मानसिक उन्माद (पागलपन)

मानसिक उन्माद (पागलपन)

            खाना न खाना, नींद न आना और मानसिक भ्रम आदि रोगी व्यक्ति में उत्पन्न पागलपन के लक्षण हैं। दिमागी परेशानी के कारण यदि नींद न आती हो तो मानसिक पागल होता है, संभोग पूरी तरह से न कर पाने के कारण कामोन्माद और प्यार में असफल होने के कारण प्रेमोन्माद होता है। इस रोग में रोगी की मानसिक स्थिति खराब हो जाती है जिससे वह अश्लील कार्य और अश्लील बातें करता रहता है। जब कभी भीतरी गर्मी प्रभाव अधिक होकर दिमाग पर पहुंचती है तो पागलपन का हल्का दौरा पड़ने लगता है। उस व्यक्ति को होश नहीं रहता है कि वह क्या कर रहा है। उसके मुंह से उल्टी-सीधी बातें निकलती रहती हैं। चेतना क्षीण होने लगती है और रोगी मानसिक पागलपन का शिकार होने लगता है।परिचय :

विभिन्न भाषाओं में नाम :


हिन्दी

पागलपन

अंग्रेज़ी

इन्सैनिट

अरबी

पागल

बंगाली

उन्माद

मलयालम

भरन्थु

मराठी

उन्माद, वेडला, गणे

पंजाबी

पगला

तमिल

वेरीनोय

तेलगू

उक्राल जाबा
            पागलपन का रोग मन, बुद्धि, दिल और दिमाग पर चोट लगने के कारण होता है। दूषित भोजन करना, विष अथवा विषैले पदार्थों का सेवन करना, दुश्मन के साथ अधिक दुश्मनी रखना, संभोग करने की इच्छा का बढ़ना, अधिक डर, दु:ख अथवा अधिक खुशी आदि कारणों से पागलपन उत्पन्न होता है। इसके अलावा मानसिक तनाव की अधिकता, अधिक चिन्ता और प्रेम में विश्वासघात का शिकार होने पर भी पागलपन उत्पन्न होता है। अधिक शराब, सिगरेट पीना, बुरे विचार रखना, अधिक मैथुन के द्वारा वीर्य नष्ट करना आदि कारणों से भी पागलपन का रोग होता है। इस रोग से पीड़ित रोगी को अपने मस्तिष्क पर नियंत्रण नहीं रहता है और बुद्धि नष्ट हो जाती है।
            पागलपन के रोग में रोगी की बुद्धि नष्ट होने के कारण वह भ्रमित रहता है, आंखे इधर-उधर घूमती है, सोचने की शक्ति खत्म हो जाती है, साहस नष्ट हो जाता है, वह हर समय डरा-डरा से रहता है, कुछ न कुछ बड़बड़ाता रहता है, बिना किसी कारण के हंसने व रोने लगता है। इसके अलावा अधिक बोलना, हाथ-पांवों को इधर-उधर फेकना, नाचना, गाना, निर्लज्जता, बिना वस्त्र पहने घूमना, क्रोध करना, निरन्तर पानी पीने की इच्छा, शरीर में पीलापन, मुंह से लार बहना, उल्टी होना, गन्दगी की पहचान न होना, मांस और शक्ति का खत्म होना आदि पागलपन रोग के लक्षण हैं।
1. अनार :
2. अमरूद :
3. ब्राह्मी :
4. अजवायन : आधा चम्मच अजवायन को चार मुनक्का के साथ पीसकर आधा कप पानी में घोलकर प्रतिदिन 2 बार लेने से पागलपन या उन्माद नष्ट हो जाता है।
5. सीताफल : सीताफल की जड़ का चूर्ण पागलपन में देना बेहद लाभकारी होता है।
6. अतीस : एक ग्राम अतीस के चूर्ण को 3-4 गुड़हल के फूलों के साथ पीसकर रस निकालकर सुबह-शाम नियमित रूप से कुछ दिन सेवन कराने से रोग दूर होता है।
7. तुलसी : पागलनपन, जुकाम व निमोनियां में तुलसी के 15 पत्ते, 5 कालीमिर्च को पीसकर एक कप पानी में घोलकर प्रतिदिन सुबह-शाम पीने से मानसिक पागलपन दूर होता है।
8. चना :
9. कालीमिर्च :
10. तरबूज :
11. शंखपुष्पी (शंखाहूली) :
