सबसे साफ-सुथरा ग्लेशियर है - मारगेरैय ग्लेशियर (Margerie Glacier)

मारगेरैय ग्लेशियर  (Margerie Glacier): यह ग्लेशियर 21 मील (3 किलोमीटर) लंबा है। यह अलास्का  में स्थित है। यह ग्लेशियर बे नेशनल पार्क और प्रीजर्व का भी हिस्सा है। ग्लेशियर का नाम फ़्रांस के प्रसिद्ध ज्योग्राफ और ज्यूलोजिस्ट इमेनुएल डी मारगेरैय के नाम पर रखा गया है। इमेनुएल पहली बार 1913 में इस ग्लेशियर की यात्रा की थी। वह ग्लेशियर बे का मुख्य हिस्सा है जिसे 26 फरवरी 1925 को नेशनल मोन्यूमेंट घोषित किया गया था। इसे 2 दिसंबर 1980 को नेशनल पार्क एंड वाइल्ड लाइफ प्रीजर्व घोषित किया गया था। यूनेस्को ने 1986 में वर्ल्ड बायोस्फेयर रिजर्व और 1992 में वर्ल्ड हेरिटेज साइट की श्रेणी में इसे रखा था। ग्लेशियर बे के अंत में स्थित मारगेरैय ग्लेशियर की चौड़ाई एक मील (1.6 किलोमीटर) तक फैली है।
मारगेरैय ग्लेशियर टाइड-वाटर ग्लेशियर की श्रेणी में आता है। इसकी ऊंचाई 350 फीट है जिसमें से 250 फुट वाटर लेवल से ऊपर है और 100 फुट वाटर लेवल से नीचे है। इसकी ऊंचाई स्टेचू ऑफ लिबर्टी से भी ज्यादा है। इसका लेयर कर्व है और इसमें रॉक और आइस मिला हुआ है। यह जिगजैग और ट्विस्टेड फॉर्म में है। किरणों को अब्सॉर्व करने की क्षमता के कारण इसका बर्फ नीले रंग का दिखता है। दूसरे अन्य ग्लेशियर के मुकाबले यह बहुत ज्यादा साफ-सुथरा है या सबसे एक्टिव ग्लेशियर है। यह कलविंग के लिए एक्टिव है। इसका मतलब होता है बर्फ की दीवार का टूट-टूट कर समुद्र में गिरना। जब यह टूटता  है, तो राइफल के चलने जैसी आवाज आती है। यह ग्लेशियर मरीन और टेरेस्ट्रीयल वाइल्ड लाइफ के लिए जाना जाता है। यह व्हेल, पक्षियों और भालू के निवास के लिए बहुत अनुकूल जगह है।
ग्लेशियर बे नेशनल पार्क प्रीजर्व विश्व का सबसे बड़ा प्रोटेक्टेड एरिया है। इसे वर्ल्ड हेरिटेज साइट की श्रेणी में रखा गया है। इसे यूनाइटेड नेशन के बायोस्फेयर रिजर्व मैं भी शामिल किया गया है। 1794 में जब कैप्टन वैनकोवर यहां से गुजरे थे तो यहां सिर्फ बर्फ था कोई खाड़ी (बे) नहीं थी। 80 प्रतिशत विजिटर्स ग्लेशियर को देखने के लिए क्रूज शिप की सवारी करके यहां आते हैं।

