सदमा (कोमा)
सदमा से पीड़ित रोगी की चेतना शून्य हो जाता है और वह बिना कुछ बोले, बिना किसी प्रतिक्रिया के ही स्थिर हो जाता है। यदि सदमे में पड़े रोगी को अधिक उल्टी आती हो तो उसके हाथ व तलवों को मलना चाहिए। यदि सदमे में रोगी की सांस चलती हो तो इसमें कोई व्यक्तिगत उपचार न करें।परिचय :
कारण :
लक्षण :
1. जटामांसी : लगभग आधे से एक ग्राम जटामांसी के चूर्ण को शहद के साथ रोगी को खिलाने से मानसिक आघात अथवा किसी भी तरह के सदमे में बहुत लाभ मिलता है।2. नारियल : किसी व्यक्ति के अन्दर कमजोरी आने के कारण बार-बार उसे सदमे आते हों तो उसे नियमित रूप से एक-एक कप नारियल का दूध सुबह-शाम पिलाना चाहिए। इससे सदमे का बार-बार आना बन्द होता है और कमजोरी दूर होती है।
3. असगंध नागौरी : लगभग 3-6 ग्राम असगंध नागौरी के चूर्ण को सुबह-शाम घी व चीनी मिले दूध के साथ खाने से स्नायविक कमजोरी के कारण बार-बार आने वाले सदमा खत्म होता है।
4. चना : 20 ग्राम काले चने और 25 किशमिश को ठंडे पानी में शाम को भिगोकर रख दें और सुबह उठकर खाली पेट खाने से सदमा आना बन्द होता है।
5. शंखपुष्पी : शंखपुष्पी, ब्राह्मी और बच को बराबर मात्रा में लेकर ब्राह्मी के रस में 3 भावना देकर सुखाकर चूर्ण बनाकर रख लें। यह चूर्ण आधे से एक ग्राम सुबह-शाम घी और शहद के साथ खाने से सदमा में आराम मिलता है।
6. चुकन्दर : चुकन्दर और एलवा बेर को पानी में पीसकर पानी में मिलाकर छानकर रोगी की नाक में 2-4 बून्द डालने से सदमा में आराम मिलता है।
7. सिंगी : खून जमने के कारण हुए सदमे में सिंगी लगवाने से गन्दा खून शरीर से निकल जाता है और सदमा ठीक होता है।
8. साबुन : साबुन और गेरू को पीसकर किसी भी प्रकार के घाव पर लगाने से घाव ठीक होकर सदमा समाप्त होता है।
9. फिटकरी : घाव के कारण सदमे में पड़े रोगी के घाव पर फिटकरी को भूनकर लगाने से लाभ मिलता है।