हमारे देश में अनार का पेड़ सभी जगह उगाया जाता है। अफगानिस्तान और भारत के उत्तरी भाग में पैदा होने वाले अनार बहुत रसीले और अच्छी किस्म के होते हैं। अनार के पेड़ कई शाखाओं से युक्त लगभग 6 मीटर ऊंचे होते हैं। इसकी छाल चिकनी, पतली, पीली या गहरे भूरे रंग की होती है। इसके पत्ते कुछ लंबे व कम चौड़े होते हैं तथा फूल नारंगी व लाल रंग के, कभी-कभी पीले 5-7 पंखुड़ियों से युक्त एकल या 3-4 के गुच्छों में होते हैं। अनार के फल गोलाकार, लगभग 2 इंच व्यास का होता है। इसके फल का छिलका हटाने के बाद सफेद, लाल या गुलाबी रंग के रसीले दाने होते हैं। रस की दृष्टि से यह फल मीठा, खट्टा-मीठा और खट्टा तीन प्रकार का होता है। अनार का केवल फल ही नहीं बल्कि इसका पेड़ भी औषधीय गुणों से भरपूर होता है। फल की अपेक्षा कली व छिलके में अधिक गुण पाये जाते हैं।
विभिन्न भाषाओं में नाम :
- अनार के रस को नाक में डालने से नाक से खून आना बंद हो जाता है।
- अनार के फूल और दूर्वा (दूब नामक घास) के मूल रस को निकालकर नाक में डालने और तालु पर लगाने से गर्मी के कारण नाक से निकलने वाले खून का बहाव तत्काल बंद हो जाता है।
- 100 ग्राम अनार की हरी पत्तियां, 50 ग्राम गेंदे की पत्तियां, 100 ग्राम हरा धनिया और 100 ग्राम हरी दूब (घास) को एक साथ पीसकर पानी में मिलाकर शर्बत बना लें। इस शर्बत को दिन में 4 बार पीने से नकसीर (नाक से खून बहना) ठीक हो जाती है।
- 100 मिलीलीटर अनार का रस नकसीर (नाक से खून बहना) के रोगी को कुछ दिनों तक लगातार पिलाने से लाभ होता है।
- आधे कप खट्टे-मीठे अनार के रस में 2 चम्मच मिश्री मिलाकर रोजाना दोपहर के समय पीने से गर्मी के मौसम की नकसीर (नाक से खून बहना) ठीक हो जाती है।
- नथुनों में अनार का रस डालने से नाक से खून आना बंद हो जाता है। 7 दिन से अधिक रहने वाला बुखार, एपेन्डीसाइटिस में अनार लाभदायक है।
- अनार की कली जो निकलते ही हवा के झोंकों से नीचे गिर पड़ती है, अतिसंकोचन और गीलेपन को दूर करने वाली होती है। इनका रस 1-2 बूंद नाक में टपकाने से या सुंघाने से नाक से खून बहना बंद हो जाता है। यह नकसीर के लिए बहुत ही उपयोगी औषधि है।
- अनार के छिलके को छुहारे के पानी के साथ पीसकर लेप करने से सूजन में तथा इसके सूखे महीन चूर्ण को नाक में टपकाने से नकसीर में लाभ होता है।
- अनार के पत्तों के काढ़े को या 10 ग्राम रस पिलाने से तथा मस्तक पर लेप करने से नकसीर में लाभ होता है।
- गुलाब जल में अनार के छिलकों के बारीक चूर्ण को मिलाकर अच्छी तरह लेप बनाएं। इस लेप को सोते समय नियमित रूप से लगाकर सुबह चेहरा धो लें। इससे दाग के निशान, झांइयों के धब्बे दूर हो जाएंगे और चेहरे में चमक आ जायेगी।
- अनार के ताजे हरे 100 मिलीलीटर पत्तों के रस को 1 किलो सरसों में मिला लेते हैं। चेहरे पर इस तेल की मालिश करने से चेहरे की कील, झांईयां और काले धब्बे नष्ट हो जाते हैं।
- 3 चम्मच अनार के रस में 1 चम्मच जीरा और इतना ही गुड़ मिलाकर भोजन के बाद सेवन करने से अजीर्ण का रोग नष्ट हो जाता है।
- छाया में सुखाया हुआ अनार के पत्ते का चूर्ण 40 ग्राम और सेंधानमक 10 ग्राम दोनों को महीन पीसकर चूर्ण बनाकर रखें। 4-4 ग्राम सुबह-शाम भोजन से पहले पानी के साथ सेवन करने से अजीर्ण दूर होता है।
- अनार का रस, शहद और तिल का तेल समान मात्रा में लेकर, कुल मिश्रण 50 ग्राम की मात्रा में तैयार करते हैं। इसमें 6 ग्राम जीरा और 6 ग्राम खांड मिलाकर मुंह में भरे और थोड़ी देर तक मुंह को चलाते रहे। जब आंख नाक से पानी निकलने लगे तो कुल्ला कर दें और फिर दुबारा नया रस मुंह में भरें। दिन में 8-10 बार ऐसा करें। इसके अलावा जब बिल्कुल भूख न हो तथा यकृत में विकार हो तब उस अवस्था में भी लाभ होता है।
- खट्टे मीठे अनार का रस 1 ग्राम मुंह में भरकर धीरे-धीरे चलाकर पीयें। इस प्रकार 8 या 10 बार करने से मुंह का स्वाद सुधरकर आंत्रदोषों (आंतों के विकारों) का पाचन होता है तथा बुखार के कारण से हुई अरुचि भी दूर होती है।
- मीठे अनार के रस में शहद मिलाकर पिलाने से अरुचि में लाभ होता है।
- अनार के बीज को पीसकर उसमें थोड़ी-सी कालीमिर्च और नमक मिलाकर खाने से पित्त की वमन और घबराहट में आराम मिलता है।
- अनार का रस पीने से गर्भवती स्त्रियों की वमन विकृति (उल्टी) नष्ट होती है।
- अनार के रस में शहद मिलाकर चाटने से उल्टी आना बंद हो जाता है।
- सूखे अनारदाने को पानी में भिगो दें। थोड़ी देर के बाद इस पानी को पीने से उल्टी आने के रोग मे लाभ होता है।
