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पेशाब में जलन peshab me jalan
पेशाब में जलन
1. धनिया:चिकित्सा :
30-30 ग्राम सूखा धनिया, सफेद चंदन का चूरा और आंवला को लेकर मोटा-मोटा पीस लें। इस 18 ग्राम चूर्ण को 125 ग्राम पानी में रात को भिगोने के लिये रख दें। सुबह इसे अच्छी तरह पानी मे ही मसलकर और छानकर इसमें खांड को मिलाकर पीने से पेशाब की जलन दूर होती है।
यदि पेट, शरीर या मूत्र में कहीं जलन हो तो 15 ग्राम धनिये को रात को सोने से पहले भिगो देते हैं। सुबह के समय धनिये को पानी में ही ठंडाई की तरह पीसकर इसमें मिश्री डालकर सेवन करें। इस प्रयोग से हृदय की धड़कन सामान्य हो जाती है। धनिये और आंवला को रात में भिगोकर सुबह के समय मसलकर पीने से मूत्र की जलन दूर हो जाती है।
250 मिलीलीटर दूध और 250 मिलीलीटर पानी में खांड को मिलाकर पीने से पेशाब की जलन के रोग में लाभ मिलता है।
गर्मी के मौसम में ज्यादा गर्म चीजें खाने से अगर पेशाब में जलन हो तो कच्चे दूध में पानी मिलाकर पीने से लाभ मिलता है।
गर्मी के मौसम में कुछ चीजे खाने की वजह से अगर पेशाब मे जलन हो तो लस्सी पीने से बहुत लाभ होता है।
6. खमीरा: 6 ग्राम खमीरा सन्दल को पानी के साथ सुबह और शाम लेने से पेशाब की जलन के रोग मे लाभ होता है।
आधा कप आंवले के रस में 2 चम्मच शहद को मिलाकर पीने से पेशाब की जलन शांत हो जाती है।
50 मिलीलीटर हरे आंवले का रस, 25 ग्राम शहद को थोड़े-से पानी में मिलाकर एक खुराक के रूप में सुबह-शाम सेवन करने से पेशाब खुलकर आता है और पेशाब की जलन, कब्ज और शीघ्रपतन की बीमारी दूर होती है।
इसकी ताजी छाल के 10-20 मिलीलीटर रस में 2 ग्राम हल्दी और 10 ग्राम शहद को मिलाकर सुबह-शाम पीने से पेशाब करने में जलन या कष्ट होने का रोग मिट जाता है।
आंवलों के 20 मिलीलीटर रस में इलायची का चूर्ण डालकर दिन में 2-3 बार पीने से पेशाब करने में जलन या कष्ट होना मिट जाता है।
1 लीटर पानी में 45 ग्राम प्याज के टुकड़े डाल कर घुमाएं और उबाल लें। फिर इसे छानकर रोजाना 3 बार रोगी को पिलाने से पेशाब खुलकर तथा बिना कष्ट के आता है। इसके अलावा इसका सेवन करने से बार-बार पेशाब आने का रोग भी ठीक हो जाता है।
50 ग्राम प्याज को काटकर 500 मिलीलीटर पानी में डालकर उबाल लें। जब पानी उबलने पर पानी 125 मिलीलीटर के करीब रह जाये तो उसे छानकर ठंडा कर लें और 3-4 दिन तक लगातार इस पानी को पीने से पेशाब मे जलन के रोग मे लाभ होता है।
प्याज का काढ़ा बनाकर रोगी को पिलाने से पेशाब की जलन दूर होती है।
मूत्र का रंग सफेद होना peshab ka safed ana
मूत्र का रंग सफेद होना
गुर्दे में किसी तरह की गड़बड़ी के कारण पेशाब का रंग सफेद हो जाता है।परिचय:
कारण:
1. सफेद जीरा: आधे से 2 ग्राम सफेद जीरा को पीसकर रोजाना 2-3 बार खाने से पेशाब का रंग साफ हो जाता है।2. पाषाणभेद : पाषाणभेद को दूध में घिसकर बच्चों को सुबह और शाम खिलाने से पेशाब का रंग साफ होकर लाभ होता है।
3. सुहागा: लगभग आधा ग्राम से एक ग्राम सुहागा के लावा को शहद मिले पानी में घोंटकर सुबह-शाम पीने से पेशाब साफ आने लगता है।
