आंखों के सभी रोग aankho ke rog



आंखों के सभी रोग   aankho ke rog

(दृष्टिदुर्बलता)


हिंदीनिगाह की कमी
मद्रासीकमन्छक्कुरावु
मराठीदृष्टिमंद होने
पंजाबीनज़र कमजोर
तमिलपर्वइक्कुरिवी
तेलगूदृष्टि दुर्बलम्
अंग्रेजीवीक आई साइट
कन्नड़कन्नुमंजु
बंगालीदृष्टि खिन्नत
असमीदृष्टि दुर्बलता
विभिन्न भाषाओं में नाम :

 लक्षण :

          इस रोग में रोगी को आंखों से सब कुछ धुंधला दिखाई देता है तथा उसे आंखों से अजीब-अजीब सी चीजें दिखाई देती हैं जोकि वास्तव में होती ही नहीं है जैसे मक्खी-मच्छर तथा मकड़ी के जाले आदि दिखाई पड़ना, गोलाकार वस्तु दिखाई पड़ना, अलग-अलग प्रकार की रोशनी और आंखों के सामने सभी वस्तुएं धुंधली (बादल से ढकी हुई) दिखना शुरुआती लक्षण हैं। रोग के और ज्यादा बढ़ने पर रोगी दूर की चीजों को पास और पास की चीजों को दूर देखता है। आंखों की रोशनी कम हो जाती है और रोगी सुई में धागे को पिरोता है तो उसे सुई का छेद ही नहीं दिखाई देता है। ये नज़र के कमजोर होने के सामान्य लक्षण हैं।
विभिन्न औषधियों से उपचार-
1. शहद :
  • लगभग 7 से 14 मिलीलीटर बकुल के पौधे के रस को शहद के साथ लेने से आंखों की रोशनी बढ़ जाती है।
  • धान का रस लगभग 10 से 15 मिलीलीटर को 5 से 10 ग्राम की मात्रा में शहद के साथ लेना चाहिए।
  • त्रिफला चूर्ण 4-5 ग्राम लेकर 15 से 25 ग्राम शहद के साथ दिन में 3 बार लेने से आंखों की रोशनी में वृद्धि होती है।
  • लगभग 12 से 24 ग्राम त्रिफला घृत, त्रिफला और यष्टीमधु मूल चूर्ण के साथ शहद में मिलाकर दिन में 2 बार लेना चाहिए।
  • 15 से 30 मिलीलीटर मेशश्रृंगी फल का काढ़ा 5 से 10 ग्राम शहद के साथ दिन में 2 बार लेना चाहिए।
2. घी :
  • आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए गाय का ताजा घी और मिश्री मिलाकर खाएं। घी खाना भी आंखों के लिए लाभकारी होता है।
  • गाय के ताजे घी में देशी खांड और कालीमिर्च को रोजाना सुबह खाली पेट 1-2 चम्मच सेवन करने से आंखों की रोशनी तेज होती है।
  • लगभग 15 से 30 मिलीलीटर त्रिफला का काढ़ा 5 से 10 ग्राम घी के साथ दिन में 3 बार सेवन करने से आंखों के रोगों में आराम मिलता है।
3. मेंहदी :
  • 10 ग्राम जीरा और 10 ग्राम मेंहदी दोनों को बराबर मात्रा में कूटकर रात में गुलाब जल में भिगो दें, इसे सुबह के समय छानकर स्वच्छ शीशी में रख लें और एक ग्राम भूनी हुई फिटकरी को बारीक पीसकर मिला लें। इसे थोड़ी मात्रा में आंखों में डालने से आंखों की ललाई दूर होती है।
  • मेहंदी के हरे पत्तों को पीसकर पेस्ट बना लें, रात्रि में इसकी टिकिया को आंखों पर बांधकर सोने से आंखों की पीड़ा और लालिमा ठीक हो जाती है।
4. चमेली : आंखों को बंद करके उसके ऊपर चमेली के फूलों को पीसकर लेप करने से आंखों के दर्द में आराम मिलता है।
5. मक्खन :
  • गाय के दूध का मक्खन आंखों पर लगाने से आंखों की जलन दूर होती है।
  • यदि खुरासानी का दूध या भिलावा आंख में पड़ गया हो तो गाय के दूध के मक्खन को आंख में काजल की तरह लगाना लाभकारी होता है।
6. मकोय : पिल्ल रोग (आंखों का चौंधियाना) वालों की आंखों को ढककर, आंखों को इसके घी चुपड़े फलों की धूनी देने से कीड़े बाहर निकल आते हैं।
7. सेंधानमक : सेंधानमक, हर्र, फिटकरी और अफीम को मिलाकर उसका  लेप आंख के बाहर चारों ओर लगाने से लाभ होता है।
8. रीठा : सरल अभिष्यंद (मोतियाबिंद) में रीठे के फल को पानी में उबालकर इस पानी को पलकों के नीचे रखने से लाभ होता है।
