आँखों का जाला aankho ka jaala

   aankho ka jaala

क्या होता है आँखों का जाला
आँखों का जाला और फूला आम रोग हैं. रोगी को आँखों में जाला होने पर आँखों के सामने छोटे-छोटे बारीक कण उड़ते हुए दिखाई देते हैं. एक पारदर्शी सा जाला हमेशा उसकी आँखों के सामने रहता है. नज़रें इधर-उधर करने पर ये जाला महसूस होता है.
क्या होता है आँखों का फूला
आँखों में सफ़ेद भाग का कहीं से फूल जाना, आँखों का फूला कहलाता है.
आँखों का जाला और फूला का इलाज
1- कच्चा आलू पत्थर पर घिसकर सुबह-शाम काजल की तरह प्रयोग करें. ऐसा करने से लगभग 3-4 महीने में जाला या फूला साफ हो जाता है.
2- समुद्र झाग को पानी या बिनौले के तेल में पीसकर आँखों में लगाने से आँखों का फूला दूर होता है.
3- बैंगन की जड़ को उत्तम गुलाबजल में बारीक पीस लें. उसकी बेर बराबर गोली बनाकर छाया में सुखा लें. गोली को गुलाब अर्क या पानी में घिसकर आँखों में लगाएं. आँखों का फूला दूर होगा.

4- नींबू का रस एक शीशी में भर लें. उसमे एक गाँठ हल्दी की डाल दें. 40 दिन बाद हल्दी निकालकर पत्थर पर बारीक पीस लें. कपड़छन कर एक शीशी में भर लें. रोज सलाई से आँखों में लगाएं. जाला और फूला ठीक हो जाएगा.

पोथकी (रोहे)



पोथकी

  पोथकी आंखों का बहुत ही भयंकर रोग है। पोथकी को जनसाधारण में `रोहे´ कहा जाता है। पोथकी रोग किसी रोगी से सिर्फ हाथ मिलाने से दूसरे व्यक्ति को हो जाता है। संसार में सबसे ज्यादा लोग इस रोग के कारण अंधे हो जाते हैं।परिचय :

कारण :

          पोथकी रोग की उत्त्पत्ति जीवाणुओं के फैलने से होती है। किसी रोगी व्यक्ति से इस रोग के जीवाणु दूसरे स्वस्थ व्यक्ति तक पहुंचते हैं। पोथकी रोगी तेज जलन और दर्द के कारण बार-बार आंखों को छूता है या किसी रूमाल से पोंछता है तो रूमाल से पोथकी के जीवाणु उसके हाथों में लग जाते हैं। पोथकी रोग राजस्थान में बहुत अधिक होता है। इसके ज्यादा होने का कारण है राजस्थान की रेत। जब रेत के कण आंखों में पहुंच जाते हैं तो बैचैन होकर पलकों को हाथों से रगड़ देते हैं। पलकों के रगड़ने से रेत के कणों के कारण जख्म बन जाते हैं। इन जख्मों में सूजन आती है और फिर पोथकी के छोटे-छोटे दाने उभर आते हैं।

लक्षण :

          पोथकी के दानों में बहुत जलन और दर्द होता है। चिकित्सा में देर होने से दाने बड़े होकर आंखों में जख्म बनाकर आंखों की रोशनी को समाप्त कर देते हैं। ऐसे में पलकों के बाल अंदर की ओर मुड़कर जख्म को बड़ा देते हैं। धूल-मिट्टी, धुएं के वातावरण में रहने से आंखों को ज्यादा नुकसान पहुंचता है। रोग ज्यादा बढ़ जाता है और आंखों की रोशनी चले जाने की संभावना बढ़ जाती है। पलकों की कार्टिलेज और बाल अंदर की ओर मुड़ने से कनीमिका से रगड़ लगने से जख्म होने से आंखों की रोशनी समाप्त हो जाती है। रोगी अंधा होकर रह जाता है। पोथकी की बीमारी दोनों आंखों में एक साथ होती है। घर में किसी एक को इस रोग के होने से दूसरे को उसके संपर्क से बचना चाहिए। पोथकी रोग से छोटे बच्चे जल्दी अंधे हो जाते हैं।
1. त्रिफला :
2. अनार : 100 मिलीलीटर अनार के हरे पत्तों के रस को खरल यानी पीसकर सुखाकर रख लें। इस सूखे चूर्ण को आंखों में सूरमे की तरह दिन में 2-3 बार लगाने से पोथकी की बीमारी समाप्त हो जाती है।
3. सहजना : 25 मिलीलीटर सहजने का रस और 25 ग्राम असली शहद को किसी कांच की शीशी में मिलाकर रखें। रोजाना इस मिश्रण को सलाई से आंखों में लगाने से अनेक प्रकार के आंखों के रोग समाप्त हो जाते हैं।
4. सत्यानाशी :
5. चकबड़ : चकबड़ के बीजों को पत्थर पर घिसकर काजल की तरह से लगाने से नेत्रपोथिकी रोग में लाभ मिलता है।

पलकें और भौंहे के रोग

मोतियाबिंद motiabind

 

motiabind


मोतियाबिंद मोतियाबिंद कनीनिका में चोट लगने के कारण, आंखों में किसी तरह की चोट लगने के कारण, बुढ़ापे की हालत में, मधुमेह (शूगर यानी डायबिटीज), गठिया (जोड़ों के दर्द), वृक्क प्रदाह (गुर्दे की जलन) और धमनी रोग आदि रोगों के कारणों से आंखों में हो जाता है। यह दो तरह का होता है कोमल और कड़ा। कोमल मोतियाबिंद नीले रंग का होता है। यह बचपन से लेकर 35 वर्ष तक की आयु में होता है। कड़ा मोतियाबिंद वृद्धावस्था में होता है जिसका रंग पीला होता है। मोतियाबिंद एक या दोनों आंखों में हो सकता है। इस रोग में आंखों से देखने की शक्ति धीरे-धीरे कम हो जाती है। अंत में पूरी तरह से देखने की शक्ति चली जाती है।:  