4. नागरमोथा: 3 से 6 ग्राम नागरमोथा को पीसकर सुबह-शाम दूध के साथ लेने से पेशाब साफ होने लगता है।
5. कचूर: कचूर की फांट या घोल को सुबह और शाम को खाने से पेशाब साफ आने लगता है और जलन कम हो जाती है।
6. बलसा: लगभग आधा ग्राम से 1 ग्राम बलसा की राल को सुबह और शाम खाने से पेशाब साफ होने लगता है।
7. हल्दी: पेशाब का रंग सफेद होने पर हल्दी और दारूहल्दी का काढ़ा बनाकर 20 मिलीलीटर से 40 मिलीलीटर सुबह-शाम खाने से पेशाब का रंग साफ होकर लाभ होता है।
8. पीपल: पीपल के पेड़ की छाल का काढ़ा रोजाना 2-3 बार पीने से पेशाब की गर्मी दूर हो जाती है और पेशाब साफ आने लगता है।
9. तुलसी:
11. त्रिफला: 3 से 5 ग्राम त्रिफला के चूर्ण को रोजाना रात में गरम पानी के साथ रोजाना खाने से पेशाब का रंग साफ हो जाता है।
12. जंगली अजवायन: 40 मिलीलीटर जंगली अजवायन का काढ़ा लेकर सिरका और शहद मिलाकर लेने से पूरा लाभ मिलता है और पेशाब साफ आने लगता है।
13. वंशलोचन: वंशलोचन, शीतलचीनी (कंकोल) और इलायची का कपड़छन किया हुआ चूर्ण बराबर-बराबर 3 चुटकी भर लेकर दूध और मिश्री के साथ सेवन करने से पेशाब का रंग साफ होने लगता है।
14. लोध्र: लगभग 1 ग्राम लोध्र मे मिश्री मिलाकर रोजाना 3-4 बार खाने से 3-4 दिन में पेशाब का रंग साफ हो जाता है। इसमें लोघ्रासव 20 ग्राम से 30 ग्राम रोज 2 बार खाने से भी लाभ होता है।
पेशाब का रंग काला और हरा होना peshab ka kala ya hara hona
मूत्र में रक्त, रक्तमेह peshab me khoon
मूत्र में रक्त, रक्तमेह
पेशाब में अगर खून आता हो तो उसे रक्तमेह कहा जाता है। रक्तमेह के रोग में गुर्दे की गडबड़ी के कारण रक्त पूरी तरह नहीं छन पाता है।परिचय:
विभिन्न भाषाओं में नाम:
हिन्दी |
पेशाब में खून आना। |
अंग्रेजी |
हिमेच्चुरिया। |
अरबी |
टेपीचाबो। |
बंगाली |
रक्तमेह। |
गुजराती |
लोहीनो पेशाब। |
मलयालम |
रक्तमूत्रम्। |
मराठी |
रक्तमेह, लघ वितून वक्तजणे। |
तमिल |
रक्त्मूत्रम। |
तेलगू |
आंटेलुलोनेथ्र पोवुआ। |
चन्दन को चावल के धुले पानी में घिसकर इसमें मिश्री को मिलाकर सुबह-शाम खाने से रक्तमेह ठीक हो जाता है।
लगभग 6 ग्राम सफेद चन्दन का चूरा लेकर रात को पानी में भिगो दें। सुबह इस पानी को छानकर पीने से पेशाब मे खून आना बंद हो जाता है।
4 चम्मच चन्दनासव को थोड़े से पानी मे मिलाकर चाकसू के 21 बीजों के साथ सुबह भोजन करने के बाद और रात को भोजन करने के बाद दोनों समय लेने से पेशाब मे खून आना बंद हो जाता है।
मूत्रघात (पेशाब में धातु का आना) peshab me dhatu ka aana
मूत्रघात (पेशाब में धातु का आना)
हिन्दी
पेशाब में घात का आना।
अंग्रेजी
रिटेंशन आफ यूरिन।
अरबी
मूत्रावरोध।
बंगाली
मूत्रावरोध।
गुजराती
मूत्र मा आघात, पेशाब मा दिक्कत।
मलयालम
परिपूर्ण मूत्र तटावू।
मराठी
लघवी अरवणे।
उड़िया
प्रासारेकिबा।
तमिल
नीरडगल।
तेलगू
ओटेजड्डुट।
विभिन्न भाषाओं में नाम :
हिन्दी
पेशाब में घात का आना।
अंग्रेजी
रिटेंशन आफ यूरिन।
अरबी
मूत्रावरोध।
बंगाली
मूत्रावरोध।
गुजराती
मूत्र मा आघात, पेशाब मा दिक्कत।
मलयालम
परिपूर्ण मूत्र तटावू।
मराठी
लघवी अरवणे।
उड़िया
प्रासारेकिबा।
तमिल
नीरडगल।
तेलगू
ओटेजड्डुट।
कारण:
लक्षण:
भोजन तथा परहेज:
