मूत्रघात (पेशाब में धातु का आना) peshab me dhatu ka aana

मूत्रघात (पेशाब में धातु का आना)



हिन्दी     

पेशाब में घात का आना।

अंग्रेजी         

रिटेंशन आफ यूरिन।

अरबी     

मूत्रावरोध।

बंगाली         

मूत्रावरोध।

गुजराती  

मूत्र मा आघात, पेशाब मा दिक्कत।

मलयालम 

परिपूर्ण मूत्र तटावू।

मराठी         

लघवी अरवणे।

उड़िया         

प्रासारेकिबा।

तमिल         

नीरडगल।

तेलगू     

ओटेजड्डुट।
विभिन्न भाषाओं में नाम :

कारण:

लक्षण:

          पेशाब में घात आने के रोग में पेशाब या तो रुक-रुक कर थोड़ा आता है या बिल्कुल ही बंद हो जाता है, फिर भी सुजाक रोग की तुलना में मूत्रघात रोग में पेशाब करते समय तकलीफ कम होती है। इसके अलावा रोगी बूंद-बूंद करके पेशाब आना, पेशाब में खून का आना, मूत्राशय का फूलना, पेट फूलना, नाभि के नीचे या पेड़ू के मुंह पर गांठ का बन जाना, पेशाब गाढ़ा आना, तेज दर्द होना और पेशाब में बदबू आना आदि मूत्रघात के लक्षण माने जाते हैं।

भोजन तथा परहेज:

1. कबूतर: कबूतर की बीट को पीसकर गर्म करके पेड़ू पर लेप करके बांध दें। इसके ऊपर से बकरी के बालों को गर्म पानी में भिगोकर सिंकाई करने से पेशाब में घात का आना बंद हो जाता है।
2. कटेरी: कटेरी के रस में छाछ मिलाकर छानकर पीने से मूत्रघात का रोग दूर हो जाता है।
3. गोखरू: गोखरू के पंचांग (जड़, तना, फल, फूल, पत्ती) का काढ़ा बनाकर उसमें शहद और मिश्री मिलाकर पीने से मूत्राघात और सुजाक दोनों ही रोगों में लाभ होता है।
4. जंगली प्याज: एक चौथाई ग्राम से 1 ग्राम तक जंगली प्याज खाने से पेशाब की रुकावट दूर हो जाती है।
5. शोरा: शोरा में कपड़े का टुकड़ा भिगोकर नाभि के नीचे बांधने से मूत्रघात में लाभ होता है।
6. पुनर्नवा: दूध में पुनर्नवा के पत्तों का रस मिलाकर पीने से पेशाब में आने वाला घात या धातु रुक जाती है।
7. शहतूत: शहतूत के रस में कलमीशोरा को पीसकर नाभि के नीचे लेप करने से पेशाब की रुकावट दूर होती है।
8. त्रिफला: त्रिफला के काढ़े में गुड़ और दूध मिलाकर पीने से पेशाब का घात रोग खत्म हो जाता है।
9. गेंदे का रस: गेंदे का रस पीने से पेशाब के संग आने वाला घात ठीक हो जाता है।
10. कुलंजन: कुलंजन को पानी में पीसकर पीने से मूत्राघात का रोग दूर हो जाता है।
11. केसर :
12. ककड़ी: मूत्रघात में 10 ग्राम ककड़ी के बीज और 10 ग्राम सेंधानमक को पीसकर कांजी मिलाकर पीने से मूत्रघात खत्म होता है।
13. जवाखार: जवाखार, इलायची और फिटकरी को बराबर मात्रा में लेकर कूटकर और पीसकर रख लें। इस चूर्ण में शहद मिलाकर सुबह-शाम 3 ग्राम की मात्रा में खाने से पेशाब खुलकर आता है और पेशाब में घात का आना भी बंद हो जाता है।
14. मूली :
15. विदारीकन्द: विदारीकन्द, सरिवा, गुर्च, हल्दी, वायबिडंग, पंच तृण और पंचमूल को पीसकर पीने से मूत्रकृच्छ और पेशाब से निकलने वाला घात दूर होता है।
16. मेहंदी: 5 से 10 ग्राम मेहंदी के पत्ते के स्वरस में थोड़ा पानी और मिश्री मिलाकर पीने से वीर्य का बहना बंद हो जाता है।
17. आक: आक के दूध में बबूल की छाल का थोड़ा सा रस मिलाकर नाभि के आसपास और पेड़ू पर लेप करने से मूत्राघात (पेशाब में धातु का जाना) का रोग दूर हो जाता है।
18. छोंकर: छोंकर के फूलों के रस में दूध मिलाकर गर्म कर लें। इसके बाद इसमें जीरा और चीनी डालकर पीने से पेशाब के साथ धातु का आना बंद हो जाता है।
19. आंवला: 5-6 आंवलों को पीसकर नलों पर लेप करने से मूत्राघात मिटता है।
20. मूसलीकन्द: 14 से 28 मिलीलीटर मूसली का काढ़ा, 4 मिलीलीटर तिल का तेल, 5 ग्राम घी तथा 100 मिलीलीटर दूध को एक साथ मिलाकर दिन में 3 बार सेवन करनें से मूत्राघात के रोग में लाभ होता है।
21. कांकड़: कांकड़ की पत्तियों का रस जीरे और मिश्री के साथ सेवन करने से मूत्राघात का रोग दूर हो जाता है।
22. कपूर: अगर पेशाब बंद हो गया हो तो लिंग के आगे के छेद में कपूर का टुकड़ा या पानी में पीसकर उसमें भिगोये गये कपड़े की बत्ती रखने से बंद पेशाब खुलकर आता है।
23. कायफल: कायफल के पेड़ की छाल और नारियल का रस एकसाथ मिलाकर 7 दिन तक पीने से पेशाब में धातु का आना समाप्त हो जाता है।
24. कुंदरू: कडवे कंदरू की जड़ का काढ़ा पीने से पेशाब के साथ धातु का निकलना बंद हो जाता है।
25. अनार:
26. अंकोल: 5 ग्राम अंकोल के फल का गूदा और 4 ग्राम तिलों का क्षार 2 चम्मच शहद में मिलाकर दही के पानी के साथ सुबह-शाम सेवन करने से मूत्राघात का रोग मिट जाता है।
27. इलायची: इलायची के दाने और सेंकी हुई हींग के लगभग आधा ग्राम चूर्ण को घी और दूध के साथ सेवन करने से पेशाब में धातु का आना बंद हो जाता है।
28. अर्जुन: मूत्राघात अर्थात् पेशाब में रूकावट होने पर अर्जुन की छाल को कूटकर 2 कप पानी के साथ उबालें। जब आधा कप पानी शेष बचे, तो उसे छानकर रोगी को 2-3 बार पिलाने के बाद पेशाब खुलकर आने लगता है।