बेरी-बेरी
बेरी-बेरी रोग में पॉलिश किये हुए चावल खाने से व्यक्ति के शरीर में विटामिन `बी´ की कमी हो जाती है। जिसके कारण उस व्यक्ति में स्नायुशूल, पक्षाघात (लकवा), पेशियां सूखना और सूजन आदि रोग उत्पन्न हो जाते हैं।परिचय :
भोजन और परहेज :
बेरी-बेरी रोग की शुरुआती में ज्योतिष्मती (माल कांगनी) के तेल की 10 से 15 बूंदों को दूध या मलाई के साथ मिलाकर सुबह-शाम पीने से लाभ होता है।
बेरी-बेरी रोग में ज्योतिष्मती (माल कांगनी) के बीजों को सौंठ के साथ खाने से लाभ होता है। प्रारम्भ में 1 बीज और इसके बाद प्रत्येक दिन 1-1 बीज की संख्या बढ़ाते हुए 50 बीज तक की मात्रा, सौंठ के साथ 50 दिन तक खायें। इसके बाद 50 वें दिन से प्रत्येक दिन इसके बीजों की 1-1 संख्या कम करते हुए 1 बीज तक की मात्रा करके सोंठ के साथ खायें। ज्योतिष्मती (माल कांगनी) को खाने से पहले मूत्र की मात्रा बढ़ती है फिर धीरे-धीरे यह सूजन कम करती है। धीरे-धीरे संवेदन शीलता वापस आ जाती और शरीर की नसें स्वस्थ हो जाती हैं।