12. पेठा :
13. बच :
14. फिटकरी :
15. नारियल : कच्चे नारियल का पानी दिन में 2 बार देने से पागलपन का रोग में लाभ मिलता है।
16. सर्पगंधा (असरोल बूटी) :
17. अकीक : लगभग आधे ग्राम की मात्रा में अकीक भस्म (राख) को शहद मिलाकर सुबह-शाम पागलपन से पीड़ित रोगी को खिलाने से पागलपन दूर होता है।
18. धनिया : लगभग 10 से 20 ग्राम धनिये का चूर्ण सुबह-शाम पागलपन के रोगी को देने से संभोग की वजह से उत्पन्न पागलपन ठीक हो जाता है।
19. धतूरा :
20. हल्दी : हल्दी का धुंआ भूतोन्माद के रोगी को सुंघाने से लाभ मिलता है।
21. नींबू :
22. गिलोय : गिलोय के काढ़े को ब्राह्मी के साथ पीने से उन्माद या पागलपन दूर हो जाता है।
23. सफेद पेठा : पागलपन के रोग से पीड़ित रोगी की आंखें लाल हो जाए और नाड़ी की गति तेज हो जाए तो रोगी को पेठे का एक गिलास रस पिलाना चाहिए।
24. ताड़ : ताड़ के पेड़ की छाल का रस पागलपन के रोगी को पिलाने से उन्माद या पागलपन दूर होता है।
25. सरसों का तेल : पागलपन के रोग से पीड़ित रोगी को सरसों का तेल सुंघाने और सिर पर मालिश करने से पागलपन दूर होता है।
26. बेल : पागलपन के रोगी को बेल की जड़ की छाल का काढ़ा बनाकर पिलाने से हृदय की तेज धड़कन सामान्य बनती है और पागलपन दूर होता है।
27. मुर्गा : मुर्गा के बालों को जलाकर नाक में उसका धुंआ देने से पागलपन ठीक होता है।
28. पारा : लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग पारे की भस्म (राख) को गाय के मक्खन के साथ मिलाकर पागलपन के रोगी को खिलाने से लाभ होता है।
29. कायफल : कायफल, तिल का तेल और करंजवा को मिलाकर उन्माद के रोगी की नाक में डालने से पागलपन दूर हो जाता है।
30. रेवन्दचीनी : रेवन्दचीनी को पानी में पीसकर बादी के पागलपन से पीड़ित व्यक्ति के दोनों कंधों के बीच में लेप करने से पागलपन दूर हो जाता है।
31. खस : खस के रस में चीनी मिलाकर पिलाने से गर्मी के कारण हुआ पागलपन ठीक हो जाता है।
32. चम्पा के फूल : चम्पा के 4 ताजे फूल को 20 ग्राम शहद में पीसकर रोगी को चटाने से पित्त के कारण हुआ पागलपन ठीक होता है।
33. शहतूत : शहतूत के शर्बत के साथ ब्राह्मी को मिलाकर पागलपन के रोगी को देने से गर्मी के कारण हुआ पागलपन दूर हो जाता है।
34. सेब : सेब के शर्बत में ब्राह्मी का चूर्ण मिलाकर पागलपन के रोगी को पिलाने से गर्मी के कारण हुआ पागलपन ठीक हो जाता है।
35. अफीम : पागलपन के रोग से पीड़ित रोगी को अफीम थोड़ी मात्रा में खिलाने से घबराहट दूर होती है।
36. हरसिंगार : गर्मी की घबराहट को दूर करने के लिए हरसिंगार के सफेद फूलों का गुलकन्द सेवन करना चाहिए।
37. तेजपत्ता : तेजपत्ते को पानी के साथ पकाकर खाने से सर्दी के कारण हुआ पागलपन दूर हो जाता है।
38. खिरैंटी : लगभग 35 ग्राम सफेद फूल वाली खिरैंटी का चूर्ण और लगभग 10 ग्राम पुनर्नवा की जड़ के चूर्ण को दूध में पकाकर ठंड़ा करके सुबह पीने से पुराना पागलपन भी ठीक होता है।
39. लहसुन : लहसुन का रस, तगर, सिरस के बीज, मुलहठी और बच बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बनाकर रख लें और इस चूर्ण को आंखों में लगाने और सूंघने से पागलपन व मानसिक उन्माद नष्ट होता है।