9. आक (मदार) :
  • पिसी हुई आक की जड़ की सूखी छाल 1 ग्राम को 20 मिलीलीटर गुलाबजल में 5 मिनट तक रखकर छान लें। इसके बाद इसे बूंद-बूंद करके आंखों में डालने से (3 या 5 बूंद से अधिक न डालें) आंखों की लाली, भारीपन, दर्द, कीचड़ की अधिकता और खुजली दूर हो जाती है।
  • आक की जड़ की छाल को जलाकर कोयला कर लें और इसे थोड़े पानी में घिसकर नेत्रों के चारों ओर लगाने से पलकों की सूजन आदि मिटती है।
  • यदि बाईं आंख में तेज दर्द हो तो दाहिने पैर के नाखूनों को तथा यदि दाई आंख में तेज दर्द हो तो बांये पैर के नाखूनों को आक के दूध से गीला करना चाहिए।
नोट : आक का दूध आंख में भूलकर भी नहीं लगाना चाहिए। इसका दूध आंखों में पड़ जाने से आंखों की रोशनी हमेशा के लिए चली जाती है।
10. धतूरा :  धतूरे के ताजे पत्तों का रस आंखों पर लेप करने से ललाई फट जाती है तथा सूजन और जलन समाप्त हो जाती है।
11. हरी दूब :
  • सुबह के समय हरी दूब में नंगे पैर चलने से आंखों की रोशनी बढ़ जाती है।
  • ताजी दूब को महीन पीसकर 2 चपटी गोलियां बना लें। इन गोलियों को आंखों की पलकों पर रखने से आंखों की जलन और दर्द समाप्त हो जाता है।
12. जीरा : जीरे को प्रतिदिन खाने से गर्मी दूर होती है और आंखों की रोशनी भी बढ़ती है।
13. दूध :
  • आंखों के अंदर तिनका या कोई अन्य चीज गिर जाए तथा वह निकल न रही हो तो आंखों में दूध की 3 बूंदे डालें। दूध की चिकनाहट से आंखों में पड़ी चीज आंख से बाहर निकल जाएगी।
  • आंखों में चोट लगी हो, आंखे जल गई हो, मिर्च-मसाला गिरा हो, कोई कीड़ा गिर गया हो, दर्द होता हो तो रूई के फाहे को दूध में भिगोकर आंखों पर रखने से आराम मिलता है। इसके साथ ही दो बूंद दूध आंखों में डालने से भी लाभ होता है।
14. मेथी : मेथी के दानों को अच्छी तरह धो लें फिर इसे पीसकर आंखों के नीचे लेप कर लें। ऐसा करने से आंखों के आसपास का कालापन दूर हो जाता है।
15. गेहूं : गेहूं के 100 ग्राम आटे में 100 ग्राम देशी साबुत चने का आटा मिला दें फिर स्वाद के अनुसार उसमें नमक और जीरा मिला दें। इस प्रकार के आटे से बनी रोटी तो अधिक स्वादिष्ट होती है। इसके सेवन से आंखों की रोशनी भी बढ़ती है। रतौंधी में इससे बहुत ही लाभ होता है।
16. अडूसा (वासा) : इसके दो-चार फूलों को गर्म कर आंखों पर बांधने से आंख के गोलक की पित्तशोथ (सूजन) दूर होती है।
17. गिलोय :
  • लगभग 10 मिलीलीटर गिलोय के रस में 1-1 ग्राम शहद और सेंधानमक को मिलाकर खूब अच्छी तरह से गर्म करके आंखों में लगाने से तिमिर, पिल्ल (चौंधियाना), बवासीर, खुजली, लिंगनाश एवं शुक्ल तथा कृष्ण पटल गत आदि सारे आंखों के रोग दूर हो जाते हैं।
  • गिलोय के रस में त्रिफला को मिलाकर काढ़ा बनाकर इसे पीपल के चूर्ण और शहद के साथ सुबह-शाम सेवन करने से आंखों की रोशनी बढ़ जाती है।
18. इमली : इमली के हरे पत्तों और एरण्ड के पत्तों को आंच में गर्म करें। इसके बाद उसे कपड़छन करके रस को निकालकर उसमें फूली हुई फिटकरी और चने के एक दाने के बराबर अफीम तांबे के बर्तन में घोंटे और उसमें कपड़ा भिगोकर आंखों में रखें। इससे आंखों के दर्द में लाभ होता है।
19. गोरखमुंडी :
  • गोरखमुंडी की 1 मुंडी को सुबह खाली पेट 7 दिनों तक साबुत निगल जाने से 3-4 सालों तक आंखों में कोई रोग नहीं होता है।
  • हर 2 साल अप्रैल के महीने में 4-5 मुंडी के ताजे फल को दांत से चबाकर पानी के घूंट के साथ पी लें। इससे मनुष्य की आंख की तंदुरुस्ती और रोशनी हमेशा कायम रहती है।
