अग्निमांद्य (हाजमे की खराबी)
इस रोग में भोजन पचाने वाली पाचनतंत्र (जठरान्त्र) धीमी पड़ जाती है और आमाशय, आंतों की पाचनशक्ति कम हो जाती है। पाचनतंत्र कमजोर हो जाने से भोजन अच्छी तरह नहीं पच पाता है जिसे अपच, बदहजमी, मंदाग्नि या अग्निमांद्यता कहते हैं। बरसात में अधिक नमी (आर्द्रता) और पानी में मौजूद अम्ल विपाक के कारण अग्निमांद्य रोग होता है जिसे जलवायु के दोष से होने वाला अग्निमांद्य कहते हैं।परिचय :
विभिन्न भाषाओं में नाम :
बंगाली |
जलवायु दोष जन्य। |
हिंदी |
पानी बदलाव। |
अंग्रेजी |
सीजनल डिस्पेप्सिआ। |
मराठी |
हवापान्याचि अजीर्ण। |
पंजाबी |
मौसमी अग्निमन्द। |
तेलगु |
गलीभर पुवलम अर्जीर्नमु। |
अरबी |
पानी वायु दोषर बाबे। |
2. अदरक :
अदरक को छीलकर छोटे-छोटे टुकड़े करके इस पर नींबू का रस व नमक डालकर खाना खाते समय खाएं। इससे पाचनक्रिया की गड़बड़ी दूर होती है।
अदरक का रस आधा चम्मच, सेंधानमक एक चुटकी और नींबू का रस आधा चम्मच को मिलाकर सुबह-शाम भोजन करने के बाद सेवन करने से भोजन का पूर्ण रूप से पाचन होता है।
10 ग्राम अदरक, 1 फली लहसुन और 2 चुटकी कालानमक को गन्ने के रस में मिलाकर सेवन करें। इससे पाचनक्रिया तेज होती है और कब्ज दूर होती है।
अदरक और नमक मिलाकर खाना खाने से पेट साफ होता है और अग्निमांद्य दूर होता है।
4. हींग :
हींग, छोटी हर्र, सेंधानमक एवं अजवायन बराबर मात्रा में लेकर पीस लें और यह 1 चम्मच चूर्ण दिन में 3 बार गर्म पानी के साथ सेवन करें। इससे अग्निमांद्य दूर होता है और गैस नष्ट होती है।
थोड़ी-सी हींग को लेकर पानी में घोलकर नाभि के पास लेप करने से अपच, गैस दूर होती है और डकारें आनी बंद हो जाती हैं।
लगभग आधी ग्राम भुनी हुई हींग और 6 ग्राम कालानमक मिलाकर भोजन करते समय पहले निवाले के साथ खाने से भोजन ठीक से हजम होता है और अपच दूर होता है।
हींग का फूला, सोंठ, कालीमिर्च, भुना हुआ काला जीरा, सफेद जीरा, अजमोद व सेंधानमक 10-10 ग्राम की मात्रा में लेकर अच्छी तरह से पीसकर चूर्ण बना लें। यह चूर्ण चौथाई चम्मच की मात्रा में घी के साथ भोजन करने के पहले खाने से अग्निमांद्य की बीमारी ठीक होती है।
6. कचनार : कचनार के फूलों की कलियों को घी में भूनकर सुबह-शाम खाने से भूख का न लगना समाप्त होता है।
7. काकड़ासिंगी : काकड़ासिंगी के बीजों की मींगी का चूर्ण व पिप्पली का चूर्ण बराबर की मात्रा में लेकर शहद के साथ सुबह-शाम भोजन करने से आधा घंटे पहले सेवन करने से पाचनशक्ति तेज होती है।
8. कालीमिर्च :
भोजन से पहले थोड़ी कालीमिर्च का चूर्ण अदरक और सेंधानमक मिलाकर खाने से अपच दूर होती है और हाजमा ठीक रहता है।
4 कालीमिर्च, 4 लौंग और 2 चुटकी कालानमक को मिलाकर चूर्ण लें और इसे आधा कप पानी में उबालकर पीएं। यह गैस को नष्ट करती है और कब्ज को दूर करके भोजन को पचाती है।
कालीमिर्च, सोंठ, बड़ी हरड़ का छाल, अनारदाना, चीते की जड़, कालानमक और भुनी हुई हींग 10-10 ग्राम की मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। यह चूर्ण प्रतिदिन सुबह-शाम चौथाई चम्मच की मात्रा में खाना खाने के बाद गुनगुने पानी के साथ लेने से अपच दूर होता है।
