कान का दर्द
कान में फुंसी निकलने, सर्दी लग जाने या फिर कान में किसी तरह की चोट लग जाने की वजह से कान में दर्द होने लगता है। कान में ज्यादा दर्द होने की वजह से रोगी को रात भर नींद नहीं आती और वह हर समय तड़पता ही रहता है। जब बच्चे के कान में दर्द होता है तो वह बार-बार जोर-जोर से रोता रहता है क्योंकि वह कह तो सकता नहीं है कि उसके कान में दर्द हो रहा है। कान का दर्द किसी को भी हो सकता है।परिचय :
विभिन्न भाषाओं में नाम :
हिन्दी |
कान का दर्द। |
अंग्रेजी |
ईयरेक। |
पंजाबी |
कन्न पीड़ा। |
तमिल |
काडुवालि। |
बंगाली |
कर्नशूल। |
कन्नड |
किविनावु। |
उड़िया |
कानटानाकिबा। |
मलयालम |
चेवि वेदना। |
अरबी |
कानरा विष। |
गुजराती |
कानदुखावो। |
तेलगू |
चेविपोटु। |
कारण :
भोजन और परहेज :
120 मिलीलीटर तिल का तेल, लगभग 900 मिलीलीटर धतूरे का रस, लगभग आधा ग्राम सेंधानमक और 10 मदार के पत्ते और लगभग लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग अफीम को कड़ाही में डालकर पका लें। जब पकने के बाद सब कुछ जल जाये तो उसे उतारकर और छानकर एक शीशी में भर लें। नीम के पत्तों और फिटकरी को पानी में डालकर पकाकर छान लें। फिर इस पानी से पहले कान को साफ कर लें। फिर बनाये हुये तेल की 4-5 बूंदें रोजाना कान में डालने से कान से मवाद बहना, कान का दर्द और बहरापन दूर हो जाता है।
तिल के तेल में लहसुन की कली डालकर गर्म करे जब लहसून जल जाए तो छानकर तेल को शीशी में भर लें। इस तेल की कुछ बूंदे कान में डालने से कान का दर्द समाप्त हो जाता है।
250 मिलीलीटर तिल के तेल को 100 मिलीलीटर मूली के रस में मिलाकर पका लें। जब पकने के बाद बस तेल ही बाकी रह जाये तो इसे छानकर शीशी में भर लें। इसकी 2-3 बूंदे सुबह-शाम कान में डालने से कान का दर्द ठीक हो जाता है।
अजाझाड़ा के पंचांग (जड़, डाल, पत्ती, फल और फूल) की राख को तिल्ली के तेल में उबालकर कान में डालने से कान का दर्द दूर हो जाता है।
कान के दर्द को ठीक करने के लिए धतूरे के ताजे पत्तों के रस को गुनगुना करके 2 बूंद कान में डालें। इससे दर्द ठीक हो जाता है।
धतूरे के पत्तों के रस को आग पर गर्म करके लेप जैसा पदार्थ बना लें। इसे कान की सूजन पर लगाने से आराम मिलता है।
कान से मवाद बह रहा हो तो 80 मिलीलीटर सरसों का तेल, 10 ग्राम गंधक, 320 मिलीलीटर धतूरे के पत्तों का रस मिलाकर पका लें। इस तेल की 1-1 बूंद कान में सुबह-शाम डालने से कान के दर्द में आराम मिलता है।
धतूरे के पत्तों के रस को गर्म करके 2-3 बूंद कान में टपकाने से कान दर्द से छुटकारा मिलता है।
धतूरा के रस 400 मिलीलीटर, धतूरा के रस में चटनी की तरह पिसी हुई हल्दी 25 ग्राम और तिल का तेल 100 मिलीलीटर तीनों को मिलाकर पका लें। जब तेल चौथाई मात्रा में रह जाए तो इसे छान लें। कान के नाड़ी के घाव को ठीक करने के लिए इसका उपयोग करें।
प्याज या लहसुन के रस को गुनगुना करके कान में डालने से कान के दर्द में लाभ मिलता है।
1 प्याज को गर्म राख में रखकर भून लें और इसे पीस लें। फिर इसका रस निकालकर गुनगुना करके कान में डालने से कान का दर्द दूर हो जाता है।
कान में दर्द, कान से पीब बहना और कान में अजीब-अजीब सी आवाजें सुनाई पड़ना और बहरापन होना आदि रोगों को ठीक करने के लिए प्याज के रस को थोड़ा सा गर्म करके कान में 5-6 बूंदें डालें इससे लाभ मिलेगा।