- खट्टे-मीठे अनार के 200 मिलीलीटर रस में 25 ग्राम मुरमुरे का आटा और 25 ग्राम शर्करा मिलाकर सेवन करने से मस्तिष्क की गर्मी शांत होती है। इसके प्रयोग से शारीरिक गर्मी भी दूर होती है और पित्तज्वर को शांत करने हेतु भी यह प्रयोग गुणकारी है। लू लगने से आए हुए बुखार की जलन, व्याकुलता, उल्टी और प्यास भी इसके सेवन से मिट जाता है।
- अनार की जड़ और तने की छाल का काढ़ा बनाकर पिलाना चाहिए अथवा अनार की छाल के काढ़े में तिल का तेल मिलाकर 3 दिन तक पिलाना चाहिए। इससे पेट के कीडे़ नष्ट हो जाते हैं।
- यदि कद्दू दाना कृमि ही हो तो 50 ग्राम अनार के जड़ की छाल दरदरा कूटकर 2 लीटर पानी में उबालते हैं जब आधा पानी शेष बचे तो इसे उतार लें। इसके बाद 50 ग्राम सुबह खाली पेट, आधा-आधा घंटे के अंतर से 4 बार सेवन करें। फिर एक बार एरंड तेल का सेवन करें। बालकों को काढे़ की 10 मिलीलीटर तक की मात्रा देनी चाहिए।
- छाया में सुखाये हुए अनार के पत्तों को बारीक पीस छानकर 6 ग्राम की मात्रा में सुबह गाय की छाछ के साथ या ताजे पानी के साथ प्रयोग करें। इससे पेट के सभी कीड़े दूर हो जाते हैं।
- अनार की जड़ की छाल 10 ग्राम, वायबिडंग और इन्द्रजौ 6-6 ग्राम कूटकर काढ़ा तैयार कर लेते हैं। इसके बाद काढ़े का सेवन करने से पेट के कीड़े मरकर मल के साथ बाहर निकल जाते हैं।
- खट्टे अनार के छिलके और शहतूत की 20-20 ग्राम मात्रा को 200 मिलीलीटर पानी में उबालकर पीने से पेट के कीड़े नष्ट हो जाते हैं।
- अनार के पेड़ की जड़ की तरोताजा छाल 50 ग्राम लेकर उसके टुकड़े-टुकड़े कर लें। इसमें पलास बीज का चूर्ण 5 ग्राम, बायविडंग 10 ग्राम को एक लीटर पानी में उबालें। आधा पानी शेष रहने तक उसे उबालते रहें। उसके बाद नीचे उतारकर ठंडा होने पर छान लें। यह जल दिन में चार बार आधा-आधा घंटे के अन्तराल पर 50-50 ग्राम की मात्रा में पिलाने से और बाद में एरंड तेल का जुलाब देने से सभी प्रकार के पेट के कीड़े निकल जाते हैं।
- अनार के सूखे छिलकों का चूर्ण 1 चम्मच की मात्रा में दिन में 3 बार नियमित रूप से कुछ दिनों तक सेवन करें। इससे पेट के कीड़े नष्ट हो जाते हैं। यही प्रयोग खूनी दस्त, खूनी बवासीर, स्वप्नदोष, अत्यधिक मासिकस्राव में भी लाभकारी होता है।
- अनार के फल की छाल को उतार लें, फिर इससे काढ़ा बनाकर उसमें 1 ग्राम तिल का तेल मिलाकर पीने से पेट के कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
- अनार की जड़ की छाल, पलास बीज और वायविंडग को मिलाकर काढ़ा बना लें। इस काढे़ को शहद के साथ पीने से पेट के अंदर के सूती, चपटे और गोल आदि कीड़े मरकर मल के द्वारा बाहर निकाल जाते हैं।
- अनार की जड़ के काढ़े में मीठे तेल को मिलाकर 3 दिन तक सेवन करने से आंतों के कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
- 50 ग्राम अनार की जड़ की छाल को 250 मिलीलीटर पानी में उबाल लें, जब पानी 100 ग्राम की मात्रा में बचे, तब इस बने काढे़ को दिन में 3-4 दिन बार पीने से पेट के कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
- 3 ग्राम अनार के छिलकों का चूर्ण दही या छाछ (मट्ठे) के साथ सेवन करें।
- अनार की छाल को 24 घंटे पानी में भिगोकर रख दें, फिर उसी पानी को उबालकर खाली पेट सुबह पीने से पेट की फीताकृमि (कीड़) मर जाते हैं।
- अनार के दानों के रस में एक ग्राम सोनामक्खी का चूर्ण मिलाकर पिलाना चाहिए। इससे छाती का दर्द नष्ट हो जाता है।
- अनार के दानों का रस 10 मिलीलीटर में इतनी ही मात्रा में मिश्री मिलाकर पीने से हृदय को लाभ होता है तथा छाती का दर्द भी दूर होता है। छाती के दर्द में अनार के दानों के रस में 1 ग्राम सोनामुखी का चूर्ण डालकर पीना भी छाती के दर्द में लाभकारी होता है।
- अनार के दाने चबाकर उनका रस निगलने से अरुचि नष्ट हो जाती है।
- कालीमिर्च आधा चम्मच, सेंका हुआ जीरा 1 चम्मच, सेंकी हुई हींग चने की दाल के बराबर, सेंधानमक स्वादानुसार, अनारदाना 70 ग्राम इन सबको पीस लें। यह स्वादिष्ट अनारदाने का चूर्ण बन जाएगा। इसके खाने से अरुचि नष्ट हो जाती है और मन प्रसन्न हो जाता है।
- 14 मिलीलीटर अनार के रस में 1 ग्राम कालानमक मिलाकर अथवा भुना जीरा मिलाकर शहद या चीनी के साथ सेवन करें। इससे अजीर्ण और अरुचि नष्ट हो जाती है।
- 10 ग्राम अनार की छाल, 10 ग्राम पुराना गुड़ और 5 ग्राम जीरा मिलाकर देना चाहिए। इससे 1-2 दिन में ही अतिसार में लाभ होता है।
- 3-6 ग्राम अनार के जड़ की छाल या अनार के छिलके का चूर्ण शहद के साथ दिन में 3 बार देना चाहिए। इससे अतिसार नष्ट हो जाता है।
- लगभग 14-28 मिलीलीटर अनार के छिलके तथा कोरैया की छाल का काढ़ा दिन में 2 बार सेवन करने से अतिसार नष्ट हो जाता है।