40. शहद :
41. खसखस : 5 ग्राम खसखस, 5 ग्राम कद्दू की मींगी और 15 दाने किशमिश को घोटकर रोगी को एक बार खिलाने से एक महीने में रोग समाप्त हो जाता है।
42. दूध : लगभग 250 मिलीलीटर गाय के दूध के साथ 2 लाल रंग की घुंघची का चूर्ण कुछ दिनों तक लगातार खिलाने से बलगम के कारण होने वाला पागलपन ठीक होता है।
43. मूत्र : लगभग 100 से 200 मिलीलीटर गाय के पेशाब को छानकर एक महीने तक रोगी को पिलाने से पागलपन ठीक हो जाता है।
44. गन्ना : गन्ने का रस और दूध बराबर मात्रा में लेकर इसमें लगभग 2 से 3 ग्राम कुटकी का चूर्ण मिलाकर सुबह-शाम रोगी को देने से पागलपन ठीक हो जाता है।
45. गुड़हल (अड़हुल) : लगभग 10 से 12 गुड़हल के फूलों को पीसकर सुबह-शाम पागलपन के रोगी को पिलाने से लाभ होता है।
46. वन्यकाहू : लगभग 1 से 3 ग्राम वन्यकाहू के बीजों का सेवन करने से कामवासना में कमी आती है और संभोग या कामोन्माद ठीक हो जाता है।
47. बान्दा (बांझी) : लगभग 10 से 20 मिलीलीटर बान्दा (बांझी) के फूलों का रस सुबह-शाम सेवन करने से उन्माद या पागलपन ठीक हो जाता है।
48. कपूर : यदि किसी स्त्री में काम इच्छा के कारण पागलपन उत्पन्न हुआ हो तो उसे आधा ग्राम कपूर का सेवन कराना चाहिए। इससे स्त्री में कामवासन से उत्पन्न पागलपन ठीक हो जाता है।
49. पोस्ता : प्रतिदिन नियमित रूप से पोस्ता का काढ़ा पागलपन के रोगी को पिलाने से पागलपन दूर हो जाता है।
50. बादाम : आठ गिरी बादाम प्रतिदिन रात को पानी में भिगोकर रख दें और सुबह बादाम के छिलके उतारकर उसी पानी के साथ पीसकर 200 मिलीलीटर दूध के साथ उन्माद के रोगी को पिलाएं। इससे पागलपन दूर हो जाता है और मस्तिष्क संतुलित रहता है।
51. एरण्ड : लगभग 20 मिलीलीटर एरण्ड के तेल को दूध के साथ रात को सोते समय रोगी को पिलाने से कब्ज नष्ट होती है और पागलपन के लक्षण समाप्त होते हैं।
52. कपास : लगभग 10-10 ग्राम की मात्रा में कपास के फूल और गुलाबजल को पानी में मिलाकर काढ़ा बना लें और इसमें 20 ग्राम गुड़ डालकर चाशनी बना लें। यह चाशनी 6 ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन सुबह-शाम सेवन करने से पागलपन रोग ठीक हो जाता है। ]
53. नीम : लगभग 6 ग्राम नीम के पत्तों का रस और लगभग 2 ग्राम कूठ के चूर्ण को शहद में मिलाकर पागलपन या उन्माद के रोगी को चटाने से लाभ मिलता है।
54. सौंफ : 500 मिलीलीटर पानी में 10 ग्राम सौंफ को उबालें और जब पानी 250 मिलीलीटर की मात्रा में शेष रह जाए तो इसे छानकर रख लें। यह 10 मिलीलीटर काढ़ा मिश्री मिलाकर पागलपन के रोगी को पिलाने से रोग ठीक होता है।
55. इमली : लगभग 20 ग्राम इमली को पानी के साथ पीसकर छानकर पागलपन के रोगी को पिलाने से पागलपन या उन्माद दूर होता है।
56. चंदन : लगभग 3 ग्राम सफेद चंदन के चूरे को 50 मिलीलीटर गुलाबजल में शाम को डालकर रख दें। सुबह इसको उबालकर छानकर मिश्री मिलाकर चाशनी बना लें। इस चाशनी को पागलपन या उन्माद के रोगी को खिलाने से यह रोग ठीक हो जाता है।

