गर्भधारण जाँच (Pregnancy Test) के घरेलू नुस्खे

आज बाजार में गर्भधारण जांच के लिए कई किट उपलब्ध है जिसके सहारे आप आसानी से गर्भधारण की जांच कर सकते हैं। परंतु यहाँ हम पुराने समय से चले आ रहे कुछ घरेलू नुस्खों के बारे बताना चाहते हैं जिसमें आप अपने किचन में मौजूद कुछ सामानों का प्रयोग कर ही गर्भधारण जांच कर सकते हैं। 
  • घर में रखे सफ़ेद टूथपेस्ट से भी आप जान सकती हैं की आप प्रेगनेंट हैं या नहीं। एक कंटेनर या एक डिस्पोज़ेबल ग्लास में दो चम्मच टूथपेस्ट लें। इसमें इसी मात्रा में यूरिन सैंपल लें और टूथपेस्ट वाले कंटेनर में डाल दें, अगर टूथपेस्ट का रंग बदल कर नीला हो जाता है, तो समझें की टेस्ट पॉज़िटिव है।
  • एक कंटेनर में कुछ ब्लीच पाउडर लें और उसमें यूरिन का सैंपल डालें। अगर ब्लीच पाउडर में बुलबुले बनने लगें, तो टेस्ट का परिणाम पॉज़िटिव माना जाता है और अगर ब्लीच आपके यूरिन को सोख ले तो इसका मतलब है की परणाम नेगेटिव है। 
  • साबुन से भी आप प्रेगनेंसी टेस्ट कर सकतीं हैं। इसके लिए आप एक साबुन का टुकड़ा लें और उसपर यूरिन सैंपल डालें। अगर साबुन के टुकड़े पर झाग बनने लगें या बुलबुले से दिखें, तो समझ जाएँ की आप गर्भवती हो सकती हैं।
  • एक डिस्पोज़ेबल ग्लास में कुछ चीनी लें। अब इसमें यूरिन सैंपल मिलाएँ। अगर चीनी यूरिन सैंपल में घुल जाये, तो आप गर्भवती नहीं हैं, लेकिन अगर चीनी के दाने इकट्ठे हो जाये तो समझें की आप गर्भवती हो सकती है। 

यदि गर्भधारण में समस्या आ रही है तो ये जाँच अवश्य कराएं

जीवन शैली में परिवर्तन के साथ आज महिलाओं में बांझपन (Infertility)  की समस्या भी काफी बढ़ रही है। लगभग 20-25 प्रतिशत दंपति इस समस्या से ग्रसित है। समय के साथ यह समस्या बढ़ती ही जा रही है जिसका एक कारण यह भी है की समय रहते ये दंपति डॉक्टर से संपर्क नहीं करते हैं और न ही इससे संबन्धित जाँच ही समय रहते कराते हैं, इसके कारण उनके रिश्ते और मानसिक स्वास्थ्य दोनों प्रभावित होते हैं।। यदि समय पर दंपति का शारीरक जाँच हो तो इस समस्या से बचा जा सकता है। 

एक तिहाई मामलों में बांझपन (Infertility) के लिए महिलाओं के शरीर के कई रोग ज़िम्मेवार होते हैं। अतः इसके लिए महिलाओं को शारीरक जाँच भी कई करवाने पड़ सकते हैं। शादी के एक साल तक दंपति को गर्भधारण (Pregnancy) की कोशिश करनी चाहिए। यदि एक साल के बाद भी गर्भधारण में किसी भी प्रकार की समस्या आ रही हो अथवा गर्भधरण (Pregnancy) नहीं कर पा रही है तो दंपति को तुरंत किसी अच्छे स्त्री रोग विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लेनी चाहिए। 

कब कराएं बांझपन (Infertility) से संबन्धित जाँच (Test)

अधिकतर देखा गया है कि बहुत से दंपति इंतजार में ही समय बर्बाद करते हैं। यह भी देखा गया है की कई दंपति वैवाहिक जीवन के शुरुआती कुछ सालों में गर्भधारण नहीं करना चाहते हैं। ऐसे स्थिति में यदि उस दंपति में किसी भी प्रकार के गर्भधारण (Pregnancy) संबन्धित समस्या मौजूद होती है तो या तो वह बढ़ जाती है या फिर उसका समय रहते जाँच एवं इलाज नहीं हो पता है। 

बांझपन के जांच की शुरुआत डॉक्टर एचएसएफ यानि हसबैंड सिमेन फ्लूड की जांच से शुरू कराते हैं क्योंकि यह बहुत ही मामूली जांच है, जिसमें मामूली सा खर्च आता है और एक तिहाई जोड़े में इसी में खराबी पायी जाती है। इसके बाद ही स्त्री की जांच होती है। महिलाओं से संबन्धित कुछ प्रमुख जांच इस प्रकार हैं 

कंप्लीट ब्लड काउंट (सीबीसी): इस जांच से शरीर में रेड ब्लड सेल्स, व्हाइट ब्लड सेल्स और प्लेटलेट्स का पता चलता है। इससे कई प्रकार के इन्फेक्शन, एनीमिया और रक्त से जुड़ी अन्य समस्याओं की पहचान में मददगार है। इस जांच से आइवीएफ में भी सहायता मिलती है।

ब्लड शूगर: रेंडम ब्लड शूगर पहले किया जाता है। इसमें गड़बड़ी पाये जाने पर, खाली पेट और खाने के 2 घंटे बाद टेस्ट करते हैं । यह भी काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि ब्लड शूगर लेवल न सिर्फ प्रेग्नेंसी के चांस को प्रभावित करता है बल्कि बार-बार गर्भपात (miscarriage) का कारण भी बनता है।

इएसआर: ये पुराने इन्फेक्शन, टीबी और एनिमिया की जांच में सहायक होता है। टीबी भारत में इन्फर्टिलिटी का बहुत बड़ा कारण है।

हॉर्मोनल टेस्टिंग: बांझपन (Banjhpan) में हॉर्मोन में गड़बड़ी भी जिम्मेवार होती है। इससे सारी बीमारियों का पता चलता है। टीएसएच, एफएसएच, एलएच, प्रोलेक्टिन, खास हॉर्मोन है। इससे पीसीओडी यानि पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम नाम की बीमारी का पता चलता है। इससे बीमारी में स्त्रियों का वजन अधिक होता है और वे गर्भधारण नहीं कर पाती हैं। थायरॉयड रोग में भी गर्भधारण की समस्या (Pregnancy problem) होती है। प्रोलेक्टिन की अधिक मात्रा रहने से ये अंडे बनानेवाले हॉर्मोन में गड़बड़ी होने से अंडे नही बन पाते हैं। इसी कारण इसके लिए हॉर्मोन की जांच भी जरूरी है।

अल्ट्रासाउंड: इससे गर्भाशय में गड़बड़ी या अंडाशय में गड़बड़ी का पता चलता है। इसके अलावा इससे फोलिक्यूलोमेट्री भी की जाती है जो मासिक के 9वें दिन से शुरू की जाती है और एक-एक दिन छोड़ कर होती है। तब तक अंडे फटते हैं। यदि यह नही फटता है, तो उस स्त्री में अनओव्यूलेशन है. यानी अंडे नहीं बनते हैं।

एचएसजी: जो मासिक के 7वें से 10वें दिन के बीच किया जाता है। इससे गर्भाशय और उसके रास्ते के सही होने का पता चलता है।

यदि टीबी की आशंका हो, तो टीबी पीसीआर नाम की जांच मासिक के रक्त से करनी चाहिए।

एएमएच (एंटी मुलेरियन हॉर्मोन): यह हॉर्मोन ओवेरियन फॉलिकिल से निकलता है। यह उम्र के साथ घटता है। इसकी कम मात्रा के होने से भी बांझपन की पुष्टि होती है।

आपके अनमोल आँखों के लिए ये व्यायाम है लाभकारी

उम्र बढ्ने के साथ-साथ आज हर व्यक्ति को आँखों की समस्याएँ (Eye problems) होने लगी है जिसका मुख्य कारण है प्रदूषण। वायु में स्थित धूलकण एवं धुआँ हमारे आँखों को बहुत नुकसान पहुँचते हैं। इसके कारण आँखों से पानी आना, आँखों का जलन, आँखें लाल होना तथा कम अथवा धुंधला दिखाई देने जैसी समस्या उत्पन्न होने लगती है। इन सभी समस्याओं से निजात पाने के लिए कई तरह के योगासन (Yogasan) है जिनके नियमित अभ्यास करके हम अपनी आँखों को स्वस्थ बना सकते है तथा नेत्र संबन्धित रोगों (Eye related disease) जैसे  मायोपिया और हाइपरमेट्रोपिया से छुटकारा पाया जा सकता है। 

प्रस्तुत है नेत्र के लिए कुछ आसान तथा प्रभावी व्यायाम जिसे कर के आप अपने आँखों को निरोग रख सकते हैं। 

अभ्यास - 1

  • अपने आंखों को बंद करके कुछ देर बैठें।
  • अपने हथेलियों को आपस में रगड़ कर गरम कर लें, फिर उन्हें धीरे-से आंखों पर रखें। अब महसूस करें कि हाथों की गरमाहट आंखों की पेशियों को विश्राम दे रही हैं। इस अवस्था में तब तक रहें, जब तक हाथों की संपूर्ण गरमाहट आंखों में स्थानांतरित होकर आंखों की पेशियों को विश्राम प्रदान करें। आंखें बंद रखते हुए हाथों को नीचे लाएं। एक बार फिर हथेलियों को रगड़ते हुए विधि को तीन बार दोहराएं।

अभ्यास - 2


  • अपने आंखें खोल कर बैठें।
  • पलकों को जल्दी-जल्दी दस बार झपकाएं। अब आंखें बंद करके 20 सेकेंड के लिए विश्राम करें। इस विधि को पांच बार दोहराएं।

अभ्यास - 3

  • पैरों को सीधा फैला कर बैठें। दोनों हाथों को सीधा रखते हुए कंधों के बराबर लाएं तथा अंगूठे को आकाश की ओर रखें।
  • आपकी दृश्य परिधि में अंगूठे को रखते हुए मुंह सामने रखें। दृष्टि को आंखों की सीध में केंद्रित करें। सिर को स्थिर रखते हुए बायें हाथ का अंगूठा भौहों के बीच लाएं। इस क्रम को 10-20 बार दोहराएं।
  • सांस लेने की प्रक्रिया : मध्य अवस्था में रहते हुए सांस अंदर लें, बाजू की ओर देखते हुए सांस छोड़ें।

