रेलमार्ग पर ओंकारेश्वर रोड स्टेशन है। जहां से यह मंदिर 12 किमी कि दूरी पर स्थित है।

5. श्री केदारनाथ

भगवान शिव का यह अवतार उत्तराखंड के हिमालय में लगभग 12 हजार फुट कि ऊंचाई पर स्थित है। पुराणों और शास्त्रों में केदारेश्वर ज्योतिर्लिंग कि महिमा का वर्णन कई बार आता है। यह मंदिर वास्तुकला का अद्भुत व आकर्षक नमूना प्रस्तुत करता है। यहाँ पहुँचने के लिए ऋषिकेश तक रेल मार्ग द्वारा तथा इसके बाद गौरीकुंड तक बस के द्वारा पहुंचा जा सकता है। इसके आगे कि यात्रा पैदल अथवा टट्टू के द्वारा तय किया जा सकता है।

6. श्री भीमाशंकर

महाराष्ट्र के सह्याद्रि पर्वतमाला में भीमा नदी के तट पर यह ज्योतिर्लिंग स्थित है। 3250 फीट कि ऊंचाई पर स्थित इस मंदिर का शिवलिंग काफी मोटा है। अतः इसे मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है। पुराणों में यह मान्यता है कि जो भक्त श्रद्धापूर्वक इस मंदिर का प्रतिदिन सुबह सूर्य निकलने के बाद 12 ज्योतिर्लिंगों का नाम जपते हुए दर्शन करता है, उनके सात जन्मों के पाप दूर हो जाते हैं तथा उनके लिए स्वर्ग का मार्ग खुल जाता है। नासिक से यह मंदिर 180 किमी कि दूरी पर स्थित है।

7. श्री विश्वनाथ

यह ज्योतिर्लिंग उत्तरप्रदेश के काशी में गंगा तट पर स्थित है। अगस्त्य मुनि ने इसी स्थान पर अपनी तपस्या द्वारा भगवान शिव को संतुष्ट किया था। यह मान्यता है कि यहाँ जो भी प्राणी अपना प्राण त्यागता है उसे मोक्ष कि प्राप्ति होती है, क्योंकि भगवान विश्वनाथ स्वयं उसे मरते वक्त तारक मंत्र सुनाते हैं। इस ज्योर्तिलिंग के दर्शन एवं पूजन करने से भगवान शिव कि कृपा भक्त जनों पर सदेव बनी रहती है।

8. श्री त्रयम्बकेश्वर

यह ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के नासिक से 25 किमी दूर गोदावरी नदी के तट पर है। इस मंदिर का संबंध गौतम ऋषि और उनके द्वारा लाई गयी गोदावरी से है। त्रयम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग एकमात्र ऐसा ज्योतिर्लिंग है जिसमें ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों विराजमान है। इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन से तीनों देवताओं के दर्शन का सुख प्राप्त होता है।

9. श्री वैद्यनाथ

यह ज्योर्तिलिंग झारखंड के देवघर में स्थित है। कहा जाता है कि रावण ने घोर तपस्या कर शिव से एक शिवलिंग प्राप्त किया जिसे वह लंका में स्थापित करना चाहता था। हिमालय से लंका जाने के क्रम में उन्हें लघुशंका कि आवश्यकता महसूस हुई। रावण ने शिवलिंग एक अहीर के हाथ देकर लघुशंका के लिए चले गए। वह अहीर शिवलिंग का भर उठा नहीं पाया और शिवलिंग भूमि पर रख दिया। भूमि में रखते ही शिवलिंग वहाँ स्थापित हो गया। इस तरह यह ज्योतिर्लिंग "श्री वैद्यनाथ" के नाम से जाना जाने लगा। रोग मुक्ति के लिए इस ज्योतिर्लिंग कि महिमा प्रसिद्ध है।

10. श्री नागेश्वर

गुजरात के दारुकावन क्षेत्र में हिंगोली नामक स्थान से 27 किमी कि दूरी पर यह ज्योतिर्लिंग स्थित है। इस ज्योतिर्लिंग कि स्थापना उस जगह हुई थी जहां सुप्रिय नामक वैश्य ने भगवान शिव से प्राप्त पाशुपतास्त्र से दारुक राक्षस का नाश किया था। रुद्र संहिता में इन्हें 'दारुकावने नागेशम' कहा जाता है। नागेश्वर ज्योतिर्लिंग परिसर में भगवान शिव की पद्मासन मुद्रा में 125 फीट ऊंची तथा 25 फीट चौड़ी एक विशालकाय मूर्ति स्थापित है।

