खर्राटे लेना

खर्राटे लेना

           जब सोते समय हम सांस लेते हैं तो हवा काकलक (गले में लटकने वाला मांस) से सटकर निकलती है और जब किसी कारण से हवा को निकलने के लिए पर्याप्त जगह नहीं मिल पाती है तो सांस में रुकावट के कारण हवा की गति बढ़ जाती है जिससे श्वास के साथ खर्राटे की आवाज आती है। खर्राटे लेने के कई कारण होते हैं- नाक में खराबी, एलर्जी, नाक की सूजन, जीभ मोटी होना, कृत्रिम दांतों का सही फिट न होना, अधिक धूम्रपान करना, शराब पीना या नशीले पदार्थों का सेवन करना और रात को अधिक भोजन करना आदि। खर्राटे भरने से मनुष्य को कोई हानि नहीं होती है और न ही यह कोई रोग ही है। अधिक कार्य करने पर मनुष्य जब थक करके चूर हो जाता है तो वह खर्राटे भरता है।परिचय :