लहसुन
लहसुन का प्रयोग भारत में बहुत पहले से चला आ रहा है। यह दाल व सब्जी में प्रयोग किया जाता है। इसका उपयोग औषधि को बनाने में किया जाता है। लहसुन में बीज नहीं होता है तथा इसकी कलियों को ही बोया जाता है। लहसुन के पौधे 30 से 45 सेमी तक होते हैं। इसकी जड़ में ही लहसुन की कली लगती है। जिसमें कई सारी कली होती हैं। इसके पत्ते प्याज की तरह चपटे, सीधे, लंबे और नोकदार होते हैं। प्राचीन काल से ही इसे अमृत के समान माना गया है।
तत्त्व | मात्रा |
प्रोटीन | 6.3 प्रतिशत |
वसा | 0.1 प्रतिशत |
कार्बोहाइड्रेट | 29.0 प्रतिशत |
पानी | 62.8 प्रतिशत |
विटामिन-सी | 13 मिग्रा./100 ग्राम |
लौह | 1.3 मिग्रा./100 ग्राम |
फास्फोरस | 0.31 प्रतिशत |
कैल्शियम | 0.03 प्रतिशत |
संस्कृत | लशुन, रसोन। |
हिन्दी | लहसुन। |
अग्रेजी | गारलिक, शैलोट। |
बंगाली | लशुन। |
मराठी | लसूण। |
गुजराती | लसणा। |
फारसी | सीर। |
लैटिन | एलियम सैटाइवम। |
- दांतों में कीडे़ लगने या दर्द होने पर लहसुन के रस को लगाने से दर्द दूर होता है। लहसुन की कली दांत के नीचे रखकर उसका रस चूसने से दर्द जल्दी दूर होता है।
- लहसुन को पीसकर सरसों के तेल में मिलाकर आग पर गर्म करें। लहसुन जल जाने पर तेल को ठंडा करके छान लें। इस तेल में थोड़ा-सा सेंधानमक मिलाकर रोजाना मंजन करें। इससे दांतों के सभी प्रकार के रोग ठीक हो जाते हैं।
- लहसुन को आग पर सेंककर दांतों के नीचे दबाकर रखें। इससे दांतों को दर्द ठीक हो जाता है।
- लहसुन खाने वालों को क्षय रोग नहीं होता है। लहसुन के प्रयोग से क्षय के कीटाणु मर जाते हैं।
- लहसुन का रस 3.5 से 7 मिलीलीटर सुबह-शाम सेवन करने से उपवृक्क (गुर्दे) की टी.बी. या किसी भी प्रकार की टी.बी में लाभ मिलता है।
- 250 मिलीलीटर दूध में लहसुन की 10 कली उबालकर खाएं तथा ऊपर से उसी दूध को पीयें। यह प्रयोग लंबे समय तक करते रहने से टी.बी ठीक होती है।
- लहसुन की 1-2 कली सुबह-शाम खाकर ऊपर से ताजा पानी पीना चाहिए। लहसुन यक्ष्मा (टी.बी.) को दूर करने में बहुत सहायक होता है।
16. मक्खियां भगाना: आग पर 5 कली लहसुन और चने की दाल के बराबर हींग डाल देने से मक्खियां भाग जाती हैं।
- लहसुन को रोज खाने से पेट का कैंसर नहीं होता है। अगर कैंसर हो भी जाये तो लहसुन को पीसकर पानी में घोलकर कुछ हफ्ते तक पीयें इससे कैंसर ठीक होता है। खाना खाने के बाद 3 कली लहसुन लेने से पेट साफ रहता है और पेट की पेशियों में संकोचन पैदा होता है, जिससें आंतों को काम कम करना पड़ता है। लहसुन खाने से लीवर भी उत्तेजित होता है जिससे आक्सीजन और पेट की कोशिकाओं को बल मिलता है।
- लहसुन को पीसकर पानी में घोलकर कुछ सप्ताह तक पीने से पेट के कैंसर में लाभ होता है।
- लहसुन की चटनी को घी में मिलाकर खाने से दर्द दूर हो जाता है।
- 80 ग्राम लहसुन, 5 ग्राम एरण्ड का तेल, सेंधानमक थोड़ा सा और 1 ग्राम घी में सेंकी हुई हींग को मिलाकर बारीक पीस लें। इसे रोजाना 10 ग्राम खाने से दर्द मिट जाता है।