गेंहू के पौधे से कैसे पाएँ मोटापा से छुटकारा

मोटापा दूर करते हैं गेंहू के पौधे - घरेलू नुस्खे
मोटापा दूर करने के लिए लोग क्या - क्या नहीं करते हैं। कुछ लोग व्यायाम करते हैं, तो कुछ लोग इसके लिए डायटिंग के हार्ड रूल अपनाते हैं।  लेकिन प्रकृति में मौजूद अनेक खाद्य पदार्थों से भी वजन को कम  किया जा सकता है। गेंहू के छोटे पौधे इस मामले में बहुत लाभकारी है। गेंहू के छोटे पौधों के पत्ते स्वास्थ्य के लिए कई प्रकार से फायदेमंद होते हैं। इसमें क्लोरोफिल एमिनो एसिड, खनिज लवण, विटामिन और विभिन्न प्रकार के एंजाइम होते हैं और डायट के लिए महत्वपूर्ण पोषक  तत्व होते हैं। यह मोटापा को घटाने का असरदार और सुरक्षित तरीका भी है।
यह आपकी खुराक को कम करता है और मेटाबॉलिज्म को बढ़ता है। इससे वजन घटता है। इसमें मौजूद क्लोरोफिल खून में मौजूद विषैले तत्वों को दूर करता है अर्थात खून को साफ करने का कार्य करता है। इससे एनर्जी में वृद्धि होती है,  जिससे काम अधिक करने की छमता भी बढ़ती है और कैलोरी बर्न होती है। इस पौधे में शुगर, कोलेस्ट्रॉल और फैटबहुत कम होते हैं। यह थायरॉयड ग्लैंड को भी स्टिम्युलेट  करने का कार्य करता है। अच्छी बात यह है कि इसे घर में भी आसानी से उगाया जा सकता है। इसका जूस बना कर इसे इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके जूस को सुबह खाली पेट पीने से काफी तेजी से फायदा होता है। 
कैसे तैयार करें गेंहू के पौधे:

दस-बारह मिटटी के गमलों में अच्छी मिटटी भरकर , उसमे प्रतिदिन बरी-बरी से उत्तम गेहूँ दाने बो दीजिए और छाया में अथवा कमरे या बरामदे में रखकर, यदा-कदा थोड़ा-थोड़ा पानी डालते जाइए।  धुप न लगे तो अच्छा है ।  जिस मिटटी में गेहूँ बोया जाए उसमे रासायनिक खाद नहीं होना चाहिए। गमलों में गोबर की खाद डालनी चाहिए।  तीन-चार दिन बाद पौधा उग जायेंगे और दस-बारह दिन में सात-आठ इंच के हो जायेंगे।  तब उसमे से पहले दिन बोए हुए 30-40 पौधों को जड़ सहित उखाड़कर जड़ को काटकर फेंक दें और बचे हुए डंठल तथा पत्तियों को जिसे गेहूँ का जवारा  (wheat grass) भी कहते है।  धोकर साफ सिल पर थोड़ा पानी के साथ पीस लें, आधे गिलास के करीब रस छानकर तैयार कर लीजिए और रोगी को तत्काल व ताजा रस रोज सवेरे पिला दीजिए ।  इसी प्रकार शाम को भी ताजा तैयार कर पिलाइये । 
Lose your weight by wheat grass juice, Motapa dur karne ke upay 

ग्रीन टी क्या है, इसे बनाने की विधि, और इसके फायदे

ग्रीन टी के फायदे एवं नुकसान (Advantages and disadvantages of Green Tea in hindi)

ग्रीन टी (Green Tea) के सेवन से आपके शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र मजबूत होता है, पाचन शक्ति मजबूत होती है, स्मरण शक्ति में वृद्धि होती है, आपकी त्वचा सुंदर एवं कोमल हो जाती है इसके साथ-साथ आपका वजन भी कम करता है। इसके अलावा इसका सेवन दिल के रोग तथा अनियमित रक्तचाप, किडनी के रोग, दांतों का सड़न आदि में भी फायदा पहुंचता है। परंतु यदि इसका सेवन अधिक मात्र में करने पर यह आपको हानि भी पहुंचा सकता है। वैसे तो ग्रीन टी में कम मात्र में कैफीन होता है परंतु इसके अत्यधिक सेवन से अनिन्द्र, चिड़चिड़ापन तथा शरीर में आइरन की कमी जैसी बीमारी हो सकती है। अतः दिन में केवल 2-3 कप ही ग्रीन टी पीना (Drink Green Tea) चाहिए।

ग्रीन टी बनाने की विधि: (Method to make green tea in hindi)
उबलते पानी में ग्रीन टी कभी ना डालें। इससे एसिडिटी की समस्या हो सकती है। पहले पानी उबाल लें, फिर आंच से उतारकर उसमें ग्रीन टी की पत्तियां या टी बैग डालकर ढंक दें। दो मिनट बाद इसे छान लें या टी बैग (Tea bag) अलग करें।
ग्रीन टी के ये फायदे है (Green Tea ke fayde):-