नींद न आना (अनिद्रा)

 नींद न आना (अनिद्रा)

(Sleeplessness, insomnia)


             नींद न आना अपने आप में कोई रोग नहीं है बल्कि यह अन्य रोग व मानसिक परेशानी की प्रतिक्रिया है। नींद न आने की शिकायत लगातार कुछ सोचने, मानसिक तनाव, चिन्ता, भय, पेट में कब्ज, अत्यधिक थकावट, असामान्य बीमारी आदि के कारण होती है। कुछ लोग इस अवस्था में नींद की गोलियां ले लेते हैं। ऐसा कभी नहीं करना चाहिए क्योंकि प्रारम्भ में नींद तो आ जाती है परन्तु कुछ दिनों बाद नींद की गोलियां मन को सहज हो जाती है। अत: यह अपना प्रभाव डालना बन्द कर देती है।परिचय :

अनिद्रा रोग 7 प्रकार का बताया गया है-


  1. अनिद्रातिरेक अर्थात ऐसे रोगी जो रात में जागते रहते हैं और उन्हें नींद बिल्कुल भी नहीं आती है।

  2. अनिद्रा रोग से पीड़ित वह रोगी जो नींद की गोलियों का इस्तेमाल करते हैं और शराब पीते हैं या अन्य नशीले पदार्थों का सेवन करते हैं।

  3. कुछ ऐसे भी रोगी होते है जिन्हें बचपन से ही नींद नहीं आती है।

  4. ऐसे लोग जो अधिक चिन्ता करते है और हर समय मानसिक परेशानियों से पीड़ित रहते हैं उन्हें भी अनिद्रा का रोग हो जाता है।

  5. निद्रापस्मार अर्थात ऐसे रोगी जिन्हें बहुत नींद आती है और वह अधिक सोते हैं।

  6. ऐसे रोगी जो सांस सम्बंधी गड़बड़ी के कारण हमेशा परेशान रहते हैं और उन्हें नींद नहीं आती।