- लहसुन की 2 गांठ पीसकर 100 मिलीलीटर तिल के तेल में डालकर गर्म करके मालिश करने से दर्द दूर होता है।
- अगर मलेरिया का बुखार एक निश्चित समय पर आता हो तो लहसुन का रस हाथ-पैरों के नाखूनों पर बुखार के आने से पहले लेप करें और 1 चम्मच लहसुन का रस 1 चम्मच तिल के तेल में मिलाकर जब तक बुखार न आए 1-1 घंटे के अंतराल में जीभ पर लगाकर चूसें। इस तरह यह प्रयोग 3 से 4 दिन तक करने से मलेरिया का बुखार ठीक हो जाता है।
- लहसुन की 3 से 4 फलियां छीलकर घी में मिलाकर खिलाने से मलेरिया की ठंड उतर जाती है।
- लहसुन के रस की 6 बूंदे 4 चम्मच पानी में मिलाकर रोजाना 2 बार पीने से हाई ब्लडप्रैशर (उच्चरक्त चाप) के रोग में लाभ मिलता है।
- लहसुन, पुदीना, जीरा, धनिया, कालीमिर्च और सेंधानमक की चटनी बनाकर खाने से ब्लडप्रैशर (उच्चरक्तचाप) दूर होता है।
- लहसुन को पीसकर दूध में मिलाकर पीने से ब्लडप्रैशर (उच्च रक्तचाप) में बहुत लाभ होता है।
- लहसुन के तेल से रोजाना मालिश करें। लहसुन की बड़ी गांठ को साफ करके 2-2 टुकड़े करके 250 मिलीलीटर दूध में उबाल लें और इस बनी खीर को 6 हफ्ते तक रोजाना खाये। इससे गठिया रोग दूर हो जाता है। वातरोग में खटाई, मिठाई का परहेज करना चाहिए। लहसुन को दूध में पीसकर भी उपयोग में ले सकते हैं।
- लगभग 40 ग्राम लहसुन लेकर उसका छिलका निकाल लें। फिर लहुसन को पीसकर उसमें 1 ग्राम हींग, जीरा, सेंधानमक, कालानमक, सोंठ, कालीमिर्च और पीपर का चूर्ण डालकर उसके चने की तरह की छोटी-छोटी गोलियां बनाकर खाने से और उसके ऊपर से एरण्ड की जड़ का काढ़ा बनाकर पीने से लकवा, सर्वांगवायु, उरूस्तम्भ (जांघों की सुन्नता), पेट के कीड़े, कमर के दर्द और सारे वायु रोग ठीक हो जाते हैं।
- लहसुन का सूखा चूर्ण 400 ग्राम, सेंधानमक, काला नमक, सोंठ, कालीमिर्च, लेडी पीपल और हीरा हींग 6 ग्राम लें, घी में हींग को भूनकर अलग रख लें बाकी सभी चीजों को कूटकर पीस लें और उसमें भूनी हुई हींग भी मिला दें इस चूर्ण को 3-3 ग्राम सुबह-शाम पानी से लेने से वात रोग में आराम मिलता है।
- बूढ़े व्यक्ति अगर सुबह के समय 3-4 कलियां लहसुन खाते रहें तो उन्हें वात रोग नहीं होता है।
- शरीर में कहीं भी कटकर घाव हो जाये तो लहसुन को दबाकर उसका रस निकालकर घाव पर लगाने से घाव जल्दी ठीक हो जाता है।
- दुर्गन्धित एवं दूषित क्षत या घाव हो तो रोजाना लहसुन का रस 3 भाग और पानी 4 भाग को एक साथ मिलाकर धोयें। इससे जल्द लाभ होता है। दर्द कम होता है। घाव भी जल्दी ठीक होता है। यह कार्बोनिक एसिड से अच्छा प्रतिदूषक है।
- लहसुन को पीसकर तिल के तेल में मिलाकर खाने से, लहसुन और उड़द के बडे़ बनाकर तिल के तेल में तलकर खाने से या लहसुन खाने से (अपस्मार) मिर्गी रोग दूर मिट जाता है।
- मिर्गी के कारण बेहोश व्यक्ति को लहसुन कूटकर सुंघाने से रोगी होश में आ जाता है।
- लहसुन की 10 कली को दूध में उबालकर रोजाना खिलाने से मिर्गी ठीक हो जाती है। इसका सेवन लंबे समय तक करना चाहिए।