1. कबूतर: कबूतर की बीट को पीसकर गर्म करके पेड़ू पर लेप करके बांध दें। इसके ऊपर से बकरी के बालों को गर्म पानी में भिगोकर सिंकाई करने से पेशाब में घात का आना बंद हो जाता है।2. कटेरी: कटेरी के रस में छाछ मिलाकर छानकर पीने से मूत्रघात का रोग दूर हो जाता है।
3. गोखरू: गोखरू के पंचांग (जड़, तना, फल, फूल, पत्ती) का काढ़ा बनाकर उसमें शहद और मिश्री मिलाकर पीने से मूत्राघात और सुजाक दोनों ही रोगों में लाभ होता है।
4. जंगली प्याज: एक चौथाई ग्राम से 1 ग्राम तक जंगली प्याज खाने से पेशाब की रुकावट दूर हो जाती है।
5. शोरा: शोरा में कपड़े का टुकड़ा भिगोकर नाभि के नीचे बांधने से मूत्रघात में लाभ होता है।
6. पुनर्नवा: दूध में पुनर्नवा के पत्तों का रस मिलाकर पीने से पेशाब में आने वाला घात या धातु रुक जाती है।
7. शहतूत: शहतूत के रस में कलमीशोरा को पीसकर नाभि के नीचे लेप करने से पेशाब की रुकावट दूर होती है।
8. त्रिफला: त्रिफला के काढ़े में गुड़ और दूध मिलाकर पीने से पेशाब का घात रोग खत्म हो जाता है।
9. गेंदे का रस: गेंदे का रस पीने से पेशाब के संग आने वाला घात ठीक हो जाता है।
10. कुलंजन: कुलंजन को पानी में पीसकर पीने से मूत्राघात का रोग दूर हो जाता है।
11. केसर :
13. जवाखार: जवाखार, इलायची और फिटकरी को बराबर मात्रा में लेकर कूटकर और पीसकर रख लें। इस चूर्ण में शहद मिलाकर सुबह-शाम 3 ग्राम की मात्रा में खाने से पेशाब खुलकर आता है और पेशाब में घात का आना भी बंद हो जाता है।
14. मूली :
4 ग्राम मूली के बीजों को सिल पर रखकर बारीक पीसकर लगभग 300 से 400 मिलीलीटर पानी में छानकर पीने से पेशाब की जलन दूर पेशाब खुलकर आता है।
मूली को पीसकर उसमें थोड़ा-सा कलमीशोरा मिलाकर नाभि पर लेप करने से रुका हुआ पेशाब खुलकर आता है।
कोमल मूली के पत्तों के रस में शोरा डालकर नाभि पर लेप करने से पेशाब में धातु का आना (मूत्राघात) बंद हो जाता है।
मूली के पत्तों के लगभग 500 मिलीलीटर रस में 3 ग्राम कलमीशोरा मिलाकर पीने से पेशाब शीघ्र ही खुलकर आता है।
16. मेहंदी: 5 से 10 ग्राम मेहंदी के पत्ते के स्वरस में थोड़ा पानी और मिश्री मिलाकर पीने से वीर्य का बहना बंद हो जाता है।
17. आक: आक के दूध में बबूल की छाल का थोड़ा सा रस मिलाकर नाभि के आसपास और पेड़ू पर लेप करने से मूत्राघात (पेशाब में धातु का जाना) का रोग दूर हो जाता है।
18. छोंकर: छोंकर के फूलों के रस में दूध मिलाकर गर्म कर लें। इसके बाद इसमें जीरा और चीनी डालकर पीने से पेशाब के साथ धातु का आना बंद हो जाता है।
19. आंवला: 5-6 आंवलों को पीसकर नलों पर लेप करने से मूत्राघात मिटता है।
20. मूसलीकन्द: 14 से 28 मिलीलीटर मूसली का काढ़ा, 4 मिलीलीटर तिल का तेल, 5 ग्राम घी तथा 100 मिलीलीटर दूध को एक साथ मिलाकर दिन में 3 बार सेवन करनें से मूत्राघात के रोग में लाभ होता है।
21. कांकड़: कांकड़ की पत्तियों का रस जीरे और मिश्री के साथ सेवन करने से मूत्राघात का रोग दूर हो जाता है।
22. कपूर: अगर पेशाब बंद हो गया हो तो लिंग के आगे के छेद में कपूर का टुकड़ा या पानी में पीसकर उसमें भिगोये गये कपड़े की बत्ती रखने से बंद पेशाब खुलकर आता है।