11. श्री रामेश्वर

इस ज्योतिर्लिंग का संबंध भगवान राम से है। राम वानर सेना सहित लंका आक्रमण हेतु देश के दक्षिण छोर आ पहुंचे। यहाँ पर श्रीराम ने बालू का शिवलिंग बनाकर शिव कि आराधना किया और रावण पर विजय हेतु शिव से वरदान मांगा। यह ज्योतिर्लिंग तमिलनाडू में स्थित है। यहाँ सड़क मार्ग एवं रेल मार्ग दोनों से पहुंचा जा सकता है।

12. श्री घृष्णेश्वर

रुद्रकोटीसंहिता, शिव महापुराण स्थित द्वादश ज्योतिर्लिंगस्तोत्रां के अनुसार यह ज्योतिर्लिंग बारहवें तथा अंतिम क्रम में आता है। यह मंदिर महाराष्ट्र राज्य के औरंगाबाद शहर के नजदीक दौलतबाद से 11 किमी कि दूरी पर वेलूर नामक गाँव में स्थित है। संतान प्राप्ति के इस ज्योतिर्लिंग कि महिमा प्रसिद्ध है। इस मंदिर के दर्शन के लिए आप औरंगाबाद तक रेल मार्ग द्वारा जा सकते हैं। इसके बाद सड़क मार्ग द्वारा इस मंदिर तक पहुंचा जा सकता है।

स्वदेशी तकनीक से विकसित किया गया है क्रायोजेनिक इंजन - क्रायो सीई 20

वैसे तो क्रायोजेनिक इंजन की तकनीक का विकास द्वितया विश्वयुद्ध के दौरान हुआ था। तब सबसे ज्यादा ऊर्जा उत्पन्न करनेवाला और आसानी से मुहैया ऑक्सीज़न और हाइड्रोजन को ईंधन के तौर पर सबसे बेहतर पाया गया। तब मुश्किल यह थी की इंजन में यह गैस के तौर पर इस्तेमाल नहीं हो सकता था, क्योंकि उन्हें रखने के लिए इंजन बड़ा बनाना पड़ता, जबकि रॉकेट के लिए इसका छोटा होना जरूरी शर्त है।

भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने 19 फरवरी, 2016 को उच्च क्षमता वाले क्रायोजेनिक इंजन क्रायो सीइ-20 का सफल परीक्षण किया। इसरो के अनुसार यह परीक्षण 640 सेकेंड की उड़ान अवधि के लिए किया गया। उच्च क्षमता क्रायोजेनिक इंजन क्रायो सीइ-20 स्वदेशी तकनीक से विकसित किया गया क्रायोजेनिक इंजन है। यह पूरी तरह स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन का विकास जीएसएलवी एमके3 के प्रक्षेपण के लिए विकसित किया गया था।
क्रायोजेनिक तकनीक को निम्नतापकी कहा जाता है, जिसका ताप 0 डिग्री से -150 डिग्री सेल्सियस होता है। क्रायो एक यूनानी शब्द क्रायोस से बना है, जिसका अर्थ होता है बर्फ जैसा ठंडा। इस तकनीक में ईंधन को तरल अवस्था में प्राप्त कर लिया जाता है जिसमें ईंधन के रूप में द्रव हाइड्रोजन एवं द्रव ऑक्सीज़न के रूप में प्रयोग किया जाता है। कोई भी रॉकेट का वजन जितना कम होगा वह उतना ही अधिक ऊंचाई तक जा सकेगा। अतः रॉकेट में प्रयोग होने वाला ईंधन भी हल्का होना चाहिए। ऐसे में तरल हाइड्रोजन और तरल ऑक्सीज़न ही अब तक के सबसे हल्के ईंधन है। इस ईंधन के जलने पर सबसे अधिक ऊर्जा भी प्राप्त होती है। क्रायोजेनिक इंजन शून्य से बहुत नीचे यानी क्रायोजेनिक तापमान पर काम करते हैं। माइनस 238 डिग्री फारेनहाइट को क्रायोजेनिक तापमान कहा जाता है। इस तापमान पर ईंधन के रूप में इस्तेमाल होनेवाले ऑक्सीजन और हाइड्रोजन गैस द्रव बन जाता हैं। द्रव ऑक्सीजन और द्रव हाइड्रोजन को क्रायोजेनिक इंजन में जलाया जाता है। द्रव ईंधन जलाने से इनती ऊर्जा पैदा होती है, जिससे क्रायोजेनिक इंजन को 414 किलोमीटर प्रति सेकेंड रफ्तार मिल जाता है।

प्रकाश के लिए एलईडी तकनीक (LED Technology) क्या है? कैसे यह अन्य स्रोतों की अपेक्षा ज्यादा प्रकाश देती है