- लहसुन को तेल में सेंककर रोजाना खाने से मिर्गी के दौरे ठीक हो जाते हैं।
- एक भाग लहसुन और तीन भाग तिल को पीसकर 30 ग्राम की मात्रा में खाते रहने से ``वायु द्वारा पैदा होने वाले मिर्गी का दौरा जो 12 दिन में आता है´´, वह ठीक हो जाता है
- लहसुन को घी में भूनकर खाने से मिर्गी के दौरे ठीक हो जाते हैं।
- मिर्गी के बेहोश रोगी को लहसुन कूटकर सुंघाने से रोगी होश में आ जाता है। लहसुन की 10 कली दूध में उबालकर रोज खाने से मिर्गी रोग दूर होता है। लहसुन को तेल में सेंककर नियमित खाना भी फायदेमंद होता है।
- 10 ग्राम लहसुन और 30 ग्राम काले तिल को मिलाकर लगातार तीन सप्ताहं तक सेवन करने से मिर्गी का रोग दूर हो जाता है।
- लहसुन और बायबिडंग को गर्म किये गये दूध के साथ सुबह-शाम रोगी को पिलाने से मिर्गी या अपस्मार रोग दूर हो जाता है।
- भोजन से पहले लहसुन को पीसकर खाने से मिर्गी रोग दूर हो जाता है।
- लहसुन के रस को 10 ग्राम की मात्रा में लेकर हल्के गर्म पानी के साथ सेवन करने से अस्थमा के रोगी का श्वास का रुकना खत्म हो जाता है।
- लगभग 2 बूंद लहसुन का रस और 10 बूंदे कुठार का रस को शहद के साथ दिन में चार बार देने से दमा और श्वास की बीमारी ठीक हो जाती है।
- सोमलता, कूट, बहेड़ा, मुलहठी, अर्जुन की छाल सभी को बराबर की मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें, फिर इसमें भुने लहसुन को पीसकर मिला दें। इस तैयार मिश्रण को एक चम्मच की मात्रा में लेकर शहद के साथ दिन में तीन बार चाटने से दमा और श्वास की बीमारी में काफी लाभ मिलता है।
- लगभग 15-20 बूंद लहसुन के रस को लेकर हल्के गर्म पानी के साथ सुबह, दोपहर और शाम को खाने से दमा और श्वास की बीमारी ठीक हो जाती है।
- लहसुन को कुचलकर उसका रस निकालकर गुनगुना करके पिलाना श्वास रोग में लाभकारी होता है।
- लहुसन, तुलसी की पत्तियां और गुड़ को लेकर चटनी बनाकर खाने से दमा ठीक होता है।
- लहसुन के एक जवे को भूनकर सेंधानमक के साथ चबाकर खाएं।
- 10 बूंद लहसुन का रस, एक चम्मच शहद के साथ सेवन करने से लाभ मिलता है।
- लहसुन की 20 कलियां व 20 ग्राम गुड़ को 250 मिलीलीटर पानी में उबालें जब पानी आधा रह जाए तो इसे छानकर लहसुन की कलियां खा लें और पानी को गुनगुना ही दिन में एक बार पीयें। इससे श्वास व दमा रोग में आराम मिलता है। आराम न होने तक इसका सेवन करते रहना चाहिए।
- लहसुन के तेल से छाती व पीठ की मालिश करें। इससे दमा का रोग दूर होता है।
- बच्चों की कुकर खांसी में लहसुन की माला पहनाते हैं जिससे इसकी गंध खांसने के साथ-साथ अन्दर चली जाती है और इसी का रस आधा चम्मच शहद के साथ भी पिलाते हैं। इससे काली खांसी दूर हो जाती है।
- लहसुन का रस दस बूंद से आधा या एक चम्मच की मात्रा में (उम्र के अनुसार) शहद मिलाकर प्रतिदिन दो-तीन बार सेवन करने से खूब लाभ मिलता है।
- लहसुन के रस को जैतून के तेल में मिलाकर बच्चों की छाती और पीठ पर मालिश करने से खांसी मिट जाती है।
