तुलसी
तुलसी सभी स्थानों पर पाई जाती है। इसे लोग घरों, बागों व मंदिरों के आस-पास लगाते हैं लेकिन यह जंगलों में अपने आप ही उग आती है। तुलसी की अनेक किस्में होती हैं परन्तु गुण और धर्म की दृष्टि से काली तुलसी सबसे अधिक महत्वपूर्ण व उत्तम होती है। आमतौर पर तुलसी की पत्तियां हरी व काली होती है। तुलसी का पौधा सामान्यत: 1 से 4 फुट तक ऊंचा होता है। इसकी पत्तियां 1 से 2 इंच लंबे अंडाकार, आयताकार, ग्रंथियुक्त व तीव्र सुगंध वाली होती है। इसमें गोलाकार, बैंगनी या लाल आभा लिए मंजरी (फूल) लगते हैं। तुलसी के पौधे आमतौर पर मार्च-जून में लगाए जाते हैं और सितम्बर-अक्टूबर में पौधे सुगंधित मंजरियों से भर जाते हैं। शीतकाल में इसके फूल आते हैं जो बाद में बीज के रूप में पकते हैं। तुलसी के पौधे में प्रबल विद्युत शक्ति होती है जो उसके चारों तरफ 200 गज तक प्रवाहित होती रहती है। जिसे घर में तुलसी का हरा पौधा होता है उस घर में कभी वज्रपात (आकाश से गिरने वाली बिजली) नहीं होता है।
कुलनाम | लेमीसेई। |
संस्कृत | तुलसी, सुरसा। |
हिंदी | तुलसी। |
अंग्रेजी | बेसिल। |
लैटिन | ओसिमम सेंक्टम। |
बंगाली | तुलसी, कुरल। |
मराठी | तुलसा, काली तुलसी। |
गुजराती | तुलस। |
तेलगू | वृन्दा, गगेरा, कृष्णा तुलसी। |
- तुलसी की 65 पत्ते और 8 कालीमिर्च को 250 मिलीलीटर पानी में अच्छी तरह पकाकर छान लें। फिर इसमें दूध व चीनी डालकर चाय की तरह पीएं। इससे बुखार ठीक होता है और जुकाम शांत होता है।
- छाया में सुखाई हुई तुलसी की पत्ती 50 ग्राम, बनफ्सा, सौंफ, ब्राहमी बूंटी, लाल चंदन प्रत्येक 30 ग्राम, इलायची व दालचीनी 10-10 ग्राम। इस सभी को कूटकर पानी में मिलाकर चाय बना लें और फिर इसमें दूध व चीनी मिलाकर पीएं। इसके सेवन से सामान्य बुखार, जुकाम और छींके आदि दूर होती है।
- तुलसी के 15 पत्ते और 4 कालीमिर्च मिलाकर खाने से जुकाम व बुखार ठीक होता है।
- 25 तुलसी के पत्ते, 15 कालीमिर्च, 10 ग्राम अदरक व 10 दालचीनी का 250 मिलीलीटर पानी में उबालकर दिन में 3-4 बार पीने से बुखार ठीक होता है।
- 20 तुलसी के पत्ते, 20 कालीमिर्च, 9 ग्राम अदरक और 2 ग्राम दालचीनी को 50 मिलीलीटर पानी में पकाकर चाय बना लें। इसमें 25 ग्राम मिश्री या चीनी मिलाकर दिन में 2-3 बार बुखार से पीड़ित रोगी को पिलाएं। इससे सामान्य बुखार दूर होता है।
- तुलसी के पत्तों का काढ़ा बनाकर पीने से अधिक पसीना आकर बुखार उतर जाता है।
- तुलसी के 8-10 पत्ते, आधा चम्मच लौंग, आधा चम्मच सोंठ का चूर्ण तथा 1 चम्मच कालीमिर्च का चूर्ण। इन सभी को 1 गिलास पानी में उबालें। जब पानी आधा बच जाए तो इसे छानकर थोड़ी-सी चीनी मिलाकर 3-3 चम्मच की मात्रा में दिन में 3-4 बार पिलाने से बुखार का आना ठीक होता जाता है।
- तुलसी के 10 पत्ते, सोंठ 3 ग्राम, लौंग 5, कालीमिर्च 21 और स्वादानुसार चीनी डालकर उबालें। जब आधा पानी शेष रह जाए तो इसे छानकर रोगी को 3-4 बार पिलाएं। इससे बुखार में जल्दी आराम मिलता है।
- तुलसी के पत्तों के साथ अजवायन को पीसकर प्रतिदिन सेवन करने से चेचक का बुखार शांत होता है।
- नीम की नई पत्तियां व तुलसी के पत्ते को मिलाकर चूर्ण बना लें और यह चूर्ण शहद या मिश्री के साथ मिलाकर सुबह के समय रोगी को दें। इससे चेचक के दाने कम होते हैं और जलन शांत होती है।
- चेचक के बुखार से पीड़ित रोगी को तुलसी के बीज व धुली हुई अजवाइन को पीसकर रोगी को पिलाना लाभकारी होता है।
- सुबह के समय रोगी को तुलसी के पत्तों का रस आधा चम्मच की मात्रा में पिलाने से चेचक के रोग में लाभ मिलता है।
- 20 तुलसी के पत्ते और 5 कालीमिर्च को पीसकर पानी में मिलाकर पीने से निमोनिया रोग ठीक होता है।
- 20 तुलसी के पत्ते, 5 कालीमिर्च, 3 लौंग, 2 चुटकी हल्दी और एक गांठ अदरक। इन सभी को बराबर मात्रा में लेकर एक कप पानी में उबालें और जब आधा कप पानी बच जाए तो इसे छानकर निमोनिया के बुखार से पीड़ित रोगी को पिलाएं। इसका सेवन दिन में 2 बार लगभग 10 दिनों तक करने से निमोनिया रोग ठीक होता है।