20. गुलाबजल : गुलाबजल डालने से आंखों की रोशनी बढ़ती है तथा आंखें ठीक रहती हैं। आंखों पर गुलाबजल के छीटें मारने से या रूई का फोया गुलाबजल में भिगोकर आंखों पर रखने से आंखों के दर्द में लाभ होता है। आंखों की लाली और सूजन कम होती है। आंखों के रोग दूर होते हैं। आंखों के दर्द और जलन में तुरंत आराम मिलता है।
21. गुलाब : काले सुरमे के साथ ताजे गुलाब के फूलों के रस को आंखों में डालने से आंखों की जलन कम हो जाती है और आंखों की रोशनी भी बढ़ जाती है।
22. गूलर : गूलर के दूध को आंखों पर लेप करने से आंखों का दर्द दूर होता है।
23. नींबू :
  • नींबू के रस को लोहे की खरल में, लोहे के दस्ते से तब तक घोंटे जब तक कि रस काला न पड़ जाये, इसके बाद इस रस को आंखों के आसपास पतला-पतला लेप करने से आंखों की पीड़ा मिट जाती है।
  • नींबू के रस में अफीम को मिलाकर लोहे के तवे पर पीसकर लेप करना चाहिए।
  • कटे हुए नींबू के आधे भाग को लोहे के जंग पर रगड़कर पीले कपड़े में पोटली बनाकर आंखों पर घुमाने से आंखों की खुजली तथा लाली नष्ट हो जाती है।
  • लौंग, कालीमिर्च और हरे कांच की चूड़ी को नींबू के रस व पानी के साथ बारीक पीसकर अंजन (काजल) करने से फूली और जाला में लाभ मिलता है।
24. शतावर : लगभग 15 से 25 ग्राम शतावरी से सिद्ध किया 100-200 मिलीलीटर दूध अदरक के रस के साथ दिन में 2 बार देना चाहिए।
25. शीशम : शीशम के पत्तों के रस को शहद में मिलाकर इसकी बूंदे आंखों में डालने से आंखों का दर्द ठीक होता है।
26. ब्राह्मी :
  • 3 से 6 ग्राम ब्राह्मी के पत्तों को घी में भूनकर सेंधानमक के साथ दिन में 3 बार लेना चाहिए।
  • 3-6 ग्राम ब्राह्मी के पत्तों का चूर्ण भोजन के साथ दिन में सुबह 1 बार लें।
27. भांगरा :
  • भांगरा के पत्तों का महीन चूर्ण 10 ग्राम, शहद 3 ग्राम, गाय का घी 3 ग्राम, रोजाना सोते समय रात में 40 दिनों तक सेवन करने से दृष्टिमांद्य (आंखों की रोशनी का कम होना) आदि सभी प्रकार के नेत्र रोगों में लाभ मिलता है।
  • भांगरा के पत्तों का रस 2 बूंद सूर्योदय से 1 घंटे के अंदर या सूर्यास्त से 1 घंटे से पूर्व आंखों में डालते रहने से आंख की फूली आदि नेत्र रोग शीघ्र ही ठीक हो जाते हैं।
  • भांगरा के 2 लीटर रस में, मुलेठी का चूर्ण 50 ग्राम, तिल का तेल 500 मिलीलीटर और गाय का दूध 2 लीटर मिलाकर धीमी आग पर पकायें, तेल शेष रहने पर इसे छानकर रख लें। इसे आंखों में लगाने से तथा नाक के द्वारा लेने से नेत्र शीघ्र ही अच्छे होते हैं। इससे खोई हुई आंखों की रोशनी वापस लौट आती है।
  • भांगरा के पत्तों की पुल्टिश बनाकर आंखों पर बांधने से आंखों का दर्द नष्ट होता है।
28. नीम :
  • जिस आंख में दर्द हो उसके दूसरी ओर के कान में नीम के कोमल पत्तों का रस गर्म करके 2-2 बूंद टपकाने से आंख और कान का दर्द कम हो जाता है।
  • नीम के पत्तों और लोध्र को बराबर मात्रा में पीसकर चूर्ण बना लें, फिर इस पोटली को पानी में भीगने दें। बाद में इस पानी को आंखों में डालने से आंखों की सूजन कम होती है।
  • नीम के पत्तों और सोंठ को पीसकर थोड़ा-सा सेंधानमक मिलाकर गर्म कर लें और रात के समय एक कपडे की पट्टी रखकर 2 से 3 दिन आंखों पर बांधने से आंखों के ऊपर की सूजन के साथ दर्द और भीतरी खुजली समाप्त हो जाती है। ध्यान रहे कि रोगी को शीतल पानी और शीतवायु से आंखों को बचाना चाहिए।