एलईडी (LED) - लाइट इमीटिंग डायोड (Light Emitting Diode)
LED light bulb
एलईडी (LED) एक अर्ध चालक डायोड होता है। इसमें एक छोटा सा इलेक्ट्रोनिक चिप होती है जिसमें विद्युत प्रवाह करने पर आवेश उत्पन्न होता है, जिससे विद्युत ऊर्जा प्रकाश के रूप में उत्सर्जित होती है। इस तरह एलईडी विद्युत ऊर्जा को प्रकाश ऊर्जा में परिवर्तित कर देती है। एलईडी लाइट (LED Light) में सामान्य बल्ब की तरह फिलमेंट नहीं होता। इसमें सेमीकंडक्टर मेटीरियल होता है, जिसमें इलेक्ट्रॉन के प्रवाह से प्रकाश पैदा होती है। एलईडी के प्रकाशोत्पादन में इसका मुख्य घटक गैलियम आर्सेनाइड होता है। यह पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों की तुलना में बहुत उन्नत है जिसमें ऊर्जा की खपत बहुत कम मात्रा में होती है। इसके द्वारा उत्पन्न प्रकाश का रंग लाल, हरा, नीला, पीला, दूधिया कुछ भी हो सकता है। एलईडी कई प्रकार (Types of LED) की होती है जिनमें फ्लैशिंग, मिनीचर, हाइ पावर, अल्फा-न्यूमेरिक, बहुवर्णी और ओएलडी (ओर्गेनिक एलईडी) प्रमुख है। इन एलईडी का प्रयोग (Use of LED) इलेक्ट्रोनिक सामानों जैसे लैपटॉप, विडियों गेम, पीडीपी, टैबलेट, स्मार्टफोन आदि में होता है। वर्तमान में इसका प्रयोग घरों और स्ट्रीट लाइट में भी बहुतायत में हो रहा है। 
एलईडी की खोज (Innovation of LED)

वैसे तो एलईडी की खोज बहुत पुरानी है। इस तकनीक (Technology) का आविष्कार सन 1927 ई० में ओलेग लोसेव द्वारा किया गया था। परंतु उस समय इसका विकास नहीं हो पाया था। इसके बाद सन 1962 में न्यूयार्क के निक होलोयक ने एलईडी का इन्वेन्शन किया। सन 1968 में एलईडी का निर्माण सर्वप्रथम शुरू हुआ। इस एलईडी का रंग लाल (Red LED)  था और यह लो ईंटेंसिटी का था। यह कम विजिबल और कम ब्राइटनेस वाला एलईडी था। इसके पश्चात सन 1972 ई० अमेरिका का एम जॉर्ज क्रेफोर्ड ने पीली एलईडी (Yellow LED) की खोज की। वैसे तो पाँच दशक पहले ही लाल एवं हरा एलईडी की खोज की जा चुकी थी परंतु नीला एलईडी की खोज नहीं हो पाने के कारण सफ़ेद या दूधिया (White) प्रकाश का उत्सर्जन मुमकिन नहीं हो पाया था। आखिरकर, सन 2014 ई० में जापानी मूल के अमेरिकी वैज्ञानिक शुजी नकमोरा को नीला एलईडी की खोज (Innovation of Blue LED)  में सफलता मिली जिसके लिए उन्हें फिजिक्स का नोबल पुरस्कार दिया गया। 

विद्युत ऊर्जा की कम खपत

विशेषज्ञों के अनुसार पूरे विश्व में विद्युत का 20 से 25 प्रतिशत प्रयोग केवल रोशनी पाने के लिए किया जाता है। एक अनुमान के अनुसार विश्व के सभी पुराने बल्बों को हटा कर एलईडी बल्व (LED Bulb) लगा दिया जाए तो विद्युत की खपत काफी कम हो जाएगी तथा 2030 तक कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन में लगभग 16 अरब तन की कमी आ सकती है। 

एलईडी लाइट (LED Light) लगभग 83 ल्यूमेन्स प्रति वॉट ब्राइटनेस देता है जबकि इसके मुक़ाबले सीएफ़एल 67 ल्यूमेन्स प्रति वॉट और फिलमेंट वाले बल्ब मात्र 16 ल्यूमेन्स प्रति वॉट ही ब्राइटनेस देती है। ऐसा इस लिए होता है क्योंकि जब एलईडी बल्ब में बिद्युत प्रवाह किया जाता है तो विद्युत ऊर्जा का कुछ ही हिस्सा ताप ऊर्जा में परिवर्तित होता और ज़्यादातर बिद्युत ऊर्जा प्रकाश ऊर्जा में परिवर्तित हो जाती है जबकि सामान्य बल्व में केवल 10 प्रतिशत विद्युत ऊर्जा ही प्रकाश ऊर्जा में परिवर्तित हो पाती है। 

