दिन में दिखाई न देना (दिवान्धता) din me dikhai na dena
दिन के समय दिखाई न देना दिवान्धता कहलाता है। विटामिन `ए´ की कमी से या ज्यादा संभोग करने से यह रोग होता है।परिचय :
विभिन्न भाषाओं में नाम :
हिन्दी | दिनोधि। |
असमी | दिबी अंधा। |
गुजराती | दिवस में अंधदा प्पसे। |
मराठी | दिवन्धले। |
उड़िया | दिनकाना। |
तेलगू | ग्रुडि्ड। |
अंग्रेजी | डिब्लाइंडनैस। |
मद्रासी | पकल। |
बंगाली | दिवान्ध्य। |
लक्षण :
1. छोटी इलायची : आंखों के रोगों में छोटी इलायची के बारीक चूर्ण को बकरी के पेशाब में मिलाकर आंखों में काजल की तरह लगाने से आराम आता है।2. ममीरा : ममीरा को रोजाना आंखों में लगाते रहने से दिन में दिखाई न देने की बीमारी में लाभ होता है।
3. मुंडी :
5. पुनर्नवा की जड़ : सफेद पुनर्नवा की जड़ को तेल में घिसकर आंखों में लगाने से लाभ होता है।
6. घी : गाय का पुराना घृत (घी) 1 से 2 बूंद रोजाना आंखों में डालने से आराम आता है।
7. घीग्वार : घीग्वार का रस 1 या 2 बूंद कर आंखों में डालने से आंखों के सारे रोग समाप्त हो जाते हैं।
8. त्रिफला (हरड़, बहेड़ा और आंवला) :
10. शहद : लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग धात्री लौह को भोजन के बाद रोजाना 2 बार घी या शहद में मिलाकर सेवन करने से आंखों की रोशनी बढ़ जाती है।
11. ब्राह्मी तेल : ब्राह्मी तेल से रोजाना 2 से 3 बार सिर पर मालिश करने से दिवान्धता यानी दिन में न दिखाई देने की बीमारी में रोगी को लाभ होता है।
12. आमलकी : रसांजन और गैरिक को आमलकी फल के रस में वर्ति (बत्ती) बनाकर आंखों में लगाने से आराम मिलता है।
13. गंभारी के फूल : बराबर मात्रा में लिए गये गंभारी के फूल, यष्टिमधु मूल, दारूहरिद्रा, लोध्र और रसजन के शहद में पीसकर बनाए गए अंजन (काजल) को आंखों में लगाना चाहिए।