  • 500 ग्राम नीम के पत्तों को 2 मिट्टी के बर्तनों के बीच कण्डों की आग में रख दें। शीतल होने पर अंदर की राख का 100 मिलीलीटर नींबू के रस में मिलाकर सूखा लें। इसका अजंन (काजल) लगाने से आंखों के रोगों में लाभ मिलता है।
  • नीम के कोमल पत्तों का रस थोड़ा-सा गुनगुना करके जिस आंख में दर्द हो उसकी दूसरी ओर के कान में डालें। यदि दोनों आंखों में दर्द हो तो दोनों कानों में डाल दें।
  • 50 ग्राम नीम के पत्तों को पानी के साथ बारीक पीसकर टिकिया बनाकर सरसों के तेल में पका लें। जब यह जलकर काली हो जाए तब उसे उसी तेल में घोंटकर उसमें 500 ग्राम कपूर तथा 500 ग्राम कलमीशोरा मिला लें। इसके बाद इसे अच्छी तरह से घोंटकर कांच की शीशी में भर लें, रात को आंखों में काजल करने तथा सुबह त्रिफला को पानी के साथ सेवन करने से आंखों की जलन, लालिमा, जाला और धुन्ध आदि दूर हो जाते हैं तथा रोशनी बढ़ जाती है।
  • नीम की कोपलें 20 पीस, जस्ता भस्म 20 ग्राम, लौंग के 6 पीस, छोटी इलायची के 6 पीस और मिश्री 20 ग्राम को एकत्रित करके खूब बारीक करके सुर्मा बनाकर थोड़ा-थोड़ा सुबह-शाम लगाने से आंखों से धुंधला दिखाई देना ठीक होता है।
  • 10 ग्राम साफ रूई पर 20 नीम के सूखे पत्तों को बिछाकर एक ग्राम कपूर का चूर्ण छिड़ककर रूई को लपेटकर बत्ती बना लें। इस बत्ती को 10 ग्राम गाय के घी में भिगोकर इसका काजल बनाकर, रात को लगाने से आंखों की रोशनी बढ़ जाती है।
  • नीम के पत्तों के रस को गाढ़ा कर अंजन (काजल) के रूप में लगाते रहने से आंखों की खुजली, बरौनी (आंखों की पलकों के बाल) के झड़ने में लाभ होता है।
  • नीम के ताजे पत्ते पीसकर, निचोड़कर इसे पलकों पर लगाने से पलकों के बाल झड़ना बंद हो जाते हैं।
29. अनन्तमूल :
  • अनन्तमूल की जड़ को बासी पानी में घिसकर नेत्रों में लगाने से या इसके पत्तों की राख कपड़े में छानकर शहद के साथ आंखों में लगाने से आंख की फूली कट जाती है।
  • अनन्तमूल के ताजे मुलायम पत्तों को तोड़ने से जो दूध निकलता है उसमें शहद को मिलाकर आंखों में लगाने से नेत्र रोगों में लाभ होता है।
  • अनन्तमूल से बने काढ़े को आंखों में डालने से या काढ़े में शहद को मिलाकर लगाने से नेत्र रोगों में लाभ होता है।
30. सौंफ :
  • सौंफ और मिश्री को थोड़ा सा लेकर पीसकर मिला लें। इसे एक बड़ा चम्मच भर सुबह-शाम पानी के साथ फांकने से धीरे-धीरे आंखों की रोशनी बढ़ने लगती है। इसको कम से कम 60 दिन लगातार सेवन करना चाहिए।
  • भोजन के पश्चात एक चम्मच सौंफ खाने से पाचनशक्ति और नेत्र ज्योति (आंखों की रोशनी) बढ़ती है तथा पेशाब खुलकर आता है।
  • रात्रि को सोते समय आधा चम्मच पिसे हुए सौंफ के चूर्ण में 1 चम्मच चीनी मिलाकर दूध के साथ लेने से आंखों की रोशनी बढ़ती है।
31. लता करंज :
  • करंज के बीजों के चूर्ण को पलाश के फलों के रस में 21 दिनों तक रखने के बाद सुखा लें और इसकी सलाईयां बना लें। इन सलाईयों को पानी में घिसकर आंखों में लगायें। इससे आंखों का फूलना बंद हो जाता है।
  • पित्त नेत्र रोग में (जब पलक लाल और रोम रहित हो जाये) लता करंज के 1 से 2 ग्राम बीजों की गिरी और तुलसी व चमेली की कलियां बराबर ले करके सबको मिलाकर कूट लें। इस कूट को इससे 8 गुने पानी में पकावें। थोड़ा पानी रह जाने पर छानकर पुन: दोबारा पकाकर गाढ़ा कर लें। इसके बाद इस काढे़ को पलकों पर लगाते रहने से पित्त नेत्र रोग में लाभ होता है।
32. लोध्र : लोध्र का लेप बनाकर आंखें बंद करके ऊपर से लगायें और एक घंटा बाद उसे साफ कर लें। इससे आंखों का रोग दूर होता है।
33. अनार :
