यूटीआई (Urinary Tract Infection in hindi) क्या है?
यदि गर्भवती महिला को यूटीआई हो जाए तो जच्चे और बच्चे पर असर :
प्रेग्रेंसी में गर्भाशय और पेशाब की नियमित जांच कराएं। शुगर और प्रोटीन की भी जांच करवाएं, मूत्र में बैक्टीरिया अधिक होने पर इलाज जरूरी है।
अगर आप कुछ छोटी-छोटी बातों को अपने दिनचर्या में शामिल करतें हैं तो यूटीआई से आप अपना बचाव कर सकते हैं:
यूटीआई होने के ये मुख्य कारण हो सकते हैं:
यह महिलाओं के मूत्राशय में होने वाला संक्रमण (Infection) होता है जो आंतों में पाये जाने वाले 'इ कोलाइ' बैक्टीरिया के कारण होता है। यदि हम अपने गुप्तांगों की साफ-सफाई अच्छी तरह नहीं करते हैं तो आंतों में स्थित यह बैक्टीरिया (Bacteria) मलद्वार के रास्ते आकर मूत्रद्वार में प्रवेश कर जाता है और मूत्राशय को संक्रमित कर देता है। लगभग 35% महिलाएं अपने जीवन में कभी-न-कभी इस बैक्टीरिया से संक्रमित अवश्य होती है।
मूत्र मार्ग से होते हुए यह बैक्टीरिया मूत्राशय को और धीरे-धीरे गुर्दे (किडनी) को भी संक्रमित कर देता है जो मरीज के लिए गंभीर स्थिति होती है। जब पेशाब के प्रति मि०ली० में 01 लाख जीवाणु हों, तो यह अवस्था यूटीआई (UTI) कहलाती है। प्रेग्नेंसी (Pregnancy) के दौरान होर्मोंस में बदलाव व बढ़ते गर्भाशय (Uterus) में कई बदलाव आते हैं जिससे भी यूटीआई (UTI) होने की संभावना बढ़ जाती है। अतः गर्भावस्था में साफ-सफाई का विशेष ध्यान देना चाहिए। मुख्यतः 2% से 11% गर्भवती महिलाओं (Pregnant women) में यह संक्रामण (infection) होता है। गंभीर अवस्था में इसका इलाज एंटीबायोटिक की सहायता से किया जाता है।
यूटीआइ के लक्षण (symptoms of Urinary Tract Infection in hindi)- पेशाब बार-बार होना
- बुखार आना
- पेशाब में जलन होना
- पेशाब तीव्रता से लगना और उसे रोक न पाना
- पेट के निचले हिस्से में तेज दर्द होना
- पेशाब में दुर्गंध, पीलापन, खून दिखना, यौन संपर्क में पीड़ा आदि
यदि गर्भवती महिला को यूटीआई हो जाए तो जच्चे और बच्चे पर असर :
- समय से पहले जन्म
- कमजोर बच्चा
- मां में उच्च रक्तचाप
- एनिमिया
- गर्भाशय में संक्रमण
प्रेग्रेंसी में गर्भाशय और पेशाब की नियमित जांच कराएं। शुगर और प्रोटीन की भी जांच करवाएं, मूत्र में बैक्टीरिया अधिक होने पर इलाज जरूरी है।
यदि आपको शुरुआती समय में इस संक्रामण का पता न चले या यदि आप इसकी अनदेखी कर देते हैं तो संक्रामण गुर्दे (किडनी) तक पहुँच जाती है। किडनी (Kidney) में संक्रामण पहुँचने पर आपको निम्नांकित लक्षणों पर अवश्य ध्यान देना चाहिए और तुरंत डॉक्टर की सलाह लें।
- शरीर मे कंपकपी लगना
- तेज बुखार आना
- उल्टी होना
- पसली के निचले हिस्से में दर्द होना
अगर आप कुछ छोटी-छोटी बातों को अपने दिनचर्या में शामिल करतें हैं तो यूटीआई से आप अपना बचाव कर सकते हैं:
- पानी अधिक पिएं
- कॉफी, अल्कोहल, धूम्रपान का सेवन न करें
- मूत्र द्वार की साफ-सफाई का ध्यान रखें
- पीरियड के समय नैपकिन को समय से बदले
- पेशाब देर तक न रोकें
- यौन संपर्क के तुरंत बाद पेशाब करें
यूटीआई होने के ये मुख्य कारण हो सकते हैं:
- प्रेग्नेंसी में शारीरिक परिवर्तन से
- किडनी स्टोन
- शरीर की प्रतिरक्षा क्षमता का कम होना, जैसे-डायबिटीज, एनिमिया, एड्स आदि होने पर
- पेशाब जब पूरी तरह मूत्राशय से खाली न हो पाये, जैसे-मेनोपॉज, स्पाइनल कार्ड इज्यूरी के कारण
- कैंसर की दवाइयों के सेवन से
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