एलईडी (LED) - लाइट इमीटिंग डायोड (Light Emitting Diode)
विद्युत ऊर्जा की कम खपत
एलईडी से संबन्धित कुछ रोचक तथ्य
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एलईडी (LED) एक अर्ध चालक डायोड होता है। इसमें एक छोटा सा इलेक्ट्रोनिक चिप होती है जिसमें विद्युत प्रवाह करने पर आवेश उत्पन्न होता है, जिससे विद्युत ऊर्जा प्रकाश के रूप में उत्सर्जित होती है। इस तरह एलईडी विद्युत ऊर्जा को प्रकाश ऊर्जा में परिवर्तित कर देती है। एलईडी लाइट (LED Light) में सामान्य बल्ब की तरह फिलमेंट नहीं होता। इसमें सेमीकंडक्टर मेटीरियल होता है, जिसमें इलेक्ट्रॉन के प्रवाह से प्रकाश पैदा होती है। एलईडी के प्रकाशोत्पादन में इसका मुख्य घटक गैलियम आर्सेनाइड होता है। यह पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों की तुलना में बहुत उन्नत है जिसमें ऊर्जा की खपत बहुत कम मात्रा में होती है। इसके द्वारा उत्पन्न प्रकाश का रंग लाल, हरा, नीला, पीला, दूधिया कुछ भी हो सकता है। एलईडी कई प्रकार (Types of LED) की होती है जिनमें फ्लैशिंग, मिनीचर, हाइ पावर, अल्फा-न्यूमेरिक, बहुवर्णी और ओएलडी (ओर्गेनिक एलईडी) प्रमुख है। इन एलईडी का प्रयोग (Use of LED) इलेक्ट्रोनिक सामानों जैसे लैपटॉप, विडियों गेम, पीडीपी, टैबलेट, स्मार्टफोन आदि में होता है। वर्तमान में इसका प्रयोग घरों और स्ट्रीट लाइट में भी बहुतायत में हो रहा है।
एलईडी की खोज (Innovation of LED)वैसे तो एलईडी की खोज बहुत पुरानी है। इस तकनीक (Technology) का आविष्कार सन 1927 ई० में ओलेग लोसेव द्वारा किया गया था। परंतु उस समय इसका विकास नहीं हो पाया था। इसके बाद सन 1962 में न्यूयार्क के निक होलोयक ने एलईडी का इन्वेन्शन किया। सन 1968 में एलईडी का निर्माण सर्वप्रथम शुरू हुआ। इस एलईडी का रंग लाल (Red LED) था और यह लो ईंटेंसिटी का था। यह कम विजिबल और कम ब्राइटनेस वाला एलईडी था। इसके पश्चात सन 1972 ई० अमेरिका का एम जॉर्ज क्रेफोर्ड ने पीली एलईडी (Yellow LED) की खोज की। वैसे तो पाँच दशक पहले ही लाल एवं हरा एलईडी की खोज की जा चुकी थी परंतु नीला एलईडी की खोज नहीं हो पाने के कारण सफ़ेद या दूधिया (White) प्रकाश का उत्सर्जन मुमकिन नहीं हो पाया था। आखिरकर, सन 2014 ई० में जापानी मूल के अमेरिकी वैज्ञानिक शुजी नकमोरा को नीला एलईडी की खोज (Innovation of Blue LED) में सफलता मिली जिसके लिए उन्हें फिजिक्स का नोबल पुरस्कार दिया गया।
विद्युत ऊर्जा की कम खपत
विशेषज्ञों के अनुसार पूरे विश्व में विद्युत का 20 से 25 प्रतिशत प्रयोग केवल रोशनी पाने के लिए किया जाता है। एक अनुमान के अनुसार विश्व के सभी पुराने बल्बों को हटा कर एलईडी बल्व (LED Bulb) लगा दिया जाए तो विद्युत की खपत काफी कम हो जाएगी तथा 2030 तक कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन में लगभग 16 अरब तन की कमी आ सकती है।
एलईडी लाइट (LED Light) लगभग 83 ल्यूमेन्स प्रति वॉट ब्राइटनेस देता है जबकि इसके मुक़ाबले सीएफ़एल 67 ल्यूमेन्स प्रति वॉट और फिलमेंट वाले बल्ब मात्र 16 ल्यूमेन्स प्रति वॉट ही ब्राइटनेस देती है। ऐसा इस लिए होता है क्योंकि जब एलईडी बल्ब में बिद्युत प्रवाह किया जाता है तो विद्युत ऊर्जा का कुछ ही हिस्सा ताप ऊर्जा में परिवर्तित होता और ज़्यादातर बिद्युत ऊर्जा प्रकाश ऊर्जा में परिवर्तित हो जाती है जबकि सामान्य बल्व में केवल 10 प्रतिशत विद्युत ऊर्जा ही प्रकाश ऊर्जा में परिवर्तित हो पाती है।
एलईडी से संबन्धित कुछ रोचक तथ्य
- सामान्य बल्व से बिजली के झटके लग सकते है लेकिन एलईडी बल्व से झटका नहीं लगता है। यह शॉक रेसिस्टेंट होता है।
- सीएफ़एल में मरकरी का प्रयोग होता है जो प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है। इसके टूटने से इसमें स्थित मरकरी वातावरण में फैल जाता है जो वातावरण को प्रदूषित करता है। परंतु एलईडी में मरकरी का प्रयोग नहीं होता है इसलिए यह प्रदूषण रहित है।
- एलईडी साधारण बल्व एवं सीएफ़एल की अपेक्षा काफी तेज रोशनी होता है।
- एलईडी बल्व को कुल लाइट भी कहा जाता है क्योंकि एलईडी बल्व गरम नहीं होता है।
- पूरे विश्व में लगभग 30 करोड़ स्ट्रीट लाइट में एलईडी का प्रयोग हो रहा है।
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