विभिन्न भाषाओं में नाम :

हिन्दी  मोतियाबिंद।
पंजाबी  मोतियाबिंद।
बंगाली  तिमिर।
कन्नड़  परे बरुबुडु।
तेलगु  शुक्लालु पेरुगुटा।
मलयालम  तिमरम्।
अंग्रेजी  कट्रक्ट।
अरबी  अंधा।
गुजराती  मोतियाबिंद।
मराठी  दृष्टि दोष।
तमिल  कन् कसम्।

लक्षण :

भोजन और परहेज :

          पिसा हुआ आंवला या मुरब्बा, पपीता, पका हुआ आम, दूध, घी, मक्खन, शहद, कालीमिर्च, घी-बूरा, सौंफ-मिश्री, गुड़ और सूखा धनिया, चौलाई पालक या कढ़ी पत्ती से बनी दाल, बथुआ, सहजना, पोदीना, धनिया, पत्तागोभी, मेथी पत्ती, कढ़ी पत्ती (मीठे नीम की पत्तियां) आदि कैरोटीन प्रधान पत्तियों वाली वनस्पतियां, अंकुरित मूंग, गाजर, बादाम, शहद आदि का सेवन मोतियाबिंद को दूर करने मे बहुत सहायक है।   
1. कपूर : जिस औरत के लड़का हो उसके दूध में भीमसेनी कपूर को घिसकर आंखों में लगाने से या नौसादर को सुरमे की तरह आंखों में डालने से मोतियाबिंद में आराम हो जाता है। ध्यान रहे कि इसका प्रयोग गुलाबजल में मिलाकर भी किया जा सकता है।
2. अडूसा : अडूसे के पत्तों को साफ पानी से धोकर पत्तों का रस निकाल लें। इस रस को अच्छे पत्थर की खल में डालकर (ताकि पत्थर घिसकर दवा में न मिले।) मूसल से कूटकर निकालना चाहिए। जब इसका रस सूख जाए तो इसे आंखों में काजल की तरह लगाने से सभी तरह के मोतियाबिंद में आराम आता है।
3. पुनर्नवा (पुनर्नवा, विषखपड़ा और गदपुरैना) : विषखपड़ा (गदपुरैना, पुनर्नवा) जो सफेद फूलवाली हो, उसकी जड़ भंगरैया के पत्ते के रस के साथ पीसकर रोजाना 2 से 3 बार आंखों में लगाने से काफी आराम आता है। इसका प्रयोग कुछ दिनों तक लगातार करने से मोतियाबिंद समाप्त हो जाता है। आंखों की रोशनी में चमक आ जाती है। इसे दृष्टि दाता बूटी कहते हैं। गदपुरैना के रस को शहद में मिलाकर लगाने से आंखों के कई रोगों में लाभ होता है।
4. शहद :
स्वस्थ आंखों में असली शहद की एक सलाई 7 दिनों में 1 से 2 बार डालने से आंखों की रोशनी कभी कम नहीं होगी, बल्कि उम्र बढ़ने के साथ-साथ तेज होती चली जायेगी। साथ ही खाने के लिए 4 बादाम रात को पानी में भिगोकर रख लें और सुबह उठते ही 4 कालीमिर्च के साथ पीसकर मिश्री के साथ चाटे या वैसे ही चबा जाएं और ऊपर से दूध पियें। इससे आंखों का मोतियाबिंद नष्ट हो जाता है।
5. स्वमूत्र : नए मोतियाबिंद में ताजे स्वमूत्र (खुद के पेशाब की) दो से तीन बूंदें आंखों में रोजाना दो से तीन बार डालने से शुरुआती मोतियाबिंद ठीक हो जाता है या बढ़ने से रुक जाता है। स्वमूत्र (खुद के पेशाब को) चौड़े मुंह के कांच की साफ शीशी में ढककर रख दें और 15 मिनट बाद या पूरी तरह से ठंडा होने पर ही इससे आंखों को धोएं या दो-तीन बूंदें आंखों में डालें। यह प्रयोग दो से तीन महीने तक करने से मोतियाबिंद में लाभ मिलता है।
6. सेंधानमक : लगभग 1 ग्राम सेंधानमक और 5 ग्राम सत गिलोय को पीसकर शहद में मिलाकर आंखों में सुबह-शाम लगाने से मोतियाबिंद में आराम होता है।
7. प्याज :
8. नौसादर: भुने हुए नौसादर को बारीक पीसकर सोते समय सलाई द्वारा आंखों में लगाने से मोतियाबिंद में आराम होगा।
9. गाजर : लगभग 310 मिलीलीटर गाजर के रस में 125 मिलीलीटर पालक का रस मिलाकर पीने से मोतियाबिंद दूर हो जाता है।
10. त्रिफला (बहेड़ा, हरड़ और आंवला) :
11. नींबू :
12. दशमूल : लगभग 15 से 30 ग्राम निशोथ के बारीक पाउडर से बने काढ़े को गर्म घी और 15 से 30 मिलीलीटर दशमूल के काढ़े के साथ दिन में 3 बार लेने से मोतियाबिंद की बीमारी से रोगी को छुटकारा मिलता है।
13. पीपल : पीपल, उशीर मूल, पारसपीपल और उदुम्बर का काढ़ा, हरिद्रा प्रकन्द चूर्ण और उशीरमूल चूर्ण को गर्म घी में मिलाकर 15 से 25 ग्राम की मात्रा में मिलाकर सुबह-शाम लेना चाहिए। इससे मोतियाबिंद के मरीज को आराम मिलता है।
14. रसांजऩ : रसांजन, कसीस और गुड़ को मिलाकर मोतियाबिंद की बीमारी में अंजन (काजल) के रूप में आंखों में लगाने से आराम मिलता है।
15. पिप्पली : पिप्पलीफल और सेंधानमक को बराबर मात्रा में लेकर पीसकर उसका पाउडर तैयार कर लें। इसे शहद के साथ अंजन (काजल) के समान आंखों में लगाना चाहिए।
16. आमलकी : 1 लीटर आमलकी फलों का रस लें। इसे गर्म कर लें और 50 ग्राम घृत (घी) और 50 ग्राम मधु (शहद) मिला लें। इसका आंखों में काजल के समान प्रयोग करना चाहिए। इससे मोतियाबिंद ठीक हो जाता है।
16. धनिया :
17. आक : आक के दूध में पुरानी ईंट का महीन चूर्ण (10 ग्राम) तरकर सुखा लें। फिर उसमें लौंग (6 नग) मिलायें। इसे लोहे के खरल में भली प्रकार से महीन करके बारीक कपडे़ से छान लें। इस चूर्ण को चावल भर नासिका द्वारा प्रतिदिन सुबह नस्य लेने से मोतियाबिंद में शीघ्र लाभ होता है। इससे सर्दी-जुकाम में भी लाभ होता है।
18. नीम : नीम के बीज का चूर्ण नियमित रूप से थोड़ी सी मात्रा में लगाने से मोतियाबिंद के रोग में लाभ होता है।
19. बायबिडंग : बेल के पत्तों पर घी लगाकर तथा सेंककर आंखों पर बांधने से, पत्तों का रस आंखों में टपकाने से, साथ ही पत्तों को पीसकर मिश्रण बनाकर लेप करने से आंखों के कई रोग मिट जाते हैं