- अनार फल के छिलके के 2-3 ग्राम चूर्ण का सुबह-शाम ताजे पानी के साथ प्रयोग करने से अतिसार तथा आमातिसार में लाभ होता है।
- अनार की ताजी कलियों के साथ छोटी इलायची के बीज और मस्तंगी को पीसकर शक्कर मिलाकर अवलेह तैयार कर लें, इसे चटाने से बालकों के पुराने अतिसार और प्रवाहिका में विशेष लाभ होता है।
- अनार को छिलके सहित कूटकर रस निचोड़कर 30-50 मिलीलीटर तक पिलायें। इसमें शक्कर मिलाकर पिलाने से पित्त के कारण होने वाली उल्टी, खुजली और थकान में लाभ होता है।
- अनार का छिलका 20 ग्राम को 1 लीटर पानी में उबालकर काढ़ा बनाकर रख लें, फिर इसी बने काढ़े को छानकर पीने से अतिसार (दस्त, पतली ट्टटी लगना) में खून का आना बंद हो जाता है।
- अनार के पत्तों को पानी में पीसकर लेने से अतिसार में लाभ मिलता है।
- अनार की कली 1 ग्राम, बबूल की हरी पत्ती 1 ग्राम, देशी घी में भुनी हुई सौंफ 1 ग्राम, खसखस या पोस्त के दानों की राख आदि 3 ग्राम की मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें, फिर इसी चूर्ण को लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग की मात्रा में 1 दिन में सुबह, दोपहर और शाम को मां के दूध के साथ पीने से बच्चों का दस्त आना बंद हो जाता है।
- अनार के छिलके 50 ग्राम को लगभग 1.2 मिलीलीटर दूध की मात्रा में डालकर धीमी आग पर रख दें, जब दूध 800 मिलीलीटर बच जाये इसे एक दिन में 3 से 4 बार खुराक के रूप में पीने से अतिसार यानी दस्त समाप्त हो जाते हैं।
- अनार की छाल का काढ़ा बनाकर 20 से 40 मिलीलीटर की मात्रा में सेवन करने से लाभ मिलता है।
- अनार के फल, सौंफ, सोंठ, आम की गुठली यानी गिरी, खसखस की डोडी और भुना हुआ सफेद जीरा को बराबर मात्रा में लेकर बारीक चूर्ण बनाकर रख लें, इस बने चूर्ण को लगभग 5 ग्राम की मात्रा में लेकर 10 ग्राम मिश्री के साथ हर 2 घंटे के बाद खाकर ताजा पानी को पीने से अतिसार यानी दस्त की बीमारी से रोगी को छुटकारा मिलता है।
- अनार की छाल का 100 ग्राम चूर्ण, 50 ग्राम जीरा, 3 ग्राम सेंधानमक को बारीक पीसकर 1 चम्मच की मात्रा में चूर्ण को लेकर 1 दिन में सुबह, दोपहर और शाम को पीने से पतले दस्तों का आना बंद हो जाता है।
- अनार के फल के छिलकों को उतारकर बारीक पीसकर चूर्ण बना लें, इसी बने चूर्ण को 20 ग्राम की मात्रा में लगभग 400 मिलीलीटर पानी में, 2 लौंग को डालकर अच्छी तरह से उबालकर काढ़ा बनाकर पीने से पेट में होने वाली मरोड़ या ऐंठन और दस्त बंद हो जाते हैं।
- अनार के रस को लगभग 2 से 3 ग्राम की मात्रा में 4 या कुछ दिनों तक पीने से अतिसार का आना रुक जाता है।
- अनार के छिलकों को सुखाकर 15 ग्राम की मात्रा में लेकर 2 लौंग को डालकर पीसकर 1 गिलास पानी में डालकर उबाल लें, जब पानी आधा रह जाये तब इसका सेवन 1 दिन में लगभग 3-3 घंटे के बाद पिलाने से दस्त, पेचिश और पेट में से मल के द्वारा आने वाली आंव समाप्त हो जाती है।
- अच्छे अनार के 20 मिलीलीटर रस में 10 ग्राम मिश्री मिलाकर सुबह-शाम देना चाहिए। इससे थोड़े दिनों में ही पीलिया ठीक हो जाता है।
- अनार खाने और रस पीने से शारीरिक कमजोरी नष्ट होती है और खून की कमी (एनीमिया) के रोग से मुक्ति मिलती है।
- 50 मिलीलीटर अनार के रस में रात को साफ लोहे का टुकड़ा डुबो दें। सुबह लोहे का टुकड़ा निकालकर, छानकर स्वादानुसार मिश्री और 25 मिलीलीटर पानी मिलाकर पी जायें। इससे पीलिया में लाभ होगा।
- लगभग 250 मिलीलीटर उत्तम अनार के रस में 750 ग्राम चीनी मिलाकर चाशनी बना लें। इसका सेवन दिन में 3 या 4 बार करने से पीलिया रोग दूर हो जाता है।
- छाया में सुखाए हुए अनार के पत्ते के महीन चूर्ण की 6 ग्राम मात्रा को सुबह गाय की छाछ तथा शाम को उसी छाछ के पनीर के साथ सेवन कराने से पीलिया रोग में लाभ मिलता है।
- अनार का रस मल बंध की शिकायत दूर करता है और पीलिया रोग में फायदा करता है।
- पके हुए स्वादिष्ट अनार के 200 मिलीलीटर रस में 40 ग्राम छोटी पीपल का चूर्ण, 40 ग्राम जीरे का चूर्ण, 40 ग्राम सोंठ का चूर्ण, 40 ग्राम दालचीनी का चूर्ण और 10 ग्राम शुद्ध केसर डालकर 200 ग्राम उत्तम पुराना गुड़ मिलाएं, फिर सबको एकत्र करके जलाकर उसमें 10 ग्राम इलायची का चूर्ण डालें और 5-5 ग्राम वजन की गोलियां बनाएं फिर रोज सुबह-शाम 250 मिलीलीटर दूध के साथ अपनी पाचन शक्ति के अनुसार लेना चाहिए। इससे टी.बी का रोग नष्ट हो जाता है।
- अनार के 200 मिलीलीटर स्वादिष्ट रस में पीपल, सफेद जीरा, सोंठ और दालचीनी का चूर्ण 40-40 ग्राम, उत्तम केशर 10 ग्राम, पुराना गुड़ 200 ग्राम, हल्की आंच पर पकायें, जब गोली बनने योग्य गाढ़ा हो जाये, तो नीचे उतारकर 10 ग्राम छोटी इलायची का चूर्ण डालकर 6-6 ग्राम की गोलियां बनाकर, सुबह-शाम 1-1 गोली बकरी के दूध के साथ सेवन करें।