- तुलसी की पत्तियों का रस, सोंठ, कालीमिर्च तथा पीपल का चूर्ण बनाकर सेवन कराने से निमोनिया में आराम मिलता है।
- तुलसी के 10 पत्ते तथा आधा से 1 ग्राम जावित्री को पीसकर शहद के साथ मिलाकर रोगी को चटाने से मियादी बुखार में आराम मिलता है।
- काली तुलसी, वन तुलसी और पोदीना बराबर मात्रा में लेकर काढ़ा बना लें और यह काढ़ा दिन में 3 बार 3 से 7 दिनों मियादी बुखार से पीड़ित रोगी को पिलाएं। इससे बुखार उतर जाता है और रोग में आराम मिलता है।
- तुलसी के पत्तों का रस और नींबू का रस बराबर मात्रा में मिलाकर दिन में 2 से 3 बार दाद पर लगाने से दाद ठीक होता है। इसके उपयोग से खाज-खुजली, मुंहासे, काले धब्बे, झांई आदि त्वचा के रोग ठीक होते हैं।
- दाद से पीड़ित रोगी को प्रतिदिन तुलसी के पत्तों का रस 12 मिलीलीटर की मात्रा में पीना चाहिए।
- तुलसी के पत्तों का रस दाद पर लगाने से दाद ठीक होता है।
- तुलसी के 100 पत्ते और चौथाई चम्मच नमक को मिलाकर पीस लें और इसमें आधा नींबू निचोड़कर दाद पर लेप करें। इससे दाद व खाज-खुजली ठीक होती है।
- तुलसी के 100 पत्ते और लहसुन की 5 कली को एक साथ पीसकर दाद पर लगाने से दाद ठीक होता है।
- दाद को साफ करके तुलसी के पत्ते को पीसकर लेप करने से 15 दिनों में दाद नष्ट हो जाता है।
- तुलसी के पत्तों का रस और शहद बराबर मात्रा में मिलाकर पिलाने से उल्टी बंद होती है।
- तुलसी के पत्तों का रस पिलाने से उल्टी बंद हो जाती है। पेट में यदि कीड़े होने के कारण उल्टी आती हो तो उसे तुलसी के पत्तों का रस पिलाना चाहिए।
- शहद और तुलसी के पत्तों का रस मिलाकर चाटने से चक्कर आना व उल्टी बंद होती है।
- तुलसी का रस, पोदीना और सौंफ का रस मिलाकर पीने से उल्टी बंद होती है।
- 10 ग्राम तुलसी के पत्तों को 1 ग्राम छोटी इलायची के साथ पीस लें फिर इसमें 10 ग्राम चीनी मिलाकर सेवन करें। इससे पित्त के कारण होने वाली उल्टी दूर हो जाती है।
- तुलसी के पत्ते, कालीमिर्च और कपूर को पीसकर दर्द वाले दांतों के बीच दबाकर रखने से दांतों का दर्द ठीक होता है।
- कालीमिर्च और तुलसी के पत्तों को पीसकर गोली बना लें और यह गोली दांत के नीचे रखने से दांतों का दर्द नष्ट होता है।
- तुलसी के पत्तों का रस पानी में मिलाकर हल्का गर्म करके कुल्ला करें। इससे दांतों का दर्द, मसूढ़ों से खून आना व दांतों के अन्य रोग समाप्त होते हैं।
- तुलसी के पत्तों का रस, हल्दी व सेंधानमक मिलाकर पानी में मिला लें और इससे कुल्ले करें। इससे मुंह, दांत तथा गले के सभी विकार दूर होते हैं।
- तुलसी के बीजों का चूर्ण 2 ग्राम की मात्रा में पुराने गुड़ के साथ मिलाकार खाएं और इसके बाद 1 कप दूध पीएं। इसका सेवन नियमित रूप से सुबह-शाम नियमित रूप से कुछ महीनों तक लेने से सेक्स सम्बंधी धातु की वृद्धि होती है। इससे नपुंसकता (नामर्दी) और शीघ्रपतन (धातु का शीघ्र निकल जाना) की समस्याएं दूर हो जाती है।
- धातुदुर्बलता (वीर्य की कमजोरी) होने पर तुलसी के बीज 60 ग्राम और मिश्री 75 ग्राम को एक साथ पीसकर चूर्ण बना लें और यह चूर्ण प्रतिदिन 3 ग्राम की मात्रा में गाय के दूध के साथ सेवन करें। इससे धातु की कमजोरी दूर होती है।
- तुलसी का रस, अदरक का रस व शहद मिलाकर सेवन कराने से चक्कर आना बंद होता है।
- तुलसी के पत्ते को चीनी के शर्बत में पीस लें और फिर उसी शर्बत में अच्छी तरह मिलाकर दिन में 2 से 3 बार पिलाएं। इससे चक्कर आना ठीक होता है।
- तुलसी के पत्तों का रस 5 बूंद और 1 चम्मच चीनी को आधा कप पानी में मिलाकर सेवन करने से लू (गर्मी) के कारण चक्कर आना ठीक होता है।
- नींबू और तुलसी के पत्तों का रस बराबर मात्रा में मिलाकर 2-2 चम्मच दिन में 2 से 3 बार सेवन करने से सिर दर्द ठीक होता है।
- तुलसी के पत्तों के रस में कपूर मिला लें और इस रस में चंदन की लकड़ी को घिसकर सिर पर लेप करें। इससे सिर दर्द दूर होता है।
- तुलसी और अडूसे का रस मिलाकर सूंघने से कफ के कारण होने वाला सिर दर्द दूर होता है।
- तुलसी के पत्तों को पीसकर माथे पर लेप करने से सिर का दर्द ठीक होता है।