दिन में दिखाई न देना (दिवान्धता) din me dikhai na dena



दिन में दिखाई न देना (दिवान्धता) din me dikhai na dena



            
दिन के समय दिखाई न देना दिवान्धता कहलाता है। विटामिन `ए´ की कमी से या ज्यादा संभोग करने से यह रोग होता है।परिचय :
   

विभिन्न भाषाओं में नाम :

 हिन्दी  दिनोधि।
 असमी  दिबी अंधा।
 गुजराती  दिवस में अंधदा प्पसे।
 मराठी  दिवन्धले।
 उड़िया  दिनकाना।
 तेलगू  ग्रुडि्ड।
अंग्रेजी  डिब्लाइंडनैस।
मद्रासी  पकल।
बंगाली  दिवान्ध्य।

लक्षण :

1. छोटी इलायची : आंखों के रोगों में छोटी इलायची के बारीक चूर्ण को बकरी के पेशाब में मिलाकर आंखों में काजल की तरह लगाने से आराम आता है।
2. ममीरा : ममीरा को रोजाना आंखों में लगाते रहने से दिन में दिखाई न देने की बीमारी में लाभ होता है।
3. मुंडी :
4. सौंफ : लगभग 45 ग्राम सौंफ और मिश्री को बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बनाकर रख लें। इस चूर्ण को 8 ग्राम रोजाना रात में सोने से पहले खाने से आंखों की रोशनी तेज हो जाती है।
5. पुनर्नवा की जड़ : सफेद पुनर्नवा की जड़ को तेल में घिसकर आंखों में लगाने से लाभ होता है।
6. घी : गाय का पुराना घृत (घी) 1 से 2 बूंद रोजाना आंखों में डालने से आराम आता है।
7. घीग्वार : घीग्वार का रस 1 या 2 बूंद कर आंखों में डालने से आंखों के सारे रोग समाप्त हो जाते हैं।
8. त्रिफला (हरड़, बहेड़ा और आंवला) :
9. कपूर : कपूर को शहद में मिलाकर आंखों में रोजाना 2-3 बार काजल की तरह लगाने से पूरा आराम मिलता है।
10. शहद : लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग धात्री लौह को भोजन के बाद रोजाना 2 बार घी या शहद में मिलाकर सेवन करने से आंखों की रोशनी बढ़ जाती है।
11. ब्राह्मी तेल : ब्राह्मी तेल से रोजाना 2 से 3 बार सिर पर मालिश करने से दिवान्धता यानी दिन में न दिखाई देने की बीमारी में रोगी को लाभ होता है।
12. आमलकी : रसांजन और गैरिक को आमलकी फल के रस में वर्ति (बत्ती) बनाकर आंखों में लगाने से आराम मिलता है।
13. गंभारी के फूल : बराबर मात्रा में लिए गये गंभारी के फूल, यष्टिमधु मूल, दारूहरिद्रा, लोध्र और रसजन के शहद में पीसकर बनाए गए अंजन (काजल) को आंखों में लगाना चाहिए।

अंजनहारी anjanhari



अंजनहारी (गुहेरी) anjanhari



    अगर किसी एक पलक पर अंजनहारी निकलती है तो उसके पककर फूट जाने के बाद जल्दी ही दूसरी पलक में अंजनहारी निकल आती है। एक के बाद एक अंजनहारी का यह सिलसिला बहुत समय तक चलता रहता है। चिकित्सक के अनुसार विटामिन `ए´ और `डी` की कमी से अंजनहारी निकलती है। ध्यान रहे कि किसी औरत या आदमी के ज्यादा समय तक कब्ज से पीड़ित रहने से भी अंजनहारी की उत्त्पति होती है। अजीर्ण (अपच) रोग से पीड़ित व्यक्ति भी अंजनहारी के शिकार बनते हैं।परिचय
:  

लक्षण :

          आंखों की दोनों पलकों के किनारे पर बालों (बरौनियों) की जड़ों में जो छोटी-छोटी फुंसिया निकलती हैं उसे ही अंजनहारी, गुहौरी, नरसराय कहा जाता है। कभी-कभी तो यह मवाद के रूप में बहकर निकल जाता है पर कभी-कभी बहुत ज्यादा दर्द देते हैं और एक के बाद एक निकलते रहते हैं।

कारण :                 