अभ्यास - 4

  • पैरों को फिर सीधा फैला करके बैठें। बायें अंगूठे को बायें घुटने पर रखें (ध्यान रखें अंगूठा आकाश की ओर हो) सिर को स्थिर रखते हुए अपनी दृष्टि को बायें अंगूठे पर केंद्रित करें। इसी प्रक्रिया को बायें ओर से भी करें। इस अभ्यास के दौरान सिर और रीढ़ की हड्डी को सीधा अवश्य रखें। उसके बाद आंखों को बंद करके विश्राम दें।
  • सांस लेने की प्रक्रिया : मध्यावस्था में सांस अंदर लें और नीचे देखते हुए सांस छोड़ें। ऊपर देखते हुए सांस अंदर लें।

अभ्यास - 5

  • दोनों पैरों को सीधा फैला कर बैठें। बायें हाथ को बायें घुटने पर रखें। दाहिने पैर के ऊपर दायें हाथ की मुट्ठी, कोहनी सीधी रखते हुए बांधे, अंगूठे को आकाश की ओर खोले, दृष्टि को अंगूठे के ऊपर स्थिर रखते हुए अंगूठे से गोला बनाते हुए हाथ को घुमाए। ऐसा 5 बार एंटीकलॉकवाइज करें। अब इसे बायें अंगूठे से दोहराएं।
  • सांस लेने की प्रक्रिया : अंगूठे को चक्राकार घुमाते हुए सांस चक्र के ऊपरी भाग में लें तथा चक्र के निचले भाग में छोड़ें।

अभ्यास - 6


  • दोनों अंगूठों को आकाश की ओर रखते हुए दोनों मुट्ठियों को घुटनों पर रखें। धीरे-धीरे सीधे हाथ के अंगूठे को ऊपर आकाश की ओर रखते हुए, हाथ उठाएं। अंगूठे की गति को देखते रहें। हाथ को पूरी तरह उठाने के बाद धीरे-धीरे पुनः घुटनों पर लाएं। पूरी प्रक्रिया में अंगूठे के छोर को देखते रहें। इसे बायें अंगूठे से दोहराएं। इसका अभ्यास 5 - 5 बार करें।
  • सांस लेने की प्रक्रिया : ऊपर देखते हुए सांस अंदर लें। नीचे देखते हुए सांस छोड़ें।

अंतरिक्ष में स्थित क्षुद्रग्रह पट्टी क्या है? What is the asteroid belt in hindi?

सबसे बड़ा क्षुद्रग्रह कौन है? Who is the largest asteroid in hindi?

सबसे बड़ा क्षुद्रग्रह का नाम सेरेस (Ceres)है। इसका आकार चन्द्रमा का लगभग एक-चौथाई है और यह क्षुद्रग्रह पट्टी जो मंगल तथा वृहस्पति गृह के बीच सूर्य की परिक्रमा करता है। अन्य क्षुद्रग्रह से विपरीत सेरेस का आकार गोलाकार है। इस क्षुद्रग्रह की खोज इटली के एक खगोल शास्त्री जिनका नाम Giuseppe Piazzi था, ने सन 1801 ई० में किया था। इस खगोल शास्त्री ने इसे खोजने से पहले यह भविष्यवाणी किया था की मंगल और वृहस्पति ग्रह के बीच ग्रह है। इसे एक बौना ग्रह भी कहा जाता था।

अंतरिक्ष में स्थित क्षुद्रग्रह पट्टी क्या है? What is the asteroid belt in hindi?

हमारे सौर मण्डल में मंगल एवं वृहस्पति ग्रह के कक्षा के बीच के क्षेत्र में बहुत सारे क्षुद्रग्रह सूर्य की परिक्रमा करते हैं जिसे क्षुद्रग्रह पट्टी कहते हैं। इस क्षुद्रग्रह पट्टी में लाखों की संख्या में क्षुद्रग्रह पाये जाते हैं। खगोलशास्त्रीयों का मानना है की बहुत समय पहले ग्रहों के टूटने से ये क्षुद्रग्रहों का निर्माण हुआ था। इस क्षुद्रग्रह पट्टी में विभिन्न आकार के क्षुद्रग्रह पाये जाते हैं। इनमें कुछ बहुत छोटे (एक मील से भी कम लंबाई) तो दूसरे काफी बड़े भी हैं। सबसे बड़ा क्षुद्रग्रह का नाम सेरेस है। 

जीपीएस (Global Positioning System) क्या है? What is GPS and how it works in hindi?

जीपीएस (GPS) क्या है?

ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS) - यह उपग्रह आधारित अमेरिका के रक्षा विभाग द्वारा संचालित दिशानिर्देशन प्रणाली (Navigation System)  है जो अपने 30 उपग्रहों के नेटवर्क से बना हुआ है। ये उपग्रह छह अलग-अलग कक्षाओं में परिक्रमा करती है। 
Photo source: geospatialworld.net


24 घंटों में ये उपग्रहें पृथ्वी का दो बार चक्कर लगती है। हर एक उपग्रह का वजन लगभग एक टन है। इसके सोलर पैनल के साथ इस उपग्रह की लंबाई लगभग पाँच मीटर है। इन उपग्रहों के कक्षीय पथ (Orbital paths) लगभग 60 डिग्री उत्तर और 60 डिग्री दक्षिण अक्षांश पर होता है जिसका मतलब यह है की इन उपग्रहों का सिग्नल पृथ्वी के किसी भी जगह से किसी भी समय प्राप्त किया जा सकता है। यह पृथ्वी तल से 20,000 कि०मी० ऊपर अपनी कक्षा में स्थापित है। इनकी कक्षाओं को इस तरह व्यवस्थित किया गया है कि चाहे पृथ्वी के किसी भी हिस्से में आप रहें, 6 उपग्रह हमेशा आपके ऊपर होती है। जीपीएस सिस्टम को उपयोग के लिए अमेरिकी सरकार के रक्षा विभाग द्वारा विकसित किया गया था। 1995 से इसे सभी लोगों के उपयोग के लिए उपलब्ध किया गया। आज जो जीपीएस सिस्टम (GPS System) का उपयोग किया जाता है इनके उपग्रहों का रख-रखाव और प्रबंधन अमेरिका का रक्षा विभाग करता है। 

जीपीएस कैसे काम करता है? How GPS works?

जीपीएस (GPS) बहुत से जटिल तकनीक का इस्तेमाल करता है परंतु इसका सिद्धांत सरल है। इसमें एक जीपीएस रिसीवर प्रत्येक जीपीएस उपग्रह (GPS Satellite) से सिग्नल प्राप्त करता है। उपग्रहों द्वारा भेजा गया रेडियो सिग्नल सटीक समय पर होता है। उपग्रहों द्वारा भेजे गए सिग्नल के समय और जीपीएस रिसीवर (GPS receiver) द्वारा प्राप्त किए गए सिग्नल के समय को घटा कर जीपीएस यह बता सकता है कि वह प्रत्येक उपग्रहों से कितनी दूरी पर है। जीपीएस रेसीवर आसमान में स्थित उपग्रहों का सटीक स्थिति का पता लगा सकता है। इस तरह तीन उपग्रहों के जीपीएस सिग्नल (GPS  Signal) के पहुँचने के समय तथा आसमान में उनके सटीक स्थिति के आधार पर जीपीएस रिसीवर पृथ्वी पर आप के सही स्थान का पता लगा सकता है। तीन उपग्रहों के सिग्नलों के आकलन के उपरांत प्राप्त स्थिति उतनी सटीक नहीं होती है। परंतु यदि जीपीएस रिसीवर 4 उपग्रहों के सिग्नलों का आकलन करता है तो यह आपकी तीन आयामी स्थिति बता सकता है जो बहुत ही सटीक होता है। 

किन-किन देशों के पास जीपीएस सिस्टम है?

वर्तमान में निम्नलिखित देशों के पास जीपीएस सिस्टम है:-

अमेरिका - Global Positioning System (GPS)
सोवियत संघ - GLONASS
चीन - BeiDou Navigation Satellite System
यूरोपियन यूनियन - Galileo 
भारत - GPS Aided GEO Augmented Navigation (GAGAN) विकसित कि जा रही है। 

इसके अलावा फ्रांस और जापान के द्वारा भी Regional Navigation सिस्टम विकसित कि जा रही है। 

चक्रपादासन (Chakrapadasana) - पेट की समस्याओं के लिए लाभकारी

पेट से संबन्धित समस्याओं को दूर करने के लिए चक्रपादासन (Chakrapadasan) एक लाभकारी आसान है। आज हमारा लाइफ स्टाइल काफी बादल गया है। फास्ट फूड का चलन काफी बढ़ गया है जिसके परिणामस्वरूप पेट की समस्या हर व्यक्ति को होने लगी है। दावा के प्रयोग से पेट की समस्या से थोड़ा आराम मिल तो जाता है पर इसका कोई स्थायी समाधान नहीं हो पता है। ऐसे स्थिति में इस आसान का नियमित अभ्यास आपको पेट से संबन्धित समस्याओं से निजात दिला सकता है। 

चक्रपादासन (Chakrapadasana) की विधि :
चक्र पादासन

चरण 1 : सबसे पहले जमीन में आप सीधे लेट जाएं। घुटने को सीधा रखते हुए दायें पैर को जमीन से 5 सेमी ऊपर उठाएं। पैर को बगैर मोड़े दायीं ओर से बायीं ओर वृत बनाते हुए दस बार घुमाएं। पैर को घूमाते हुए एड़ी को जमीन के साथ स्पर्श न होने दें। विपरीत दिशा में भी अभ्यास को 10 बार करें। फिर इसे बायें पैर से करें। इस कार्य में अधिक जोर न लगाएं। प्रारंभिक स्थिति में आकर सांसों के सामान्य होने तक विश्राम करें।

चरण 2 : दोनों पैरों को एक साथ ऊपर उठाएं। उन्हें सीधा रखें। दोनों पैरों को दायें से बायीं ओर फिर विपरीत दिशा में तीन से पांच बार घूमाते हुए बड़ा वृत बनाएं।

श्वसन : पूरे अभ्यास के दौरान सांसों को सामान्य बनाये रखने का प्रयास करें।

लाभ : यह आसन पेट से संबंधित समस्याओं जैसे- अपच, कब्ज, अम्लता, गैस, मधुमेह में लाभकारी है। पेट की पेशियों को सुदृढ़ बनाता है और अंगों की मालिश करता है।


वीवीपैट (VVPAT) क्या है?