  • अनार के पेड़ के पत्तों को पीसकर उसकी लुग्दी बनाकर आंखे बंद करके उस पर यह लुग्दी बनाकर रखने से आंखों का दर्द ठीक हो जाता है।
  • अनार के 5-6 पत्तों को पानी में पीसकर दिन में 2 बार लेप करने तथा पत्तों को पानी में भिगोकर उसकी पोटली बनाकर आंखों पर फेरने से आंखों के दर्द में लाभ होता है।
  • अनार के 8-10 ताजे पत्तों का रस किसी चीनी मिट्टी के बर्तन में कपड़े से छानकर रख दें और सूख जाने पर इसे सुबह-शाम किसी तिल्ली या सलाई द्वारा आंखों में लगायें, इससे खुजली, आंखों से पानी बहना, पलकों की खराबी आदि रोग दूर होते हैं।
34. लौंग : आंखों में दाने निकल आने पर लौंग को घिसकर लगाने से दाने बैठ जाते हैं।
35. नारियल : नारियल की सूखी गिरी 25 ग्राम और शक्कर (चीनी) 60 ग्राम को मिलाकर रोजाना 1 सप्ताह तक खाने से लाभ पहुंचता है।
36. सिरस :
  • सिरस के पत्तों के रस का अंजन (काजल) करने से आंखों का दर्द समाप्त हो जाता है।
  • रतौंधी के अंदर सिरस के पत्तों का काढ़ा पिलाने से और इसके स्वरस का अंजन करने से लाभ होता है।
  • सिरस के पत्तों के रस में कपड़ा भिगोकर सुखा लें। इसे 3 बार भिगोयें और सुखायें। फिर कपड़े की बत्ती बनाकर चमेली के तेल में जलाकर सुखा लें। इसके बाद इसे काजल के समान आंखों में लगाने से आंखों की रोशनी बढ़ती है।
37. पानी :
  • जब आंख लाल हो, गर्मी बढ़ गई हो, आंख में सूजन हो तो बार-बार ठंडा पानी या गुलाबजल या बर्फ को कपड़े में रखकर आंखों के ऊपर फेरना चाहिए। इस प्रकार के ठंडे प्रयोग से आंख की छोटी धमनियों व शिराओं में संकोचन (सिकुड़ना) उत्पन्न होकर गर्म, प्रदाह (जलन) आदि ठीक हो जाते हैं। शोथ (सूजन) में ठंडे पानी से सिंकाई करने से सूजन जल्दी कम हो जाती है। यदि पीव (पस) पैदा हो गई तो ठंडे पानी की सिंकाई ज्यादा नहीं करनी चाहिए।
  • आंख की भौंहों व आंख के चारों ओर दर्द होने पर विवर प्रदाह (जलन) होती है। जिस ओर की आंख में दर्द हो, उस ओर की नाक के नथुने से भगौने में उबलते पानी की भाप को नाक से अंदर लेना चाहिए। जैसे दायीं ओर की आंख पर दर्द हो तो दायें नथुने से भाप अंदर खींचे और दोनों आंखों में दर्द हो तो दोनों नथुनों (नाक के छेदों में) से भाप अंदर खींचें तो आराम होगा।
  • कपड़े को 5 बार मोड़कर 2 इंच की गोल गद्दी बना लें फिर उसे पानी में भिगोकर ठंडा कर लें तथा पलक बंद करके अदल-बदल कर पलकों पर रखें। बर्फ न होने पर ठंडे पानी से सिंकाई करें।
38. पलास : पलास की ताजी जड़ का एक बूंद रस आंखों में डालने से आंख की झांई, खील, फूली मोतियाबिंद और रतौंधी (रात में न दिखना) आदि सभी तरह के आंखों के रोग खत्म हो जाते हैं।
39. तेजपात : तेजपत्ते को पीसकर आंख में लगाने से आंख का जाला और धुंध मिट जाती है। आंख में होने वाला नाखूना रोग भी इसके प्रयोग से कट जाता है।
40. तिल : तिल के फूलों पर ठंडी ऋतु में पड़ी ओस की बूंदों को मलमल के कपड़े या किसी और प्रकार से उठाकर शीशी में भरकर रख लें। इन ओस के कणों को आंख में टपकाते रहने से आंखों के सभी प्रकार के रोग मिट जाते हैं।
41. त्रिफला : त्रिफला को शाम को पानी में डालकर भिगो दें। सुबह उठकर छान लें और इसी पानी से आंखों को धोने से हर प्रकार की आंखों की बीमारियां मिट जाती हैं।
42. पुनर्नवा :  पुनर्नवा की जड़ को घी में डालकर अंजन (काजल) बनाकर आंखों में दिन में 2 बार लगाने से लाभ होता है।
43. राई : आंख की पलकों पर फुन्सी होने पर राई के चूर्ण को घी में मिलाकर लेप करने से जल्द राहत मिलती है।