          आंखों को सुबह-सुबह उठकर साफ पानी से साफ नहीं करने पर अंजनहारी निकलती है। दिन में घूमने-फिरने से, बस या स्कूटर पर यात्रा करने पर धूल-मिट्टी और गाड़ियों का धुंआ जब आंखों में जाता है तो यह आंखों के अन्दर रह जाता है। ज्यादातर औरतें और आदमियों को एक बुरी आदत होती है कि वह घर में या आफिस में काम करते हुए बार-बार अपनी आंखों पर हाथ लगाते हैं। औरते भी रसोई में काम करते हुए अपनी साड़ी के पल्लू से कभी किसी चीज को पोंछकर साफ करती है तो उसी से आंखों को पोंछने लगती हैं। इस तरह धूल-मिट्टी के साथ जीवाणु भी उनके आंखों में लग जाते हैं। जीवाणुओं के फैलने से अंजनहारी की उत्त्पति भी होती है।
विभिन्न औषधियों से उपचार :
1. लौंग : लौंग को घिसकर पानी के साथ मिलाकर गुहेरी पर लगाने से बस शुरुआत में थोड़ी जलन महसूस होती है तथा बाद में गुहेरी समाप्त हो जाती है।
2. आम : आम के पत्तों को डाली से तोड़ने पर जो रस निकलता है उस रस को गुहेरी पर लेप करने से गुहेरी जल्दी समाप्त हो जाती है।
3. इमली : इमली के बीजों के ऊपर का लाल छिलका हटाकर पानी के साथ घिसकर, गुहेरी पर लगाने से बहुत लाभ होता है।
4. बेर : बेर के ताजे पत्तों को तोड़कर उसके डंठल का रस गुहेरी पर लगाने से लाभ होता है।
5. रसांजन : 5 ग्राम रसांजन को बहुत बारीक पीसकर उसमें शहद और 10 ग्राम गुलाबजल मिलाकर शीशी में रखें। इस मिश्रण को रोजाना 3 से 4 बार बूंद-बूंद करके आंखों में डालने से गुहेरी समाप्त हो जाती है।
6. छुहारा: छुहारे के बीज को पीसकर पानी के साथ गुहेरी पर दिन में 2 से 3 बार लेप करने से बहुत लाभ होता है।
7. त्रिफला (हरड़, बहेड़ा और आंवला) :
  • 5 ग्राम त्रिफला का चूर्ण और 2 ग्राम मुलहठी को सुबह-शाम पानी के साथ सेवन करने से गुहेरी समाप्त हो जाती है।
  • त्रिफला को रात के समय पानी में डालकर रख दें सुबह उठकर उस पानी को कपड़े मे छानकर आंखे धोने से अंजनहारी से मुक्ति मिलती है।
  • रोजाना सुबह-शाम 3-3 ग्राम त्रिफला के चूर्ण को हल्के गर्म पानी के साथ सेवन करने से अंजनहारी निकलना बंद हो जाती है।
8. कालीमिर्च :
  • 10-10 ग्राम रसौत, कालीमिर्च, पीपर और सौंठ लेकर सबको एक साथ बारीक पीसकर पानी में मिलाकर छोटी-छोटी गोलियां बना लें। इस गोली को पानी के साथ घिसकर गुहेरी पर लेप करने से जल्दी आराम आता है।
  • कालीमिर्च को पीसकर पानी के साथ अंजनहारी पर लेप करने से जल्दी लाभ होता है। कालीमिर्च के लगाने से शुरुआत में दर्द जरूर होगा।
9. नीम : नीम की खाल को पीसकर पानी के साथ दिन में दो बार लेप करने से अंजनहारी जल्दी पककर फूट जाती है।
10. अजवायन : अजवायन का रस पानी में घोलकर उस पानी से गुहेरी को धोने से गुहेरी जल्दी ठीक हो जाती है।
11. हरीतकी : हरीतकी (हर्रे) को पानी में घिसकर अंजनहारी पर लेप करने से लाभ होता है।
12. बांस : बांस की कोपलों का रस लगाने से गुहेरी ठीक हो जाती है।
13. सत्यानाशी : सत्यानाशी (पीला धतूरा) का दूध घी में मिलाकर लगाने से लाभ होता है।
14. तुलसी : आंखों की पलकों पर होने वाली फुंसी पर तुलसी के रस में लौंग घिसकर लगाना चाहिए।
15. पत्थरचूर : चाहे कितना ही भयानक रूपी अंजनहारी क्यों न हो गई हो तो पत्थरचूर का पत्ता पीसकर चूर्ण के रूप में आंख बंद करके पट्टी बांधे। इससे काफी लाभ होगा।
16. इमली :
  • इमली के बीजों की गिरी साफ पत्थर पर चंदन की तरह घिसकर गुहेरी पर लगाने से तुरंत ही ठंडक पहुंचती है और गुहेरी भी ठीक हो जाती है।
  • आंखों की पलकों पर होने वाली फुन्सी में इमली के बीजों को पानी में घिसकर चंदन की तरह लगाने से गुहेरी में शीघ्र लाभ होता है।
17. खजूर : गुहेरी (आंख की फुंसी) होने पर खजूर की गुठली को घिसकर लेप बना लें। इस लेप को आंखों की पलकों पर लगाने से लाभ होता है।

आंखों के चारों ओर काले घेरे aankho ke charo or kale ghere



आंखों के चारों ओर काले घेरे   aankho ke charo or kale ghere



        अक्सर भोजन में लौह (आयरन) और कैल्शियम की कमी के कारण आंखों के चारों और काले घेरे हो जाते हैं। इसके अतिरिक्त अधिक गुस्सा करने, चिंता करने और कामुक विचारों यानी हमेशा सेक्स संबंधी बातों को सोचने से भी आंखों के चारों और काले घेरे हो जाते हैं।कारण
:

1. टमाटर :
2. बादाम :
3. गुलाब : 1 चम्मच देशी गुलाब के फूलों का गुलकन्द शाम के समय आंखों की पलकों के लिए प्रयोग करें।
4. खीरा : खीरे के रस में रूई को भिगोकर पलकों और आंखों के आसपास कुछ देर रखकर हटा लें। 2 से 3 सप्ताह तक रोजाना ऐसा करने से आंखों के नीचे व आसपास से कालापन दूर होने लगता है।