वीवीपैट क्या है (What is VVPAT in hindi)


वीवीपैट (VVPAT) यानी वोटर वैरिफायबल पेपर ऑडिट ट्रेल जो (Voter Verifiable Paper Audit Trail) एक प्रिंटर है। यह एवीएम की वैलेट यूनिट से जुड़ा होता है। यह मशीन बैलेट यूनिट के साथ उस कक्ष में राखी जाती है जहाँ मतदाता मतदान करने जाते हैं। वोटिंग के समय वीवीपैट से पर्ची निकलती है, जिसमें उस पार्टी और उम्मीदवार की जानकारी होती है जिसके लिए मतदाता ने मतदान किया है।

क्यों जरूरी है वीवीमैट

वीवीपैट (VVPAT) से न केवल मतदाता को अपने वोट के सही प्रत्याशी को जाने की तसल्ली होगी, बल्कि विवाद होने पर वोटिंग का पेपर ट्रेल भी उपलब्ध रहेगा और ईवीएम पर सवाल उठने बंद हो जाएंगे।

बुजुर्गों के भूलने की आदत को नजरअंदाज ना करें - अल्जाइमर (Alzheimer) हो सकता है

उम्र बढ्ने के साथ-साथ बुजुर्गों में भूलने की समस्या (Memory loss) शुरू होने लगती है। कुछ तो उम्र के कारण होती है परंतु यदि किसी बुजुर्ग में यह समस्या ज्यादा बढ़ जाता है तो यह अल्जाइमर (Alzheimer) भी हो सकता है। यदि इसकी पहचान शुरुआत में ही हो जाता है तो दवाइयों की सहायता से इस समस्या के बढ़ने की गति को धीमी की जा सकती है। ढलती उम्र में बीमारियां वृद्धों को अपना शिकार बनाती हैं। इनमें से अल्जाइमर ऐसी बीमारी है, जिसका अभी तक कोई भी स्थायी इलाज उपलब्ध नहीं हो पाया है।

क्या है अल्जाइमर (What is Alzheimer?)
अल्जाइमर (Alzheimer) मस्तिष्क से संबन्धित बीमारी है, जिसमें मरीज अपनी स्मरण शक्ति धीरे-धीरे खोना शुरू कर देता है। प्रारम्भ में मरीज की स्मरण शक्ति धीरे-धीरे कम होने लगती है। जिसके कारण उसे अपने कामों को करने में मुश्किलें आती है। यह मरीज के मस्तिष्क की कोशिकाओं के धीरे-धीरे नष्ट होने के कारण होता है। मरीज अपना रखा हुआ सामान भूल जाता है अथवा कभी किसी परिचित का नाम भूल जाता है। रोग ज्यादा बढ़ जाने के स्थिति में मरीज यदि अकेले घूमने निकलता है तो वापसी में अपने घर का रास्ता ही भूल जाता है। अतः इस रोग से पीड़ित व्यक्ति के साथ अधिक सावधानी बरतनी चाहिए। सावधानी बरत कर इस रोग पर काफी हद तक काबू पाया जा सकता है।

अल्जाइमर की तीन अवस्था (स्टेज) होती है (Three stages of What is Alzheimer)

फर्स्ट स्टेज : यह शुरू की अवस्था है। इसमें व्यक्ति कुछ समय के लिए कुछ बातें भूल जाता है। यह कोई विकट स्थिति नहीं है। इस अवस्था में अक्सर इसकी पहचान नहीं हो पाती है। मगर इसी अवस्था में मरीज की जीवनशैली बदल दी जाये, तो रोग पर काफी हद तक काबू पाया जा सकता है। इस अवस्था में चिकित्सक लक्षणों पर काबू पाने के लिए दवाएं देते हैं, जो लाभदायक सिद्ध होते हैं।  

सेकेंड स्टेज : मरीज की मानसिक क्षमता कमजोर हो जाती है और उसे देख-रेख में रहना पड़ता है। व्यक्तित्व में भी बदलाव आता है। यह स्टेज लंबे समय तक चलती है। याददाश्त बहुत कमजोर हो जाती है, यहां तक कि मरीज परिजनों को भी भूल जाता है। इस अवस्था में मरीज दैनिक कार्य जैसे नहाना, शौच आदि स्वयं कर सकता है, मगर उसे बताना पड़ता है।

थर्ड स्टेज : मरीज शारीरिक क्रियाओं पर नियंत्रण खो देता है। ऐसी अवस्था में 24 घंटे मरीज के साथ रहना पड़ता है, वह भी सावधानी से। कई बार इस अवस्था में मरीज देखभाल करनेवाले को भी हानि पहुंचा सकता है।

अल्जाइमर के शुरुआती लक्षण क्या है (What is What are the early semptoms of Alzheimer in hindi)

उम्र बढ़ने के कारण भी बुजुर्गों में कई बार कुछ चीजें भूलने की समस्या होती है। परंतु यदि किसी बुजुर्ग में यह समस्या बार-बार होने लगती है तो यह अल्जाइमर (Alzheimer) की शुरुआती लक्षण हो सकती है। चूंकि यह मस्तिष्क को धीरे-धीरे ही प्रभावित करती है अतः इसके कोई ठोस लक्षण दिखाई नहीं देती है। इस रोग से ग्रसित व्यक्ति धीरे-धीरे अपने रोज़मर्रा के कार्य को भूलने लगता है जैसे प्रतिदिन प्रयोग किये जाने वाले स्थान, अपने हर दिन का काम इत्यादि। परंतु जैसे-जैसे उसकी याददाश्त कमजोर होती जाती है, वह किसी परिचित का नाम ही भूल जाता है या फिर किसी परिचित को पहचान ही नहीं पता है। मरीज उदास सा रहने लगता है, कम बोलता है, चिड़चिड़ापन हवी होने लगता है, उनके व्यवहार में बदलाव आ जाता है तथा कभी-कभी बेवजह कार्य करने लगता है। अगर ये सभी लक्षण किसी बुजुर्ग व्यक्ति में होते हैं तो वह व्यक्ति अल्जाइमर से पीड़ित हो सकता है। 

यदि बुजुर्गों में ये लक्षण देखें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और पता करें कि इसका कारण क्या है।

  • नकारात्मक विचार : यदि बुजुर्ग अत्यधिक तनाव की शिकायत करें या फिर उन्हें मृत्यु का भय अधिक सता रहा हो।
  • सोने में कठिनाई : यदि वे रात में सोने में कठिनाई महसूस करें, लेकिन दिन में भी उन्हें नींद न आये, कम या अधिक सोना डिप्रेशन का संकेत हो सकता है।
  • थका महसूस करना : यदि वे किसी काम को रोज करते हों, लेकिन अचानक कहें कि वे थकान के कारण उस काम को नहीं कर पा रहे हैं।
  • दुखी रहना : बिना उचित कारण के दुखी रहना, पूछने पर सही कारण न बता पाना।
  • वजन कम होना : यदि वे कहें कि उन्हें भूख कम लग रही है और उनका वजन लगातार गिर रहा हो लेकिन जब उन्हें पसंद की चीज खाने को मिले, तो वे चाव से खाते हों।
  • नशे का सहारा लेना : यदि अचानक से किसी नशीले पदार्थों का सेवन करना शुरू कर दें।
  • पसंदीदा कामों को भूलना : रोज के कामों के अलावा अपने पसंदीदा कामों को भी भूलना शुरू कर देना।
  • अकेले रहना : पहले वे काफी सामाजिक रहें हों, लेकिन अब अकेले टीवी देखना या अकेले  रहना ही पसंद कराते हों।
यदि उपर्युक्त लक्षण दिखाई दें, तो ये अल्जाइमर (Alzheimer) के लक्षण हो सकते हैं।

यदि अल्जाइमर के लक्षण (Alzheimer of Symptoms) दिखे तो क्या करना चाहिए

याददाश्त को मजबूत करने के उपाय अपनाएं। इसे अपना कर ही अल्जाइमर से बचा जा सकता है।
  • प्रत्येक दिन एक नये शब्द और उसके अर्थ को सीखें। इससे ज्ञान में वृद्धि होने के साथ ही शब्द भंडार भी बढ़ता है।
  • प्रतिदिन उच्चारण का अभ्यास करें। जिन शब्दों को बोलें उन्हें सही-सही लिखने का प्रयास करें।
  • दिमागी व्यायाम के लिए कुछ  देर वीडियो गेम खेलें। इससे आंखों और हाथों के बीच ताल-मेल की क्षमता बढ़ती है।
  • तनाव में हो, तो किसी अन्य बात को सोचना शुरू करें अथवा अकेले न रहें और लोगों से मिलें और बातें करें।
  • कोई भी वाध यंत्र बजाने का अभ्यास करें। इससे हाथों पर अच्छा नियंत्रण रहता है।
  • कहीं भी रहें, अपने आस-पास की चीजों पर ध्यान दें। इससे भी याददाश्त सही रहती है। 
  • शारीरिक गतिविधियों को बढ़ा कर भी तनाव से मुक्ति पायी जा सकती है। इसके लिए रोज व्यायाम करना भी अच्छा विकल्प है।
  • दोपहर के समय हल्की नींद लें। इससे दिमाग तरोताजा रहता है।
  • पजल्स को सुलझाने से दिमाग का अच्छा व्यायाम होता है। अतः रोज इसका अभ्यास करें।
यदि आपके घर में किसी बुजुर्ग अथवा व्यक्ति में उपरोक्त लक्षण दिखाई दे तो आपको क्या करना चाहिए

सबसे पहले तो आपका व्यवहार उस बुजुर्ग अथवा व्यक्ति के प्रति नरम होना चाहिए। कठोर व्यवहार से मरीज पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। मरीज से शांत और दोस्ताना तरीके से बातचीत करें। याददाश्त कमजोर होने के कारण उनसे बातचीत में छोटे और जाने-पहचाने शब्दों का इस्तेमाल करें। मरीज से आदेश के लहजे में कभी बात न करके अपितु समझाने के लहजे में या शांत लहजे में ही बात करना चाहिए। उनकी बात ठीक से सुनें, बीच में न टोकें और न ही बहस करें। मरीज से एक बार में एक ही सवाल करें। बातचीत करते वक्त उन्हें ऐसा लगे कि आप उनमें दिलचस्पी ले रहे हैं और आपको उनकी चिंता है।

डॉक्टर के पास कब जाएँ 


अभी तक इस रोग को पूरी तरह ठीक करने के इलाज का पता नहीं चल पाया है। लेकिन शुरुआत में ही इसकी पहचान होने पर डॉक्टर को दिखाना जरूरी है। डॉक्टर इस रोग में दवाओं की मदद से इसके साइड इफेक्ट पर काबू पा सकते हैं। साथ ही वे मरीज की जीवनशैली में किये जानेवाले बदलाव के बारे में  भी पूरी जानकारी देते हैं। दवाओं की सहायता से इस रोग की प्रगति को शुरुआती अवस्था में ही धीमा किया जा सकता है। मरीज पर ध्यान रखें और यदि उसके व्यवहार में कोई बदलाव आता है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। जैसे ही रोग का स्तर बढ़ेगा उसका ट्रीटमंट भी बदलेगा। 