1-वज़न कम करे (Weight loss)
एक्सरसाइज़ और वर्कआउट से भी अगर आपका वज़न कम नहीं हो रहा, तो आप दिन में ग्रीन टी पीना शुरू करें। ग्रीन टी एंटी-ऑक्सीडेंट्स होने की वजह से बॉडी के फैट को खत्म करती है। एक स्टडी के अनुसार, ग्रीन टी बॉडी के वज़न को स्थिर रखती है। ग्रीन टी से फैट ही नहीं, बल्कि मेटाबॉलिज्म भी स्ट्रॉन्ग रहता है और डाइजेस्टिव सिस्टम की परेशानियां भी खत्म होती हैं।

2- स्ट्रेस को कम करना (Reduce stress)
स्ट्रेस में चाय दवाई का काम करती है। चाय पीने से आपको आराम मिलता है। इसके अलावा, चाय की सूखी पत्तियों को तकिए के साइड में रखकर सोने से भी सिर दर्द कम होता है। सूखी चाय की पत्ती की महक माइंड को रिलैक्स करती है।

3-सनबर्न से बचने के लिए (Protect from sun burn)
चेहरे पर सनस्क्रीन लगाने पर भी सनबर्न की दिक्कत अगर खत्म नहीं होती तो आप नहाने के पानी में चाय की पत्ती (Tea leaf) डाल लें और तब नहाएं। इससे आपको सनबर्न से होने वाली जलन, खुजली आदि से राहत मिलेगी।

4-आंखों की सूजन को कम करने के लिए
चाय पत्ती (Tea leaf) आंखों की सूजन और थकान उतारने के लिए परफेक्ट उपाय है। इसके लिए आपको मशक्कत करने की ज़रूरत नहीं, बस दो टी बैग्स लीजिए और हल्के गर्म पानी में गीला करके 15 मिनट के लिए आंखों पर रखिए। इससे आपकी आंखों में होने वाली जलन और सूजन कम हो जाती है। चाय में प्राकृतिक एस्ट्रिजेंट होता है, जो आपकी आंखों की सूजन को कम करता है। टी बैग लगाने से डार्क सर्कल भी खत्म होते हैं।

5-मुहासे की समस्या को कम करना
चाय एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-फंगल, एंटी-ऑक्सीडेंट होने के कारण सूजन को कम करती है। चेहरे के मुहांसों को दूर करने के लिए ग्रीन टी बहुत फायदेमंद होता है। चेहरे से मुहांसे खत्म करने के लिए रात में सोने से पहले ग्रीन टी की पत्तियां चेहरे पर लगाएं। खुद को फिट रखने के लिए सुबह ग्रीन टी पिएं। इससे चेहरे पर प्राकृतिक चमक और सुंदरता बनी रहती है।

6- त्वचा की सुरक्षा (skin protection)
ग्रीन टी त्वचा  के लिए बेहद ही फायदेमंद होती है। इससे आपकी स्किन टाइट रहती है। इसमें बुढ़ापा रोकने  के तत्व  भी होते हैं। ग्रीन टी में एंटी-ऑक्सीडेंट्स और एंटी-इन्फ्लामेंटरी एलिमेंट्स एक साथ होने की वजह से यह स्किन को प्रोटेक्ट करती है। ग्रीन टी से स्क्रब बनाने के लिए शकर , थोड़ा पानी और ग्रीन टी को अच्छे से मिलाएं। यह मिश्रण आपकी त्वचा  को पोषण करने के साथ-साथ मुलायम  बनाएगा और स्किन के हाइड्रेशन लेवल को भी बनाए रखेगा।
7-बालों के लिए फायदेमंद (Hair conditioner)
चाय बालों के लिए भी एक अच्छे कंडिशनर का काम करती है। यह बालों को नेचुरल तरीके से नरिश करती है। चाय पत्ती को उबाल कर ठंडा होने पर बालों में लगाएं। इसके अलावा, आप रोज़मेरी और सेज हरा (मेडिकल हर्बल) के साथ ब्लैक टी को उबालकर रात भर रखें और अगले दिन बालों में लगाएं। चाय बालों के लिए कुदरती कंडिशनर है।

8-पैरों की दुर्गंध दूर करने के लिए
ग्रीन टी की महक स्ट्रॉन्ग और पावरफुल होती है। इसकी महक को आप पैरों की दुर्गंध दूर करने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। यूज़ की हुई चाय पत्ती को पानी में डाल दें और उसमें पैरों को 20 मिनट के लिए डालकर रखें। इससे चाय आपके पैरों के पसीने को सोख लेती है और दुर्गंध को खत्म करती है।