- सिर दर्द से पीड़ित रोगी को सुबह खाली पेट तुलसी के रस में शहद मिलाकर चाटना चाहिए। इससे सिर दर्द व माईग्रेन में भी लाभ मिलता है।
- तुलसी के पत्तों को छाया में सुखाकर चूर्ण बनाकर सूंघने से सिर दर्द शांत होता है। इस चूर्ण को सेवन करने से पागलपन की उत्तेजना भी दूर होती है।
- यदि बच्चे को पतले दस्त बार-बार आते हों तो उसे तुलसी के पत्तों का रस धाय के फूलों के साथ पीसकर मां के दूध में मिलाकर दें। इससे दस्त का बार-बार आना बंद होता है।
- 2 चम्मच तुलसी का रस और 2 चम्मच मिश्री मिलाकर दिन में 3-4 बार बच्चे को पिलाने से दस्त रोग ठीक होता है। यह दस्त में आंव व खून आना बंद करता है।
- तुलसी के 5 पत्ते, नीम के 2 पत्ते और पुदीने के 5 पत्तों को लगभग 150 मिलीलीटर पानी में पकाएं। जब पानी केवन आधा कप बच जाए तो इसे छानकर दिन में 3 गर्म करके सेवन करें। इसके सेवन से दस्त रोग ठीक होता है।
- यदि कोई छोटा बच्चा दस्त रोग से परेशान हो तो उसे तुलसी के पत्तों के रस में चीनी मिलाकर पिलाएं। इससे छोटे बच्चे को पतले दस्त आने बंद हो जाते हैं।
- तुलसी और अदरक का रस मिलाकर पीने से दस्त का बार-बार आना ठीक होता है।
- तुलसी के पत्तों का काढ़ा बनाकर 10 मिलीलीटर की मात्रा में सेवन करने से दस्त रोग के कारण उत्पन्न पेट की मरोड़ व कब्ज दूर होती है।
- तुलसी के 4 पत्ते और थोड़ा जायफल का चूर्ण मिलाकर काढ़ा बनाकर सेवन करें। इससे दस्त रोग ठीक होता है।
- तुलसी के बीज चौथाई चम्मच दूध या पानी में पीसकर सेवन करने से दस्त बार-बार आना समाप्त होता है।
- प्रतिदिन तुलसी के पत्ते सेवन करने से मलेरिया का बुखार ठीक होता है। मलेरिया के बुखार से पीड़ित रोगी का जब बुखार उतर जाए तो उसे सुबह के समय तुलसी के 15 पत्ते और 10 कालीमिर्च खिलाना चाहिए। इससे मलेरिया का बुखार दुबारा नहीं होता।
- 20 तुलसी के पत्ते, 10 कालीमिर्च और एक चम्मच चीनी मिलाकर काढ़ा बनाकर मलेरिया बुखार से पीड़ित रोगी को सेवन कराएं। इससे बुखार में बेहद आराम मिलता है और बुखार उतर जाता है।
- गुड़, कालीमिर्च व तुलसी के पत्ते को मिलाकर काढ़ा बना लें और इस काढ़ा में नींबू का रस मिलाकर रोगी को 3 घंटे के अंतर पर गर्म करके पिलाएं। साथ ही रोगी को कम्बल ओढ़ा दें। इससे मलेरिया बुखार में जल्दी आराम मिलता है।
- तुलसी के 15 पत्ते, 10 कालीमिर्च और 2 चम्मच चीनी को पानी में उबालकर काढ़ा बना लें। यह काढ़ा गर्म करके दिन में 3 बार सेवन करने से मलेरिया बुखार में लाभ मिलता हैं।
- तुलसी के 10 पत्ते, 5 ग्राम करंज की गिरी, 10 कालीमिर्च तथा 5 ग्राम जीरा। इन सभी को एक साथ पीसकर छोटी-छोटी गोलियां बना लें। 2-2 गोलियां दिन में 3 बार सेवन करने से मलेरिया में लाभ मिलता है।
- तुलसी के पत्ते 10 ग्राम और 7 कालीमिर्च को पानी में पीसकर सुबह-शाम रोगी को खिलाने से मलेरिया बुखार ठीक होता है।
- तुलसी के 22 पत्ते और 20 पिसी हुई कालीमिर्च को 2 कप पानी में उबाल लें और पानी एक चौथाई बचा रह जाने पर इसमें मिश्री मिलाकर ठंडा करके पीएं। इससे मलेरिया का बुखार ठीक होता है।
- तुलसी के सूखे पत्ते, कपूर, कत्था व इलायची बराबर-बराबर में लें और फिर इस मिश्रण में 9 गुना चीनी मिलाकर चूर्ण बना लें। इसे चुटकी भर की मात्रा में सुबह-शाम दिन में 2 बार सेवन करने से खांसी-जुकाम, गले की सूजन में आराम मिलता हैं और फेफड़ों में जमा हुआ कफ निकलकर खांसी ठीक होती है।
- 5 लौंग को तुलसी के पत्ते के साथ चबाने से सभी तरह की खांसी ठीक होती है। तुलसी के पत्ते और 4 ग्राम मिश्री की एक मात्रा लेने से खांसी दूर होती है। इससे फेफड़ों में कफ जमा होने के कारण उत्पन्न घड़घड़ाहट दूर होती है।
- तुलसी के पत्ते और कालीमिर्च को बराबर मात्रा में लेकर पीस लें और इसकी गोलियां बना लें। इसमें से 1-1 गोली दिन में 4 बार सेवन करने से छाती व गले में फंसा बलगम (कफ) बाहर निकल जाता है।
- 12 मिलीलीटर तुलसी के पत्तों का काढ़ा बनाकर इसमें चीनी और दूध मिलाकर पीने से खांसी समाप्त होती है। इससे छाती का दर्द दूर होता है।