एलईडी से संबन्धित कुछ रोचक तथ्य


  • सामान्य बल्व से बिजली के झटके लग सकते है लेकिन एलईडी बल्व से झटका नहीं लगता है। यह शॉक रेसिस्टेंट होता है। 
  • सीएफ़एल में मरकरी का प्रयोग होता है जो प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है। इसके टूटने से इसमें स्थित मरकरी वातावरण में फैल जाता है जो वातावरण को प्रदूषित करता है। परंतु एलईडी में मरकरी का प्रयोग नहीं होता है इसलिए यह प्रदूषण रहित है। 
  • एलईडी साधारण बल्व एवं सीएफ़एल की अपेक्षा काफी तेज रोशनी होता है। 
  • एलईडी बल्व को कुल लाइट भी कहा जाता है क्योंकि एलईडी बल्व गरम नहीं होता है। 
  • पूरे विश्व में लगभग 30 करोड़ स्ट्रीट लाइट में एलईडी का प्रयोग हो रहा है। 


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विश्व व्यापार संगठन - World Trade Organization (WTO)

विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यू टी ओ) - World Trade Organization (WTO)

व्यापार के वैश्वीकरण के कारण जब एक देश से कई अनेक दूसरे देशों का व्यापार शुरू हुआ तो एक ऐसी संस्था की आवश्यकता महसूस हुई जो अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को नियंत्रित कर सके। जो एक नियम के तहत विश्व के विभिन्न देशों के बीच हो रहे व्यापार के लिए कार्य करे। इसी संदर्भ में 1 जनवरी, 1995 को मर्राकेश एग्रीमेंट के तहत उस समय मौजूद गैट (General Agreement on Tariffs and Trade - GATT) की जगह विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organization - WTO) की स्थापना की गई थी। यह इसके सदस्य देशों के द्वारा अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए बनाए गए नियमों का क्रियान्वयन करता है और इनके सदस्य देशों के बीच होने वाले विवादों के निपटान हेतु मध्यसता प्रदान करता है। यह सदस्य देशों के व्यापार के विस्तार हेतु ऋण भी मुहैया कराता है।
विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यू टी ओ) का मुख्यालय जेनेवा, स्विट्जरलैंड में है। वर्तमान में विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यू टी ओ) में कुल 164 सदस्य देश है। ब्राज़ील के रोबर्टों अजेवेडो दिनांक 1 सितंबर, 2013 से  डबल्यू टी ओ के Director-General पद का कार्यभार देख रहे हैं। 

विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यू टी ओ) के उद्देश्य

1. अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के नियमों को निर्धारित करना और उन्हें लागू करना ।
2. व्यापार संबंधी विवादों को हल करना ।
3. व्यापार संबंधी निर्णय लेने की प्रक्रियाओं की पारदर्शिता बढ़ाना ।
4. वैश्विक आर्थिक प्रबंधन में शामिल अन्य प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक संस्थानों के साथ सहयोग करना ।
5. वैश्विक व्यापार प्रणाली से पूरा लाभ उठाने के लिए विकासशील देशों की मदद करना ।
6. व्यापार उदारीकरण को और बढ़ाने के लिए और इसके निगरानी के लिए मंच प्रदान करना।

कहीं आप बैक्टीरिया और पेस्टिसइड्स युक्त फलों और सब्जियों का सेवन तो नहीं कर रहे है, जानें इन्हें कैसे साफ करें