9- नव विवाहितों के लिए (for newly married)
ग्लोइंग स्किन, हेल्दी लाइफ के अलावा ग्रीन टी आपकी मैरिड लाइफ में भी महक बिखेरती है। ग्रीन टी में कैफीन, जिनसेंग (साउथ एशियन और अमेरिकी पौधा) और थियेनाइन (केमिकिल) होता है, जो आपके सेक्शुअल हार्मोन्स को बढ़ाता है। खासकर महिलाओं के लिए ये काफी सही है। इसलिए अगर आपको भी मैरिड लाइफ हैप्पी चाहिए तो रोज़ ग्रीन टी पिएं।

ग्रीन टी का सेवन कब ना करें 

1 ग्रीन टी में मौजूद कैफीन व टॉनिक एसिड गर्भवती महिला और गर्भस्थ शिशु के लिए अच्छा नहीं होता। गर्भवस्था के दौरान इसका सेवन न करें।

2 बासी ग्रीन टी- लंबे समय तक ग्रीन टी रखे रहने से उसमें मौजूद विटामिन और उसके एटी-ऑक्सीडेंट गुण कम होने लगते हैं। इतना ही नहीं, एक सीमा के बाद इसमें बैक्टीरिया भी पलने लगते हैं। इसलिए एक घंटे से पहले बनी ग्रीन टी क़तई न पिएं।

3 खाली पेट नहीं-सुबह ख़ाली पेट ग्रीन टी पीने से एसिडिटी की शिकायत हो सकती है। इसके बजाय सुबह खाली पेट एक गिलास गुनगुना सौंफ का पानी पीने की आदत डालें। इससे पाचन सुधरेगा और शरीर के अपशिष्ट पदार्थ बाहर निकालने में मदद मिलेगी।

4 भोजन के तुरंत बाद- जल्दी वज़न घटाने के इच्छुक भोजन के तुरंत बाद ग्रीन टी पीते है, जबकि इससे पाचन और पोषक तत्वों के अवशोषण की प्रक्रिया प्रभावित होती है।

5 कैफीन के सेवन के बाद दिमाग़ सक्रिय होता है और नींद भाग जाती है। इसलिए देर रात या सोने से ठीक पहले ग्रीन टी का सेवन न करें। 

6 दवाई के बाद नहीं- किसी भी तरह की दवा खाने के तुरंत बाद ग्रीन टी न पिएं।

जटामांसी है बहुत गुणकारी, जाने इसके घरेलू नुस्खे

जटामांसी (Jatamansi) जिसे 'बालछड़' भी कहा जाता है यह कश्मीर, भूटान, सिक्किम और कुमाऊं जैसे पहाड़ी क्षेत्रों में अपने आप उगती है। जटामांसी ठण्डी जलवायु में उत्पन्न होती है। इसलिए यह हर जगह आसानी से नहीं मिलती। इसे जटामांसी इसलिए कहा जाता है, क्योंकि इसकी जड़ में बाल जैसे तन्तु लगे होते हैं।

1 मस्तिष्क और नाड़ियों के रोगों के लिए ये राम बाण औषधि है। ये धीमे लेकिन प्रभावशाली ढंग से काम करती है। पागलपन , हिस्टीरिया, मिर्गी, नाडी का धीमी गति से चलना,,मन बेचैन होना, याददाश्त कम होना इन सारे रोगों की यही अचूक दवा है।

2 जटामांसी की जड़ को गुलाबजल में पीसकर चेहरे पर लेप की तरह लगायें। इससे कुछ दिनों में ही चेहरा खिल उठेगा।

3 इसके सेवन से बाल काले और लम्बे होते है। इसके काढ़े को रोजाना पीने से आंखों की रोशनी बढ़ती है।
4 जटामांसी चबाने से मुंह की दुर्गन्ध नष्ट होती है। दांतों में दर्द हो तो जटामांसी के महीन पावडर से मंजन कीजिए।

5 मेंनोपॉज के समय ये सच्ची साथी की तरह काम करती है. इसका शरबत दिल को मजबूत बनाता है, और शरीर में कहीं भी जमे हुए कफ को बाहर निकालता है।

6 ये त्रिदोष को भी शांत करती है और सन्निपात के लक्षण ख़त्म करती है. चर्म रोग , सोरायसिस में भी इसका लेप फायदा पहुंचाता है।

7 मासिक धर्म के समय होने वाले कष्ट को जटामांसी का काढा ख़त्म करता है। हाथ-पैर कांपने पर या किसी दूसरे अंग के अपने आप हिलने पर जटामांसी का काढ़ा 2 चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम रोज सेवन करें। 

8 इसको खाने या पीने से मूत्रनली के रोग, पाचननली के रोग, श्वासनली के रोग, गले के रोग, आँख के रोग,दिमाग के रोग, हैजा, शरीर में मौजूद विष नष्ट होते हैं. 