- कफवाली खांसी में लहसुन की कली चबाकर उसके ऊपर से गर्म पानी पी लें। इससे छाती में जमा हुआ सारा कफ, तीन-चार दिनों में ही निकल जाएगा।
- 60 मिलीलीटर सरसों के तेल में लहसुन की 1 गांठ को साफ करके पकाकर रख लें। इस तेल से गले और सीने की मालिश करें तथा मुनक्का के साथ दिन में तीन बार लहसुन खाएं, ध्यान रहें इस बीच खटाई न खायें। इससे खांसी दूर हो जाती है।
- 20 बूंद लहसुन का रस अनार के शर्बत में मिलाकर पीने से हर तरह की खांसी में लाभ होता है।
- श्वास और खांसी के रोग में लहसुन को त्रिफला के चूर्ण के साथ खाने से बहुत फायदा होता है।
- सूखी और कफवाली खांसी में लहसुन की कली को आग में भूनकर पीसकर चूर्ण बना लें। इस एक चुटकी चूर्ण में शहद मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से लाभ मिलता है। यह खांसी की अचूक औषधि है।
- 5 ग्राम लहसुन का रस तथा शहद 20 ग्राम को एक साथ मिलाकर दिन में 3 बार एक-एक उंगली चटाने से लाभ होता है।
- लहसुन की कलियों को आग में भूनकर चूर्ण तैयार कर लें। इस चूर्ण की मात्रा एक चुटकी शहद के साथ दिन में तीन-चार बार चटाना चाहिए।
- एक कली लहसुन की और तीन-चार मुनक्के लेकर इसके बीज निकाल लेते हैं फिर दोनों की चटनी बनाकर सुबह-शाम खाने से लाभ मिलता है।
- एक कली लहसुन की लेने से पेट में गैस नहीं बनती है। पेट में अम्ल बनता है, तो लहसुन का सेवन अधिक नहीं करना चाहिए।
- 1 से 2 लहसुन की फांके (कली) को छीलकर बीज निकाली हुई मुनक्का के साथ भोजन करने के बाद, चबाकर खाने से ही कुछ समय के बाद ही पेट में रुकी हुई हवा बाहर निकल जाती है।
- लहसुन का पिसा हुआ मिश्रण 240 मिलीग्राम से 360 मिलीग्राम को घी के साथ सेवन करने से पेट में बनी गैस बाहर निकल जाती है।
- पेट में गैस बनने पर सुबह 4 कली लहसुन की खाएं। इससे पाचन शक्ति बढ़ती है और गैस दूर होती है।
- जुकाम में छीकें ज्यादा आने पर लहसुन खाने से फायदा होता है।
- लहसुन को खाने से जुकाम में बार-बार छींके आना बंद हो जाती हैं।
- लहसुन और तुलसी का रस 5 मिलीलीटर लेकर उसमें सौंठ का चूर्ण 2 ग्राम और कालीमिर्च का चूर्ण 1 ग्राम मिलाकर आधा लीटर गाय के दूध के साथ रोज सुबह-शाम पीयें। इससे थोडे़ ही दिनों में जुकाम में लाभ होता है।
- 10 ग्राम सिन्दूर और 1 कली लहसुन की लेकर लगभग 60 मिलीलीटर तिल्ली के तेल में डालकर आग पर पकाने के लिए रख दें। जब पकने पर लहसुन जल जाये तो इस तेल को आग पर से उतारकर छान लें और एक शीशी में भर दें। इस तेल की 2 बूंद रोजाना कान में डालने से कान से मवाद बहना, खुजली होना, कान में दर्द होना जैसे रोग ठीक हो जाते हैं।
- 4 कली लहसुन की 1 चम्मच सरसों के तेल में उबालकर कान में टपकाने से कान का दर्द, जख्म और मवाद बहना ठीक हो जाता है।
- लहसुन की 1 कली और 10 ग्राम सिन्दूर को लगभग 60 मिलीलीटर तिल के तेल में डालकर आग पर पकाने के लिए रख दें। पकने पर जब लहसुन जल जाये तो तेल को आग पर से उतारकर छान लें और शीशी में भर लें। इस तेल की 2 बूंद रोजाना कान में डालने से कान में से मवाद बहना, कान में खुजली होना और कान में अजीब-अजीब आवाजे सुनाई देना आदि रोग समाप्त हो जाते हैं।