 घर में मरीज की देखभाल कैसे करें 


मरीज को सुबह के समय नहलाएं। कोशिश करें कि ज्यादा-से-ज्यादा काम मरीज खुद ही करें , मगर आप जबरदस्ती बिलकुल न करें, एक बार में मरीज को एक ही काम करने दें, याददाश्त को बढ़ाने के लिए आप घर में बोर्ड लगा सकते हैं। जैसे टॉयलेट के बाहर टॉयलेट का बोर्ड लगा सकते हैं आदि। सुबह के समय व्यायाम कराएं और दवाइयां समय पर देते रहें । यदि कोई बदलाव नजर आ रहा है, तो तुरंत चिकित्सक से सलाह लें। पौष्टिक और संतुलित आहार दें। खाने में विटामिन-इ युक्त खाने की मात्रा ज्यादा रखें, तो बेहतर होगा, विटामिन-इ अल्जाइमर (Alzheimer) में काफी कारगर है।

अल्जाइमर के लिए आयुर्वेदिक औषधियां (Ayurvedic medicine)

शंखपुष्पी अश्वगंधा, ज्योतिश्मती चूर्ण लाभदायक हैं। रोग अधिक होने पर स्मृति सागर रस तथा ब्राह्मणी वटी 1-1 गोली रात्रि में दें। आयुर्वेद पंचकर्म इसमें अत्यंत लाभकारी है। शिरोधार कम-से-कम 14 दिन अवश्य कराएं। आयुर्वेदिक रसायन, बादाम पाक, अश्वगंधारिष्ट चिकित्सक के परामर्श से लें। यह वृद्धावस्था का नाश करता है।

इसका न करें सेवन : अलकोल, तंबाकू, गांजा, भांग का सेवन न करें।

क्या खाएं : प्रतिदिन दूध, घी, बादाम, अर्जुन, मुलैठी का सेवन करें।

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भीम एप्प क्या है और कैसे काम करता है?
What is BHIM APP and how it works?

सरल शब्दों में कहा जाये तो स्मार्टफोन के जरिये मुद्रा के हस्तानांतरण हेतु बनाये गए एप्प को ही भीम एप्प (BHIM APP) कहते हैं। भीम एप्प का विस्तृत रूप है - भारत इंटरफेस फ़ॉर मनी (Bharat Interface for Money)। भीम एप्प यूनिफाइएड पेमेंट इंटरफ़ेस (Unified Payment Interface - UPI) पर काम करता है जिसमे किसी भी प्रकार के लेन-देन अथवा भुगतान के लिए UPI-PIN की आवश्यकता होती है। इसके अलावा इस एप्प से किसी के बैंक अकाउंट नंबर एवं IFSC के मदद से भी मुद्रा का हस्तांतरण किया जा सकता है। भीम एप्प के जरिये आप Bharat QR code जेनेरेट कर सकते हैं। यह सुविधा बहुत सारे UPI APP में अभी उपलब्ध नहीं है। QR code के सहारे आप तुरंत राशि जा भुगतान अथवा राशि की प्राप्ति कर सकते है।

भीम एप्प का प्रयोग कैसे करें?
How to use BHIM App?

सबसे पहले Google Play Store से आपको अपने स्मार्टफोन में BHIM App डाउनलोड करना होगा जिसे Google Play Store से डाउन लोड किया जा सकता है।

उसके बाद अपने बैंक अकाउंट को इस एप्प में रजिस्टर करें।
रजिस्टर करने के साथ ही आप अपने लिए एक UPI Pin Set करें।
इसमें आपका मोबाइल नंबर ही आपका भुगतान का एड्रैस (Address) होगा।
जैसे ही आपका रजिस्ट्रेशन पूरा होता है आप BHIM App के द्वारा लेन-देन शुरू कर सकते हैं।

भीम एप्प (BHIM App ) में आपके बैंक अकाउंट के लिए UPI Pin कैसे Set करें?

अगर आप पहली बार भीम एप्प का इस्तेमाल (Use of BHIM APP) करते हैं तो आपको UPI-PIN बनाने को कहा जाता है। यह 4 से 6 संख्या वाला गुप्त कोड होता है जिसे आपको भीम एप्प के रजिस्ट्रेशन के समय बनाना पड़ता है। यह आपको आपके द्वारा किए जाने वाले सभी बैंक के लेन-देन के लिए दर्ज करना पड़ता है। यदि आप पहले से ही कोई और UPI-PIN का इस्तेमाल अपने स्मार्टफोन में कर रहे हैं तो उस पर दिये गये UPI-PIN का इस्तेमाल आप अपने BHIM App के लिए भी कर सकते हैं।

सबसे पहले आपके द्वारा install किए गए भीम एप्प (BHIM APP) को ओपन करने पर आपको एप्प पासवर्ड सेट करने को कहा जायेगा। आप चार अंकों का एक पिन बना सकते है। इसी पिन की सहायता से बाद में आप इस एप्प को खोल सकते हैं।
  • एप्प को ओपन करने के बाद आप इसके Main Menu में जाएँ।
  • उसके बाद Bank Accounts को Select करें।
  • अब Set UPI Pin, Option को चुनें।
  • आपको अपने ATM/Debit Card का 6 Digit वाला Number डालना होगा अपने Card के Expiry Date के साथ।
  • उसके बाद आपके पास एक OTP प्राप्त होगा।
  • उसको App में Dial करने के बाद आप अपना UPI Pin बना सकते हैं।

क्या भीम एप्प सुरक्षित है?

भीम एप्प दो पासवर्ड से सुरक्षित बनाया गया है। पहला तो जब आप भीम एप्प को खोलते हैं। जैसे ही आप भीम एप्प (BHIM APP) को क्लिक करते हैं आपको एक पासवर्ड दर्ज करना होगा। इसके बाद ही आप इस एप्प पर दाखिल हो सकते हैं। इसके अलावा किसी भी तरह के लेन-देन के लिए आपको UPI-PIN दर्ज करने की आवश्यकता होगी। आप कोई भी लेन-देन बिना UPI-PIN दर्ज किये पूरा नहीं कर सकते हैं। अतः यदि आपका स्मार्टफोन खो भी जाता है तो भी आपको चिंतित होने की जरुरत नहीं है। अतः कहा जा सकता है कि सुरक्ष के मामले में भीम एप्प बहुत सुरक्छित है।

सुरक्छित होने के साथ-साथ यह एप्प सरल एवं तेज भी है। अच्छी तरह से डिजाइन किया हुआ इसका इंटरफ़ेस उपयोग करने में अत्यंत सरल है। तीन से चार स्टेप में ही आप किसी को भी राशि का भुगतान कर सकते हैं।

भीम आधार पे एप्प क्या है?
What is BHIM - Aadhaar Pay App?

भीम आधार पे एप्प जो आधार प्लेटफार्म में काम करता है जिसे व्यापारियों तथा दुकानदारों के लिए विकसित किया गया है। अर्थात व्यापारी/दुकानदार अपने ग्राहक से भुगतान प्राप्त करने के लिए इसे अपने स्मार्टफोन में भीम आधार पे एप्प डाउनलोड कर स्थापित (install) कर सकते हैं। इसमें स्मार्टफोन के साथ एक फिंगरप्रिंट स्कैनर जुड़ा होगा जिसकी मदद से कोई खरीददार किसी सामान के खरीद के एवज में व्यापारी/दुकानदार को भुगतान कर सकेगा। जो उपभोगता की आधार पे एप्प की मदद से भुगतान चाहता है उसे पहले अपना बैंक अकाउंट आधार से लिंक करना होगा। आधार के साथ बैंक अकाउंट लिंक होने के बाद किसी भी व्यापारी/दुकानदार से कुछ खरीदने पर उसका भुगतान मात्र फिंगरप्रिंट के सत्यापन से ही भुगतान किया जा सकता है। यह सत्यापन आधार के बायोमैट्रिक डाटाबेस से किया जाता है। इसके लिए उपभोक्ता को अपना बैंक चुनना होगा। इसके बाद उपभोगक्त को अपना फिंगरप्रिंट देना होगा, जिसके सत्यापन के बाद भुगतान हो जायेगा।

इस तरह के भुगतान के लिए उपभोगता के पास कोई स्मार्टफोन होने की जरुरत नहीं है और ना ही किसी तकनीक की आवश्यकता है। अतः अब आपको अपने साथ अपना डेविट या क्रेडिट कार्ड ले कर चलने की आवश्यकता नहीं है। इसके अलावा किसी तरह के PIN नंबर अथवा MPIN और पासवर्ड याद रखने की आवश्यकता है।

क्या BHIM App को बिना इंटरनेट के कैसे उपयोग किया जा सकता है?

BHIM App को तो आप बिना इंटरनेट के उपयोग नहीं कर सकते हैं पर BHIM की *99# की सुविधा को किसी भी साधारण फ़ोन से आप बिना इंटरनेट के इस्तेमाल कर सकते हैं।

BHIM App का उपयोग दूकानदार Shopkeeper कैसे कर सकते हैं?

दुकानदार के मोबाइल फ़ोन पर Customer का Mobile Number type करना होगा। उसके बाद Customer को अपना Bank Account चुनना होगा जो उसके Adhaar Card से Link किया हुआ हो। दूकानदार को एक Finger Print Reader का उपयोग करना होगा जिसमें Customer का Finger Print Confirm किया जाएगा। Customer को अपना Adhaar Card लेकर जाने की कोई आवश्यकता नहीं है उसे मात्र Number और स्वयं जाना होगा।

क्या BHIM App में भी Wallet है जिसको पैसे भेजने से पहले Fill करना पड़ता है?

BHIM App में आपका UPI (United Payments Interface) Support करने वाला Bank Directly आपके भीम एप्प से Connect रहेगा। आपका हर Transaction सीधा बैंक से होगा। इसके लिए आपको किसी भी प्रकार के Paytm के जैसे Wallet की आवश्यकता नहीं है।

BHIM App की Transaction Limit कितनी है?

BHIM App में ज्यादा से ज्यादा 10000 रूपए प्रति Transaction और एक दिन में ज्यादा से ज्यादा 20000 रूपए 24 घंटे में लें दें कर सकते हैं।


क्या हम BHIM App में एक से अधिक Bank Account Add कर सकते हैं?

अभी BHIM App में आप अपना एक ही Bank Account Link कर सकते हैं। Account का Setup करते समय अपने किसी एक Bank Account को अपना Default Account के रूप में चुने।

कौन से बैंक भीम एप्प में सपोर्ट करते हैं? Which Banks Support Transactions in BHIM App?

