मार्जारी आसन करने की विधि और इसके लाभ - Marjari Aasana

मार्जारी आसन (Marjariaasana) गरदन और मेरुदंड (रीढ़) (Carnia) को लचीला बनाता है तथा महिलाओं के प्रजनन तंत्र (Reproductive System) को मजबूत करता है। जिन लोगों को मेरुदंड के नीचले भाग में कड़ापन हो या लोअर बैक की समस्या रही हो, उनके लिए भी काफी लाभकारी है। इसके अलावा यह अभ्यास मधुमेह और पेट से संबंधित समस्याओं का भी निदान करता है।यह महिलाओं व पुरुषों दोनों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण और लाभकारी अभ्यास है। 

मार्जारी आसन की विधि (Marjari Aasana karne ki vidhi)

जमीन के ऊपर योग मैट अथवा चादर पर वज्रासन में बैठ जाएं। अब नितबों को उठा कर घुटनों के बल खड़े हो जाएं और आगे की ओंर झुके। दोनों हाथों को नीचे जमीन पर इस प्रकार रखे कि उंगलियां सामने की ओर रहें हाथ घुटनों के ठोक सीध में रहें,  भुजाएं और जांघ जमीन पर लंबवत रहें। दोनों घुटने एक साथ या थोड़ी दूरी पर रख सकते है। यह प्रारंभिक स्थिति है।
अब आप श्वास लेते हुए सिर को ऊपर उठाएं और मेरुदंड को नीचे की तरफ झुकाए ताकि पीठ धनुषाकार हो जाए। आमाश्य को पूर्णतः फैलाएं और फेफड़ों में अधिक-से-अथिक वायु भर लें। तीन सैकेंड तक स्वांस रोकें।
सिर को नीचे लाते हुए और मेरुदंड को धनुषाकार रूप में ऊपर ले जाते हुए श्वास छोडें। पूर्णत: श्वास छोड़ने के पश्चात आमाश्य व नाभी को ऊपर की तरफ संकुचित कर लें ओर नितंबों को ऊपर की ओर तानें। इस स्थिति में सिर भुजाओं के मध्य में जांघों के सामने होगा तथा ठुड्डी को छाती में सटाने का प्रयास करें। मेरुदंड के चाप को गहरा बनाते और आमाशय के सकुचन को बढ़ाते हुए तीन सेकेंड तक श्वास रोक कर रखें। यह एक चक्र हुआ। इस प्रकार आप आठ से 10 चक्र इस अभ्यास में कम से कम करें। जितना संभव हो, श्वास गति धीमा रखें. जब सिर ऊपर की तरफ और मेरुदंड नीचे की तरफ ले जाएं तो श्वांस अंदर लें और तीन सैकंड श्वास को अंदर रोके। जब सिर को नीचे की तरफ और मेरुदंड ऊपर की तरफ जायेगा तो श्वास बाहर की तरफ छोडें और यहां भी श्वास को तीन सेकंड तक बाहर रखे। अभ्यास के दोरान श्वसन को उज्जायी प्राणायाम के साथ उपयोग में ला सकते हैं।

अवधि:- अभ्यास को आठ से 10 चक्र अवश्य करें, ताकि इसका प्रभाव सामने आये।

सजगता:- अभ्यास के दौरान गलेऔर मेरुदंड के प्रति व झुकाव पर रखें। आध्यात्मिक स्तर पर अपने स्वाधिसृान चक्र पर सजग रहे।

यह आसन (Marjariasana) बिशेष रूप से गरदन, कंधो आउट मेरुदंड के लचीलेपन में सुधार लाता है तथा उनमें प्राणिक ऊर्जा का संचार बढ़ाता है। यह अभ्यास स्त्रियों के लिए अत्यंत लाभकारी आसन है। यह उनके प्रजनन तंत्र को पुष्ट करता है इसे छह महीने तक की गर्भावस्था में भी किया जा सकता है, फिर भी तीन महीने के बाद आमाशय के बलपूर्वक संकुचन से परहेज करना चाहिए। यदि किसी महिला में मासिक धर्म में अनियमितता हो या श्वेत प्रदर (ल्यूक्नोरिया) से ग्रस्त हो, तो उनके लिए मार्जारि आसन (Marjari Aasana) से काफी लाभ मिलता है। आसन से मासिक धर्म में ऐंठन में कमी आयेगी। मधुमेह रोगियो के लिए भी लाभप्रद है। 

अभ्यास टिप्पणी:- पूरे अभ्यास के दौरान अपनी भुजाओं को केहुनियों से न मोड़े। भुजाएं एवं जांघें बिल्कुल सीधी रखें। शरीर को आगे व पीछे की तरफ न हिलाएं