गधे की लीद (टट्टी) का रस, गुलाबजल, सिरका और प्याज के रस को बराबर मात्रा में मिलाकर कान में डालने से कान का दर्द दूर हो जाता है।
प्याज के बीच के भाग को निकालकर गर्म कर लें। फिर इस गर्म भाग को कान में रखने से कान का दर्द चला जाता है।
कलिहारी की जड़ के रस में पीपल, हुरहुर, सोंठ और मिर्च का रस मिलाकर कान में डालने से कान के कीड़े मर जाते हैं और कान का दर्द ठीक हो जाता है।
10-10 ग्राम पीपल, सेंधानमक, कूट, बच, सोंठ, हींग और लहसुन को एक साथ मिलाकर पीस लें। 250 मिलीलीटर सरसों के तेल और 250 मिलीलीटर आक (मदार) के रस में यह चूर्ण डालकर पका लें। अच्छी तरह से पक जाने के बाद इस तेल को उतारकर छान लें। इस तेल को रोजाना कान में डालने से कान में से मवाद का बहना, बहरापन, कान के कीड़े और कान का दर्द जैसे सब रोग ठीक हो जाते हैं। इस तेल को कान में डालने से पहले कान को 4-5 बार नीम के पानी से अच्छी तरह से धो लें।
3 ग्राम शहद, 6 मिलीलीटर अदरक का रस, 3 मिलीलीटर तिल का तेल और लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग सेंधानमक को एक साथ मिलाकर इसकी थोड़ी सी बूंदें कान में डालकर उसके ऊपर से रूई लगा देने से कान से कम सुनाई देना, कान का दर्द, कान में अजीब-अजीब सी आवाजें सुनाई देना आदि रोग दूर हो जाते हैं।
शहद में समुद्रफेन को घिसकर कान में डालने से बहरेपन का रोग ठीक हो जाता है।
5 ग्राम सूरजमुखी के फूलों का रस, 5 ग्राम शहद, 5 ग्राम तिल का तेल और 3 ग्राम नमक को मिलाकर कान में बूंद-बूंद करके कान में डालने से कान का दर्द ठीक हो जाता है।
कान में दर्द होने पर सरसों के तेल को गर्म करके डालने से दर्द ठीक हो जाता है।
250 मिलीलीटर सरसों के तेल में 10-10 ग्राम हींग, बच, सोंठ और सेंधानमक को लेकर पीस लें और इसे 250 ग्राम (आक) मदार के रस और 250 मिलीलीटर धतूरे के रस में डालकर पका लें। पकने के बाद इसे उतारकर छान लें और एक शीशी में भर लें। इस तेल की 5-6 बूंदें रोजाना कान में डालने से कान का दर्द, बहरापन, कान में अजीब-अजीब सी आवाजें होना और कान में से मवाद बहना आदि रोग ठीक हो जाते हैं।
10 मिलीलीटर सरसों का तेल लेकर उसके अन्दर 3 ग्राम हींग डालकर गर्म कर लें। इस तेल की 1-1 बूंद कान में डालने से बलगम के रोग के कारण पैदा हुआ कान का दर्द ठीक हो जाता है।
सरसों के तेल में लहसुन को डालकर उबाल लें और छान लें। फिर इस तेल को छानकर गुनगुना-सा ही बूंद-बूंद करके कान में डालने से कान का जख्म, कान से मवाद बहना और कान का दर्द ठीक हो जाता है।
सरसों के तेल में लौंग डालकर जला लें। फिर इस तेल को कान में डालने से कान का दर्द दूर हो जाता है।
हींग को तिल के तेल में पकाकर उस तेल की बूंदें कान में डालने से तेज कान दर्द ठीक हो जाता है।
हींग और सरसों के तेल को गर्म करके छान लें। जब तेल बस हल्का-सा गर्म रह जाये तो उसे कान के अन्दर बूंद-बूंद करके डालने से कफ (बलगम) के कारण होने वाला कान का दर्द समाप्त हो जाता हैं।
हींग, धतूरे का रस और मूली के बीज को सरसों के तेल में डालकर पका लें। इस तेल को कान में डालने से कान का दर्द और बहरापन ठीक हो जाता है।
स्त्री के दूध के साथ असली हींग को पीसकर कान में डालने से बहरेपन का रोग ठीक हो जाता है।
कपड़े से छानकर अदरक का रस गुनगुना गर्म करके 3-4 बूंद कान में टपकाएं। इससे कान का दर्द ठीक हो जाता है।