अभी जो List भारत सरकार ने की है उसके अनुसार BHIM App Support करने वाले Bank हैं –

Allahabad Bank, Andhra Bank, Axis Bank, Bank of Baroda, Bank of India, Bank of Maharashtra, Canara Bank, Catholic Syrian Bank, Central Bank of India, DCB Bank, Dena Bank, Federal Bank, HDFC Bank, ICICI Bank, IDBI Bank, IDFC Bank, Indian Bank, Indian Overseas Bank, IndusInd Bank, Karnataka Bank, Karur Vysya Bank, Kotak Mahindra Bank, Oriental Bank of Commerce, Punjab National Bank, RBL Bank, South Indian Bank, Standard Chartered Bank, State Bank of India, Syndicate Bank, Union Bank of India, United Bank of India, Vijaya Bank.


एंड्रॉयड ओपेरेटिंग सिस्टम क्या है? What is Android Operating System?

दुनिया का सर्वाधिक लोकप्रिय ओपेरेटिंग सिस्टम (Operating System) जो आपके स्मार्ट फोन, टेबलेट, टीवी, डिजिटल कैमरा, घड़ी, कार आदि में प्रयोग किया जाता है।
Android Operating System
आज स्मार्टफोन (Smartphone) का जमाना है। यह प्रत्येक व्यक्ति की जरूरत बन गई है। हमे जो ऊपर से दिखाई देता है वह स्मार्ट फोन का हार्डवेयर (Hardware) होता है तथा उस फोन को एक निर्धारित सॉफ्टवेर के द्वारा चलाया जाता है जिसे हम ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating system) कहते हैं। एंड्रॉयड (Android) भी लिनेक्स पर आधारित टच स्क्रीन स्मार्ट फोन (Touch screen smartphone) और टेबलेट (Tablet) पर काम करने वाला दुनिया में सबसे प्रचलित ओपेरेटिंग सिस्टम है जिसकी मदद से ही हम स्मार्ट फोन का प्रयोग अपने दैनिक जीवन में कर पाते हैं। आज यह ओपेरेटिंग सिस्टम मोबाइल फोन के अलावा टीवी, डिजिटल कैमरा, गेम कंसोल, कार, कलाई घड़ी आदि में भी उपलब्ध है। 

'एंड्रॉयड इनकोर्पोरेटेड - Android Inc.' की स्थापना अक्तूबर 2003 में एंडी रूबिन (Andy Rubin), रिच माइनर (Rich Miner), निक सेयर्स (Nick Sears) और क्रिस व्हाइट (Chris White) ने की थी। शुरुआती दिनों में इन चारों ने मिल कर डिजिटल कैमरा के लिए ओपेरेटिंग सिस्टम बनाने का कार्य शुरू किया था परंतु बाद में ये मोबाइल फोन के लिए ओपेरेटिंग सिस्टम के कार्य में लग गये। इनके पास पैसे की बहुत तंगी थी जिसके कारण इन्हें उधर भी लेना पड़ा। इनके ओपेरेटिंग सिस्टम की उपयोगिता तथा भविष्य में इसकी मांग को देखते हुए इंटरनेट का बादशाह गूगल ने 17 अगस्त, 2005 को इसे खरीद लिया। 
गूगल ने 23 सितम्बर, 2008 को एंड्रॉयड ओपेरेटिंग सिस्टम का पहला संस्करण एंड्रॉयड (अल्फा) 1.0 रिलीज किया। इसके बाद 9 फरवरी, 2009 को एंड्रॉयड (बीटा) रिलीज किया गया। इसके बाद रिलीज होने वाले सारे संस्करण  अल्फ़ाबाइटिक ऑर्डर पर मिठाइयों के नाम पर रखे गये है। वे इस तरह हैं - कपकेक (Cupcake), डोनट (Donut , एक्लेयर (Eclair), फ्रोंयो (Froyo), जिंजरब्रैड (Gingerbread), हनीकोम्ब (Honeycomb), आइसक्रीम सैंडविच (Ice Cream Sandwich), जैलीबीन (Jelly Bean), किटकैट (KitKat), लॉलीपोंप (Lollipop), मार्शमॉलो (Marshmallow) और नौगट (Nougat) है। 
वैसे तो गूगल के सभी एप्लिकेशन जैसे गूगल सर्च, गूगल मैप, यूट्यूब आदि दूसरे ओपेरेटिंग सिस्टम वाले मोबाइल फोन में भी चलते हैं पर एंड्रॉयड ओपेरेटिंग सिस्टम (Android Operating System) में यह बेहतर तरीके से चलते हैं। एंड्रॉयड सॉफ्टवेयर (Android Software) एक 'ओपेन सोर्स' सॉफ्टवेयर है जिसके लिए कोई भी एप्प बना सकता है। दरअसल, गूगल स्मार्ट फोन कंपनियों के लिए सॉफ्टवेयर बना कर उन्हें मुहैया करती है जिसे स्मार्ट फोन कंपनियाँ अपने फोन के अनुसार आवश्यक बदलाव करने के बाद आप तक पहुँचती है। इसलिए जब भी गूगल एंड्रॉयड का कोई नया वर्जन रिलीज करती है तो वह पहले इन स्मार्ट फोन कंपनियों तक पहले आता है जिसे बाद में आवश्यक बदलाव करने के बाद कंपनियाँ अपने उपभोगता तक पहुँचती है। 

असली अपराधी कौन - Short Story


असली अपराधी कौन एक दिन राजा कृष्णदेव के दरबार में एक चरवाहा आया और बोला - महाराज, मेरे साथ न्याय कीजिए। तुम्हारे साथ क्या हुआ है? राजा ने पूछा। महाराज, पड़ोस में एक कंजूस आदमी रहता है। उसका घर बहुत पुराना हो गया है, परंतु वह मरम्मत नहीं करता, कल उसके घर की एक दीवार गिर गयी और मेरी बकरी दबकर मर गयी। पड़ोसी से बकरी का हर्जाना दिलवाने में मदद कीजिए। महाराज तेनालीराम की तरफ देखने लगे। तब तेनालीराम बोले - महाराज, मेरे विचार से दीवार टूटने के लिए केवल पडोसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। तो फिर तुम्हारे विचार में दोषी कौन है? राजा ने पूछा। महाराज, यदि आप मुझे थोड़ा समय दें, तो मैं जाँच कर असली अपराधी को प्रस्तुत कर दूंगा, तेनालीराम ने कहा। 
तेनाली ने चरवाहे के पडोसी को बुलाया और उसे मरी बकरी का हर्जाना देने को कहा। पडोसी बोला - इसके लिए मैं दोषी नहीं हूँ। वह दीवार तो मैंने मिस्त्री से बनवाई थी। अतः असली अपराधी तो वही है। मिस्त्री को बुलाया गया। मिस्त्री ने भी अपना दोष मानने से इनकार करते हुए बोला, अन्नदाता, अलसी दोष तो उन मजदूरों का है, जिन्होंने गारे में अधिक पानी मिलाकर मिश्रण को खराब बनाया, जिससे ईंट चिपक नहीं सकी और दीवार गिर गयी। अब राजा ने मजदूरों को बुलवाया। मजदुर बोले, महाराज, इसके लिए हम दोषी नहीं, वह पानीवाले व्यक्ति है, जिसने गारे में अधिक पानी मिलाया। फिर पानी मिलाने वाले व्यक्ति को बुलाया गया। वह बोला, महाराज, वह बर्तन बहुत बड़ा था जिसमें जरुरत से अधिक पानी भर गया। अतः उस व्यक्ति को पकडे जिसने मुझे वह बरतन दिया था। उसने बताया कि पानी वाला बड़ा बरतन उसे चरवाहे ने दिया था। तब तेनालीराम ने चरवाहे से कहा - देखो, यह सब तुम्हारा ही दोष है। तुम्हारी एक गलती ने तुम्हारी ही बकरी की जान ले ली। चरवाहा लज्जित हो कर दरबार से चला गया। सभी तेनालीराम के बुद्धिमतापूर्ण न्याय की भूरी-भूरी प्रशंसा कर रहे थे।
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क्या है मासिक धर्म के दौरान हेवी ब्लीडिंग के कारण ( Heavy bleeding during Periods - Menorrhagia in hindi)

अक्सर कई महिलाओं में पीरियड्स (Masik dharam) के दौरान हेवी ब्लीडिंग (heavy bleeding) (खून का अधिक बहाव) की शिकायत होती है। इस अवस्था को मोनोरेजिया (Menorrhagia) कहते है। इस समस्या के कई कारण हो सकते हैं।
Heavy-bleeding-during-periods
हॉर्मोन का असंतुलन :- हेवी ब्लीडिंग का एक मुख्य कारण अंडाशय से उत्सर्जित होने वाले हॉर्मोन में असंतुलन है। अंडाशय, मुख्यतः एस्ट्रोजेन (Estrogen) और प्रोजेस्टेरोन (Progesterone) नामक हार्मोन का निर्माण करती है जो महिलाओं के मासिक धर्म (Masik Dharm) को नियंत्रित करने के लिए उत्तरदायी होती है। जब इन हार्मोन्स में असन्तुलन उत्पन्न होती है तो हेवी ब्लीडिंग की समस्या होती है।  यह अक्सर मेनोपॉज (menopause) (मासिक धर्म (Masik Dharm) बंद होने की अवस्था) के दौरान होता है लेकिन कुछ युवतियों में भी यह हो सकता है।

यूटेराइन फाइब्रॉइड ट्यूमर्स:- यह भी हैवी ब्लीडिंग होने का एक प्रमुख कारण है। इसमें आम तौर गर्भाशय (uterus) में एक या एक से अधिक बिनाइन ( नॉन कैंसरस) ट्यूमर का निर्माण हो जाता है। यह अधिकतर 30 से 40 वर्ष की महिलाओं में गर्भाशय (uterus) में होता है। इसका उपचार मायोमेक्टोमी (myomectomy), इडॉमेट्रिक्ल एब्लेशन द्वारा किया जाता है।
सर्वाइकल पॉलिप्स (cervical polyps):- गर्भाशय (uterus)के निचले हिस्से को गर्भाशय ग्रीवा (cervix)कहते हैं। गर्भाशय और योनि के बीच में चिकनी, लाल अंगुलिनुमा आकृति विकसित होती है जिसे ही पॉलिप्स कहते हैं। पॉलिप्स मुख्यतः संक्रामण के कारण हो सकता है। यह भी ब्लीडिंग का कारण है। इसका उपचार एंटीबायोटिक्स से होता है।

