पैर का दाद
पैरों पर जब किसी तरह का दाद हो जाता है तो खुजली होकर वह बढ़ता ही जाता है। दाद के रोग में त्वचा दिन पर दिन सूजकर काली हो जाती है, दाद के किनारे पर छोटे-छोटे दाने हो जाते हैं। इसमे से चिपचिपा सा मवाद निकलता रहता है। यह दाद टिनिया ट्राईकोफाईटीना नाम के रोगाणु के फैलने से होता है।परिचय-
1. गोरखमुण्डी : लगभग 3 से 50 मिलीलीटर गोरखमुण्डी के रस को रोजाना 4 बार पीने से खून साफ हो जाता है और त्वचा के सारे रोग समाप्त हो जाते हैं।2. त्रिफला : 20 से 90 मिलीलीटर की मात्रा में त्रिफला के रस को रोजाना 4 बार पीने से खून साफ हो जाता है और चमड़ी के सारे रोग दूर हो जाते हैं।
3. पित्तपापड़ा : 50 से 100 मिलीलीटर पित्तपापड़ा के रस को रोजाना 4 बार पीने से हर प्रकार के खून के रोग दूर हो जाते हैं।
4. मजीठ : मजीठ को पीसकर शहद के साथ मिलाकर लगाने से हर तरह के दाद और त्वचा के रोग ठीक हो जाते हैं।
5. आक : आक (मदार) की जड़ की छाल को पानी के साथ पीसकर दाद पर लगाने से लाभ होता है।