अदरक के रस को गुनगुना करके 2 से 5 बूंद कान में डालने से कान का दर्द मिटता है।
अदरक, सहजने की छाल, करेला और लहसुन में से किसी भी चीज का रस निकालकर गुनगुना करके कान में डालने से कान का दर्द ठीक हो जाता है।
कान में मैल जमने के कारण, सर्दी लगने के कारण, फुंसियां निकलने के कारण या चोट लगने के कारण कान में दर्द हो रहा हो तो अदरक के रस को कपड़े में छानकर हल्का सा गर्म करके 3-4 बूंदे कान में डालने से कान का दर्द दूर हो जाता है। अगर पहली बार डालने से दर्द नहीं जाता तो इसे दुबारा डाल सकते हैं।
अगर ठंडे मौसम में घूमने की वजह से कान में दर्द हो रहा हो तो 5 मिलीलीटर अदरक के रस को गुनगुना करके किसी कपड़े से छानकर बूंद-बूंद करके कान में डालने से कान का दर्द ठीक हो जाता है।
अदरक का रस, सेंधानमक, तिल का तेल और शहद को एक साथ मिलाकर उसमें पानी मिलाकर हल्का-सा गर्म करके कान में डालकर कान को साफ करने से कान का दर्द ठीक हो जाता है।
मूली, अदरक और लहसुन को एक साथ मिलाकर उनका रस निकाल लें। इस रस को हल्का सा गर्म करके कान में बूंद-बूंद करके डालने से कान का दर्द ठीक हो जाता है।
सर्दी के कारण उत्पन्न कान के दर्द को ठीक करने के लिए लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग अफीम को आग पर पका लें और फिर इसे गुलरोगन के साथ पीसकर कान में डालें। इससे लाभ मिलेगा।
अफीम की लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग भस्म को गुलाब के तेल में मिलाकर कान में टपकाने से आराम मिलता है।
अफीम को ग्लिसरीन में मिलाकर बूंद-बूंद करके रोजाना हर 3-4 घंटे के बाद 2 बूंद कान में डालने से कान का दर्द कम हो जाता है।
चावल के चार दाने के समान अफीम के पत्तों की राख को गुलाब के तेल में मिलाकर कान में डालने से कान का दर्द ठीक हो जाता है।
आक (मदार) के पत्तों का रस, मूली का रस और सरसों के तेल को एक साथ मिलाकर पकाएं, जब पकने के बाद बस तेल ही बाकी रह जाये तो इसे उतारकर रख लें। कान के दर्द को ठीक करने के लिए इस तेल की कुछ बूंदें कान में डालें।
आक (मदार) के पीले पत्ते के ऊपर घी लगाकर कनपटी पर बांधने से कान का दर्द दूर हो जाता है।
आक (मदार) के पत्तों के रस को गर्म करके कान में बूंद-बूंद करके डालने से भी कान का दर्द दूर हो जाता है।
कान में दर्द हो तो मूली के पत्तों के रस को सरसों के तेल में डालकर पका लें। इस तेल की 2-2 बूंदें कान में टपकाने से कान का दर्द ठीक हो जाता है।
मूली के पत्तों को पीसकर उसका रस निकाल लें। इसके 50 मिलीलीटर रस को 150 मिलीलीटर तिल के तेल में काफी देर तक पका लें। पकने पर रस पूरी तरह से जल जाये तो उस तेल को कपड़े मे छानकर शीशी में भरकर रख लें। कान में दर्द होने पर उस तेल को गुनगुना करके कान में डालने से कान का दर्द ठीक हो जाता है।
गेंदे के पत्तों का रस कान में डालने से कान का दर्द दूर हो जाता है।
कान में से मवाद निकलने और कान में दर्द होने पर गेंदे के पत्तों का रस निकालकर थोड़ा-सा गर्म करके कान में बूंद-बूंद करके डालने से लाभ मिलता है।
कान में दर्द होने पर गेंदे के फूल की पंखुड़ियों को मसलकर उसका रस निकालकर कान में डालने से कान का दर्द ठीक हो जाता है।
हजारा गेंदे के रस को निकालकर गर्म कर लें। इसे कान में डालने से कान का दर्द ठीक हो जाता है।