- तुलसी के पत्तों के रस में शहद मिलाकर पीने से खांसी दूर होती है।
- 3 मिलीलीटर तुलसी का रस, 6 ग्राम मिश्री और 3 कालीमिर्च को एक साथ सेवन करना चाहिए। इससे कफ के कारण छाती की जकड़न, पुराना बुखार व खांसी ठीक होती है।
- ज्वर, खांसी, श्वास रोग आदि से पीड़ित रोगी को तुलसी के पत्तों का रस, 3 मिलीलीटर अदरक का रस और 5 मिलीलीटर शहद को मिलाकर सुबह-शाम सेवन करना चाहिए। प्रतिदिन इसका सेवन करने से खांसी में आराम मिलता है।
- जुकाम, खांसी, गलशोथ, फेफड़ों में बलगम जमा होना आदि रोग में तुलसी के सूखे पत्ते, कत्था, कपूर और इलायची को बराबर मात्रा में मिलाकर उसमें 9 गुना चीनी मिलाकर चूर्ण बना लें। यह चूर्ण चुटकी भर सुबह-शाम सेवन करने से छाती व गले में जमा हुआ बलगम निकल जाता है और खांसी में आराम मिलता है।
- 3 मिलीलीटर तुलसी के पत्तों के रस में मिश्री को मिलाकर चाटने से खांसी दूर होती है।
- तुलसी की मंजरी, सोंठ व प्याज का रस बराबर मात्रा में लेकर पीस लें और इसमें शहद मिलाकर सेवन करें। इससे खांसी का दौरा शांत होता है।
- 3 मिलीलीटर तुलसी के पत्तों का रस और 3 मिलीलीटर अड़ूसे के पत्ते का रस मिलाकर बच्चे को चटाने से खांसी दूर होती है।
- प्रतिदिन खांसी से पीड़ित रोगी को तुलसी का पत्ता चबाना चाहिए। इससे खांसी ठीक होती है।
- 20 ग्राम तुलसी के सूखे पत्ते, 20 ग्राम अजवायन तथा 10 ग्राम कालानमक को एक साथ मिलाकर चूर्ण बना लें। यह चूर्ण 3 ग्राम की मात्रा में गुनगुने पानी के साथ सेवन करें। इससे जुकाम व खांसी नष्ट हो जाती है।
- 5 मिलीलीटर तुलसी के पत्तों के रस में 4 दाने इलायची मिलाकर पीस लें और इसमें शहद मिलाकर चाटें। इससे जमा हुआ कफ निकलकर खांसी ठीक हो जाती है।
- तुलसी के रस, अदरक का रस, पान का रस, कालीमिर्च का चूर्ण, कालानमक व शहद को एक साथ मिलाकर चाटने से सूखी खांसी में आराम मिलता है।
- तुलसी के 25 से 50 पत्ते खरल में कूटकर मीठे दही या शहद में मिलाकर खाने से श्वास रोग और खांसी में आराम मिलता है।
- तुलसी के बीजों का चूर्ण 2-2 चुटकी भर सुबह-शाम शहद के साथ सेवन करने से खांसी बंद होती है।
- 5 लौंग को भूनकर तुलसी के पत्तों के साथ चबाने से समस्त प्रकार की खांसी में लाभ मिलता है।
- प्रतिदिन केवल तुलसी के पत्तों का काढ़ा बनाकर पीने से खांसी ठीक होती है।
- तुलसी के सूखे पत्ते और 4 ग्राम मिश्री को पिसकर चूर्ण बना लें और यह चूर्ण प्रतिदिन एक बार सेवन करने से कफ नष्ट होता है और फेफड़ों की घबराहट दूर होती है।
- तुलसी के पत्ते और कालीमिर्च बराबर मात्रा में लेकर पीस लें और मूंग के आकार की गोलियां बना लें। यह 1-1 गोली दिन में 4 बार सेवन करने से कुकर खांसी (हूपिंग कफ) ठीक हो जाती है।
- तुलसी के पत्तों का सूखा चूर्ण शहद में मिलाकर चाटने से भी खांसी में लाभ मिलता है।
- तुलसी और अदरक का 1 चम्मच रस निकाल लें और इस रस में एक चम्मच शहद मिलाकर चाटें। इससे खांसी और गले के रोग ठीक होते हैं। इससे गले में जमा हुआ कफ दूर होता है और गले की खुश्की भी शांत होती है।
- चौथाई चम्मच तुलसी के पत्तों का चूर्ण शहद के साथ प्रतिदिन सुबह-शाम सेवन करने से आधे सिर का दर्द दूर होता है।
- यदि आधे सिर का दर्द सूर्योदय के साथ शुरू होता है और सूर्यास्त के साथ समाप्त होता है तो एक चौथाई चम्मच तुलसी के बीजों को पीसकर शहद में मिलाकर सेवन करें। इसके सेवन से आधे सिर का दर्द ठीक होता है।
- तुलसी के 11 पत्ते और 11 कालीमिर्च मिलाकर खाने से सिर दर्द दूर होता है। इसे सूंघने से माईग्रेन (आधे सिर का दर्द) ठीक होता है।
- 10 तुलसी के पत्ते और 5 कालीमिर्च को पानी में मिलाकर चाय की तरह बनाएं। फिर इसमें थोड़ा सा गुड़ और देशी घी या सेंधानमक डालकर पीएं। इससे सर्दी-जुकाम में लाभ मिलता है।
- प्रतिदिन केवल तुलसी के पत्तों का काढ़ा पीने से जुकाम ठीक होता है।
- तुलसी के पत्ते, कालीमिर्च और सोंठ भी चाय की तरह उबालकर चीनी व दूध मिलाकर सेवन करने से जुकाम में आराम मिलता है।