आज बाज़ारों में जो सब्जियाँ या फल हम देखते हैं वे बहुत ही सुंदर, साफ और चमकीले दिखते हैं। क्या आपने कभी सोचा है की ये ऐसे क्यो हैं। जब सब्जियों की खेती की जाती है तो इसकी खेती में कीटनाशक दवाइयों का प्रयोग होता है। फलों तथा सब्जियों में किसी तरह का कीड़े ना लगे इसके लिए अधिक मात्रा में कीटनाशकों का प्रयोग किया जाता है। ऐसा करने पर फलों और सब्जियों में कीड़े नहीं लगते हैं और वे सुंदर और चमकीले दिखाई देते हैं। पर अधिक मात्रा में इसके प्रयोग से कीटनाशक दवाइयाँ फलों और सब्जियों में रह जाते है। इसके अलावा फलों और सब्जियों को सुंदर दिखने और चमकने के लिए कई तरह के रसायनिक पोलिस भी की जाती है। अतः इन्हें अच्छी तरह साफ कर प्रयोग ना किया जाये तो यह हमारे शरीर के लिए हानिकारक सिद्ध हो सकता है। इसके अलावा तैयार सब्जी जब बाजार में आता है तो अच्छी साफ-सफाई की व्यवस्था नहीं होने के कारण फलों और सब्जियों में कई तरह के बैक्टीरिया आ जाते हैं जो हमारे शरीर के लिए हानिकारक हो सकते हैं। अतः बाजार से लाई गई फल एवं सब्जियों को प्रयोग करने से पहले इनकी अच्छी तरह सफाई करना आवश्यक ही नहीं अनिवार्य हो जाता है। हम यहाँ जानेंगे की फल एवं सब्जियों को अपने किचन में मौजूद सामानों से किस तरह बैक्टीरिया और पेस्टिसइड्स फ्री करें (Kitchen Tips in hindi)। 
Source: homeanddecor

  • एक बर्तन में सब्जियों के डूबने जितना पानी भर कर गरम कर लें। जब पानी गरम हो जाये तो चार-पाँच छोटे चम्मच हल्दी पाउडर मिला कर घोल दें। अब इस गरम पानी में फल और सब्जियों को जिसका प्रयोग करना है, डाल कर थोड़ी देर छोड़ दें। अब इसे निकाल कर साफ पानी से धो लें। 
  • एक बर्तन में जिसमें फल अथवा सब्जी को धोना है उसमें पानी भर लें। अब इसमें चार चम्मच बेकिंग सोडा मिला कर घोल बना लें। अब इस घोल में सब्जियाँ या फलों को डुबो कर थोड़ी देर छोड़ दें। कुछ देर बाद सब्जियाँ निकाल कर प्रयोग करें। 
  • एक बर्तन में पानी भर लें। इसमें एक कप सफ़ेद सिरके डाल कर घोल बना लें। अब इस तरह बने घोल से फल एवं सब्जियों को धो लें। इस तरह आप फल एवं सब्जियों से  बैक्टीरिया एवं कीटनाशक साफ कर सकते हैं। 
  •  सेंधा नमक को पानी में मिलाकर प्रयोग करने से भी पेस्टीसाइड्स दूर होते हैं। साफ पानी के बाउल में एक कप नमक मिला लें। फिर इसमें फल व सब्जियों को डालकर दस मिनट के लिए भिगो दें। कुछ देर बाद इन्हें निकालकर साफ पानी से धोएं और यूज करें।

अपने किचन में अंडों की ताजगी की जांच कैसे करें - Egg Freshness Test in hindi

लगभग हर घर में अंडों का प्रयोग होता ही है। अंडों का प्रयोग हम अपने भोजन में कई तरह से करते हैं। स्वस्थ रहने के लिए अंडा खाना लाभदायक है। इसमें कई तरह के पोषक तत्व मौजूद होती है जो हमें शारीरिक मजबूती प्रदान करते है। अक्सर हम अपने बच्चों को अंडा सुबह नाश्ते के रूप में देते हैं और यह अच्छी बात भी है। हर कोई चाहता है की उसके बच्चे स्वस्थ रहे और बलवान बने। 
अंडा

पर क्या हमने कभी यह जानने की कोशिश किया है की जो अंडा हम बाजार से खरीद कर लाते हैं वह कितना ताजा (fresh) है या फिर कितने दिन पुरानी है। हर कोई को यह जानना आवश्यक है की जिस अंडे का प्रयोग हम अपने और अपने बच्चों के भोजन में कर रहे हैं वह कितना ताजा है। 
Source: One Jive

अंडे की ताजगी जाँचने (Freshness test for eggs) के लिए हम एक छोटा सा प्रयोग करेंगे। एक काँच की ग्लास में एक अंडा डालें। अब ग्लास को पानी से भर दें। पानी डालने पर यदि अंडा ग्लास के तल पर ही रहता है अर्थात यदि अंडा पानी के अंदर ही डूबा रहता है तो अंडा ताजा (fresh egg) है। परंतु यदि अंडा पानी में तैरने लगता है या पानी में ऊपर की ओर आने की तरह दिखता है तो समझना चाहिए की अंडा पुराना है। दिये गए चित्र देख कर आप जान सकते हैं की आपके घर में जो अंडा है वह कितना पुराना है। 

इस्कॉन मंदिर वृन्दावन - Iskon Temple Vrindavan (श्रीक़ृष्ण बलराम मंदिर)