- लहसुन के तेल को गर्म करके कान में डालने से कान का दर्द दूर हो जाता है।
- लहसुन की 8 कलियों को 60 मिलीलीटर तिल के तेल में तलकर उसकी 2 बूंद कान में टपकाते रहने से कुछ ही दिनों में बहरापन ठीक हो जाता है।
- 1 चम्मच बरना का रस, 1 चम्मच लहसुन का रस और 1 चम्मच अदरक के रस को लेकर हल्का सा गर्म करके कान में डालने से कान के सभी रोग दूर हो जाते हैं।
- लहसुन की 8 कलियों को लगभग 60 मिलीलीटर तिल के तेल में डालकर पका लें। फिर इस तेल की 2 बूंद कान में डालने से थोड़े ही दिनों में बहरेपन का रोग ठीक हो जाता है।
- लहसुन के रस को हल्का सा गर्म करके या लहसुन से बने तेल की 2 बूंद रोजाना 3-4 बार कान में डालने से बहरापन दूर होता है।
- लहसुन की 2 कलियां, नीम के 10 नये मुलायम पत्ते और 4 निंबोली को एक साथ पीसकर सरसों के तेल में डालकर अच्छी तरह से पका लें। पकने के बाद इस तेल को छानकर किसी शीशी में भर लें। इस तेल को कान में डालने से कान का जख्म, कान से मवाद बहना, कान में फुंसी होना या बहरेपन का रोग दूर हो जाता है।
- कान के दर्द में लहसुन के रस या उसकी कलियों को तिल के तेल में देर तक पकायें। जब रस जलकर खत्म हो जाये तो तेल को छानकर, हल्का गर्म कान में बूंद-बूंद डालने से सर्दी से पैदा होने वाले कान का दर्द दूर हो जाता है।
- आक के पीले पत्ते, तिल के फूल और लहसुन को पीसकर उसका रस कान में डालने से कान का दर्द ठीक हो जाता है।
- 2 ग्राम लाल मिर्च, 20 ग्राम लहसुन, 2 ग्राम अजवायन, 50 मिलीलीटर तिल का तेल और 1 ग्राम सेंधानमक को 300 मिलीलीटर पानी में डालकर आग पर पकाने के लिए रख दें। पकने के बाद बचे हुए तेल को कपड़े में छानकर बूंद-बूंद करके कान में डालने से कान का दर्द ठीक हो जाता है।
- लगभग 200 मिलीलीटर सरसों के तेल को लेकर उसके अन्दर 4 लहसुन की कलियां डालकर तेल को पका लें। पकने के बाद इस तेल को छानकर एक शीशी में भर लें। इस तेल की रोजाना 2 बूंद दिन में 4 बार कान में डालकर कान में रूई लगा दें।
- बिना किसी जख्म के अगर कान में दर्द हो तो पहले कान को अच्छी तरह से साफ कर लें। फिर उसके अन्दर लहसुन और अदरक का रस मिलाकर डालना चाहिए।
- लहसुन, अदरक और करेले को मिलाकर उसका रस निकाल लें। इस रस को कान में डालने से अगर कान में बहुत तेज दर्द हो तो वह भी दूर हो जाता है।
- 10 ग्राम लहसुन की कलियां, 20 मिलीलीटर तिल का तेल और 5 ग्राम सेंधानमक को एक साथ पकाकर कपड़े में छानकर गुनगुना सा ही कान में बूंद-बूंद करके डालने से कान का दर्द ठीक हो जाता है।
- 20 ग्राम लहसुन, 50 ग्राम सोंठ, 20 ग्राम लाहौरी नमक, इन सबको पीसकर चटनी बना लें। इसमें से 3-4 ग्राम चटनी गुनगुने पानी के साथ लें। इससे कमर दर्द में लाभ होगा।
- ठंडी हवा लगने से उत्पन्न कमर के दर्द में लहसुन की कलियां दूध या गर्म पानी के साथ निगलने से कमर दर्द मिट जाता है।
