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कान के रोग kaan ke rog
कान के रोग
नहाते समय कान में पानी जाने की वजह से, चोट लग जाने के कारण, कानों में बहुत तेज आवाजें होने की वजह से, कानों के अन्दर ज्यादा मैल जमने की वजह से, कानों को किसी चीज से खुजलाने से, कानों में फुंसी होने की वजह से, ठड़ लग जाने के कारण, कान में कीड़ा घुस जाने के कारण कान से सम्बंधित कई प्रकार के रोग हो जाते हैं।परिचय :
विभिन्न भाषाओं मे नाम :
हिन्दी |
कान के रोग |
अंग्रेजी |
ईयर डिसीज |
पंजाबी |
कन्न दे रोग |
मराठी |
कान चे रोग |
बंगाली |
कर्नरोग |
मलयालम |
चेविरोगम् |
कन्नड़ |
किविया रोग |
तमिल |
चेविनाय कठुवालि |
अरबी |
कानावारोग। |
तेलगू |
चेविरोगामुलु |
सरसों के तेल में लहसुन डालकर गर्म कर लें और छान लें। इस तेल को कान में डालने से कान का जख्म, कान से मवाद बहना, कान का दर्द और जलन आदि रोग समाप्त हो जाते हैं।
सरसों के तेल को गर्म करके कान में डालने से कान में घुसा हुआ कीड़ा बाहर आ जाता है।
कान में मैल जमा होने पर रात को सोते समय सरसों का तेल डालकर रख लें। फिर सुबह उठने पर किसी तीली में रूई लपेटकर कान को साफ कर लें।
हफ्ते में एक बार खाना खाने से पहले कान में गुनगुने सरसों के तेल की 2-4 बूंदें डाल लें। ऐसा करने से कान में कभी भी कोई परेशानी नहीं होती। कानों के अन्दर तेल डालने से कान के अन्दर का मैल फूलकर बाहर निकल आता है। अगर 7 से 15 दिनों तक सुबह-शाम इस तेल की 2-3 बूंदें कान में डाली जायें तो कभी भी बहरेपन होने का डर नहीं रहता और दांत भी मजबूत रहते हैं।
लहसुन की 1 कली और 10 ग्राम सिंदूर को लगभग 60 ग्राम तिल के तेल में डालकर आग पर पकाने के लिये रख दें। पकने पर जब लहसुन जल जाये तो तेल को आग पर से उतारकर छान लें और शीशी में भर लें। इस तेल की 2 बूंदें रोजाना कान में डालने से कान में से मवाद बहना, कान में खुजली होना और कान मे अजीब-अजीब आवाजें सुनाई देना आदि रोग समाप्त हो जाते हैं।
लहसुन के तेल को गर्म करके कान में डालने से कान का दर्द दूर हो जाता है।
कान में ज्यादा तेज दर्द होने पर प्याज के रस में अफीम मिलाकर कान में डालने से कान का दर्द ठीक हो जाता है।
प्याज के रस को गुनगुना करके कान में डालने से कान का दर्द ठीक हो जाता है।
4 बड़े-बड़े प्याज को गर्म राख के अन्दर रखकर भून लें। फिर इसे पीसकर इसका रस निकाल लें। इसमें से 50 मिलीलीटर रस में भुना हुआ सुहागा, 1 ग्राम भुनी हुई फिटकरी और सरसों की 10 बूंदें डालकर मिला लें। इस तेल को गुनगुना करके रोजाना 2-2 बूंदें सुबह-शाम कान में डालने से कान के सभी रोग ठीक हो जाते हैं।
सन्निपात बुखार में या कान में पस (पीब) होने पर कान के मूल में सूजन आ जाती है। इस रोग को ठीक करने के लिए राई के आटे को सरसों के तेल या एरण्ड के तेल में मिलाकर लेप करने से लाभ मिलता है।
100 मिलीलीटर सरसों के तेल को गर्म करें और फिर राई और लहसुन 10-10 ग्राम महीन पीसकर इसमें डालें। फिर डेढ़ तोला कपूर डालकर ढक दें। ठंड़ा होने पर इसे छानकर किसी साफ बोतल में भरकर रख लें। इस तेल की 2 से 4 बूंद कान में डालने से कान का पकना, कान में पीब बनना तथा दर्द आदि कष्ट दूर हो जाते हैं।
मूली के पानी को तिल के तेल में जलाकर कान में 2-2 बूंद डालने से कान के दर्द में आराम मिलता है।
2 से 4 बूंद मूली की जड़ों का रस गर्म करके कान में 2 से 3 बार डालें। इससे कान का दर्द ठीक हो जाता है।
मूली का क्षार 3 मिलीलीटर, शहद 20 ग्राम दोनों को मिलाकर इसमें बत्ती भिगोकर कान में रखने से पीब (मवाद) का आना बन्द हो जाता है।
मूली के पत्तों से 30 मिलीलीटर तेल सिद्ध करके इसकी 2 से 4 बूंदें कान में टपकाने से कान की पीड़ा ठीक हो जाती है।
कान की सुनने की शक्ति कमजोर हो गई हो, तो मूली के रस में नींबू का रस मिला लें और उसे गुनगुना करके कान में ड़ालें और उल्टा लेट जाएं, ताकि कान की सिंकाई होने के बाद रस बाहर निकल जाए। इससे कान का मैल बाहर आ जाएगा और साफ सुनाई देने लगेगा।
शहद की 3-4 बूंद कान में डालने से कान का दर्द पूरी तरह से ठीक हो जाता है।
कान को अच्छी तरह से साफ करके उसमें रसौत, शहद और औरत के दूध को एक साथ मिलाकर 2-3 बूंदें रोजाना 3 बार कान में डालने से कान में से मवाद का बहना बन्द हो जाता है।
कान में बगई, कनखजूरा सदृश जीव-जन्तु घुस गया हो तो शहद और तेल मिलाकर उसकी कुछ बूंदें कान में डालने से लाभ मिलता है।
नीम के रस में बराबर मात्रा में शहद मिलाकर कान में 2-2 बूंद रोजाना 1 से 2 महीने तक डालने से लाभ मिलता है।
कान से पीब बहने पर नीम के तेल को शहद मिलाकर रूई की बत्ती को इसमें भिगोकर कान में रखने से आराम मिलता है।
नीम के तेल की बूंदें कान में डालने से कान में दर्द कम होता है और कान की फुंसी ठीक हो जाती है।
50 मिलीलीटर नीम के पत्तों का रस 50 मिलीलीटर तिल तेल में मिलाकर पकाएं। जब यह तेल के बराबर बच जाए तो इसे छानकर 3-4 बूंद को कान में डालने से लाभ मिलता है।
अनार के ताजे पत्तों का रस 100 मिलीलीटर, गौमूत्र (गाय का पेशाब) 400 मिलीलीटर, और तिल का तेल 100 मिलीलीटर, तीनों को धीमी आंच पर उबालते हैं जब केवल तेल बच जाए तो इसे छानकर रख लें। इसे गर्म करके सुबह-शाम कान में कुछ बूंदें डालने से कान की पीड़ा दूर हो जाती है।
अनार के पत्तों के रस में बराबर मात्रा में बेल के पत्तों का रस और गाय का घी मिलाकर गर्म कर लें। इसे लगभग 20 मिलीलीटर की मात्रा में लेकर उसमें 250 ग्राम मिश्री मिलाकर दूध के साथ सुबह-शाम लेने से बहरेपन में लाभ मिलता है।
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