अरुचि (भूख न लगना)
आमाशय की खराब या पाचनतंत्र में गड़बड़ी उत्पन्न होने के कारण भूख लगनी कम हो जाती है। ऐसे में यदि कुछ दिनों तक इस बात पर ध्यान न दिया जाए तो भूख लगनी बिल्कुल ही बंद हो जाती है। इस रोग में रोगी को भोजन करने का मन नहीं करता चाहे कितना भी अच्छा व स्वादिष्ट भोजन क्यों न हो। इस तरह भूख न लगने को अरूचि या भूख न लगना कहते हैं।परिचय:
विभिन्न भाषाओं में नाम :
हिंदी |
अरुचि। |
अंग्रेजी |
एनोरेक्सिया |
बंगाली |
अरुचि। |
कन्नड़ |
अरुचि, हसिवुनास। |
गुजराती |
अरुचि। |
पंजाबी |
भुखनास। |
मराठी |
अन्नद्वेश। |
तमिल |
रुचियिण्मई, अरुचि। |
तेलगू |
अरुचि। |
मद्रास |
रुचियिल्लम। |
उड़िया |
अरुचि। |
चोकर वाले आटे की रोटियां खानी चाहिए।
पुराने चावल का भात खाना चाहिए।
दूध, नींबू, अंगूर, आम, अनार, तरबूज आदि फलों के रस पीना चाहिए।
पके हुए बेर, मूली, मौसमी, नींबू खाना भी काफी लाभदायक है।
पानी में तैरना, सुबह की सैर और व्यायाम करना भी काफी अच्छा है।
सड़ी-गली और बासी चीजें नही खानी चाहिए।
गंदा पानी नहीं पीना चाहिए।
गंदे स्थानों में रहना और गंदी और घृणा वाली चीजों से दूर रहना चाहिए। धूप और आग के पास अधिक नहीं रहना चाहिए।
भोजन के बाद एक ही स्थिति में अधिक देर तक नहीं बैठना चाहिए।
ज्यादा डर व गुस्सा रोगी के लिए नुकसान दायक होता है।
एक लौंग का चूर्ण और 5 कालीमिर्च का चूर्ण नींबू की शिकंजी में मिलाकर दिन में 2 बार पीने से अरुचि खत्म होकर भूख लगने लगती है और भोजन पचाने की क्रिया तेज हो जाती है।
नींबू को काटकर कालानमक का चूर्ण छिड़क कर चाटने से भूख न लगना ठीक होता है।
नींबू का रस पीने से पेट की गर्मी कम होती है और पाचनक्रिया तेज होती है।
नींबू के एक चम्मच रस में थोड़ी कालीमिर्च व सेंधानमक का चूर्ण मिलाकर भोजन से पहले गर्म करके पीने से भूख खुलकर लगती है।
नींबू को काटकर इसमें सेंधानमक डालकर भोजन करने से पहले चूसने से कब्ज दूर होकर पाचनक्रिया तेज होती है।
5 ग्राम पीपल, 15 ग्राम टाटरी, 3 ग्राम हींग, 3 ग्राम भुना हुआ सफेद जीरा और 50 ग्राम मिश्री को एक साथ पीसकर चूर्ण बनाकर रखें। यह चूर्ण 3-3 ग्राम की मात्रा में दिन में 3-4 बार चाटने से अरुचि दूर होती है और भूख भी खुलकर लगती है।
पीपल के पके फलों के सेवन करने से कफ, पित्त, रक्तदोष, विषदोष, जलन, उल्टी तथा अरूचि दूर होकर भूख बढ़ती है।
मुनक्का और आंवला 10-10 ग्राम को एक साथ पीसकर मुंह में रखकर चूसने से भूख लगने लगती है।
नागरामोथा, दालचीनी और आंवला को बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। यह चूर्ण 3-3 ग्राम की मात्रा में दिन में 2-3 बार मुंह में रखकर चूसने से अरुचि समाप्त होती है।
हरे आंवले का रस प्रतिदिन पीने से पाचनक्रिया तेज होती है और भूख लगने लगती है।
प्रतिदिन सुबह खाली पेट आंवला के 5-6 ग्राम पत्ते को सेंककर खूब चबा-चबाकर खाने से भूख खुलकर लगती है।
5 ग्राम शहद, 25 मिलीलीटर अनार का रस और 3 ग्राम कालानमक मिलाकर पीने से अरुचि दूर होती है।
अनार के दाने को चबाकर खाने से अरूचि नष्ट होती है।