पेल्विक इंफ्लेमेट्री डिजीज (pelvic implementary disease):- यह यूटेरस, फेलोपियन ट्यूब (fallopian tube) या सर्विक्स में इंफेक्शन के कारण होता है। इंफेक्शन मुख्यतः यौन संक्रामक रोगों के कारण होता है। इसका उपचार भी एंटीबायोटिक द्वारा होता है।

इसके अलावा सर्वाइकल कैंसर, इंडोमेट्रिराल कैंसर के कारण भी हेवी ब्लीडिंग की शिकायत होती है। सर्वाइकल कैंसर ह्यूमन पेपीलोमा वायरस के कारण होता है। इसका उपचार सर्जरी, कीमोथेरेपी और रेडिएशन थेरेपी के जरिये होता है। वहीँ इंडॉमेट्रियल कैंसर का उपचार हिरट्रेक्टोमी, कीमोथेरेपी या रेडिएशन।

मार्जारी आसन करने की विधि और इसके लाभ - Marjari Aasana

मार्जारी आसन (Marjariaasana) गरदन और मेरुदंड (रीढ़) (Carnia) को लचीला बनाता है तथा महिलाओं के प्रजनन तंत्र (Reproductive System) को मजबूत करता है। जिन लोगों को मेरुदंड के नीचले भाग में कड़ापन हो या लोअर बैक की समस्या रही हो, उनके लिए भी काफी लाभकारी है। इसके अलावा यह अभ्यास मधुमेह और पेट से संबंधित समस्याओं का भी निदान करता है।यह महिलाओं व पुरुषों दोनों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण और लाभकारी अभ्यास है। 

मार्जारी आसन की विधि (Marjari Aasana karne ki vidhi)

जमीन के ऊपर योग मैट अथवा चादर पर वज्रासन में बैठ जाएं। अब नितबों को उठा कर घुटनों के बल खड़े हो जाएं और आगे की ओंर झुके। दोनों हाथों को नीचे जमीन पर इस प्रकार रखे कि उंगलियां सामने की ओर रहें हाथ घुटनों के ठोक सीध में रहें,  भुजाएं और जांघ जमीन पर लंबवत रहें। दोनों घुटने एक साथ या थोड़ी दूरी पर रख सकते है। यह प्रारंभिक स्थिति है।
अब आप श्वास लेते हुए सिर को ऊपर उठाएं और मेरुदंड को नीचे की तरफ झुकाए ताकि पीठ धनुषाकार हो जाए। आमाश्य को पूर्णतः फैलाएं और फेफड़ों में अधिक-से-अथिक वायु भर लें। तीन सैकेंड तक स्वांस रोकें।
सिर को नीचे लाते हुए और मेरुदंड को धनुषाकार रूप में ऊपर ले जाते हुए श्वास छोडें। पूर्णत: श्वास छोड़ने के पश्चात आमाश्य व नाभी को ऊपर की तरफ संकुचित कर लें ओर नितंबों को ऊपर की ओर तानें। इस स्थिति में सिर भुजाओं के मध्य में जांघों के सामने होगा तथा ठुड्डी को छाती में सटाने का प्रयास करें। मेरुदंड के चाप को गहरा बनाते और आमाशय के सकुचन को बढ़ाते हुए तीन सेकेंड तक श्वास रोक कर रखें। यह एक चक्र हुआ। इस प्रकार आप आठ से 10 चक्र इस अभ्यास में कम से कम करें। जितना संभव हो, श्वास गति धीमा रखें. जब सिर ऊपर की तरफ और मेरुदंड नीचे की तरफ ले जाएं तो श्वांस अंदर लें और तीन सैकंड श्वास को अंदर रोके। जब सिर को नीचे की तरफ और मेरुदंड ऊपर की तरफ जायेगा तो श्वास बाहर की तरफ छोडें और यहां भी श्वास को तीन सेकंड तक बाहर रखे। अभ्यास के दोरान श्वसन को उज्जायी प्राणायाम के साथ उपयोग में ला सकते हैं।

अवधि:- अभ्यास को आठ से 10 चक्र अवश्य करें, ताकि इसका प्रभाव सामने आये।

सजगता:- अभ्यास के दौरान गलेऔर मेरुदंड के प्रति व झुकाव पर रखें। आध्यात्मिक स्तर पर अपने स्वाधिसृान चक्र पर सजग रहे।

यह आसन (Marjariasana) बिशेष रूप से गरदन, कंधो आउट मेरुदंड के लचीलेपन में सुधार लाता है तथा उनमें प्राणिक ऊर्जा का संचार बढ़ाता है। यह अभ्यास स्त्रियों के लिए अत्यंत लाभकारी आसन है। यह उनके प्रजनन तंत्र को पुष्ट करता है इसे छह महीने तक की गर्भावस्था में भी किया जा सकता है, फिर भी तीन महीने के बाद आमाशय के बलपूर्वक संकुचन से परहेज करना चाहिए। यदि किसी महिला में मासिक धर्म में अनियमितता हो या श्वेत प्रदर (ल्यूक्नोरिया) से ग्रस्त हो, तो उनके लिए मार्जारि आसन (Marjari Aasana) से काफी लाभ मिलता है। आसन से मासिक धर्म में ऐंठन में कमी आयेगी। मधुमेह रोगियो के लिए भी लाभप्रद है। 

अभ्यास टिप्पणी:- पूरे अभ्यास के दौरान अपनी भुजाओं को केहुनियों से न मोड़े। भुजाएं एवं जांघें बिल्कुल सीधी रखें। शरीर को आगे व पीछे की तरफ न हिलाएं

लिवर के लिए खतरनाक है ओवरइटिंग (overeating is dangerous for liver in hindi)

"यदि आप आवश्यकता से अधिक भोजन ग्रहण करते हैं तो सावधान हो जाइए, यह न केवल आपका मोटापा बढ़ाएगा बल्कि आपके लिवर को भी नुकसान पहुंचा सकता है।"


कुछ लागों को खाने का शौक होता है। यदि उन्हें पसंदीदा भोजन मिल जाय, तो वे आवश्यकता के अधिक खा लेते हैं। चाहे आपको पसंदीदा भोजन मुफ्त में ही क्यों न मिल रहा हो, पर हमेशा यह ध्यान रखना चाहिए कि पेट आपका अपना है। ओवरइटिंग (Overeating) से केवल मोटापे की शिकायत हो सकती है बल्कि इसके कारण आपके शरीर के कई अंगो को भी नुकसान पहुंच सकता है।
Overeating dangerous for liver
खाने के शौकीन होना कोई गलत बात नहीं है, परंतु जरूरत से ज्यादा भोजन ग्रहण करना शरीर के लिए हानिकारक होता है। इस तरह जरूरत से ज्यादा भोजन करने से न केवल मोटापा बढ़ता है, या डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है, बल्कि यह शरीर के कई अन्य अंगों को भी नुकसान पहुंचा सकता है। ओवरइटिंग से हृदय, किडनी, फेफड़े और लीवर पर भी बुरा असर पड़ सकता है। इनमें से ओवरइटिंग आपके लिवर को अधिक प्रभावित करता है। यदि आपको डायबिटीज है और लिवर से संबन्धित समस्या है तो आपको ओवरइटिंग से बचना चाहिए क्योंकि यह आपके समस्या को बढ़ा सकती है। 

क्या  पड़ता है प्रभाव

ओवरइटिंग या अत्यधिक वसायुक्त (Fatty Foods) खाना  खाने से नॉन अल्कोहिक फैटी लिवर की बीमारी (Nonalcoholic Fatty Liver Disease) हो सकता है। लिवर के वाहिकाओं (vessels) में वसा (Fat) के जमा होने से लिवर अपना काम ठीक से नहीं कर पाता है और शरीर में विषेले पदार्थ बनने शुरू हो जाते है। मोटापा इसका एक प्रमुख कारण है। पेट पर वसा जमना भी इसका कारण हो सकता है। यदि आप मीट अधिक खा रहे हैं, तो लिवर की धमनियाँ (Artery) मोटी हो जाती है। इससे लिवर में पित्त पथरी (gallstones) बनना शुरू हो जाता है। इसके कारण पित्त (Bile) के निर्माण में भी बाधा आती है, जिससे वसा का पाचन सही तरीके से नहीं हो पाता है और वजन बढ़ने लगता है। वजन बढ़ने से कई अन्य समस्याएं होने लगती हैं।
कैसे कर सकते हैं बचाव

इस समस्या का सबसे प्रमुख बचाव है कि आप अपने के तरीकों में बदलाव लाए। आप अपने पसंदीदा भोजन खाएं, लेकिन एक सीमा के अंदर। यानी ओवरइटिंग न करें। आप उन व्यंजनों का सेवन कर सकते हैं जिसमे वसा कम होती है जैसे - स्किन्ड मिल्क और उससे बने ब्यंजन आदि। वैसे फूड जिनमें अनसेचुरेटेड फैट अधिक होता है, लिवर के सही तरीके से काम करने में मदद करते हैं, जबकि अधिक वसायुक्त भोजन समस्या को बढ़ा देती है। हमारे लिवर को सुरक्षित रखने के लिए दो भोजन के बीच उचित समय होना चाहिए। एक बार में अधिक खाने के बजाय आप थोड़ा-थोड़ा करके दिन में कई बार खाएं। इससे लिवर को अपना काम सही तरीके से कारने ने के लिए पर्याप्त समय मिल पाता है।  प्रतिदिन भोजन में हरी सब्जियों और फलों को शामिल करने से भी लिवर को फायदा होता है।

लिवर क्यों है महत्वपूण

  • लिवर इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्याकिं आपको स्वस्थ रखने के लिए यह कई काम करता है।
  • यह वसा (Fat) और वसा में घुले हुए विटामिन को पचाने में मदद करता है। इसके लिए लिवर ही पित्त (Bile) को स्रावित करता है।
  • यह कार्बोहाहड्रेट के मेटाबॉलिज्म में मदद करता है और ब्लड ग्लूकोज लेवल को नियंत्रित रखता है।
  • यह प्रोटीन निर्माण में भी सहायता करता है। प्रोटीन से हमारे शरीर के अधिकतर हिस्से बने है। अतः यह बहुत ही महत्वपूर्ण कार्य है।
  • यह डीटॉक्सिफिकेशन में भी मदद करता है। अर्थात विषैले एवं गंदे पदार्थों को शरीर से बाहर करने के लिए किडनी में भेजता है।
  • लिवर विटामिन ए, बी12, डी, इ, के और अन्य मिनरल्स को भी स्टोर करने का कार्य करता है।

