गर्भ की रक्षा करना
1. मुलहठी: जिन स्त्रियों को गर्भपात का भय रहता हो उन्हें मुलहठी पंच, तृण, तथा कमल की जड़ का काढ़ा हर महीने एक सप्ताह दूध में औटाकर घी डालकर पीना चाहिए।चिकित्सा:
2. नीलोफर: नीलोफर, कमल के फूल, कुमुद के फूल तथा मुलहठी का काढ़ा बनाकर दूध में औटाये तथा इसमें मिश्री मिलाकर पिलाने से गर्भपात होने की संभावना बिल्कुल समाप्त हो जाती है।3. बिरोजा: बिरोजा और गुलाबी फिटकरी दोनों को मिलाकर लगभग तीऩ ग्राम की मात्रा में देने से गिरता हुआ गर्भ तुरंत रुक जाता है। इस औषधि के सेवन के बाद गर्भवती को पानी नहीं पीने देना चाहिए, बल्कि मिश्री खिलाना चाहिए। साथ ही अन्य गर्भरक्षक उपाय करने चाहिए।
4. वंशलोचन: वंशलोचन आधा-आधा ग्राम की मात्रा में पानी या दूध के साथ सुबह-शाम को सेवन करायें। इससे गर्भपात नहीं होगा और गर्भशक्तिशाली बनता है। इससे गर्भवती स्त्री और बच्चे का स्वास्थ्य ठीक रहेगा।
5. गंभारी: गंभारी फल और मुलेठी दोनों के बराबर मिश्री मिलाकर बारीक चूर्ण बना लें। इसे 3 ग्राम की मात्रा में शहद के साथ सुबह-शाम सेवन करने से गर्भावस्था में बच्चों की रक्षा होती है।
6. कमल: जिनको बार-बार गर्भपात हो जाता है, तो गर्भ स्थापित होते ही नियमित रूप से कमल के बीजों का सेवन करें। कमल की डंडी और नाग केसर को बराबर की मात्रा में पीसकर सेवन करने से पहले के महीनों में होने वाला गर्भस्राव रुकता है।
8. दूब हरी: प्रदर रोग में तथा रक्तस्राव, गर्भपात आदि योनि रोगों में दूब का उपयोग करते हैं। इससे रक्त रुकता है और गर्भाशय को शक्ति मिलती है तथा गर्भ का पोषण करता है।
9. फिटकरी: पिसी हुई फिटकरी चौथाई चम्मच एक कप कच्चे दूध में डालकर लस्सी बनाकर पिलाने से गर्भपात रुक जाता है। गर्भपात के समय दर्द और रक्तस्राव हो रहा हो तो हर दो-दो घंटे से एक-एक खुराक दें।
10. मूली: मूली को उबालकर खाने से गर्भ में स्थिरता आती है और गर्भपात नहीं होता है।
11. गुड़हल: सफेद गुड़हल की जड़, गोपीचन्दन, सफेद चिकनी मिट्टी और कुम्हार के काम आने वाली मिट्टी को दूध में पीसकर पिलाने से गर्भस्राव में आराम आता है।
12. अश्वगंधा: गर्भपात की आदत होने पर अश्वगंधा और सफेद कटेरी की जड़ इन दोनों का 10-10 ग्राम रस पहले पांच महीने तक सेवन करने से अकाल में गर्भपात नहीं होगा और गर्भपात के समय सेवन करने से गर्भ रुक जाता है।
13. कटेरी: कटेरी या बड़ी कटेरी की 10-20 ग्राम जड़ों के चूर्ण को 5-10 ग्राम छोटी पीपल के साथ भैंस के दूध में पीस-छानकर कुछ दिनों तक रोज पिलाने से गर्भपात का भय नहीं रहता है और बच्चा स्वस्थ पैदा होता है।
14. अनन्तमूल:
जिन स्त्रियों को बार-बार गर्भपात होता हो, उन्हें गर्भस्थापना होते ही नियमित रूप से सुबह-शाम एक-एक चम्मच अनन्तमूल की जड़ का चूर्ण सेवन करते रहना चाहिए। इससे गर्भपात नहीं होगा और शिशु भी स्वस्थ और सुन्दर होगा।
अनन्तमूल की जड़ के बारीक चूर्ण के घोल में दूध, मिश्री और पानी मिलाकर सेवन कराने से गर्भवती स्त्री को गर्भपात का भय नहीं रहता है। गर्भ धारण से पहले ही यह घोल पिलाना आरम्भ कर दें। गर्भधारण हो जाने के बाद से प्रसवकाल तक देने से बच्चा निरोग और गौरवर्ण का उत्पन्न होता है।
भांगरा के 4 ग्राम रस में बराबर मात्रा में गाय का दूध मिलाकर रोजाना सुबह पिलाने से गर्भपात नहीं होने पाता है तथा गर्भपुष्ट होकर गर्भरक्षा व गर्भिणी के रक्त की शुद्धि होती है।
योनिमार्ग या मूत्रमार्ग से रक्तस्राव की शिकायत में, भांगरा के पत्तों का चतुर्थांश काढ़ा बनाकर 20-50 मिलीलीटर तक सुबह-शाम सेवन करने से लाभ मिलता है।
अनार के पत्तों की चटनी, घिसा हुआ चन्दन, थोड़ा-सा दही और शहद मिलाकर गर्भवती स्त्री को पिलाने से गर्भस्थ शिशु व गर्भवती स्त्री के बल में वृद्धि होती है।
खट्टे-मीठे अनार के रस या शर्बत के सेवन से गर्भावस्था की उल्टी शांत हो जाती है तथा मीठे अनार के दाने खाने से गर्भवती स्त्री के कमजोर रहने वाले हृदय और शरीर में सुधार होता है तथा गर्भवती महिला की दुर्बलता भी दूर होती है।