- यदि कमजोरी अधिक हो, परन्तु दस्त और खांसी न हो तो, ताजे अनार का रस जितना पी सकें पिलायें। इससे टी.बी का रोग नष्ट हो जाता है।
- यदि खांसी हो तो अनार का रस 2-2 चम्मच दिन में 3-4 बार पिलायें।
- अनार का फल जो अच्छी तरह पका हो, उसकी छाल को पके हुए अनार फल के रस में घिसे। फिर इसे लाल घोंगची के ऊपर के छिलके निकालकर घिसना चाहिए और आंख की फूली पर अंजन करना चाहिए।
- अनार का फल जो अच्छी तरह पका हो, उसकी छाल को पके हुए अनार फल के रस में घिसे। फिर इसमें एक या दो लाल गुंजा का छिलका निकालकर घिसें। इसे फूली पर दिन में तीन बार लगावें।
- खूनी बवासीर में सुबह-शाम अनार के पिसे छिलके के चूर्ण को 8 ग्राम की मात्रा में ताजे पानी से फंकी लेना चाहिए। इससे खूनी बवासीर नष्ट हो जाता है।
- 12 ग्राम अनार के फल के छिलके का चूर्ण समान मात्रा में चीनी के साथ दिन में 2 बार दें। इससे खूनी बवासीर में लाभ मिलता है।
- 10 मिलीलीटर अनार के रस को मिसरी के साथ दिन में सुबह-शाम 2 बार लेना चाहिए। इससे खूनी बवासीर नष्ट हो जाती है।
- 10 ग्राम अनार के सूखे छिलकों के चूर्ण को बराबर मात्रा में बूरा मिलाकर दिन में 2 बार लेना चाहिए। इससे खूनी बवासीर नष्ट हो जाती है।
- मीठे अनार का छिलका शीतल तथा खट्टे फल का छिलका शीतल रूक्ष होता है इसलिए यह अर्श (बवासीर) के लिए विशेष उपयोगी होता है।
- अनार की जड़ के 100 मिलीलीटर काढे़ में 5 ग्राम सोंठ का चूर्ण मिलाकर दिन में 2-3 बार पीने से रक्तार्श यानी खूनी बवासीर में लाभ होता है।
- अनार के पत्तों का लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग रस सुबह-शाम पीने से खूनी बवासीर में लाभ होता है।
- अनार के 8-10 पत्तों को पीसकर टिकिया बनाकर गर्म घी में भूनकर बांधने से अर्श (बवासीर) के मस्सों में लाभ होता है।
- अनार के पत्तों की चटनी, घिसा हुआ चंदन, थोड़ा-सा दही और शहद मिलाकर गर्भवती स्त्री को पिलाने से गर्भस्थ शिशु व गर्भवती स्त्री की बल वृद्धि होती है।
- खट्टे-मीठे अनार के रस या शर्बत के सेवन से गर्भावस्था की उल्टी शांत हो जाती है तथा मीठे अनार के दाने खाने से गर्भवती स्त्री के कमजोर रहने वाले हृदय और शरीर में सुधार होता है तथा गर्भवती महिला की दुर्बलता भी दूर होती है।
- कच्चे अनार के रस में माजूफल, लौंग और सोंठ को घिसकर शहद के साथ पीना चाहिए। यदि अनार न मिले तो अनार की छाल को घिसकर पिलाना चाहिए। इससे संग्रहणी नष्ट हो जाती है।
- अनार के 50 मिलीलीटर रस में लौंग, सोंठ और जायफल का 3 ग्राम चूर्ण मिलाकर, शहद डालकर सेवन करने से संग्रहणी रोग नष्ट हो जाता है।
- अनार के दानों को कूटकर रस निकाल लेते हैं। इसके बाद उसमें जायफल, लौंग और सोंठ का थोड़ा-सा चूर्ण और शहद मिलाकर पीने से संग्रहणी रोग मिटता है। सूखे अनार के छिलकों को पीसकर उसमें पानी मिलाकर पीने से भी संग्रहणी का रोग दूर हो जाता है।
- 10 ग्राम अनारदाना, 2 ग्राम सोंठ, 2 ग्राम कालीमिर्च, 5 ग्राम मिश्री आदि सभी को कूट-पीसकर कपड़छन कर लें। इस प्राप्त चूर्ण का सेवन करने से संग्रहणी अतिसार के रोगी का रोग दूर हो जाता है।
- 20 से 40 मिलीलीटर अनार की छाल का काढ़ा सुबह-शाम सेवन करने से संग्रहणी अतिसार ठीक हो जाते हैं।
- एक तरोताजा अनार को पीस लें। इसे 200 या 250 मिलीलीटर सरसों के तेल में डालकर गर्म कर लें। इस तेल की मालिश नियमित रूप से स्तनों पर करते रहने से स्त्रियों के स्तन उन्नत, सुडौल, सख्त और सौंदर्ययुक्त बन जाता है।
- अनार की छाल लगभग एक किलो और माजूफल 125 ग्राम को 2 लीटर पानी में डालकर पकायें जब पानी आधा बच जाये तब इसे छानकर रख लें, फिर इसी में 125 मिलीलीटर तिल्ली का तेल डालकर पकाकर स्तनों पर लेप करने से स्तन कठोर होते हैं।
- अनार के ताजे पत्तों का रस 10 मिलीलीटर, 100 मिलीलीटर पानी में मिलाकर पीने से हृदय की तेज धड़कन में बहुत लाभ होता है। इसे सुबह-शाम सेवन करना चाहिए।
- अनार का शर्बत 20-25 मिलीलीटर का नित्य सेवन करें। इससे हृदय के रोग नष्ट हो जाते हैं।
- छाया में सुखाये हुए अनार के महीन पत्तों के चूर्ण को ताजे पानी के साथ सेवन करने से दाद, रक्तविकार (खून के रोग), कुष्ठ, प्रमेह (वीर्य विकार), दिल की धड़कन, नासूर, घाव, पित्तज्वर, वातकफज्वर में लाभ होता है।
- लगभग 50 ग्राम अनार के रस में छोटी इलायची के बीजों का चूर्ण और सोंठ का चूर्ण आधा-आधा ग्राम मिलाकर पीने से मूत्राघात में बहुत लाभ होता है।
- अनार के रस में छोटी इलायची के बीज और सोंठ का चूर्ण मिलाकर पिलाने से मूत्राघात में बहुत लाभ मिलता है।