कालीमिर्च, सोंठ, पीपल, जीरा और सेंधानमक बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। यह चूर्ण लगभग 2 ग्राम की मात्रा में भोजन करने के बाद खाने से पाचनशक्ति बढ़ती है।
कालीमिर्च, हरड़, पीपल, सोंठ, शुद्ध कुचला, शुद्ध हींग और गंधक बराबर मात्रा में लेकर नींबू के रस में डालकर मटर के आकार की गोलियां बनाकर रख लें। यह 1-1 गोली सुबह-शाम खाने से मंदाग्नि और पेट का दर्द ठीक होता है।
4 कालीमिर्च, 2 लौंग, चुटकी भर सेंधानमक, एक चम्मच अजवायन, आधा चम्मच सूखा पोदीना और 2 बड़ी इलायची। इन सभी को मिलाकर चूर्ण बना लें और यह चूर्ण आधे चम्मच की मात्रा में खाना खाने के बाद पानी के साथ लेने से भोजन अच्छी तरह पच जाता है।
कपूर और हींग बराबर मात्रा में लेकर छोटी-छोटी गोलियां बनाकर 1-1 गोली दिन में 3 बार ठंडे पानी से लेने से अपच व कब्ज दूर होती है और पाचनतंत्र तेज होता है।
डली कपूर 10 ग्राम, अजवायन का रस 10 मिलीलीटर, पोदीने का रस 10 मिलीलीटर एवं यूकेलिप्टस ऑयल 10 मिलीलीटर को पीसकर एक शीशी में मिलाकर एक घंटे तक रखें। इसमें से 2-2 बूंद सुबह-शाम खाना खाने के बाद पानी के साथ सेवन करने से अग्निमांद्य में लाभ मिलता है।
11. कटेरी : कटेरी और गिलोय का रस बराबर मात्रा में लेकर 1.5 लीटर रस में एक किलो घी डालकर पकाएं और जब पानी जलकर केवल घी बच जाए तो इसे उताकर 10 ग्राम की मात्रा में सेवन करें। इसका सेवन प्रतिदिन करने से मंदाग्नि दूर होती है।
12. कैथ : कैथ के गूदे में सोंठ, कालीमिर्च और पीपल का चूर्ण मिलाकर शहद व चीनी मिलाकर खाने से अग्निमांद्य दूर होता है।
13. खजूर :
पके बेल का शर्बत बनाकर प्रतिदिन पीने से पाचनशक्ति की गड़बड़ी दूर होती है।
बेल के पत्ते में सेंधानमक एवं कालीमिर्च मिलाकर पीसकर सेवन करने से अग्निमांद्य दूर होता है।
बेल की गिरी 5 ग्राम, 7 कालीमिर्च, 10 सफेद इलायची और थोड़ी-सी मिश्री मिलाकर पीस लें और पानी के साथ मिलाकर सेवन करें। इससे अपच दूर होता है और उल्टी में आराम मिलता है।
मंदाग्नि (भूख न लगना) रोग में बेल के पके फल के गूदे को पानी में मसलकर, मिश्री, इलायची, लौंग, कालीमिर्च तथा कपूर मिलाकर शर्बत बनाकर पीएं। इससे प्यास, उल्टी, जलन, कोष्ठबद्धता आदि रोग ठीक होते हैं।
16. अजवायन :
भुना हुआ अजवायन और थोड़ा-सा कालानमक मिलाकर पीस लें और यह 1 चम्मच चूर्ण खाना खाने के बाद पानी के साथ लेने से अग्निमांद्य की शिकायत दूर होती है।
2 चम्मच अजवायन, 2 छोटी हरड़, आधी चुटकी हींग और सेंधानमक पीसकर खाना खाने के बाद इस चूर्ण को गर्म पानी के साथ पीने से भोजन का पाचन पूर्ण रूप से हो जाता है और पेट साफ रहता है।
अजवायन, सौंफ और लाल इलायची को पीसकर प्रतिदिन सेवन करने से अग्निमांद्य ठीक होता है।
100 ग्राम अजवायन, सौंफ 100 ग्राम, कलौंजी 50 ग्राम और सेंधानमक आधा चम्मच पीसकर चूर्ण बनाकर आधा-आधा चम्मच चूर्ण सुबह-शाम पानी के साथ लेने से पाचनशक्ति बढ़ती है और अपच दूर होता है।