  7. कुछ ऐसे भी रोगी होते हैं जिन्हें नींद में चलने, सोते समय दांत चबाने या मांसपेशी चलाने की आदत हो जाती है।
1. सरसों का तेल : रात को सोते समय पैरों के तलवों में सरसों के तेल की मालिश करने से गहरी नींद आती है।
2. पत्तागोभी : पत्तागोभी की सब्जी घी में बनाकर खाने से नींद की कमी दूर होती है।
3. दूध :
4. शहद :
5. मकोय : कच्चे सूत से मकोय की जड़ को माथे पर बांधने अथवा बिजौरा नींबू सिरहाने में रखकर सोने से अनिद्रा रोग दूर होता है।
6. बादाम :
7. अजवायन : लगभग एक चौथाई से आधा ग्राम खुरासनी अजवायन का चूर्ण सुबह-शाम लेने से अनिद्रा रोग में लाभ मिलता है।
8. पोस्तादाना : पोस्तादाना को अच्छी तरह से मिलाकर काढ़ा बनाकर नियमित रूप से लेने से नींद अच्छी आती है।
9. बेल : लगभग 10 ग्राम बेल की जड़ को पीसकर पानी में घोटकर सुबह-शाम रोगी को देने से अनिद्रा रोग दूर होता है।
10. फरहद : लगभग 5 से 10 ग्राम फरहद की छाल का चूर्ण सुबह-शाम लेने से नींद अच्छी आती है।
11. सेब :
12. चौपतिया : वर्षा ऋतु में चौपतिया का साग नियमित रूप से खाने से अनिद्रा की तकलीफ दूर होती है।
13. वन्यकाहू :
14. काकजंघा : काकजंघा की जड़ को सिर के बालों पर बांधने से बहुत अच्छी नींद आती है।
15. मेंहदी : वे व्यक्ति जिन्हें नींद कम आती हो उन्हें अपने तकिये में मेंहदी के सूखे फूलों को रखने से नींद अच्छी आती है।
16. रस : अमरूद, आलू, पालक, गाजर व सेब का रस मिलाकर पीने से अनिद्रा रोग में लाभ मिलता है।
17. आम : रात को आम खाने और दूध पीने से नींद अच्छी आती है।
18. मकोय : मकोय की जड़ों का काढ़ा 10 से 20 मिलीलीटर लेकर इसमें गुड़ मिलाकर पीने से नींद का न आना दूर होता है।
19. मालकांगनी : मालकांगनी के बीज, सर्पगन्धा, जटामांसी और मिश्री समान मात्रा में लेकर पीस लें और यह 1 चम्मच की मात्रा में शहद मिलाकर खाएं। इससे अनिद्रा रोग में आराम मिलता है।
20. जटामांसी : सोने से एक घंटा पहले 1 चम्मच जटामांसी की जड़ का चूर्ण ताजा पानी से लेने से नींद का न आना दूर होता है।
21. जायफल : जायफल को जल या घी में घिसकर पलकों पर लेप की तरह लगाने से नींद का न आना ठीक होता है।
22. खोया : रात को सोते समय खोया खाने से नींद अच्छी आती है।
23. गाजर : प्रतिदिन एक गिलास गाजर का जूस पीने से अनिद्रा रोग दूर होता है।
24. कलौंजी : रात को सोने से पहले आधा चम्मच कलौंजी का तेल और एक चम्मच शहद मिलाकर पीने से गहरी और अच्छी नींद आती है।
25. अलसी : कासे की थाली में अलसी और एरण्ड की मींगी का तेल घिसकर आंख में लगाने से नींद अच्छी आती है।
26. शंखपुष्पी : शंखपुष्पी  के पंचांग का चूर्ण बराबर मात्रा में मिश्री के साथ मिलाकर एक चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से धड़कन बढ़ने, कंपन, घबराहट, अनिद्रा में लाभ मिलता है।
27. कुचला : एक चम्मच पिप्पली की जड़ के चूर्ण में शुद्ध कुचला के बीज एक चौथाई ग्राम मिलाकर खाने से अनिद्रा रोग दूर होता है।
28. अनार : अनार के ताजे पत्ते 20 ग्राम की मात्रा में लेकर 400 मिलीलीटर पानी में उबालें और जब यह 100 मिलीलीटर शेष रह जाए तो इसमें गर्म दूध मिलाकर पीएं। इससे शारीरिक व मानसिक थकावट मिटती है और अनिद्रा रोग दूर होता है।
29. पानी : सोने से पहले 5 से 10 मिनट तक गर्म पानी में पैरों को रखने से अनिद्रा रोग दूर होता है। गर्मी में ठंड़े पानी से और सर्दी में गर्म पानी से पैर धोकर सोने से भी गहरी नींद आती है।
30. एरण्ड : अंकुरित एरण्ड को बारीक पीसकर इनमें थोड़ा सा दूध मिलाकर कपाल तथा कान के पास लेप करने से अनिद्रा दूर होती है।
31. बैंगन : कोमल बैंगन को अंगारों पर सेंककर शहद में मिलाकर शाम के समय खाने से रात को नींद अच्छी आती है।
32. अफीम- पीपलामूल के चूर्ण और गुड़ बराबर लेकर एक चम्मच की मात्रा बना लें और इसमें एक चौथाई ग्राम से भी कम अफीम मिलाकर रात को सोते समय सेवन करें। इससे नींद का न आना दूर होता है।
33. असरोल : लगभग एक चौथाई ग्राम असरोल की जड़ को पीसकर रात को सोते समय लेने से अनिद्रा रोग दूर होता है।
34. खसखस : लगभग 3-3 ग्राम खसखस के बीज और बादाम की गिरी को पीसकर चीनी मिलाकर सुबह-शाम खाने से नींद का न आना रोग ठीक होता है।
35. दालचीनी : लगभग 125 मिलीलीटर पानी में लगभग 3 ग्राम दालचीनी को खूब उबालें और इसे छानकर 3 बताशे मिलाकर हल्का गर्म करके सुबह के समय पीने से नींद अच्छी आती है।
36. खमीरा : खमीरा और खसखस लगभग 6-6 ग्राम की मात्रा में लेकर पीसकर पानी के साथ प्रतिदिन सुबह लेने से नींद अच्छी आती है।
37. बनफसा : बनफसा और खमीरा लगभग 6-6 ग्राम की मात्रा में सोते समय रात को लेने से नींद अच्छी आती है।
38. बरशाशा : लगभग 2 ग्राम बरशाशा रात को सोते समय लेने से नींद अच्छी आती है।
39. सौंफ :
40. दही : दही में सौंफ, चीनी और पिसी हुई कालीमिर्च मिलाकर खाने से नींद अच्छी आती है।
41. मेथी : मेथी का एक इंच मोटा तकिया बनाकर तकिये पर रखकर सोने से गहरी नींद आती है।
42. बरगद : बरगद के पत्ते को छाया में सुखाकर मोटा-मोटा कूटकर एक लीटर पानी में पकाएं और एक चौथाई पानी बच जाने पर इसमें एक ग्राम नमक मिलाकर सुबह-शाम सेवन करें। इससे हर समय आलस्य आना और नींद का आना दूर होता है।
43. तुलसी : तुलसी के 5 पत्तों को खाने और सोते समय तकिए के आस-पास फैलाकर रखने से इसकी गंध से नींद अच्छी आती है।
44. प्याज : कच्चा प्याज या पकाया हुआ प्याज का रस निकालकर 4 चम्मच रस पीने से अच्छी नींद आती है।
45. पुनर्नवा : लगभग 50 से 100 मिलीलीटर पुनर्नवा का काढ़ा पीने से रोगी को नींद का न आना बन्द होता है।
46. भांग :
अन्य चिकित्सा :