- अनार के पत्ते 10 ग्राम और हरा गोखरू 10 ग्राम दोनों को 150 मिलीलीटर पानी में पीस-छानकर सेवन करने से मूत्राघात की शिकायत दूर हो जाती है।
- अनार में शर्करा (शुगर) और सिट्रिक अम्ल काफी मात्रा में होता है। यह अत्यंत पौष्टिक, स्वादिष्ट और लौह-तत्व से भरपूर होता है। कब्ज से पीड़ित व्यक्तियों के लिए बीज समेत अनार का सेवन करना अच्छा रहता है और इसके रस के सेवन से उल्टी आना बंद हो जाती है।
- अनारदाना 100 ग्राम, दालचीनी 20 ग्राम, इलायची 20 ग्राम, तेजपत्ता 20 ग्राम, सोंठ 40 ग्राम, कालीमिर्च 40 गाम, पीपल 40 ग्राम को मिलाकर अच्छी तरह पीसकर चूर्ण बना लें। फिर इसमें 250 ग्राम पुराना गुड़ मिला दें। इसे 4 ग्राम रोजाना सुबह लें। इससे कब्ज दूर हो जाती है।
- अनार तथा गुलाब के सूखे फूल, दोनों को पीसकर मंजन करने से मसूढ़ों से पानी आना बंद हो जाता है। केवल अनार की कलियों के चूर्ण का मंजन करने से मसूढ़ों से खून आना बंद हो जाता है।
- मुख और मसूढ़ों के विकार में अनार के जड़ के काढ़े से कुल्ले कराने से लाभ होता है।
- मीठे अनार के छाया में सूखे 8-10 पत्तों के चूर्ण के मंजन से दांतों का हिलना, मसूढ़ों से खून और पीव का आना या सूजन होना आदि दांतों के विकार नष्ट हो जाते हैं।
- अनार के 5-6 पत्तों को पानी में पीसकर दिन में दो बार लेप करने तथा पत्तों को पानी में भिगोकर पोटली बनाकर आंखों पर फेरने से आंखों के दर्द में लाभ होता है।
- अनार के 8-10 ताजे पत्तों का रस किसी चीनी मिट्टी के बर्तन में कपड़े से छानकर रख दें और सूख जाने पर इसे सुबह-शाम किसी तिल्ली या सलाई द्वारा आंखों में लगायें, इससे खुजली, आंखों से पानी बहना, पलकों की खराबी, आदि रोग दूर होते हैं।
- अनार के पत्तों को पीसकर आंखों के ऊपर लेप करना चाहिए। इससे आंखों का दर्द नष्ट हो जाता है।
- अनार के ताजे पत्तों का रस 100 मिलीलीटर, गौमूत्र (गाय का पेशाब) 400 मिलीलीटर और तिल का तेल 100 मिलीलीटर, तीनों को धीमी आंच पर उबालते हैं जब केवल तेल शेष ही रह जाए तो इसे छानकर रख लें। इसकी कुछ बूंदें थोड़ा गर्म कर सुबह-शाम कान में डालने से कान की पीड़ा, कर्णनाद और बहरेपन में लाभ होता है।
- अनार के पत्तों के रस में बराबर मात्रा में बेल के पत्तों का रस और गाय का घी मिलाकर गर्म कर लेते हैं। इसे लगभग 20 मिलीलीटर की मात्रा में लेकर उसमें 250 मिलीलीटर मिश्री मिले दूध के साथ सुबह-शाम लेने से बहरापन में लाभ होता है।
- खट्टे अनार के रस में शहद मिलाकर कान में डालने से कान का पैत्तिक दर्द दूर हो जाता है।
- थोड़े से अनार के छिलके और 2 लौंग को लेकर सरसों के तेल में डालकर अच्छी तरह से पका लें। पकने के बाद इस तेल को छानकर एक शीशी में भर लें। इस तेल को कान में डालने से कान का दर्द ठीक हो जाता है।
- अनार के ताजे पत्तों के 1 मिलीलीटर रस में मिश्री मिलाकर, शर्बत बना लें, 20-20 मिलीलीटर दिन में 2-3 बार चाटने से आवाज का भारीपन, खांसी, नजला तथा जुकाम दूर होता है।
- अनार के छाया में सूखे पत्तों के महीन चूर्ण में शहद या गुड़ मिलाकर झरबेरी जैसी गोलियां बनाकर छाया में सुखा लें। इन गोलियों को मुंह में रखकर चूसना चाहिए। इससे गले के रोग नष्ट हो जाते हैं।
- एक लीटर अनार के पत्तों का रस, 1 लीटर सत्यानाशी (पीला धतूरा) का रस, 1 लीटर गोमूत्र (गाय का पेशाब), 2 लीटर किलो काले तिलों का तेल, 500 मिलीलीटर अनार के पत्तों की लुगदी (चटनी) को मिलाकर आग पर पकाने के लिये रख दें, जब पकते-पकते केवल तेल रह जाय, तब इसे उतारकर ठंडा कर लें और छान लें। यह तेल लगाने से कण्ठमाला (गले की गांठे), भगन्दर, कोढ़ के दाग (निशान), दाद और चेहरे के काले निशान मिट जाते हैं।
- अनार के छिलकों को 10 गुना पानी में मिलाकर काढ़ा बना लें। और इसमें लौंग और फिटकरी को पीसकर मिला लें। इसके गरारे करने से गले की खरास (गले का सूखना) और स्वर-भंग (आवाज का बैठना) रोग ठीक हो जाता है।
- अनार के छाया में सुखाये हुए आधा किलो पत्तों में आधा किलो सूखा धनिया मिलाकर महीन चूर्ण कर लें, इसमें 1 किलो गेहूं का आटा मिलाकर, 2 किलो गाय के घी में भून लें, ठंडा होने पर 4 किलो चीनी मिला लें। सुबह-शाम गर्म दूध के साथ 50 ग्राम तक सेवन करने से सिर दर्द और सिर चकराना दूर होता है।
- अनार की छाल को घिसकर सिर पर लेप करें, इससे सिर का दर्द तथा आधाशीशी (माइग्रेन) में भी लाभ होता है।
- लगभग 20 ग्राम अनार की कली और 10 ग्राम शर्करा को मिलाकर बारीक पीस लें। इस चूर्ण को सूंघने से सिर दर्द ठीक हो जाता है।
- अनार के फूलों के रस और आम के बौर के रस को मिलाकर सूंघने से रक्तचाप (ब्लड प्रेशर) के कारण होने वाला सिर का दर्द ठीक हो जाता है।