घरेलू नुस्खे (Gharelu nuskhe) - Home Remedies in hindi


अक्सर कभी-कभी अचानक ही हमारे पेट में दर्द होने लगता है अथवा हमारा सिर दर्द होने लगता है और हमारे पास कोई दवाई भी नहीं होती है, ऐसे समय में पुराने समय से चली आ रही दादी मां के नुस्खों (Dadi ma ke nuskhe) को अपनाने से शरीर में होने वाली कई छोटी-छोटी समस्याओं और रोगों का हम घर बैठे ही हमारी रसोई के फल-फूल, साग-सब्जियों, मसलों और तेल से ही अपना इलाज कर सकते हैं। कई बार घर के छोटे बच्चे रात में किसी शारीरक समस्या के कारण रोने लगते हैं। हो सकता है उसका पेट दर्द कर रहा हो अथवा खेलते-खेलते चोट लग गई हो और उसका हाथ अथवा पैर दर्द कर रहा हो। ऐसे स्थिति में यदि घर पर कोई दवाई उपलब्ध नहीं होने पर सुबह होने का इंतिजार करने के अलावा दूसरा कोई रास्ता नहीं होता है। रात भर बच्चा वैसे ही रोता रहता है और हम पूरी रात परेशान रहते है। ऐसे स्थिति में कुछ घरेलु नुस्खों (Gharelu Nuskhen) का ज्ञान होना आवश्यक होता है। यहाँ ऐसे ही तमाम शारीरक समस्याओं और रोगों तथा उनके घरेलु उपचार (Gharelu Upchar) की सूची (List of Home Remedies in Hindi) तैयार करने की कोशिश की गई है ताकि डॉक्टरी ईलाज नहीं मिल पाने की स्थिति में आप यहाँ उल्लेखित घरेलु उपायों का सन्दर्भ ले सकतें हैं।
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भानु सप्तमी (Bhanu Saptmi)

भानु सप्तमी का महत्व, पूजन विधि, एवं प्राप्त होने वाले फल तथा सूर्य मंत्रों (Surya mantra) के बारे जानकारी 
भारत में, हिन्दू ग्रन्थों और मान्यताओं में भानु संपत्मी (Bhanu Saptmi) को बहुत ही शुभ दिन माना गया है। इसे आरोग्य सप्तमी (Aarogya saptmi), रथ सप्तमी (Rath saptmi), सूर्य सप्तमी (Surya saptmi), पुत्र सप्तमी (Putr saptmi) आदि नामों से भी जाना जाता है। इसी दिन सूर्य भगवान (Sun god) अपनी प्रकाश से पृथ्वी को प्रकाशवान किया था।  रविवार के दिन सप्तमी तिथि के संयोग से 'भानु सप्तमी' पर्व का सृजन होता है। इस दिन भगवान सूर्यनरायण के लिए व्रत रखते हुए उपासना करने से अत्यधिक पुण्य की प्राप्ति होती है। भानु सप्तमी (Bhanu saptmi) के दिन आदित्य हृदय और अन्य सूर्य स्त्रोत (Surya strot) का पाठ किया जाता है ताकि सूर्य भगवान (Surya Bhagvan) को प्रसन्न किया जा सके। ग्यारह हजार रश्मियों के साथ तपने वाले सूर्य 'भग' रक्तवर्ण हैं। यह सूर्यनरायण के सातवें विग्रह हैं और एश्वर्य रूप से पूरी सृष्टि में निवास करते हैं। सम्पूर्ण ऐश्वर्या, धर्म, यश, श्री, ज्ञान और वैराग्य ये छह भग कहे जाते हैं। इन सबसे सम्पन्न को ही भगवान माना जाता है। अस्तु श्रीहरी भगवान विष्णु के नाम से जाने जाते हैं। 
क्या करना चाहिए

पौष मास के प्रत्येक रविवार को 'विष्णवे नमः' मंत्र से सूर्य की पुजा की जानी चाहिए। ताम्र के पात्र में शुद्ध जल भरकर उसमें लाल चन्दन, अक्षत, लाल रंग के फूल डाल कर सूर्यनरायण को अर्ध्य देना चाहिए। रविवार के दिन एक समय बिना नमक का भोजन सूर्यास्त के बाद करना चाहिए। सूर्य देव को पौष में तिल और चावल की खिचड़ी का भोग लगाने के साथ बिजौरा नींबू समर्पित करना चाहिए। पौराणिक ग्रन्थों और शास्त्रों में भानु सप्तमी (Bhanu saptmi) में जप, होम दान आदि करने पर सूर्य ग्रहण की तरह अनंत गुना फल प्राप्त होता है। सूर्य प्रत्यक्ष देवता हैं। इनकी अर्चना से मनुष्य को सब रोगों से छुटकारा मिलता है। जो नित्य भक्ति और भाव से सूर्यनारायण को अर्ध्य देकर नमस्कार करता है, वह कभी भी अंधा, दरिद्र, दुःखी और शोकग्रस्त नहीं रहता।  

सूर्य मंत्र (Surya Mantra)

ॐ मित्राय नमः, ॐ रवये नमः ।
ॐ सूर्याय नमः, ॐ भानवे नमः ।
ॐ खगाय नमः, ॐ पुष्णे नमः ।
ॐ हिरन्यायगर्भय नमः, ॐ मरीचे नमः ।
ॐ सवित्रे नमः, ॐ आर्काया नमः ।
ॐ आदिनाथाय नमः, ॐ भास्कराय नमः ।
ॐ श्री सवितसूर्यनारायण नमः।

महिलाओं के मूत्राशय में होने वाले संक्रमण (इन्फ़ैकशन) है यूटीआई (Urinary Tract Infection)

यूटीआई (Urinary Tract Infection in hindi) क्या है?
यह महिलाओं के मूत्राशय में होने वाला संक्रमण (Infection) होता है जो आंतों में पाये जाने वाले 'इ कोलाइ' बैक्टीरिया के कारण होता है। यदि हम अपने गुप्तांगों की साफ-सफाई अच्छी तरह नहीं करते हैं तो आंतों में स्थित यह बैक्टीरिया (Bacteria) मलद्वार के रास्ते आकर मूत्रद्वार में प्रवेश कर जाता है और मूत्राशय को संक्रमित कर देता है। लगभग 35% महिलाएं अपने जीवन में कभी-न-कभी इस बैक्टीरिया से संक्रमित अवश्य होती है। 

मूत्र मार्ग से होते हुए यह बैक्टीरिया मूत्राशय को और धीरे-धीरे गुर्दे (किडनी) को भी संक्रमित कर देता है जो मरीज के लिए गंभीर स्थिति होती है। जब पेशाब के प्रति मि०ली० में 01 लाख जीवाणु हों, तो यह अवस्था यूटीआई (UTI) कहलाती है। प्रेग्नेंसी (Pregnancy) के दौरान होर्मोंस में बदलाव व बढ़ते गर्भाशय (Uterus) में कई बदलाव आते हैं जिससे भी यूटीआई (UTI) होने की संभावना बढ़ जाती है। अतः गर्भावस्था में साफ-सफाई का विशेष ध्यान देना चाहिए। मुख्यतः 2% से 11% गर्भवती महिलाओं (Pregnant women) में यह संक्रामण (infection) होता है। गंभीर अवस्था में इसका इलाज एंटीबायोटिक की सहायता से किया जाता है।
यूटीआइ के लक्षण (symptoms of Urinary Tract Infection in hindi)
  • पेशाब बार-बार होना
  • बुखार आना
  • पेशाब में जलन होना
  • पेशाब तीव्रता से लगना और उसे रोक न पाना
  • पेट के निचले हिस्से में तेज दर्द होना
  • पेशाब में दुर्गंध, पीलापन, खून दिखना, यौन संपर्क में पीड़ा आदि

यदि गर्भवती महिला को यूटीआई हो जाए तो जच्चे और बच्चे पर असर :

  • समय से पहले जन्म
  • कमजोर बच्चा
  • मां में उच्च रक्तचाप
  • एनिमिया
  • गर्भाशय में संक्रमण

प्रेग्रेंसी में गर्भाशय और पेशाब की नियमित जांच कराएं। शुगर और प्रोटीन की भी जांच करवाएं, मूत्र में बैक्टीरिया अधिक होने पर इलाज जरूरी है।

यदि आपको शुरुआती समय में इस संक्रामण का पता न चले या यदि आप इसकी अनदेखी कर देते हैं तो संक्रामण गुर्दे (किडनी) तक पहुँच जाती है। किडनी (Kidney) में संक्रामण पहुँचने पर आपको निम्नांकित लक्षणों पर अवश्य ध्यान देना चाहिए और तुरंत डॉक्टर की सलाह लें। 
  • शरीर मे कंपकपी लगना
  • तेज बुखार आना
  • उल्टी होना
  • पसली के निचले हिस्से में दर्द होना

अगर आप कुछ छोटी-छोटी बातों को अपने दिनचर्या में शामिल करतें हैं तो यूटीआई से आप अपना बचाव कर सकते हैं:

  • पानी अधिक पिएं
  • कॉफी, अल्कोहल, धूम्रपान का सेवन न करें
  • मूत्र द्वार की साफ-सफाई का ध्यान रखें
  • पीरियड के समय नैपकिन को समय से बदले
  • पेशाब देर तक न रोकें
  • यौन संपर्क के तुरंत बाद पेशाब करें


यूटीआई होने के ये मुख्य कारण हो सकते हैं:
  • प्रेग्नेंसी में शारीरिक परिवर्तन से
  • किडनी स्टोन
  • शरीर की प्रतिरक्षा क्षमता का कम होना, जैसे-डायबिटीज, एनिमिया, एड्स आदि होने पर
  • पेशाब जब पूरी तरह मूत्राशय से खाली न हो पाये, जैसे-मेनोपॉज, स्पाइनल कार्ड इज्यूरी के कारण
  • कैंसर की दवाइयों के सेवन से
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बुद्ध पुर्णिमा (बैशाख पुर्णिमा) - Buddh Purnima (Baishakh Purnima)