इस्कॉन मंदिर (Iskon Mandir) को श्रीक़ृष्ण बलराम मंदिर (Shri Krishna Balram Mandir) भी कहा जाता है। यह वृंदावन, उत्तरप्रदेश में स्थित है। इसका निर्माण सन 1975 ई० को इस्कॉन (International Society for Krishna Consciousness - ISKCON) समूह द्वारा करवाया गया है। यह अपनी सफाई और पवित्रता के लिए विश्व प्रसिद्ध मंदिर है। 

इस्कॉन के संस्थापक श्रीला प्रभूपाद ने उस स्थान पर एक अद्वितीय सौंदर्यपूर्ण मंदिर बनाने की कामना की थी जहां श्रीक़ृष्ण और उनके बड़े भाई बलराम लगभग 5000 साल पहले एक साथ खेला करते थे। जहां दोनों की पुजा-अर्चना एक साथ हो सके। इस मंदिर की डिजाइन और निर्माण के सभी पहलुओं का निरक्षण श्रीला प्रभूपाद ने खुद ही किया था तथा व्यक्तिगत तौर पर भगवान से निवेदन किया था की वे यहाँ विराजमान होकर पूरे विश्व के उनके भक्तों का पुजा स्वीकार करें। 
आज श्री श्री कृष्ण बलराम मंदिर विश्वभर के भक्तों के लिए एक प्रसिद्ध आध्यात्मिक केंद्र बन गया है। देश-विदेश से भक्त प्रतिदिन यहाँ पुजा-अर्चना के लिए आते हैं। इस मंदिर में भक्त गण सबसे पहले श्रीला प्रभूपाद के शानदार सफेद संगमरमर की समाधि को पार करते हैं। यह वास्तुशिल्प का एक अदभूत नमूना है निसमें घुमावदार मोर सीढ़ियाँ एवं अदभूत नक्काशीदार दीवारों एवं गुंबद है। इसके बाद भक्तगन विशाल लड़की के द्वारों से होते हुए मंदिर में प्रवेश करते हैं।   

इस्कॉन मंदिर कैसे पहुंचे (How to reach Iskcon Temple, Vrindavan?)

देश की राजधानी दिल्ली से आप रेल अथवा सड़क मार्ग से मथुरा जा सकते हैं। मथुरा से वृंदावन की दूरी मात्र 12 कि०मी० है। यहाँ आपको ऑटोरिक्सा, टैक्सी, बस आदि यातायात के साधन आसानी से मिल जाएगा। देश अथवा विदेश से यदि आप वायु मार्ग से आते हैं तो आप दिल्ली तक वायुमार्ग (By air) आ सकते हैं।  

मानव शरीर से संबन्धित आश्चर्यजनक तथ्य जिसे आपको अवश्य जानना चाहिए

वैसे तो हम अपने शरीर के बारे में बहुत कुछ जानते हैं। हम जानते हैं की कौन सा शारीरक अंग क्या काम करता है। परंतु यह भी सच है है आज भी हम अपने शरीर के कुछ आश्चर्यजनक तथ्यों से अनजन हैं। प्रस्तुत है मानव शरीर के कुछ आचार्यजनक तथ्य जिसे आपको अवश्य जानना चाहिए। 
manav sharir ke ascharyajanak tathya