- अनार के पत्तों और सफेद चंदन को पानी में घिसकर माथे पर लगाने से सिर का दर्द ठीक हो जाता है।
- अनार के पत्ते और गुलाब के ताजे फूल 10-10 ग्राम (ताजे फूलों के अभाव में सूखे फूल 5 ग्राम) लें। इसे 500 मिलीलीटर पानी में पकायें, जब यह 250 मिलीलीटर शेष बचे तो इसमें 10 ग्राम गाय का घी मिलाकर गर्म ही गर्म सुबह-शाम पिलाने से उन्माद और मिर्गी में लाभ होता है।
- अनार के 20 मिलीलीटर पत्तों के काढे़ में 10-10 ग्राम गाय का घी और चीनी मिलाकर पिलाने से मिर्गी या अपस्मार में लाभ होता है।
- अनार के पत्ते, छिलका, फूल, कच्चे फल और जड़ की छाल सबको एक समान मात्रा में लेकर, मोटा, पीसकर, दुगना सिरका, तथा 4 गुना गुलाबजल में भिगायें। 4 दिन बाद इसमें सरसों का तेल मिलाकर धीमी आंच पर पकायें। तेल मात्र शेष रहने पर छानकर बोतल में भरकर रख लें। इस तेल को रोज स्तनों पर मालिश करें तो स्तनों की शिथिलता में इससे लाभ होता है। इसके साथ ही जिनके शरीर में झुर्रियां पड़ गई हों, मांसपेशियां ढीली पड़ गई हो उन्हें भी इस तेल की मालिश से निश्चित लाभ होता है।
- अनार के पत्तों को कुचलकर 1 लीटर रस निकाल लें, इसमें 500 मिलीलीटर मीठा तेल (तिल का तेल) मिलाकर धीमी आंच पर पकायें। केवल तेल शेष बचने पर तेल को छानकर बोतलों में भर कर रख लें। दिन में 2-3 बार मालिश करने से मांसपेशियों के ढीलेपन में लाभ होता है।
- अनार के फल के 1 किलो छिलके को 4 लीटर पानी में डालकर उबाल लें, जब पानी 1 लीटर शेष रह जाये तो उसमें 250 मिलीलीटर सरसों का तेल डालकर तेल गर्म कर लें। इस तेल की मालिश करने से कुछ ही दिनों में शरीर की मांसपेशियों का ढीलापन दूर हो जाता है और चेहरे की झुर्रियां मिटती हैं तथा त्वचा में निखार आ जाता है।
- अनारदाना सूखा 100 ग्राम, सोंठ, कालीमिर्च, पीपल, दालचीनी, तेजपात, इलायची 50-50 ग्राम को चूर्ण कर उसमें बराबर मात्रा में चीनी मिला लें। इसे दिन में दो बार शहद के साथ 2-3 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से खांसी, श्वास, हृदय तथा पीनस आदि रोग दूर होते हैं। यह पाचनशक्तिवर्द्धक और रुचिकाकर होता है।
- अनार के छिलकों को पीसकर 3-4 दिन तक 1-1 चम्मच बच्चों को सुबह-शाम देने से खांसी ठीक हो जाती है।
- 10-10 ग्राम अनार की छाल, काकड़ासिंगी, सोंठ, कालीमिर्च पीपल और 50 ग्राम पुराना गुड़ लेते हैं। इन सभी को एक साथ पीसकर और छानकर 1-1 ग्राम की छोटी-छोटी गोलियां बना लेते हैं। इस गोली को मुंह में रखकर चूसने से खांसी के रोग मे लाभ मिलता है।
- 80 ग्राम अनार के छिलके और 10 ग्राम सेंधानमक में पानी डालकर गोलियां बना लेते हैं। इस 1-1 गोली को दिन में 3 बार चूसने से खांसी ठीक हो जाती है।
- अनार के फल के छिलके को मुंह में रखकर नमक या केवल चूसने से भी खांसी में लाभ होता है।
- अनार का छिलका चूसने से, या पानी में भिगोकर बच्चों को पिलाने से खांसी में लाभ होता है।
- अनार का छिलका 40 ग्राम, पीपल और जवाखार 6-6 ग्राम तथा गुड़ 80 ग्राम की चाशनी बनाकर उसमें सभी का महीन चूर्ण मिलाकर लगभग आधा ग्राम की गोली बनाकर 2-2 गोली दिन में 3 बार गर्म पानी से सेवन करें। इसमें कालीमिर्च 10 ग्राम मिला लेने से और भी उत्तम लाभ होता है।
- अनार की छाल और कड़वे इन्द्रजौ 20-20 ग्राम को यवकूट कर 640 मिलीलीटर पानी मिलाकर उबाल लें चौथाई शेष रहने पर इसे उतार लें और दिन में 3 बार पिलायें। यदि पेट में ऐंठन हो तो 30 मिलीग्राम अफीम मिलाकर लेने से तुरन्त लाभ होगा।
- कुड़ाछाल 80 ग्राम को कूटकर 640 मिलीलीटर पानी में पकायें। चौथाई शेष रहने पर उतारकर छान लें। अब इसमें 160 मिलीलीटर अनार का रस मिलाकर पुन: पकावें। पानी राब के समान गाढ़ा हो जाये तो उतारकर रख लें। 20 मिलीलीटर तक्र (मट्ठे) के साथ सेवन करने से तेज खूनी दस्त (रक्तातिसार) में लाभ होता है।
- सौंफ, अनारदाना और धनिये का चूर्ण मिश्री में मिलाकर 3-3 ग्राम दिन में 3 से 4 बार लेने से खूनी दस्त (रक्तातिसार) के रोगी का रोग दूर हो जाता है।
- अनार के 6 ग्राम हरे पत्तों को 20 मिलीलीटर पानी के साथ पीस छानकर उसमें 20 ग्राम चीनी का शर्बत मिलाकर 1-1 घंटे बाद तब तक पिलायें जब तक हैजा पूर्णरूप से ठीक न हो जाए।
- खट्टे अनार का रस 10-15 मिलीलीटर नियमित रूप से सेवन करना हैजे में गुणकारी है। रोग शांत होने पर अनार, नींबू या मिश्री का शर्बत, फलों का रस, बर्फ डालकर दही की पतली लस्सी, साबूदाना, अनन्नास का जूस आदि देना चाहिए।
- अनार के ताजे 20 ग्राम पत्तों को 100 मिलीलीटर पानी में पीस-छानकर पिलाते रहने से तथा पत्तों को पीसकर पेडू (नाभि) पर लेप करते रहने से गर्भस्राव या गर्भपात का खतरा नहीं रहता है।