- तुलसी के सूखे पत्ते को पीसकर सूंघने से नाक से पानी बहना बंद होता है।
- बच्चों की सर्दी, खांसी, कफ की घड़घड़ाहट में तुलसी के पत्तों का रस शहद में मिलाकर पिलाना चाहिए।
- 50 ग्राम तुलसी के पत्ते, 20 ग्राम बनफशा और 10 ग्राम मुलहठी को पानी के साथ मिलाकर पकाएं और जब पानी केवल एक चौथाई रह जाए तो छानकर 10 ग्राम मिश्री के साथ चाशनी बनाकर करें। इससे सर्दी-जुकाम ठीक होता है और खांसी भी नष्ट होती है। इससे कफ व बलगम भी निकल जाता है।
- प्रतिदिन सुबह उठते ही 4 पत्ते तुलसी के और 4 कालीमिर्च मिलाकर खाने से जुकाम और बुखार ठीक होता है।
- 7 से 11 तुलसी के ताजे पत्ते या सुखाए हुए पत्ते का चूर्ण 1 ग्राम, अदरक 2 ग्राम या आधा ग्राम सोंठ, मोटी-मोटी पिसी हुई 7 कालीमिर्च। इन सभी को 200 मिलीलीटर पानी मे 2 मिनट तक उबालकर उतार लें। फिर इसे छानकर इसमें 200 मिलीलीटर उबले दूध और 1-2 चम्मच चीनी या मिश्री मिलाकर पीएं। इसके बाद चादर ओढ़कर 10 मिनट के लिए सो जाएं। ऐसा करने से सर्दी की वजह से सिर दर्द, नाक से पानी गिरना, जुकाम, पुराना जुकाम, सांस की नली में सूजन, दर्द, हल्का बुखार, मलेरिया, बदहजमी आदि रोग ठीक होता है। बच्चों के सर्दी-जुकाम में यह आधी मात्रा में सेवन कराना चाहिए।
- तुलसी, कालीमिर्च, दालचीनी और लौंग का काढ़ा बनाकर पीने से जुकाम ठीक होता है।
- 6-7 तुलसी के पत्ते, 1 चम्मच गुलकंद, 2 कालीमिर्च के दानें, सोंठ की 1 गांठ और 2 लौंग को एक साथ मिलाकर काढ़ा बनाकर पीने से जुकाम में लाभ होता है।
- तुलसी के सूखे पत्तों का काढ़ा बनाकर सूंघने से जुकाम और नाक के कीड़े व जख्म आदि दूर होते हैं।
- तुलसी के पत्तों का काढ़ा बनाकर उसके अंदर थोड़ी सी मिश्री मिलाकर पीने से सर्दी या गर्मी के मौसम में होने वाले जुकाम, बलगम व सिरदर्द ठीक होते हैं।
- तुलसी के पत्तों के रस में लगभग 700 ग्राम चीनी मिलाकर चासनी बना लें और एक बोतल में भरकर रख दें। यह चासनी प्रतिदिन लगभग 25 ग्राम दिन में 3 से 4 बार खाने से जुकाम ठीक होता है।
- तुलसी के 20 पत्ते और 5 कालीमिर्च को प्रतिदिन भोजन करने के बाद चबाकर खाने से कब्ज दूर होती है और पाचन क्रिया ठीक होती है। तुलसी के काढ़े में सेंधानमक और सोंठ मिलाकर पीने से हिचकी भी बंद होती है।
- प्रतिदिन सुबह 1 तुलसी का पत्ता सेवन करने से कब्ज, गैस, अग्निमांद्य आदि रोग समाप्त होते हैं।
- तुलसी के 50 पत्ते, थोड़ा सा टुकड़ा अदरक और स्वादानुसार कालानमक को एक साथ पीसकर चूर्ण बना लें और यह चूर्ण प्रतिदिन सेवन करें। इससे कब्ज दूर होती है और मल साफ आने लगता है।
- तुलसी के 100 पत्ते और 1 चम्मच गुलाबी फिटकरी को पीसकर चने के बराबर गोलियां बना लें और इसे छाया में सुखा लें। यह 1-1 गोली प्रतिदिन सेवन करने से कब्ज दूर होती है।
- तुलसी के पत्तें 25 ग्राम को पीसकर 5 ग्राम मीठे दही में मिलाकर सेवन करने से कब्ज दूर होकर पाचन क्रिया ठीक होती है। बच्चे को कब्ज होने पर आधा ग्राम की मात्रा में शहद के साथ सुबह सेवन कराना चाहिए।
- तुलसी के 4 पत्ते, दालचीनी, सोंठ, जीरा, सनाय के पत्ते और लौंग बराबर-बराबर मात्रा में लें और पीसकर चटनी बना लें। इस चटनी को 1 कप पानी में उबालें और जब पानी आधा कप रह जाए तो इसे छानकर दिन में 2 सेवन करें। इसके कब्ज, भोजन का न पचना, मल साफ न आना आदि रोग समाप्त होते हैं।
- 1 गिलास पानी में 10 ग्राम तुलसी के पत्ते उबालें और जब पानी उबले हुए केवल एक चौथाई बच जाए तो इसे छानकर पीएं। इससे जिगर का बढ़ना ठीक होता है। इसके प्रतिदिन सेवन से यकृत के अन्य रोग भी दूर होते हैं।
- यकृत बढ़ने पर रोगी को तुलसी के पत्तों का रस गाय के दूध के साथ 20 दिन तक पिलाना चाहिए। इससे यकृत का बढ़ना ठीक होता है।
- तुलसी के रस में बलगम को पतला करके निकालने का गुण होता है। इसीलिए यह खांसी व जुकाम में यह बहुत लाभकारी होता है। तुलसी का रस, शहद, अदरक व प्याज का रस मिलाकर सेवन करने से दमा रोग ठीक होता है।