सोंठ, धनिया और कालानमक का चूर्ण बनाकर दिन में 3 बार लेने से अपच व गैस का बनना दूर होता है।
सोंठ, पीपल की जड़, चब्य और चित्रक की जड़ की छाल को अच्छी तरह से पीसकर 3-4 ग्राम की मात्रा में गर्म पानी के साथ लेने से पेट में वायु का गोला बनना दूर होता है और भूख बढ़ती है।
सोंठ 10 ग्राम और कालीमिर्च 10 ग्राम पीसकर इसमें थोड़ा-सा सेंधानमक मिलाकर खाना खाने के बाद आधा चम्मच की मात्रा में गुनगुने पानी के साथ सेवन करने से अग्निमांद्य समाप्त होता है।
सोंठ, पीपल, तिल, छोटी हरड़, चीता की जड़, भिलावा की गिरी और बायबिडंग को पीसकर चूर्ण बना लें। यह चौथाई चम्मच चूर्ण गुड़ के साथ मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से अग्निमांद्य व भूख का न लगना दूर होता है।
सोंठ, संचर नमक, भुनी हींग, अनारदाना एवं अमलवेत को पीसकर चूर्ण बना लें। यह आधा चम्मच चूर्ण खाना खाने के बाद पानी के साथ खाने से अपच दूर होता है और भूख खुलकर लगती है।
19. दालचीनी :
21. नागरबेल : नागरबेल का शर्बत पीने से कफ और मंदाग्नि में लाभ मिलता है।
22. अंजीर : अंजीर को सिरके में भिगोकर खाने से मंदाग्नि (भूख का कम लगना) और अफारा समाप्त होता है।
23. दही :
50 ग्राम धनिया, 10 ग्राम कालानमक, 20 ग्राम कालीमिर्च और 10 ग्राम सौंफ को बारीक पीसकर चूर्ण बना लें। खाना खाने के बाद प्रतिदिन आधा चम्मच चूर्ण सुबह-शाम पानी के साथ सेवन करने से अग्निमांद्य समाप्त होता है।
60 ग्राम सूखा धनिया, 25 ग्राम कालीमिर्च और 25 ग्राम नमक को अच्छी तरह पीसकर खाना खाने के बाद आधा चम्मच प्रतिदिन खाने से बदहजमी दूर होती है और भोजन का पाचन सही प्रकार से होता है।
2 चम्मच धनिया और एक छोटा टुकड़ा मिश्री का काढ़ा बनाकर पीने से अग्निमांद्य में आराम मिलता है।
10 ग्राम जीरा, 10 ग्राम सोंठ, 15 पीपल की फली और 20 कालीमिर्च को बारीक पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण में थोड़ा-सा सेंधानमक मिलाकर आधे-आधे चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम गुनगुने पानी के साथ लें। इससे पाचनशक्ति मजबूत होती है।
2 चम्मच जीरे को आधा कप पानी में उबाल लें और जब पानी आधा कप रह जाए तो इसे छानकर 2 से 3 बार सेवन करें। इससे हाजमे की खराबी दूर होती है।
जीरा सोंठ, बच, भुनी हींग, कालीमिर्च और लौंग 10-10 ग्राम को पीसकर चूर्ण बना लें। यह चुटकी भर चूर्ण पानी के साथ सेवन करने से अग्निमांद्य दूर होता है।
जीरा 10 ग्राम, सेंधानमक 10 ग्राम या सज्जीखार 10 ग्राम, सोंठ 10 ग्राम, पीपल 10 ग्राम, मिर्च 10 ग्राम, कालानमक 10 ग्राम, अजमोद 10 ग्राम, हींग 10 ग्राम और हरड़ 10 ग्राम को मिलाकर चूर्ण बना लें और इसमें 40 ग्राम निशोथ मिलाकर रख लें। यह 3-3 ग्राम चूर्ण गर्म पानी के साथ दिन में 2 बार सेवन करने से पेट की जठराग्नि बढ़ती है और भोजन का पाचन ठीक से होता है।
27. राई :
मूली का रस एक चम्मच की मात्रा में सेंधानमक मिलाकर सुबह-शाम खाना खाने के बाद पानी के साथ सेवन करने से जठराग्नि मंद होने के कारण खट्टी डकारे बंद हो जाती हैं।