- लहसुन को छीलकर पानी में डालकर रख दें। सुबह उसमें कालानमक, भुनी हींग, सेंधानमक, सोंठ, कालीमिर्च, पीपर, अजवायन, जीरा सभी को 5-5 ग्राम चूर्ण करके मिलाएं। इस मिश्रण में से 6 ग्राम की मात्रा को एरण्ड की जड़ के काढ़े के साथ सेवन करने पर शीत लहर के कारण उत्पन्न कमर का दर्द मिट जाता है।
- दूध में लहसुन तथा वायविडंग डालकर उबाल लें। इसे नियमित रूप से दिन में दो बार पिलाने से अंगघात या पक्षाघात में बहुत लाभ होता है।
- चेहरे के लकवा में लहसुन और बायविडंग को पकाकर सुबह-शाम खाने से और लहसुन से बने तेल से मालिश करने से पक्षाघात (लकवा) में पूरा लाभ मिलता है।
- 500 मिलीलीटर सरसों के तेल में 100 ग्राम लहसुन, एक गोली (मटर के बराबर) अफीम, 10 लौंग, 50 ग्राम कालीमिर्च, 100 ग्राम अजवाइन को डालकर अच्छी तरह से उबालें तथा उबलने पर इसे छान लें, फिर लकवे वाले अंग पर नियमित रूप से मालिश करने से पक्षाघात ठीक हो जाता है।
- मक्खन के साथ लहसुन की 4 या 5 पोथियां नियमित रूप से खाने से पक्षाघात में आराम मिलता है।
- लहसुन की लगभग 10 पोथियां सुबह और शाम को गर्म घी के साथ पीसकर मिलाकर खाने से लकवा ठीक हो जाता है।
- शरीर के एक भाग में लकवा हो गया हो तो लगभग 25 ग्राम की मात्रा में छिले हुए लहसुन को पीसकर दूध में खीर की तरह गाढ़ा होने तक उबालें और गाढ़ा होने पर आंच से उतारकर ठंडा कर लें। इसे नियमित रूप से सुबह के समय खाली पेट खाने से लकवा ठीक हो जाता है।
- लगभग 50 ग्राम लहसुन को पीस लें। इसे 500 मिलीलीटर सरसों के तेल और एक किलो पानी को लोहे की कढ़ाई में तब तक गर्म करें जब तक कि सारा पानी जल न जाये, ठंडा होने पर नियमित सुबह शरीर पर मालिश करनी चाहिए और इसकी मालिश लगभग एक महीने तक करने से लकवा ठीक हो जाता है।
- लहसुन के 10 से 30 बूंद रस को दूध में मिलाकर पीने से पेशाब खुलकर आता है। इससे जलोदर में लाभ मिलता है।
- 2 से 3 ग्राम लहसुन को पीसकर घी के साथ सुबह-शाम सेवन करने से दिल को ताकत मिलती है और जलोदर की शिकायत कम हो जाती है।
- 250 मिलीलीटर पानी में एक चम्मच लहसुन को डालकर गर्म कर रस छान लें। इस रस को दिन में रोज तीन बार खुराक के रूप में पीने से जलोदर की बीमारी समाप्त होती है।
- लहसुन का रस 10 से 12 बूंदों को दूध में मिलाकर या लहसुन का मिश्रण 2 से 3 ग्राम तक को घी में मिलाकर सुबह और शाम सेवन करने से दिल को ताकत मिलती है और पेशाब खुलकर और साफ आकर पेट में मौजूद पानी पेशाब के द्वारा बाहर निकल जाता है।
- लहसुन का रस 3 ग्राम को थोड़ी-सी मात्रा में सेंधानमक मिलाकर खाकर ऊपर से गर्म पानी पीने से पेट का दर्द समाप्त होता है।
- आधा चम्मच लहसुन का रस पानी में मिलाकर पीने से पेट के दर्द में लाभ होता है।
- लहसुन, कालीमिर्च, घी और नमक को मिलाकर छोटी-छोटी गोली को खुराक के रूप में खाने से लाभ होता है।
- लहसुन के रस के 5 बूंदों को नमक के साथ सेवन करने से पेट के दर्द में लाभ होता है।