कैथ के रस के साथ बिजौरा नींबू के रस को बराबर मात्रा में मिलाकर थोड़ा-सा गर्म करके और छानकर कान में बूंद-बूंद करके डालने से दर्द समाप्त हो जाता है।
सज्जीखार को बिजौरा नींबू के रस में मिलाकर कान में डालने से कान में से मवाद बहना, कान का दर्द और कान में जलन होना आदि रोग ठीक हो जाते हैं।
बिजौरे के नींबू, आम और अदरक का रस थोड़ा गर्म करके कान में डालने से आराम मिलता है।
कान के दर्द में लहसुन के रस या उसकी कलियों को तिल के तेल में देर तक पकायें। जब रस जलकर खत्म हो जाये तो तेल को छानकर, हल्का गर्म करके कान में बूंद-बूंद डालने से सर्दी से पैदा होने वाले कान का दर्द दूर हो जाता है।
लहसुन की 2 कलियों को 20 मिलीलीटर तिल के तेल में अच्छी तरह से पकाकर 1-2 बूंदें कान में डालने से बहरेपन का रोग दूर हो जाता है।
10 ग्राम लहसुन की कलियां, 20 मिलीलीटर तिल का तेल और 5 ग्राम सेंधानमक को एक साथ पकाकर कपड़े में छान लें। इसे गुनगुना ही कान में बूंद-बूंद करके डालने से कान का दर्द ठीक हो जाता है।
लहसुन की 2 कलियां, नीम के 10 नये मुलायम पत्ते और 4 निंबौली को एक साथ पीसकर सरसों के तेल में डालकर अच्छी तरह से पका लें। पकने के बाद इस तेल को छानकर किसी शीशी में भर लें। इस तेल को कान में डालने से कान का जख्म, कान से मवाद बहना, कान में फुंसी होना या बहरेपन का रोग दूर हो जाता है।
लहसुन, आक के पीले पत्ते और तिल के फूल को पीसकर उसका रस कान में डालने कान दर्द में लाभ मिलता है।
20 ग्राम लहसुन, 2 ग्राम लालमिर्च, 2 ग्राम अजवायन, 50 मिलीलीटर तिल का तेल और 1 ग्राम सेंधानमक को 300 मिलीलीटर पानी में डालकर आग पर पकाएं। पकने के बाद बचे हुए तेल को कपड़े में छानकर बूंद-बूंद करके कान में डालने से कान का दर्द ठीक हो जाता है।
लगभग 200 मिलीलीटर सरसो के तेल में 4 लहसुन की कलियां डालकर पका लें। पकने के बाद इस तेल को छानकर एक शीशी में भर लें। इस तेल की 2 बूंदें दिन में 4 बार कान में डालकर रूई लगा दें। इससे लाभ मिलेगा।
अगर कान में दर्द बिना किसी जख्म के कारण ही हो रहा हो तो कान को अच्छी तरह से साफ कर लें, फिर लहुसुन और अदरक मिला हुआ रस कान में बूंद-बूंद डालने से लाभ मिलता है।
लहसुन, अदरक और करेले को मिलाकर उसका रस निकाल लें। इस रस को कान में डालने से अगर कान में बहुत तेज दर्द हो तो वह भी दूर हो जाता है।
कान में दर्द होने पर चंदन या नीम के तेल को गर्म करके बूंद-बूंद करके कान में डालने से लाभ मिलता है।
कान में फुंसी होने पर नीम का तेल लगाने से फुंसिया ठीक हो जाती हैं।
नीम के पत्तों को पानी में डालकर उबाल लें। पानी को काफी उबालने के बाद इसमें से जो भाप (धुआं) निकलता है उसे कान में लेने से मैल ढीला होकर निकल जाता है कान साफ हो जाता है तथा कान का दर्द और घाव ठीक हो जाता है।
कान से मवाद बहने पर या कान में दर्द होने पर कुछ दिन तक लगातार कान में तुलसी के पत्तों का रस गर्म करके डालने से आराम मिलता है।
कान के पीछे सूजन होने पर 10 ग्राम तुलसी के पत्ते और एरण्ड के 10 ग्राम मुलायम पत्तों को पीसकर और हल्का-सा गर्म करके उसके अन्दर 5 ग्राम सेंधानमक मिलाकर कान में डालने से कान की सूजन दूर हो जाती है और दर्द भी ठीक हो जाता है।
तुलसी के पत्तों के रस को हल्का गर्म करके, थोड़ा सा कपूर मिलाकर कान में 2-3 बूंदें डालें इससे कान दर्द ठीक हो जाता है।