हाथ-पैरों का डोलना
हाथ-पैरों के डोलने का रोग हवा के कारण उत्पन्न होने वाला रोग है। इस रोग के होने पर रोगी का पूरा शरीर हिलता रहता है। इस रोग में रोगी का शरीर बाईं से दाईं और दाईं से बाईं ओर लुढ़कता रहता है। रोगी चलने के लिये कदम उठाता है तो अपने पैरों की अंगुलियों को जमीन पर घिसता हुआ चलता है। रोगी को अगर आंख बंद करके चलाया जाता है तो वह 2 कदम भी नहीं चल सकता है।परिचय :
1. पीपल- पहले दिन पीपल को शहद और शर्करा में अच्छी तरह से मिलाकर रोगी को दें। उसके बाद प्रतिदिन 3 पीपलों की मात्रा बढ़ाते जाएं। इस तरह 10 दिन में 30 पीपलों को फेंट लें। इसके बाद ग्यारहवें दिन से 3 पीपल कम करते जायें। अन्तिम दिन 3 पीपलों को फेंट लें। इससे हाथ पैरों का डोलने का रोग ठीक हो जाता है।2. लहसुन- बायविडंग में लहसुन के रस को पकाकर सेवन करने से हाथ-पैरों के डोलने के रोग में हाथ व पैर का हिलना बंद हो जाता है। लहसुन से प्राप्त तेल रोगी के लिये बहुत उपयोगी होता है।
3. कालीमिर्च- कालीमिर्च से प्राप्त तेल की मालिश रोगी के दोनों पैरों पर दिन में कम से कम 2 बार करने से हाथ-पैरों के डोलने के रोगी को आराम मिलता है।
4. अमलतास- लुढ़ककर चलने वाले रोगी को अमलतास के पत्तों का रस 100 से 200 मिलीलीटर की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से लाभ होता है। इसके रस से पैरों की अच्छी तरह से मालिश करने से लाभ होता है।
5. ज्योतिष्मती- ज्योतिष्मती (मालकांगनी) के बीजों के काढ़े में 2 से 4 लोंग डालकर 40 मिलीलीटर की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से हाथ-पैरों के डोलने के रोग में लाभ पहुंचता है।
6. सेंधानमक- 10 ग्राम सेंधानमक को 250 मिलीलीटर पानी में मिलाकर घोलकर उस घोल को पैरों के एक स्थान पर डालने से पैरो की मांसपेशियां काफी मजबूत होती है। इससे रोगी को काफी लाभ मिलता है। सेंधानमक रक्तसंचार (बल्डप्रेशर) को बढ़ाकर कोशिकाओं को स्वस्थ रखता है।
7. अगर- लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग अगर को रोजाना सुबह-शाम सेवन करने से हाथ-पैरों के डोलने के रोगी को लाभ मिलता है।
8. कुसुम- कुसुम के पंचाग (तना, फूल, पत्ती, जड़ फल) से प्राप्त तेल को सरसों के तेल में मिलाकर हाथ-पैरों पर मालिश करने से हाथ-पैरों के डोलने के रोग में लाभ होता है।