पेशाब अपने आप आना peshab apne aap ana

पेशाब अपने आप आना


1. कुलिंजन:
लगभग आधा ग्राम कुलिंजन के चूर्ण को शहद के साथ रोजाना सुबह और शाम लेने से अपने आप पेशाब आने का रोग ठीक हो जाता है।चिकित्सा:

पेशाब में जलन peshab me jalan

पेशाब में जलन

1. धनिया:चिकित्सा :

मूत्र का रंग सफेद होना peshab ka safed ana

मूत्र का रंग सफेद होना


          
गुर्दे में किसी तरह की गड़बड़ी के कारण पेशाब का रंग सफेद हो जाता है।परिचय:

कारण:

1. सफेद जीरा: आधे से 2 ग्राम सफेद जीरा को पीसकर रोजाना 2-3 बार खाने से पेशाब का रंग साफ हो जाता है।
2. पाषाणभेद : पाषाणभेद को दूध में घिसकर बच्चों को सुबह और शाम खिलाने से पेशाब का रंग साफ होकर लाभ होता है।
3. सुहागा: लगभग आधा ग्राम से एक ग्राम सुहागा के लावा को शहद मिले पानी में घोंटकर सुबह-शाम पीने से पेशाब साफ आने लगता है।
4. नागरमोथा: 3 से 6 ग्राम नागरमोथा को पीसकर सुबह-शाम दूध के साथ लेने से पेशाब साफ होने लगता है।
5. कचूर: कचूर की फांट या घोल को सुबह और शाम को खाने से पेशाब साफ आने लगता है और जलन कम हो जाती है।
6. बलसा: लगभग आधा ग्राम से 1 ग्राम बलसा की राल को सुबह और शाम खाने से पेशाब साफ होने लगता है।
7. हल्दी: पेशाब का रंग सफेद होने पर हल्दी और दारूहल्दी का काढ़ा बनाकर 20 मिलीलीटर से 40 मिलीलीटर सुबह-शाम खाने से पेशाब का रंग साफ होकर लाभ होता है।
8. पीपल: पीपल के पेड़ की छाल का काढ़ा रोजाना 2-3 बार पीने से पेशाब की गर्मी दूर हो जाती है और पेशाब साफ आने लगता है।
9. तुलसी:
10. खस: 10 ग्राम खस और 10 ग्राम सफेद चन्दन को कपड़छन चूर्ण कर शीशी में रखें। इसे 1 से 3 ग्राम की मात्रा में शहद के साथ सुबह-शाम लेने से पेशाब के रोग ठीक होते हैं।
11. त्रिफला: 3 से 5 ग्राम त्रिफला के चूर्ण को रोजाना रात में गरम पानी के साथ रोजाना खाने से पेशाब का रंग साफ हो जाता है।
12. जंगली अजवायन: 40 मिलीलीटर जंगली अजवायन का काढ़ा लेकर सिरका और शहद मिलाकर लेने से पूरा लाभ मिलता है और पेशाब साफ आने लगता है।
13. वंशलोचन: वंशलोचन, शीतलचीनी (कंकोल) और इलायची का कपड़छन किया हुआ चूर्ण बराबर-बराबर 3 चुटकी भर लेकर दूध और मिश्री के साथ सेवन करने से पेशाब का रंग साफ होने लगता है।
14. लोध्र: लगभग 1 ग्राम लोध्र मे मिश्री मिलाकर रोजाना 3-4 बार खाने से 3-4 दिन में पेशाब का रंग साफ हो जाता है। इसमें लोघ्रासव 20 ग्राम से 30 ग्राम रोज 2 बार खाने से भी लाभ होता है।

पेशाब का रंग काला और हरा होना peshab ka kala ya hara hona

पेशाब का रंग काला और हरा होना


          जिस प्रकार
गुर्दे की खराबी की वजह से पेशाब में खून आता है उसी प्रकार गुर्दे की खराबी से पेशाब का रंग काला या हरा हो जाता है। गुर्दे के ठीक होने से पेशाब का रंग फिर साफ हो जाता है। अगर पेशाब का रंग काला हो तो उसका कारण गुर्दे में सूजन हो सकती है।परिचय :

चिकित्सा:

मूत्र में रक्त, रक्तमेह peshab me khoon

मूत्र में रक्त, रक्तमेह


          पेशाब में अगर खून आता हो तो उसे रक्तमेह कहा जाता है। रक्तमेह के रोग में
गुर्दे की गडबड़ी के कारण रक्त पूरी तरह नहीं छन पाता है।परिचय:

विभिन्न भाषाओं में नाम:


हिन्दी     

पेशाब में खून आना।

अंग्रेजी         

हिमेच्चुरिया।

अरबी     

टेपीचाबो।

बंगाली         

रक्तमेह।

गुजराती  

लोहीनो पेशाब।

मलयालम

रक्तमूत्रम्।

मराठी         

रक्तमेह, लघ वितून वक्तजणे।

तमिल         

रक्त्मूत्रम।

तेलगू     

आंटेलुलोनेथ्र पोवुआ।

मूत्रघात (पेशाब में धातु का आना) peshab me dhatu ka aana

मूत्रघात (पेशाब में धातु का आना)



हिन्दी     

पेशाब में घात का आना।

अंग्रेजी         

रिटेंशन आफ यूरिन।

अरबी     

मूत्रावरोध।

बंगाली         

मूत्रावरोध।

गुजराती  

मूत्र मा आघात, पेशाब मा दिक्कत।

मलयालम 

परिपूर्ण मूत्र तटावू।

मराठी         

लघवी अरवणे।

उड़िया         

प्रासारेकिबा।

तमिल         

नीरडगल।

तेलगू     

ओटेजड्डुट।
विभिन्न भाषाओं में नाम :

कारण:

लक्षण:

          पेशाब में घात आने के रोग में पेशाब या तो रुक-रुक कर थोड़ा आता है या बिल्कुल ही बंद हो जाता है, फिर भी सुजाक रोग की तुलना में मूत्रघात रोग में पेशाब करते समय तकलीफ कम होती है। इसके अलावा रोगी बूंद-बूंद करके पेशाब आना, पेशाब में खून का आना, मूत्राशय का फूलना, पेट फूलना, नाभि के नीचे या पेड़ू के मुंह पर गांठ का बन जाना, पेशाब गाढ़ा आना, तेज दर्द होना और पेशाब में बदबू आना आदि मूत्रघात के लक्षण माने जाते हैं।

भोजन तथा परहेज:

1. कबूतर: कबूतर की बीट को पीसकर गर्म करके पेड़ू पर लेप करके बांध दें। इसके ऊपर से बकरी के बालों को गर्म पानी में भिगोकर सिंकाई करने से पेशाब में घात का आना बंद हो जाता है।
2. कटेरी: कटेरी के रस में छाछ मिलाकर छानकर पीने से मूत्रघात का रोग दूर हो जाता है।
3. गोखरू: गोखरू के पंचांग (जड़, तना, फल, फूल, पत्ती) का काढ़ा बनाकर उसमें शहद और मिश्री मिलाकर पीने से मूत्राघात और सुजाक दोनों ही रोगों में लाभ होता है।
4. जंगली प्याज: एक चौथाई ग्राम से 1 ग्राम तक जंगली प्याज खाने से पेशाब की रुकावट दूर हो जाती है।
5. शोरा: शोरा में कपड़े का टुकड़ा भिगोकर नाभि के नीचे बांधने से मूत्रघात में लाभ होता है।
6. पुनर्नवा: दूध में पुनर्नवा के पत्तों का रस मिलाकर पीने से पेशाब में आने वाला घात या धातु रुक जाती है।
7. शहतूत: शहतूत के रस में कलमीशोरा को पीसकर नाभि के नीचे लेप करने से पेशाब की रुकावट दूर होती है।
8. त्रिफला: त्रिफला के काढ़े में गुड़ और दूध मिलाकर पीने से पेशाब का घात रोग खत्म हो जाता है।
9. गेंदे का रस: गेंदे का रस पीने से पेशाब के संग आने वाला घात ठीक हो जाता है।
10. कुलंजन: कुलंजन को पानी में पीसकर पीने से मूत्राघात का रोग दूर हो जाता है।
11. केसर :
12. ककड़ी: मूत्रघात में 10 ग्राम ककड़ी के बीज और 10 ग्राम सेंधानमक को पीसकर कांजी मिलाकर पीने से मूत्रघात खत्म होता है।
13. जवाखार: जवाखार, इलायची और फिटकरी को बराबर मात्रा में लेकर कूटकर और पीसकर रख लें। इस चूर्ण में शहद मिलाकर सुबह-शाम 3 ग्राम की मात्रा में खाने से पेशाब खुलकर आता है और पेशाब में घात का आना भी बंद हो जाता है।
14. मूली :
15. विदारीकन्द: विदारीकन्द, सरिवा, गुर्च, हल्दी, वायबिडंग, पंच तृण और पंचमूल को पीसकर पीने से मूत्रकृच्छ और पेशाब से निकलने वाला घात दूर होता है।
16. मेहंदी: 5 से 10 ग्राम मेहंदी के पत्ते के स्वरस में थोड़ा पानी और मिश्री मिलाकर पीने से वीर्य का बहना बंद हो जाता है।
17. आक: आक के दूध में बबूल की छाल का थोड़ा सा रस मिलाकर नाभि के आसपास और पेड़ू पर लेप करने से मूत्राघात (पेशाब में धातु का जाना) का रोग दूर हो जाता है।
18. छोंकर: छोंकर के फूलों के रस में दूध मिलाकर गर्म कर लें। इसके बाद इसमें जीरा और चीनी डालकर पीने से पेशाब के साथ धातु का आना बंद हो जाता है।
19. आंवला: 5-6 आंवलों को पीसकर नलों पर लेप करने से मूत्राघात मिटता है।
20. मूसलीकन्द: 14 से 28 मिलीलीटर मूसली का काढ़ा, 4 मिलीलीटर तिल का तेल, 5 ग्राम घी तथा 100 मिलीलीटर दूध को एक साथ मिलाकर दिन में 3 बार सेवन करनें से मूत्राघात के रोग में लाभ होता है।
21. कांकड़: कांकड़ की पत्तियों का रस जीरे और मिश्री के साथ सेवन करने से मूत्राघात का रोग दूर हो जाता है।
22. कपूर: अगर पेशाब बंद हो गया हो तो लिंग के आगे के छेद में कपूर का टुकड़ा या पानी में पीसकर उसमें भिगोये गये कपड़े की बत्ती रखने से बंद पेशाब खुलकर आता है।
23. कायफल: कायफल के पेड़ की छाल और नारियल का रस एकसाथ मिलाकर 7 दिन तक पीने से पेशाब में धातु का आना समाप्त हो जाता है।
24. कुंदरू: कडवे कंदरू की जड़ का काढ़ा पीने से पेशाब के साथ धातु का निकलना बंद हो जाता है।
25. अनार:
26. अंकोल: 5 ग्राम अंकोल के फल का गूदा और 4 ग्राम तिलों का क्षार 2 चम्मच शहद में मिलाकर दही के पानी के साथ सुबह-शाम सेवन करने से मूत्राघात का रोग मिट जाता है।
27. इलायची: इलायची के दाने और सेंकी हुई हींग के लगभग आधा ग्राम चूर्ण को घी और दूध के साथ सेवन करने से पेशाब में धातु का आना बंद हो जाता है।
28. अर्जुन: मूत्राघात अर्थात् पेशाब में रूकावट होने पर अर्जुन की छाल को कूटकर 2 कप पानी के साथ उबालें। जब आधा कप पानी शेष बचे, तो उसे छानकर रोगी को 2-3 बार पिलाने के बाद पेशाब खुलकर आने लगता है।

मूत्राशय में सूजन mutrashya me sujan

मूत्राशय में सूजन


          
मूत्राशय (वह स्थान जहां पेशाब एकत्रित होता है) में संक्रमण या खून के ज्यादा होने से सूजन आ जाती है जिससे रोगी को पेशाब करने में कष्ट, दर्द और जलन होती है। इसके साथ ही रोगी में पेशाब बूंद-बूंद करके आना जैसे लक्षण प्रकट होते हैं।परिचय:

1. तुलसी: तुलसी के पत्ते को मिश्री मिले शर्बत में घोंटकर बार-बार पीने से मूत्राशय की जलन के रोग में अच्छा लाभ होता है।
2. जंगली अजवायन: जंगली अजवायन का काढ़ा सिरका और शहद के साथ मिलाकर पीने से नाभि के नीचे की सूजन और दर्द ठीक होता है।
3. चन्दन: चन्दन के तेल की 5 से 15 बूंदे बताशे पर डालकर रोजाना 3 बार खाने मूत्राशय की जलन ठीक हो जाती है।
4. गुग्गुल: लगभग आधे से एक ग्राम की मात्रा में गुग्गुल को गुड़ के साथ लेने से सेवन करने से मूत्राशय की सूजन दूर हो जाती है।
5. लोबान: लगभग आधे से एक ग्राम लोबान को बादाम और गोंद के साथ सुबह-शाम लेने से पेशाब के रोग में लाभ होता है।
6. शिलारस: आधे से एक ग्राम शिलारस को गुलेठी के साथ सुबह-शाम लेने से मूत्राशय की सूजन और पेशाब की जलन दूर हो जाती है।
7. गठिबन (बनतुलसी): मूत्राशय की सूजन में गठिबन (बनतुलसी) के पत्तों को पीसकर लेप करने से लाभ होता है।
8. शीतलचीनी: मूत्राशय में सूजन होने पर आधे ग्राम शीतलचीनी के चूर्ण को दूध के साथ या आधा ग्राम फिटकिरी के साथ रोजाना 3 बार खाने से मूत्राशय की सूजन मिटती है। इसका लेप नाभि के नीचे करने से लाभ होता है।
9. छोटी गोखरू: छोटी गोखरू का काढ़ा सुबह-शाम लेने से मूत्राशय की सूजन में लाभ होता है।
10. अपराजिता: मूत्राशय की सूजन में अपराजिता की फांट या घोल को सुबह-शाम खाने से लाभ होता है।
11. अतिबला: अतिबला के बीज को 4 से 8 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम खाने से नाभि के सभी रोग और सूजन दूर होते हैं।
12. कुश: 3 से 6 ग्राम कुश की जड़ को पीसकर और घोटकर सुबह-शाम पीने से मूत्राशय से सम्बन्धी सभी रोग दूर होते हैं।
13. डाभी: 3 से 6 ग्राम डाभी की जड़ को पीसकर और घोटकर सुबह शाम पिलाने से मूत्राशय के सारे रोग समाप्त हो जाते हैं।
14. हरीदूब: 40 ग्राम हरीदूब की जड़ का काढ़ा सुबह और शाम पीने से पेशाब की जलन और सूजन दूर होती है।
15. ग्वारपाठा की जड़: ग्वारपाठा की जड़ की फांट या घोल को 40 ग्राम की मात्रा में सुबह और शाम सेवन करने मूत्राशय की सूजन दूर होती है।
16. अपामार्ग: 5 ग्राम से 10 ग्राम अपामार्ग की जड़ या 15 ग्राम से 50 ग्राम काढ़े को मुलेठी और गोखरू के साथ सुबह-शाम लेने से मूत्राशय की जलन और सूजन दूर होती है।
17. तालमखाना: तालमखाना की जड़ का काढ़ा 40 ग्राम या बीज 2 से 4 ग्राम को दूध के साथ सुबह-शाम लेने से मूत्राशय की सूजन मिट जाती है।
18. पाताल गरूड़ी: पाताल गरूड़ी की जड़ 3 से 6 ग्राम सुबह शाम देने से मूत्राशय की सूजन समाप्त हो जाती है।
19. बरना की छाल: बरना की छाल, अपामार्ग, पुनर्नवा, यवाक्षार, गोखरू, मुलेठी के मिश्रण से तैयार काढ़े को 20 ग्राम से 40 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से नाभि के दर्द पथरी, मधुमेह, मूत्रकृच्छता (पेशाब करने से में जलन या कष्ट होना) आदि रोगों में लाभ होता है।
20. खीरे: आधा से 10 ग्राम खीरे के बीजों को पीसकर और घोटकर शर्बत की तरह रोजाना 2 और 3 बार पीने से मूत्राशय की पीड़ा ठीक हो जाती है।
21. हीराबोल: लगभग एक ग्राम के चौथाई भाग से लेकर आधा ग्राम हीराबोल को सुबह-शाम खाने से मूत्राशय की सूजन मिट जाती है।
22. बड़ी लोणा (बड़ी नोनी साग): बड़ी लोणा (बड़ी नोनी साग) के 1 से 2 ग्राम बीजों का चूर्ण बनाकर सुबह-शाम खाने से मूत्राशय की सूजन में लाभ होता है। इसे साग के रूप में या साग के फांट या घोल की 40 से 80 मिलीलीटर की मात्रा में सुबह-शाम करने से भी पूरा लाभ होता है।
23. कतीरा: 10 से 20 ग्राम कतीरा को सुबह-शाम फुलाकर मिश्री के साथ घोंटकर शर्बत की तरह सुबह-शाम पीने से मूत्राशय की सूजन मिट जाती है।

हस्तमैथुन hastmethun

हस्तमैथुन hastmethun muth


          हस्तमैथुन ऐसी क्रिया है जिसमें रोगी अकेले में अपने ही हाथो से
लिंग को घिसकर अपने वीर्य को निकालता रहता है। इसको करने से मानसिक और शारीरिक रोग पैदा हो जाते हैं। मानसिक रोगी दूसरों के सामने भी हस्तमैथुन करने से नहीं हिचकिचाता है। यह कार्य अविवाहित व्यक्ति ज्यादा करते है। यह कार्य स्त्रियां भी कर लेती है। अपनी योनि पर उंगुलियों से रगड़कर वे भी स्खलित कर लेती है यह भी हस्तमैथुन का ही रोग कहलाता है।परिचय:






जीवनपर्यन्त (हमेशा) के लिए कामवासना को मिटाना