9 जटामांसी का काढ़ा बनाकर 280 से 560 मिलीग्राम सुबह-शाम लेने से टेटनेस का रोग ठीक हो जाता है। 

10 जटामांसी और हल्दी बराबर की मात्रा में पीसकर मस्सों पर लगायें। इससे बवासीर नष्ट हो जाती है।

11 इसे पानी में पीस कर लेप लगाने से सिर तथा हृदय का दर्द खत्म हो जाता है।

12 जटामांसी के बारीक चूर्ण से मालिश करने से ज्यादा पसीना आना कम हो जाता है। जटामांसी और तिल को पानी में पीसकर इसमें नमक मिलाकर सिर पर लेप करने से आधासीसी का दर्द दूर हो जाता है। 

13 अगर पेट फूला हो तो जटामांसी को सिरके में पीस कर नमक मिलाकर लेप करो तो पेट की सूजन कम होकर पेट सपाट हो जाता है।

सावधानी : जटामांसी का ज्यादा उपयोग करने से गुर्दों को हानि पहुंच सकती है और पेट में कभी भी दर्द शुरू हो सकता है।

किडनी रोग, ब्रेस्ट कैंसर, श्वास रोग, दर्द एवं सूजन में लाभकारी है अजमोद

अजमोद के गुण प्राय अजवाइन की तरह होते हैं। परन्तु अजमोद का दाना अजवाइन से बड़ा होता है। अजमोद पोटैशियम, विटामिन ए, बी और सी,  फॉस्फोरस, मैंगनीज, कैल्शियम, आयरन, सोडियम, मैग्‍नीशियमऔर फाइबर से भरपूर होता है जिसके कई फायदे हैं। इसमें एपिजेनिन और लूटेओलिन जैसे तत्‍व भी पाये जाते हैं। गर्म तासीर का अजमोद श्वास, सूखी खांसी और आंतरिक शीत के लिए लाभकारी होता है। 


दर्द और सूजन दूर करें (Dard aur sujan)
अजमोद से बदन दर्द कुछ ही देर में छूमंतर हो जाता है। दर्द होने पर अजमोद को सरसों के तेल में उबालकर मालिश करनी चाहिए। या फिर अजमोद की जड़ का 3-5 ग्राम चूर्ण दिन में दो-तीन बार सेवन करना किसी भी तरह के दर्द और सूजन में लाभकारी होता है।

श्वास रोगों में लाभकारी (shvas rog ka ilaj)
मांसपेश‍ियों की शिथिलता के कारण उत्पन्न श्वसन नली की सूजन और श्वास रोगों में अजमोद लाभकारी होता हैं। श्वास रोगों को दूर करने के लिए इसकी 3-6 ग्राम की मात्रा में दिन में तीन बार प्रयोग करें।

अगर आपको भोजन के बाद हिचकियां आती है तो अजमोद के 10-15 दाने मुंह में रखने से हिचकी बंद हो जाती है। या आप अजमोद को मुंह में रखकर उसका रस चूस लें इससे भी हिचकी से आराम मिलता है।

कमजोरी दूर करे (Kamjori dur karen)
अगर आप कमजोरी महसूस करते हैं तो आपके लिए अजमोद का सेवन फायदेमंद हो सकता हैं। कमजोरी को दूर करने के लिए कॉफी में अजमोद की जड़ के बारीक चूर्ण को डालकर सेवन करने से लाभ मिलता है। लेकिन इसका सेवन करते समय इस बात का ध्यान रखें कि इसका प्रयोग मिर्गी के रोगी और गर्भवती महिलाओं के लिए हानिकारक होता है।

उल्टी में लाभकारी (Ulti me labhkari)
उल्टियां होने पर अजमोद का सेवन काफी लाभकारी होता है। अजमोद के चूर्ण का सेवन उल्टी रोकने में काफी मदद करता है। अजमोद में लौंग और शहद मिलाकर चाटने से भी उल्टी आना बंद हो जाता है।