  •  मानव आँख लगभग 10 लाख अलग-अलग रंगों में अंतर कर सकता है परंतु मानव मस्तिष्क उन सभी रंगों को याद नहीं रख सकता है। 
  • एक व्यक्ति प्रतिदिन लगभग 20,000/- सांस लेता है। 
  • मानव शरीर के सभी तंत्रिकाओं को एक साथ जोड़ा जाए तो इसकी लंबाई लगभग 75 किलोमीटर होगी। 
  • सिर्फ एक दिन के दौरान हमारे शरीर में बहने वाला रक्त लगभग 19,312 किलोमीटर की दूरी तक चलता है। 
  • मस्तिष्क में आने वाले आवेग की गति लगभग 400 कि० मी० प्रति घंटा होती है। 
  • किसी भी व्यक्ति के मुंह में बैक्टीरिया की संख्या पृथ्वी में रहने वाले लोगों की संख्या के बराबर या फिर उससे भी ज्यादा होती है। 
  • मानव शरीर के एक बाल में इतनी ताकत होती है की वह एक सेब को उठा सकता है। 
  • फिंगर प्रिंट की तरह ही मानव के जीभ का प्रिंट भी विशिष्ट होता है। 
  • हम केवल चार प्रकार के रक्त के बारे में जानते हैं पर ऐसा नहीं है मानव रक्त 29 प्रकार के होते हैं। इनमें बॉम्बे उपप्रकार सबसे विरल है जो जापान के एक छोटे से समूह में पाया जाता है। 
  • मानव के कान पूरे जीवन तक बढ़ते है परंतु इसकी बढ़ोतरी बहुत ही धीमी होती है जो एक मिलीमीटर के चौथाई प्रति साल के बराबर होती है। 
  • मानव हृदय एक साल में लगभग 35 लाख बार धड़कता है। 
  • मानव शरीर हर दिन लगभग 10 लाख त्वचा कोशिकाओं को खो देता है। इस तरह नष्ट हुए त्वचा कोशिकाओं का वजन प्रति वर्ष 2 किलो तक हो सकता है। 
  • प्रति वर्ग मानव शरीर की त्वचा में लगभग एक सौ दर्द संबन्धित सेंसर होते हैं। 
  • लड़कों के मुक़ाबले लड़कियों के जीभ के सतह में स्वाद संबंधी कलिकाएँ अधिक होती है। 
  • औसतन एक मानव अपने जीवन में लगभग 35 टन भोजन का उपभोग करता है। 
  • एक इंसान औसतन पाँच साल के अवधि के लगभग अपने पालक झपकने में लगता है। यह अच्छी बात है की इसके साथ हम अन्य कार्य भी कर सकते हैं। 
  • मानव मस्तिष्क में प्रति सेकेंड लगभग एक लाख रसायनिक प्रतिक्रियाएँ होती है। 
  • जब आप छींकते है तो इसकी गति लगभग 160 किमी प्रति घंटा होती है। 
  • जब हम मुस्कुराते हैं तो चेहरे के लगभग 17 मांसपेशियाँ क्रियाशील होती है जबकि रोने से चेहरे की लगभग 43 मांसपेशियाँ क्रियाशील होती है। 

दुनिया के प्रसिद्ध वैज्ञानिकों के चित्र वाले विभिन्न देशों के करेंसी नोट

बहुत सारे महापुरुषों एवं राजनायकों के चित्र वाले करेंसी नोट तो आपने बहुत देखे होंगे परंतु हम यहाँ कुछ ऐसे करेंसी नोटों का संग्रह प्रस्तुत कर रहें हैं जिनपर दुनिया के प्रसिद्ध वैज्ञानिकों के चित्र छापे हैं। 

iraki dinaar
अबु अली अल हसन इब्न अल हातिम (Abu Ali al-Hasan Ibn al-Haitham) इराकी दिनार

अबु नसर अल फ़राबी( Abu Nasr al-Farabi) कजाकीस्तान टेंगे

 अमरीकी अंतरिक्ष शटल , ब्रिटिश पौंड

अर्बेन जीन जोसेफ़ ली वेरियर(Urbain Jean Joseph Le Verrier) फ़्रेच फ़्रैंक्स

Israeli Lirot
अलबर्ट आइंस्टाइन (Albert Einstein) इजराइली लीरा(Israeli Lirot)

अलेक्जेंडर वान हम्बोल्ड्त (Alexander von Humboldt) पुर्वी जर्मनी मार्क्स

इटालीयन लीरा
अलेसान्द्रो वोल्टा(Alessandro Volta) इटालीयन लीरा

बेल्जियन फ़्रेंक्स
आटोमियम(लोहे का क्रिस्टल)(Atomium) बेल्जियन फ़्रेंक्स

आर्यभट भारतीय उपग्रह रूपये

Adam Smith
एडम स्मिथ(Adam Smith) ब्रिटिश पौंड

आस्ट्रीयन शिलिंग
 एरवीन श्रोडींगर( Erwin Schrödinger), आस्ट्रीयन शिलिंग

ओजोन छिद्र

डेनीश क्रोनर
ओले रोमर (Ole Rømer) डेनीश क्रोनर

ब्राजीलियन क्रुजडोस
ओसवाल्डो क्रुज(Oswaldo Cruz), ब्राजीलियन क्रुजडोस

स्विडिस क्रोनर
कार्ल लिन्ने(Carl Linne (Linnaeus)) स्विडिस क्रोनर

 ड्युस मार्क
कार्ल फ़्रेडरिक गास(Carl Friedrich Gauss) ड्युस मार्क

डच गिल्डर
क्रिश्चीयन हायजेंस(Christian Huygens) डच गिल्डर

नार्वे क्रोनर
क्रिस्टीअन बिर्केलैंड( Kristian Birkeland) नार्वे क्रोनर

स्विडीश क्रोनर
क्रिस्टोफ़र पोल्हेम( Christopher Polhem) स्विडीश क्रोनर

इटालीयन लीरा
गुग्लीएल्मो मार्कोनी(Guglielmo Marconi) इटालीयन लीरा

इटालीयन लीरा
गैलेलीओ गैलीली(Galileo Galilei) इटालीयन लीरा

 ड्युश मार्क
जान बाल्थासार न्युमन(Johann Balthasar Neumann) ड्युश मार्क

स्लोवेनियन टोलाराजेव
जाने वज्कार्द वल्वासोर(Janez Vajkard Valvasor) स्लोवेनियन टोलाराजेव