23. कायफल: कायफल के पेड़ की छाल और नारियल का रस एकसाथ मिलाकर 7 दिन तक पीने से पेशाब में धातु का आना समाप्त हो जाता है।
24. कुंदरू: कडवे कंदरू की जड़ का काढ़ा पीने से पेशाब के साथ धातु का निकलना बंद हो जाता है।
25. अनार:
लगभग 50 ग्राम अनार के रस में छोटी इलायची के बीजों का चूर्ण और सोंठ का चूर्ण आधा-आधा ग्राम की मात्रा में मिलाकर पीने से मूत्राघात के रोग में बहुत लाभ होता है।
अनार के रस में छोटी इलायची के बीज और सौंठ का चूर्ण मिलाकर पीने से मूत्राघात का रोग कुछ ही समय में समाप्त हो जाता है।
10 ग्राम अनार के पत्ते और 10 ग्राम हरा गोखरू को 150 मिलीलीटर पानी में पीसकर और छानकर सेवन करने से मूत्राघात की शिकायत दूर हो जाती है।
27. इलायची: इलायची के दाने और सेंकी हुई हींग के लगभग आधा ग्राम चूर्ण को घी और दूध के साथ सेवन करने से पेशाब में धातु का आना बंद हो जाता है।
28. अर्जुन: मूत्राघात अर्थात् पेशाब में रूकावट होने पर अर्जुन की छाल को कूटकर 2 कप पानी के साथ उबालें। जब आधा कप पानी शेष बचे, तो उसे छानकर रोगी को 2-3 बार पिलाने के बाद पेशाब खुलकर आने लगता है।
मूत्राशय में सूजन mutrashya me sujan
मूत्राशय में सूजन
मूत्राशय (वह स्थान जहां पेशाब एकत्रित होता है) में संक्रमण या खून के ज्यादा होने से सूजन आ जाती है जिससे रोगी को पेशाब करने में कष्ट, दर्द और जलन होती है। इसके साथ ही रोगी में पेशाब बूंद-बूंद करके आना जैसे लक्षण प्रकट होते हैं।परिचय:
1. तुलसी: तुलसी के पत्ते को मिश्री मिले शर्बत में घोंटकर बार-बार पीने से मूत्राशय की जलन के रोग में अच्छा लाभ होता है।2. जंगली अजवायन: जंगली अजवायन का काढ़ा सिरका और शहद के साथ मिलाकर पीने से नाभि के नीचे की सूजन और दर्द ठीक होता है।
3. चन्दन: चन्दन के तेल की 5 से 15 बूंदे बताशे पर डालकर रोजाना 3 बार खाने मूत्राशय की जलन ठीक हो जाती है।
4. गुग्गुल: लगभग आधे से एक ग्राम की मात्रा में गुग्गुल को गुड़ के साथ लेने से सेवन करने से मूत्राशय की सूजन दूर हो जाती है।
5. लोबान: लगभग आधे से एक ग्राम लोबान को बादाम और गोंद के साथ सुबह-शाम लेने से पेशाब के रोग में लाभ होता है।
6. शिलारस: आधे से एक ग्राम शिलारस को गुलेठी के साथ सुबह-शाम लेने से मूत्राशय की सूजन और पेशाब की जलन दूर हो जाती है।
7. गठिबन (बनतुलसी): मूत्राशय की सूजन में गठिबन (बनतुलसी) के पत्तों को पीसकर लेप करने से लाभ होता है।
8. शीतलचीनी: मूत्राशय में सूजन होने पर आधे ग्राम शीतलचीनी के चूर्ण को दूध के साथ या आधा ग्राम फिटकिरी के साथ रोजाना 3 बार खाने से मूत्राशय की सूजन मिटती है। इसका लेप नाभि के नीचे करने से लाभ होता है।
9. छोटी गोखरू: छोटी गोखरू का काढ़ा सुबह-शाम लेने से मूत्राशय की सूजन में लाभ होता है।
10. अपराजिता: मूत्राशय की सूजन में अपराजिता की फांट या घोल को सुबह-शाम खाने से लाभ होता है।
11. अतिबला: अतिबला के बीज को 4 से 8 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम खाने से नाभि के सभी रोग और सूजन दूर होते हैं।
12. कुश: 3 से 6 ग्राम कुश की जड़ को पीसकर और घोटकर सुबह-शाम पीने से मूत्राशय से सम्बन्धी सभी रोग दूर होते हैं।