कालीमिर्च आधा चम्मच, सेंका हुआ जीरा एक चम्मच, सेंकी हुई हींग चने की दाल के बराबर, सेंधानमक स्वादानुसार और अनारदाना 70 ग्राम। इन सभी को पीसकर चूर्ण बनाकर सेवन से अरुचि नष्ट होती है तथा मन प्रसन्न रहता है।
आधे से 2 ग्राम सफेद जीरे को गुड़ के साथ सुबह-शाम खिलाने से बुखार वाली हालत में भी पाचनक्रिया ठीक होकर भूख लगने लगती है। इस चूर्ण को खाने से पेट की जलन दूर होती है। पेशाब खुलकर आती है और बुखार भी ठीक होता है।
एक गिलास गर्म पानी में 3 ग्राम जीरा, हींग, पोदीना, कालीमिर्च और नमक डालकर पीने से अरूचि दूर होती है।
19. अगर : आधे से डेढ़ ग्राम अगर को शहद के साथ सुबह-शाम खाने से अरुचि रोग समाप्त होकर भूख तेज होती है।
1 से 3 ग्राम इमली के बीजों की मींगी सुबह-शाम घोटकर पीने से पाचनशक्ति तेज होती है।
पकी हुई तथा अधिक गूदेवाली इमली को ठंडे पानी में डालकर चीनी मिलाकर इसमें इलायची के दाने, लौंग, कपूर और कालीमिर्च डालकर बार-बार कुल्ला करने से अरुचि व पित्त का रोग दूर होता है।
1 गिलास पानी में इमली को मसलकर इसमें से पानी छानकर स्वाद के अनुसार नमक व कालीमिर्च डालकर पीने से भूख बढ़ती है।
500 ग्राम अदरक पीसकर इसमें बहुत सारा नींबू का रस, कालीमिर्च व सेंधानमक डालकर खूब अच्छी तरह मिला लें और लगभग 24 घंटे तक रहने दें। इसके बाद इसे साफ कपड़े पर फैलाकर धूप में अच्छी तरह से सुखा लें। सूख जाने के बाद एक टुकड़ा मुंह में रखकर चूसने से भूख खुलकर लगती है और हाजमा अच्छा होता है।
10 से 20 मिलीलीटर अदरक के रस को पकाकर सुबह-शाम ताजे पानी के साथ सेवन करने से भूख बढ़ती है।
प्रतिदिन भोजन करने से पहले अदरक को काटकर सेंधानमक लगाकर खाने से भूख बढ़ती है, अरुचि समाप्त होती है और साथ ही स्वरभंग का रोग ठीक होता है।
धनिया, छोटी इलायची और कालीमिर्च बराबर मात्रा में मिलाकर और पीसकर इसमें चौथाई चम्मच घी और चीनी मिलाकर सेवन करने से अरुचि दूर होती है और भूख लगने लगती है।
हरे धनिये का 3 मिलीलीटर रस प्रतिदिन पीने से भूख खुलकर लगती है।
धनिया, सोंठ, सेंधानमक और काला जीरा को मिलाकर चूर्ण बना लें और यह 2-3 ग्राम दिन में 4 बार सेवन करें। यह पाचनक्रिया को तेज करके भूख बढ़ाता है।
अजवायन में स्वाद के अनुसार कालानमक मिलाकर गर्म पानी के साथ खाने या घोल बनाकर पीने से अरुचि दूर होती है।
अजवायन और नींबू का रस बराबर मात्रा में मिलाकर छाया में सुखा लें। सूखने के बाद इसमें मूली का रस डालकर दुबारा सुखाएं। अब इसमें थोड़ा सा कालानमक मिलाकर एक ग्राम के चौथई मात्रा में सेवन करें। इससे भूख खुलती और खट्टी डकारे, पेट का दर्द और बदहजमी के साथ अपच समाप्त होता है।
1 से 3 ग्राम जंगली अजवायन के चूर्ण खाने से भूख तेज लगने लगती है और अफारे का रोग दूर होता है।
यदि भूख न लगती हो तो 7 ग्राम मेथी दाना में थोड़ा-सा घी डालकर सेंके और जब मेथी लाल हो जाए तो उतारकर पीस लें। यह चूर्ण 5 ग्राम लेकर शहद में मिलाकर लगभग 45 दिनों तक सेवन करने से भूख खुलकर लगने लगती है।
प्रतिदिन मेथी से छोंकी गई दाल या साग-सब्जी खाने से भूख बढ़ती है, मुंह का स्वाद ठीक होता है और भोजन के प्रति रूचि बढ़ती है।