स्लोवेनिअयन टालेर
जुरिज वेगा(Jurij Vega) स्लोवेनिअयन टालेर

ग्रीक ड्रेच्मा
 डेमोक्रिटस (Democritus of Abdera) ग्रीक ड्रेच्मा

अमरीकी डालर
थामस जेफ़रसन(Thomas Jefferson) अमरीकी डालर

पोलीस ज़्लाटी
निकोलस कोपरनिकस(Nicolaus Copernicus)पोलीस ज़्लाटी

पोलीस ज़्लाटी
निकोलस कोपरनिकस(Nicolaus Copernicus)पोलीस ज़्लाटी

युगोल्स्लावियन दीनार
निकोला टेस्ला(Nikola Tesla) युगोल्स्लावियन दीनार

निकोला टेस्ला(Nikola Tesla) युगोल्स्लावियन दीनार

युगोल्स्लावियन दीनार
निकोला टेस्ला(Nikola Tesla) युगोल्स्लावियन दीनार

युगोल्स्लावियन दीनार
निकोला टेस्ला(Nikola Tesla) युगोल्स्लावियन दीनार

सर्बीयन दीनार
 निकोला टेस्ला(Nikola Tesla) सर्बीयन दीनार

डेनिश क्रोनर
निल्स बोर(Niels Bohr) डेनिश क्रोनर

पुर्तगाली एस्कुडो
पेड्रो नुन्स( Pedro Nunes)पुर्तगाली एस्कुडो

अमरीकी डालर
बेंजामीन फ़्रैंकलीन (Benjamin Franklin) अमरीकी डालर

फ़्रेंच फ़्रेंक्स
ब्लेज पास्कल( Blaise Pascal) फ़्रेंच फ़्रेंक्स

मंगलयान -भारत रूपये

बेल्जीयन फ़्रेंक्स
 मारीस मर्केटर( Marius Mercator) बेल्जीयन फ़्रेंक्स

पोलीस लाटी
 मेरी क्युरी(Marie Curie) पोलीस लाटी

फ़्रेंच फ़्रेंक्स
मेरी तथा पियरे क्युरी(Marie and Pierre Curie) फ़्रेंच फ़्रेंक्स

क्रोएशिएन दीनार
रुग्गेरो बास्चोविच(Ruggero Boscovich) क्रोएशिएन दीनार

क्रोएशिएन दीनार
रुग्गेरो बास्चोविच(Ruggero Boscovich) क्रोएशिएन दीनार

क्रोएशिएन दीनार
 रुग्गेरो बास्चोविच(Ruggero Boscovich) क्रोएशिएन दीनार

क्रोएशिएन दीनार
रुग्गेरो बास्चोविच(Ruggero Boscovich) क्रोएशिएन दीनार

क्रोएशिएन दीनार
रुग्गेरो बास्चोविच(Ruggero Boscovich) क्रोएशिएन दीनार

फ़्रेंच फ़्रेंक्स
रेने देस्कार्तेश(René Descartes) फ़्रेंच फ़्रेंक्स

न्युजीलैंड डालर
लार्ड अर्नेस्ट रदरफ़ोर्ड(Lord Ernest Rutherford) न्युजीलैंड डालर

ब्रिटिश पौंड
लार्ड केल्विन(Lord Kelvin) ब्रिटिश पौंड

स्विस फ़्रेंक्स
लिओनार्ड युलर(Leonhard Euler) स्विस फ़्रेंक्स

फ़्रेंच फ़्रेंक्स
लुई पाश्चर(Louis Pasteur) फ़्रेंच फ़्रेंक्स

आर्मेनियन ड्रम
 विक्टर अम्बरट्सुमिअन(Viktor Ambartsumian) आर्मेनियन ड्रम

आस्ट्रीयन शीलींग
सिगमंड फ़्रायड(Sigmund Freud) आस्ट्रीयन शीलींग

सूर्यग्रहण रोमानियन लेई

द कोरीयन वान
सेजांग महान(Sejong the Great) द कोरीयन वान

डेनिश क्रोनर
हैंस क्रिश्चियन ओर्स्टीड( Hans Christian Ørsted) डेनिश क्रोनर