आंखों के रोग aankho ke rog




आंखों के रोग  aankho ke rog

Eye problems


        नींद आने पर ठीक समय पर न सोना, दिवाशयन (दिन में सोने से), रातों को जागना, दूर की चीजों पर नज़रे लगायें रखना, ज्यादा धूप और गर्मी से परेशान होकर बार-बार ठंडे पानी में कूद जाना, आग के पास बैठे रहना, हर समय रोना, आंसुओं को रोकना, ज्यादा बारीक अक्षरों को पढ़ना या बहुत बारीक चीजों को देखना, हर समय दुखी रहना, आंखों में धूल या धुआं चले जाना, बहुत ज्यादा संभोग करने से, टट्टी और पेशाब को अधिक समय तक रोकना, आंख में या दिमाग में चोट लगना, ज्यादा तेज गाड़ी की सवारी करना तथा गंदगी में रहने से कई प्रकार के आंखों के रोग पैदा होते हैं।परिचय :

लक्षण :

          आंखों के रोग अनेक प्रकार हैं इसलिए उसके लक्षण भी अलग-अलग प्रकार के होते हैं, जैसे- दृष्टिमांद्य (आंखों की रोशनी कम होना), दिनौंधी (दिन में दिखाई न देना), रतौंधी (रात को दिखाई न देना), आंखों का लाल होना, सूजन आना, आंखों में कीचड़ जमना, फूली, माड़ा, नाखूना, परवाल (आंखों की बरौनी के बालों का अंदर की तरफ मुड़ना), पलकों के बाल गिरना, मोतियाबिंद, आंखों की खुजली, आंखों से पानी बहना, नासूर, गुहेरी आदि।

भोजन और परहेज :

विभिन्न औषधियों से उपचार:

1. त्रिफला : त्रिफला के काढ़े की बूंदे आंखों में डालने या धोने से हर प्रकार के आंखों का दर्द दूर होता है।
2. दूध :
  • स्त्रियों का दूध आंखों में डालने से रक्तपित्त और वातजन्य आंखों का दर्द समाप्त हो जाता है।
  • बच्चों वाली औरतों के दूध में भीमसेनी कपूर को पीसकर आंखों में लगाने से `मोतियाबिंद´ ठीक हो जाता है।
3. आंवला :
  • 40 ग्राम आंवला को जौकूट यानी पीसकर 2 घंटे तक पानी में उबालकर छान लें। इस पानी को रोजाना दिन में 3 बार आंखों में डालने से आंखों की फूली समाप्त हो जाती है।
  • आंवला के पत्तों के रस में हरड़ और रसौत को घिसकर लगाने से दुखती हुई आंखें ठीक हो जाती हैं।
  • आंवला को पानी के साथ सिल पर पीसकर टिकिया बना लें और उसे बंद आंखों पर रखकर पट्टी बांध दें। इससे आंखों के दर्द के साथ-साथ पित्त की पीड़ा भी ठीक हो जाती है।
4. नीम :
  • नीम के बीजों (निंबौली) को बारीक पीसकर कपड़े में छानकर रख लें। इस चूर्ण को सूरमे की तरह आंखों में लगाने से आंखों में पानी भर जाने की बीमारी दूर हो जाती है।
  • नीम के पत्तों को सिलपर पीसकर टिकिया बना लें। इस टिकिया को आंखों पर रखकर पट्टी बांधने से पित्त और कफ (बलगम) की पीड़ा (दर्द) दूर हो जाती है।
5. मुलहठी : मुलहठी, पीला गेरू, सेंधानमक, दारूहल्दी और रसौत इन सबको बराबर मात्रा में लेकर पानी के साथ सिल पर पीसकर लेप बना लें। इस लेप को आंखों के बाहर लगाने से आंखों के सभी रोग समाप्त हो जाते हैं। इससे आंखों के दर्द और खुजली में विशेष लाभ होता है।
6. हल्दी :
  • हल्दी, रसौत, दारूहल्दी, मालती के पत्ते और नीम के पत्तों को थोड़ी-थोड़ी मात्रा में लेकर गाय के गोबर के रस में पीसकर मटर से डेढ़ गुनी आकार की गोलियां बना लें। इन गोलियों को आंखों में काजल की तरह लगाने से `रतौंधी´ (रात में दिखाई न देना) रोग दूर होता है।
  • लगभग 20-20 ग्राम की मात्रा में हल्दी, आमाहल्दी, दालचीनी और नीम के पत्तों को लेकर सबको पीसकर छान लें। इसके बाद प्राप्त मिश्रण को 6 महीने की उम्र वाले गाय के बछड़े के पेशाब में पूरे 6 घंटे तक खरल करने के बाद उसकी गोलियां बनाकर छाया में सुखाकर रख लें। इन गोलियों को गुलाबजल में घिसकर आंखों में आंजने (काजल की तरह लगाने) से `नाखूना` रोग ठीक हो जाता है।
7. ग्वारपाठा : सोते समय ग्वारपाठे के गूदे का रस आंखों में डालने से आंखों का दर्द दूर होता है।
8. कालीमिर्च :
  • कालीमिर्च, छोटी पीपल और सोंठ को शहद के साथ पीसकर आंखों में काजल की तरह लगाने से `रतौंधी´ (रात में दिखाई न देना) रोग जल्दी दूर होता है।
  • आंखों में परवाल हो अर्थात् पलकों के बाल आंखों के अंदर घुसते हो तो सबसे पहले चिमटी से उन बालों को सावधानी से उखाड़ डालें। उसके बाद पिसी हुई कालीमिर्च के चूर्ण को कपड़े में छानकर, गुड़ और पिसा हुआ गेरू को लेकर अच्छी तरह से मिलाकर उस स्थान पर लेप करने से आंखों का दर्द दूर हो जाता है।
8. अनार : अनार की पत्तियां या बांस के पत्तों को पीसकर टिकिया बना लें। इस टिकिया को सोते समय आंखों पर बांधने से 3-4 दिनों में ही आंखों का लाल होना दूर होता है।
9. फिटकरी :
  • फिटकरी, सेंधानमक और रसौत को थोड़ी मात्रा में लेकर पीस लें। इसके बाद इस मिश्रण के चूर्ण को औरत के दूध में मिलाकर काजल की तरह आंखों में लगाने से आंखों के रोगों में लाभ मिलता है।
  • फिटकरी को गुलाबजल में घिसकर आंखों में लगाने से फूला और जाला समाप्त हो जाता है।
  • आंखों में परवाल (पलकों के भीतर बाल) हो गये हों तो फिटकरी को पानी में घिसकर अथवा हरताल को पानी में पीसकर उस स्थान पर लगाने से परवाल 7 दिनों में समाप्त हो जाता है।
  • फिटकरी और कपूर को गुलाबजल में घिसकर आंखों में डालने से आंखों का लाल होना, चमक तथा कड़क आदि आंखों के रोग दूर हो जाते हैं।
10. रसौत :
  • रसौत को घिसकर गुलाबजल में मिलाकर आंखों में लगाने से गर्मी के कारण दुखती हुई आंखों का लाल होना दूर होता है।
  • रसौत को पानी में घिसकर लगाने से पलकों की सूजन दूर हो जाती है।
11. करेला : करेले के पत्तों के रस में कालीमिर्च को घिसकर आंखों में काजल की तरह लगाने से `रतौंधी´ (रात में दिखाई न देना) 3 दिन में दूर हो जाती है।
12. शहद : `मोतियाबिंद´ शुरू होते ही निर्मली को शहद में घिसकर लगाने से मोतियाबिंद दूर हो जाता है।
13. माजूफल : माजूफल तथा जंगली हरड़ दोनों को बराबर लेकर पानी के साथ पीसकर लेप बना लें। इस लेप को आंखों के ऊपर लगाने से पलकों और आंखों की खुजली दूर होती है।
14. अण्डा : अण्डे के छिलके की बारीक पिसी और छनी हुई राख को आंखों में डालने से आंखों और पलकों की खुजली दूर होती है।
15. प्याज :
  • प्याज के रस में मिश्री मिलाकर रात के समय आंखों में काजल की तरह लगाने से आंखों की गर्मी दूर होती है। लाल चंदन को पानी में घिसकर आंखों में लगाने से भी यही लाभ मिलता है।
  • प्याज का रस आंखों मे डालने से आंखों का दर्द ठीक हो जाता है।
16. सिरस : सिरस के बीजों की मींगी तथा खिरनी के बीज का कुछ भाग लेकर और उसे पीसकर छान लें उसके बाद इस चूर्ण को खरल में डालकर सिरस के पत्तों के रस के साथ घोटें तथा बिल्कुल घुट जाने पर गोलियां बना करके छाया में सुखाकर रख लें। इन गोलियों को औरत के दूध में घिसकर आंखों में लगाते रहने से आंख का फूला तथा मांडा दूर हो जाता है।
17. समुद्रफेन : समुद्रफेन को पानी अथवा बिनौले के तेल में पीसकर आंखों में लगाने से फूली कट जाती है।
18. समुद्रफल : समुद्रफल की मींगी, रीठे की मींगी, खिरनी के बीज और छोटी हरड़ के बीजों को थोड़ी-थोड़ी मात्रा में लें। फिर इसे पीसकर और छानकर चूर्ण बना लें। इसके बाद इसे नींबू के रस में घोंटकर गोलियां बना करके छाया में सुखा लें। इन गोलियों को पानी में घिसकर आंखों में काजल की तरह लगाने से मांडा, फूला, परवल, रोहें और बांफनी गिरना आदि आंखों के सभी रोग दूर होते हैं।
19. लाल चंदन : 10-10 ग्राम लाल चंदन और भुनी हुई फिटकरी को लेकर पीसकर छान लें। फिर इसे ग्वारपाठे के गूदे में खरल करके गोलियां बनाकर रख लें। इन गोलियों को घिसकर आंखों में लगाने से मांडा, जाला, फूली और नाखूना रोग समाप्त हो जाते हैं।
20. बारहसिंघा : बारहसिंघे के सींग को दूध में घिसकर आंखों में काजल की तरह लगाने से जाला कट जाता है।
21. बीट : कबूतर या चिड़िया की बीट को पीसकर आंखों में लगाने से आंखों की फूली समाप्त हो जाती है।
22. सोंठ : सोंठ, फिटकरी और लाहौरी नमक को बराबर मात्रा में लेकर पीसकर छान लें, फिर इसे आंखों में काजल के समान लगाने से आंखों का जाला समाप्त हो जाता है।
23. हरड़ : पीली हरड़ का बीज 20 ग्राम, बहेड़ा के बीज 30 ग्राम और 40 ग्राम आंवले के बीजों की गिरी सबको पीसकर और छानकर पानी के साथ गोलियां बना लें। इन गोलियों को पानी के साथ घिसकर आंखों में काजल की तरह लगाने से आंखों की खुजली और आंखों से पानी बहना ठीक हो जाता है।
24. आबनूस : आबनूस की लकड़ी को घिसकर आंखों में लगाने से आंखों से पानी बहना दूर होता है।
25. बथुआ : बथुए के पत्ते और तम्बाकू के फूल को लेकर गाय के घी में खूब खरल करें। इस कज्जली को (काजल) को आंखों में लगाने से आंखों के नासूर का घाव भर जाता है।
26. समुद्रशोष : समुद्रशोष को पानी के साथ पीसकर बत्ती बना लें। इस बत्ती को आंखों के नासूर में रखने से वह भर जाता है।
27. गिलोय : गिलोय और हल्दी दोनों को लेकर सिल पर पीसकर लुगदी बना लें। फिर लुगदी से चार गुना मीठा तेल और तेल से चार गुना पानी मिलाकर आग पर रखकर पका लें। जब थोड़ा तेल बाकी रह जाये तो इसे उतारकर छान लें। इस तेल को नाक में डालने से आंख के कोये का नासूर ठीक हो जाता है।
28. घी : पुराने घी को आंखों में काजल की तरह लगाने से आंखों के कई रोग दूर हो जाते हैं।
29. बहेड़ा : बहेड़े की गुठली को औरत के दूध में पीसकर रोजाना आंखों में काजल की तरह लगाने से आंखों का फूला समाप्त हो जाता है।
30. केसर : केसर को घिसकर ठंडे पानी में मिलाकर लगाने से `अंजनहारी´ (गुहेरी) दूर हो जाती है।
31. चिरमिटी : चिरमिटी को पानी में उबालकर, उसका पानी पलकों पर लगाने से आंखों की सूजन, आंखों की जलन, नेत्राभिष्यन्द और पलकों पर होने वाली पूय (मवाद) ये सभी रोग दूर हो जाते हैं।
32. काले तिल : काले तिलों का ताजा तेल रोजाना सोते समय आंखों में डालते रहने से अनेक प्रकार के आंखों के रोग दूर हो जाते हैं।
33. अफीम : अफीम और केसर को गुलाबजल में घिसकर आंखों पर लेप करने से आंखों का लाल होना दूर हो जाता है।
24. आक : आक (मदार) के दूध में भिगोई हुई रूई को सुखाकर बत्ती बना लें। फिर उस बत्ती को घी में डुबोकर जलायें और काजल बना लें। इस काजल को रोजाना आंखों में लगाते रहने से हर प्रकार के आंखों के रोग दूर हो जाते हैं।
अन्य उपचार : सुबह उठते ही अपना थूक आंखों में काजल की तरह लगाते रहने से आंखों की सभी बीमारियां दूर हो जाती हैं और बाद में भी आंखों का कोई रोग नहीं होता है।

