वीर्य के दोष दूर करें
          कभी-कभी वीर्य पतला होने के कारण गर्भ नहीं ठहरा पाता ऐसा तब होता है जब कोई ज्यादा मैथुन करके वीर्य को नष्ट कर देता है या अन्य दूसरी किसी बीमारी से ग्रस्त होकर जैसे:- प्रमेह, सुजाक, मूत्रघात, मूत्रकृच्छ और स्वप्नदोष आदि।
चिकित्सा :
1. ब्राह्मी : ब्राह्मी, शंखपुष्पी, खरैटी, ब्रह्मदण्डी और कालीमिर्च को पीसकर खाने से वीर्य शुद्ध होता है।
2. बबूल :
3. शतावर :
4. गूलर :
5. धनिया : धनिया, पोस्त के बीज के साथ मिश्री मिलाकर खाना लाभदायक होता है।
6. छोटी दुधी : छोटी दुधी का चूर्ण मिश्री मिलाकर दूध के साथ खायें इससे वीर्य शुद्ध होता जाता है।
7. तालमखाना : तालमखाना मे मिश्री मिलाकर खाने से वीर्य शुद्ध यानी साफ हो जाता है।
8. चोबचीनी : चोबचीनी, सोठ, मोचरस, दोनों मूसली, काली मिर्च, वायविडंग और सौंफ सबको बराबर भाग में लेकर चूर्ण बनायें। बाद में 10 ग्राम की मात्रा में रोज खाकर ऊपर से मिश्री मिला दूध पी लें इससे वीर्य साफ होता है।
9. सांठी : सांठी की जड़ और काली मिर्च को पीसकर घी के साथ मिलाकर खाने से वीर्य शुद्ध होता है।
10. जायफल :
 जायफल, जावित्री, माजूफल मस्तगी, नागकेसर, अकरकरा, मोचरस, वनशलोचन, अजवायन, छोटी इलायची दाना 10-10 ग्राम कूट कर छान लें। कीकर की गोंद में चने बराबर गोलियां बना छाया में सूखा लें। 1-1 गोली सुबह-शाम दूध या पानी से लें।
 जायफल 1 ग्राम रूमीमस्तगी, लौंग, छोटी इलायची दाना 2-2 ग्राम पीसकर शहद में मिलाकर चने के बराबर गोलियां बनाकर छाया में सुखा लें, संभोग (सहवास) से 2 घंटे पहले एक गोली गर्म दूध से लें।
   
 
 
स्वप्नदोष
 छिरेंहटी के सूखे पत्ते 50 ग्राम, हरड़, बहेड़ा और आमला 20-20 ग्राम, बबूल का गोंद 25 ग्राम और कतीरा गोंद 10 ग्राम। सबको कूट छान कर छिरेंहटा के ही रस में खरल करके, बारीक चूर्ण के रूप में ही शीशी में भर कर रखें। 5-6 ग्राम यह चूर्ण ताजा पानी के साथ सुबह-शाम खाने से स्वप्नदोष और वीर्य की कमी को दूर होती है।
 छिरेंहटी के सूखे पत्ते 200 ग्राम तथा गाय के घी के साथ भूनी हुई छोटी हरड़ 50 ग्राम को पीस-छान कर दोनों के बराबर मिश्री मिला ले और 10-15 ग्राम की मात्रा में लेकर सुबह-शाम गाय के दूध के साथ सेवन करें इससे स्वप्नदोष मे लाभ होता है।
 छिरेंहटी का पंचांग (जड़, तना, फल, फूल, पत्ती) सूखे हुए 50 ग्राम, सूखी हुई दुर्बा 25 ग्राम, छोटी इलायची के बीज और कतीरा गोंद 12-12 ग्राम तथा मिश्री 100 ग्राम आदि को एक साथ लेकर अच्छी तरह से कूट लें। फिर इस बने चूर्ण को 10-12 ग्राम सुबह-शाम गाय के गर्म दूध के साथ खायें। इससे प्रमेहजन्य (वीर्य विकार से उत्पन्न रोग) अनेक उपसर्ग दूर होते हैं। वीर्य का पतलापन और स्वप्नदोष दूर होता है।
 छिरेंहटी के हरे पत्ते 10-12 ग्राम और 5-6 काली मिर्च लेकर बारीक पीस लें। चाहे तो बादाम की छिली हुई मींगियां और सौंफ भी मिला सकते है। रोज कुछ दिनों तक खाने से लाभ मिलता है।
 छिरेंहटी का रस और गिलोय का रस बराबर भाग लेकर उसके साथ शहद मिला लें और खायें इससे शीघ्रपतन और स्वप्नदोष में लाभ मिलता है।
 छिरेंहटी को आमले के रस में खरल करके मिश्री या शहद के साथ मिलाकर 15-20 ग्राम की मात्रा में लेकर स्वप्नदोष के रोगी को खिलायें।
 छिरेंहटी छाया में सुखा कर चूर्ण कर लें और कतीरा के गोद में 12 घंटे डुबोकर 1  ग्राम की गोली बनाकर 12 घंटे छाया में सुखा लें। 1 से 2 गोली को खुराक के रूप में ताजा पानी के साथ, सुबह-शाम खाने से लाभ मिलेगा।