- अनार की 1-2 ताजी कली पानी में पीसकर पिलाने से, गर्भधारण शक्ति बढ़ती है तथा प्रदर रोग दूर होता है।
- यदि गर्भवती का हृदय कमजोर हो तो उसे मीठे अनार के दाने खिलाएं। इससे गर्भपात की आशंका नहीं रहती है।
- यदि 5 वें या 6 मास में गर्भ अस्थिर हो तो ताजे अनार के पत्ते को पीसकर उसमें थोड़ा सा घिसा हुआ चंदन, दही और शहद मिलाकर पिलाने से लाभ होता है।
- अनार के फूलों की कलियां, जो निकलते ही हवा के झोकों से नीचे गिर पड़ती हैं, इन्हें जलाकर क्षतों (जख्मों, घावों) पर बुरकने से वे शीघ्र ही सूख जाते हैं।
- अनार के 50 ग्राम पत्तों को 1 लीटर पानी में उबालकर चौथाई शेष रहने पर व्रणों (घावों) को धोने से विशेष लाभ होता है।
- अनार के 8-10 पत्तों के पेस्ट का लेप उपदंश के घावों पर करने से बहुत लाभ होता है। साथ ही साथ इसके पत्तों का चूर्ण 10 से 20 ग्राम का सेवन भी करना चाहिए।
- यदि नाक, कान में घाव हो या पीड़ा हो तो अनार की जड़ का काढ़ा 2-2 बूंद डालने से या पिचकारी देने से लाभ होता है।
- अनार के जड़ की छाल का 5-10 ग्राम सूखा चूर्ण बुरकने से उपदंश के घावों में लाभ होता है।
- अगर फोड़े में जलन हो रही हो तो उसे दूर करने के लिए अनार की पत्तियों को पीसकर लगाने से भी जलने से बना घाव सही हो जाता है।
- अनार के 10-12 ताजे पत्तों को पीसकर हथेली और पांव के तलुवों पर लेप करने से हाथ-पैरों की जलन में आराम मिलता है।
- 250 ग्राम अनार के ताजे पत्तों को पांच लीटर पानी में उबालें तथा 4 लीटर पानी शेष रहने पर नहाने के लिए प्रयोग करने से गर्मी के सीजन की पित्ती शांत होती है।
- अनार और इमली को एक साथ पीसकर शरीर पर लगाने से जलन समाप्त हो जाती है।
- अनार रक्तवर्धक होता है। इसके सेवन से त्वचा चिकनी बनती है। रक्त का संचार बढ़ता है। शरीर को मोटा करती है। अनार मूर्च्छा में लाभदायक, हृदय बल-कारक और खांसी नष्ट करने वाली होती है। इसका शर्बत हृदय की जलन और बेचैनी, आमाशय की जलन, मूत्र की जलन, उल्टी, जी मिचलाना, खट्टी डकारें, हिचकी, घबराहट, प्यास आदि शिकायतों को दूर करता है। अनार का रस निकालकर पीने से शरीर की शक्ति बढ़ती है। और रक्त की वृद्धि होती है।
- अनार को खाने से खून साफ होता है, खून का संचार बढ़ता और शरीर मोटा हो जाता है।
- अनार के दानों को कूट-पीसकर चूर्ण बना लें और 3 ग्राम चूर्ण को शहद के साथ मिलाकर दिन में 2 बार खाने से अस्थमा रोग ठीक हो जाता है।
- अनार के फूल 10 ग्राम, कत्था 10 ग्राम, कपूर 2 ग्राम और लौंग के 4 पीस आदि सभी को पान के रस में घोंटकर चने के बराबर आकार की गोलियां बना लेते हैं। 2-2 गोली सुबह-शाम को चाटनी चाहिए।
- अनार पकी हुई लेकर उसमें सात जगह चाकू से गहरे चीरे (1 इंच लम्बे) लगाकर प्रत्येक चीरे में एक बादाम अंदर दबा देते हैं। उस अनार को फिर मलमल के कपड़े से बांधकर गर्म राख में दबा देते हैं। इसे पूरी रात राख में ही दबा रहने देते हैं। सुबह अनार को वापस निकालकर 2 ग्राम मिश्री के साथ सातों बादामों को पीसकर 7 दिनों तक खाने से दमा के रोगी को राहत मिलती है।
- अनार के 100 ग्राम पत्तों को 1 लीटर जल के साथ मिलाकर उबाल लें। उबले पानी को छानकर रोजाना 3 से 4 बार गुदा को धोने से गुदाभ्रश (कांच निकलना) का निकलना बंद हो जाता है।
- अनार के छिलके 5 ग्राम, हब्ब अलायस 5 ग्राम और माजूफल 5 ग्राम को मिलाकर कूट लें। इस कूट को 150 मिलीलीटर पानी में मिलाकर उबालें, एक चौथाई पानी रह जाने पर छानकर गुदा को धोएं। इससे गुदाभ्रश (कांच निकलना) बंद हो जाता है।
90. नामर्दी (नपुंसकता) : मीठे अनार के 100 ग्राम दाने दोपहर के समय नित्य खायें। यह शक्ति को बढ़ाता है।
- सूखे अनार के छिलकों को सुखाकर पीस लें। उसमें से 1 चम्मच चूर्ण ताजे पानी के साथ खाने से लाभ होता है।
- अनार की कली, सफेद चंदन की भूसी, वंशलोचन, बबूल का गोंद सभी 10-10 ग्राम, धनिया और मेथी 10-10 ग्राम, कपूर 5 ग्राम। सबको आंवले के थोड़े-से रस में घोट लें। फिर बड़े चने के बराबर की गोलियां बना लें। 2-2 गोली रोज सुबह-शाम पानी से लेने से मूत्ररोग ठीक हो जाता है।
- आधा लीटर अनार के पत्तों का रस, आधा लीटर बेल के पत्तों का रस और 1 किलो देशी घी को एक साथ मिलाकर आग पर पकने के लिये रख दें। पकने के बाद जब केवल घी ही बाकी रह जायें तो इसमें से 2 चम्मच घी रोजाना दूध के साथ रोगी को खिलाने से बहरेपन का रोग दूर हो जाता है।
- 20-20 मिलीलीटर अनार और बेल के पत्तों के रस को 50 ग्राम घी में डालकर बहुत देर तक गर्म कर लें। फिर इसे छानकर लगभग 10 ग्राम घी या 200 मिलीलीटर दूध के साथ सुबह और शाम को पीने से बहरापन दूर हो जाता है।