आंखों का फूला, जाला



आंखों का फूला, जाला



          इस रोग में रोगी को ऐसा महसूस होता है जैसे कि मानो आंखों के आगे छोटी-छोटी फिटिंगियां या छोटा सूत जैसा कुछ धूल कण उड़ रहा है।परिचय :

जाला पड़ने का कारण :

                पुराना बुखार, अधिक सेक्स क्रिया, खून की कमी आदि कई कारणों से यह रोग होता है। यह रोग शरीर में अधिक कमजोरी आने के कारण से भी हो सकता है।
विभिन्न औषधियों से उपचार:
1. अरण्डी का तेल : 30 मिलीलीटर अरण्डी के तेल में 25 बूंद कारबोलिक एसिड को मिलाकर सुबह-शाम दो-दो बूंद आंखों में डालें। इससे आंखों के फूला, जाला आदि में लाभ मिलता है।
2. हल्दी :
  • 5-5 ग्राम शुद्ध शोराकलमी और अम्बा हल्दी को पीसकर कपडे़ में छानकर आंखों में 7 दिनों तक लगातार सलाई से लगाएं।
  • हल्दी के एक टुकड़े को नींबू में सुराख करके अंदर रख दें। नींबू को धागे से बांधकर लटका दें। नींबू जब सूख जाये तो उसमें से हल्दी को निकालकर और पीसकर पानी में मिलाकर आंखों में सुबह-शाम लगाने से आंख के जाले में रोगी को लाभ होगा।
3. आलू : कच्चे आलू को पत्थर पर पीसकर उसका रस निकाल लें। इस रस को सुबह-शाम काजल की तरह आंखों में लगाने से 5-6 साल पुराना जाला और 4 साल तक का फूला 3 महीने में साफ हो जाता है।
4. प्याज :
  • रूई की बत्ती को प्याज के रस में भिगोकर सुखा लें। इसे तिल के तेल में जलाकर लगाने से आंखों का जाला (आंखों की पुतली पर पैदा हुआ सफेद जाला) दूर होता है।
  • प्याज का रस गुलाब जल में मिलाकर आंखों में डालने से जाला दूर हो जाता है।
5. मूली : मूली का पानी आंख का जाला व धुंध को दूर करने में सहायक है।
6. कांकड़ : कांकड़ के पेड़ की एक हाथ लम्बी पतली टहनी को मुंह में रखकर जोर से सांस छोड़ना चाहिए इस तरह करने से जो रस बाहर निकले, उसे 3 दिन तक आंख में डालना चाहिए।
7. कपूर : बड़ के दूध में कपूर को पीसकर लगाने से 2 महीने की फूली भी बैठ जाती है।
8. कटेरी : कटेरी की जड़ को नींबू के रस में घिसकर आंखों में लगाने से धुन्ध और जाला मिटता है।
9. नीम : नीम के सूखे फूल, कलमीशोरा को बारीक पीसकर कपड़े में छानकर आंखों में काजल के रूप में लगाने से आंखों की रोशनी बढ़ती है तथा रतौंधी (शाम को दिखाई बंद होना) में कच्चे फल का दूध आंखों में लगा सकते हैं।
10. धनिया : हरी धनिया के पत्तों का रस निकालकर प्रतिदिन 3-4 बार आंखों में डालते रहने से उनकी गर्मी शांत हो जाती है तथा जलन, धुंध, लाली, दर्द आदि में फायदा होता है।

रतौंधी ratondhi



रतौंधी   ratondhi



         बचपन में बच्चों को अच्छा और पौष्टिक भोजन न मिल पाने के कारण उनमें शारीरिक कमजोरी आ जाती है जिससे आंखों की रोशनी भी कम हो जाती है। बच्चों को स्कूल में ब्लैकबोर्ड पर लिखे अक्षर देखने में भी बहुत परेशानी होती है।परिचय :  

लक्षण :