44. बेर :
  • आंखों से पानी बहने पर बेर की गुठली घिसकर लगाना चाहिए इससे लाभ होता है।
  • बेर के बीजों को पानी में घिसकर दिन में 2 बार लगभग 1-2 महीने तक लगाने से आंखों से पानी बहना बंद होता है, इससे आराम मिलता है।

aankh aana आंख आना, CONJUNCTIVITIS



आंख आना, नेत्राभिष्यन्द

(CONJUNCTIVITIS)


       आंखों का लाल होना, आंखों में कुछ अटका हुआ महसूस होना और दर्द होना ही इस रोग के मुख्य लक्षण हैं। इस रोग में आंखों को खोलने से भी दर्द होता है। आंखों पर ज्यादा रोशनी पड़ने से या ज्यादा बोझ डालने से दर्द और बढ़ जाता है। इस रोग के बढ़ने से आंखों से पानी निकलने लगता है और गाढ़ा-गाढ़ापरिचय
:

पदार्थ भी निकलता है जिसे गीढ़ (कीचड़) कहते हैं। यह कीचड़ रात में ज्यादा निकलने से पलकें चिपक जाती हैं।

कारण :

   छोटे बच्चे आंखों के रोग की बीमारी से ज्यादा पीड़ित होते हैं क्योंकि छोटे बच्चे धूप या किसी चीज की परवाह किये बिना देर तक खेलते रहते हैं चाहे सर्दी हो या गर्मी उन्हें किसी की परवाह नहीं होती है। इसी कारण से बाहर खेलते समय धूल-मिट्टी के कण आंखों में गिर जाने की वजह से आंखों में दर्द होता है और सूजन आ जाती है। वायु प्रदूषण से आंखों को बहुत नुकसान होता है। सड़क पर गाड़ियों के जहरीले धुंए से भी आंखों में विभिन्न प्रकार के रोग उत्पन्न होते हैं।

लक्षण :

    यह संक्रामक (छूने से फैलने वाला) रोग है यह एक बच्चे से दूसरे बच्चे में तेज गति से फैलता है। घर में किसी रोगी के तौलिए या रूमाल के इस्तेमाल से भी आंखों में रोग फैलता है। इस रोग में आंखों में सूजन आ जाती है और आंखें लाल हो जाती हैं। पलकों के किनारे पर कीचड़ दिखाई देता है। सूरज की रोशनी में रोगी बच्चे को आंखों को खोलने मे बहुत दर्द और जलन महसूस होती है जब कोई रोगी बच्चा रात को सोकर सुबह उठता है तो पूय (गीढ़, कीचड़) के कारण उसकी पलकें खुल नहीं पाती हैं और पलके पूय (गीढ़) से चिपक जाती हैं। आंखों में सूजन होने से बच्चे रात को सो नहीं पाते हैं। बच्चों को ऐसा लगता है कि आंखों में कुछ गिर गया है। रोगी को सिरदर्द भी होता है। आंखों के आगे अंधेरा फैलने लगता है।

विभिन्न औषधियों से उपचार:

1. शहद :
  • 1 ग्राम पिसे हुए नमक को शहद में मिलाकर आंखों में सुबह-शाम लगाने से आंख आने की बीमारी में आराम मिलता है।
  • चंद्रोदय वर्ति (बत्ती) को पीसकर शहद के साथ आंखों में लगाने से आंखों के रोग दूर होते हैं।
  • सोना मक्खी को पीसकर और शहद में मिलाकर आंखों में सुबह-शाम लगाने से आंख आने के रोग में लाभ होता है।
2. जायफल : जायफल को पीसकर दूध में मिलाकर आंखों में सुबह-शाम लगाने से बीमारी में राहत मिलती है।
3. हल्दी :
  • 10 ग्राम हल्दी को लगभग 200 मिलीलीटर पानी में उबालकर छान लें, इसे आंखों में बार-बार बूंदों की तरह डालने से आंखों का दर्द कम होता है। इससे आंखों में कीचड़ आना और आंखों का लाल होना आदि रोग समाप्त हो जाते हैं। इसके काढे़ में पीले रंग से रंगे हुए कपड़े का प्रयोग जब आंख आये तब करें। उस समय इस कपडे़ से आंखों को साफ करने से फायदा होता है।
  • हल्दी को अरहर की दाल में पकायें और छाया में सुखा लें उसे पानी में घिसकर, शाम होने से पहले ही दिन में 2 बार आंखों में जरूर लगायें। इससे झामर रोग, सफेद फूली और आंखों की लालिमा में लाभ होता है।
4. मुलहठी :
  • मुलहठी को पानी में डालकर रख दें। 2 घंटे के बाद उस पानी में रूई डुबोकर पलकों पर रखें। इससे आंखों की जलन और दर्द दूर हो जाता है।
  • आंख आने पर या आंखों के लाल होने के साथ पलकों में सूजन आने पर मुलहठी, रसौत और फिटकरी को एक साथ भूनकर आंखों पर लेप करने से बहुत आराम आता है।
5. धनिया : धनिये का काढ़ा तैयार करके अच्छी तरह से छान लें। अब इस काढ़े को बूंद-बूंद करके हर 2-3 घंटों में आंखों में डालें। इससे आंखों को आराम मिलता है। इस काढ़े को आंखों में डालने की शुरुआत करने से पहले आंखों में एक बूंद एरण्ड तेल (कैस्टर आयल) डाल लें। यह आंख आने और आंखों के दर्द की बहुत लाभकारी दवा है।
6. सत्यानाशी :
  • सत्यानाशी (पीले धतूरे) का दूध, गोघृत (गाय के घी) के साथ आंखों में लगाने से लाभ होता है। यह दूध हर समय नहीं मिलता इसलिए जब यह दूध मिले तो तब इस दूध को इकट्ठा करके सुखाकर रख लें। इसके बाद जरूरत पड़ने पर इसे गोघृत (गाय के घी) में मिलाकर काजल की तरह आंखों में लगाने से आंख आने का रोग दूर होता है।
  • सत्यानाशी (पीला धतूरा) का दूध निकालकर किसी सलाई की मदद से आंखों में लगाने से आंखों की सूजन और दर्द दूर होता है।
7. ममीरा : ममीरा को पीसकर पलकों पर लगाने से आंखों के सभी रोगों में लाभ होता है। 
8. अर्कपुष्पी : आंख आने में अर्कपुष्पी (छरिवेल) की जड़ को पीसकर पलकों पर लेप करने से आंखों के रोगों में आराम मिलता है।
9. पाथरचूर :
  • पाथरचूर (पाषाण भेद की एक जाति पाथरचूर से अलग) का रस पलकों पर लगाने से आंखों से पानी बहने के समय का दर्द कम होता है।
  • पाथरचूर (सिलफड़ा) को पीसकर शहद में मिलाकर आंखों में लगाने से पूरा आराम मिलता है।
10. रसौत :
  • रसौत को पानी में घोलकर आंखों की पलकों पर लगाने से काफी लाभ होता है। नेत्राभिष्यन्द या आंख आने का रोग नया हो या पुराना इससे जरूर लाभ होगा। रसौत के घोल में अफीम, सेंधानमक और फिटकरी को मिलाकर भी लेप किया जा सकता है।
  • रसौत को घिसकर रात को सोते समय आंखों की पलकों पर लेप करने से लाभ होता है।
11. बेल : नेत्राभिष्यन्द या आंख आने पर लगभग 7 मिलीलीटर की मात्रा में बेल के पत्तों के रस को रोगी को सुबह-शाम पिलायें और उसके पत्तों का लेप बनाकर पलकों पर लगायें। इससे आंखों को आराम मिलता है।
12. सुहागा : आंख आने पर सुहागा और फिटकरी को एक साथ पानी में घोल बनाकर आंख को धोयें और बीच-बीच में बूंद-बूंद (आई ड्राप्स) की तरह प्रयोग करें। इससे बहुत जल्दी लाभ होता है।
13. बकरी का दूध : आंखों के लाल होने पर मोथा या नागरमोथा के फल को साफ करके बकरी के दूध में घिसकर आंखों में लगाने से आराम आता है।
14. चाकसू : नेत्राभिष्यन्द या आंख आने पर चाकसू के बीजों को गूंथे हुए आटे के अंदर रखकर गर्म राख में रख दें और बाद में निकालकर बीज के छिलके हटाकर बारीक चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को 60 मिलीग्राम की मात्रा में आंखों में लगाने से पूययुक्त नेत्राभिष्यन्द या आंख आना ठीक हो जाता है।
15. फरहद :
  • आंख आने में फरहद की छाल को बारीक पीसकर पाउडर के रूप में पलकों पर लगाने से पूरा आराम मिलता है।
  • फरहद की खाल के अंदर के भाग पर घी लगाकर घी के दिये को जलाकर जमी राख को आंखों में काजल की तरह लगाने से आंखों के रोग दूर होते हैं। स्वस्थ आंखों में लगाने से आंखों में किसी भी प्रकार के रोग होने की संभावना ही नहीं रहती है।