- अनार के छिलके का चूर्ण बनाकर इसमें 100 ग्राम दही मिलाकर खाने से बवासीर ठीक हो जाती है या अनार के छिलकों का चूर्ण 8 ग्राम, ताजे पानी के साथ प्रतिदिन सुबह-शाम प्रयोग करें।
- अनार का रस, गूलर के पके फलों का रस तथा बाकस के ताजे पत्तों का रस निकालकर उसमें शहद मिलाकर पीने से खूनी बवासीर (रक्तार्श) ठीक होती है।
- अनार के छालों का काढ़ा बनाकर उसमें सोंठ का चूर्ण मिलाकर पीने से बवासीर रोग ठीक होता है तथा खून का गिरना बंद होता है।
- अनार के पत्ते पीसकर टिकिया बना लें और इसे घी में भूनकर गुदा पर बांधें। इससे मस्सों के जलन, दर्द तथा सूजन मिट जाती है।
- अनार के छिलकों का चूर्ण नागकेशर के साथ मिलाकर सेवन करने से बवासीर में खून का बहना बंद होता है। अनार का रस पीने से भी बवासीर में लाभ होता है।
- अनार के पेड़ की छाल 10 ग्राम लेकर उसे 200 मिलीलीटर जल के साथ आग पर उबाल लें। उबले हुए जल को किसी वस्त्र से छानकर भगन्दर को धोने से जख्म नष्ट होते हैं।
- मुट्ठी भर अनार के ताजे पत्ते को दो गिलास पानी में मिलाकर गर्म करें। आधा पानी शेष रहने पर इसे छान लें। इस उबले मिश्रण को पानी में हल्का गर्म करके सुबह-शाम गुदा को सेंकने और धोने से भगन्दर ठीक होता जाता है।
- 20 ग्राम अनार के पत्ते, 5 पीस कालीमिर्च, 1 ग्राम सौंफ को एक साथ लेकर पानी के साथ सेवन करने से प्रदर, गर्भाशय की बीमारी की सूजन ठीक हो जाती है।
- 20 ग्राम अनार के पत्ते, 3 ग्राम कालीमिर्च, 2 कली नीम की पत्तियां तीनों को पीसकर इसका 2 खुराक बनाकर सुबह-शाम सेवन करने से प्रदर में लाभ होता है।
- अनार के फूलों को मिश्री के साथ पीसकर प्रदर रोग में सेवन करने से लाभ होता है।
- अनार के ताजे हरे पत्ते 30 पीस तथा 10 पीस कालीमिर्च पीसकर आधा गिलास पानी में घोल-छानकर रोजाना सुबह-शाम पीने से श्वेत प्रदर में लाभ होता है।
- 10 ग्राम अनार के कोमल पत्ते और 7-8 दाने कालीमिर्च को लेकर 200 मिलीलीटर पानी में देर तक उबालें। फिर पानी को छानकर पी लें। इसे कुछ सप्ताह तक सेवन करने से श्वेतप्रदर मिट जाता है।
- अनार के छिलके के चूर्ण को चावल के धोवन में मिलाकर सेवन करने से प्रदर रोग में लाभ होता है।
- अनार के सूखे पीसे हुए छिलके के बारीक चूर्ण को 1 चम्मच की मात्रा में रात को सोने से पहले ठंडे पानी के साथ फंकी के रूप में लेने से सोते समय पुरुष के शिश्न से धातु का आना (स्वप्नदोष) बंद हो जाता है।
- अनार का पिसा हुआ छिलका 5-5 ग्राम सुबह-शाम पानी से लें।
- अनार के छिलके का रस शहद के साथ रोजाना सुबह-शाम लेने से स्वप्नदोष दूर हो जाता है।
- अनार के दानों पर कालीमिर्च और नमक डालकर चूसें। इससे पेट दर्द बंद हो जाता है। सुबह लेने से भूख लगती है और पाचनशक्ति बढ़ती है।
- नमक और कालीमिर्च का पाउडर अनार के दानों में मिलाकर सेवन करने से पेट का दर्द नष्ट हो जाता है।
- अनार के 30 मिलीलीटर रस में थोड़ी-सी भुनी हुई हींग और कालानमक डालकर सेवन करने से पेट के दर्द की बीमारी में आराम मिलता है।
- आधा चम्मच अनार के छिलकों के बारीक चूर्ण को शहद के साथ चाटने से लाभ होता है।
- पके अनार के दानों पर नमक और कालीमिर्च डालकर चाटने से पेट के दर्द में लाभ होगा।
- अनार के ताजे पत्ते 150 मिलीलीटर पानी में घोटकर छान लें। इस रस को सुबह-शाम नियमित सेवन करने से दिल की धड़कन शांत हो जाती है।
- छाया में सुखाये हुए अनार के छिलके, दही, नीम के पत्ते, छोटी इलायची और गेरू इन सबका चूर्ण बना लें। इसे पानी के साथ 50 ग्राम की मात्रा में लेने से हृदय की धकड़न तथा धूप की जलन में लाभ होता है।
- चीनी के शर्बत में अनारदाने के रस को मिलाकर सेवन करें। यह शर्बत हृदय की जलन, आमाशय की जलन, घबराहट, मूर्च्छा आदि को दूर करता है।
- लगभग 100 ग्राम अनार के हरे पत्तों को 500 मिलीलीटर पानी में उबालें। जब चौथाई पानी रह जाये, तो इसे छानकर 60 ग्राम घी और 60 ग्राम चीनी मिलायें। इसे सुबह-शाम पीने से मिरगी का रोग ठीक हो जाता है।
- अनार के पत्तों का गुलाब के फूलों के साथ मिलाकर बनाया गया काढ़ा 14-28 मिलीलीटर की मात्रा में दिन में दो बार मिर्गी के रोगी को देना चाहिए। इससे मिर्गी ठीक हो जाती है।
- अनार का सेवन इस रोग में बहुत ही लाभदायक है। अनार के पत्तों के रस को शहद के साथ सेवन करने से लाभ होता है।
- 10 ग्राम लाल चंदन और 10 ग्राम अनारदाना को पीसकर सहदेवी के रस में मिलाकर गोलियां बना लें। इन गोलियों को घिसकर पानी के साथ लेप करने से बहुत लाभ होता है।
- अनार के पत्तों को छाया में सुखाकर बारीक पीस लें और कपड़े में छान लें। इस चूर्ण की 8-8 ग्राम सुबह और शाम ताजे पानी से फंकी लें।