लगातर 2 महीने तक भोजन के साथ मूली पर नमक, कालीमिर्च का चूर्ण डालकर खाने से अग्निमांद्य, अरूचि (भोजन करने का इच्छा न करना), पुरानी कब्ज, गैस और पेट आदि का रोग ठीक होता है।
नीम के मुलायम कोमल पत्ते को चबाने से हाजमा ठीक होता है।
नीम के 4 पत्तों के रस निकालकर नींबू के रस में मिलाकर पीने से अग्निमांद्य में आराम मिलता है।
नीम के पत्ते, 4 कालीमिर्च और 4 लौंग को पीसकर पानी व चीनी मिलाकर दिन में 3 बार सेवन करने से अपच व अग्निमांद्य दूर होता है।
नीम की छाल या नीम के सूखे पत्ते, गुर्च, आंवला, पीपल, अजवायन, जवाखार, जीरा, नागरमोथा, सेंधानमक, देवदारू, सोंठ, बच और दारूहल्दी 10-10 ग्राम की मात्रा में लेकर पीस लें। यह आधा चम्मच चूर्ण पानी में घोलकर काढ़ा बनाएं और जब काढ़ा आधा बच जाए तो इसे पीएं। इससे पाचनशक्ति की कमजोरी दूर होती है।
लौंग और हरड़ के काढ़े में थोड़ा-सा नमक मिलाकर सुबह-शाम खाना खाने के बाद खाने से अपच व गैस दूर होती है।
लौंग और हरड़ को एक कप पानी में उबाल लें और जब पानी आधा कप रह जाए तो इसमें एक चुटकी सेंधानमक मिलाकर सेवन करें। इससे अपच, अग्निमांद्य, पेट का भारीपन, खट्टी डकारे आदि समाप्त होती है।
4 लौंग और 2 हरड़ को मिलाकर काढ़ा बनाकर सेवन करने से अपच व अग्निमांद्य ठीक होता है।
33. पपीता :
35. छाछ :
38. सौंफ : 1 गिलास पानी में 10 ग्राम सौंफ और 5 ग्राम पुरानी इमली को मिलाकर इसमें सेंधा या काला नमक डालकर पीने से कब्ज व गैस की परेशानी दूर होती है।
39. अनन्नास : अनन्नास के छोटे-छोटे टुकड़े करके सेंधानमक व कालीमिर्च का चूर्ण मिलाकर खाने से अपच और मंदाग्नि में लाभ मिलता है।
40. इलाचयी : लाल इलाचयी, अजमोद, चित्रक, सोंठ और सेंधानमक को बराबर मात्रा में लेकर पीसकर चूर्ण बना लें। यह आधा चम्मच चूर्ण सुबह-शाम पानी के साथ सेवन करने से अपच में लाभ मिलता है।
41. ग्वारपाठा : ग्वारपाठा को पीसकर रस निकाल लें और इस रस में नौसादर मिलाकर आधा-आधा चम्मच रस सुबह-शाम सेवन करें। यह अग्निमांद्य को दूर करता है।
42. छोटी हरड़ : छोटी हरड़ 2 दाने, मुनक्का 4 दाने और अंजीर के 2 दाने को पानी में उबालकर मसलकर काढ़ा बनाकर सोने से पहले पीने से अग्निमांद्य में लाभ मिलता है।
43. अमरूद : अमरूद के पेड़ के 2 पत्ते को चबाकर ऊपर से पानी पीने से पाचनक्रिया ठीक होती है।
44. अमलतास :
46. पोदीना : हरे पोदीने के 20 पत्ते, 5 ग्राम जीरा, थोड़ी-सी हींग, 10 कालीमिर्च, चुटकी नमक। इन सभी को मिलाकर चटनी बनाकर एक गिलास पानी में उबालें और जब पानी आधा रह जाए तो छानकर पीएं। इससे अग्निमांद्य, गैस व पेट का फूलना ठीक होता है।
47. पीपल :
49. गुलकन्द : गुलकन्द और शहद का सेवन करने से पाचनशक्ति में वृद्धि होती है।
50. पोहकरमूल : पोहकरमूल का मुरब्बा बनाकर खाने से पाचनशक्ति की कमजोरी समाप्त होती है।
51. अम्बाड़ा : अम्बाड़ा के फल की गिरी खाने से मंदाग्नि समाप्त होती है।