विभिन्न औषधियों से उपचार:
1. अपामार्ग (चिरचिटा) :
2. आंवला :
3. मुलहठी : 3 ग्राम मुलहठी, 8 मिलीलीटर आंवले का रस और 3 ग्राम अश्वगंधा चूर्ण को एक साथ मिलाकर रोजाना सेवन करने से आंखों की रोशनी बढ़ जाती है।
4. घास : रोजाना सुबह सूरज निकलने से पहले गीली घास पर नंगे पैर चलने से आंखों की रोशनी तेज होती है।
5. कालीमिर्च :
6. नौसादर : 1 ग्राम नौसादर को 3 ग्राम असली सिंदूर में अच्छी तरह मिलाकर शीशी में भरकर शहद में मिलाकर सलाई से आंखों पर लगाने से रतौंधी की बीमारी समाप्त हो जाती है।
7. तुलसी :
8. अनार : अनार के रस को निकालकर किसी साफ कपड़े से छानकर 2-2 बूंद आंखों में डालने से 2 से 3 हफ्तों में ही रतौंधी रोग कम होने लगता है।
9. असली शहद : असली शहद को सलाई से आंखों में लगाने पर रतौंधी की बीमारी में आराम आता है।
10. सिरस :
11. पान :
12. आबनूस : आबनूस की लकड़ी को सिल पर पीसकर सौंफ के रस में मिलाकर (चंदन की तरह) आंखों में लगाने से रतौंधी रोग दूर हो जाता है। यह परवाल (पलकों के बाल आंखों के अंदर की होना) में भी उपयोगी होता है।
13. जीवन्ती : जीवन्ती (डोडी) का साग (सब्जी) घृत (घी) के साथ पकाकर खाने से रतौंधी रोग में आराम आता है।
14. सौंठ : सौंठ, कालीमिर्च या छोटी पीपर में से किसी भी एक को लेकर पीसकर और शहद में मिलाकर आंखों में लगाने से रतौंधी रोग समाप्त हो जाता है।
15. अरीठा : अरीठे को पानी के साथ पीसकर रोजाना 2 से 3 बार आंखों में लगाने से रतौंधी रोग दूर हो जाता है।
16. रीठा :
17. इतरीफल : 10 ग्राम इतरीफल जमानी को रात को सोते समय पानी से लें।
18. बर्शाशा : दर्द होने पर 2 ग्राम बर्शाशा पानी के साथ लेने से आराम आता है।
19. मक्खन : लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग की मात्रा में जस्ता की भस्म (राख) मक्खन, मलाई या शहद के साथ सुबह और शाम को दें। इसे आंखों में लगाने से पैत्तिक, गर्मी के कारण उत्पन्न हुआ रतौंधी रोग दूर होता है।
20. खमीरा : लगभग 3 से 6 ग्राम खमीरे गावजवार (अम्बरी) को रोजाना 2 से 3 बार गाय के दूध के साथ अथवा 10 ग्राम खमीरे गावजवान और चंदी के वर्क को मिलाकर, 120-120 मिलीलीटर गावजवान रस के साथ या ताजे पानी के साथ सुबह और शाम दिया जाए तो हृदय (दिल) से पैदा हुई बीमारी दूर होती है और दिमागी बीमारी दूर होने से आंखों की रोशनी बढ़ जाती है।
21. करेला : करेले के पत्तों के रस में कालीमिर्च को पीसकर आंखों में लगाने से 3 से 4 दिनों में ही रतौंधी रोग दूर होता है।
22. त्रिफला : त्रिफला के पानी से रोजाना सुबह-शाम आंखों और सिर को अच्छी तरह से धोना चाहिए।
23. केला : केले के पत्तों के रस को आंखों में लगाने से रतौंधी रोग समाप्त हो जाता है।
24. लौंग : लौंग को बकरी के मूत्र में घिसकर आंखों पर लगाने से रतौंधी में लाभ होता है।
25. शहद :
26. दही : दही के पानी में कालीमिर्च को पीसकर आंखों में काजल की तरह लगाने से इस रोग में आराम आता है।
27. अदरक : अदरक और प्याज के रस को मिलाकर सलाई से दिन में 3 बार आंखों में डालने से रतौंधी का रोग दूर हो जाता है।
28. कसौंदी : कसौंदी के फूल को पानी के साथ पीसकर रोजाना दिन में 3 बार आंखों में काजल की तरह लगाएं।
29. तम्बाकू : देशी तम्बाकू के सूखे पत्तों को पीसकर कपड़े में छानकर सलाई से सुबह और शाम को आंखों में लगाने से रतौंधी में आराम मिलता है।
30. आम : रोजाना सुबह-शाम पके हुए आमों को खाने से या उसका रस पीने से शरीर में विटामिन `ए´ की कमी पूरी हो जाती है और रतौंधी में आराम मिलता है।
31. टमाटर :
32. ग्वारफली :
33. धनिया :
34. गाजर :
35. पानी : ठंडे पानी के अंदर डुबकी लगाकर पानी में देखने से दिन में साफ दिखने लगता है। 
36. जीरा :
37. दूधी : छोटी दूधी में सलाई को भिगोकर रतौंधी के रोगी की आंखों में सलाई को अच्छी प्रकार से फिरायें। इससे कुछ देर बाद आंखों में बहुत दर्द होगा जो 3 घण्टे के बाद समाप्त हो जाएगा। एक बार में ही रतौंधी (रात को दिखाई न देना) का रोग जड़ से चला जाएगा।
38. प्याज :
39. शतावर : शतावर के मुलायम पत्तों की सब्जी घी में बनाकर कुछ सप्ताह सुबह-शाम सेवन करते रहने से यह रोग खत्म हो जाता है।
40. सौंफ : गाजर के रस में हरी सौंफ का रस मिलाकर सेवन करने से रात में दिखाई नहीं देना (रतौंधी) समाप्त होता है। इससे आंखों की ज्योति (रोशनी) भी तेज होती है।
41. बेल : बेल के पत्ते 10 ग्राम, गाय का घी 6 ग्राम और कपूर 1 ग्राम तांबे की कटोरी में इतना रगड़ें की काला सुरमा बन जाये। इसे आंखों में लगायें और सुबह गाय के पेशाब से आंखों को धो लें। इससे रतौंधी से पीड़ित रोगी को आराम मिलता है।