भानु सप्तमी का महत्व, पूजन विधि, एवं प्राप्त होने वाले फल तथा सूर्य मंत्रों (Surya mantra) के बारे जानकारी
भारत में, हिन्दू ग्रन्थों और मान्यताओं में भानु संपत्मी (Bhanu Saptmi) को बहुत ही शुभ दिन माना गया है। इसे आरोग्य सप्तमी (Aarogya saptmi), रथ सप्तमी (Rath saptmi), सूर्य सप्तमी (Surya saptmi), पुत्र सप्तमी (Putr saptmi) आदि नामों से भी जाना जाता है। इसी दिन सूर्य भगवान (Sun god) अपनी प्रकाश से पृथ्वी को प्रकाशवान किया था। रविवार के दिन सप्तमी तिथि के संयोग से 'भानु सप्तमी' पर्व का सृजन होता है। इस दिन भगवान सूर्यनरायण के लिए व्रत रखते हुए उपासना करने से अत्यधिक पुण्य की प्राप्ति होती है। भानु सप्तमी (Bhanu saptmi) के दिन आदित्य हृदय और अन्य सूर्य स्त्रोत (Surya strot) का पाठ किया जाता है ताकि सूर्य भगवान (Surya Bhagvan) को प्रसन्न किया जा सके। ग्यारह हजार रश्मियों के साथ तपने वाले सूर्य 'भग' रक्तवर्ण हैं। यह सूर्यनरायण के सातवें विग्रह हैं और एश्वर्य रूप से पूरी सृष्टि में निवास करते हैं। सम्पूर्ण ऐश्वर्या, धर्म, यश, श्री, ज्ञान और वैराग्य ये छह भग कहे जाते हैं। इन सबसे सम्पन्न को ही भगवान माना जाता है। अस्तु श्रीहरी भगवान विष्णु के नाम से जाने जाते हैं।
क्या करना चाहिएपौष मास के प्रत्येक रविवार को 'विष्णवे नमः' मंत्र से सूर्य की पुजा की जानी चाहिए। ताम्र के पात्र में शुद्ध जल भरकर उसमें लाल चन्दन, अक्षत, लाल रंग के फूल डाल कर सूर्यनरायण को अर्ध्य देना चाहिए। रविवार के दिन एक समय बिना नमक का भोजन सूर्यास्त के बाद करना चाहिए। सूर्य देव को पौष में तिल और चावल की खिचड़ी का भोग लगाने के साथ बिजौरा नींबू समर्पित करना चाहिए। पौराणिक ग्रन्थों और शास्त्रों में भानु सप्तमी (Bhanu saptmi) में जप, होम दान आदि करने पर सूर्य ग्रहण की तरह अनंत गुना फल प्राप्त होता है। सूर्य प्रत्यक्ष देवता हैं। इनकी अर्चना से मनुष्य को सब रोगों से छुटकारा मिलता है। जो नित्य भक्ति और भाव से सूर्यनारायण को अर्ध्य देकर नमस्कार करता है, वह कभी भी अंधा, दरिद्र, दुःखी और शोकग्रस्त नहीं रहता।
सूर्य मंत्र (Surya Mantra)
ॐ मित्राय नमः, ॐ रवये नमः ।
ॐ सूर्याय नमः, ॐ भानवे नमः ।
ॐ खगाय नमः, ॐ पुष्णे नमः ।
ॐ हिरन्यायगर्भय नमः, ॐ मरीचे नमः ।
ॐ सवित्रे नमः, ॐ आर्काया नमः ।
ॐ आदिनाथाय नमः, ॐ भास्कराय नमः ।
ॐ श्री सवितसूर्यनारायण नमः।