लहसुन




लहसुन


          लहसुन का प्रयोग भारत में बहुत पहले से चला आ रहा है। यह दाल व सब्जी में प्रयोग किया जाता है। इसका उपयोग औषधि को बनाने में किया जाता है। लहसुन में बीज नहीं होता है तथा इसकी कलियों को ही बोया जाता है। लहसुन के पौधे 30 से 45 सेमी तक होते हैं। इसकी जड़ में ही लहसुन की कली लगती है। जिसमें कई सारी कली होती हैं। इसके पत्ते प्याज की तरह चपटे, सीधे, लंबे और नोकदार होते हैं। प्राचीन काल से ही इसे अमृत के समान माना गया है।

         लहसुन की दो किस्में होती हैं। लाल और सफेद। दोनों ही के गुण लगभग एक होते हैं। इसके अलावा एक कली वाला भी लहसुन होता है। जिसे एकपुती लहसुन कहते हैं। एक पुती वाले लहसुन को अंग्रेजी में शैलोट कहते हैं। इस लहसुन में भी सारे गुण होते हैं तथा इस लहसुन का उपयोग भी दाल, साग और चटनी में किया जाता है। लहसुन का तेल लकवे और वात रोगों में उपयोगी होता है।
तत्त्व मात्रा
प्रोटीन 6.3 प्रतिशत
वसा 0.1 प्रतिशत
कार्बोहाइड्रेट 29.0 प्रतिशत
पानी 62.8 प्रतिशत
विटामिन-सी 13 मिग्रा./100 ग्राम
लौह 1.3 मिग्रा./100 ग्राम
फास्फोरस 0.31 प्रतिशत
कैल्शियम 0.03 प्रतिशत
संस्कृत    लशुन, रसोन।
हिन्दी        लहसुन।
अग्रेजी        गारलिक, शैलोट।
बंगाली        लशुन।
मराठी    लसूण।
गुजराती   लसणा।
फारसी        सीर।
लैटिन        एलियम सैटाइवम।