मोतियाबिंद motiabind

 

motiabind


मोतियाबिंद मोतियाबिंद कनीनिका में चोट लगने के कारण, आंखों में किसी तरह की चोट लगने के कारण, बुढ़ापे की हालत में, मधुमेह (शूगर यानी डायबिटीज), गठिया (जोड़ों के दर्द), वृक्क प्रदाह (गुर्दे की जलन) और धमनी रोग आदि रोगों के कारणों से आंखों में हो जाता है। यह दो तरह का होता है कोमल और कड़ा। कोमल मोतियाबिंद नीले रंग का होता है। यह बचपन से लेकर 35 वर्ष तक की आयु में होता है। कड़ा मोतियाबिंद वृद्धावस्था में होता है जिसका रंग पीला होता है। मोतियाबिंद एक या दोनों आंखों में हो सकता है। इस रोग में आंखों से देखने की शक्ति धीरे-धीरे कम हो जाती है। अंत में पूरी तरह से देखने की शक्ति चली जाती है।:  

विभिन्न भाषाओं में नाम :

हिन्दी  मोतियाबिंद।
पंजाबी  मोतियाबिंद।
बंगाली  तिमिर।
कन्नड़  परे बरुबुडु।
तेलगु  शुक्लालु पेरुगुटा।
मलयालम  तिमरम्।
अंग्रेजी  कट्रक्ट।
अरबी  अंधा।
गुजराती  मोतियाबिंद।
मराठी  दृष्टि दोष।
तमिल  कन् कसम्।

लक्षण :

भोजन और परहेज :

