यकृत का बढ़ना
यकृत (लीवर) की बीमारी अधिकतर छोटे बच्चों को होती है, मां के दूध में खराबी, गाय-भैंस का भारी दूध, अधिक मात्रा में बिना किसी समय के दूध देना, कम उम्र में बच्चों को रोटी, दाल, चावल तथा भारी चीजें खिलाना, मीठे पदार्थों का अधिक सेवन, आइसक्रीम, बर्फ, आदि का अधिक प्रयोग करने से यकृत (लीवर) बढ़ जाता है।
52. ग्वारपाठा : ग्वारपाठे के पत्ते का रस आधा चम्मच, हल्दी का चूर्ण एक चुटकी और पिसा हुआ सेंधा नमक 1 चुटकी मिलाकर पानी के साथ सुबह-शाम देने से यकृत रोग में लाभ होता है।
53. अलसी : अलसी की पुल्टिस बांधने से जिगर यानी यकृत के बढ़ जाने से होने वाले दर्द मिट जाते हैं।
54. त्रिफला : 20 ग्राम त्रिफला को 120 मिलीलीटर पानी में पकायें। जब चौथाई पानी रह जाये, तो इसे उतारकर छान लें। इसके ठंडा हो जाने पर, 6 ग्राम शहद के साथ मिलाकर पीने से लीवर या जिगर की जलन मिट जाती है।
55. गुड़ : 1.5 ग्राम पुराना गुड़ और बड़ी हरड़ के छिलके का चूर्ण बराबर वजन मिलाकर 1 गोली बनायें और ऐसी गोली दिन में 2 बार सुबह-शाम हल्के गर्म पानी के साथ 1 महीने तक लें। इससे यकृत (लीवर) और प्लीहा (तिल्ली) यदि दोनों ही बढे़ हुए हों, तो भी ठीक हो जाते हैं।
56. मोगरा : मोगरे की पत्तियों का रस 5-6 बूंद की मात्रा में बालक को शहद के साथ चटानें से यकृत रोग से राहत मिलता है।
57. तुलसी : तुलसी के पत्तों का रस गाय के दूध के साथ 20 दिन तक देने से यकृत रोग कम हो जाता है।
58. पपीता : कच्चे पपीते का रस 2 चम्मच लेकर उसमें थोड़ी-सी शक्कर मिलाकर देने से यकृत और प्लीहा रोग से अराम मिलता है।
59. त्रिफला : 5 ग्राम त्रिफला के चूर्ण को एक कप पानी के साथ पकाएं। जब चौथाई कप पानी शेष रह जायें तो उसे उतारकर छान लें। ठंडा हो जाने पर उसमें एक चम्मच शहद मिलाकर पिलाने से यकृत रोग में लाभ होता है।
60. करेला : करेले के फल और पत्तों का 8-10 बूंद लेकर उसमें थोड़ा-सा शहद मिलाकर बच्चे को देने से यकृत रोग मिट जाता है।
61. पुनर्नवा : बड़ी पुनर्नवा, और मण्डूर को पीसकर 1 छोटी गोली बना लें और इस गोली को आधी-आधी मात्रा में दिन में 3 बार देने से बच्चों की यकृत (जिगर) में लाभ होता है।
62. अपामार्ग : अपामार्ग का क्षार मठ्ठे या छाछ के साथ एक चुटकी की मात्रा से बच्चे को देने से बच्चे की यकृत रोग के मिट जाते हैं।
63. अंजीर : 4-5 अंजीर और गन्ने के रस के सिरके में गलने के लिए डाल दें। 4-5 दिन बाद उनको निकालकर 1 अंजीर सुबह-शाम बच्चे को देने से उसकी यकृत रोग की बीमारी से आराम मिलता है।
64. मकोय : मकोय के पौधों का डेढ़ ग्राम स्वरस नियमित रूप से पिलाने से बहुत दिनों से बढ़ा हुआ जिगर कम हो जाता है। एक मिट्टी के बर्तन में रस को निकाल कर इतना गर्म करें कि रस का रंग हरे से लाल या गुलाबी हो जाएं। रात को उबालकर सुबह ठंडा कर प्रयोग में लाना चाहिए।
65. कच्चे चावल : सूर्योदय से पहले उठकर 1 चुटकी कच्चे चावल मुंह में रखकर पानी से सेवन करने से यकृत या जिगर बहुत मजबूत होता है।
66. जामुन : जामुन के रस का सिरका दिन में 3 बार समय पर लें।
67. मूली : 50 मिलीलीटर मूली के रस में 10 ग्राम घीकुंवार का रस पिलाने से यकृत का बढ़ना दूर हो जाता है।
68. चीता : चीता, यवक्षार, पांचों नमक, इमली क्षार, भुनी हींग इन सभी को समान मात्रा में लेकर जम्भारी नींबू के साथ मिलाकर बारीक पीसकर रख लें। इसके बाद लगभग आधा ग्राम की गोली बनाकर दिन में 4 बार सेवन करने से यकृत प्लीहा आदि रोग समाप्त हो जाते हैं।
69. कचनार : पीले कचनार की 10 से 20 ग्राम जड़ की छाल का काढ़ा सुबह-शाम पिलाने से लीवर की सूजन उतर जाती है।
70. करेला : 3 से 8 साल तक के बच्चों को आधा चम्मच करेले का रस रोज देने से यकृत (लीवर) रोग ठीक हो जाते हैं।
71. गुलाब : सूजन, दर्द, यकृत (जिगर) बढ़ा हुआ हो तो गुलाब के 4 ताजा फूलों को पीसकर यकृत (जिगर) वाले स्थान पर लेप करना चाहिए।
72. विदारीकंद : विदारीकंद के 5 ग्राम की फांकी सुबह-शाम पानी के साथ लेने से यकृत प्लीहा की बढ़ना रुक जाता है।
73. निर्गुण्डी :