- तुलसी व अदरक का रस 5-5 ग्राम लेकर शहद के साथ प्रतिदिन सुबह-शाम सेवन करने से दमा रोग में आराम मिलता है। इससे गले या छाती में जमा हुआ कफ निकल जाता है।
- तुलसी के पत्ते और कालीमिर्च बराबर मात्रा में मिलाकर सेवन करने से दमा नष्ट होता है।
- एक साल से अधिक आयु वाले बच्चे को दमा रोग हो तो उसे ठीक करने के लिए तुलसी के 5 पत्ते को बारीक पीसकर शहद के साथ चटाना चाहिए। इसका उपयोग प्रतिदिन सुबह-शाम 3-4 सप्ताह तक करने से बच्चों के दमा रोग ठीक होता है। 1 साल से कम आयु वाले बच्चे को दमा रोग होने पर तुलसी के पत्तों का 2 बूंद रस शहद में मिलाकर दिन में 2 बार चटाएं।
- यदि किसी स्त्री को मासिकधर्म नियमित रूप से सही मात्रा में आने के बाद भी गर्भ नहीं ठहरता हो तो मासिकधर्म के दिनों में स्त्री को तुलसी के बीज को चबाना चाहिए या पानी में पीसकर या काढ़ा बनाकर सेवन करना चाहिए। इससे गर्भधारण होता है। यदि 2 से 4 महीने के सेवन से गर्भधारण न हो तो इसका सेवन एक वर्ष तक करें। इस प्रयोग से गर्भाशय निरोग, सबल बनकर गर्भधारण के योग्य बनता है।
- तुलसी के बीज 5 ग्राम की मात्रा में पानी के साथ मासिकधर्म शुरू होने से पहले 3 दिनों तक नियमित सेवन करने से गर्भधारण होता है।
- तुलसी और चमेली के पत्ते को एक साथ चबाने से मुंह के छाले ठीक होते हैं।
- बच्चों के मुंह के छाले होने पर 2 कालीमिर्च और 4 तुलसी के पत्ते को मिलाकर पीस लें और इसमें शहद मिलाकर बच्चे को चटाएं। इससे मुंह के छाले खत्म होते हैं।
- तुलसी के 4-5 पत्ते प्रतिदिन सुबह-शाम चबाकर ऊपर से पानी पीने से मुंह के छाले व दुर्गंध दूर होती है।
- मुंह के छाले व जख्म होने पर तुलसी की सूखी लकड़ी को पानी के साथ घीसकर छालों पर लगाएं। इससे छाले व जख्म जल्दी ठीक होते हैं।
- त्वचा के रोग में : तुलसी के पत्तों का रस और नींबू का रस समान मात्रा में मिलाकर दाग, खाज, चेहरे झाइयां, कील, मुंहासे व अन्य त्वचा रोग पर लगाने से वे ठीक होते है।
- तुलसी के पत्ते को छाया में सुखाकर बारीक पीस लें और कपड़े से छानकर घाव पर छिड़कें। इससे घाव भर जाते हैं।
- फोड़े, जख्म व घाव होने पर काली तुलसी के पत्ते को पीसकर लगाना चाहिए। इससे फोड़े अच्छी तरह से पककर फूट जाते है और दर्द से आराम मिलता है।
- तुलसी की लकड़ी को पानी में घिसकर चंदन की तरह घाव पर लगाने से आराम मिलता है।
- तुलसी के पत्तों का रस या पत्तों के काढ़े से घाव को धोने से घाव व जख्म जल्दी भर जाते हैं।
- तुलसी के पत्तों का रस 250 मिलीलीटर और नारियल का तेल 250 मिलीलीटर को मिलाकर आग पर गर्म करें और जब केवल तेल बच जाए तो इसमें 15 ग्राम मोम डाल दें। इसके बाद मोम अच्छी तरह मिल जाने पर इसे उतार लें और आग से जले हुए स्थान पर लगाएं। इससे आग की जलन शांत होती है। इसका उपयोग खुजली और फुंसी को नष्ट करने के लिए भी किया जा सकता है।
- नारियल के तेल में तुलसी के पत्तों का रस मिलाकर जले हुए अंगों पर लगाने से जलन व दर्द शांत होता है और फफोले भी नहीं पड़ते। इसे छाले व घाव पर भी लगाया जा सकता है।
- एक तुलसी का ताजा हरा पौधा जड़ समेत उखाड़ लें और इसे धोकर साफ करके आधे किलो पानी व आधे किलो सरसों के तेल में हल्की-हल्की आग पर पकाएं। जब पकते-पकते केवल तेल बच जाए तो इसे उतारकर छान लें। इस तरह तैयार तुलसी के तेल को सफेद दाग पर लगाने से सफेद दाग ठीक होता है। यह खुजली, फुंसियों व जख्मों को भी ठीक होता है।
- काली तुलसी के पत्तों का रस कालीमिर्च के साथ प्रतिदिन 2 बार सेवन करने और सफेद दाग पर लगाने से लाभ होता है।
- तुलसी के पौधे की जड़ और तने को साफ करके छोटे-छोटे टुकड़े कर लें और फिर इसे आधे किलो तिल के तेल में डालकर पकाएं। पक जाने पर इसे छानकर एक शीशी में भर लें। इस तेल को दिन में 3-4 बार रुई के फोहे से सफेद दागों पर लगाने से सफेद दाग मिट जाते हैं।
- तुलसी के पत्तों का रस 10 बूंद और शहद 2 चम्मच एक गिलास पानी में मिलाकर कुछ दिनों तक सेवन करने से मोटापा कम होता है।
- तुलसी के कोमल और ताजे पत्ते को पीसकर दही के साथ बच्चों को सेवन कराने से बच्चों के शरीर में चर्बी का अधिक बनना कम होता है।