          पिसा हुआ आंवला या मुरब्बा, पपीता, पका हुआ आम, दूध, घी, मक्खन, शहद, कालीमिर्च, घी-बूरा, सौंफ-मिश्री, गुड़ और सूखा धनिया, चौलाई पालक या कढ़ी पत्ती से बनी दाल, बथुआ, सहजना, पोदीना, धनिया, पत्तागोभी, मेथी पत्ती, कढ़ी पत्ती (मीठे नीम की पत्तियां) आदि कैरोटीन प्रधान पत्तियों वाली वनस्पतियां, अंकुरित मूंग, गाजर, बादाम, शहद आदि का सेवन मोतियाबिंद को दूर करने मे बहुत सहायक है।   
1. कपूर : जिस औरत के लड़का हो उसके दूध में भीमसेनी कपूर को घिसकर आंखों में लगाने से या नौसादर को सुरमे की तरह आंखों में डालने से मोतियाबिंद में आराम हो जाता है। ध्यान रहे कि इसका प्रयोग गुलाबजल में मिलाकर भी किया जा सकता है।
2. अडूसा : अडूसे के पत्तों को साफ पानी से धोकर पत्तों का रस निकाल लें। इस रस को अच्छे पत्थर की खल में डालकर (ताकि पत्थर घिसकर दवा में न मिले।) मूसल से कूटकर निकालना चाहिए। जब इसका रस सूख जाए तो इसे आंखों में काजल की तरह लगाने से सभी तरह के मोतियाबिंद में आराम आता है।
3. पुनर्नवा (पुनर्नवा, विषखपड़ा और गदपुरैना) : विषखपड़ा (गदपुरैना, पुनर्नवा) जो सफेद फूलवाली हो, उसकी जड़ भंगरैया के पत्ते के रस के साथ पीसकर रोजाना 2 से 3 बार आंखों में लगाने से काफी आराम आता है। इसका प्रयोग कुछ दिनों तक लगातार करने से मोतियाबिंद समाप्त हो जाता है। आंखों की रोशनी में चमक आ जाती है। इसे दृष्टि दाता बूटी कहते हैं। गदपुरैना के रस को शहद में मिलाकर लगाने से आंखों के कई रोगों में लाभ होता है।
4. शहद :
स्वस्थ आंखों में असली शहद की एक सलाई 7 दिनों में 1 से 2 बार डालने से आंखों की रोशनी कभी कम नहीं होगी, बल्कि उम्र बढ़ने के साथ-साथ तेज होती चली जायेगी। साथ ही खाने के लिए 4 बादाम रात को पानी में भिगोकर रख लें और सुबह उठते ही 4 कालीमिर्च के साथ पीसकर मिश्री के साथ चाटे या वैसे ही चबा जाएं और ऊपर से दूध पियें। इससे आंखों का मोतियाबिंद नष्ट हो जाता है।
5. स्वमूत्र : नए मोतियाबिंद में ताजे स्वमूत्र (खुद के पेशाब की) दो से तीन बूंदें आंखों में रोजाना दो से तीन बार डालने से शुरुआती मोतियाबिंद ठीक हो जाता है या बढ़ने से रुक जाता है। स्वमूत्र (खुद के पेशाब को) चौड़े मुंह के कांच की साफ शीशी में ढककर रख दें और 15 मिनट बाद या पूरी तरह से ठंडा होने पर ही इससे आंखों को धोएं या दो-तीन बूंदें आंखों में डालें। यह प्रयोग दो से तीन महीने तक करने से मोतियाबिंद में लाभ मिलता है।
6. सेंधानमक : लगभग 1 ग्राम सेंधानमक और 5 ग्राम सत गिलोय को पीसकर शहद में मिलाकर आंखों में सुबह-शाम लगाने से मोतियाबिंद में आराम होता है।
7. प्याज :
8. नौसादर: भुने हुए नौसादर को बारीक पीसकर सोते समय सलाई द्वारा आंखों में लगाने से मोतियाबिंद में आराम होगा।
9. गाजर : लगभग 310 मिलीलीटर गाजर के रस में 125 मिलीलीटर पालक का रस मिलाकर पीने से मोतियाबिंद दूर हो जाता है।
10. त्रिफला (बहेड़ा, हरड़ और आंवला) :
11. नींबू :
12. दशमूल : लगभग 15 से 30 ग्राम निशोथ के बारीक पाउडर से बने काढ़े को गर्म घी और 15 से 30 मिलीलीटर दशमूल के काढ़े के साथ दिन में 3 बार लेने से मोतियाबिंद की बीमारी से रोगी को छुटकारा मिलता है।
13. पीपल : पीपल, उशीर मूल, पारसपीपल और उदुम्बर का काढ़ा, हरिद्रा प्रकन्द चूर्ण और उशीरमूल चूर्ण को गर्म घी में मिलाकर 15 से 25 ग्राम की मात्रा में मिलाकर सुबह-शाम लेना चाहिए। इससे मोतियाबिंद के मरीज को आराम मिलता है।
14. रसांजऩ : रसांजन, कसीस और गुड़ को मिलाकर मोतियाबिंद की बीमारी में अंजन (काजल) के रूप में आंखों में लगाने से आराम मिलता है।
15. पिप्पली : पिप्पलीफल और सेंधानमक को बराबर मात्रा में लेकर पीसकर उसका पाउडर तैयार कर लें। इसे शहद के साथ अंजन (काजल) के समान आंखों में लगाना चाहिए।
16. आमलकी : 1 लीटर आमलकी फलों का रस लें। इसे गर्म कर लें और 50 ग्राम घृत (घी) और 50 ग्राम मधु (शहद) मिला लें। इसका आंखों में काजल के समान प्रयोग करना चाहिए। इससे मोतियाबिंद ठीक हो जाता है।
16. धनिया :
17. आक : आक के दूध में पुरानी ईंट का महीन चूर्ण (10 ग्राम) तरकर सुखा लें। फिर उसमें लौंग (6 नग) मिलायें। इसे लोहे के खरल में भली प्रकार से महीन करके बारीक कपडे़ से छान लें। इस चूर्ण को चावल भर नासिका द्वारा प्रतिदिन सुबह नस्य लेने से मोतियाबिंद में शीघ्र लाभ होता है। इससे सर्दी-जुकाम में भी लाभ होता है।
18. नीम : नीम के बीज का चूर्ण नियमित रूप से थोड़ी सी मात्रा में लगाने से मोतियाबिंद के रोग में लाभ होता है।
19. बायबिडंग : बेल के पत्तों पर घी लगाकर तथा सेंककर आंखों पर बांधने से, पत्तों का रस आंखों में टपकाने से, साथ ही पत्तों को पीसकर मिश्रण बनाकर लेप करने से आंखों के कई रोग मिट जाते हैं