16. वेदमुश्क के फूल : वेदमुश्क के फूलों के रस में कपड़ा भिगोकर आंखों पर रखने से नेत्राभिष्यन्द या आंख आना में लाभ होता है।
17. हरिद्रा : नेत्राभिष्यन्द (आंख आने) में घीकुआंर का रस और हरिद्रा अथवा एलुवा (मुसब्बर) और हरिद्रा मिलाकर पलकों पर लेप करने से लाभ होता है।
18. रक्त पुनर्नवा की जड़ : गदहपुरैना की जड़ (रक्त पुनर्नवा की जड़) को पीसकर शहद में मिलाकर रोजाना 2 से 3 बार आंखों में लगायें। इससे नेत्राभिष्यन्द (आंख आने) के रोग में आराम आता है।
19. अनन्तमूल : अनन्तमूल का दूध आंखों में डालने से नेत्राभिष्यन्द या आंख आना में लाभ होता है।
20. गुलाबजल :
  • आंखों को साफ करके गुलाब जल की बूंदें आंखों में डालने से आंखों के रोग समाप्त हो जाते हैं।
  • गुलाबजल आंखों में डालने से आंखों की जलन और किरकिरापन (आंखों में कुछ चुभना) भी दूर हो जाता है।
21. चमेली : नेत्राभिष्यन्द (आंख आने) पर कदम के रस में चमेली के फूलों को पीसकर पलकों पर लेप करने से रोगी को लाभ होता है।
22. अगस्त के फूल : अगस्त के फूल और पत्तों का रस नाक में डालने से आंखों में आराम आता है।
23. बेर : बेर की गुठली को पीसकर गर्म पानी से अच्छी तरह से छानकर आंखों में डालने से नेत्राभिष्यन्द और आंखों का दर्द ठीक हो जाता है।
24. निर्मली के बीज : निर्मली के बीजों को पानी के साथ पीसकर आंखों में लगाने से आंखों का लाल होना और नेत्राभिष्यन्द ठीक हो जाता है।
25. कुंगकु : 20 से 40 मिलीलीटर कुंगकु की छाल का काढ़ा सुबह-शाम सेवन करने से आंखों के कई रोगों में फायदा होता है।
26. बबूल : बबूल की पत्तियों को पीसकर टिकिया बना लें और रात के समय आंखों पर बांध लें सुबह उठने पर खोल लें। इससे आंखों का लाल होना और आंखों का दर्द आदि रोग दूर हो जायेंगे।
27. मक्खन : लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग की मात्रा में स्वर्ण बसन्त मालती सुबह-शाम मक्खन-मिश्री के साथ सेवन करने से आंख आना, आंखों में कीचड़ जमना और आंखों की रोशनी कमजोर होना आदि रोग दूर होते हैं।
28. बोरिक एसिड पाउडर : बोरिक एसिड पाउडर को पानी में मिलाकर आंखों को कई बार साफ करने से आंखों के अंदर की पूय (मवाद) और धूल मिट्टी साफ हो जाती है।   
29. मिश्री : लगभग 6 से 10 ग्राम महात्रिफला और मिश्री को घी में मिलाकर सुबह-शाम रोगी को देने से गर्मी के कारण आंखों में जलन, आंखें ज्यादा लाल हो जाना, आंखों की पलकों का सूज जाना और रोशनी की ओर देखने से आंखों में जलन होना आदि रोग दूर होते हैं। इसके साथ ही त्रिफला के पानी से आंखों को धोने से भी आराम आता है।
30. फिटकरी : फिटकरी का टुकड़ा पानी में डुबोकर पानी की बूंदें आंखों में रोजाना 3 से 4 बार लगाने से लाभ मिलता है।
31. त्रिफला : 4 चम्मच त्रिफला का चूर्ण 1 गिलास पानी में भिगों दें। फिर उस पानी को अच्छी तरह से छानकर आंखों पर छींटे मारकर आंखों को दिन में 4 बार धोने से आंखों के रोगों में लाभ होता है।
32. बरगद : बरगद का दूध पैरों के नाखूनों में लगाने से आंख आना ठीक होता है।
33. दूध : मां के दूध की 1-2 बूंदे बच्चे की आंखों में डालने से आंखों के रोगों में लाभ होता है।
34. आंवला : आंवले का रस निकालकर उसे किसी कपडे़ में छानकर  रख लें। इस रस को बूंद-बूंद करके आंखों में डालने से आंखों का लाल होना और आंखों की जलन दूर होती है।
35. गोक्षुर : गोक्षुर के हरे ताजे पत्तों को पीसकर पलकों पर बांधने से आंखों की सूजन और आंखों की लाली दूर होती है।
36. दूब : हरी दूब (घास) के रस में रूई के टुकड़े को भिगोकर पलकों पर रखने से आंख आना के रोग से छुटकारा मिलता है।
37. हरड़ : हरड़ को रात के समय पानी में डालकर रखें। सुबह उस पानी को कपड़े से छानकर आंखों को धोयें। इससे आंखों का लाल होना दूर होता है।
38. नीम :
  • नीम के पत्ते और मकोय का रस निकालकर पलकों पर लगाने से आंखों का लाल होना दूर होता है।
  • नीम के पानी से आंखें धोकर आंखों में गुलाबजल या फिटकरी का पानी डालें।
39. अडूसा : अड़ूसा के ताजे फूलों को हल्का सा गर्म करके पलकों पर बांधने से आंखों के दर्द होने की बीमारी दूर होती है।
40. तगर  : तगर के पत्तों को पीसकर आंखों के बाहरी हिस्सों में लेप करने से आंखों का दर्द बन्द हो जाता है।
41. बथुआ : आंखों की सूजन होने पर रोज बथुए की सब्जी खाने से लाभ होता है।