- हृदय की कमजोरी : सर्दी के मौसम में तुलसी के 10 पत्ते, 4 कालीमिर्च और 4 बादाम को मिलाकर पीस लें और शर्बत की तरह आधे कप पानी में घोलकर प्रतिदिन सेवन करें। इससे हृदय की कमजोरी दूर होती है और हृदय के अन्य रोग समाप्त होता है।
- तार की बिजली अथवा वर्षा में आकाश से गिरने वाली बिजली से यदि कोई व्यक्ति बेहोश हो गया हो तो उसके सिर व चेहरे पर तुलसी के पत्तों का रस डालें। इससे बेहोशी दूर होती है।
- काली तुलसी की जड़ से बनाया हुआ माला पहनने से वज्रपात से आघात पहुंचने का डर नहीं रहता।
- बिजली का करंट लगने पर पीड़ित व्यक्ति के मस्तक, छाती, हथेली व तलवों पर तुलसी के पत्तों के रस से मालिश करना चाहिए। इससे बेहोशी दूर होकर रोगी जल्दी होश में आ जाता है।
- यदि कम आयु में बाल गिरते हों या सफेद हो गए हों तो तुलसी के पत्तों का रस व आंवले का चूर्ण पानी में मिलाकर सिर पर लगाएं। यह लेप सिर पर लगाने के 10 मिनट बाद सिर को धो लें। ऐसा करने से बालों की जड़े मजबूत होती है और बालों का सफेद होना समाप्त होता हैं। ध्यान रखें कि लगाते व सिर धोते समय इसका पानी आंखों में नहीं जाना चाहिए।
- तुलसी के पत्तों का रस और नारियल का तेल मिलाकर पका लें और यह नियमित रूप से सिर पर लगाएं। इससे सफेद बाल काले होते हैं।
- यदि बाल टुटने के कारण जख्म बन गया हो जो तुलसी के पत्ते को पानी में उबालकर उस जख्म को धोएं और तुलसी के ताजा पत्ते को पीसकर जख्म पर लगाएं। इससे जख्म जल्दी भर जाता है। यह फोड़े-फुंसियों के लिए भी उपयोग किया जाता है।
- तुलसी और पीपल के नए कोमल पत्ते बराबर मात्रा में पीसकर फोड़ों पर प्रतिदिन 3 बार लगाने से फोड़े और बाल टुटने से होने वाले जख्म ठीक होते हैं।
- गर्मी या वर्षा ऋतु में होने वाली फुंसियों पर तुलसी की लकड़ी को घिसकर लेप करना चाहिए।
- तुलसी के 12 ग्राम पत्तों को 250 मिलीलीटर पानी में पकाएं। जब एकत्था चौथाई पानी शेष रह जाए तो छानकर सेंधानमक मिलाकर गर्म-गर्म ही रोगी को पिलाना चाहिए। इससे इंफ्लूएंजा बुखार ठीक होता है।
- तुलसी के पत्ते 12 ग्राम, लौंग 7 पीस, नमक 3 ग्राम को 250 मिलीलीटर पानी में उबालें आधे बच जाने पर छानकर पिलाएं। इसे इंफ्लूएंजा बुखार समाप्त होता है।
- 12 ग्राम तुलसी के पत्तों को 250 मिलीलीटर पानी में औटा लें। जब चौथाई पानी रह जाये तो पानी को छानकर सेंधा नमक मिलाकर गर्म-गर्म मिलाकर पिला दें।
- तुलसी के 4-5 पत्ते, 2 लौंग के पीस, लाल इलायची का 1 दाना, 2 कालीमिर्च मिलाकर एक कप पानी में पका लें। यह काढ़ा जब आधा कप रह जाए तो छानकर इंफ्लूएंजा बुखार से पीड़ित रोगी को रात को सोने से पहले पिलाएं। इससे बुखार में लाभ मिलता है।
- धातु दुर्बलता में तुलसी के बीज एक ग्राम दूध के साथ सुबह-शाम सेवन करने नपुंसकता दूर होती है और कामशक्ति बढ़ती है।
- तुलसी की जड़ और जमीकंद को पान में रखकर खाने से शीध्रपतन की शिकायते दूर होती है।
- तुलसी के बीज या तुलसी की जड़ के चूर्ण में पुराना गुड़ समान मात्रा में मिलाकर 3-3 ग्राम की गोली बना लें। यह 1-1 गोली सुबह-शाम गाय के ताजे दूध के साथ 1 से 6 सप्ताह तक लेने से नपुंसकता दूर होती है।
- वन तुलसी का बीज 350 से 700 मिलीग्राम की मात्रा में मिश्री मिलाकर गाय के दूध में सेवन करने से नपुंसकता दूर होकर कामशक्ति बढ़ती है।
- तुलसी की जड़ को छाया में सुखाकर पीसकर चौथाई पान में रखकर खाने से अनावश्यक रक्त-स्राव बंद हो जाता है।
- मासिकधर्म होने पर यदि कमर में दर्द रहता हो तो तुलसी के पत्तों का रस एक चम्मच सुबह के समय सेवन करने से कमर दर्द नष्ट होता है और मासिकधर्म में खून का आना बंद होता है।
- तुलसी के बीज, पलाश, पीपल, असगंध, नागकेसर तथा नीम की सूखे पत्ते को समान मात्रा में लेकर कूट-पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण में थोड़ी सी मिश्री मिलाकर 2 चम्मच की मात्रा में प्रतिदिन सुबह गाय के दूध के साथ सेवन करने से मासिकधर्म की नियमितता दूर होकर मासिकधर्म अनियमित होता है। इससे मासिकधर्म में अधिक खून का स्राव होना भी बंद होता है।
