स्वदेशी तकनीक से विकसित किया गया है क्रायोजेनिक इंजन - क्रायो सीई 20

वैसे तो क्रायोजेनिक इंजन की तकनीक का विकास द्वितया विश्वयुद्ध के दौरान हुआ था। तब सबसे ज्यादा ऊर्जा उत्पन्न करनेवाला और आसानी से मुहैया ऑक्सीज़न और हाइड्रोजन को ईंधन के तौर पर सबसे बेहतर पाया गया। तब मुश्किल यह थी की इंजन में यह गैस के तौर पर इस्तेमाल नहीं हो सकता था, क्योंकि उन्हें रखने के लिए इंजन बड़ा बनाना पड़ता, जबकि रॉकेट के लिए इसका छोटा होना जरूरी शर्त है।

भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने 19 फरवरी, 2016 को उच्च क्षमता वाले क्रायोजेनिक इंजन क्रायो सीइ-20 का सफल परीक्षण किया। इसरो के अनुसार यह परीक्षण 640 सेकेंड की उड़ान अवधि के लिए किया गया। उच्च क्षमता क्रायोजेनिक इंजन क्रायो सीइ-20 स्वदेशी तकनीक से विकसित किया गया क्रायोजेनिक इंजन है। यह पूरी तरह स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन का विकास जीएसएलवी एमके3 के प्रक्षेपण के लिए विकसित किया गया था।
क्रायोजेनिक तकनीक को निम्नतापकी कहा जाता है, जिसका ताप 0 डिग्री से -150 डिग्री सेल्सियस होता है। क्रायो एक यूनानी शब्द क्रायोस से बना है, जिसका अर्थ होता है बर्फ जैसा ठंडा। इस तकनीक में ईंधन को तरल अवस्था में प्राप्त कर लिया जाता है जिसमें ईंधन के रूप में द्रव हाइड्रोजन एवं द्रव ऑक्सीज़न के रूप में प्रयोग किया जाता है। कोई भी रॉकेट का वजन जितना कम होगा वह उतना ही अधिक ऊंचाई तक जा सकेगा। अतः रॉकेट में प्रयोग होने वाला ईंधन भी हल्का होना चाहिए। ऐसे में तरल हाइड्रोजन और तरल ऑक्सीज़न ही अब तक के सबसे हल्के ईंधन है। इस ईंधन के जलने पर सबसे अधिक ऊर्जा भी प्राप्त होती है। क्रायोजेनिक इंजन शून्य से बहुत नीचे यानी क्रायोजेनिक तापमान पर काम करते हैं। माइनस 238 डिग्री फारेनहाइट को क्रायोजेनिक तापमान कहा जाता है। इस तापमान पर ईंधन के रूप में इस्तेमाल होनेवाले ऑक्सीजन और हाइड्रोजन गैस द्रव बन जाता हैं। द्रव ऑक्सीजन और द्रव हाइड्रोजन को क्रायोजेनिक इंजन में जलाया जाता है। द्रव ईंधन जलाने से इनती ऊर्जा पैदा होती है, जिससे क्रायोजेनिक इंजन को 414 किलोमीटर प्रति सेकेंड रफ्तार मिल जाता है।

फेलोपियन ट्यूब कैंसर क्या है, इसकी जाँच एवं उपचार (What is Fallopian Tube Cancer, its tests and treatments in hindi

"फेलोपियन ट्यूब ( fallopian tube) का कैंसर भी अंडाशय (Overies) के कैंसर की तरह ही खतरनाक होता है और लक्षण भी वेसे ही होते हैं। इसका एक मात्र इलाज सर्जरी है। अन्यथा बढ जाने पर यह पूरे पेट में फैल सकता है।"
फेलोपियन ट्यूब क्या है? What is Fallopian Tube in Hindi?
Fallopian-Tube-Cancer

महिलाओं के गर्भाशय के दोनों ओर अंडाशय होती है। गर्भाशय और अंडाशय को मिलाने वाली दो पतली ट्यूब (नाल) को ही फेलोपियन ट्यूब कहते हैं जो अंडों को उसके अंडाशय (Overies) से उसके गर्भाशय (Uterus) तक ले जाती है जहाँ अंडे या तो पुरुष शुक्राणु से निषेचित (Fetilized) होती है या फिर मासिक धर्म (menstruation) के दौरान बाहर निकाल जाती है।

महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर (Breast Cancer) और यूटेरस के कैंसर (Utreus Cancer) के बाद फेलोपियन ट्यूब में होनेवाला कैंसर भी बहुत ही खतरनाक है। इसके ब्लॉक होने पर बाँझपन का भी खतरा होता है। कैंसर का यह प्रकार इस ट्यूब में ही विकसित होता है।
कैसे होता है यह कैंसर
हमारे शरीर में नई कोशिकाओं का विकास निरंतर होता रहता है जो पुरानी और क्षतिग्रस्त कोशिकाओं का स्थान लेती रहती है। परंतु जब किसी अंग में इन कोशिकाओं का विकास किसी कारण से असामान्य ढंग से होने लगता है, तो उस अंग में ट्यूमर का निर्माण होता है। इस तरह बने कुछ ट्यूमर बहुत ही घातक होते हैं। अतः जब किसी महिला के फिलोपियन ट्यूब में ट्यूमर का निर्माण होता है तो इससे उस महिला में फेलोपियन ट्यूब कैंसर की शुरुआत होती है। इस ट्यूमर में अधिक वृद्धि होने पर कैंसर पेट में भी फैलने की संभावना होती है। 

यह कैंसर 18-88 साल के महिलाओं में हो सकता है, जबकि 40-65 साल की महिलाओं में होने की ज्यादा संभावनाएं होती है। हालांकि कैंसर का यह प्रकार बहुत ही असामान्थ होता है। कुछ महिलाओं में यह कैंसर आनुवंशिक होता है, तो कुछ में जीवनशैली के कारण यह विकसित होता है। बीआरसीए 1 या बीआरसीए 2 जिन्सवाली महिलाओं में इसके होने का खतरा अधिक रहता है।

फेलोपियन ट्यूब कैंसर के लक्षण (Symptoms of Fallopian Tube Cancer in Hindi)

  • बहुत ज्यादा रक्त स्राव होना, खास कर मोनोपॉज (Menopause) के बाद (मासिक धर्म बंद होने के बाद)।
  • पेट में असहनीय दर्द होना या पेट में तेज दबाव का अहसास होना।
  • सफेड या गुलाबी रंग का द्रव अनियंत्रित रूप से निकलना।
  • पेट पर अतिरिक्त चर्बी जमना आदि।

अत : ऐसे लक्षण दिखने पर सावधानी बरते और तुरंत डॉक्टर से जांच कराएं।

जाँच एवं उपचार (Test and Treatment)
चूँकि यह बहुत ही असामान्य कैंसर है इसलिए जब भी पेट की कोई समस्या होती है तो डॉक्टर इसे दूसरी समस्या से जोड़ते हैं क्योकि पेट गर्भाशय में ट्यूमर, संक्रमण ओवेरियन ट्यूमर या एडोमेट्रियल कैंसर के कारण भी यही लक्षण दिखाई देते है। इसकी पुष्टि के लिए ब्लड टेस्ट किया जाता है। अगर ब्लड टेस्ट में सीए-125 का स्तर बहुत अधिक है तो यह फंलोपियन ट्यूब के कैसर का संकेत हो सकता है। अल्ट्रासाउंड और सीटी स्केन के जरिये इस रोग की पुष्टि होती है। अल्ट्रासाउंड के जरिये यह भी पता लगाया जाता है कि कहीं पेल्विक क्षेत्र में ट्यूमर का विकास बहुत अधिक तो नहीं हो गया है।

सर्जरी (Surgery):- सर्जरी के जरिये फैलोपियन ट्यूब को निकाल दिया जाता है नहीं तो यह दूसरे अंगो को भी प्रभावित कर सकता है। इस सर्जरी को करने के बाद ओवेरियन कैंसर (ovarian cancer) का खतरा भी कम होता है क्योकि माना जाता है कि ओवेरियन कैंसर की उत्थति भी फेलोपियन ट्यूब से ही होती है। रोग से बचने के लिए अगर आपके घर में  किसी को यह समस्या हुई है तो आप नियमित जायं कराती रहैं।