बैसाख मास की पुर्णिमा (Baishakh maas ki purnima) को बुद्ध पुर्णिमा (Buddh Purnima) के रूप में मनाया जाता है। इसकी मान्यता यह है की बौद्ध धर्म (Buddhism) के संस्थापक भगवान बुद्ध (God Buddha) को बैशाख पुर्णिमा (Baishakh Purnima)  के दिन ही बोधगया में बोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त हुआ था। इस पुर्णिमा को भारतवर्ष में बुद्ध पुर्णिमा के त्योहार (Buddh Purnima ka Tyohar)  के रूप में मनाया जाता है। दुनियाभर से बौद्ध धर्म के अनुयायी (Buddhist) इस दिन बोधगया और सारनाथ में प्रार्थना (Prayer) करने आते हैं। इस समय यहाँ बहुत ही हर्षोल्लास का महौल रहता है।
Buddha Purnima
हिन्दू धर्म के अनुयायी बुद्ध को भगवान विष्णु (Lord Vishnu) के नौवें अवतार के रूप में मानते हैं। अतः हिंदुओं के लिए भी यह दिन पवित्र माना जाता है। दोनों ही धर्मों के लोग बुद्ध पुर्णिमा (Bauddh Purnima) को बहुत ही श्रद्धा के साथ मानते हैं। बौद्ध धर्मवलंबी (Buddhist) इस दिन श्वेत वस्त्र धरण करते हैं और बौद्ध मठों में एकत्रित होकर समूहिक प्रार्थना करते हैं। इस दिन ये व्रत-उपवास (Vrat-Upvas) रखते हैं और गरीबों को दान दिया करते हैं। 
वैसे तो प्रत्येक माह की पुर्णिमा (Purnima) श्री हरि विष्णु भगवान को समर्पित होती है। शास्त्रों में पुर्णिमा (Purnima) के दिन तीर्थस्थलों में गंगा स्नान (Ganga snan) विशेष महत्व बताया गया है। बैशाख पुर्णिमा का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है की इस पुर्णिमा को भाष्कर देव अपनी उच्च राशि मेष में होते हैं, चंद्रमा भी उच्च राशि तुला में। शास्त्रों में पूरे बैशाख में गंगा स्नान (Ganga asnan) का महत्व बताया गया है, जिसमें पुर्णिमा स्नान (Purnima asnan) सबसे फलदायी है। 

आर्कियोलॉजी में बनायें कैरियर

आर्कियोलॉजी (Archaeology): पुरानी सभ्यता एवं संस्कृति (Old civilization and culture) को जानना
Career in archaeology
आर्कियोलॉजी इतिहास विषय (History subject) से जुड़ा हुआ है, लेकिन अब इसकी पढ़ाई अलग शाखा के रूप में होती है। वैसे छात्र जिनकी इतिहास में रुचि हो, मानव विकास एवं पुरानी सभ्यताओं को जानने में रुचि रखते हैं तो उनके लिए आर्कियोलॉजी में कैरियर (career in archaeology) की संभावना काफी ज्यादा है। इस विषय से जुड़ने पर फाइदा यह होता है कि नयी चीजों को जानने का मौका मिलता है। साथ ही वेतन (Salary) भी अच्छी होती है।
क्या है आर्कियोलॉजी (What is archaeology in hindi)

पुरानी सभ्यता और संस्कृति के बारे में वैज्ञानिक नजरिये (Scientific view) से जांच-परख करना आर्कियोलॉजी कहलाता है। इसमें पुरानी सामग्री कि मदद से जानकारी हासिल कि जाती है कि प्राचीन काल में लोगों का रहन-सहन कैसा था।

आर्कियोलॉजी से संबन्धित कोर्स (Courses in archaeology)

आर्कियोलॉजी में स्नातक और स्नातकोत्तर (Graduation and Post graduation in Archaeology) स्तर के कोर्स (course) कराये जाते हैं। वैसे छात्र जिन्होंने 12वीं में इतिहास का एक विषय के रूप में अध्ययन किया हो आर्कियोलॉजी में स्नातक (Archaeology me snatak) कर सकते हैं। वहीं स्नातकोत्तर करने के लिए स्नातक कि डिग्री का होना आवश्यक है। आगे आप इस विषय में पीएचडी कि डिग्री भी हासिल कर सकते हैं।
आर्कियोलॉजी के क्षेत्र में आने वाले छात्र में कुछ व्यक्तिगत गुणों का होना भी आवश्यक है। इसमें विश्लेषणात्मक क्षमता, तार्किक क्षमता, विभिन्न भाषाओं का ज्ञान, कार्य के प्रति लगाव होने के साथ लगातार बिना थके कार्य करने के गुण का होना आवश्यक है।

आर्कियोलॉजी के लिए कुछ प्रमुख शिक्षण संस्थान (Educational Institutes for Archaeology)

आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया
बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय
दिल्ली इंस्टीट्यूट ऑफ हेरिटेज रिसर्च एंड मैनेजमेंट
कर्नाटक यूनिवेर्सिटी इत्यादि

रोजगार के क्षेत्र
पुरालेखन विभाग, पुरातत्व विभाग, शिक्षण संस्थान, प्राइवेट बिजनेस एजेंसी, ह्यूमन एंड हैल्थ सर्विस ऑर्गनाइज़ेशन, आर्कियोलॉजी सर्वे ऑफ इंडिया

आर्कियोलॉजिस्ट कि मांग वर्तमान में तेजी से बढ़ रही है। सरकारी और प्राइवेट सेक्टर में आर्कियोलॉजिस्ट को रखा जा रहा है। इन दिनों कॉर्पोरेट घराने भी आर्कियोलॉजिस्ट कि नियुक्ति कर रहे हैं। कई क्षेत्रों में रिसर्च के लिए भी इनकी मांग होती है। आर्कियोलॉजी सर्वे ऑफ इंडिया (Archaeology Survey of India) में आर्कियोलॉजिस्ट पदों के लिए संघ लोक सेवा आयोग हर वर्ष परीक्षा आयोजित करता है।

अर्ध शलभासन करने की विधि (Ardhshalbhasan in hindi)

अर्ध शलभासन (Ardhsalbhasana)

जिन लोगों को गंभीर कमर का दर्द हो या पीठ की तकलीफ हो, उनके लिए 'अर्ध शलभासन' (Ardhsalbhasan) अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस आसन से विशेष रूप से पीठ के निचले भाग की तंत्रिकाओं को लाभ मिलता है। यह पीठ की मांसपेशियों को शक्ति प्रदान करता है। (Kamardard ewam pith ke dard ke liye yogasan)
अर्ध शलभासन पीठ के निचले भाग को स्वस्थ व शक्तिशाली बनाने में विशेष लाभकारी है। यह सरल आसन है, जो पीठ और कमर के लिए बहुत उपयोगी है। साइटिका, स्पाइन व स्लिप डिस्क के रोगी के लिए यह सटीक अभ्यास माना गया है। (Yogasana for back pain, spinal chord and slipdisc).

हम यहां पर 'अर्ध शलभासन' के दो प्रकार (Two types of ardh-salbhasana) बताने जा रहे हैं।

प्रथम प्रकार (First method of Ardhsalbhasana):

इसके लिए आप जमीन में पेट के बल सीधे लेट जाएँ। आपके दोनों हाथों के हथेलियों को अपनी जांघों के नीचे रखें। दोनों पैरों को एक साथ सीधे सटा कर रखें और टुड्ढ़ी को जमीन पर रखें। पूरी शरीर एक सीधी लाइन में रहेगी। यह पहली अवस्था है। अब आप श्वास लेते हुए दाहिने पैर के घुटने को बिना मोड़े हुए अपनी क्षमतानुसार पीछे की तरफ ज्यादा से ज्यादा ऊपर उठाएं, इस दौरान बायां पैर सीधा रहेगा। इसके पश्चात श्वास छोड़ते हुए दाहिने पैर को नीचे लाएं। अब फिर इसी अभ्यास को बायें पैर से करें। इस प्रकार से दोनों पैरों से अलग-अलग पांच-पांच बार इस अभ्यास को दुहराएं। क्षमतानुसार इसकी संख्या को बढ़ा भी सकते हैं।

श्वसन : पैर को ऊपर उठाते समय श्वास अंदर लें और ऊपर रुकते समय श्वास भी अपने अंदर रोकें और जब आप पैर को नीचे लाना शुरू करें। तब श्वास को छोड़ना शुरू करें।

अवधि : यह आसन भी पांच चक्रों तक किया जा सकता है। क्षमतानुसार चक्रों की संख्या को बढ़ाया भी जा सकता है।

सगजता : अभ्यास के दौरान आपकी सजगता श्वास के साथ शरीर की गति पर तथा पीठ के निचले हिस्से, पेट और हृदय पर होनी चाहिए।
द्वितीय प्रकार (Second method of Ardh-salbhasan):

आसन की विधि (Aasan karne ke vidhi) : पेट के बल जमीन पर लेट जाएं। दोनों पैर एक साथ रहेंगे तथा ललाट जमीन पर और दोनों भुजाएं सिर के ऊपर आगे की ओर तने रहेंगे। टुड्ढ़ी को जमीन पर भी रखा जा सकता है। पूरे अभ्यास के दौरान पैर और भुजा सीधी रहेगी। अब श्वास लेते हुए सामने से बायां हाथ और पीछे से दायां पैर क्षमतानुसार ज्यादा से ज्यादा ऊपर उठाएं, साथ ही सिर भी उठाएं और फिर श्वास छोड़ते हुए हाथ और पैर को नीचे लाएं। अब पुनः सामने से दायां हाथ और पीछे से बायें पैर को ऊपर उठाएं और पूर्ववत श्वास छोड़ते समय प्रारंभिक स्थित मेन लौट जाएं। इस अभ्यास को पांच चक्र तक किया जा सकता है। क्षमतानुसार इसकी संख्या को बढ़ाया जा सकता है।

श्वसन : अभ्यास के दौरान पैर, भुजा और सिर को ऊपर उठाते समय श्वास लें तथा अंतिम स्थिति में श्वास को अंदर रोकें। पैर, भुजा और सिर को वापस प्रारंभिक स्थिति में लाते समय अपना श्वास छोड़े।

अवधि : कम-से-कम पांच चक्र तक किया जा सकता है।

सजगता : इस अभ्यास के दौरान सजगता शरीर की गति के साथ श्वास के तालमेल पर तथा उठे हुए पैर की उंगलियों से दूसरी तरफ के उठे हुए हाथ की उंगलियों तक शरीर के तिरछे खिंचाव पर रहनी चाहिए।

( दिल एक मिनट में 72 बार धड़कता है। अतः दिन में एक लाख बार, एक वर्ष में 36 लाख बार धड़कता है )

आसन के लाभ (Aasan ke labh):

इन दोनों आसन के लाभ बहुत हद तक एक-दूसरे से काफी मिलते-जुलते हैं। इसको करने से पीठ की दर्द, साइटिका या स्लिप डिस्क में काफी लाभ मिलता है। इसके अलावा यह कब्ज को भी दूर करता है। यह आसन उनलोगों के लिए काफी लाभकारी है जिनकी पीठ कमजोर है या उसमें कड़ापन है, क्योंकि यह पीठ की पेशियों को शक्ति प्रदान करता है। विशेष रूप से पीठ के निचले भाग की तंत्रिकाओं को लाभ मिलता है। जिन लोगों को गंभीर कमर की दर्द हो या पीठ में तकलीफ होती है। उनके लिए ये दोनों ही आसन अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।