- तुलसी के पत्तों के 10 मिलीलीटर रस को प्रतिदिन सुबह-शाम गर्म करके बच्चे को पिलाने से पेट के कीड़े मरकर मल के साथ बाहर निकल जाते हैं।
- तुलसी के पत्तों का रस पीने से पेट के कीड़े समाप्त होते हैं और दर्द ठीक होता है।
- तुलसी के 10 पत्ते, बायविंडग का चूर्ण 2 ग्राम और एक चुटकी कालानमक को एक साथ पीसकर पानी में मिलाकर छोटी-छोटी गोलियां बना लें। यह 1-1 गोली रात को सोने से पहले पानी के साथ सेवन कराएं। इससे पेट के कीड़े मर जाते हैं और कीड़े के कारण होने वाले दर्द समाप्त होते हैं।
- तुलसी, बच, सोंठ, कालीमिर्च, दन्ती की जड़, कटेरी की जड़, सहजना की छाल, सेंधा नमक और छोटी पीपल को बराबर मात्रा में लेकर पानी के साथ मिलाकर बारीक पीसकर चटनी की तरह बना लें। इस चटनी को 4 गुना तेल में डालकर आग पर पकाने के लिए रख दें। पकने के बाद जब केवल तेल बाकी रह जाए तो इसे छानकर रख लें। इस तेल को नाक मे डालने से नाक से सांस की बदबू दूर होती है और नाक के अन्य रोग भी दूर होते हैं।
- तुलसी के पत्तों का चूर्ण सूंघने से पीनस (पुराना जुकाम) ठीक होता है।
- तुलसी के पत्तों के रस में अजवायन मिलाकर खाने से गठिया रोग नष्ट होता है।
- तुलसी के पत्ते आधा मुट्ठी, एरण्ड की नई पत्तियां और आधा चम्मच नमक। इन सभी को पीसकर गर्म करके घुटनों पर 10 दिन तक लेप करने से घुटनों का दर्द समाप्त होता है।
- तुलसी, सिनुआर और भंगरैया के रस को अजवायन के चूर्ण के साथ मिलाकर सेवन करने से गठिया रोग समाप्त होता है।
- तुलसी के पत्तों का रस आधा चम्मच, पिसी हुई कालीमिर्च 4 ग्राम, 2 चुटकी कालानमक तथा 2 चम्मच शहद। इन सबको मिलाकर 40 दिनों तक सेवन करने से गठिया का दर्द ठीक होता है।
- तुलसी के हरे पत्ते को पीसकर मिर्गी से पीड़ित रोगी के शरीर पर प्रतिदिन लगाने से मिर्गी में आराम मिलता है।
- हरे या सूखे तुलसी के पत्ते को मिर्गी के रोगी को सुंघाने से मिर्गी के दौरे नष्ट होते हैं।
- तुलसी के पत्तों का रस और चुटकी भर सेंधानमक मिलाकर नाक में टपकाने से मिर्गी के दौरों में उत्पन्न बेहोशी दूर होती है।
- तुलसी के पत्तों के रस में कपूर मिलाकर सुंघाने से मिर्गी रोग में लाभ मिलता है।
- चेहरे पर काली झांइयां हो तो सुबह पोदीने को पीसकर चेहरे पर लगाएं और आधे घंटे बाद पानी से धोकर साफ कर लें। शाम को तुलसी के पत्तों को पीसकर चेहरे पर लेप करें और आधा घंटे बाद पानी से चेहरे को धोकर साफ कर लें। इस तरह 3 महीने तक लगातार करने से चेहरे की झांइया मिटकर चेहरा साफ होता है।
- तुलसी के पत्ते को पीसकर पानी में मिलाकर चेहरे पर लगाने से चेहरे की झाइयां दूर होती है।
- तुलसी के पत्तों को पीस कर उन में नींबू का रस मिलाकर चेहरे पर प्रतिदिन लेप करने से त्वचा मुलायम और सुंदर होती है। इससे चेहरे की कील, मुंहासे, झाइयां एवं काले धब्बे-निशान ठीक होते हैं।
- तुलसी का चूर्ण मक्खन में मिलाकर चेहरे पर लगाने से कील, मुंहासे और झाइयां में आराम मिलता है।
- तुलसी के बीज या पत्ते को भूनकर चूर्ण बना लें और इस चूर्ण के बराबर मात्रा में गुड़ मिलाकर लगभग 1-1 ग्राम की गोलियां बना लें। यह 1-1 गोली गाय के दूध के साथ सुबह-शाम लेने से शरीर में भरपूर ताकत आती है।
- लगभग आधा ग्राम तुलसी के पीसे हुए बीजों को सादे या कत्था लगे पान के साथ प्रतिदिन सुबह-शाम खाली पेट खाने से बल, वीर्य, खून बढ़ता है।
- लगभग 10 ग्राम तुलसी के बीजों के चूर्ण को 20 ग्राम पुराने गुड़ में मिलाकर प्रतिदिन खाने से शारीरिक शक्ति बढ़ती है। इसका प्रयोग 40 दिनों तक करना चाहिए। इसका सेवन केवल सर्दी के दिनों में ही करना चाहिए क्योकि यह गर्म होता है।
- शौच आदि से आने के बाद सुबह के समय तुलसी के 5 पत्ते पानी के साथ खाने से बल, तेज व स्मरणशक्ति बढ़ती है। तुलसी के पत्तों का रस 8 बूंद पानी में मिलाकर प्रतिदिन पीने से मांसपेशियां और हडि्डयां मजबूत होती है। तुलसी के बीज दूध में उबालकर चीनी मिलाकर पीने से शारीरिक शक्ति बढ़ती है।