- लहसुन और गुड़ को बराबर मात्रा में लेकर खाने से पेट के कीड़ें मर जाते हैं।
- लहसुन की चटनी बनाकर उसमें थोड़ा-सा सेंधा नमक मिलाकर सुबह और शाम पीने से लाभ होता हैं।
- लहसुन की एक कली को पपीते के सूखे हुए थोड़े-से बीजों के साथ पीसकर चटनी बनाकर खिलाने से पेट के कीड़े मरकर मल के द्वारा बाहर निकल जाते हैं।
- 1 पुती (एक फली) लहसुन को देशी घी में भून लें, इसे आधा चम्मच अजवायन के चूर्ण और 10 ग्राम पुराने गुड़ में मिलाकर दिन में चार बार खाने से पेट के कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
- लहसुन के रस की 8 से 10 बूंदों को छाछ के साथ रोजाना दिन में 3 बार पीने से लाभ मिलता है।
- 5 लहसुन की कली को मुनक्का या शहद के साथ दिन में तीन बार 2 से 3 महीने तक पीने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।
- खाना खाने के बाद कच्चे लहसुन की एक-दो कली छीलकर पानी के साथ चबाने उच्च रक्तचाप मिटती है। लहसुन की ताजा कलियां बढ़े हुए रक्तचाप को कम कर साधारण संतुलित अवस्था में रखने में मदद करती है। लहसुन की एक कली लेना अधिक अच्छा रहता है। लहसुन खाने की विधि- सुबह खाली पेट लहसुन की दो-तीन कलियों को छील लें। फिर प्रत्येक कली के तीन-चार टुकड़े कर थोड़े पानी के साथ सुबह खाली पेट चबा लें या उन टुकड़ों को पानी के घूंट के साथ निगल ले। इस विधि से कच्चे लहसुन का सेवन करने से खून (रक्त) में कोलेस्ट्रोल की मात्रा शीघ्रता से घटती है, रक्तचाप सामान्य होता है और ट्यूमर नहीं बनता है।
- लहसुन का रस निकालकर 10 ग्राम मात्रा सुबह-शाम पीने से उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) कम होने लगता है।
- यदि यह शंका हो कि अमुक समय हृदय में दर्द शुरू हो सकता है, तो लहसुन की चार कलियां चबाकर खा जायें।
- हृदय की गति रुकने की संभावना होते ही तीन-चार लहसुन की कलियों को तुरन्त चबा लेने से हार्टफेल नहीं होता। इसके पश्चात इसे दूध में उबालकर देने से काफी लाभ होता है और लहसुन को पीसकर दूध के साथ पीने से ब्लडप्रेशर में भी लाभ होता है। लहसुन हृदय रोगी के लिए अति उत्तम प्रकृति प्रदत्त औषधि है।
- दिल में दर्द और सांस फूलने पर लहसुन की दो-तीन कलियों को चबाकर रस चूसने से बहुत लाभ होता है। इससे पेट से गैस निकल जाने पर हृदय का दबाव भी कम होता है।
- लहसुन का रस 10 से 30 बूंद घी के साथ या दूध में उबालकर सेवन करने से हृदय के ऊपर का दबाव कम होकर, हृदय का दर्द नश्ट होता है।
- कनपटी पर लहसुन की पोथियों को पीसकर लेप की तरह लगाने से सिर दर्द खत्म हो जाता है।
- लहसुन को शहद की 10 से 30 बूंद के साथ रोजाना खाने से या इसके रस को माथे पर लेप की तरह से लगाने से सिर का दर्द दूर हो जाता है।
- जिस ओर सिर में दर्द हो रहा हो उसी ओर के नाक के नथुने में एक या दो बूंद लहसुन के रस की बूंदे डालने से आधासीसी के कारण होने वाला सिर का दर्द दूर हो जाता है।