52. चीता : चीता, अजवायन, सोंठ, कालीमिर्च और सेंधानमक मिलाकर चूर्ण बना लें और यह चूर्ण खट्टे छाछ के साथ सेवन करें। इससे मंदाग्नि की शिकायत दूर होती है।
53. जवाखार : जवाखार और सोंठ का चूर्ण बराबर मात्रा में लेकर प्रतिदिन सुबह पानी के साथ इस्तेमाल करने से आराम मिलता है।
54. जामुन : जामुन का सिरका 1 चम्मच को पानी में मिलाकर पीने से बदहजमी में लाभ मिलता है।
55. कालानमक : कालानमक, एक चम्मच खाने का सोडा और आधे नींबू का रस आधे गिलास पानी में मिलाकर पीने से पाचनक्रिया तेज होती है।
56. शहतूत :
58. पाटल : पाटल की जड़ के काढ़े में छोटी पीपल का चूर्ण डालकर पीने से पाचनक्रिया तेज होती है।
59. छुहारे : छुहारे की गुठली और ऊंटकटारी की जड़ की छाल का चूर्ण खाने से पाचनशक्ति बढ़ती है।
60. परवल : परवल की कोमल टहनियां और सूखे छिलके को चीनी के साथ उबालकर पीने से लाभ मिलता है।
61. गुड़ : गुड़ और सोंठ का चूर्ण मिलाकर खाने से पाचनक्रिया की गड़बड़ी दूर होती है।
62. निशोथ : निशोथ 50 ग्राम, पीपर 10 ग्राम और खांड 25 ग्राम की मात्रा में मिलाकर चौथाई चम्मच चूर्ण शहद के साथ चाटने से अग्निमांद्य में लाभ मिलता है।
63. नागदोन : नागदोन के पत्ते और कोपल को मिलाकर काढ़ा बनाकर पीने से अग्निमांद्य दूर होता है।
64. अरणी : अरणी की जड़ का चूर्ण खाने से पेट भूख बढ़ती है।
65. पीपरामूल : पीपरामूल को कौड़ी-भस्म के साथ मिलाकर खाने से पाचनक्रिया की खराबी दूर होती है।
66. सूरजमुखी : सूरजमुखी के बीज 5-6 को पोदीना या अदरक की चटनी में मिलाकर खाने से लाभ मिलता है।
67. हड़जोड : हड़जोड़ का चूर्ण और सोंठ का चूर्ण बराबर मात्रा में लेकर खाने से पेट की जठराग्नि बढ़ती है।
68. इमली : इमली के पंचांग (जड़, तना, पत्ती, फल और फूल) के रस में मिश्री मिलाकर खाने से मंदाग्नि में लाभ मिलता है।
69. अतीस : अतीस और सोंठ या पीपल का चूर्ण शहद के साथ चाटने से पाचनशक्ति बढ़ती है।
70. सुहागा : सुहागे का चूर्ण लगभग आधे से एक ग्राम की मात्रा में खाने से पाचनशक्ति की गड़बड़ी दूर होती है।
71. आंवला : ताजे हरे आंवले का रस और अनार का रस 4-4 चम्मच की मात्रा में शहद के साथ प्रतिदिन सुबह खाना खाने बाद लेने से गैस व अपच दूर होता है।
72. गाजर : काली गाजर के रस को शहद के साथ पीने से अग्निमांद्य या अपच की बीमारी दूर होती है।
73. चिरौंजी : चिरौंजी का सेवन करने से भूख बढ़ती है और खून साफ होता है। इससे गैस की शिकायत दूर होती है।
74. गंभारी :
76. नमक :
नमक, सूखा धनिया, कालीमिर्च और कालानमक मिलाकर पीसकर आधा चम्मक की मात्रा में गुनगुने पानी के साथ लेने से अपच में लाभ मिलता है।
सौंठ और सेंधानमक समान मात्रा में मिलाकर गर्म पानी के साथ खाने से पाचनक्रिया की गड़बड़ी दूर होती है।
10 ग्राम सेंधानमक, छोटी हरड़ 5 ग्राम को पीसकर एक चम्मच की मात्रा में प्रतिदिन सुबह-शाम गर्म पानी के साथ सेवन करें। यह अपच व गैस दूर करता है।
78. तुलसी : अग्निमांद्य के रोग से पीड़ित रोगी को तुलसी के पत्तों का रस या चूर्ण दिन में तीन बार भोजन से पहले खाने से लाभ मिलता है।
अन्य उपचार :