13. डाभी: 3 से 6 ग्राम डाभी की जड़ को पीसकर और घोटकर सुबह शाम पिलाने से मूत्राशय के सारे रोग समाप्त हो जाते हैं।
14. हरीदूब: 40 ग्राम हरीदूब की जड़ का काढ़ा सुबह और शाम पीने से पेशाब की जलन और सूजन दूर होती है।
15. ग्वारपाठा की जड़: ग्वारपाठा की जड़ की फांट या घोल को 40 ग्राम की मात्रा में सुबह और शाम सेवन करने मूत्राशय की सूजन दूर होती है।
16. अपामार्ग: 5 ग्राम से 10 ग्राम अपामार्ग की जड़ या 15 ग्राम से 50 ग्राम काढ़े को मुलेठी और गोखरू के साथ सुबह-शाम लेने से मूत्राशय की जलन और सूजन दूर होती है।
17. तालमखाना: तालमखाना की जड़ का काढ़ा 40 ग्राम या बीज 2 से 4 ग्राम को दूध के साथ सुबह-शाम लेने से मूत्राशय की सूजन मिट जाती है।
18. पाताल गरूड़ी: पाताल गरूड़ी की जड़ 3 से 6 ग्राम सुबह शाम देने से मूत्राशय की सूजन समाप्त हो जाती है।
19. बरना की छाल: बरना की छाल, अपामार्ग, पुनर्नवा, यवाक्षार, गोखरू, मुलेठी के मिश्रण से तैयार काढ़े को 20 ग्राम से 40 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से नाभि के दर्द पथरी, मधुमेह, मूत्रकृच्छता (पेशाब करने से में जलन या कष्ट होना) आदि रोगों में लाभ होता है।
20. खीरे: आधा से 10 ग्राम खीरे के बीजों को पीसकर और घोटकर शर्बत की तरह रोजाना 2 और 3 बार पीने से मूत्राशय की पीड़ा ठीक हो जाती है।
21. हीराबोल: लगभग एक ग्राम के चौथाई भाग से लेकर आधा ग्राम हीराबोल को सुबह-शाम खाने से मूत्राशय की सूजन मिट जाती है।
22. बड़ी लोणा (बड़ी नोनी साग): बड़ी लोणा (बड़ी नोनी साग) के 1 से 2 ग्राम बीजों का चूर्ण बनाकर सुबह-शाम खाने से मूत्राशय की सूजन में लाभ होता है। इसे साग के रूप में या साग के फांट या घोल की 40 से 80 मिलीलीटर की मात्रा में सुबह-शाम करने से भी पूरा लाभ होता है।
23. कतीरा: 10 से 20 ग्राम कतीरा को सुबह-शाम फुलाकर मिश्री के साथ घोंटकर शर्बत की तरह सुबह-शाम पीने से मूत्राशय की सूजन मिट जाती है।
हस्तमैथुन hastmethun
हस्तमैथुन hastmethun muth
हस्तमैथुन ऐसी क्रिया है जिसमें रोगी अकेले में अपने ही हाथो से लिंग को घिसकर अपने वीर्य को निकालता रहता है। इसको करने से मानसिक और शारीरिक रोग पैदा हो जाते हैं। मानसिक रोगी दूसरों के सामने भी हस्तमैथुन करने से नहीं हिचकिचाता है। यह कार्य अविवाहित व्यक्ति ज्यादा करते है। यह कार्य स्त्रियां भी कर लेती है। अपनी योनि पर उंगुलियों से रगड़कर वे भी स्खलित कर लेती है यह भी हस्तमैथुन का ही रोग कहलाता है।परिचय:
जीवनपर्यन्त (हमेशा) के लिए कामवासना को मिटाना
जीवनपर्यन्त (हमेशा) के लिए कामवासना को मिटाना
ऐसे स्त्री-पुरुष जो अपना जीवन बह्मचर्य अथवा साधु के समान बिताना चाहते हैं तो उनके लिए यह बूटी विशेष उपयोगी होती है। इस बूटी का नाम हिंगूजा है, जो बिहार और उड़ीसा प्रदेश में जहां गया का तीर्थ, जगन्नाथपुरी है वहां पैदा होती है। इस बूटी को आग में डालकर इसका धुंआ सूंघने से ही जीवनपर्यन्त के लिए कामवासना मिट जाती है। इससे स्त्री-पुरुषों को संभोगक्रिया की इच्छा चाहकर भी नहीं होती है।परिचय:
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