- लहसुन की एक-एक कली को साफ करके लगभग 60 ग्राम लहसुन लेकर तीन से चार घंटे के अन्दर रोगी को दे देते हैं। इसकी बदबू के कारण यदि रोगी खा भी न सके तो लहसुन की कलियों को छीलकर 3 दिन तक छाछ में डालकर भिगो दें। ऐसा करने से लहसुन की बदबू तो मिट जायेगी परन्तु इसके गुण समाप्त नहीं होगें। इस तरह रोजाना लहसुन खाने से जब गले की झिल्ली साफ हो जाये तो पूरे दिन में लगभग 60 ग्राम लहसुन रोगी को खिलाया करें। यदि रोगी कोई बच्चा हो तो 20 से 30 बूंद लहसुन का रस हर 3 से 4 घंटे के अन्दर शर्बत में मिलाकर रोगी बच्चे को दें।
- लगभग 50 ग्राम लहसुन की कली 4 घंटे तक चूसने से रोहिणी रोग में लाभ होता है। बच्चों को लहसुन का रस शर्बत में मिलाकर पिलाना चाहिए। इसकी कलियों का बार-बार रस देते रहना चाहिए।
- लहसुन को बारीक पीसकर उसे कपडे़ पर लगाकर पट्टी बना लें फिर उसे गांठ वाले स्थान पर लगायें। इससे गले की गांठे दूर हो जाती हैं।
- लहसुन का लेप तैयार करके उसे एक कपड़े के टुकड़े पर मल दें। अब उसे हल्की आग पर गर्म करने के लिए रख दें और बाद में उसे आग पर से उतारकर निचोड़कर उसका रस निकाल लें। इस रस के बराबर ही शहद मिलाकर टांसिल पर लगाने से लाभ मिलता है।
- लहसुन, गिलोय, गोखरू, मुण्डी, पुनर्नवा और त्रिफला का काढ़ा बनाकर रोगी को पिलाने से गुर्दे की खराबी के कारण होने वाली सूजन दूर हो जाती है।
- लहसुन, बेलगिरी, कचूर, ग्वारपाठा और आंबाहल्दी को पीसकर लेप की तरह से लगाने से किसी कीड़े के कारण काटने से होने वाली सूजन दूर हो जाती है।
- लगभग 10 से 30 बूंद लहसुन के रस को दूध में मिलाकर या 2 से 3 ग्राम लहसुन के काढ़े को घी में मिलाकर खाने से हृदय मजबूत होता है और पेशाब खुलकर आता है इससे शरीर की सूजन खत्म हो जाती है।
- लहसुन को सिरके में भिगोकर खाने से गले का दर्द और रगो (नसों) का ढीलापन दूर होता है।
- लहसुन की एक गांठ को पीसकर पानी में मिलाकर गर्म कर लें। फिर उस पानी को छानकर गरारे करने चाहिए।
- गले में काग हो जाने पर लहसुन के रस को शहद में मिलाकर रूई के फाये से काग पर लगाएं।
- टांन्सिलाइटिस (गले में गांठ) होने पर लहसुन को बारीक पीसकर गर्म पानी में मिलाकर गरारे करने से लाभ होता है।
- गला बैठ जाना, टान्सिल (गले की गांठे) और गले में दर्द होने पर गर्म पानी में लहसुन को पीसकर मिला लें फिर उस पानी को छानकर गरारे करें। इससे बंद आवाज खुल जाती है।
- पानी में एक कली लहसुन का रस और फूली हुई फिटकरी को पानी में डालकर कुल्ला करने से बैठी हुई आवाज में लाभ होता है।
- लहसुन को दीपक की लौं में भूनकर पीस लें। उसमें मुलहठी का चूर्ण मिला लें। फिर इसके 2 ग्राम चूर्ण को शहद के साथ सुबह और शाम सेवन करने से बैठी हुई आवाज ठीक हो जाती है।
- गर्म पानी में लहसुन का रस मिलाकर सुबह-शाम गरारे करने से गले में लाभ होता है।
- लहसुन को पीसकर गर्म पानी में मिलाकर बार-बार गरारे करने से सिर्फ दो-तीन बार में ही गला साफ हो जाता है। एक बार में कम से कम 10 मिनट तक लगातार गरारे करें।