किडनी रोग में लाभकारी (Kidney rog ka ilaj)
अजमोद किडनी की सफाई के लिए जाना जाता है। किडनी में मौजूद व्यर्थ पदार्थों को बाहर निकाल कर यह आपको स्वस्थ रखता है। अजमोद पेट की समस्याओं को दूर रखने में मदद करता है। यह देर तक भूख का एहसास नहीं होने देता है जिससे यह वजन को काबू में रखने में मदद करता है। 

ब्रेस्‍ट कैंसर में उपयोगी (Breast cancer me upyogi)
अजमोद में एपिजेनिन नामक तत्‍व पाया जाता है। यह तत्‍व ब्रेस्‍ट कैंसर के खतरे का कम करता है। अजमोद के सेवन से ब्रेस्‍ट कैंसर के ट्यूमर की संख्या को कम करने और उनके विकास को धीमा करने में मदद मिलती है।

आँखों के आगे अंधेरा छा जाना (चक्कर आना) - घरेलू नुस्खे

आँखों के आगे अंधेरा छा जाना (चक्कर आना) - Gharelu Nuskhe

कभी-कभी जब काफी देर बैठ कर अचानक उठने से आँखों के आगे अंधेरा छा जाता है या चीजें घूमती हुई नजर आती है। इसे ही चक्कर आना कहते हैं। या समस्या मस्तिष्क में रक्त की आपूर्ति कम होने के कारण होती है। इसे दूर करने के घरेलू उपाय । 
तुलसी: तुलसी के रस में चीनी या शहद मिला कर सेवन करने से चक्कर आना बंद हो जाता है।

जूस: दोपहर के भोजन के 2 घंटे पह्ले और शाम के नाश्ते में फलों का सादा जूस पिये। जूस की जगह ताजे फल भी खा सकते है।

धनिया: धनिया पाउडर और आंवले का पाउडर दस-दस ग्राम लेकर एक गिलास पानी में भिंगो कर रख दें। सुबह अच्छी तरह मिला कर पि लें।

लौंग: आधा गिलास पानी में दो लौंग डाल कर उसे उबाल लें और फिर उस पानी को पि लें।

नारियल का पानी: इसे रोज पीने से लाभ होता है।

मुनक्का: 20 ग्राम मुनक्का घी में भून कर सेंधा नमक से खाने से चक्कर आना बंद हो जाता है।

चमगादड़ पेड़ों में उल्टा क्यों लटकता है

उल्टा क्यों लटकता है चमगादड़ (Bat)
उल्टा क्यों लटकता है चमगादड़ (Bat)
तुमने बाग में से गुजरते हुए वृक्षों पर या घर में कहीं भी चमगादड़ों को लटकते हुए देखा होगा। यह हमेशा उल्टा ही क्यों लटकता है। इसके बारे में जानना बहुत रोचक है। यह कहीं भी लटकता है तो हमेशा उल्टा ही लटकता है। चाहे वह छत हो या फिर पेड़ की टहनी। ऐसे लटके चमगादड़ को देखकर लोग डर भी जाते हैं। चमगादड़ के उल्टा लटकने का मुख्य कारण यह है कि इसके पैरों की हड्डियां बहुत कमजोर होती है। इसकी कमजोर हड्डियां इसके शरीर का भार उठाने या संभाल पाने में सक्षम नहीं होती है। जब चमगादड़ जमीन पर होता है तब अपने शरीर का सारा भार जमीन पर ही डाल देता है। ऐसा करने से पैरों पर शरीर का भार बहुत कम पड़ता है। तभी नीचे बैठा हुआ चमगादड़ जमीन पर पसरा हुआ दिखाई देता है। जब चमगादड़ वृक्ष की किसी शाखा पर उल्टा लटकता है तब उसके शरीर का भार पैरों पर ना पड़कर शरीर की तनी हुई मांसपेशियों और स्नायुओं में पड़ता है। अपने पैरों को बचाने के लिए ही चमगादड़ वृक्ष पर उल्टा लटकता है। दूसरा कारण यह है कि उल्टा लटके होने पर यह आसानी से उड़ान भरने में सफल होता है। इसके अलावा उल्टा लटकने से उन्हें शिकारी पक्षियों से भी सुरक्षा मिलती है।